मेरा प्रेम बस तुम्हे तुम्हारे एकांत में ही स्पर्श करेगा,
मेरे प्रेम को भी तुम्हारी मर्यादाओं का खयाल है।।
पंडिताईन .....🌹
मेरे प्रेम को भी तुम्हारी मर्यादाओं का खयाल है।।
पंडिताईन .....🌹
ये सर्द रात, ये तन्हाईया...... और उसकी यादें
एक तरफा आशिक़ के लिए,
इससे हसीन मौत क्या हो सकती है
एक तरफा आशिक़ के लिए,
इससे हसीन मौत क्या हो सकती है
👍3
ज़ाम , दवा, दुवा ....जनाब कुछ नहीं असर आता हैं
इश्क़ से बिछड़े आशिक़, लाश नज़र आता हैं।।
इश्क़ से बिछड़े आशिक़, लाश नज़र आता हैं।।
👍3
🙏🌹मेरे तरफ से आपको और आपके पूरे परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं आप का दिन शुभ हो 🙏🌹
👍2
मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।
हो सके तो अकेले में पढ़ना,
तुम्हारे दिए सबब लिखता हु।
तुम पूर्णिमा की रात प्रिये,
मैं खुद को अमावस लिखता हु।
हर लम्हे को रख के किनारे,
जुदाई का बखत लिखता हु ।
वो सब तेरे मीठे - मीठे वादे को,
मैं सरेआम गलत लिखता हु ।
तुम्हारे साथ बिताए सफरनामे को,
मैं वक्त की खपत लिखता हु ।
कोमल सी हृदय को तुम्हारे,
मैं कठोर पत्थर लिखता हु।
तेरे प्यार से मिला सबक,
मेरा पीड़ा , असर लिखता हु ।
तुमको रकीब के साथ खुश,
खुद को मैं दुःखद लिखता हु ।
मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।।
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।
हो सके तो अकेले में पढ़ना,
तुम्हारे दिए सबब लिखता हु।
तुम पूर्णिमा की रात प्रिये,
मैं खुद को अमावस लिखता हु।
हर लम्हे को रख के किनारे,
जुदाई का बखत लिखता हु ।
वो सब तेरे मीठे - मीठे वादे को,
मैं सरेआम गलत लिखता हु ।
तुम्हारे साथ बिताए सफरनामे को,
मैं वक्त की खपत लिखता हु ।
कोमल सी हृदय को तुम्हारे,
मैं कठोर पत्थर लिखता हु।
तेरे प्यार से मिला सबक,
मेरा पीड़ा , असर लिखता हु ।
तुमको रकीब के साथ खुश,
खुद को मैं दुःखद लिखता हु ।
मेरे जज्बातों से जो खेला तुमने,
मैं तुम्हे एक खत लिखता हु।।
👍2❤1
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना
समझ गए तो मुस्कान अधर पर, ना समझे तो निरुत्तर देना ।।
गर शर्म आए नयन संचार से, दुपट्टा माथे धर लेना
प्रार्थना पत्र को हे प्रिय तल्लीनता से पढ़ लेना ।।
गंभीर कर मंथन उपसंहार मर्यादा के भीतर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।
तू शांत स्वभाव का, स्वयं में शुद्ध, सरस प्रिय
मुस्कान लिखूं कली खिलना, संवाद लिखूं रस प्रिय ।।
संस्कार तुम्हारे है पता मुझे, भंग ना करोगे शालीनता
मोह, क्रोध, दया, शीतल परिपूर्ण भरी है संवेदनशीलता ।।
सहज, सुगम, सुंदर, संक्षेप में रखना अपनी बात को
समय मिलन का लिखना प्रिय अगली पूर्णिमा की रात को ।।
तुम कोमल कली मेरे बाग का मैं सिंचू तन्मय से
भंवरो से मैं दूर रखूं, रखूं दूर बिपदा भय से ।।
समस्या साधारण नही मेरा इस बात पे दृष्टिगोचर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।
समझ गए तो मुस्कान अधर पर, ना समझे तो निरुत्तर देना ।।
गर शर्म आए नयन संचार से, दुपट्टा माथे धर लेना
