समस्त देशवासियों को भारतीय गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,
लोकतंत्र जिंदाबाद #RepublicDay2025
लोकतंत्र जिंदाबाद #RepublicDay2025
रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं।
राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥
अर्थात् संत रैदास कहते हैं कि मेरे आराध्य राम दशरथ के पुत्र राम नहीं हैं, जो राम पूरे विश्व में, प्रत्येक व्यक्ति के मन में समाया हुआ है, वही मेरे भीतर रमा हुआ है।
कांग्रेस के नेता टीकाराम जूली का राम मंदिर में जाना और उसके बाद भाजपा के नेता के द्वारा उसे मंदिर को धोना दोनों घटनाएं इस वक्त काफी ज्यादा चर्चा में है।
पहली बात तो यह की टीकाराम जूली जी वर्ग से आते हैं उसे वर्ग के किसी भी महापुरुष ने वह रास्ता नहीं बताया जिस रास्ते पर कांग्रेस नेता गए थे। टीकाराम जूली मंदिर में पहुंचे और उनके आने के बाद मंदिर को धोने की घटना कानूनी अपराध भी है और उनके मूल अधिकारों का हनन भी है। टीकाराम जूली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी पार्टी में कई सारे बड़े वकील भी है। इस मामले को न्यायालय में लेकर जाएं और इंसाफ हासिल करें, मंदिर और मस्जिद के मसलों से समाज का कभी भला नहीं हुआ है और ना ही होगा। जिस व्यक्ति ने यह किया वह पूर्व विधायक और राजनीतिक व्यक्ति हैं। अगर आप उस व्यक्ति से न्यायालय में जीतते हैं तो यह आपकी नैतिक जीत भी होगी और साथ में समाज को भी संबल मिलेगा।
अगर आप पुतला फूंक कर इंसाफ की उम्मीद कर रहे हैं तो शायद यह आपकी राजनीतिक सफलता को तय कर सकता है लेकिन समाज को इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है। अगर आपका अपमान हुआ है तो आप मुकदमा दर्ज करायें। आप कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं अगर आपकी पार्टी आपको इंसाफ नहीं दिला सकती है, तो बाकि गरीब, वंचित या शोषित को इंसाफ दिलाने की उम्मीद ही क्या कर सकते हैं?
पिछले दिनों कांग्रेस के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने खुद कहा था कि हमने दलित, पिछड़ों को वो सम्मान और नेतृत्व नहीं दिया जिसके वो हकदार थे। वैसे राहुल गांधी की यह बात सही भी है और जहां कांग्रेस की सरकार होती है वह अक्सर ऐसा ही करती है, तेलंगाना के अंदर कांग्रेस की सरकार है और वहां पर प्रशासनिक सेवाओं की प्रारंभिक परीक्षाओं में आरक्षण समाप्त कर दिया। मतलब कहते कुछ और है और करते कुछ और है।
दलित, पिछड़े और मुसलमान समाज ने बड़े पैमाने पर हमेशा कांग्रेस को समर्थन दिया लेकिन सरकार बनने के बाद मलाई कोई और ही खाता है।
पिछले कुछ समय पहले राजस्थान विधानसभा चल रही थी पूरे विधानसभा सत्र में मुद्दे की बात चलने की बजाय गोविंद सिंह डोटासरा ने इंदिरा गांधी और किरोड़ी लाल मीणा के मामले में उलझा कर रख दिया। टीकाराम जूली पहले मंत्री भी रहे हैं और अब कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष भी है लेकिन ऐसा कोई बड़ा समाज हितैषी काम कभी देखने को नहीं मिला।
आजकल हम बाबा साहब अंबेडकर को भी दूसरे संतों का सानिध्य और भगवाकरण की तरफ बढ़ा रहे हैं, जिन महापुरुषों ने अपनी कुर्बानी पाखंड और कर्मकांड का विरोध करने में लगा दिया। अब हम उनको हमारे महापुरुषों से जोड़कर विचारधारा बढ़ाने की बात करते हैं।
हजारों साल पहले संत गुरु रविदास जी ने मंदिर,मस्जिद,रामकृष्ण,अल्लाह, रहीम, कर्मकांड, पाखंडवाद और अंधविश्वास पर कठोरता से बोला था और वह आज हमारे समाज के एक बहुत महान संत हैं, जो बिना किसी मंदिर गए भी महान बन गए। क्या हम धोक लगाकर, मंदिर जाकर उनसे बडे संत बन सकते है?
