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श्रावक का परिग्रह परिमाण व्रत | Shravak Ka Parigrah Pariman Vrat
Title श्रावक का परिग्रह परिमाण व्रत | Shravak Ka Parigrah Pariman Vrat Author सेठ ताराचंदजी गेखड़ा – Seth Taarachandji Gekhada Keywords जैन धर्म / Jain Dharm #शरवक #क #परगरह #परमण #वरत #Shravak #Parigrah #Pariman #Vrat ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post श्रावक का परिग्रह परिमाण व्रत | Shravak Ka Parigrah Pariman Vrat appeared first on eBookmela. upload by free hindi books

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दोसौबावन वैष्णव की वार्ता | Dosaubavan Vaishnav Ki Varta
Title दोसौबावन वैष्णव की वार्ता | Dosaubavan Vaishnav Ki Varta Author वैष्णव-रामदासजी गुरुश्री गोकुलदासजी – Vaishnav-Ramdasji Gurushri Gokuldasji Keywords संदर्भ पुस्तक / Reference book #दसबवन #वषणव #क #वरत #Dosaubavan #Vaishnav #Varta Download eBook Read OnlineThe post दोसौबावन वैष्णव की वार्ता | Dosaubavan Vaishnav Ki Varta appeared first on eBookmela. upload by free hindi books

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हिंदी भक्त वार्ता साहित्य | Hindi Bhakt Vaarta Shaitya | अज्ञात – Unknown
Title हिंदी भक्त वार्ता साहित्य | Hindi Bhakt Vaarta Shaitya Author अज्ञात – Unknown Keywords आलोचनात्मक / Critique, दार्शनिक / Philosophical #हद #भकत #वरत #सहतय #Hindi #Bhakt #Vaarta #Shaitya ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post हिंदी भक्त वार्ता साहित्य | Hindi Bhakt Vaarta Shaitya
| अज्ञात – Unknown
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गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/----gopashtami-ki-katha--515.jpg">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha</a>PDF Name<b>गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.65 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोपाष्टमी व्रत कथा / Gopashtami Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोपाष्टमी का व्रत गौ माता को समर्पित होता है। यदि आप भी गौ माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत गोपाष्टमी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए। गौ माता की सेवा करने से भगवन कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल गौ माता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् श्री कृष्ण जी भी प्रसन्न होते हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से व्यक्ति के जीवन में दांपत्य सुख एवं प्रेम में वृद्धि होती है। गोपाष्टमी को अनेक क्षेत्रों में गौ अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।गोपाष्टमी की कथा / Gopashtami Vrat Katha PDFप्राचीन काल में एक बार बाल गोपाल (भगवान कृष्ण) जब 6 साल के थे तो मां यशोदा से कहने लगे कि मां अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब मैं बछड़े चराने नहीं जाऊंगा. मैं गौ माता के साथ जाऊंगा. इसपर यशोदा ने बात नन्द बाबा पर टालते हुए कथा कि अच्छा ठीक है लेकिन एक बार बाबा से पूछ तो लो. इसपर भगवान कृष्ण जाकर नंद बाबा से कहने लगे कि अब मैं बछड़े नहीं बल्कि गाय चराने जाया करूंगा. नंद बाबा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन बाल गोपाल के हठ के आगे उनकी एक न चली. फिर नंद बाबा ने कृष्ण से कहा कि ठीक है तो पहले जाकर पंडित जी को बुला लाओ ताकि उनसे गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगाया जा सके.ये सुनकर बाल गोपाल दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और एक सांस में उनसे कह डाला कि- पंडित जी, आपको नंद बाबा ने गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है. आप आज ही शुभ मुहूर्त बताना तो मैं आपको खूब ढेर सारा मक्खन दूंगा.पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग देखकर उसी दिन को गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त बता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि आज के बाद से एक साल तक गौ चारण के लिए कोई भी मुहूर्त शुभ नहीं है.नंद बाबा ने पंडित जी की बात पर विचार करते हुए बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी. भगवान दिन उसी दिन से गाय चराने जाने लगे. जिस दिन से बाल गोपाल ने गौ चारण आरंभ किया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी. भागवान द्वारा उस दिन गाय चराना आरंभ करने की वजह से इसे गोपाष्टमी कहा गया.गौ माता की आरती / Gau Mata Ki Aarti Lyrics in Hindiॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे<strong>You may also Like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/gau-mata-ki-aarti/">गौ माता की आरती | Gau Mata Ki Aarti PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/govatsa-dwadashi-kahani/">गोवत्स द्वादशी की कहानी | Govatsa Dwadashi Ki Kahani PDF in Hindi</a><strong>You can download Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#गपषटम #वरत #कथ #Gopashtami #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-gopashtami-ki-katha-pdf-in-hindi">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="https://www.ebookmela.co.in/aut
