निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
1. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर किया जाता है।
2. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है / हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों ✅✅
d) न तो 1, न ही 2
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1. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर किया जाता है।
2. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है / हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों ✅✅
d) न तो 1, न ही 2
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निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः 1. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर किया जाता है। 2. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है / हैं? a) केवल 1 b) केवल…
० उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का विभिन्न मामलों में अध्ययन कर निम्नलिखित सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं;
1. दया की याचिका करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति से मौखिक सुनवाई का अधिकार नहीं है।
2. राष्ट्रपति साक्ष्य का पुनः अध्ययन कर सकता है और उसका विचार न्यायालय से भिन्न हो सकता है। 3. राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिमंडल के परामर्श से ही करेगा। इसलिए कथन 1 सही है।
4. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है। इसलिए कथन 2 सही है।
5. राष्ट्रपति न केवल दंड पर राहत दे सकता है बल्कि प्रमाणिक भूल के लिए भी राहत प्रदान कर सकता है। 6. राष्ट्रपति को अपनी शक्ति का प्रयोग करने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी भी दिशा-निर्देश का पालन करना आवश्यक नहीं है।
7. राष्ट्रपति के इस निर्णय की किसी भी प्रकार की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती, सिवाय ऐसे मामले के जहां राष्ट्रपति का निर्णय स्वेच्छाचारी, विवेक रहित, दुर्भावनापूर्ण तथा भेदभावपूर्ण हो। 8. जब क्षमादान की पूर्व याचिका राष्ट्रपति ने अस्वीकृत कर दी हो तो दूसरी याचिका दायर करके स्थगन (स्टे) नहीं प्राप्त किया जा सकता।
इस प्रश्न का विकल्प c सही है
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1. दया की याचिका करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति से मौखिक सुनवाई का अधिकार नहीं है।
2. राष्ट्रपति साक्ष्य का पुनः अध्ययन कर सकता है और उसका विचार न्यायालय से भिन्न हो सकता है। 3. राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिमंडल के परामर्श से ही करेगा। इसलिए कथन 1 सही है।
4. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है। इसलिए कथन 2 सही है।
5. राष्ट्रपति न केवल दंड पर राहत दे सकता है बल्कि प्रमाणिक भूल के लिए भी राहत प्रदान कर सकता है। 6. राष्ट्रपति को अपनी शक्ति का प्रयोग करने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी भी दिशा-निर्देश का पालन करना आवश्यक नहीं है।
7. राष्ट्रपति के इस निर्णय की किसी भी प्रकार की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती, सिवाय ऐसे मामले के जहां राष्ट्रपति का निर्णय स्वेच्छाचारी, विवेक रहित, दुर्भावनापूर्ण तथा भेदभावपूर्ण हो। 8. जब क्षमादान की पूर्व याचिका राष्ट्रपति ने अस्वीकृत कर दी हो तो दूसरी याचिका दायर करके स्थगन (स्टे) नहीं प्राप्त किया जा सकता।
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त्योहार हमेशा से मुझे अच्छे लगते हैं..रोज़ एक जैसे रुटीन से अलग कुछ होना वैसे भी नीरस ज़िन्दगी में एक उछाल जैसा है।
सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की होती है कि अपने घर से बाहर गए लड़के लड़कियां त्योहार पर घर जा रहे होते है...
घर जाना जड़ो की तरफ लौटना होता है जहाँ आपका बचपन जुड़ा होता है,
इंसान की सबसे बेहतरीन यादें बचपन से ही जुड़ी होती है क्योंकि बुढ़ापे में मरते हुए इंसान को अपना ऑफिस याद नही आता,
ख़ैर स्टेशन पर लड़के लड़कियों मज़दूरों कारीगरों की भीड़ बहुत अच्छी लगती है।
ऑफिस का माहौल अच्छा लगता है जब लोग कहते है आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी निकलकर बैग उठाएंगे और त्योहार में दो तीन दिन के लिए घर चले जाएंगे...
इंसान इतना मशीन हो चुका है कि अगर त्योहार न होता तो अपने घर ही न जाता क्योंकि जो एक दो दिन की छुट्टी लेता है उसमें वो आस पास की घूमने वाली जगह पर चला जाता है .....
