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शरीर का कवच त्वचा, बाल और नाख़ून | Sharir Ka Kavach Tvacha, Baal Or Nakhun | अज्ञात – Unknown
Title शरीर का कवच त्वचा, बाल और नाख़ून | Sharir Ka Kavach Tvacha, Baal Or Nakhun Author अज्ञात – Unknown Keywords बाल पुस्तकें / Children, विज्ञान / Science, स्वास्थ्य / Health #शरर #क #कवच #तवच #बल #और #नख़न #Sharir #Kavach #Tvacha #Baal #Nakhun ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post शरीर का कवच त्वचा, बाल और नाख़ून | Sharir Ka Kavach Tvacha, Baal Or Nakhun
| अज्ञात – Unknown
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श्री कृष्ण कवच | Krishna Kavacham PDF in Hindi
श्री कृष्ण कवच | Krishna Kavacham PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-krishna-kavacham-663.jpg">श्री कृष्ण कवच | Krishna Kavacham</a>PDF Name<b>श्री कृष्ण कवच | Krishna Kavacham PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.48 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
श्री कृष्ण कवच | Krishna Kavacham Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, आप इस लेख के माध्यम से श्री कृष्ण कवच PDF प्राप्त कर सकते हैं। श्री कृष्ण कवच भगवान् श्री कृष्ण को समर्पित एक बहुत ही चमत्कारी स्तोत्र है। इस स्तोत्र के द्वारा आप अपने जीवन में आने वाले अनेक प्रकार के कष्टों का नाश कर सकते हैं। कृष्ण जी को हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व दिया गया है।श्री कृष्ण हिन्दू धर्म में अत्यधिक पूजे जाने वाले देवों में से एक हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा होने पर व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के शुभकर्मो का आगमन होता है तथा जीवन प्रसन्नता से भर जाता है। श्री कृष्ण कवच का विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में वैवाहिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। कृष्ण कवच इन हिंदी / Krishna Kavacham Lyricsप्रणम्य देवं विप्रेशं प्रणम्य च सरस्वतीम् ।प्रणम्य च मुनीन् सर्वान् सर्वशास्त्रविशारदान् ॥ १॥श्रीकृष्णकवचं वक्ष्ये श्रीकीर्तिविजयप्रदम् ।कान्तारे पथि दुर्गे च सदा रक्षाकरं नृणाम्  ॥ २॥स्मृत्वा नीलाम्बुदश्यामं नीलकुञ्चितकुन्तलम् ।बर्हिपिञ्छलसन्मौलिं शरच्चन्द्रनिभाननम् ॥ ३॥राजीवलोचनं राजद्वेणुना भूषिताधरम् ।दीर्घपीनमहाबाहुं श्रीवत्साङ्कितवक्षसम् ॥ ४॥भूभारहरणोद्युक्तं कृष्णं गीर्वाणवन्दितम् ।निष्कलं देवदेवेशं नारदादिभिरर्चितम् ॥ ५॥नारायणं जगन्नाथं मन्दस्मितविराजितम् ।जपेदेवमिमं भक्त्या मन्त्रं सर्वार्थसिद्धये   ॥ ६॥सरर्वदोषहरं पुण्यं सकलव्याधिनाशनम् ।वसुदेवसुतः पातु मूर्धानं मम सरर्वदा  ॥ ७॥ललाटं देवकीसूनुः भ्रूयुग्मं नन्दनन्दनः ।नयनौ पूतनाहन्ता नासां शकटमर्द्दनः  ॥ ८॥यमलार्जुनहृत्कर्णौकि कपोलौ नगमर्द्दनः ।दन्तान् गोपालकः पोतु जिह्वां हय्यङ्गवीनभुक् ॥ ९॥ओष्ठं धेनुकजित्पायादधरं केशिनाशनः ।चिबुकं पातु गोविन्दो बलदेवानुजो मुखम् ॥ १०॥अक्रूरसहितः कण्ठं कक्षौ दन्तिवरान्तकः ।भुजौ चाणूरहारिर्मे करौ कंसनिषूदनः ॥ ११॥वक्षो लक्ष्मीपतिः पातु हृदयं जगदीश्वरः ।उदरं मधुरानाथो नाभिं द्वारवतीपतिः ॥ १२॥रुग्मिणीवल्लभः पृष्ठं जघनं शिशुपालहा ।ऊरू पाण्डवदूतो मे जानुनी पार्थसारथिः  ॥ १३॥विश्वरूपधरो जङ्घे प्रपदे भूमिभारहृत् ।चरणौ यादवः पातु पातु विघ्नोऽखिलं वपुः ॥ १४॥दिवा पायाज्जगन्नाथो रात्रौ नारायणः स्वयम् ।सरर्वकालमुपासीरिस्सर्वकामार्थसिद्धये ॥ १५॥इदं कृष्णबलोपेतं यः पठेत् कवचं नरः ।सर्वदाऽऽर्तिभयान्मुक्तः कृष्णभक्तिं समाप्नुयात् ॥ १६॥इति श्रीकृष्णकवचं सम्पूर्णम् । श्री कृष्ण आरती / Krishna Aarti in Hindi Lyricsगले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की॥श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की॥श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।