Hindi.Khamenei.ir
243 subscribers
4.66K photos
367 videos
3 files
3.56K links
News, messages, and statements from Ayatullah Khamenei, Iran's Supreme Leader

hindi.Khamenei.ir
Download Telegram
उनका वार्ता पर इसरार मसले के हल के लिए नहीं बल्कि हुक्म चलाने के लिए है। वार्ता करें ताकि मेज़ की दूसरी ओर जो पक्ष बैठा है उस पर अपनी इच्छा थोपें।


इमाम ख़ामेनेई
8 मार्च 2025

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
वे तीन योरोपीय देश भी कह रहे हैं कि ईरान ने परमाणु समझौते जेसीपीओए में अपने वचन पर अमल नहीं किया! कोई उनसे यह पूछे कि आपने अमल किया?!

इमाम ख़ामेनेई
8 मार्च 2025

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
💐इय्याका ना’बुदो का मतलब

🔸"इय्याका ना’बुदो" यानी अल्लाह के सामने इंसान का समर्पित होना। यह अल्लाह की बंदगी और उसकी इबादत का मानी है। अल्लाह और इंसान के बीच संबंध को बहुत से आसमानी धर्मों और इस्लाम में भी समर्पण कहा गया है। अल्लाह का बंदा होने का मतलब है अल्लाह के सामने सिर झुकाने वाला। दूसरी ओर अल्लाह सारी भलाइयों का स्रोत है तो अल्लाह का बंदा होने का मतलब परिपूर्णता, अच्छाइयों और ख़ालिस नूर का बंदा होना है। यह समर्पण अच्छा है। इंसानों का बंदा होना, इंसानों का ग़ुलाम होना, बहुत बुरी चीज़ है क्योंकि इंसान में ऐब हैं, इंसान सीमित हैं, इसलिए उनका बंदा होना इंसान के लिए ज़िल्लत है। ज़ालिम ताक़तों का बंदा होना, इंसान के लिए ज़िल्लत है, इच्छाओं का ग़ुलाम होना, इंसान के लिए ज़िल्लत व रुसवाई है। इसलिए बंदगी उन चीज़ों में से नहीं है जो हर जगह अच्छी या हर जगह बुरी हो, बल्कि कहीं पर बंदगी अच्छी हो सकती है और कहीं पर बुरी। अल्लाह का बंदा होना बहुत ही उत्कृष्ट अर्थ रखता है।

इमाम ख़ामेनेई
10 अप्रैल 1991


🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
ढिठाई की भी हद होती है! आप ख़ुद अपने वादे पर अमल न करें और सामने वाले पक्ष से कह रहे हैं कि क्यों आप वादे पर अमल नहीं करते!

इमाम ख़ामेनेई
8 मार्च 2025

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
💐अल्लाह की बंदगी का स्वाभाविक होना

🔸इस आयत के अंतर्गत एक अहम बिन्दु यह है कि यह बंदगी, इंसान की फ़ितरत में मौजूद है; इंसान अपने स्वाभाव के तक़ाज़े के तहत ताक़त के एक बिन्दु, ताक़त के एक ऐसे केन्द्र की ओर आकर्षित होता है जिसे वह अपने से श्रेष्ठ समझता है और उसके सामने समर्पित हो जाता है। यह इंसान की रूह और उसके वजूद में है। चाहे इस ओर उसका ध्यान हो या न हो। दुनिया की सारी बंदगी, अल्लाह की बंदगी है; यहाँ तक कि मूर्ति पूजने वाला भी अपने दिल में, अल्लाह को पूजता है; लेकिन जिस चीज़ की वजह से उसका यह काम ग़लत हो गया है वह उस श्रेष्ठ ताक़त की पहचान में ग़लती है। धर्मों का रोल यह है कि वे इंसान के सोए हुए ज़मीर को जगाएं, उसकी आँख खोलें और कहें कि वह श्रेष्ठ ताक़त कौन है। उस हद तक जितना इंसान का दिमाग़ उसे समझने की सलाहियत रखता है।

इमाम ख़ामेनेई
24 अप्रैल 1991


🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
🎥 अपनी नौजवानी की क़द्र कीजिए

🔸अपनी नौजवानी की क़द्र करें। हमारी जो मसरूफ़ियतें हैं, वो आम तौर पर सांसारिक फ़ायदों से जुड़ी हैं। हमें पूरे दिन में अल्लाह से अकेले में बात करने का मौक़ा नहीं मिलता, उन हस्तियों की बात अलग है जो हमेशा हालते नमाज़ में रहती हैं।


🔗 वीडियो देखने के लिए क्लिक करिए:
https://www.facebook.com/share/v/1A1qgeviDx/

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
💐ख़ुद फ़रामोशी से मुक्ति कारास्ता

