REET 2025 L-2 3rd Shift Answer key SST & Math Science.pdf
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REET 2025 L-2 3rd Shift Answer key SST & Math Science.pdf
REET 2025 L-2 2nd Shift Answer key SST & Sci-Math.pdf
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REET 2025 L-2 2nd Shift Answer key SST & Sci-Math.pdf
REET 2025 L-1 BSTC Answer key.pdf
264.8 KB
REET 2025 L-1 BSTC Answer key.pdf
करो कृपा सब पर हे हनुमान
जीवन भर सब करें तुम्हें प्रणाम
जग में सब तेरे ही गुण गाएं
हरदम चरणों में तेरे शीश नवाएं
हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं!
❤️
जीवन भर सब करें तुम्हें प्रणाम
जग में सब तेरे ही गुण गाएं
हरदम चरणों में तेरे शीश नवाएं
हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं!
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Anonymous Poll
32%
VIDEO
68%
NOTES
🌞आर्थिक समीक्षा 2024- 25 के अनुसार विभिन्न कृषि फसलों में राजस्थान का स्थान एवं राजस्थान का देश के कुल उत्पादन में योगदान🌞
🥇 प्रथम स्थान –
🔺राई व सरसों (46.13%),
🔺बाजरा (44.66%),
🔺कुल तिलहन(22.78%),
🔺पोषक अनाज(15.66%),
🔺ग्वार(90.36%),
🥈 द्वितीय स्थान –
🔺मूंगफली(18.76%),
🥉तृतीय स्थान –
🔺ज्वार (14.87%),
🔺चना (14.75%),
🔺कुल दलहन(13.88%),
🔺सोयाबीन(8.05%)
🥇 प्रथम स्थान –
🔺राई व सरसों (46.13%),
🔺बाजरा (44.66%),
🔺कुल तिलहन(22.78%),
🔺पोषक अनाज(15.66%),
🔺ग्वार(90.36%),
🥈 द्वितीय स्थान –
🔺मूंगफली(18.76%),
🥉तृतीय स्थान –
🔺ज्वार (14.87%),
🔺चना (14.75%),
🔺कुल दलहन(13.88%),
🔺सोयाबीन(8.05%)
1857 की क्रांति - अति महत्वपूर्ण बिंदु
जयपुर के महाराज राम सिंह द्वितीय , के एक पदाधिकारी राव शिवसिंह ने सलाह दि की वे अंग्रेजों तथा मुगल बादशाह दोनों के साथ मित्रता पूर्ण संबंध बनाए रखें ।
किंतु उनके प्राइवेट सेक्रेटरी पंडित शिवदीन ने अंग्रेजों का साथ देने पर जोर डाला ।
जयपुर के नवाब विलायत खान, मियां उस्मान खान, और सादुल्लाह खान, मुगल सम्राट से मिलकर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध क्रांति का षड्यंत्र रच रहे थे ।
इसकी सूचना जयपुर के महाराज को मिली जयपुर के महाराज ने सादुल्लाह खान, को राज्य से निष्कासित कर दिया शेष दोनों को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया
जयपुर के महाराज राम सिंह द्वितीय , के एक पदाधिकारी राव शिवसिंह ने सलाह दि की वे अंग्रेजों तथा मुगल बादशाह दोनों के साथ मित्रता पूर्ण संबंध बनाए रखें ।
किंतु उनके प्राइवेट सेक्रेटरी पंडित शिवदीन ने अंग्रेजों का साथ देने पर जोर डाला ।
जयपुर के नवाब विलायत खान, मियां उस्मान खान, और सादुल्लाह खान, मुगल सम्राट से मिलकर ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध क्रांति का षड्यंत्र रच रहे थे ।
इसकी सूचना जयपुर के महाराज को मिली जयपुर के महाराज ने सादुल्लाह खान, को राज्य से निष्कासित कर दिया शेष दोनों को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया
जयपुर के महाराज राम सिंह द्वितीय को किसने सलाह दि की वे अंग्रेजों तथा मुगल बादशाह दोनों के साथ मित्रता पूर्ण संबंध बनाए रखें ?
Anonymous Quiz
32%
राव शिवसिंह
35%
शिवदीन सिंह
24%
विलायत खान
9%
उस्मान खान
Rajsthan Forest
1. गोंद - चौहटन बाड़मेर गोंद के लिए प्रसिद्ध है इस क्षेत्र में गोंद उतारने का कार्य मेघवाल व मुसलमान जाति के लोग करते हैं ।2. तेंदू पत्तियां - स्थानीय भाषा में टिमरू या बागड़ का चीकू कहते हैं ।
उत्पादन सर्वाधिक बांसवाड़ा में इसके अलावा उदयपुर सलूंबर चित्तौड़गढ़ व झालावाड़ में ।
बीड़ी बनाने के कारखाने - जयपुर अजमेर टोंक भीलवाड़ा कोटा
तेंदू वृक्ष का राष्ट्रीयकरण 1974 में
3. खैर (अकेसिया कटेचू ) - उत्पादन - उदयपुर चितौड़गढ़ बूंदी कोटा भरतपुर जयपुर
कथोरी जनजाति इसके तने की छाल को उबालकर हांडी प्रणाली से कथा तैयार करती है ।
4. महुआ ( मधुका लोंगोफोलिया ) आदिवासियों का कल्पवृक्ष
उत्पादन - डूंगरपुर बांसवाड़ा उदयपुर सलूंबर चित्तौड़गढ़
इससे तेल व देसी शराब मावड़ी बनती है
5. आडू - कठपुतली बनाने में काम आता है
6. अर्जुन वृक्ष - औषधि पौधा
उदयपुर सलूंबर बांसवाड़ा कोटा झालावाड़
खेती टसर पद्धति ।
7. अश्वगंधा ( कोटा में )
Rajasthan Sujas ^ राजस्थान करंट अफेयर्स pinned Deleted message
इंतजार खत्म... REET परिणाम जारी...
राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET) 2024 का परीणाम जारी, परीणाम देखने हेतु अभ्यर्थी नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।👇🏻✅
https://reet2024.co.in/
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राजपूताना मध्य भारत सभा
स्थापना 1918-1919
संस्थापक - 6 जमनालाल बजाज, विजय सिंह पथिक, गणेश शंकर विद्यार्थी चांदकरण शारदा, गिरधर शर्मा ,नरसिंहदेव सरस्वती
स्थान - (नई दिल्ली )चांदनी चौक के पास मारवाड़ी पुस्तकालय में
मुख्यालय - अजमेर
मुख्य उद्देश्य - देसी राज्यों में राजनीतिक जागृति उत्पन्न करना ।
देसी राज्य में उत्तरदाई शासन की स्थापना का प्रयास ।
सभा के अधिवेशन
प्रथम - दिसंबर 1918 पंडित गिरधर शर्मा की अध्यक्षता में नई दिल्ली में
दूसरा - कांग्रेस अधिवेशन के साथ दिसंबर 1919 अमृतसर में ।
तीसरा - मार्च 1920 जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में अजमेर मेंआयोजित
चौथा - दिसंबर 1920 नागपुर में
सभा की अध्यक्ष नरसिंह चिंतामणि केलकर निर्वाचित हुए परंतु किन्हीं कारणों से नहीं आए अतः जयपुर की गणेश नारायण सोमानी को सभापति चुना गया ।
चौथे अधिवेशन के समय इस संस्था को कांग्रेसी की सहयोगी संस्था मान लिया गया।
स्थापना 1918-1919
संस्थापक - 6 जमनालाल बजाज, विजय सिंह पथिक, गणेश शंकर विद्यार्थी चांदकरण शारदा, गिरधर शर्मा ,नरसिंहदेव सरस्वती
स्थान - (नई दिल्ली )चांदनी चौक के पास मारवाड़ी पुस्तकालय में
मुख्यालय - अजमेर
मुख्य उद्देश्य - देसी राज्यों में राजनीतिक जागृति उत्पन्न करना ।
देसी राज्य में उत्तरदाई शासन की स्थापना का प्रयास ।
सभा के अधिवेशन
प्रथम - दिसंबर 1918 पंडित गिरधर शर्मा की अध्यक्षता में नई दिल्ली में
दूसरा - कांग्रेस अधिवेशन के साथ दिसंबर 1919 अमृतसर में ।
तीसरा - मार्च 1920 जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में अजमेर मेंआयोजित
चौथा - दिसंबर 1920 नागपुर में
सभा की अध्यक्ष नरसिंह चिंतामणि केलकर निर्वाचित हुए परंतु किन्हीं कारणों से नहीं आए अतः जयपुर की गणेश नारायण सोमानी को सभापति चुना गया ।
चौथे अधिवेशन के समय इस संस्था को कांग्रेसी की सहयोगी संस्था मान लिया गया।
3 घण्टे भी नहीं चला युद्ध विराम..... फिर से Drone Attack और Heavy Firing शुरू
पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दे रही भारतीय सेना
पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दे रही भारतीय सेना
स्वामी दयानंद सरस्वती -
जन्म- गुजरात के टंकारा ग्राम में
बचपन का नाम - मूल शंकर
21 वर्ष की आयु में गृह त्याग मथुरा गये उनके गुरु विरजानंद से वेदों की शिक्षा ली ।
10 अप्रैल 1875 आर्य समाज की स्थापना मुंबई ( वैलेंटाइंस शिरोल एक पत्रकार ने आर्य समाज को राजनीतिक संस्था माना )
1864 में उपदेश देना शुरू किया।
1865 में सर्वप्रथम राजस्थान के करौली जिले में राजकीय अतिथि के रूप में गए ।
करौली से किशनगढ़ जयपुर पुष्कर और अजमेर में उपदेश दिए ।
कहा जाता है कि पुष्कर में ही उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया वैष्णव मत का खंडन किया एकेश्वरवाद पर जोर दिया ।
दूसरी बार राजस्थान 1881 में भरतपुर में आए
1881 में अजमेर में आर्य समाज की स्थापना आर्य समाज के कार्यकर्ताओं द्वारा।
वहां से जयपुर अजमेर ब्यावर मसूदा बनेड़ा और चित्तौड़गढ़ गए ।
चित्तौड़गढ़ में श्यामल दास ने स्वागत किया इनका ।
उदयपुर के राजा सज्जन सिंह के अनुरोध पर यह उदयपुर गए ।