प्रार्थना पत्र को हे प्रिय तल्लीनता से पढ़ लेना ।।
गंभीर कर मंथन उपसंहार मर्यादा के भीतर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।
तू शांत स्वभाव का, स्वयं में शुद्ध, सरस प्रिय
मुस्कान लिखूं कली खिलना, संवाद लिखूं रस प्रिय ।।
संस्कार तुम्हारे है पता मुझे, भंग ना करोगे शालीनता
मोह, क्रोध, दया, शीतल परिपूर्ण भरी है संवेदनशीलता ।।
सहज, सुगम, सुंदर, संक्षेप में रखना अपनी बात को
समय मिलन का लिखना प्रिय अगली पूर्णिमा की रात को ।।
तुम कोमल कली मेरे बाग का मैं सिंचू तन्मय से
भंवरो से मैं दूर रखूं, रखूं दूर बिपदा भय से ।।
समस्या साधारण नही मेरा इस बात पे दृष्टिगोचर देना
सरल सा तो है प्रश्न मेरा,तुम सामान्य सा उत्तर देना ।।
👍3
यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है
दुःख पीरा कष्ट सब भूल जाओ वत्स
यहां हर रोज़ ख़ुद को जगाना परता है
परिस्थितियां बदलनी चाहेगी तुम्हारे रास्ते कई बार ,
जो लिए संकल्प तो धृंड खरा रहना परता है ।।
यहां हर रोज जीना, हर रोज़ मरना परता है
ठोकरे खा खा कर सबक सीखना परता है
पहन के रखा है मुखौटा लोगो ने यहां
बड़ी मुश्किल से लोग पहचानना परता है
सिर्फ कर्म पर तुम दो ध्यान छोड़ के सारे चिंतन को
हारना नही है तुमको आखरी प्रयास तक बचा के रखना ईंधन को ।।
गर मचले मन थोड़ा सा भी स्मरण कर लेना माँ को
क्या कहोगे लौट कर तुम अपनी उस माँ को
गर नही हुए सफल तो आदि हो जाओ समाज के ताने का
फिर सोच,,, एक बार क्या नाम दोगे बहाने का
उपहास से बचना है तो हालात बदलना होगा
समाज के उन सूक्ष्म कीड़ों को औकात दिखाना होगा
हर संभव प्रयास तक प्रयासरत रहना परता है
सिर्फ सोचना मुकम्मल नही कर के दिखाना परता है ।।
यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है।।
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है
दुःख पीरा कष्ट सब भूल जाओ वत्स
यहां हर रोज़ ख़ुद को जगाना परता है
परिस्थितियां बदलनी चाहेगी तुम्हारे रास्ते कई बार ,
जो लिए संकल्प तो धृंड खरा रहना परता है ।।
यहां हर रोज जीना, हर रोज़ मरना परता है
ठोकरे खा खा कर सबक सीखना परता है
पहन के रखा है मुखौटा लोगो ने यहां
बड़ी मुश्किल से लोग पहचानना परता है
सिर्फ कर्म पर तुम दो ध्यान छोड़ के सारे चिंतन को
हारना नही है तुमको आखरी प्रयास तक बचा के रखना ईंधन को ।।
गर मचले मन थोड़ा सा भी स्मरण कर लेना माँ को
क्या कहोगे लौट कर तुम अपनी उस माँ को
गर नही हुए सफल तो आदि हो जाओ समाज के ताने का
फिर सोच,,, एक बार क्या नाम दोगे बहाने का
उपहास से बचना है तो हालात बदलना होगा
समाज के उन सूक्ष्म कीड़ों को औकात दिखाना होगा
हर संभव प्रयास तक प्रयासरत रहना परता है
सिर्फ सोचना मुकम्मल नही कर के दिखाना परता है ।।
यू ही नही मिलता नाम खैरात में बड़े अदब से कमाना परता है
त्याग के अपने इच्छा को शरीर जलाना परता है।।
👍3
उसकी अहमियत है क्या, बताना भी जरूरी है
है उससे इश्क अगर तो जताना भी जरूरी है ।।
अब काम लफ्फाजी से तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी जरूरी है ।।
दिल के जज्बात तुम दिल में दबाकर मत रखो
