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🎥 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता, शहीद रईसी और सेवा के शहीदों की पहली बरसी के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े पहुंचे।
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🎥 रईसी ख़ुलकर इंक़ेलाबी और धार्मिक स्टैंड बयान करते थे
🔸वह साफ़ तरीक़े से अपने इंक़ेलाबी रुख़ को, जिन पर उनका विश्वास था, उन्हें पूरी तरह ख़ुलकर बयान करते थे।
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🔸वह साफ़ तरीक़े से अपने इंक़ेलाबी रुख़ को, जिन पर उनका विश्वास था, उन्हें पूरी तरह ख़ुलकर बयान करते थे।
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राष्ट्रपति रईसी ने अपने पहले ही इंटरव्यू में अमरीका से वार्ता से इन्कार कर दिया
🔸राष्ट्रपति बनने के बाद शहीद रईसी ने जो पहला इंटरव्यू दिया था, उसमें पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या आप अमरीका से वार्ता करेंगे? उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा: "नहीं"। उन्होंने कहा: "नहीं", बिना किसी हिचकिचाहट के और उन्होंने वार्ता नहीं की।
🔗 वीडियो देखने के लिए क्लिक करिए:
https://www.facebook.com/share/v/15w6MM6KoY/
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🔸राष्ट्रपति बनने के बाद शहीद रईसी ने जो पहला इंटरव्यू दिया था, उसमें पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या आप अमरीका से वार्ता करेंगे? उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा: "नहीं"। उन्होंने कहा: "नहीं", बिना किसी हिचकिचाहट के और उन्होंने वार्ता नहीं की।
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📷 आज मंगलवार 20 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में शहीद राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी और सेवा के शहीदों की पहली बरसी का कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें इन शहीदों के अलावा कुछ अन्य शहीदों के परिजनों ने भाग लिया।
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🎥 ईरान को यूरेनियम संवर्धन की अनुमति न देने की बात अमरीका की औक़ात से ज़्यादा है
🔸अमरीकी पक्ष, जो इन अप्रत्यक्ष वार्ताओं में बातचीत कर रहा है, कोशिश करे कि फ़ुज़ूल बातें न करे। यह कहना कि हम ईरान को यूरेनियम संवर्धन की अनुमति नहीं देंगे, यह अपनी औक़ात से बढ़कर बोलना है।
🔗 वीडियो देखने के लिए क्लिक करिए:
https://fb.watch/zID-VnQflq/
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🔸अमरीकी पक्ष, जो इन अप्रत्यक्ष वार्ताओं में बातचीत कर रहा है, कोशिश करे कि फ़ुज़ूल बातें न करे। यह कहना कि हम ईरान को यूरेनियम संवर्धन की अनुमति नहीं देंगे, यह अपनी औक़ात से बढ़कर बोलना है।
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🔰 मानवाधिकारों के दावेदार पश्चिम वाले ही ग़ज़ा में बच्चों के जनसंहार के समर्थक हैं
🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मंगलवार 20 मई 2025 की सुबह शहीद रईसी और सेवा की राह के शहीदों के परिजनों, कुछ उच्चधिकारियों और शहीदों के परिजनों से मुलाक़ात में...
🔗 पूरा पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए:
https://hindi.khamenei.ir/news/8798
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🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मंगलवार 20 मई 2025 की सुबह शहीद रईसी और सेवा की राह के शहीदों के परिजनों, कुछ उच्चधिकारियों और शहीदों के परिजनों से मुलाक़ात में...
