📷 शिक्षक दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से टीचरों की मुलाक़ात
🔸शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में देश भर से बड़ी संख्या में आए टीचरों ने शनिवार 17 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
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🔸शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में देश भर से बड़ी संख्या में आए टीचरों ने शनिवार 17 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
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🏡 इस्लामी घरानाः अगर मियां-बीवी मोहब्बत से रहें तो कोई भी फ़ैमिली नहीं टूटेगी
🔸इस्लाम ने परिवार के भीतर ऐसा माहौल मद्देनज़र रखा है कि घर के भीतर मतभेद ख़ुद ब ख़ुद हल हो जाएं, ज़्यादातर जो परिवार बिखर जाते हैं उसकी वजह उन्हीं नज़ाकतों को नज़रअंदाज़ किया जाना है। मर्द को ख़याल रखना नहीं आता, औरत समझदारी नहीं दिखाती। वह हद से ज़्यादा सख़्ती और बदअख़लाक़ी से पेश आता है और यह कुछ भी बर्दाश्त करना नहीं चाहती। इन सारी चीज़ों में ख़राबी है। उसकी सख़्ती भी ग़लत है, वह यह काम न करे, अब अगर एक बार उससे यह ग़लती हो गयी तो यह सरकशी पर उतर जाए, यह भी ग़लत है। यहभी ग़लत है। अगर वह बदअख़लाक़ी से पेश न आए, दोनों एक दूसरे का ख़याल रखें, एक दूसरे के साथ मेल मोहब्बत से रहें तो कोई भी घर कभी नहीं बिखरेगा, परिवार हमेशा बाक़ी रहेगा।
इमाम ख़ामेनेई
18/02/1997
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🔸इस्लाम ने परिवार के भीतर ऐसा माहौल मद्देनज़र रखा है कि घर के भीतर मतभेद ख़ुद ब ख़ुद हल हो जाएं, ज़्यादातर जो परिवार बिखर जाते हैं उसकी वजह उन्हीं नज़ाकतों को नज़रअंदाज़ किया जाना है। मर्द को ख़याल रखना नहीं आता, औरत समझदारी नहीं दिखाती। वह हद से ज़्यादा सख़्ती और बदअख़लाक़ी से पेश आता है और यह कुछ भी बर्दाश्त करना नहीं चाहती। इन सारी चीज़ों में ख़राबी है। उसकी सख़्ती भी ग़लत है, वह यह काम न करे, अब अगर एक बार उससे यह ग़लती हो गयी तो यह सरकशी पर उतर जाए, यह भी ग़लत है। यहभी ग़लत है। अगर वह बदअख़लाक़ी से पेश न आए, दोनों एक दूसरे का ख़याल रखें, एक दूसरे के साथ मेल मोहब्बत से रहें तो कोई भी घर कभी नहीं बिखरेगा, परिवार हमेशा बाक़ी रहेगा।
इमाम ख़ामेनेई
18/02/1997
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🎥 राष्ट्रपति रईसी इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े के ख़ादिम थे
🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई और हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन मरहूम रईसी इमाम रज़ा अलैहिस्सालम की ज़रीह में मुक़द्दस क़ब्र की सफ़ाई की ख़िदमत करते हुए।
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🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई और हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन मरहूम रईसी इमाम रज़ा अलैहिस्सालम की ज़रीह में मुक़द्दस क़ब्र की सफ़ाई की ख़िदमत करते हुए।
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◾ट्रम्प ने कहा है कि वे शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल करना चाहते हैं। वे झूठ बोल रहे हैं। अमरीका ने कब शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया है?
