🌷 महदवीयतः इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, उम्मीद का सरचश्मा
🔸इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के इस अक़ीदे में कुछ ख़ुसूसियतें हैं जो किसी भी क़ौम की रगों में ख़ून और जिस्म में जान की तरह हैं। इनमें से एक उम्मीद है। कभी मुंहज़ोर और ताक़तवर हाथ, कमज़ोर क़ौमों को ऐसी जगह पहुंचा देते हैं कि वह उम्मीद का दामन छोड़ देती हैं। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, दिलों में उम्मीद जगाता है। वह इंसान कभी भी मायूस नहीं होता, जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम को ज़ाहिर होने पर अक़ीदा रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997
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🔸इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के इस अक़ीदे में कुछ ख़ुसूसियतें हैं जो किसी भी क़ौम की रगों में ख़ून और जिस्म में जान की तरह हैं। इनमें से एक उम्मीद है। कभी मुंहज़ोर और ताक़तवर हाथ, कमज़ोर क़ौमों को ऐसी जगह पहुंचा देते हैं कि वह उम्मीद का दामन छोड़ देती हैं। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, दिलों में उम्मीद जगाता है। वह इंसान कभी भी मायूस नहीं होता, जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम को ज़ाहिर होने पर अक़ीदा रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997
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🏡 इस्लामी घरानाः आपस में एक दूसरे को समझना, मियां बीवी के बीच मोहब्बत को बढ़ा देता है
🔸शादी का मतलब दो वजूदों का एक साथ ज़िन्दगी में एक दूसरे को समझना और आपस में मोहब्बत है, अलबत्ता यह एक स्वाभाविक सी बात है लेकिन इस्लाम ने जो तरीक़े, रस्म रवाज और उसूल तय किए हैं और शादी के लिए जो हुक्म बयान किए हैं उनके ज़रिए इस रिश्ते में बर्कत और मज़बूती दी है, मियां बीवी को एक दूसरे को समझना चाहिए, एक दूसरे के जज़्बात को महसूस करना चाहिए। यूरोप वालों की यह समझ है लेकिन अच्छी समझ है कि हर एक को एक दूसरे के दर्द और इच्छाओं को महसूस करना चाहिए और उसके अनुकूल व्यवहार करना चाहिए, इसी को कहते हैं सामने वाले को समझना, यानी आम लोगों की ज़बान में एक दूसरे को समझना ज़रूरी है, ये चीज़ें मोहब्बत को बढ़ा देती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
25/08/1992
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🔸शादी का मतलब दो वजूदों का एक साथ ज़िन्दगी में एक दूसरे को समझना और आपस में मोहब्बत है, अलबत्ता यह एक स्वाभाविक सी बात है लेकिन इस्लाम ने जो तरीक़े, रस्म रवाज और उसूल तय किए हैं और शादी के लिए जो हुक्म बयान किए हैं उनके ज़रिए इस रिश्ते में बर्कत और मज़बूती दी है, मियां बीवी को एक दूसरे को समझना चाहिए, एक दूसरे के जज़्बात को महसूस करना चाहिए। यूरोप वालों की यह समझ है लेकिन अच्छी समझ है कि हर एक को एक दूसरे के दर्द और इच्छाओं को महसूस करना चाहिए और उसके अनुकूल व्यवहार करना चाहिए, इसी को कहते हैं सामने वाले को समझना, यानी आम लोगों की ज़बान में एक दूसरे को समझना ज़रूरी है, ये चीज़ें मोहब्बत को बढ़ा देती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
25/08/1992
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📖 क़ुरआन की रौशनी में: तक़वे का लोक-परलोक दोनों जगह असर है