*मस्जिद सों कुछ घिन नहीं, मंदिर सों नहीं पिआर।
दोए मंह अल्लाह राम नहीं, कहै रैदास चमार*
#NoratramLoroli
राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥
अर्थात् संत रैदास कहते हैं कि मेरे आराध्य राम दशरथ के पुत्र राम नहीं हैं, जो राम पूरे विश्व में, प्रत्येक व्यक्ति के मन में समाया हुआ है, वही मेरे भीतर रमा हुआ है।
कांग्रेस के नेता टीकाराम जूली का राम मंदिर में जाना और उसके बाद भाजपा के नेता के द्वारा उसे मंदिर को धोना दोनों घटनाएं इस वक्त काफी ज्यादा चर्चा में है।
पहली बात तो यह की टीकाराम जूली जी वर्ग से आते हैं उसे वर्ग के किसी भी महापुरुष ने वह रास्ता नहीं बताया जिस रास्ते पर कांग्रेस नेता गए थे। टीकाराम जूली मंदिर में पहुंचे और उनके आने के बाद मंदिर को धोने की घटना कानूनी अपराध भी है और उनके मूल अधिकारों का हनन भी है। टीकाराम जूली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और उनकी पार्टी में कई सारे बड़े वकील भी है। इस मामले को न्यायालय में लेकर जाएं और इंसाफ हासिल करें, मंदिर और मस्जिद के मसलों से समाज का कभी भला नहीं हुआ है और ना ही होगा। जिस व्यक्ति ने यह किया वह पूर्व विधायक और राजनीतिक व्यक्ति हैं। अगर आप उस व्यक्ति से न्यायालय में जीतते हैं तो यह आपकी नैतिक जीत भी होगी और साथ में समाज को भी संबल मिलेगा।
अगर आप पुतला फूंक कर इंसाफ की उम्मीद कर रहे हैं तो शायद यह आपकी राजनीतिक सफलता को तय कर सकता है लेकिन समाज को इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है। अगर आपका अपमान हुआ है तो आप मुकदमा दर्ज करायें। आप कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं अगर आपकी पार्टी आपको इंसाफ नहीं दिला सकती है, तो बाकि गरीब, वंचित या शोषित को इंसाफ दिलाने की उम्मीद ही क्या कर सकते हैं?
पिछले दिनों कांग्रेस के कार्यक्रम में राहुल गांधी ने खुद कहा था कि हमने दलित, पिछड़ों को वो सम्मान और नेतृत्व नहीं दिया जिसके वो हकदार थे। वैसे राहुल गांधी की यह बात सही भी है और जहां कांग्रेस की सरकार होती है वह अक्सर ऐसा ही करती है, तेलंगाना के अंदर कांग्रेस की सरकार है और वहां पर प्रशासनिक सेवाओं की प्रारंभिक परीक्षाओं में आरक्षण समाप्त कर दिया। मतलब कहते कुछ और है और करते कुछ और है।
दलित, पिछड़े और मुसलमान समाज ने बड़े पैमाने पर हमेशा कांग्रेस को समर्थन दिया लेकिन सरकार बनने के बाद मलाई कोई और ही खाता है।
पिछले कुछ समय पहले राजस्थान विधानसभा चल रही थी पूरे विधानसभा सत्र में मुद्दे की बात चलने की बजाय गोविंद सिंह डोटासरा ने इंदिरा गांधी और किरोड़ी लाल मीणा के मामले में उलझा कर रख दिया। टीकाराम जूली पहले मंत्री भी रहे हैं और अब कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष भी है लेकिन ऐसा कोई बड़ा समाज हितैषी काम कभी देखने को नहीं मिला।
आजकल हम बाबा साहब अंबेडकर को भी दूसरे संतों का सानिध्य और भगवाकरण की तरफ बढ़ा रहे हैं, जिन महापुरुषों ने अपनी कुर्बानी पाखंड और कर्मकांड का विरोध करने में लगा दिया। अब हम उनको हमारे महापुरुषों से जोड़कर विचारधारा बढ़ाने की बात करते हैं।
हजारों साल पहले संत गुरु रविदास जी ने मंदिर,मस्जिद,रामकृष्ण,अल्लाह, रहीम, कर्मकांड, पाखंडवाद और अंधविश्वास पर कठोरता से बोला था और वह आज हमारे समाज के एक बहुत महान संत हैं, जो बिना किसी मंदिर गए भी महान बन गए। क्या हम धोक लगाकर, मंदिर जाकर उनसे बडे संत बन सकते है?