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी जरूरी है ।।
उसे ये बार बार कहना वो कितना खूबसूरत है
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी जरूरी है ।।
किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी जरूरी है ।।
शहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन
कभी महबूब गर रूठे तो मानना भी जरूरी है ।।
है उससे इश्क अगर तो जताना भी जरूरी है ।।
अब काम लफ्फाजी से तुम कब तक चलाओगे
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी जरूरी है ।।
दिल के जज्बात तुम दिल में दबाकर मत रखो
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी जरूरी है ।।
उसे ये बार बार कहना वो कितना खूबसूरत है
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी जरूरी है ।।
किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी जरूरी है ।।
शहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन
कभी महबूब गर रूठे तो मानना भी जरूरी है ।।
👍5
हमे उनकी हर ज़र्रे की ख़बर है
बस उसे हमारी इश्क़ का इल्म नहीं।
बस उसे हमारी इश्क़ का इल्म नहीं।
👍2❤1
तप्त ह्रदय को, सरस स्नेह से
जो सहला दे, प्रेम वही है ।
व्याकुल चित को, कोमल स्पर्श से,
जो पिघला दे, प्रेम वही है ।
शब्दकोश से भरा हुवा, पर एक शब्द से,
जो सिखला दे, प्रेम वही हैं ।
बांसुरी की धुन राधा को कृष्ण से
जो मिला दे, प्रेम वही हैं ।
तड़प हो खतम, एक झलक से
जो दिला दे, प्रेम वही है ।
अगन अंत हो, उसके आलिंगन से
जो दिला दे, प्रेम वही है
जो सहला दे, प्रेम वही है ।
व्याकुल चित को, कोमल स्पर्श से,
जो पिघला दे, प्रेम वही है ।
शब्दकोश से भरा हुवा, पर एक शब्द से,
जो सिखला दे, प्रेम वही हैं ।
बांसुरी की धुन राधा को कृष्ण से
जो मिला दे, प्रेम वही हैं ।
तड़प हो खतम, एक झलक से
जो दिला दे, प्रेम वही है ।
अगन अंत हो, उसके आलिंगन से
जो दिला दे, प्रेम वही है
👍5
मेरे बेरंग दुनिया में जैसे रंग भरने आईं हो
उसे देखते ही जैसे दिल में बजी शहनाई हो
अब और क्या हर दिन बदले बदले से लग रहे थे
अब रात ना जाने क्यों और हसीन लग रहे थे
धीरे धीरे उनसे राब्ता होता चला गया
मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोता चला गया ।
खो गया मैं उस दुनिया में जहाँ तुम ही तुम हो,
तेरे ख्यालों में जैसे मेरा हर ख्वाब सिमट चला हो।
तेरी बातों की मिठास में मैं खोता चला गया,
तेरी चाहत की लहर में खुद को डुबोता चला गया।
अब इस दिल को तेरे सिवा कुछ भाता नहीं,
अब तेरे सिवा मुझे कोई और नजर आता नहीं
तू मेरे ख्वाबों की मंजिल, मेरी चाहत का इकरार बन गई हो
तेरे बिना अधूरी है ये कहानी, तू मेरा रब, सरकार बन गई हो
हर पल तेरा इंतजार और तेरा ख्याल लिए बैठा हूँ,
तू आएगी ज़िंदगी में ये उम्मीद संजोए बैठा हूँ।
बस इतना सा ख्वाब है कि तू मेरी हमसफर बन जाए,
तेरी हंसी की रौशनी से मेरा हर अंधेरा छट जाए।
साथ तेरा मिले तो ज़िंदगी खूबसूरत हो जाए,
तेरी बाहों में सुकून की वो मंज़िल मिल जाए।।
उसे देखते ही जैसे दिल में बजी शहनाई हो