🔸तक़वे (अल्लाह से डरने) का मतलब हर इंसान इस बात का जायज़ा ले कि उसके लिए क्या करना ज़रूरी और वाजिब क़रार दिया गया है, उसे अंजाम दे और जो कुछ उसके लिए हराम क़रार दिया गया है, उसे छोड़ दे। क़ुरआन कहता हैः और अगर उन बस्तियों के बाशिन्दे ईमान लाते और परहेज़गारी अख़्तियार करते तो हम उन पर आसमान और ज़मीन की बर्कतों के दरवाज़े खोल देते। (सूरए आराफ़, आयत-96) यानी ईमान और तक़वे की ख़ासियत सिर्फ़ यह नहीं है कि लोगों के मन पाक हो जाते हैं बल्कि लोगों के हाथ और जेबें भी इसके ज़रिए भर जाती हैं। लोगों के दस्तरख़ान भी तरह तरह की नेमतों से सज जाते हैं और उनके बाज़ू ताक़तवर हो जाते हैं। ईमान और तक़वे में यह ख़ासियत पायी जाती है।
इमाम ख़ामेनेई
2/1/1998
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🔸तक़वे (अल्लाह से डरने) का मतलब हर इंसान इस बात का जायज़ा ले कि उसके लिए क्या करना ज़रूरी और वाजिब क़रार दिया गया है, उसे अंजाम दे और जो कुछ उसके लिए हराम क़रार दिया गया है, उसे छोड़ दे। क़ुरआन कहता हैः और अगर उन बस्तियों के बाशिन्दे ईमान लाते और परहेज़गारी अख़्तियार करते तो हम उन पर आसमान और ज़मीन की बर्कतों के दरवाज़े खोल देते। (सूरए आराफ़, आयत-96) यानी ईमान और तक़वे की ख़ासियत सिर्फ़ यह नहीं है कि लोगों के मन पाक हो जाते हैं बल्कि लोगों के हाथ और जेबें भी इसके ज़रिए भर जाती हैं। लोगों के दस्तरख़ान भी तरह तरह की नेमतों से सज जाते हैं और उनके बाज़ू ताक़तवर हो जाते हैं। ईमान और तक़वे में यह ख़ासियत पायी जाती है।
इमाम ख़ामेनेई
2/1/1998
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💠 दरस-ए-अख़लाक़ः इस्लामी समाज में लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए
🔸इस्लामी समाज और इस्लामी माहौल में किसी भी बदगुमानी के बिना लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए। रिवायतों में है कि जिस वक़्त सत्ताधारी तबक़ा बुराई व भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो हर चीज़ को शक की निगाह से देखा करो, लेकिन जिस वक़्त समाज में भलाई फैली हो, बदगुमानी छोड़ दो और एक दूसरे के बारे में सार्थक सोच रखो। एक दूसरे की बातों को सच समझ कर सुनो और एक दूसरे की बुराइयों को न देखा करो, बल्कि उनकी अच्छाइयों पर नज़र रखा करो।
इमाम ख़ामेनेई
24/10/2021
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🔸इस्लामी समाज और इस्लामी माहौल में किसी भी बदगुमानी के बिना लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए। रिवायतों में है कि जिस वक़्त सत्ताधारी तबक़ा बुराई व भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो हर चीज़ को शक की निगाह से देखा करो, लेकिन जिस वक़्त समाज में भलाई फैली हो, बदगुमानी छोड़ दो और एक दूसरे के बारे में सार्थक सोच रखो। एक दूसरे की बातों को सच समझ कर सुनो और एक दूसरे की बुराइयों को न देखा करो, बल्कि उनकी अच्छाइयों पर नज़र रखा करो।
इमाम ख़ामेनेई
24/10/2021
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🏴 इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम का बुनियादी मिशन क्या था जिसकी वजह से उन्हें शही (द) किया गया?
🔸धार्मिक शासन व्यवस्था सभी धर्मों का अहम लक्ष्य है। “लेयक़ूमन्नास बिलक़िस्त” (ताकि लोग इंसाफ़ पर क़ायम रहें। सूरए हदीद, आयत 25) इंसाफ़ की स्थापना और इलाही शासन, धर्मों का बुनियादी लक्ष्य है। हमारे इमामों ने हर मुसीबत और तकलीफ़....
🔗 पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए: https://hindi.khamenei.ir/news/5406
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🔸धार्मिक शासन व्यवस्था सभी धर्मों का अहम लक्ष्य है। “लेयक़ूमन्नास बिलक़िस्त” (ताकि लोग इंसाफ़ पर क़ायम रहें। सूरए हदीद, आयत 25) इंसाफ़ की स्थापना और इलाही शासन, धर्मों का बुनियादी लक्ष्य है। हमारे इमामों ने हर मुसीबत और तकलीफ़....
