द्विगु समास के बारे में कुछ आवश्यक बातें -
सामान्यतः लोगों की यही धारणा होती है कि जिस समास में पहला शब्द (पद) कोई संख्यावाचक शब्द होता है, वह द्विगु समास होता है।
परंतु ऐसा नहीं है।
बहुव्रीहि समास में भी प्रथम शब्द (पद) संख्यावचक होता है।
परंतु कुछ लोग सही जानकारी के अभाव में बहुव्रीहि समास वाले शब्दों को भी द्विगु मान लेते हैं।
ऐसे में दोनों में अंतर समझ लेना आवश्यक है। अंतर बहुत स्पष्ट है।
संख्यावाचक शंब्द वाले जिस समास में समूह का अर्थ निकलता हो, वही द्विगु समास होता है तथा जिस समास (समस्त पद) के द्वारा कोई तीसरा अर्थ निकलता हो, उसमें बहुव्रीहि समास होता है।
जैसे – त्रिनेत्र तथा त्रिलोक दो शब्दों को हम लें।
1. त्रिनेत्र में बहुव्रीहि समास है। कारण कि त्रिनेत्र का विग्रह होता है – तीन नेत्रों वाला (वाले) यानी शिव।
त्रिनेत्र का विग्रह ‘तीन नेत्रों का समूह’ विग्रह नहीं हो सकता।
विग्रह कर भी दें, तो ‘तीन नेत्रों का समूह’ का कोई अर्थ नहीं है।
यानी ‘तीन नेत्रों का समूह’ विग्रह निरर्थक है।
2. त्रिलोक का विग्रह होगा – तीन लोकों का समूह। कारण कि तीन लोकों के समूह को त्रिलोक कहते हैं।
त्रिलोक का विग्रह ‘तीन लोकों वाला’ नहीं होगा। कारण कि ‘तीन लोकों वाला’ का कोई अर्थ नहीं है।
चतुर्भुज, चतुरानन, पंचाननन, चतुर्मुख, त्र्यंबक, सहस्रबाहु, दशानन, तिरंगा, त्रिलोचन, पंचतंत्र, अष्टाध्यायी जैसे शब्द द्विगु समास के उदाहरण नहीं हैं। भले ही इनका पहला शब्द (पद) संख्यावाचक है।
सामान्यतः लोगों की यही धारणा होती है कि जिस समास में पहला शब्द (पद) कोई संख्यावाचक शब्द होता है, वह द्विगु समास होता है।
परंतु ऐसा नहीं है।
बहुव्रीहि समास में भी प्रथम शब्द (पद) संख्यावचक होता है।
परंतु कुछ लोग सही जानकारी के अभाव में बहुव्रीहि समास वाले शब्दों को भी द्विगु मान लेते हैं।
ऐसे में दोनों में अंतर समझ लेना आवश्यक है। अंतर बहुत स्पष्ट है।
संख्यावाचक शंब्द वाले जिस समास में समूह का अर्थ निकलता हो, वही द्विगु समास होता है तथा जिस समास (समस्त पद) के द्वारा कोई तीसरा अर्थ निकलता हो, उसमें बहुव्रीहि समास होता है।
जैसे – त्रिनेत्र तथा त्रिलोक दो शब्दों को हम लें।
1. त्रिनेत्र में बहुव्रीहि समास है। कारण कि त्रिनेत्र का विग्रह होता है – तीन नेत्रों वाला (वाले) यानी शिव।
त्रिनेत्र का विग्रह ‘तीन नेत्रों का समूह’ विग्रह नहीं हो सकता।
विग्रह कर भी दें, तो ‘तीन नेत्रों का समूह’ का कोई अर्थ नहीं है।
यानी ‘तीन नेत्रों का समूह’ विग्रह निरर्थक है।
2. त्रिलोक का विग्रह होगा – तीन लोकों का समूह। कारण कि तीन लोकों के समूह को त्रिलोक कहते हैं।
त्रिलोक का विग्रह ‘तीन लोकों वाला’ नहीं होगा। कारण कि ‘तीन लोकों वाला’ का कोई अर्थ नहीं है।
चतुर्भुज, चतुरानन, पंचाननन, चतुर्मुख, त्र्यंबक, सहस्रबाहु, दशानन, तिरंगा, त्रिलोचन, पंचतंत्र, अष्टाध्यायी जैसे शब्द द्विगु समास के उदाहरण नहीं हैं। भले ही इनका पहला शब्द (पद) संख्यावाचक है।
हमारे सभी प्रिय मित्रों को नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
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ध्यातव्य है,
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है। अभिषेक सर के वादे के अनुसार कल आपकी क्लास 2 बजे से शाम 5 बजे तक होगी, जिसमे विटामिन टॉपिक को जड़ से ख़त्म किया जाएगा।उन्होंने साफ साफ कहा है कि कल की क्लास के बाद वह किसी भी क्लास में यह टॉपिक नहीं पढ़ाएंगे, इसमे ssc और ख़ासकर vyapm के विद्यार्थियों के लिए यह टॉपिक रामबाण सिद्ध होगा।आप सभी विद्यार्थियों का तहे दिल से आगमन है। फिर मत कहियेगा की विटामिन से प्रश्न नही बना।
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है। अभिषेक सर के वादे के अनुसार कल आपकी क्लास 2 बजे से शाम 5 बजे तक होगी, जिसमे विटामिन टॉपिक को जड़ से ख़त्म किया जाएगा।उन्होंने साफ साफ कहा है कि कल की क्लास के बाद वह किसी भी क्लास में यह टॉपिक नहीं पढ़ाएंगे, इसमे ssc और ख़ासकर vyapm के विद्यार्थियों के लिए यह टॉपिक रामबाण सिद्ध होगा।आप सभी विद्यार्थियों का तहे दिल से आगमन है। फिर मत कहियेगा की विटामिन से प्रश्न नही बना।
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