🎥 ओमान बातचीत के प्रति न तो बहुत आशावादी हैं और न ही बहुत बदगुमान
🔸वार्ता में अच्छी तरह से आगे बढ़ा जाए। मुमकिन है नतीजे पर पहुंचे, मुमकिन है नतीजा न निकले। न तो हम बहुत आशावादी हैं और न ही बहुत बदगुमान हैं। अलबत्ता सामने वाले पक्ष के संबंध में बहुत बदगुमान हैं, सामने वाले पक्ष को हम नहीं मानते, उसे हम पहचानते हैं।
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🔸वार्ता में अच्छी तरह से आगे बढ़ा जाए। मुमकिन है नतीजे पर पहुंचे, मुमकिन है नतीजा न निकले। न तो हम बहुत आशावादी हैं और न ही बहुत बदगुमान हैं। अलबत्ता सामने वाले पक्ष के संबंध में बहुत बदगुमान हैं, सामने वाले पक्ष को हम नहीं मानते, उसे हम पहचानते हैं।
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🔰 आयतुल्लाह ख़ामेनेईः
हम ओमान बातचीत के प्रति न तो बहुत आशावादी हैं और न ही बहुत बदगुमान
🔸नए ईरानी साल (हिजरी शम्सी) के उपलक्ष्य में तीनों पालिकाओं के आला अधिकारियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मंलगवार 15 अप्रैल 2025 को...
🔗 पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करिए: https://hindi.khamenei.ir/news/8733
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हम ओमान बातचीत के प्रति न तो बहुत आशावादी हैं और न ही बहुत बदगुमान
🔸नए ईरानी साल (हिजरी शम्सी) के उपलक्ष्य में तीनों पालिकाओं के आला अधिकारियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मंलगवार 15 अप्रैल 2025 को...
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💠 दरस-ए-अख़लाक़ः व्यक्तिगत मामलों में दूसरों के साथ नर्मी से काम लेना चाहिए
🔸यह अख़लाक़, एक गाइडलाइन के तौर पर हमको हमेशा मद्देनज़र रखना चाहिए, इस्लामी अख़लाक़ से काम लें, इंकेसारी अपनाएं, दरगुज़र करना सीखें, ये सब इस्लामी अख़लाक़ हैं। अपने व्यक्तिगत मामलों में नर्मी से काम लेना चाहिए।अवाम के मसलों, लोगों के अधिकारों से जिस चीज़ का संबंध है, उसमें नहीं, यहाँ नर्मी जायज़ नहीं है। लेकिन व्यक्तिगत मामलों में नर्मी से काम लेना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
24/10/2021
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🔸यह अख़लाक़, एक गाइडलाइन के तौर पर हमको हमेशा मद्देनज़र रखना चाहिए, इस्लामी अख़लाक़ से काम लें, इंकेसारी अपनाएं, दरगुज़र करना सीखें, ये सब इस्लामी अख़लाक़ हैं। अपने व्यक्तिगत मामलों में नर्मी से काम लेना चाहिए।अवाम के मसलों, लोगों के अधिकारों से जिस चीज़ का संबंध है, उसमें नहीं, यहाँ नर्मी जायज़ नहीं है। लेकिन व्यक्तिगत मामलों में नर्मी से काम लेना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
24/10/2021
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◾एशिया की आर्थिक ताक़तों से ट्रे़ड हमारी तरजीह हो
🔸पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में विस्तार हमारी तरजीह होनी चाहिए। उन देशों के साथ आर्थिक संबंधों को आसान बनाया जाए जो एशिया के आर्थिक केन्द्र हैं, जैसे चीन, रूस और भारत।
इमाम ख़ामेनेई
15 अप्रैल 2025
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🔸पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में विस्तार हमारी तरजीह होनी चाहिए। उन देशों के साथ आर्थिक संबंधों को आसान बनाया जाए जो एशिया के आर्थिक केन्द्र हैं, जैसे चीन, रूस और भारत।
इमाम ख़ामेनेई
15 अप्रैल 2025
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🎥 ग़ज़ा के संबंध में इस्लामी दुनिया अपना फ़र्ज़ अंजाम दे
🔸 ग़ज़ा के वाक़ए, हक़ीक़त में यह अपराधी गैंग जो फ़िलिस्तीन पर शासन कर रहा है, बर्बरता की सारी हदों को पार कर गया है। मेरी नज़र में इस्लामी जगत को कोई क़दम उठाना चाहिए, कुछ करना चाहिए।
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🔸 ग़ज़ा के वाक़ए, हक़ीक़त में यह अपराधी गैंग जो फ़िलिस्तीन पर शासन कर रहा है, बर्बरता की सारी हदों को पार कर गया है। मेरी नज़र में इस्लामी जगत को कोई क़दम उठाना चाहिए, कुछ करना चाहिए।
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📷 सऊदी अरब के रक्षा मंत्री का ईरान दौरा, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात
🔸तेहरान दौरे पर आए सऊदी रक्षा मंत्री ख़ालिद बिन सलमान ने गुरूवार 17 अप्रैल 2025 की शाम को इस देश के नरेश का संदेश इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई की सेवा में पेश किया।
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🔸तेहरान दौरे पर आए सऊदी रक्षा मंत्री ख़ालिद बिन सलमान ने गुरूवार 17 अप्रैल 2025 की शाम को इस देश के नरेश का संदेश इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई की सेवा में पेश किया।
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🔰 सउदी अरब के रक्षा मंत्री ने इस देश के नरेश का संदेश इस्लामी इंक़ेलाब के नेता इमाम ख़ामेनेई की सेवा में पेश किया
🔸तेहरान के दौरे पर आए सऊदी अरब के रक्षा मंत्री ख़ालिद बिल सलमान ने गुरूवार 17 अप्रैल 2025 की शाम को तेहरान में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की और...