🔸इंसान दुआ से, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाकर और रोज़े से, ख़ुद को भूल जाने की इस ग़फ़लत से मुक्ति पा सकता है और अगर यह ग़फ़लत दूर हो जाए तो उस वक़्त इंसान को अल्लाह का सवाल याद आता है और हम ध्यान देते हैं कि अल्लाह हमसे सवाल करेगा।


🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
📷 स्टूडेंट्स की इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात

🔸मुल्क के हज़ारों की तादाद में स्टूडेंट्स ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। यह सालाना मुलाक़ात हर साल रमज़ान के मुबारक महीने में होती है।

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
🎥 स्टूडेंट्स से मुलाक़ात के लिए इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का आगमन

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
🎥 नुमायां शख़्सियतों को खो देना, पीछे हटने के मानी में नहीं है

🔸अगर दो तत्व एक आला मक़सद और दूसरे कोशिश किसी क़ौम में हों तो शख़्सियतों के न होने से नुक़सान तो होता है लेकिन मूल अभियान को कोई नुक़सान नहीं पहुंचता।

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
🎥 मौजूदा अमरीकी राष्ट्रपति से वार्ता से, कोई मुश्किल हल नहीं होगी

🔸हम बैठे, कई साल बातचीत की;  इसी शख़्स ने,बातचीत पूरी होने, समझौते पर दस्तख़त होने के बाद, समझौते को मेज़ से उठाकर फेंक दिया, फाड़ दिया। ऐसे शख़्स के साथ बातचीत कैसे की जा सकती है?

🔗 वीडियो देखने के लिए क्लिक करिए:
https://www.facebook.com/share/v/1BBm1MGCvR/

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
🔰 आयतुल्लाह ख़ामेनेई:अमरीका का वार्ता का दावा, जनमत को धोखा देने के लिए है
अगर अमरीका और उसके तत्वों ने कोई मूर्खता की तो हमारी ओर से मुंहतोड़ जवाब निश्चित है

🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को पूरे मुल्क से हज़ारों की तादाद में आए स्टूडेंट्स  और उनके राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों के...

🔗  पूरा पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए:
https://hindi.khamenei.ir/news/8644

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
💐रमज़ान का महीना ग़नीमत है

🔸अगर हम मुसलसल अपने आप पर नज़र नहीं रख सकते और आत्म निर्माण नहीं कर सकते तो कम से कम रमज़ान के महीने को ग़नीमत समझें। रमज़ान के महीने में हालात अनुकूल होते हैं। इसमें सबसे अहम चीज़ यही रोज़ा है जो आप रखते हैं। यह अल्लाह की ओर से मिलने वाले सबसे क़ीमती मौक़ों में से एक है। 

इमाम ख़ामेनेई
23/02/1993

🌐 हमे सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir | Facebook | X |
🔸हम तेरी इबादत करते हैं; इस 'हम' के दायरे में कौन लोग हैं? उसमें एक मैं हूँ। मेरे अलावा, समाज के बाक़ी लोग हैं; हम के दायरे में पूरी इंसानियत का हर शख़्स है न सिर्फ़ तौहीद को मानने वाले बल्कि वे भी हैं जो तौहीद को नहीं मानते और अल्लाह की इबादत करते हैं। जैसा कि हमने कहा कि उनकी फ़ितरत में अल्लाह की इबादत रची बसी है, उनके भीतर जिससे वे अंजान हैं, अल्लाह की इबादत करने वाला और अल्लाह का बंदा है; हालांकि उनका ध्यान इस ओर नहीं है। इससे भी ज़्यादा व्यापक दायरा हो सकता है जिसमें पूरी कायनात को शामिल माना जाए यानी पूरी कायनात अल्लाह की बंदगी का मेहराब हो। मैं और कायनात के सभी तत्व, सारे जीव-जन्तु तेरी इबादत करते हैं; यानी कायनात का हर ज़र्रा, अल्लाह की बंदगी की हालत में है, यह वह चीज़ है कि इंसान अगर इसे महसूस कर ले तो समझिए वह बंदगी के बहुत ऊंचे दर्जे पर पहुंच गया है। वह तौहीद के इस नग़मे को पूरी कायानात में सुनता है यह एक हक़ीक़त है। मुझे उम्मीद है कि अल्लाह की बंदगी और इबादत में हम ऐसे स्थान पर पहुंच जाएं कि इस सच्चाई को महसूस कर सकें

इमाम ख़ामेनेई
24 अप्रैल 1991

सोशल मीडिया पर फ़ॉलो करें:
khamenei.ir Facebook X