कविग्राम
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यह चैनल कवि, कविता तथा कवि सम्मेलनों के साथ ही सृजन की समस्त संभावनाओं को समर्पित है।
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कीचड़ उसके पास था, मेरे पास गुलाल।
जो भी जिसके पास था, उसने दिया उछाल।।

~माणिक वर्मा

#kavigram #hindipoetry
अब तो नाम ग़रीबी का भी लेने में डर लगता है
सरकारी दस्तावेज़ों में खुशहाली है बाबूजी

मिट्टी बेच रहा हूँ जिसमें कोई जाल फरेब नहीं
सोना चांदी दूध मिठाई सब जाली है बाबूजी

~ज्ञानप्रकाश आकुल

#Kavigram #hindipoetry #GyanPrakashAakul
सूरज गया है काम से आएगा लौटकर
जुगनू की बद्दुआ से अंधेरा हुआ है क्या

© पंकज पलाश

#Kavigram #hindipoetry
यह मरघट का सन्नाटा तो रह-रहकर काटे जाता है
दुःख दर्द तबाही से दबकर मुफ़लिस का दिल चिल्लाता है
यह झूठा सन्नाटा टूटे
पापों का भरा घड़ा फूटे
तुम ज़ंजीरों की झनझन में, कुछ ऐसा खेल रचो साथी!
जो जीने का आनंद मिले
जो मरने का आनंद मिले

© गोपाल सिंह नेपाली

#HindiPoetry #Kavigram
एक दल बोलता है हमको थमा दो देश
हम लोकतंत्र की ज़मीन बेच देते हैं
एक दल बोलता है हमको थमा दो देश
जनता का धर्म और दीन बेच देते हैं
एक नेता बोला हम बन के मुंगेरी लाल
जनता को सपने हसीन बेच देते हैं
जनता ने कहा हम वायदों की बीन पर
काले कोबरा को आस्तीन बेच देते हैं

© चिराग़ जैन

#ChiragJain #kavigram #hindipoetry
सत्ता चाहे जिसकी भी हो अहम् नहीं स्वीकार प्रजा को
कर्मकाण्ड से कर्मयोग ने पल में लिया उबार प्रजा को
गोकुलवालो! छोड़ो छलिया इंद्रदेव का पूजन करना
पर्वत ढोकर ही मिलता है जीने का अधिकार प्रजा को

© चिराग़ जैन

गौवर्द्धन पर्व की शुभेषणा!

#Govardhan
#HindiPoetry
#kavigram
#ChiragJain
ये भी मुमकिन है ये बौनों का शहर हो; इसलिए
छोटे दरवाज़ों की ख़ातिर अपना क़द छोटा न कर

~ राजगोपाल सिंह

#kavigram #hindipoetry
जिस तट पर प्यास बुझाने से अपमान प्यास का होता हो‚
उस तट पर प्यास बुझाने से प्यासा मर जाना बेहतर है।

जब आंधी‚ नाव डुबो देने की
अपनी ज़िद्द पर अड़ जाए‚
हर एक लहर जब नागिन बनकर
डसने को फन फैलाए‚
ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं‚
पागल तूफ़ानों को बढ़कर आवाज़ लगाना बेहतर है।

काँटे तो अपनी आदत के
अनुसारा नुकीले होते हैं‚
कुछ फूल मगर काँटों से भी
ज़्यादा ज़हरीले होते हैं‚
जिनको माली आँखें मीचे‚ मधु के बदले विष से सींचे‚
ऐसी डाली पर खिलने से पहले मुरझाना बेहतर है।

जो दिया उजाला दे न सके‚
तम के चरणों का दास रहे‚
अंधियारी रातों में सोये‚
दिन में सूरज के पास रहे‚
जो केवल धुआँ उगलता हो‚ सूरज पर कालिख मलता हो‚
ऐसे दीपक का जलने से पहले बुझ जाना बेहतर है।

~ बुद्धिसेन शर्मा

#kavigram #besthindipoetry