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🔸तेहरान के दौरे पर आए सऊदी अरब के रक्षा मंत्री ख़ालिद बिल सलमान ने गुरूवार 17 अप्रैल 2025 की शाम को तेहरान में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की और...
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◾हमारा मानना है कि ईरान और सऊदी अरब के बीच संबंध दोनों देशों के लिए फायदेमंद होंगे और ये दोनों देश एक-दूसरे के पूरक बन सकते हैं।
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◾ईरान और सऊदी अरब के रिश्तों को बढ़ाने के कुछ विरोधी हैं। इन शत्रुतापूर्ण प्रयासों पर क़ाबू पाना ज़रूरी है और हम इसके लिए तैयार हैं।
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◾ईरान इसके लिए तैयार है कि जिन मैदानों में उसने प्रगति की है, उनमें सऊदी अरब की मदद करे।
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◾पश्चिम एशिया के बंधु मुल्कों का एक दूसरे के साथ सहयोग करना और एक दूसरे की मदद करना, ग़ैरों पर निर्भरता से कहीं बेहतर है।
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🌷 महदवीयतः इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, उम्मीद का सरचश्मा
🔸इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के इस अक़ीदे में कुछ ख़ुसूसियतें हैं जो किसी भी क़ौम की रगों में ख़ून और जिस्म में जान की तरह हैं। इनमें से एक उम्मीद है। कभी मुंहज़ोर और ताक़तवर हाथ, कमज़ोर क़ौमों को ऐसी जगह पहुंचा देते हैं कि वह उम्मीद का दामन छोड़ देती हैं। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, दिलों में उम्मीद जगाता है। वह इंसान कभी भी मायूस नहीं होता, जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम को ज़ाहिर होने पर अक़ीदा रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997
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🔸इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने के इस अक़ीदे में कुछ ख़ुसूसियतें हैं जो किसी भी क़ौम की रगों में ख़ून और जिस्म में जान की तरह हैं। इनमें से एक उम्मीद है। कभी मुंहज़ोर और ताक़तवर हाथ, कमज़ोर क़ौमों को ऐसी जगह पहुंचा देते हैं कि वह उम्मीद का दामन छोड़ देती हैं। इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने का अक़ीदा, दिलों में उम्मीद जगाता है। वह इंसान कभी भी मायूस नहीं होता, जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम को ज़ाहिर होने पर अक़ीदा रखता है।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997
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🏡 इस्लामी घरानाः आपस में एक दूसरे को समझना, मियां बीवी के बीच मोहब्बत को बढ़ा देता है
🔸शादी का मतलब दो वजूदों का एक साथ ज़िन्दगी में एक दूसरे को समझना और आपस में मोहब्बत है, अलबत्ता यह एक स्वाभाविक सी बात है लेकिन इस्लाम ने जो तरीक़े, रस्म रवाज और उसूल तय किए हैं और शादी के लिए जो हुक्म बयान किए हैं उनके ज़रिए इस रिश्ते में बर्कत और मज़बूती दी है, मियां बीवी को एक दूसरे को समझना चाहिए, एक दूसरे के जज़्बात को महसूस करना चाहिए। यूरोप वालों की यह समझ है लेकिन अच्छी समझ है कि हर एक को एक दूसरे के दर्द और इच्छाओं को महसूस करना चाहिए और उसके अनुकूल व्यवहार करना चाहिए, इसी को कहते हैं सामने वाले को समझना, यानी आम लोगों की ज़बान में एक दूसरे को समझना ज़रूरी है, ये चीज़ें मोहब्बत को बढ़ा देती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
25/08/1992