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF Detailsस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat KathaPDF Nameस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.51 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप स्कंद षष्ठी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय के विभिन्न्न पवित्र नामों में से एक नाम स्कन्द भी है। भगवान् कार्तिकेय जी की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाता है। स्कन्द भगवान् को युद्ध का देवता तथा देवताओं का सेनापति कहा जाता है।स्कन्द भगवान् की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है तथा व्यक्ति के अंदर आत्मशक्ति का संचार होता है। व्यक्ति में यदि आत्मबल हो तो वह विभिन्न प्रकार के कष्टों से बच सकता है तथा शत्रुओं से भी आत्मरक्षा कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय का अवतार एक अत्यधिक दुष्ट राक्षस के वध के लिए हुआ था। यदि आप भी स्कन्द षष्टी का व्रत करना चाहते हैं तो स्कन्द षष्टी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।स्कन्द षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Katha PDFपुराणों में कुमार कार्तिकेय के जन्म का वर्णन मिलता है। जब असुरों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था तब देवगण को असुरों से पराजय का सामना करना पड़ा था। देवताओं के निवास स्थान पर भी असुरों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। सभी देवगण असुरों को आतंक से इतने परेशान हो चुके थे कि वो सभी मिलकर भगवान ब्रह्मा के पास गए और मदद की प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही इन असुरों का नाश होगा। लेकिन इस समय भगवान शिव माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे।तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो।इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं। तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं। इसके बाद शिवजी का विवाह माता पार्वती से हो जाता है। इस तरह भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है। फिर भगवान कार्तिकेय असुरों के राजा तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका निवास स्थान वापस प्रदान करते हैं।भगवान कार्तिकेय की आरती | Lord Kartikeya Aarti in Hindiजय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोराजय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्यामजय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वरजय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मीजय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ताजय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतारजय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेशजय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।You can download Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#सकद #षषठ #वरत #कथ #Skanda #Sashti #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/-----nagula-chavithi-vratha-katha-292.jpg">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha</a>PDF Name<b>नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.50 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नगुला चविथी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। नगुला चविथी का व्रत नाग देवता को समर्पित होता है। यह पर्व अनेक क्षेत्रों में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यदि आप भी नाग देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत नागुला चविथी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं। भगवन भोलेनाथ की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा आप अपने जीवन में मनोवंछित परिणाम प्रपात कर सकते हैंनगुला चविथी कथा PDF | Nagula Chavithi Vrat Katha PDFजब राजा जन्मेजय ने समस्त नाग जाति के विनाश हेतु सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया, तो संसार के सभी सर्प और नाग आकर यज्ञ वेदी में गिरने लगे। तब नागराज तक्षक ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए इंद्रलोक में शरण ली, किन्तु पुरोहितों के प्रबल मन्त्रों के प्रभाव के कारण तक्षक के साथ ही इंद्र और अन्य देवगण भी यज्ञस्थल की ओर खिंचने लगे। देवताओं ने जब ब्रह्मा जी से रक्षा करने की पुकार लगाई तो उन्होंने मनसा देवी (ब्रह्मा जी की पुत्री और सर्पों की पूज्य माता) के पुत्र ‘अस्तिका’ की सहायता लेने को कहा। अस्तिका महान विद्वान थे और केवल वही इस यज्ञ को रोक सकते थे। देवगण माता मनसा के पास पहुँचे और अपनी व्यथा उनसे कही। तब अपनी माता की आज्ञा और उनके परामर्शानुसार अस्तिका ने वह यज्ञ रुकवाया, और सभी नागों और देवताओं की रक्षा की। नाग चतुर्थी के दिन ही अस्तिका ने देवताओं की सहायता की थी। माता मनसा ने देवताओं और मानव जाति को यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस दिन नागों की पूजा करेगा और इस कथा का श्रवण करेगा उसे शुभफल की प्राप्ति होगी। तभी से इस दिन नाग चतुर्थी उत्सव मनाया जाता है। नाग चतुर्थी के दिन महिलायें घर और मंदिरों में, अथवा बाम्बियों पर जाकर नाग देवताओं की पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाती हैं, और अपने परिवार के मंगल की कामना करती हैं। नवविवाहित स्त्रियाँ स्वस्थ और कुशल संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों का मत है कि नाग या साँप दूध नहीं पीते, इसलिए उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए उन्हें दूध पिलाने के स्थान पर संरक्षण प्रदान करना चाहिए। श्रीशैलम में नाग देवताओं के लिए एक अलग शक्तिशाली वेदी बनी हुई है। नाग/सर्प दोष और राहु-केतु दोष के अशुभ फल से मुक्ति पाने के लिए नाग देवताओं की पूजा करने भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं।नाग देवता की आरती | Naag Devta Ki Aarti Lyrics PDFआरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की।उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते।आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा।श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा ।।दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।<strong>You can download Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#नगल #चवथ #वरत #कथ #Nagula #Chavithi #Vratha #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a8%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-nagula-chavithi-vratha-katha-pdf-in-hindi">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.eb