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2025
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इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2025
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🎥 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से टीचरों की मुलाक़ात के रोचक दृश्य
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📖 क़ुरआन की रौशनी में: अगर एक लम्हे के लिए भी तक़वे (परहेज़गारी) का दामन छूटा तो पतन की खाई में गिर जाएंगे
🔸तक़वा यानी एक इंसान का सब कुछ, एक पूरी क़ौम का लोक परलोक और इस लंबे रास्ते के लिए हक़ीक़ी ज़ादे राह (रास्ते के लिए ज़रूरी चीज़ें) जिसे तय करने पर हर इंसान मजबूर है, तक़वा यानी इस बात का ध्यान रहना कि हर वह कर्म जो आप कर रहे हैं वह उस मस्लेहत के मद्देनज़र हो जो अल्लाह ने आपके लिए मद्देनज़र रखी है। यह ठीक नहीं है कि कोई एक लम्हे के लिए भी तक़वे का दामन छोड़ दे। “जो लोग परहेज़गार हैं जब उन्हें कोई शैतानी ख़याल छू भी जाए तो वे चौकन्ना होजाते हैं और यादे इलाही में लग जाते हैं और उनकी बसीरत ताज़ा हो जाती है (और हक़ीक़त हाल को देखने लगते हैं)” (सूरए आराफ़, आयत-201) जब भी अल्लाह से डरने वाला परहेज़ागर आदमी शैतान केउकसावे को महसूस कर ले फ़ौरन चौकन्ना हो जाता है और होश व हवास में आ जाता है, शैतान तो हमको कभी नहीं छोड़ता।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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🔸तक़वा यानी एक इंसान का सब कुछ, एक पूरी क़ौम का लोक परलोक और इस लंबे रास्ते के लिए हक़ीक़ी ज़ादे राह (रास्ते के लिए ज़रूरी चीज़ें) जिसे तय करने पर हर इंसान मजबूर है, तक़वा यानी इस बात का ध्यान रहना कि हर वह कर्म जो आप कर रहे हैं वह उस मस्लेहत के मद्देनज़र हो जो अल्लाह ने आपके लिए मद्देनज़र रखी है। यह ठीक नहीं है कि कोई एक लम्हे के लिए भी तक़वे का दामन छोड़ दे। “जो लोग परहेज़गार हैं जब उन्हें कोई शैतानी ख़याल छू भी जाए तो वे चौकन्ना होजाते हैं और यादे इलाही में लग जाते हैं और उनकी बसीरत ताज़ा हो जाती है (और हक़ीक़त हाल को देखने लगते हैं)” (सूरए आराफ़, आयत-201) जब भी अल्लाह से डरने वाला परहेज़ागर आदमी शैतान केउकसावे को महसूस कर ले फ़ौरन चौकन्ना हो जाता है और होश व हवास में आ जाता है, शैतान तो हमको कभी नहीं छोड़ता।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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📷 शहीद रईसी!
🔸शहीद रईसी कभी न थकने वाले, विनम्र, दुआ से लगाव रखने वाले, इंक़ेलाबी और दीनी स्टैंड खुल कर बयान करने वाले थे और प्रतिष्ठित विदेश नीति की शैली पर चलते थे।
7 जुलाई 2024
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🔸शहीद रईसी कभी न थकने वाले, विनम्र, दुआ से लगाव रखने वाले, इंक़ेलाबी और दीनी स्टैंड खुल कर बयान करने वाले थे और प्रतिष्ठित विदेश नीति की शैली पर चलते थे।
7 जुलाई 2024
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🔰 शांति के लिए ताक़त के इस्तेमाल का अमरीकियों का झूठ
अमरीकी राष्ट्रपति व अधिकारियों ने ग़ज़ा में जनसंहार के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया
🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शनिवार 17 मई 2025 को पूरे मुल्क से आए हज़ारों टीचरों, प्रोफ़ेसरों और शिक्षा विभाद से जुड़े लोगों से मुलाक़ात में कहा कि जनमत में एक अच्छे, दिलकश, जोश से ...