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🏴 इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम का सूचना संचार का विशाल नेटवर्क
🔸इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम दौरे बनी उमैया के आख़िरी हिस्से में सूचना संचार के विशाल नेटवर्क का नेतृत्व कर रहे थे जिसका काम आल-ए-अली (अली अलैहिस्सलाम के वंशजों) की इमामत की तबलीग़ और इमामत के विषय की दुरुस्त तसवीर पेश करना था।
इमाम ख़ामेनेई
11 जून 1979
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🔸इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम दौरे बनी उमैया के आख़िरी हिस्से में सूचना संचार के विशाल नेटवर्क का नेतृत्व कर रहे थे जिसका काम आल-ए-अली (अली अलैहिस्सलाम के वंशजों) की इमामत की तबलीग़ और इमामत के विषय की दुरुस्त तसवीर पेश करना था।
इमाम ख़ामेनेई
11 जून 1979
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🏴 क़ीमती हीरा
🔸इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपने शागिर्द से फ़रमाया कि अगर तुम्हारे पास क़ीमती हीरा हो तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह पत्थर है, मगर चूंकि तुम्हें इल्म है कि यह हीरा है तुम दुनिया वालों की बात का एतेबार नहीं करोगे। इसी तरह अगर तुम्हारे हाथ में पत्थर है और सारी दुनिया कहती रहे कि यह क़ीमती हीरा है तो तुम दुनिया की बात नहीं सुनोगे क्योंकि तुम्हें इल्म है कि वह पत्थर है।
जब क़ीमती जवाहरात आपके पास हैं तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह तो बेकार चीज़ है, आप का इल्म कहेगा कि नहीं यह बहुत क़ीमती चीज़ है। हमारी क़ौम को इल्म है, वह समझ चुकी है, इसी लिए मज़बूत क़दमों से डटी हुई है।
इमाम ख़ामेनेई
13 फ़रवरी 2004
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🔸इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपने शागिर्द से फ़रमाया कि अगर तुम्हारे पास क़ीमती हीरा हो तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह पत्थर है, मगर चूंकि तुम्हें इल्म है कि यह हीरा है तुम दुनिया वालों की बात का एतेबार नहीं करोगे। इसी तरह अगर तुम्हारे हाथ में पत्थर है और सारी दुनिया कहती रहे कि यह क़ीमती हीरा है तो तुम दुनिया की बात नहीं सुनोगे क्योंकि तुम्हें इल्म है कि वह पत्थर है।
जब क़ीमती जवाहरात आपके पास हैं तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह तो बेकार चीज़ है, आप का इल्म कहेगा कि नहीं यह बहुत क़ीमती चीज़ है। हमारी क़ौम को इल्म है, वह समझ चुकी है, इसी लिए मज़बूत क़दमों से डटी हुई है।
इमाम ख़ामेनेई
13 फ़रवरी 2004
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🏴 इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का मार्गदर्शक ख़ेताब
🔸इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर मजलिस का आयोजन हुआ, जिसके बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ख़ेताब किया।
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🔸इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर मजलिस का आयोजन हुआ, जिसके बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ख़ेताब किया।
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🔰 इमाम ख़ामेनेईः
इमामों ने दृढ़ता का रास्ता अपनाया और तर्क और दलील का सबक़ दिया है
🔸24 अप्रैल 2025 को इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) के शहादत दिवस के मौक़े पर मजलिस-ए-अज़ा के बाद इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) और इमामत के...
🔗 पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए: https://hindi.khamenei.ir/news/8750
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इमामों ने दृढ़ता का रास्ता अपनाया और तर्क और दलील का सबक़ दिया है
🔸24 अप्रैल 2025 को इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) के शहादत दिवस के मौक़े पर मजलिस-ए-अज़ा के बाद इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) और इमामत के...