लेकिन त्योहार के बहाने लोग अपने घर जाते है इससे इसकी अहमियत पता चलती है मैं दुबारा फिर कहूंगा घर जाना हमेशा सबसे बेहतरीन होता है।
पिछले 2-3 दिनों से रेलों और बसों के माध्यम से घर जाने वालों में ज़्यादातर स्टूडेंट थे जो सामान लिए हुए थे।
एक नज़र ग़ौर से देखा एक अंदर से ख़ुशी हुई की ये जो लड़के अपने गांव लौट रहे है ये तीन- चार दिन कितने बेहतरीन होंगे।
उनकी माँ बहन उनका इन्तिज़ार देख रही होंगी। उनके दोस्त उन्हें याद कर रहे होंगे। शायद गांव की कोई लड़की भी।
सब कुछ कितना अच्छा होगा। ये त्यौहार भी कितनी खुशिया लाते है।
ये वाक़ई बेहतरीन और ख़ुशनसीबी है कि जिस देश मे हम पैदा हुए है वहां अलग अलग धर्मो के त्योहारों का मज़ा ले रहे है।
घर मे शादी फंक्शन भी मज़ा देते है लेकिन ये महज़ गिने चुने लोगो के लिए होता है लेकिन त्योहार में तो पूरा देश झूमता है।
मैने दीवाली में खूब पटाख़े छुड़ाए....लोगो के घरों की बाउंड्री से "दीये" उठाकर अपने घर पे सजाये है।
घर के तमाम बर्तनों में बम रखकर बर्तनों को ख़राब किया है हालांकि अब ये सब नही होता, मैं अब त्योहार इस तरह सेलेब्रेट नही करता लेकिन दूसरो को ऐसा करते देखना अच्छा लगता है।
अंत में
आप सभी को प्रकाश पर्व दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ 💐💐🌆🪔🧨🎇
सादर-
देवराज गौड़
सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की होती है कि अपने घर से बाहर गए लड़के लड़कियां त्योहार पर घर जा रहे होते है...
घर जाना जड़ो की तरफ लौटना होता है जहाँ आपका बचपन जुड़ा होता है,
इंसान की सबसे बेहतरीन यादें बचपन से ही जुड़ी होती है क्योंकि बुढ़ापे में मरते हुए इंसान को अपना ऑफिस याद नही आता,
ख़ैर स्टेशन पर लड़के लड़कियों मज़दूरों कारीगरों की भीड़ बहुत अच्छी लगती है।
ऑफिस का माहौल अच्छा लगता है जब लोग कहते है आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी निकलकर बैग उठाएंगे और त्योहार में दो तीन दिन के लिए घर चले जाएंगे...
इंसान इतना मशीन हो चुका है कि अगर त्योहार न होता तो अपने घर ही न जाता क्योंकि जो एक दो दिन की छुट्टी लेता है उसमें वो आस पास की घूमने वाली जगह पर चला जाता है .....
लेकिन त्योहार के बहाने लोग अपने घर जाते है इससे इसकी अहमियत पता चलती है मैं दुबारा फिर कहूंगा घर जाना हमेशा सबसे बेहतरीन होता है।
पिछले 2-3 दिनों से रेलों और बसों के माध्यम से घर जाने वालों में ज़्यादातर स्टूडेंट थे जो सामान लिए हुए थे।
एक नज़र ग़ौर से देखा एक अंदर से ख़ुशी हुई की ये जो लड़के अपने गांव लौट रहे है ये तीन- चार दिन कितने बेहतरीन होंगे।
उनकी माँ बहन उनका इन्तिज़ार देख रही होंगी। उनके दोस्त उन्हें याद कर रहे होंगे। शायद गांव की कोई लड़की भी।
सब कुछ कितना अच्छा होगा। ये त्यौहार भी कितनी खुशिया लाते है।
ये वाक़ई बेहतरीन और ख़ुशनसीबी है कि जिस देश मे हम पैदा हुए है वहां अलग अलग धर्मो के त्योहारों का मज़ा ले रहे है।
घर मे शादी फंक्शन भी मज़ा देते है लेकिन ये महज़ गिने चुने लोगो के लिए होता है लेकिन त्योहार में तो पूरा देश झूमता है।
मैने दीवाली में खूब पटाख़े छुड़ाए....लोगो के घरों की बाउंड्री से "दीये" उठाकर अपने घर पे सजाये है।
घर के तमाम बर्तनों में बम रखकर बर्तनों को ख़राब किया है हालांकि अब ये सब नही होता, मैं अब त्योहार इस तरह सेलेब्रेट नही करता लेकिन दूसरो को ऐसा करते देखना अच्छा लगता है।
अंत में
आप सभी को प्रकाश पर्व दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ 💐💐🌆🪔🧨🎇
सादर-
देवराज गौड़
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◾️16वा ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - 2024
🔹आयोजन - 22 से 24 अक्टूबर 2024,
🔹स्थान - कजान, रूस मे
🔹भारत की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी ने भाग लिया