🔗 पूरा पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए:
https://hindi.khamenei.ir/news/8790
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अमरीकी राष्ट्रपति व अधिकारियों ने ग़ज़ा में जनसंहार के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया
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🎥 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता, शहीद रईसी और सेवा के शहीदों की पहली बरसी के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े पहुंचे।
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🎥 रईसी ख़ुलकर इंक़ेलाबी और धार्मिक स्टैंड बयान करते थे
🔸वह साफ़ तरीक़े से अपने इंक़ेलाबी रुख़ को, जिन पर उनका विश्वास था, उन्हें पूरी तरह ख़ुलकर बयान करते थे।
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राष्ट्रपति रईसी ने अपने पहले ही इंटरव्यू में अमरीका से वार्ता से इन्कार कर दिया
🔸राष्ट्रपति बनने के बाद शहीद रईसी ने जो पहला इंटरव्यू दिया था, उसमें पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या आप अमरीका से वार्ता करेंगे? उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा: "नहीं"। उन्होंने कहा: "नहीं", बिना किसी हिचकिचाहट के और उन्होंने वार्ता नहीं की।
🔗 वीडियो देखने के लिए क्लिक करिए:
https://www.facebook.com/share/v/15w6MM6KoY/
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📷 आज मंगलवार 20 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मौजूदगी में शहीद राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी और सेवा के शहीदों की पहली बरसी का कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमें इन शहीदों के अलावा कुछ अन्य शहीदों के परिजनों ने भाग लिया।
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🎥 ईरान को यूरेनियम संवर्धन की अनुमति न देने की बात अमरीका की औक़ात से ज़्यादा है
🔸अमरीकी पक्ष, जो इन अप्रत्यक्ष वार्ताओं में बातचीत कर रहा है, कोशिश करे कि फ़ुज़ूल बातें न करे। यह कहना कि हम ईरान को यूरेनियम संवर्धन की अनुमति नहीं देंगे, यह अपनी औक़ात से बढ़कर बोलना है।
🔗 वीडियो देखने के लिए क्लिक करिए:
https://fb.watch/zID-VnQflq/
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🔸अमरीकी पक्ष, जो इन अप्रत्यक्ष वार्ताओं में बातचीत कर रहा है, कोशिश करे कि फ़ुज़ूल बातें न करे। यह कहना कि हम ईरान को यूरेनियम संवर्धन की अनुमति नहीं देंगे, यह अपनी औक़ात से बढ़कर बोलना है।
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🔰 मानवाधिकारों के दावेदार पश्चिम वाले ही ग़ज़ा में बच्चों के जनसंहार के समर्थक हैं
🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने मंगलवार 20 मई 2025 की सुबह शहीद रईसी और सेवा की राह के शहीदों के परिजनों, कुछ उच्चधिकारियों और शहीदों के परिजनों से मुलाक़ात में...
🔗 पूरा पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए:
https://hindi.khamenei.ir/news/8798
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💠 दरस-ए-अख़लाक़ः अच्छी सिफ़त और गुण पैदा करना चाहिए
🔸 अगर कुछ अच्छी और पसंदीदा सिफ़त, उन पश्चिमी मुल्कों में जिन्होंने दुनिया में ज्ञान को बढ़ावा दिया है, न होती और तरक़्क़ियां हासिल न होतीं, तो यही ज़ुल्म जो वे दूसरों पर कर रहे हैं, उन्हें भस्म कर देता। वह वक़्त की क़ीमत को समझते हैं। अगर हमारे मज़दूर, हमारे स्टूडेंट, हमारे उस्ताद, हमारे धर्मगुरू, हमारे व्यापारी, हमारे किसान और दूसरे पेशों से जुड़े लोग अच्छी सार्थक सिफ़तों पर अमल करें तो यह मुल्क गुलिस्तान बन जाएगा, अच्छी सिफ़त और गुण को अपनाएं क्योंकि यही क़ुरआन पर अमल करना है। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: कहीं ऐसा न हो कि दूसरे लोग क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलान यह नहीं कहना चाहते कि कोई और क़ुरआन पर अमल न करे, बल्कि अगर पूरी दुनिया क़ुरआन पर अमल करे तो आप ज़्यादा ख़ुश होंगे, फ़रमाते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि जो लोग क़ुरआन पर आस्था नहीं रखते, वे क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं और तुम पीछे रह जाओ।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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🔸 अगर कुछ अच्छी और पसंदीदा सिफ़त, उन पश्चिमी मुल्कों में जिन्होंने दुनिया में ज्ञान को बढ़ावा दिया है, न होती और तरक़्क़ियां हासिल न होतीं, तो यही ज़ुल्म जो वे दूसरों पर कर रहे हैं, उन्हें भस्म कर देता। वह वक़्त की क़ीमत को समझते हैं। अगर हमारे मज़दूर, हमारे स्टूडेंट, हमारे उस्ताद, हमारे धर्मगुरू, हमारे व्यापारी, हमारे किसान और दूसरे पेशों से जुड़े लोग अच्छी सार्थक सिफ़तों पर अमल करें तो यह मुल्क गुलिस्तान बन जाएगा, अच्छी सिफ़त और गुण को अपनाएं क्योंकि यही क़ुरआन पर अमल करना है। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं: कहीं ऐसा न हो कि दूसरे लोग क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं। अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलान यह नहीं कहना चाहते कि कोई और क़ुरआन पर अमल न करे, बल्कि अगर पूरी दुनिया क़ुरआन पर अमल करे तो आप ज़्यादा ख़ुश होंगे, फ़रमाते हैं कि कहीं ऐसा न हो कि जो लोग क़ुरआन पर आस्था नहीं रखते, वे क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं और तुम पीछे रह जाओ।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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