स्मरन ते होत मोह भंगा;बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की॥श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की॥श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥आरती कुंजबिहारी कीश्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ x2आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥<strong>You can download Krishna Kavacham PDF by clicking on the following download button.</strong>#शर #कषण #कवच #Krishna #Kavacham #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%83%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%a3-%e0%a4%95%e0%a4%b5%e0%a4%9a-krishna-kavacham-pdf-in-hindi">श्री कृष्ण कवच |…
शनि कवच स्तोत्र | Shani Kavach PDF in Hindi
शनि कवच स्तोत्र | Shani Kavach PDF Detailsशनि कवच स्तोत्र | Shani KavachPDF Nameशनि कवच स्तोत्र | Shani Kavach PDFNo. of Pages5PDF Size0.53 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
शनि कवच स्तोत्र | Shani Kavach Hindi PDF Summaryनमस्कार मित्रों, इस लेख के द्वारा आप शनि कवच स्तोत्र PDF प्राप्त कर सकते हैं । शनि कवच भगवान शनि को समर्पित एक असरकारी स्तोत्र है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि देव समस्त प्रकार के कर्मों के अनुसार व्यक्तियों को कर्मफल देते हैं। शनि देव का पूजन करने से आप अनेक प्रकार के कष्टों से बच सकते हैं।शनि देव को आसानी से प्रसन्न करने के लिए आप शनि कवच का पाठ कर सकते हैं। जो लोग शनि देव के कारण होने वाली समस्याओं से पीड़ित हैं तथा आपकी कुंडली में यदि शनि की महादशा व अन्तर्दशा चल रही है तो आप उन सभी समस्याओं से शनि कवच स्तोत्र का नियमित पाठ करने से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं । शनि कवच हिन्दी / Shani Kavacham in Hindi PDFअथ श्री शनिकवचम्अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः IIअनुष्टुप् छन्दः II शनैश्चरो देवता II शीं शक्तिः IIशूं कीलकम् II शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः IIनीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान् ।चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।1।।श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महत् ।कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम् ।।2।।कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम् ।शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम् ।।3।।ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन: ।नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज: ।।4।।नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा ।स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज: ।।5।।स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद: ।वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता ।।6।।नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा ।ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा ।।7।।पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल: ।अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन: ।।8।।इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य: ।न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज: ।।9।।व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा ।कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि: ।।10।।अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे ।कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित् ।।11।।इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु: ।।12।। शनि देव की आरती | Shani Dev Ki Aarti Lyrics in Hindiजय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥जय जय श्री शनि देव….