सऊदी अरब ने अभी तक अपनी BRICS सदस्यता को औपचारिक रूप नहीं दिया है, हालांकि उसके विदेश मंत्री ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
◦ इस शिखर सम्मेलन में नए सदस्य देशों की भागीदारी को प्रदर्शित करने के साथ BRICS+ गठबंधन के तहत बढ़ते प्रभाव और विविधता को रेखांकित किया गया।
▪ बहुपक्षवाद पर ध्यान:
◦ इसके नेताओं ने बहुपक्षवाद को मज़बूत करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, सतत् विकास को आगे बढ़ाने तथा ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दूर करने के बारे में चर्चा की।
▪ इस शिखर सम्मेलन के दौरान ही प्रधानमंत्री ने वर्ष 2020 के सीमा मुद्दों की "पूर्ण समाप्ति और समाधान" के लिये चीन के साथ हाल ही में हुए समझौते का स्वागत किया, यह वर्ष 2020 के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक थी।
✍️ देवराज गौड़
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🔹आयोजन - 22 से 24 अक्टूबर 2024,
🔹स्थान - कजान, रूस मे
🔹भारत की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी ने भाग लिया
सऊदी अरब ने अभी तक अपनी BRICS सदस्यता को औपचारिक रूप नहीं दिया है, हालांकि उसके विदेश मंत्री ने शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
◦ इस शिखर सम्मेलन में नए सदस्य देशों की भागीदारी को प्रदर्शित करने के साथ BRICS+ गठबंधन के तहत बढ़ते प्रभाव और विविधता को रेखांकित किया गया।
▪ बहुपक्षवाद पर ध्यान:
◦ इसके नेताओं ने बहुपक्षवाद को मज़बूत करने, आतंकवाद का मुकाबला करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, सतत् विकास को आगे बढ़ाने तथा ग्लोबल साउथ की चिंताओं को दूर करने के बारे में चर्चा की।
▪ इस शिखर सम्मेलन के दौरान ही प्रधानमंत्री ने वर्ष 2020 के सीमा मुद्दों की "पूर्ण समाप्ति और समाधान" के लिये चीन के साथ हाल ही में हुए समझौते का स्वागत किया, यह वर्ष 2020 के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक थी।
✍️ देवराज गौड़
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परम पिता परमेश्वर , आराध्य बालाजी महाराज की असीम कृपा , माता-पिता व गुरूजनों के आशीर्वाद से राजकीय सेवा में सहायक आचार्य के पद पर द्विवर्षीय परिवीक्षाकाल आज सफलतापूर्वक पूर्ण किया ।। दो वर्ष के इस सेवा काल में कर्मस्थली राज़कीय महाविद्यालय रेवदर और राजकीय महाविद्यालय विशाला के सम्पूर्ण स्टाफ साथियों का सहयोग व मार्गदर्शन मेरे लिए अविस्मरणीय है ।इस अवधि में बहुत कुछ सीखने को मिला। स्वयं के कार्य क्षेत्र में जो भी जिम्मेदारियां मिली पूर्ण मनोयोग तथा बेहतर ढंग से निर्वहन करने का प्रयास रहा।।
प्रतियोगिता तैयारी के समय जब स्वयं के करियर को संवारने के सपने देखते थे उस प्रतिकूल परिस्थितियों के संघर्ष को याद करके जब आज उसके प्रतिफल को महसूस करते है तो कार्य के प्रति एक नया जोश और विनम्रता पैदा होती है परमात्मा हमेशा इस जज्बे को बरकरार रखें।
दो वर्ष के इस सेवाकाल में प्यारें विद्यार्थियों से मिले मान सम्मान व अपनत्व का भी मैं हृदय से आभारी हूं ।
आप सभी शुभचिंतकों का स्नेह , आशीर्वाद व मार्गदर्शन आगे भी अनवरत मिलता रहें ।।💐💐
सादर
देवराज गौड़
सहायक आचार्य
राज. विज्ञान
प्रतियोगिता तैयारी के समय जब स्वयं के करियर को संवारने के सपने देखते थे उस प्रतिकूल परिस्थितियों के संघर्ष को याद करके जब आज उसके प्रतिफल को महसूस करते है तो कार्य के प्रति एक नया जोश और विनम्रता पैदा होती है परमात्मा हमेशा इस जज्बे को बरकरार रखें।
दो वर्ष के इस सेवाकाल में प्यारें विद्यार्थियों से मिले मान सम्मान व अपनत्व का भी मैं हृदय से आभारी हूं ।
आप सभी शुभचिंतकों का स्नेह , आशीर्वाद व मार्गदर्शन आगे भी अनवरत मिलता रहें ।।💐💐
सादर
देवराज गौड़
सहायक आचार्य
राज. विज्ञान
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