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जल्दी यहां आपको सभी विषयो से रिलेटेड नोट्स मिलेंगे |
सुपर फास्ट हिन्दी साहित्य
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1. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल की गई चार नई भाषाएँ हैं? →संथाली, मैथिली,बोडो और डोगरी

2. भारतीय भाषाओं को कितने प्रमुख वर्गों में बाँटा गया है? →4

3. भारत में सबसे अधिक बोला जाने वाला भाषायी समूह है? →इण्डो-आर्यन

4. भारत में सबसे कम बोला जाने वाला भाषायी समूह है? →चीनी-तिब्बती

5. ऑस्ट्रिक भाषा समूह की भाषाओं को बोलने वालों को कहा जाता है?→ किरात

6. 'जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सारु। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है?→ देवसेन

7. चीनी-तिब्बती भाषा समूह की भाषाओं के बोलने वालों को कहा जाता है?→ निषाद

8. अपभ्रंश के योग से राजसाषानी भाषा का जो साहित्यिक रूप बना, उसे कहा जाता है?→ डिंगल भाषा

9. 'एक नार पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?→ ब्रजभाषा

10. अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?→खड़ीबोली
हिंदी_साहित्य_के_महत्वपूर्ण_तथ्य1.pdf
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हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण pdf नोट्स
_पर्यायवाची शब्द_

पर्यायवाची___पर्याय का अर्थ है-समान
वाची का अर्थ है__बोध कराने वाला।
अर्थात जो शब्द अर्थ के स्तर पर समान हो पर्यायवाची कहलाते हैं।
ऐसे शब्दों के अर्थ में समानता होते हुए भी प्रत्येक शब्द की अपनी विशेषता होती है और भाव में एक-दूसरे से किंचित भिन्न होते हैं।
जैसे अभिलाषा एवं कामनादोनों ही इच्छा के पर्याय हैं।इनमें सूक्ष्म अंतर है
अभिलाषा_हार्दिक इच्छा।
कामना__अच्छे भाव की इच्छा।


पर्यायवाची शब्द___👇

असुर- दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज।

अर्थ- धन, दौलत, पैसा, द्रव्य, मुद्रा, वित्त।

अहंकार- घमंड, दंभ, अभिमान, गर्व, दर्प, मद।

अंधकार- अँधेरा, तम, तिमिर, तमिस्र।

अमृत- पीयूष, सुधा, सोम, अमिय, मधु, अमी।

अनुपम- अदभुत, अनन्य, अपूर्व, अतुल, अनोखा।

अश्व- घोड़ा, तुरंग, बाजी, हय, घोटक।

आग- अग्नि, अनल, पावक, हुतासन, ज्वलन, धूमकेतु, कृशानु, वहनि, शिखी, दहन, वह्नि।

आम- आम्र, रसाल, सौरभ, मादक, सहुकार, अमृतफल।

आत्मा- चैतन्य, जीव, देव, अंतःकरण।

आँख- नयन, नेत्र, चक्षु, लोचन, दृग, अक्षि, विलोचन, दृष्टि।

आंसू- अश्रु, नेत्रजल, नयनजल।

आकाश- गगन, नभ, व्योम, अम्बर, अनन्त, अर्श, अंतरिक्ष, शून्य, आसमान।

आनंद- हर्ष, उल्लास, सुख, आमोद, प्रमोद।

आश्रम- विहार, मठ, अखाड़ा, संघ, कुटी।

अतिथि- पाहुन, अभ्यागत, मेहमान, आगन्तुक।

ओंठ- होंठ, ओष्ठ, अधर।

कमल- पंकज, राजीव, नीरज, अरविन्द, नलिन, जलज, उत्पल, पद्म, सरोज।

कपड़ा- पट, चीर, वसन, अंशु, कर, मयुख, वस्त्र, अम्बर, परिधान।

कान- कर्ण, श्रुति, श्रुतिपटल।

किताब- पुस्तक, पोथी, ग्रन्थ।

किरण- ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति।

किसान- कृषक, हलधर, खेतिहर, भूमिपुत्र, अन्नदाता।

कोयल- कोकिला, पिक, सारिका, काकपाली, बसंतदूत, कुहुकिनी, वनप्रिया।

क्रोध- रोष, अमर्ष, कोह, प्रतिघात, कोप ।

कृपा- दया, करुणा, प्रसाद, अनुग्रह।

कृष्ण- वासुदेव, गोविन्द, केशव, गिरधारी, घनश्याम, माधव, मोहन, राधापति ।

गज- हाथी, हस्ती, मतंग, कूम्भा, मदकल।
संधि की परिभाषा – Sandhi Ki Paribhasha in Hindi:
दो वर्णों (स्वर या व्यंजन) के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं।

अथवा

संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है ‘मेल’। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है।

अथवा

संधि का सामान्य अर्थ है मेल। इसमें दो अक्षर मिलने से तीसरे शब्द की रचना होती है, इसी को संधि कहते हैै।

अथवा

दो शब्दों या शब्दांशों के मिलने से नया शब्द बनने पर उनके निकटवर्ती वर्णों में होने वाले परिवर्तन या विकार को संधि कहते हैं।

