eBookmela
10.1K subscribers
1 video
33 files
32.5K links
[ebookmela.co.in] Download any book any time any format, eBookmela gives you lots of possibilities to download any book. here you can download eBook, pdf book, ...
Download Telegram
सर्वार्थसिद्धि व्रत [ १ से 9] | Sarvartha Siddhi Vrat [ 1 Se 9 ]
Title सर्वार्थसिद्धि व्रत [ १ से 9] | Sarvartha Siddhi Vrat [ 1 Se 9 ] Author अज्ञात – Unknown Keywords धार्मिक / Religious #सरवरथसदध #वरत #१ #स #Sarvartha #Siddhi #Vrat ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post सर्वार्थसिद्धि व्रत [ १ से 9] | Sarvartha Siddhi Vrat [ 1 Se 9 ] appeared first on eBookmela. upload by free hindi books

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/31nqSUp
श्रावक का परिग्रह परिमाण व्रत | Shravak Ka Parigrah Pariman Vrat
Title श्रावक का परिग्रह परिमाण व्रत | Shravak Ka Parigrah Pariman Vrat Author सेठ ताराचंदजी गेखड़ा – Seth Taarachandji Gekhada Keywords जैन धर्म / Jain Dharm #शरवक #क #परगरह #परमण #वरत #Shravak #Parigrah #Pariman #Vrat ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post श्रावक का परिग्रह परिमाण व्रत | Shravak Ka Parigrah Pariman Vrat appeared first on eBookmela. upload by free hindi books

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3IIL4RA
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF Detailsस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat KathaPDF Nameस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.51 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप स्कंद षष्ठी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय के विभिन्न्न पवित्र नामों में से एक नाम स्कन्द भी है। भगवान् कार्तिकेय जी की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाता है। स्कन्द भगवान् को युद्ध का देवता तथा देवताओं का सेनापति कहा जाता है।स्कन्द भगवान् की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है तथा व्यक्ति के अंदर आत्मशक्ति का संचार होता है। व्यक्ति में यदि आत्मबल हो तो वह विभिन्न प्रकार के कष्टों से बच सकता है तथा शत्रुओं से भी आत्मरक्षा कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय का अवतार एक अत्यधिक दुष्ट राक्षस के वध के लिए हुआ था। यदि आप भी स्कन्द षष्टी का व्रत करना चाहते हैं तो स्कन्द षष्टी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।स्कन्द षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Katha PDFपुराणों में कुमार कार्तिकेय के जन्म का वर्णन मिलता है। जब असुरों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था तब देवगण को असुरों से पराजय का सामना करना पड़ा था। देवताओं के निवास स्थान पर भी असुरों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। सभी देवगण असुरों को आतंक से इतने परेशान हो चुके थे कि वो सभी मिलकर भगवान ब्रह्मा के पास गए और मदद की प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही इन असुरों का नाश होगा। लेकिन इस समय भगवान शिव माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे।तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो।इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं। तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं। इसके बाद शिवजी का विवाह माता पार्वती से हो जाता है। इस तरह भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है। फिर भगवान कार्तिकेय असुरों के राजा तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका निवास स्थान वापस प्रदान करते हैं।भगवान कार्तिकेय की आरती | Lord Kartikeya Aarti in Hindiजय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोराजय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्यामजय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वरजय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मीजय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ताजय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतारजय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेशजय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।You can download Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#सकद #षषठ #वरत #कथ #Skanda #Sashti #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3BzMURu