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🌷 महदवीयतः (रोज़ी में) बर्कत, इल्म और भलाई का स्रोत
🔸हमारी मामूली आँखें उस पाक चेहरे को क़रीब से नहीं देख रही हैं लेकिन वह सूरज की तरह चमक रहा है, दिलों के साथ संपर्क रखता और इंसानों की आत्मा से जुड़ा है। एक आत्मज्ञानी के लिए इससे बड़ी कोई नेमत नहीं हो सकती कि वह महसूस करे कि अल्लाह का वली, सच्चा इमाम, नेक बंदा, दुनिया के सभी बंदों में चुना हुआ बंदा, जो ज़मीन पर अल्लाह का ख़लीफ़ा है, उसके साथ, उसके पास, उसको देख रहा और उससे जुड़ा हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
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🔸हमारी मामूली आँखें उस पाक चेहरे को क़रीब से नहीं देख रही हैं लेकिन वह सूरज की तरह चमक रहा है, दिलों के साथ संपर्क रखता और इंसानों की आत्मा से जुड़ा है। एक आत्मज्ञानी के लिए इससे बड़ी कोई नेमत नहीं हो सकती कि वह महसूस करे कि अल्लाह का वली, सच्चा इमाम, नेक बंदा, दुनिया के सभी बंदों में चुना हुआ बंदा, जो ज़मीन पर अल्लाह का ख़लीफ़ा है, उसके साथ, उसके पास, उसको देख रहा और उससे जुड़ा हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
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🏡 इस्लामी घरानाः शादीशुदा ज़िन्दगी में आपसी सहयोग का मतलब क्या है?
🔸मियां बीवी के बीच सहयोग का मतलब आत्मिक सहयोग है कि औरत मर्द की ज़रूरतों को महसूस करे, नैतिक दबाव उस पर न डाले। कोई ऐसा काम न करे कि उसको ज़िन्दगी के मामलों में तनहाई का एहसास हो और ग़लत रास्ता अपनाने पर मजबूर हो, ज़िन्दगी के मैदानों में दृढ़ता का उसको शौक़ दिलाए और प्रेरित करे। अगर काम काज की हालत ऐसी कि घर के हालात पर उसका असर पड़े, मिसाल के तौर पर घर की किफ़ायत की हद तक चीज़ों को पूरा न कर पा रहा हो तो उसके सामने न दोहराए, ये बातें बहुत अहम हैं। दूसरी ओर शौहर का भी फ़रीज़ा है कि वह औरत की ज़रूरतों को महसूस करे, उसके जज़्बात को समझे और उसकी ओर से लापरवाही न बरते।
इमाम ख़ामेनेई
29/4/1996
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🔸मियां बीवी के बीच सहयोग का मतलब आत्मिक सहयोग है कि औरत मर्द की ज़रूरतों को महसूस करे, नैतिक दबाव उस पर न डाले। कोई ऐसा काम न करे कि उसको ज़िन्दगी के मामलों में तनहाई का एहसास हो और ग़लत रास्ता अपनाने पर मजबूर हो, ज़िन्दगी के मैदानों में दृढ़ता का उसको शौक़ दिलाए और प्रेरित करे। अगर काम काज की हालत ऐसी कि घर के हालात पर उसका असर पड़े, मिसाल के तौर पर घर की किफ़ायत की हद तक चीज़ों को पूरा न कर पा रहा हो तो उसके सामने न दोहराए, ये बातें बहुत अहम हैं। दूसरी ओर शौहर का भी फ़रीज़ा है कि वह औरत की ज़रूरतों को महसूस करे, उसके जज़्बात को समझे और उसकी ओर से लापरवाही न बरते।
इमाम ख़ामेनेई
29/4/1996
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🔰 बंदर अब्बास की शहीद रजाई बंदरगाह की दुखद घटना पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का पैग़ाम:
सुरक्षा और न्यायिक अधिकारी किसी भी लापरवाही या जानबूझकर की गई कार्यवाही का पूरी तरह पता लगाएं और क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करें
🔸मैं उन अज़ीम लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जो ज़रूरत के पल में...
🔗 पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए: https://hindi.khamenei.ir/news/8753
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सुरक्षा और न्यायिक अधिकारी किसी भी लापरवाही या जानबूझकर की गई कार्यवाही का पूरी तरह पता लगाएं और क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करें
🔸मैं उन अज़ीम लोगों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जो ज़रूरत के पल में...
