🌷 महदवीयतः ज़ुहूर का दिन
🔸उस वक़्त जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि विश्व साम्राज्यवाद की भौतिक ताक़तों के मुक़ाबले में ऐसी ज़मीन समतल है कि हर एक शख़्स अपनी बात पर साबित क़दम रह सकता है, उस दिन इमाम के ज़ुहूर का दिन होगा। यह वह दिन होगा जब पूरी इंसानियत को नजात दिलाने वाला अल्लाह के फ़ज़्ल से ज़ाहिर होगा। उसका पैग़ाम पूरी दुनिया से सभी तैयार दिलों को अपनी ओर खींचेगा तो उस वक़्त ज़ालिम ताक़तें, ज़ोर ज़बरदस्ती का सहारा लेने वाली ताक़तें सच्चाई को, छिपाने या पीछे ढकेलने की हिम्मत नहीं कर सकेंगी।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
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🔸उस वक़्त जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि विश्व साम्राज्यवाद की भौतिक ताक़तों के मुक़ाबले में ऐसी ज़मीन समतल है कि हर एक शख़्स अपनी बात पर साबित क़दम रह सकता है, उस दिन इमाम के ज़ुहूर का दिन होगा। यह वह दिन होगा जब पूरी इंसानियत को नजात दिलाने वाला अल्लाह के फ़ज़्ल से ज़ाहिर होगा। उसका पैग़ाम पूरी दुनिया से सभी तैयार दिलों को अपनी ओर खींचेगा तो उस वक़्त ज़ालिम ताक़तें, ज़ोर ज़बरदस्ती का सहारा लेने वाली ताक़तें सच्चाई को, छिपाने या पीछे ढकेलने की हिम्मत नहीं कर सकेंगी।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
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🔸सहायती कर्मी गोलियों और गोला-बारूद की बारिश में दूसरों की जान बचाने की फ़िक्र करता है।
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🔸कौन कह सकता है कि इस वहशियाना ज़ुल्म और ख़ून-ख़राबे के सिलसिले में इंसान की कोई ज़िम्मेदारी नहीं? कौन यह बात कर सकता है? हम सबकी ज़िम्मेदारी है।
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🔸आज जो लोग दुनिया पर हुकूमत का दावा करते हैं, उनका यह रवैया है: बच्चों और मरीज़ों को क़त्ल करते हैं, अस्पताल तबाह करते हैं, आम नागरिकों पर बमबारी करते हैं।
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🔸अगर आप ज़ायोनियों के जुल्मों पर एतराज़ न करें और उनकी तारीफ़ करें तो वे आपसे दुश्मनी नहीं रखेंगे। मसला यही है कि आप इस झूठी तहज़ीब की बुनियाद को नकार देते हैं।
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🔸अगर आप बातिल के मुक़ाबले में डट गए तो बेशक वह पीछे हट जाएगा लेकिन अगर आप भाग गए या उसके कामों की तारीफ़ की तो वह ख़त्म नहीं होगा।
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🎥हज़ारों शिक्षकों से मुलाक़ात के लिए इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का आगमन
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🎥 टीचरों से इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की मुलाक़ात की शुरुआत में टीचर, हाफ़िज़ और मशहूर क़ारी जनाब रज़ा गुलशाही के ज़रिए क़ुरआन मजीद के सूरए अलक़ की तिलावत
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📷 शिक्षक दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से टीचरों की मुलाक़ात
🔸शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में देश भर से बड़ी संख्या में आए टीचरों ने शनिवार 17 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
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🔸शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में देश भर से बड़ी संख्या में आए टीचरों ने शनिवार 17 मई 2025 की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात की।
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🏡 इस्लामी घरानाः अगर मियां-बीवी मोहब्बत से रहें तो कोई भी फ़ैमिली नहीं टूटेगी
🔸इस्लाम ने परिवार के भीतर ऐसा माहौल मद्देनज़र रखा है कि घर के भीतर मतभेद ख़ुद ब ख़ुद हल हो जाएं, ज़्यादातर जो परिवार बिखर जाते हैं उसकी वजह उन्हीं नज़ाकतों को नज़रअंदाज़ किया जाना है। मर्द को ख़याल रखना नहीं आता, औरत समझदारी नहीं दिखाती। वह हद से ज़्यादा सख़्ती और बदअख़लाक़ी से पेश आता है और यह कुछ भी बर्दाश्त करना नहीं चाहती। इन सारी चीज़ों में ख़राबी है। उसकी सख़्ती भी ग़लत है, वह यह काम न करे, अब अगर एक बार उससे यह ग़लती हो गयी तो यह सरकशी पर उतर जाए, यह भी ग़लत है। यहभी ग़लत है। अगर वह बदअख़लाक़ी से पेश न आए, दोनों एक दूसरे का ख़याल रखें, एक दूसरे के साथ मेल मोहब्बत से रहें तो कोई भी घर कभी नहीं बिखरेगा, परिवार हमेशा बाक़ी रहेगा।
इमाम ख़ामेनेई
18/02/1997