श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥जय जय श्री शनि देव….क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥जय जय श्री शनि देव….मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥जय जय श्री शनि देव….देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।You can download Shani Kavach in Hindi PDF by clicking on the following download button.#शन #कवच #सततर #Shani #Kavach #PDF #HindiThe post शनि कवच स्तोत्र | Shani Kavach PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गायत्री कवच | Gayatri Kavacham PDF in Hindi
गायत्री कवच | Gayatri Kavacham PDF Detailsगायत्री कवच | Gayatri KavachamPDF Nameगायत्री कवच | Gayatri Kavacham PDFNo. of Pages8PDF Size0.13 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable atsanskritdocuments.orgDownload LinkAvailable Downloads26
गायत्री कवच | Gayatri Kavacham Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं गायत्री कवच PDF / Gayatri Kavacham PDF in Hindi जिसमे आपको गायत्री माँ के सरे मंत्र पढ़ने को मिलेंगी। हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। ब्रह्मा जी कहते हैं कि यह गायत्री कवच सर्वपावन है, पुण्य का दाता, पापों का नाशक पवित्र व समस्त रोगों का निवारण करने वाला है। इसके केवल जप मात्र से सभी यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है तथा चतुर्विध पुरुषार्थ की उपलब्धि होती है। यहाँ से आप गायत्री कवचम् PDF | Gayatri Kavacham in Hindi PDF बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।जो साधक तीनों संध्याओं में इस कवच का पाठ करता है| उसकी समस्त कामनायें पूर्ण होती हैं| वह सभी शास्त्रों का तत्त्व समझ लेता है। जिस कारण वे देवताओं में भी उत्तम हो जाता है।गायत्री कवच PDF | Gayatri Kavacham PDF in Hindi॥ श्री गायत्री कवचम् ॥
ओं अस्य श्रीगायत्रीकवचस्य, ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छन्दः, गायत्री देवता, भूः बीजम्, भुवः शक्तिः, स्वः कीलकं, गायत्री प्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।ध्यानम् –
पञ्चवक्त्रां दशभुजां सूर्यकोटिसमप्रभाम् ।
सावित्रीं ब्रह्मवरदां चन्द्रकोटिसुशीतलाम् ॥ १ ॥त्रिनेत्रां सितवक्त्रां च मुक्ताहारविराजिताम् ।
वराभयाङ्कुशकशाहेमपात्राक्षमालिकाम् ॥ २ ॥शङ्खचक्राब्जयुगलं कराभ्यां दधतीं वराम् ।
सितपङ्कजसंस्थां च हंसारूढां सुखस्मिताम् ॥ ३ ॥ध्यात्वैवं मानसाम्भोजे गायत्रीकवचं जपेत् ॥ ४ ॥ओं ब्रह्मोवाच ।
विश्वामित्र महाप्राज्ञ गायत्रीकवचं शृणु ।
यस्य विज्ञानमात्रेण त्रैलोक्यं वशयेत् क्षणात् ॥ ५ ॥सावित्री मे शिरः पातु शिखायां अमृतेश्वरी ।
ललाटं ब्रह्मदैवत्या भ्रुवौ मे पातु वैष्णवी ॥ ६ ॥कर्णौ मे पातु रुद्राणी सूर्या सावित्रिकाऽम्बिका ।
गायत्री वदनं पातु शारदा दशनच्छदौ ॥ ७ ॥द्विजान् यज्ञप्रिया पातु रसनायां सरस्वती ।
साङ्ख्यायनी नासिकां मे कपोलौ चन्द्रहासिनी ॥ ८ ॥चिबुकं वेदगर्भा च कण्ठं पात्वघनाशिनी ।
स्तनौ मे पातु इन्द्राणी हृदयं ब्रह्मवादिनी ॥ ९ ॥उदरं विश्वभोक्त्री च नाभौ पातु सुरप्रिया ।
जघनं नारसिंही च पृष्ठं ब्रह्माण्डधारिणी ॥ १० ॥पार्श्वौ मे पातु पद्माक्षी गुह्यं गोगोप्त्रिकाऽवतु ।
ऊर्वोरोङ्काररूपा च जान्वोः सन्ध्यात्मिकाऽवतु ॥ ११ ॥जङ्घयोः पातु अक्षोभ्या गुल्फयोर्ब्रह्मशीर्षका ।
सूर्या पदद्वयं पातु चन्द्रा पादाङ्गुलीषु च ॥ १२ ॥सर्वाङ्गं वेदजननी पातु मे सर्वदाऽनघा ।
इत्येतत्कवचं ब्रह्मन् गायत्र्याः सर्वपावनम् ॥ १३ ॥पुण्यं पवित्रं पापघ्नं सर्वरोगनिवारणम् ।
त्रिसन्ध्यं यः पठेद्विद्वान् सर्वान् कामानववाप्नुयात् ॥ १४ ॥सर्वशास्त्रार्थतत्त्वज्ञः स भवेद्वेदवित्तमः ।
सर्वयज्ञफलं प्राप्य ब्रह्मान्ते समवाप्नुयात् ।