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF Detailsगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat KathaPDF Nameगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDFNo. of Pages5PDF Size0.81 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भागवत पुराण में, कृष्ण एक मूसलधार बारिश से वृंदावन के लोगों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पहाड़ी उठाते हैं। वैष्णवों को याद रखने के लिए यह एक विशेष दिन है। यह उन लोगों के लिए सुरक्षा का परमेश्वर का वादा माना जाता है जो उसकी शरण चाहते हैं। यहाँ से आप अन्नकूट व्रत कथा PDF / Annkut Vrat Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।जो लोग समर्पित हैं वे गोवर्धन पहाड़ी के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व में भगवान को भोजन प्रसाद का एक पूरा पहाड़ चढ़ाते हैं और भगवान में अपना विश्वास हासिल करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया भर के प्रमुख हिंदू धर्मों में मनाया जाता है।गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindiएक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।अन्नकूट व्रत कथा PDF | Annkut Vrat Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गवरधन #पज #वरत #कथ #Govardhan #Puja #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3H1sr9i
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार मित्रांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुमच्यासाठी अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. अहोई अष्टमीच्या दिवशी माता आपल्या मुलाच्या कल्याणासाठी पहाटेपासून ते संध्याकाळपर्यंत उपवास करतात. सायंकाळच्या वेळी आकाशातील तारे पाहून उपवास मोडला जातो. काही स्त्रिया चंद्राचे दर्शन घेतल्यानंतर उपवास सोडतात परंतु अहोई अष्टमीला चंद्रोदय रात्री उशिरा असल्याने त्याचे पालन करणे कठीण असते.अहोई अष्टमीचा उपवास करवा चौथच्या चार दिवसांनी आणि दिवाळी पूजेच्या आठ दिवस आधी येतो. करवा चौथप्रमाणे उत्तर भारतात अहोई अष्टमी अधिक प्रसिद्ध आहे. अहोई अष्टमीचा दिवस अहोई आथेन म्हणूनही ओळखला जातो कारण हा उपवास अष्टमी तिथीच्या वेळी पाळला जातो, जो महिन्याच्या आठव्या दिवशी असतो. करवा चौथ प्रमाणे, अहोई अष्टमी हा देखील कडक उपवासाचा दिवस आहे आणि अनेक स्त्रिया दिवसभर पाणी देखील घेत नाहीत. आकाशातील तारे पाहूनच उपवास मोडतो.अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathiएकेकाळी एका गावात एक सावकार राहत होता. त्याचे पूर्ण कुटुंब होते. त्यांना 7 मुलगे, एक मुलगी आणि 7 सून होत्या. दीपावलीच्या काही दिवस अगोदर तिची मुलगी तिच्या वहिनींसोबत घर रंगविण्यासाठी जंगलातून स्वच्छ माती आणण्यासाठी गेली होती. जंगलातील माती काढत असताना शाईच्या चिमुकल्याचा खपल्यातून मृत्यू झाला. या घटनेने दु:खी झालेल्या स्याहूच्या आईने सावकाराच्या मुलीला कधीही आई न होण्याचा शाप दिला. त्या शापाच्या प्रभावामुळे सावकाराच्या मुलीच्या गर्भाला बंध पडला.सावकाराची मुलगी शापाने दु:खी झाली. त्यांनी वहिनींना सांगितले की त्यांच्यापैकी कोणीही आपल्या गर्भाला बांधावे. वहिनीचे बोलणे ऐकून धाकटी वहिनी तयार झाली. त्या शापाच्या दुष्परिणामांमुळे त्यांचे मूल फक्त सात दिवस जगले. जेव्हा तिने मुलाला जन्म दिला तेव्हा ती सात दिवसात मरायची. ती अस्वस्थ झाली आणि तिने एका पंडिताला भेटून उपाय विचारला.पंडिताच्या सांगण्यावरून त्यांनी सुरही गायीची सेवा सुरू केली. त्याच्या सेवेवर खूश होऊन गाय एके दिवशी त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते. वाटेत गरुड पक्ष्याला मारणार आहे, पण सावकाराची धाकटी सून सापाला मारून पक्ष्याला जीवदान देते. तेवढ्यात त्या गरुड पक्ष्याची आई येते. संपूर्ण घटना ऐकून ती प्रभावित होते आणि त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते.सावकाराच्या धाकट्या सुनेच्या परोपकाराबद्दल आणि सेवेबद्दल स्याहूची आई जेव्हा ऐकते तेव्हा तिला आनंद होतो. मग तिला सात मुलांची आई होण्याचा आशीर्वाद देतो. आशीर्वादाच्या प्रभावाने सावकाराच्या धाकट्या सुनेला सात मुलगे झाले, ज्यातून तिला सात सून झाल्या. त्याचे कुटुंब मोठे आणि भरलेले आहे. ती आनंदी जीवन जगते. अहोई मातेची पूजा केल्यानंतर अहोई अष्टमी व्रताची कथा अवश्य ऐकावी.Here you can download the अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#अहई #अषटम #वरत #कथ #मरठ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3LTIPfM
અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati
અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsઅહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameઅહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageGujaratiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha Gujarati PDF SummaryFriends, today we are going to upload the અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati language to help our daily users. On the day of Ahoi Ashtami, mothers fast from dawn (dawn) to dusk (evening) for the well-being of their sons. During the evening the fast is broken after seeing the stars in the sky. Some women break the fast after sighting the moon but it is difficult to follow because the moonrise is late in the night on Ahoi Ashtami.Ahoi Ashtami fasting day falls four days after Karva Chauth and eight days before Diwali Puja. Ahoi Ashtami is more famous in North India than Karva Chauth. The day of Ahoi Ashtami is also known as Ahoi Aathen as this fast is observed during Ashtami Tithi, which is the eighth day of the month.અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujaratiએક સમયે એક નગરમાં એક શાહુકાર રહેતો હતો. તેમનો સંપૂર્ણ પરિવાર હતો. તેમને 7 પુત્રો, એક પુત્રી અને 7 પુત્રવધૂ હતા. દીપાવલીના થોડા દિવસો પહેલા, તેની પુત્રી તેની ભાભી સાથે ઘરને રંગવા માટે જંગલમાંથી સ્વચ્છ માટી લેવા ગઈ હતી. જંગલમાં માટી કાઢતી વખતે શાહીનું બાળક સ્કેબાર્ડમાંથી મૃત્યુ પામ્યું. આ ઘટનાથી દુઃખી થઈને, સ્યાહુની માતાએ શાહુકારની પુત્રીને ક્યારેય માતા ન બનવાનો શ્રાપ આપ્યો. એ શ્રાપની અસરથી શાહુકારની દીકરીનો ગર્ભ બંધાઈ ગયો.શાહુકારની દીકરી શ્રાપથી દુઃખી થઈ ગઈ. તેણે ભાભીને કહ્યું કે તેમાંથી કોઈ પણ તેને ગર્ભાશયમાં બાંધી લે. ભાભીની વાત સાંભળીને સૌથી નાની ભાભી તૈયાર થઈ ગઈ. એ શ્રાપના દુષ્પ્રભાવને લીધે તેનું બાળક માત્ર સાત દિવસ જ જીવ્યું. જ્યારે પણ તે બાળકને જન્મ આપતી ત્યારે તે સાત દિવસમાં મૃત્યુ પામતી. તે નારાજ થઈ અને એક પંડિતને મળ્યો અને તેનો ઉપાય પૂછ્યો.પંડિતની સલાહ પર તેણે સુરખી ગાયની સેવા કરવાનું શરૂ કર્યું. તેની સેવાથી ખુશ થઈને ગાય તેને એક દિવસ સ્યાહુની માતા પાસે લઈ જાય છે. રસ્તામાં ગરુડ પક્ષીને મારવા જઈ રહ્યો છે, પરંતુ શાહુકારની નાની વહુ સાપને મારીને પક્ષીને જીવતદાન આપે છે. એટલામાં એ ગરુડ પક્ષીની માતા આવે છે. આખી ઘટના સાંભળીને તે પ્રભાવિત થાય છે અને તેને સ્યાહુની માતા પાસે લઈ જાય છે.જ્યારે સ્યાહુની માતા શાહુકારની નાની વહુના પરોપકાર અને સેવા વિશે સાંભળે છે, ત્યારે તે ખુશ થાય છે. પછી તેણીને સાત બાળકોની માતા બનવાના આશીર્વાદ આપે છે. આશીર્વાદની અસરથી, શાહુકારની નાની વહુને સાત પુત્રો છે, જેમાંથી તેને સાત પુત્રવધૂ છે. તેમનો પરિવાર મોટો અને ભરપૂર છે. તેણી સુખી જીવન જીવે છે. આહોઈ માતાની પૂજા કર્યા પછી આહોઈ અષ્ટમી વ્રતની કથા અવશ્ય સાંભળવી.Here you can download the અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati by click on the link given below.#અહઇ #અષટમ #વરત #કથ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #GujaratiThe post અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3JMxX1k
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/ahoi-ashtami-vrat-kahani-371.jpg">अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani</a>PDF Name<b>अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.51 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani Hindi PDF SummaryIn this article, we are going to share अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi for our daily users. Ahoi Ashtami fast is observed on the eighth day of Krishna Paksha of Kartik month. Mothers keep this fast for their children. By observing this fast according to the law, the health of the child remains good and the child has a long life. Women who observe Ahoi Ashtami fast, offer Arghya to the stars during night time by Karwa.This fast is traditionally very popular all over India and is performed by women on a large scale for their children. If you are also observing this fast, then definitely read the fast story of Shri Ahoi Ashtami Mata.अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindiपूजा के दौरान साहूकार की कथा को पढ़ना या सुनना अनिवार्य बताया गया है. इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थीं. इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी. दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और बेटी मिट्टी लाने जंगल गईं. बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी.मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया. स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली कि तुमने मेरे बच्चे को मारा है, अब मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी. स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से बचाने की गुहार लगाने लगी और भाभियों से विनती करने लगी कि वे उसकी जगह पर अपनी कोख बंधवा लें. सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी को अपनी ननद पर तरस आ गया और वो उसने स्याहु से कहा कि आप मेरी कोख बांधकर अपने क्रोध को समाप्त कर सकती हैं.स्याहु ने उसकी कोख बांध दी. इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वे जीवित नहीं बचे. सात दिन बाद उनकी मौत हो जाती थी. इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका उपाय पूछा गया तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी. सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहू से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है. तब छोटी बहू कहती है कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं. आप मेरी कोख खुलवा दें तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी.सेवा से प्रसन्न सुरही छोटी बहु को स्याहु माता के पास ले जाती है. वहां जाते समय रास्ते में दोनों थक कर आराम करने लगते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. तभी छोटी बहू सांप को मार देती है. इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और अपने बच्चे को जीवित देखकर प्रसन्न होती है. इसके बाद वो छोटी बहू और सुरही को स्याहु माता के पास पहुंचा देती है. वहां जाकर छोटी बहू स्याहु माता की सेवा करती है. इससे प्रसन्न स्याहु माता, उसे सात पुत्र और सात बहुओं से समृद्ध होने का का आशीर्वाद देती हैं और घर जाकर अहोई माता का व्रत रखने के लिए कहती हैं. इसके प्रभाव से छोटी बहू का परिवार पुत्र और बहुओं से भर जाता है.अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त | Ahoi Ashtami Vrat Shubh Muhurtअहोई अष्टमी रविवार, 28 अक्टूबर, 2021 कोअहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – 05:39 PM से 06:56 PMअवधि – 01 घण्टा 17 मिनटगोवर्धन राधा कुण्ड स्नान बृहस्पतिवार, अक्टूबर 28, 2021 कोतारों को देखने के लिए सांझ का समय – 06:03 PMअहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय – 11:29 PM<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#अहई #अषटम #वरत #कहन #Ahoi #Ashtami #Vrat #Kahani #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%85%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%88-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF Detailsगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat KathaPDF Nameगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.49 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोवत्स द्वादशी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोवत्स द्वादशी को कई क्षेत्रों में बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा इस अवसर पर गाय और बछड़ों की सेवा व पूजा की जाती है।यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। गौ माता तथा उनके बछड़े को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय दूध देती है जो की विभिन्न आहार का श्रोत होता है तथा बैल खेत में हल चलाकर किसान की सहायता करता है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी का व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित गोवत्स द्वादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। बछ बारस व्रत कथा / Bach Baras Vrat Katha in Hindiगोवत्स द्वादशी/बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम ‘सीता’ और दूसरी का नाम ‘गीता’ था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछडे़ से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी।यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछडा़ होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। सीता ने उसी दिन गाय के बछडे़ को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई।उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछडे़ को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल ‘गोवत्स द्वादशी’ है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछडे़ की पूजा करें। इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछडा़ भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।गौ माता की आरती  / Gau Mata Ki Aarti in Hindi Lyricsॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावेYou can download Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गवतस #दवदश #वरत #कथ #Govatsa #Dwadashi #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3BNsbty
करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi
करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF Detailsकरवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja VidhiPDF Nameकरवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDFNo. of Pages3PDF Size0.73 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से हम आपको करवा चौथ व्रत पूजा विधि PDF / Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं तथा पूजन करती हैं। करवा चौथ व्रत के नियम अलग – अलग स्थानों के अनुसार अलग – अलग हो सकते हैं। बहुत सी जगह पर इस व्रत को निर्जला किया जाता है मतलब कि व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप करवा चौथ पूजा विधि PDF / Karwa Chauth Poojan Vidhi PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस साल करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर को है। अगर आप भी इस साल पहली बार व्रत रखने जा रही हैं तो जान लें पूजन साम्रगी, पूजा विधि और सोलह श्रंगार-करवा चौथ व्रत पूजा विधि PDF | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindiकरवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ  करलें और लकड़ी की चौकी बिछाकर  उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें. साथ ही, उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें  थोड़े-से अक्षत डालें।इसके बाद कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें।तीन जगह चार पूड़ी और 4 लड्डू लें, अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी या चीनी के करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध कर रख लें। अब करवाचौथ माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा पढ़ें।पूजा करने के बाद साड़ी के पल्ले और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को खिला दें. वहीं, कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें।पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें. चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग चंद्रमा को  लगाएं. इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।करवा चौथ व्रत में पूजा के लिए आपको मिट्टी का एक करवा और उसका ढक्कन चाहिए।मां गौरी या चौथ माता एवं गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए काली या पीली मिट्ठी चाहिए।पानी के लिए एक लोटागंगाजलगाय का कच्चा दूध, दही एवं देसी घीअगरबत्ती, रूई और एक दीपकअक्षत, फूल, चंदन, रोली, हल्दी और कुमकुममिठाई, शहद, चीनी और उसका बूराबैठने के लिए आसनइत्र, मिश्री, पान एवं खड़ी सुपारीपूजा के लिए पंचामृतअर्घ्य के समय छलनीभोग के लिए फल एवं हलवा-पूड़ीसुहाग सामग्री: महावर, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, कंघा, बिछुआ, चुनरी आदि।Karwa Chauth 2021 Shubh Muhurt | करवा चौथ 2021 शुभ मुहूर्तचतुर्थी तिथि प्रारंभ – रविवारसुबह 03 बजकर 01 मिनट पर (24 अक्टूबर 2021)चतुर्थी तिथि समाप्त – सुबह  05 बजकर 43 मिनटपर (25 अक्टूबर 2021)चंद्रोदय का समय – रात 8 बजकर 16 मिनट परकरवा चौथ पूजा मुहूर्त –  05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 59 मिनट तकनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप करवा चौथ व्रत पूजा विधि PDF / Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#करव #चथ #वरत #पज #वध #Karwa #Chauth #Vrat #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/3pgd4DT