दोबारा उदयपुर 1882 में गए - वहां इन्होंने सत्यार्थ प्रकाश का दूसरा संस्करण लिखा (गुलाब बाग महल के अंदर नौलखा महल में)
Note - सत्यार्थ प्रकाश का लेखन उदयपुर में व इसका प्रकाशन अजमेर से किया गया ।
हिंदी भाषा में लेखन के लिए दयानंद सरस्वती को केशव चंद्र सेन ने प्रेरित किया ।
1883 में परोपकारिणी सभा की स्थापना ।(मुख्यालय अजमेर - प्रथम सभापति महाराणा सज्जन सिंह )
मेवाड़ में ही विष्णु लाल पांडेय ने आर्य समाज की स्थापना की ।
जोधपुर गये राजा जसवंत सिंह और उसके प्रधानमंत्री प्रताप सिंह ने उनके उपदेशों पर प्रभाव पड़ा ।
सभा में वेश्यागमन को दोस बतलाते हुए जसवंत सिंह की नन्ही जान के प्रति प्यार को फटकार लगाई ।
नन्ही जान मैं इनको विश दिया और अंत में अजमेर में 1883 में इनकी मृत्यु हो गई ।
प्रमुख नारा - वेदों की ओर लोटों का
स्वधर्म स्वराज्य स्वदेशी स्वभाषा पर जोर दिया ।
अजमेर की हरीविलास शारदा में चांदकरण शारदा ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया
भरतपुर में मास्टर आदित्येन्द्र व जुगल किशोर आर्य समाज के कार्यकर्ता थे ।
जुड़े रहे हमारे साथ राजस्थान सुजस और राजस्थान के महत्वपूर्ण कंटेंट के साथ । जबरदस्त का कंटेंट हमारे द्वारा प्रोवाइड किया जाता है ।
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जन्म- गुजरात के टंकारा ग्राम में
बचपन का नाम - मूल शंकर
21 वर्ष की आयु में गृह त्याग मथुरा गये उनके गुरु विरजानंद से वेदों की शिक्षा ली ।
10 अप्रैल 1875 आर्य समाज की स्थापना मुंबई ( वैलेंटाइंस शिरोल एक पत्रकार ने आर्य समाज को राजनीतिक संस्था माना )
1864 में उपदेश देना शुरू किया।
1865 में सर्वप्रथम राजस्थान के करौली जिले में राजकीय अतिथि के रूप में गए ।
करौली से किशनगढ़ जयपुर पुष्कर और अजमेर में उपदेश दिए ।
कहा जाता है कि पुष्कर में ही उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया वैष्णव मत का खंडन किया एकेश्वरवाद पर जोर दिया ।
दूसरी बार राजस्थान 1881 में भरतपुर में आए
1881 में अजमेर में आर्य समाज की स्थापना आर्य समाज के कार्यकर्ताओं द्वारा।
वहां से जयपुर अजमेर ब्यावर मसूदा बनेड़ा और चित्तौड़गढ़ गए ।
चित्तौड़गढ़ में श्यामल दास ने स्वागत किया इनका ।
उदयपुर के राजा सज्जन सिंह के अनुरोध पर यह उदयपुर गए ।
दोबारा उदयपुर 1882 में गए - वहां इन्होंने सत्यार्थ प्रकाश का दूसरा संस्करण लिखा (गुलाब बाग महल के अंदर नौलखा महल में)
Note - सत्यार्थ प्रकाश का लेखन उदयपुर में व इसका प्रकाशन अजमेर से किया गया ।
हिंदी भाषा में लेखन के लिए दयानंद सरस्वती को केशव चंद्र सेन ने प्रेरित किया ।
1883 में परोपकारिणी सभा की स्थापना ।(मुख्यालय अजमेर - प्रथम सभापति महाराणा सज्जन सिंह )
मेवाड़ में ही विष्णु लाल पांडेय ने आर्य समाज की स्थापना की ।
जोधपुर गये राजा जसवंत सिंह और उसके प्रधानमंत्री प्रताप सिंह ने उनके उपदेशों पर प्रभाव पड़ा ।
सभा में वेश्यागमन को दोस बतलाते हुए जसवंत सिंह की नन्ही जान के प्रति प्यार को फटकार लगाई ।
नन्ही जान मैं इनको विश दिया और अंत में अजमेर में 1883 में इनकी मृत्यु हो गई ।
प्रमुख नारा - वेदों की ओर लोटों का
स्वधर्म स्वराज्य स्वदेशी स्वभाषा पर जोर दिया ।
अजमेर की हरीविलास शारदा में चांदकरण शारदा ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया
भरतपुर में मास्टर आदित्येन्द्र व जुगल किशोर आर्य समाज के कार्यकर्ता थे ।
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