अब और क्या हर दिन बदले बदले से लग रहे थे
अब रात ना जाने क्यों और हसीन लग रहे थे
धीरे धीरे उनसे राब्ता होता चला गया
मैं कल्पनाओं की दुनिया में खोता चला गया ।
खो गया मैं उस दुनिया में जहाँ तुम ही तुम हो,
तेरे ख्यालों में जैसे मेरा हर ख्वाब सिमट चला हो।
तेरी बातों की मिठास में मैं खोता चला गया,
तेरी चाहत की लहर में खुद को डुबोता चला गया।
अब इस दिल को तेरे सिवा कुछ भाता नहीं,
अब तेरे सिवा मुझे कोई और नजर आता नहीं
तू मेरे ख्वाबों की मंजिल, मेरी चाहत का इकरार बन गई हो
तेरे बिना अधूरी है ये कहानी, तू मेरा रब, सरकार बन गई हो
हर पल तेरा इंतजार और तेरा ख्याल लिए बैठा हूँ,
तू आएगी ज़िंदगी में ये उम्मीद संजोए बैठा हूँ।
बस इतना सा ख्वाब है कि तू मेरी हमसफर बन जाए,
तेरी हंसी की रौशनी से मेरा हर अंधेरा छट जाए।
साथ तेरा मिले तो ज़िंदगी खूबसूरत हो जाए,
तेरी बाहों में सुकून की वो मंज़िल मिल जाए।।
❤8👍2🥰2
हां, मैने सूर्य देखा, सितारे देखा
गगन में सुंदरता को निखारे देखा
गज़ब गगन की लीला तेरा,
दिन में सूर्य तो रात को तारे देखा।
हां, मैने सुंदर देखा, समंदर देखा
नीले पानी का अम्बर देखा
गजब अमृत की लीला तेरा,
कही मुरझाई पर्वत तो, कहीं झील की मुहाने देखा।
हां, मैने चम्पा देखा, चमेली देखा
रंग विरंग अनजाने देखा
गजब पुष्प की लीला तेरा,
कहीं कांटे में, तो कहीं सिंहासन जमाए देखा।
गगन में सुंदरता को निखारे देखा
गज़ब गगन की लीला तेरा,
दिन में सूर्य तो रात को तारे देखा।
हां, मैने सुंदर देखा, समंदर देखा
नीले पानी का अम्बर देखा
गजब अमृत की लीला तेरा,
कही मुरझाई पर्वत तो, कहीं झील की मुहाने देखा।
हां, मैने चम्पा देखा, चमेली देखा
रंग विरंग अनजाने देखा
गजब पुष्प की लीला तेरा,
कहीं कांटे में, तो कहीं सिंहासन जमाए देखा।
👍11🥰1
नज़र है खूबसूरत या नज़ारे खूबसूरत हैं ।
मोहब्बत ने किये हमको इशारे खूबसूरत हैं ।।
समंदर में कभी उतरो तुम्हे अंदाज़ ये होगा ।
हैं लहरें खूबसूरत या किनारे खूबसूरत हैं ।।
बहकते थे सँभलते थे कदम तन्हा सी राहों में ।
मिले तुम तो लगा ऐसा सहारे खूबसूरत हैं ।।
मोहब्बत ने किये हमको इशारे खूबसूरत हैं ।।
समंदर में कभी उतरो तुम्हे अंदाज़ ये होगा ।
हैं लहरें खूबसूरत या किनारे खूबसूरत हैं ।।
बहकते थे सँभलते थे कदम तन्हा सी राहों में ।
मिले तुम तो लगा ऐसा सहारे खूबसूरत हैं ।।
❤7🥰2
शीर्षक
आज का इंसान
बेमतलब की दुनियां में, बे बुनियादी रिश्तें है
बे-मुरव्वत हैं ज्यादातर लोग यहां
कम ही फ़रिश्ते हैं
बे अदब से पेश आते है जीर्ण (कमज़ोर) से यहां
बाहुबल के तलवे चाटते हैं
बेशुमार दौलत लिए बैठा हैं कोई
कोई दो रोटी को तरसते हैं।।
जहां इंसानियत का मोल नहीं, बस कीमतें तय होती हैं,
रिश्तों के नाम पर सौदे हैं, रिश्ते पैसा तय करती है
झूठे है लोग यहां झूठ का नकाब ओरे हुए हैं
कैसी बद-हैसियत है लोग ईमान बेच कर सोए हुए हैं
हक़ मारकर कोई सोने का महल खड़ा कर लेता है,
कहीं भूख से तड़पता बच्चा, मां का आँचल देखता है।।
इस बेमानी भीड़ में कोई रोशनी जगाए तो जगाए कैसे,
हर दिल में नफ़रत की लपटें, प्यार का गीत गाए कैसे?