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🔸इस्लाम ने परिवार के भीतर ऐसा माहौल मद्देनज़र रखा है कि घर के भीतर मतभेद ख़ुद ब ख़ुद हल हो जाएं, ज़्यादातर जो परिवार बिखर जाते हैं उसकी वजह उन्हीं नज़ाकतों को नज़रअंदाज़ किया जाना है। मर्द को ख़याल रखना नहीं आता, औरत समझदारी नहीं दिखाती। वह हद से ज़्यादा सख़्ती और बदअख़लाक़ी से पेश आता है और यह कुछ भी बर्दाश्त करना नहीं चाहती। इन सारी चीज़ों में ख़राबी है। उसकी सख़्ती भी ग़लत है, वह यह काम न करे, अब अगर एक बार उससे यह ग़लती हो गयी तो यह सरकशी पर उतर जाए, यह भी ग़लत है। यहभी ग़लत है। अगर वह बदअख़लाक़ी से पेश न आए, दोनों एक दूसरे का ख़याल रखें, एक दूसरे के साथ मेल मोहब्बत से रहें तो कोई भी घर कभी नहीं बिखरेगा, परिवार हमेशा बाक़ी रहेगा।
इमाम ख़ामेनेई
18/02/1997
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🎥 राष्ट्रपति रईसी इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े के ख़ादिम थे
🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई और हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन मरहूम रईसी इमाम रज़ा अलैहिस्सालम की ज़रीह में मुक़द्दस क़ब्र की सफ़ाई की ख़िदमत करते हुए।
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🔸इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई और हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन मरहूम रईसी इमाम रज़ा अलैहिस्सालम की ज़रीह में मुक़द्दस क़ब्र की सफ़ाई की ख़िदमत करते हुए।
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◾ट्रम्प ने कहा है कि वे शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल करना चाहते हैं। वे झूठ बोल रहे हैं। अमरीका ने कब शांति के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया है?
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2025
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इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2025
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🎥 इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से टीचरों की मुलाक़ात के रोचक दृश्य
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📖 क़ुरआन की रौशनी में: अगर एक लम्हे के लिए भी तक़वे (परहेज़गारी) का दामन छूटा तो पतन की खाई में गिर जाएंगे
🔸तक़वा यानी एक इंसान का सब कुछ, एक पूरी क़ौम का लोक परलोक और इस लंबे रास्ते के लिए हक़ीक़ी ज़ादे राह (रास्ते के लिए ज़रूरी चीज़ें) जिसे तय करने पर हर इंसान मजबूर है, तक़वा यानी इस बात का ध्यान रहना कि हर वह कर्म जो आप कर रहे हैं वह उस मस्लेहत के मद्देनज़र हो जो अल्लाह ने आपके लिए मद्देनज़र रखी है। यह ठीक नहीं है कि कोई एक लम्हे के लिए भी तक़वे का दामन छोड़ दे। “जो लोग परहेज़गार हैं जब उन्हें कोई शैतानी ख़याल छू भी जाए तो वे चौकन्ना होजाते हैं और यादे इलाही में लग जाते हैं और उनकी बसीरत ताज़ा हो जाती है (और हक़ीक़त हाल को देखने लगते हैं)” (सूरए आराफ़, आयत-201) जब भी अल्लाह से डरने वाला परहेज़ागर आदमी शैतान केउकसावे को महसूस कर ले फ़ौरन चौकन्ना हो जाता है और होश व हवास में आ जाता है, शैतान तो हमको कभी नहीं छोड़ता।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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🔸तक़वा यानी एक इंसान का सब कुछ, एक पूरी क़ौम का लोक परलोक और इस लंबे रास्ते के लिए हक़ीक़ी ज़ादे राह (रास्ते के लिए ज़रूरी चीज़ें) जिसे तय करने पर हर इंसान मजबूर है, तक़वा यानी इस बात का ध्यान रहना कि हर वह कर्म जो आप कर रहे हैं वह उस मस्लेहत के मद्देनज़र हो जो अल्लाह ने आपके लिए मद्देनज़र रखी है। यह ठीक नहीं है कि कोई एक लम्हे के लिए भी तक़वे का दामन छोड़ दे। “जो लोग परहेज़गार हैं जब उन्हें कोई शैतानी ख़याल छू भी जाए तो वे चौकन्ना होजाते हैं और यादे इलाही में लग जाते हैं और उनकी बसीरत ताज़ा हो जाती है (और हक़ीक़त हाल को देखने लगते हैं)” (सूरए आराफ़, आयत-201) जब भी अल्लाह से डरने वाला परहेज़ागर आदमी शैतान केउकसावे को महसूस कर ले फ़ौरन चौकन्ना हो जाता है और होश व हवास में आ जाता है, शैतान तो हमको कभी नहीं छोड़ता।
इमाम ख़ामेनेई
04/03/1994
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📷 शहीद रईसी!
🔸शहीद रईसी कभी न थकने वाले, विनम्र, दुआ से लगाव रखने वाले, इंक़ेलाबी और दीनी स्टैंड खुल कर बयान करने वाले थे और प्रतिष्ठित विदेश नीति की शैली पर चलते थे।
7 जुलाई 2024
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🔸शहीद रईसी कभी न थकने वाले, विनम्र, दुआ से लगाव रखने वाले, इंक़ेलाबी और दीनी स्टैंड खुल कर बयान करने वाले थे और प्रतिष्ठित विदेश नीति की शैली पर चलते थे।
7 जुलाई 2024
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