यह भी पढ़े: अलंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण

संधि के उदाहरण Sandhi Ke Udaharan:
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
रवि + इंद्र = रविन्द्र
ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश
भारत + इंदु = भारतेन्दु
देव + ऋषि = देवर्षि
धन + एषणा = धनैषणा
सदा + एव = सदैव
अनु + अय = अन्वय
सु + आगत = स्वागत
उत्+हार = उद्धार त्+ह =द्ध
सत्+धर्म = सद्धर्म त्+ध =द्ध
षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र
षड्दर्शन = षट् + दर्शन
षड्विकार = षट् + विकार
किम् + चित् = किंचित
सम् + जीवन = संजीवन
उत् + झटिका = उज्झटिका
तत् + टीका =तट्टीका
उत् + डयन = उड्डयन
संधि विच्छेद किसे कहते है- Sandhi Vichhchhed Kya hota hai:
उन पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद हैै।
जैसे- हिम + आलय= हिमालय (यह संधि है), अत्यधिक= अति + अधिक (यह संधि विच्छेद है)

यथा + उचित= यथोचित
यशः + इच्छा= यशइच्छ
अखि + ईश्वर= अखिलेश्वर
आत्मा + उत्सर्ग= आत्मोत्सर्ग
महा + ऋषि= महर्षि
लोक + उक्ति= लोकोक्ति
संधि निरथर्क अक्षरों मिलकर सार्थक शब्द बनती है। संधि में प्रायः शब्द का रूप छोटा हो जाता है। संधि संस्कृत का शब्द है।

यह भी पढ़े: समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण

संधि के भेद – Sandhi Ke Bhed:
वर्णों के आधार पर संधि के तीन भेद है

स्वर संधि
व्यंजन संधि
विसर्ग संधि
स्वर संधि (Swar Sandhi In Hindi) :
जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में स्वरों की संख्या ग्यारह होती है। बाकी के अक्षर व्यंजन होते हैं। जब दो स्वर मिलते हैं जब उससे जो तीसरा स्वर बनता है उसे स्वर संधि कहते हैं।

स्वर संधि के उदहारण – Swar Sandhi Ke Udaharan:
सुर + ईश = सुरेश
राज + ऋषि = राजर्षि
वन + औषधि = वनौषधि
शिव + आलय = शिवालय
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
मुनि+इन्द्र = मुनीन्द्र
श्री+ईश = श्रीश
गुरु+उपदेश = गुरुपदेश
स्वर संधि के प्रकार – Swar Sandhi Ke Prakar/Bhed:
स्वर संधि के मुख्यतः पांच भेद होते हैं |

दीर्घ संधि
गुण संधि
वृद्धि संधि
यण संधि
अयादि संधि
यह भी पढ़े: उपसर्ग की परिभाषा, भेद, उदाहरण

1. दीर्घ संधि (Deergh Sandhi Ki Paribhasha )
जब ( अ , आ ) के साथ ( अ , आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , जब ( इ , ई ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है। अथार्त सूत्र –

अक: सवर्ण दीर्घ:
अ + आ = आ

इ + ई = ई

ई + इ = ई

ई + ई = ई

उ + ऊ = ऊ

ऊ + उ = ऊ

ऊ + ऊ = ऊ मतलब अक प्रत्याहार के बाद अगर सवर्ण हो तो दो मिलकर दीर्घ बनते हैं। दूसरे शब्दों में हम कहें तो जब दो सुजातीय स्वर आस – पास आते हैं तब जो स्वर बनता है उसे सुजातीय दीर्घ स्वर कहते हैं , इसी को स्वर संधि की दीर्घ संधि कहते हैं। इसे ह्रस्व संधि भी कहते हैं।

दीर्घ संधि के उदहारण – Deergh Sandhi ke Udaharan:

धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
रवि + इंद्र = रविन्द्र
गिरी +ईश = गिरीश
मुनि + ईश =मुनीश
मुनि +इंद्र = मुनींद्र
भानु + उदय = भानूदय
वधू + ऊर्जा = वधूर्जा
विधु + उदय = विधूदय
भू + उर्जित = भुर्जित
अत्र + अभाव= अत्राभाव
कोण + अर्क= कोणार्क
विद्या + अर्थी= विद्यार्थी
लज्जा + अभाव= लज्जाभाव
गिरि + इन्द्र= गिरीन्द्र
पृथ्वी + ईश= पृथ्वीश
भानु + उदय= भानूदय
यह भी पढ़े: वर्ण किसे कहते है, स्वर, व्यंजन, भेद

2. गुण संधि Gun Sandhi Ki Paribhasha :
अ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर ‘ए’; उ, ऊ का मेल होने पर ‘ओ’; तथा ऋ का मेल होने पर ‘अर्’ हो जाने का नाम गुण संधि है। अ + इ = ए अ + ई = ए आ + इ = ए आ + ई = ए अ + उ = ओ आ + उ = ओ अ + ऊ = ओ आ + ऊ = ओ अ + ऋ = अर् आ + ऋ = अर् गुण संधि के उदहारण Gun Sandhi Ke Udaharan:

नर + इंद्र + नरेंद्र
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश
भारत + इंदु = भारतेन्दु
देव + ऋषि = देवर्षि
सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण
देव + इन्द्र= देवन्द्र
महा + इन्द्र= महेन्द्र
महा + उत्स्व= महोत्स्व
गंगा + ऊर्मि= गंगोर्मि
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