*मस्जिद सों कुछ घिन नहीं, मंदिर सों नहीं पिआर।
दोए मंह अल्लाह राम नहीं, कहै रैदास चमार*
#NoratramLoroli
भारतीय संविधान के निर्माता और भारत-रत्न बाबा साहेब आंबेडकर जी की 134वीं जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई....
बाबा साहेब का योगदान इस देश के लिए अतुल्य रहा है, कृतज्ञ राष्ट्र उनका ऋणी रहेगा। आंबेडकर मूर्तियों में नहीं है, आंबेडकर किसी स्मारक में भी नहीं है, यह एक विचार है, जिसकी जननी शिक्षा, वैज्ञानिक सोच और समानता की लड़ाई है।
बाबा साहेब के योगदान को करोड़ों लोग युगों युगों तक याद करेंगे, जो विचारधारा उनके खिलाफ थी वो भी आज उनके आगे नतमस्तक है। आज सभी लोग पुष्प अर्पित करेंगे, लम्बे लम्बे भाषण भी देंगे, डीजे पर नाचेंगे और गाने बजायेंगे
लेकिन क्या एक दिन आंबेडकर जयंती पर उनको याद करना बेमानी नहीं है, हमें एक दिन नहीं बल्कि हर दिन उनके विचारों पर आगे बढ़ना चाहिए।
आज जयंती पर विचार करें कि मैं बाबा साहेब के विचारों पर 365 दिन कैसे चल सकता हूं?, कैसे मैं उनके मूवमेंट को आगे बढ़ा सकता हूं?, कैसे मैं खुद को उनकी सोच पर खरा उतार सकता हूं?
#NoratramLoroli #AmbedkarJayanti
बाबा साहेब का योगदान इस देश के लिए अतुल्य रहा है, कृतज्ञ राष्ट्र उनका ऋणी रहेगा। आंबेडकर मूर्तियों में नहीं है, आंबेडकर किसी स्मारक में भी नहीं है, यह एक विचार है, जिसकी जननी शिक्षा, वैज्ञानिक सोच और समानता की लड़ाई है।
बाबा साहेब के योगदान को करोड़ों लोग युगों युगों तक याद करेंगे, जो विचारधारा उनके खिलाफ थी वो भी आज उनके आगे नतमस्तक है। आज सभी लोग पुष्प अर्पित करेंगे, लम्बे लम्बे भाषण भी देंगे, डीजे पर नाचेंगे और गाने बजायेंगे
लेकिन क्या एक दिन आंबेडकर जयंती पर उनको याद करना बेमानी नहीं है, हमें एक दिन नहीं बल्कि हर दिन उनके विचारों पर आगे बढ़ना चाहिए।
आज जयंती पर विचार करें कि मैं बाबा साहेब के विचारों पर 365 दिन कैसे चल सकता हूं?, कैसे मैं उनके मूवमेंट को आगे बढ़ा सकता हूं?, कैसे मैं खुद को उनकी सोच पर खरा उतार सकता हूं?
#NoratramLoroli #AmbedkarJayanti