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💠 दरस-ए-अख़लाक़ः अच्छी सिफ़त और गुण पैदा करना चाहिए
🔸 अगर कुछ अच्छी और पसंदीदा सिफ़त, उन पश्चिमी मुल्कों में जिन्होंने दुनिया में ज्ञान को बढ़ावा दिया है, न होती और तरक़्क़ियां हासिल न होतीं, तो यही ज़ुल्म जो वे दूसरों पर कर रहे हैं, उन्हें भस्म कर देता। वह वक़्त की क़ीमत को समझते हैं। अगर हमारे मज़दूर, हमारे स्टूडेंट, हमारे उस्ताद, हमारे धर्मगुरू, हमारे व्यापारी, हमारे किसान और दूसरे पेशों से जुड़े लोग अच्छी सार्थक सिफ़तों पर अमल करें तो यह मुल्क गुलिस्तान बन जाएगा, अच्छी सिफ़त और गुण को अपनाएं क्योंकि यही क़ुरआन पर अमल करना है। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: कहीं ऐसा न हो कि दूसरे लोग क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलान यह नहीं कहना चाहते कि कोई और क़ुरआन पर अमल न करे, बल्कि अगर पूरी दुनिया क़ुरआन पर अमल करे तो आप ज़्यादा ख़ुश होंगे, फ़रमाते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि जो लोग क़ुरआन पर आस्था नहीं रखते, वे क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं और तुम पीछे रह जाओ।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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🔸 अगर कुछ अच्छी और पसंदीदा सिफ़त, उन पश्चिमी मुल्कों में जिन्होंने दुनिया में ज्ञान को बढ़ावा दिया है, न होती और तरक़्क़ियां हासिल न होतीं, तो यही ज़ुल्म जो वे दूसरों पर कर रहे हैं, उन्हें भस्म कर देता। वह वक़्त की क़ीमत को समझते हैं। अगर हमारे मज़दूर, हमारे स्टूडेंट, हमारे उस्ताद, हमारे धर्मगुरू, हमारे व्यापारी, हमारे किसान और दूसरे पेशों से जुड़े लोग अच्छी सार्थक सिफ़तों पर अमल करें तो यह मुल्क गुलिस्तान बन जाएगा, अच्छी सिफ़त और गुण को अपनाएं क्योंकि यही क़ुरआन पर अमल करना है। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: कहीं ऐसा न हो कि दूसरे लोग क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलान यह नहीं कहना चाहते कि कोई और क़ुरआन पर अमल न करे, बल्कि अगर पूरी दुनिया क़ुरआन पर अमल करे तो आप ज़्यादा ख़ुश होंगे, फ़रमाते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि जो लोग क़ुरआन पर आस्था नहीं रखते, वे क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं और तुम पीछे रह जाओ।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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◾यह कि राष्ट्रपति शहीद रईसी संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में क़ुरआन हाथ में उठाएं या शहीद सुलैमानी की तस्वीर अपने हाथ में लें, यह राष्ट्र के लिए गौरव है।
इमाम ख़ामेनेई
20 मई 2025
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इमाम ख़ामेनेई
20 मई 2025
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🎥 अगर एक राष्ट्रपति संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में क़ुरआन हाथ में ले, उसे ऊँचा उठाए, या शहीद सुलैमानी की तस्वीर अपने हाथ में ले तो यह एक राष्ट्र के लिए गौरव है।
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🌷 महदवीयतः इमाम महदी सरपरस्त हैं और देख रहे हैं