पर हाथ धरे बैठने से तो कुछ नहीं होगा
निज बदले पहले फिर जग बदलना होगा
इस नई सुबह की दस्तक में, एक नया संसार रचाना होगा,
द्वेष को मिटाकर हर मन को प्रेम का दीप दिखाना होगा।।
आज का इंसान
बेमतलब की दुनियां में, बे बुनियादी रिश्तें है
बे-मुरव्वत हैं ज्यादातर लोग यहां
कम ही फ़रिश्ते हैं
बे अदब से पेश आते है जीर्ण (कमज़ोर) से यहां
बाहुबल के तलवे चाटते हैं
बेशुमार दौलत लिए बैठा हैं कोई
कोई दो रोटी को तरसते हैं।।
जहां इंसानियत का मोल नहीं, बस कीमतें तय होती हैं,
रिश्तों के नाम पर सौदे हैं, रिश्ते पैसा तय करती है
झूठे है लोग यहां झूठ का नकाब ओरे हुए हैं
कैसी बद-हैसियत है लोग ईमान बेच कर सोए हुए हैं
हक़ मारकर कोई सोने का महल खड़ा कर लेता है,
कहीं भूख से तड़पता बच्चा, मां का आँचल देखता है।।
इस बेमानी भीड़ में कोई रोशनी जगाए तो जगाए कैसे,
हर दिल में नफ़रत की लपटें, प्यार का गीत गाए कैसे?
पर हाथ धरे बैठने से तो कुछ नहीं होगा
निज बदले पहले फिर जग बदलना होगा
इस नई सुबह की दस्तक में, एक नया संसार रचाना होगा,
द्वेष को मिटाकर हर मन को प्रेम का दीप दिखाना होगा।।
👍16🥰2
हमें यू ना कर परेशान की तेरे होठों के तलबगार बन जाये
अभी नया नया इश्क़ ए ख़ुमार है बीमार ना हो जाये।
अभी नया नया इश्क़ ए ख़ुमार है बीमार ना हो जाये।
❤8👍1
प्यार क्या होता हैं तुमसे मिल के जाना है
तुझ पे लूटा दु सबकुछ, सबकुछ तुझको माना है
थोड़ी सी चंचल, शीतल, शांत सरोवर हो ,
तुझे रखूं जीवन में ऐसे, जैसे कीमती धरोवर हो।
तू चंचल हवा, मैं बहता बादल प्रिये
तेरे बिना मैं अधूरा सा पागल प्रिये
बदन कमल सी कोमल तेरा,
तू ही मेरा आज, तू ही कल प्रिये ।
उस रात की नर्म चाँदनी में
तेरे स्पर्श की गर्माहट बसी थी
तेरी साँसों की सरगम में,
मेरे ख्वाबों की सरहद फँसी थी।
रात के सन्नाटे में धड़कनों का शोर था
दो बदन एक जान नहीं कोई और था
तेरी बाहों में जन्नत का एहसास था,
वो रात नहीं, कोई ख्वाब खास था।
तुझ पे लूटा दु सबकुछ, सबकुछ तुझको माना है
थोड़ी सी चंचल, शीतल, शांत सरोवर हो ,
तुझे रखूं जीवन में ऐसे, जैसे कीमती धरोवर हो।
तू चंचल हवा, मैं बहता बादल प्रिये
तेरे बिना मैं अधूरा सा पागल प्रिये
बदन कमल सी कोमल तेरा,
तू ही मेरा आज, तू ही कल प्रिये ।
उस रात की नर्म चाँदनी में
तेरे स्पर्श की गर्माहट बसी थी
तेरी साँसों की सरगम में,
मेरे ख्वाबों की सरहद फँसी थी।
रात के सन्नाटे में धड़कनों का शोर था
दो बदन एक जान नहीं कोई और था
तेरी बाहों में जन्नत का एहसास था,
वो रात नहीं, कोई ख्वाब खास था।
❤15👍1
कांधे पे सर रख गेसुवो से खेलने को जी चाहता है
हो काली रात बारिशों की उस पहर मिलने को जी चाहता है
खयाल तो देख तेरे इस आशिक़ का,खुद की ज़िंदगी उलझनों में है
और तुझे जिंदगी बनाने को जी चाहता है।
♥️😘🌍
हो काली रात बारिशों की उस पहर मिलने को जी चाहता है
खयाल तो देख तेरे इस आशिक़ का,खुद की ज़िंदगी उलझनों में है
और तुझे जिंदगी बनाने को जी चाहता है।
♥️😘🌍
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