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF Detailsकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat KathaPDF Nameकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.32 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार वाचकांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुम्हाला करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. करवा चौथ हा भारतातील प्रमुख सणांपैकी एक आहे. या दिवशी स्त्रिया आपल्या पतीच्या दीर्घायुष्यासाठी व्रत आणि पूजा करतात. करवा चौथ उपवासाचे नियम वेगवेगळ्या ठिकाणी वेगवेगळे असू शकतात. अनेक ठिकाणी हा उपवास निर्जल केला जातो, म्हणजे उपवासादरम्यान पाणी प्यायले जात नाही. या पोस्टमध्ये दिलेल्या लिंकवर क्लिक करून तुम्ही Karwa Chauth Vrat Katha Book PDF खूप सहज डाउनलोड करू शकता.पण अनेक प्रदेशात या उपवासात पाणी आणि चहाचे सेवन केले जाते. त्यामुळे तुम्ही तुमच्या प्रदेशानुसार उपवास करू शकता. करवा चौथ उपवासाच्या कथेला या व्रतामध्ये खूप महत्त्व आहे. उपवासाच्या यशासाठी, या उपवासाची कथा वाचणे आणि ऐकणे दोन्ही आवश्यक आहे आणि या उपवासाच्या कथेद्वारे आपल्याला या उपवासाचे महत्त्व कळते.करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathiएका ब्राह्मणाला सात मुलगे आणि वीरवती नावाची एकुलती एक मुलगी होती. सात भावांची एकुलती एक बहीण असल्याने वीरावती सर्व भावांची लाडकी होती आणि सर्व भावांनी तिच्यावर जीवापेक्षा जास्त प्रेम केले. काही काळानंतर वीरावतीचे लग्न एका ब्राह्मण तरुणाशी झाले. लग्नानंतर, वीरावती तिच्या माहेरच्या घरी आली आणि मग तिने तिच्या मेहुण्यांसोबत करवा चौथचे व्रत ठेवले, पण संध्याकाळ अखेरीस ती भुकेने व्याकुळ झाली. सर्व भाऊ जेवायला बसले आणि बहिणीलाही जेवण्याचा आग्रह करू लागले, पण बहिणीने सांगितले की आज करवा चौथचा निर्जल उपवास आहे आणि चंद्र पाहून अर्घ्य दिल्यावरच अन्न खाऊ शकतो. पण चंद्र अजून बाहेर आलेला नाही, म्हणून ती भूक आणि तहानाने त्रस्त आहे.वीरवतीची ही अवस्था तिच्या भावांनी पाहिली नाही आणि मग एक भाऊ पिंपळाच्या झाडावर दिवा लावून चाळणीत ठेवतो. दुरून पाहिलं तर चंद्र बाहेर आल्यासारखं वाटलं. तेवढ्यात एक भाऊ आला आणि त्याने वीरवतीला सांगितले की चंद्र बाहेर आला आहे, तिला अर्घ्य दिल्यावर तू भोजन करू शकतेस. बहिणीने आनंदाने पायऱ्या चढून चंद्राला पाहून अर्घ्य दिले आणि जेवायला बसली.तिने पहिला तुकडा तोंडात टाकताच तिला शिंक आली. दुसरा तुकडा घातल्यावर त्यात केस बाहेर आले. यानंतर तिने तिसरा तुकडा तोंडात घालण्याचा प्रयत्न करताच तिला पतीच्या मृत्यूची बातमी मिळाली.त्याच्या वहिनीने त्याला असे का घडले याची सत्य माहिती दिली. करवा चौथचा उपवास चुकीच्या पद्धतीने मोडल्याबद्दल देवता त्याच्यावर नाराज आहेत. एकदा इंद्राणीची पत्नी इंद्राणी करवाचौथच्या दिवशी पृथ्वीवर आली आणि वीरावती त्याच्याकडे गेली आणि तिच्या पतीच्या संरक्षणासाठी प्रार्थना केली. देवी इंद्राणीने वीरवतीला पूर्ण भक्तिभावाने आणि कर्मकांडाने करवा चौथ व्रत करण्यास सांगितले. यावेळी वीरवतीने करवा चौथचे व्रत पूर्ण भक्तिभावाने ठेवले. तिची भक्ती आणि भक्ती पाहून भगवंत प्रसन्न झाले आणि वीरवती सदासुहागनला तिच्या पतीला जिवंत करण्याचा आशीर्वाद दिला. तेव्हापासून महिलांची करवा चौथ व्रतावर अतूट श्रद्धा सुरू झाली.Karwa Chauth Vrat Katha Book PDFHere you can download the करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#करव #चथ #वरत #कथ #मरठ #Karwa #Chauth #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

via eBookmela
Download Link https://bit.ly/33P2n3N
ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Punjabi
ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ | Karwa Chauth Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/karwa-chauth-vrat-katha-punjabi-333.jpg">ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ | Karwa Chauth Vrat Katha</a>PDF Name<b>ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ | Karwa Chauth Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.28 MB</b>Language<b>Punjabi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ | Karwa Chauth Vrat Katha Punjabi PDF SummaryHere we are going to upload the ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ PDF / Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Punjabi language for our daily users. According to the Hindu calendar, Karva Chauth fast is observed every year on the Chaturthi of Krishna Paksha of Kartik month. This year Karva Chauth is on 24 October 2021. Suhagins keep this fast for the long life of their husbands. On this day, women observe a Nirjala fast and break the fast after seeing the moon at night. It is believed that by doing this the husband gets a long life and the married life is happy. Below we have given the download link for Karwa Chauth Vrat Katha Punjabi PDF / ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ PDF.ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ PDF | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Punjabiਇੱਕ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਦੇ ਸੱਤ ਪੁੱਤਰ ਅਤੇ ਇੱਕਲੌਤੀ ਧੀ ਸੀ ਜਿਸਦਾ ਨਾਮ ਵੀਰਾਵਤੀ ਸੀ। ਸੱਤ ਭਰਾਵਾਂ ਦੀ ਇਕਲੌਤੀ ਭੈਣ ਹੋਣ ਕਰਕੇ, ਵੀਰਾਵਤੀ ਸਾਰੇ ਭਰਾਵਾਂ ਦੀ ਪਿਆਰੀ ਸੀ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਭਰਾ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਤੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਸਨ. ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਵੀਰਾਵਤੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਇੱਕ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਨੌਜਵਾਨ ਨਾਲ ਹੋਇਆ। ਵਿਆਹ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਵੀਰਾਵਤੀ ਆਪਣੇ ਨਾਨਕੇ ਘਰ ਆਈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਉਸਨੇ ਆਪਣੀ ਭਾਬੀ ਦੇ ਨਾਲ ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦਾ ਵਰਤ ਰੱਖਿਆ, ਪਰ ਸ਼ਾਮ ਦੇ ਅੰਤ ਤੱਕ ਉਹ ਭੁੱਖ ਨਾਲ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋ ਗਈ. ਸਾਰੇ ਭਰਾ ਖਾਣਾ ਖਾਣ ਲਈ ਬੈਠ ਗਏ ਅਤੇ ਆਪਣੀ ਭੈਣ ਨੂੰ ਵੀ ਖਾਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ ਕਰਨ ਲੱਗੇ, ਪਰ ਭੈਣ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਅੱਜ ਉਸ ਕੋਲ ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦਾ ਪਾਣੀ ਰਹਿਤ ਵਰਤ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਭੋਜਨ ਚੰਦਰਮਾ ਨੂੰ ਵੇਖ ਕੇ ਅਤੇ ਅਰਗਿਆ ਦੇਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਖਾਧਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਪਰ ਚੰਦਰਮਾ ਅਜੇ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਆਇਆ, ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਭੁੱਖ ਅਤੇ ਪਿਆਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਹੈ.ਵੀਰਾਵਤੀ ਦੀ ਇਹ ਹਾਲਤ ਉਸਦੇ ਭਰਾਵਾਂ ਨੇ ਨਹੀਂ ਵੇਖੀ ਅਤੇ ਫਿਰ ਇੱਕ ਭਰਾ ਪੀਪਲ ਦੇ ਦਰਖਤ ਤੇ ਦੀਵਾ ਬਾਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸਨੂੰ ਇੱਕ ਛਾਲ ਵਿੱਚ ਰੱਖ ਦਿੰਦਾ ਹੈ. ਦੂਰੋਂ ਵੇਖਦਿਆਂ ਉਸ ਨੂੰ ਲੱਗਾ ਜਿਵੇਂ ਚੰਦਰਮਾ ਬਾਹਰ ਆ ਗਿਆ ਹੋਵੇ. ਤਦ ਇੱਕ ਭਰਾ ਨੇ ਆ ਕੇ ਵੀਰਾਵਤੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਚੰਦਰਮਾ ਬਾਹਰ ਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਤੁਸੀਂ ਉਸਨੂੰ ਅਰਘਿਆ ਦੇਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਭੋਜਨ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ. ਭੈਣ ਖੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਪੌੜੀਆਂ ਚੜ੍ਹ ਗਈ ਅਤੇ ਚੰਦਰਮਾ ਨੂੰ ਵੇਖਿਆ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਭੇਟ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਰਘਿਆ ਭੋਜਨ ਖਾਣ ਬੈਠ ਗਈ। ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਸਨੇ ਪਹਿਲਾ ਟੁਕੜਾ ਆਪਣੇ ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ, ਉਸਨੂੰ ਛਿੱਕ ਆ ਗਈ. ਜਦੋਂ ਦੂਜਾ ਟੁਕੜਾ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਤਾਂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਵਾਲ ਬਾਹਰ ਆ ਗਏ. ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਉਸਨੇ ਆਪਣੇ ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਤੀਜਾ ਟੁਕੜਾ ਪਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਮਿਲੀ।ਉਸਦੀ ਭਰਜਾਈ ਉਸਨੂੰ ਸੱਚਾਈ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਕਰਵਾਉਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਅਜਿਹਾ ਕਿਉਂ ਹੋਇਆ. ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦਾ ਵਰਤ ਗਲਤ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਤੋੜਨ ਲਈ ਦੇਵਤੇ ਉਸ ਨਾਲ ਨਾਰਾਜ਼ ਹਨ. ਇਕ ਵਾਰ ਇੰਦਰਾਣੀ ਦੀ ਪਤਨੀ ਇੰਦਰਾਣੀ ਕਰਵਚੌਥ ਦੇ ਦਿਨ ਧਰਤੀ ‘ਤੇ ਆਈ ਅਤੇ ਵੀਰਾਵਤੀ ਉਸ ਕੋਲ ਗਈ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਪਤੀ ਦੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਕੀਤੀ. ਦੇਵੀ ਇੰਦਰਾਣੀ ਨੇ ਵੀਰਾਵਤੀ ਨੂੰ ਪੂਰਨ ਸ਼ਰਧਾ ਅਤੇ ਰੀਤੀ ਰਿਵਾਜ਼ਾਂ ਨਾਲ ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦਾ ਵਰਤ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹਾ. ਇਸ ਵਾਰ ਵੀਰਾਵਤੀ ਨੇ ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦਾ ਵਰਤ ਪੂਰੀ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਰੱਖਿਆ। ਉਸ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾ ਅਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ, ਪ੍ਰਭੂ ਪ੍ਰਸੰਨ ਅਤੇ Veeravati Sadasuhagan ਨੂੰ ਅਸੀਸ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਪਤੀ ਸੁਰਜੀਤ ਕਰਨ ਗਿਆ ਸੀ. ਉਦੋਂ ਤੋਂ, womenਰਤਾਂ ਨੇ ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦੇ ਵਰਤ ਵਿੱਚ ਅਟੁੱਟ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਰੱਖਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ.ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵ੍ਰਤ ਪੂਜਾ ਵਿਧੀ | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi in Punjabiਕਰਵਾ ਚੌਥ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪੂਜਾ ਕਰਨ ਲਈ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਅਤੇ ਇਸਦੇ idੱਕਣ ਦੇ ਇੱਕ ਕਰਵ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ.ਮਾਂ ਗੌਰੀ ਜਾਂ ਚੌਥ ਮਾਤਾ ਅਤੇ ਗਣੇਸ਼ ਜੀ ਦੀ ਮੂਰਤੀ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕਾਲੀ ਜਾਂ ਪੀਲੀ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ.ਪਾਣੀ ਲਈ ਇੱਕ ਘੜਾਗੰਗਾਜਲਗਾਂ ਦਾ ਕੱਚਾ ਦੁੱਧ, ਦਹੀ ਅਤੇ ਦੇਸੀ ਘਿਓਧੂਪ ਡੰਡੇ, ਕਪਾਹ ਅਤੇ ਇੱਕ ਦੀਵਾਅਕਸ਼ਤ, ਫੁੱਲ, ਚੰਦਨ, ਰੋਲੀ, ਹਲਦੀ ਅਤੇ ਕੁਮਕੁਮਮਿਠਾਈਆਂ, ਸ਼ਹਿਦ, ਖੰਡ ਅਤੇ ਇਸਦਾ ਸ਼ਰਬਤਸੀਟ ਸੀਟਅਤਰ, ਸ਼ੂਗਰ ਕੈਂਡੀ, ਸੁਪਾਰੀ ਅਤੇ ਸੁਪਾਰੀਪੂਜਾ ਲਈ ਪੰਚਮ੍ਰਿਤਪੂਜਾ ਦੇ ਸਮੇਂ ਛਾਣਨੀਅਨੰਦ ਲਈ ਫਲ ਅਤੇ ਪੁਡਿੰਗਸ਼ਹਿਦ ਪਦਾਰਥ: ਮਹਾਵਰ, ਮਹਿੰਦੀ, ਬਿੰਦੀ, ਸਿੰਦੂਰ, ਬੰਗਲ, ਕਾਂਘਾ, ਨੈੱਟਲ, ਚੂਨਾਰੀ ਆਦਿ.<strong>Here you can download the ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ PDF / Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Punjabi by click on the link given below.</strong>#ਕਰਵ #ਚਥ #ਵਰਤ #ਦ #ਕਹਣ #Karwa #Chauth #Vrat
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----durga-ashtami-vrat-katha-347.jpg">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha</a>PDF Name<b>दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.72 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha Hindi PDF SummaryToday we are going to share दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi with you. Durga Ashtami is one of the most popular festivals in India. There are many people who observe the Ashtami fast and end the fast of Navratri on this day. You can praise Goddess Durga by doing fast on this day and seek her blessings for you and your family. Goddess Durga is the most worshipped goddess in India. In this article, we have given the download link for नवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDFIf you also want to seek the blessings of Goddess Durga by observing the fast of Durga Ashtami. There are few things you should remember while observing this fast. You should recite the Durga Ashtami Vrat Katha for the completion of your fast.दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindiपौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है।अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त / Durga Puja Muhurat 2021दुर्गा अष्टमी बुधवार, अक्टूबर 13, 2021 कोअष्टमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 12, 2021 को 09:47 पी एम बजेअष्टमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 13, 2021 को 08:07 पी एम बजेअष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्तनवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त: अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:41 AM से 05:31 AM तक है।कैसे करें कन्या पूजन ?कन्या पूजन कोई घर पर तो कोई मंदिर में जाकर करता है।शास्त्रों के अनुसार 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को कंजक पूजा के लिए आमंत्रित करना चाहिए।कन्या पूजन में एक बालक का होना भी जरूरी माना जाता है।कन्या पूजन वाले दिन सबसे पहले माता अम्बे की विधि विधान पूजा कर लें।इसके बाद कन्याओं और बालक के साफ जल से पैर धोएं।फिर कन्याओं और बालक को विराजने के लिए आसन दें।फिर मां दुर्गा के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और सभी कन्याओं और एक बालक को तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें।इसके बाद बालक और कन्याओं को भोजन परोसें।भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार दें।फिर सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।अष्टमी दिन का चौघड़िया मुहूर्तलाभ – 06:26 AM से 07:53 PM
अमृत – 07:53 AM से 09:20 PM
शुभ – 10:46 AM से 12:13 PM
लाभ – 16:32 AM से 17:59 PMनवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDF<strong>You can download दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#दरग #अषटम #वरत #कथ #Durga #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%97%e0%a4%be-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-durga-ashtami-vrat-kath">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://w…