🔸इमाम महदी अलैहिस्सलाम सरपरस्त और देख रहे हैं और हर उस चीज़ पर जो हमारे मुसलमान होने की निशानी है और जिसमें हमारे ईमान के ठोस होने की निशानी पायी जाती है ख़ुश होते हैं। और अगर ख़ुदा नख़ास्ता इसका उलट हम करते हैं तो इमाम महदी अलैहिस्सलाम दुखी होते हैं, देखिए यह कितना बड़ा सबब है।
इमाम ख़ामेनेई
20/10/2005
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🔸इमाम महदी अलैहिस्सलाम सरपरस्त और देख रहे हैं और हर उस चीज़ पर जो हमारे मुसलमान होने की निशानी है और जिसमें हमारे ईमान के ठोस होने की निशानी पायी जाती है ख़ुश होते हैं। और अगर ख़ुदा नख़ास्ता इसका उलट हम करते हैं तो इमाम महदी अलैहिस्सलाम दुखी होते हैं, देखिए यह कितना बड़ा सबब है।
इमाम ख़ामेनेई
20/10/2005
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🏡 इस्लामी घरानाः परिवार, मुल्क और समाज की व्यवस्था संभालने में मुख्य रोल अदा करता है
🔸अगर इंसानों को आज़ाद छोड़ दिया जाए ताकि वे अपनी यौन इच्छा को जिस तरह चाहें पूरा करें तो ऐसे में या तो परिवार का गठन न हो पाता और वह बेजान होता या उसके सामने हर पल तबाह होने का ख़तरा मंडराता रहता, हवा का एक झोंका परिवार तो तितर-बितर कर देता, इसलिए दुनिया में जहां कहीं भी आप चाहे देख लें, यौन इच्छा को पूरी करने की खुली आज़ादी है, वहाँ परिवार उतने ही कमज़ोर और अस्थिर हैं, क्योंकि मर्द और औरत अपनी इस स्वाभाविक इच्छा को तृप्त करने के लिए इस केन्द्र (इश्क़ व मोहब्बत) को महसूस नहीं करते। इसके लिए परिवार का गठन ज़रूरी है, इस्लाम ने इसका मुतालेबा किया है। मुल्क के सिस्टम को चलाने में, इंसानियत (का क़ाफ़िला) आगे बढ़ाने के सिलसिले में महान काम इस परिवार के ज़रिए हुए हैं। यह बहुत अहम चीज़ है, आपको इस सिलसिले में ख़बरदार रहना चाहिए और इसकी रक्षा करनी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
14/7/1989
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🔸अगर इंसानों को आज़ाद छोड़ दिया जाए ताकि वे अपनी यौन इच्छा को जिस तरह चाहें पूरा करें तो ऐसे में या तो परिवार का गठन न हो पाता और वह बेजान होता या उसके सामने हर पल तबाह होने का ख़तरा मंडराता रहता, हवा का एक झोंका परिवार तो तितर-बितर कर देता, इसलिए दुनिया में जहां कहीं भी आप चाहे देख लें, यौन इच्छा को पूरी करने की खुली आज़ादी है, वहाँ परिवार उतने ही कमज़ोर और अस्थिर हैं, क्योंकि मर्द और औरत अपनी इस स्वाभाविक इच्छा को तृप्त करने के लिए इस केन्द्र (इश्क़ व मोहब्बत) को महसूस नहीं करते। इसके लिए परिवार का गठन ज़रूरी है, इस्लाम ने इसका मुतालेबा किया है। मुल्क के सिस्टम को चलाने में, इंसानियत (का क़ाफ़िला) आगे बढ़ाने के सिलसिले में महान काम इस परिवार के ज़रिए हुए हैं। यह बहुत अहम चीज़ है, आपको इस सिलसिले में ख़बरदार रहना चाहिए और इसकी रक्षा करनी चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
14/7/1989
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▪️ट्रम्प ने कहा है कि वे शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल करना चाहते हैं। वे झूठ बोल रहे हैं।
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2025
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इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2025
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🎥 नाकाम हो चुका मॉडल