प्राप्नोति जपमात्रेण पुरुषार्थांश्चतुर्विधान् ॥ १५ ॥इति श्रीविश्वामित्रसंहितोक्तं गायत्रीकवचं ।गायत्री कवचम् PDF | Gayatri Kavacham in Hindi PDFनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गायत्री कवच PDF / Gayatri Kavacham PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गयतर #कवच #Gayatri #Kavacham #PDF #HindiThe post गायत्री कवच | Gayatri Kavacham PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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केतु कवच | Ketu Kavacham PDF in Hindi
केतु कवच | Ketu Kavacham PDF Detailsकेतु कवच | Ketu KavachamPDF Nameकेतु कवच | Ketu Kavacham PDFNo. of Pages4PDF Size0.50 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
केतु कवच | Ketu Kavacham Hindi PDF Summaryप्रिय पाठकों, इस लेख के द्वारा आप केतु कवच PDF निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। केतु ग्रह को अश्विनी, मघा एवं मूल नक्षत्र तीन नक्षत्रों का स्वामी माना जाता है। हालाँकि केतु एक क्रूर ग्रह है लेकिन जीवन में अनेक ऐसे क्षेत्र होता हैं, जिन्हें केतु नियंत्रित व प्रभावित करता है। केतु का के भाई अथवा अंग राहु कहलाता है तथा जातक की कुंडली में राहु व केतु की युति से कालसर्प योग बनता है।हमने अपने प्रिय पाठकों के लिए केतु शांति का एक बहुत ही शुलभ मार्ग बतलाया है। केतु कवच एक ऐसा स्तोत्र है जिसके नियमित पाठ से आप केतु द्वारा उत्पन्न किये गए गंभीर परिणामों से अपने आप का बचाव कर सकते हैं, साथ ही अपने परिवार की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं। इस लेख के अंत में आपको केतु कवच PDF का डाउनलोड बटन मिलेगा जिसके द्वारा आप मात्र एक क्लिक करके इस कवच को प्राप्त कर सकते हैं। केतु कवच स्तोत्र / Ketu Kavacham Lyrics in Sanskrit PDF ।। केतुकवचम् ।।ॐ अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य त्र्यम्बक ॠषिः ।अनुष्टुप्छन्दः । केतुर्देवता ।कं बीजं । नमः शक्तिः ।केतुरिति कीलकम् ।केतुकृत पीडा निवारणार्थे, सर्वरोगनिवारणार्थे,सर्वशत्रुविनाशनार्थे, सर्वकार्यसिद्ध्यर्थे,केतुप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।श्रीगणेशाय नमः ।केतुं करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥ १॥चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः ।पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥ २॥घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः ।पातु कण्ठं च मे केतुः स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः ॥ ३॥हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः ।सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥ ४॥ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी मेऽतिकोपनः ।पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिङ्गलः ॥ ५॥य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।सर्वशत्रुविनाशं च धारणाद्विजयी भवेत् ॥ ६॥॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे केतुकवचं सम्पूर्णम् ॥ केतु कवच के लाभ / Ketu Kavacham PDF Benefits in Hindiकेतु कवच के पाठ से केतु की महादशा व अन्तर्दशा में लाभ होता है।यदि आप विधिवत केतु कवच का पाठ करते हैं, तो कुंडली में केतु के नकारात्मक प्रभाव नहीं होते हैं।केतु व राहु की पूजन से कालसर्प दोष का निवारण होता है।केतु एक क्रूर ग्रह है, अतः आप केतु कवच के माध्यम से केतु के क्रूर प्रभाव से बच सकते हैं।इस कवच के फलस्वरूप आप केतु शांति भी कर सकते हैं। You may also like :राहु स्तोत्र | Rahu Stotram PDF in Hindi केतु कवच PDF को निशुल्क प्राप्त करने के लिए नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।You can download the Ketu Kavacham in Hindi PDF by clicking on the following download button.#कत #कवच #Ketu #Kavacham #PDF #HindiThe post केतु कवच | Ketu Kavacham PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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