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🔸शादी का मतलब दो वजूदों का एक साथ ज़िन्दगी में एक दूसरे को समझना और आपस में मोहब्बत है, अलबत्ता यह एक स्वाभाविक सी बात है लेकिन इस्लाम ने जो तरीक़े, रस्म रवाज और उसूल तय किए हैं और शादी के लिए जो हुक्म बयान किए हैं उनके ज़रिए इस रिश्ते में बर्कत और मज़बूती दी है, मियां बीवी को एक दूसरे को समझना चाहिए, एक दूसरे के जज़्बात को महसूस करना चाहिए। यूरोप वालों की यह समझ है लेकिन अच्छी समझ है कि हर एक को एक दूसरे के दर्द और इच्छाओं को महसूस करना चाहिए और उसके अनुकूल व्यवहार करना चाहिए, इसी को कहते हैं सामने वाले को समझना, यानी आम लोगों की ज़बान में एक दूसरे को समझना ज़रूरी है, ये चीज़ें मोहब्बत को बढ़ा देती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
25/08/1992
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📖 क़ुरआन की रौशनी में: तक़वे का लोक-परलोक दोनों जगह असर है
🔸तक़वे (अल्लाह से डरने) का मतलब हर इंसान इस बात का जायज़ा ले कि उसके लिए क्या करना ज़रूरी और वाजिब क़रार दिया गया है, उसे अंजाम दे और जो कुछ उसके लिए हराम क़रार दिया गया है, उसे छोड़ दे। क़ुरआन कहता हैः और अगर उन बस्तियों के बाशिन्दे ईमान लाते और परहेज़गारी अख़्तियार करते तो हम उन पर आसमान और ज़मीन की बर्कतों के दरवाज़े खोल देते। (सूरए आराफ़, आयत-96) यानी ईमान और तक़वे की ख़ासियत सिर्फ़ यह नहीं है कि लोगों के मन पाक हो जाते हैं बल्कि लोगों के हाथ और जेबें भी इसके ज़रिए भर जाती हैं। लोगों के दस्तरख़ान भी तरह तरह की नेमतों से सज जाते हैं और उनके बाज़ू ताक़तवर हो जाते हैं। ईमान और तक़वे में यह ख़ासियत पायी जाती है।
इमाम ख़ामेनेई
2/1/1998
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🔸तक़वे (अल्लाह से डरने) का मतलब हर इंसान इस बात का जायज़ा ले कि उसके लिए क्या करना ज़रूरी और वाजिब क़रार दिया गया है, उसे अंजाम दे और जो कुछ उसके लिए हराम क़रार दिया गया है, उसे छोड़ दे। क़ुरआन कहता हैः और अगर उन बस्तियों के बाशिन्दे ईमान लाते और परहेज़गारी अख़्तियार करते तो हम उन पर आसमान और ज़मीन की बर्कतों के दरवाज़े खोल देते। (सूरए आराफ़, आयत-96) यानी ईमान और तक़वे की ख़ासियत सिर्फ़ यह नहीं है कि लोगों के मन पाक हो जाते हैं बल्कि लोगों के हाथ और जेबें भी इसके ज़रिए भर जाती हैं। लोगों के दस्तरख़ान भी तरह तरह की नेमतों से सज जाते हैं और उनके बाज़ू ताक़तवर हो जाते हैं। ईमान और तक़वे में यह ख़ासियत पायी जाती है।
इमाम ख़ामेनेई
2/1/1998
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💠 दरस-ए-अख़लाक़ः इस्लामी समाज में लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए
🔸इस्लामी समाज और इस्लामी माहौल में किसी भी बदगुमानी के बिना लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए। रिवायतों में है कि जिस वक़्त सत्ताधारी तबक़ा बुराई व भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो हर चीज़ को शक की निगाह से देखा करो, लेकिन जिस वक़्त समाज में भलाई फैली हो, बदगुमानी छोड़ दो और एक दूसरे के बारे में सार्थक सोच रखो। एक दूसरे की बातों को सच समझ कर सुनो और एक दूसरे की बुराइयों को न देखा करो, बल्कि उनकी अच्छाइयों पर नज़र रखा करो।
इमाम ख़ामेनेई
24/10/2021
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🔸इस्लामी समाज और इस्लामी माहौल में किसी भी बदगुमानी के बिना लोगों के साथ सार्थक सोच के साथ व्यवहार करना चाहिए। रिवायतों में है कि जिस वक़्त सत्ताधारी तबक़ा बुराई व भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो हर चीज़ को शक की निगाह से देखा करो, लेकिन जिस वक़्त समाज में भलाई फैली हो, बदगुमानी छोड़ दो और एक दूसरे के बारे में सार्थक सोच रखो। एक दूसरे की बातों को सच समझ कर सुनो और एक दूसरे की बुराइयों को न देखा करो, बल्कि उनकी अच्छाइयों पर नज़र रखा करो।
इमाम ख़ामेनेई
24/10/2021
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