🔸अमरीका के राष्ट्रपति कुछ अरब देशों को एक मॉडल का प्रस्ताव देते हैं, निश्चित रूप से यह मॉडल पूरी तरह नाकाम हो चुका है। इलाक़े के लोगों के मज़बूत इरादे से अमरीका को यहाँ से जाना ही पड़ेगा और वो जाएगा।
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📖 क़ुरआन की रौशनी में: मुस्तक़बिल मोमिन नौजवानों का है
🔸वह चीज़ जिसका मुस्तक़बिल है, वह क़ुरआन है, वह इस्लाम है, वे आप मोमिन नौजवान हैं, वे जो मुस्तक़बिल के मालिक हैं, आप नौजवान हैं। और अल्लाह से बढ़कर कौन बात का सच्चा है। (सूरए निसा, आयत-122) अल्लाह के वादे भी उसके दिल को इत्मेनान व सुकून न दे सकें तो तजुर्बे को देखकर दिलों में सुकून पैदा हो जाना चाहिए, ईरानी ने ईमान की ताक़त, जेहाद व प्रतिरोध के ज़रिए और क़ुरबानियां देकर उस (पहलवी) हुकूमत को ख़त्म करने में कामयाबी हासिल की जिसे विश्व स्तर पर सपोर्ट व मदद हासिल थी और उसकी जगह वह चीज़ क़ायम की कि दुनिया की बड़ी ताक़तें जिसे हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं, यानी यह इस्लामी गणराज्य सिस्टम, एक तजुर्बा ही तो है। इससे बेहतर तजुर्बा और क्या चाहिए? ऐ मुसलमानो! कमज़ोरी न दिखाओ और ग़मगीन न हो अगर तुम मोमिन हो तो तुम ही ग़ालिब व बरतर होगे। (सूरए आलेइमरान, आयत-139) ईमान अगर हो तो आप बरतर हैं, ईमान की राह में मज़बूत रहिए, डटे रहिए।
इमाम ख़ामेनेई
24/5/2017
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🔸वह चीज़ जिसका मुस्तक़बिल है, वह क़ुरआन है, वह इस्लाम है, वे आप मोमिन नौजवान हैं, वे जो मुस्तक़बिल के मालिक हैं, आप नौजवान हैं। और अल्लाह से बढ़कर कौन बात का सच्चा है। (सूरए निसा, आयत-122) अल्लाह के वादे भी उसके दिल को इत्मेनान व सुकून न दे सकें तो तजुर्बे को देखकर दिलों में सुकून पैदा हो जाना चाहिए, ईरानी ने ईमान की ताक़त, जेहाद व प्रतिरोध के ज़रिए और क़ुरबानियां देकर उस (पहलवी) हुकूमत को ख़त्म करने में कामयाबी हासिल की जिसे विश्व स्तर पर सपोर्ट व मदद हासिल थी और उसकी जगह वह चीज़ क़ायम की कि दुनिया की बड़ी ताक़तें जिसे हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं, यानी यह इस्लामी गणराज्य सिस्टम, एक तजुर्बा ही तो है। इससे बेहतर तजुर्बा और क्या चाहिए? ऐ मुसलमानो! कमज़ोरी न दिखाओ और ग़मगीन न हो अगर तुम मोमिन हो तो तुम ही ग़ालिब व बरतर होगे। (सूरए आलेइमरान, आयत-139) ईमान अगर हो तो आप बरतर हैं, ईमान की राह में मज़बूत रहिए, डटे रहिए।
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24/5/2017
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🎥 एहराम का सबक़, अल्लाह के सामने सभी इंसानों का बराबर होना है
🔸एहराम ख़ुदा के सामने नम्रता दिखाने का एक तरीक़ा है। ज़िंदगी के अलग-अलग कपड़ों, गहनों और सजावटों को कपड़े के एक टुकड़े से बदल देना। यह काम हज में मौजूद दुनिया का सबसे अमीर और सबसे ग़रीब इंसान दोनों एक ही तरह से करेंगे, उनमें कोई फ़र्क़ नहीं। क़ानून यही है: ख़ुदा के सामने सब इंसानों को बराबर कर देना।
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🔸एहराम ख़ुदा के सामने नम्रता दिखाने का एक तरीक़ा है। ज़िंदगी के अलग-अलग कपड़ों, गहनों और सजावटों को कपड़े के एक टुकड़े से बदल देना। यह काम हज में मौजूद दुनिया का सबसे अमीर और सबसे ग़रीब इंसान दोनों एक ही तरह से करेंगे, उनमें कोई फ़र्क़ नहीं। क़ानून यही है: ख़ुदा के सामने सब इंसानों को बराबर कर देना।
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