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📖 क़ुरआन की रौशनी में: पश्चिम की भौतिक सभ्यता का पतन, अल्लाह के अटल वादों में है
🔸आज पश्चिम की सभ्यता पतन का शिकार है, यानी हक़ीक़त में पतन की ओर बढ़ रही है। नरक की आग के मुहाने पर खड़ी है (सूरए तौबा, आयत-10) खाई के किनारे है। अलबत्ता समाज में बदलाव धीरे- धीरे आता है, यानी जल्दी महसूस नहीं होते, यहाँ तक कि ख़ुद पश्चिमी विचारकों ने इसे महसूस कर लिया है और ज़बान से कहने भी लगे हैं। ये सब उम्मीद बंधाने वाले बिन्दु हैं, पश्चिमी सभ्यता, भौतिक सभ्यता है जो हमारे मुक़ाबले में है और पतन का शिकार है, यह भी हमारे लिए उम्मीद बंधाने वाले बिन्दु हैं और यह भी अल्लाह के अटूट वादों में से एक है
इमाम ख़ामेनेई
22/5/2019
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🔸आज पश्चिम की सभ्यता पतन का शिकार है, यानी हक़ीक़त में पतन की ओर बढ़ रही है। नरक की आग के मुहाने पर खड़ी है (सूरए तौबा, आयत-10) खाई के किनारे है। अलबत्ता समाज में बदलाव धीरे- धीरे आता है, यानी जल्दी महसूस नहीं होते, यहाँ तक कि ख़ुद पश्चिमी विचारकों ने इसे महसूस कर लिया है और ज़बान से कहने भी लगे हैं। ये सब उम्मीद बंधाने वाले बिन्दु हैं, पश्चिमी सभ्यता, भौतिक सभ्यता है जो हमारे मुक़ाबले में है और पतन का शिकार है, यह भी हमारे लिए उम्मीद बंधाने वाले बिन्दु हैं और यह भी अल्लाह के अटूट वादों में से एक है
इमाम ख़ामेनेई
22/5/2019
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🔰 जब हज़रत अबू तालिब ने ईमान का यह अंदाज़ और यह दृढ़ता देखी
🔸क़ुरैश के बड़े सरदारों और समाज के प्रभावी लोगों को अपनी स्थिति ख़तरे में नज़र आने लगी। इसे रोकने के लिए उन्होंने सबसे पहले तो लालच देने की कोशिश की।
हज़रत अबू तालिब अलैहिस्सलाम के पास आए और...
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🔸क़ुरैश के बड़े सरदारों और समाज के प्रभावी लोगों को अपनी स्थिति ख़तरे में नज़र आने लगी। इसे रोकने के लिए उन्होंने सबसे पहले तो लालच देने की कोशिश की।
हज़रत अबू तालिब अलैहिस्सलाम के पास आए और...
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💐 अहले बैत की छत्रछाया में पलने वाली हस्ती के क़दम जब क़ुम में पड़े
🔸अहले बैत की छत्रछाया में पलने वाली हस्ती के क़दम जब क़ुम में पड़े तो यह शहर इल्म का अमर स्रोत बन गया।
इमाम ख़ामेनेई,
12-06-2021
🔸हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा जब इस इलाक़े में पहुंचीं तो आपने क़ुम आने की इच्छा जतायी। लोग गए, उनका स्वागत किया, हज़रत मासूमा को इस शहर में ले आए और यह प्रकाशमयी जगह उस दिन इस महान हस्ती के स्वर्गवास के बाद से ही इस शहर में अपनी...
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🔸अहले बैत की छत्रछाया में पलने वाली हस्ती के क़दम जब क़ुम में पड़े तो यह शहर इल्म का अमर स्रोत बन गया।
इमाम ख़ामेनेई,
12-06-2021
🔸हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा जब इस इलाक़े में पहुंचीं तो आपने क़ुम आने की इच्छा जतायी। लोग गए, उनका स्वागत किया, हज़रत मासूमा को इस शहर में ले आए और यह प्रकाशमयी जगह उस दिन इस महान हस्ती के स्वर्गवास के बाद से ही इस शहर में अपनी...
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