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF Detailsगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat KathaPDF Nameगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDFNo. of Pages5PDF Size0.81 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भागवत पुराण में, कृष्ण एक मूसलधार बारिश से वृंदावन के लोगों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पहाड़ी उठाते हैं। वैष्णवों को याद रखने के लिए यह एक विशेष दिन है। यह उन लोगों के लिए सुरक्षा का परमेश्वर का वादा माना जाता है जो उसकी शरण चाहते हैं। यहाँ से आप अन्नकूट व्रत कथा PDF / Annkut Vrat Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।जो लोग समर्पित हैं वे गोवर्धन पहाड़ी के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व में भगवान को भोजन प्रसाद का एक पूरा पहाड़ चढ़ाते हैं और भगवान में अपना विश्वास हासिल करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया भर के प्रमुख हिंदू धर्मों में मनाया जाता है।गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindiएक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।अन्नकूट व्रत कथा PDF | Annkut Vrat Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गवरधन #पज #वरत #कथ #Govardhan #Puja #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi PDF in Hindi
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/------rama-ekadashi-puja-vidhi-268.jpg">रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi</a>PDF Name<b>रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.77 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप रमा एकादशी व्रत पूजा विधि PDF / Rama Ekadashi Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं । रमा एकादशी का व्रत अनेक प्रकार के पापों का नाश करता है । यदि आप अपने जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं से पीड़ित हो चुके हैं तो आपको रमा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए । रमा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।माता लक्ष्मी के अनेक शुभ नामों में से एक नाम रमा भी है । अतः इस रमा एकादशी के दिन भगवान श्री हरी विष्णु के साथ माता देवी लक्ष्मी की भी पूजा – अर्चना की जाती है । इस दिन जो व्यक्ति पूरे विधि – विधान से माता लक्ष्मी एवं श्री हरी विष्णु जी की आराधना व पूजन करता है उस व्यक्ति घर में धन व अन्न की आपूर्ति रहती है।रमा एकादशी व्रत की विधि PDF / Rama Ekadashi Vrat Vidhi PDF in Hindiसुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।भगवान की आरती करें।भगवान को भोग लगाएं।इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फसात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।रमा एकादशी आरती PDF / Rama Ekadashi Aarti in Hindiॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/rama-ekadashi-vrat-katha/">रमा एकादशी व्रत कथा | Rama Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi</a><strong>You can download रमा एकादशी व्रत पूजा विधि PDF / Rama Ekadashi Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#रम #एकदश #वरत #पज #वध #Rama #Ekadashi #Puja #Vidhi #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%8f%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%b6%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%bf-rama">रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi…
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार मित्रांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुमच्यासाठी अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. अहोई अष्टमीच्या दिवशी माता आपल्या मुलाच्या कल्याणासाठी पहाटेपासून ते संध्याकाळपर्यंत उपवास करतात. सायंकाळच्या वेळी आकाशातील तारे पाहून उपवास मोडला जातो. काही स्त्रिया चंद्राचे दर्शन घेतल्यानंतर उपवास सोडतात परंतु अहोई अष्टमीला चंद्रोदय रात्री उशिरा असल्याने त्याचे पालन करणे कठीण असते.अहोई अष्टमीचा उपवास करवा चौथच्या चार दिवसांनी आणि दिवाळी पूजेच्या आठ दिवस आधी येतो. करवा चौथप्रमाणे उत्तर भारतात अहोई अष्टमी अधिक प्रसिद्ध आहे. अहोई अष्टमीचा दिवस अहोई आथेन म्हणूनही ओळखला जातो कारण हा उपवास अष्टमी तिथीच्या वेळी पाळला जातो, जो महिन्याच्या आठव्या दिवशी असतो. करवा चौथ प्रमाणे, अहोई अष्टमी हा देखील कडक उपवासाचा दिवस आहे आणि अनेक स्त्रिया दिवसभर पाणी देखील घेत नाहीत. आकाशातील तारे पाहूनच उपवास मोडतो.अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathiएकेकाळी एका गावात एक सावकार राहत होता. त्याचे पूर्ण कुटुंब होते. त्यांना 7 मुलगे, एक मुलगी आणि 7 सून होत्या. दीपावलीच्या काही दिवस अगोदर तिची मुलगी तिच्या वहिनींसोबत घर रंगविण्यासाठी जंगलातून स्वच्छ माती आणण्यासाठी गेली होती. जंगलातील माती काढत असताना शाईच्या चिमुकल्याचा खपल्यातून मृत्यू झाला. या घटनेने दु:खी झालेल्या स्याहूच्या आईने सावकाराच्या मुलीला कधीही आई न होण्याचा शाप दिला. त्या शापाच्या प्रभावामुळे सावकाराच्या मुलीच्या गर्भाला बंध पडला.सावकाराची मुलगी शापाने दु:खी झाली. त्यांनी वहिनींना सांगितले की त्यांच्यापैकी कोणीही आपल्या गर्भाला बांधावे. वहिनीचे बोलणे ऐकून धाकटी वहिनी तयार झाली. त्या शापाच्या दुष्परिणामांमुळे त्यांचे मूल फक्त सात दिवस जगले. जेव्हा तिने मुलाला जन्म दिला तेव्हा ती सात दिवसात मरायची. ती अस्वस्थ झाली आणि तिने एका पंडिताला भेटून उपाय विचारला.पंडिताच्या सांगण्यावरून त्यांनी सुरही गायीची सेवा सुरू केली. त्याच्या सेवेवर खूश होऊन गाय एके दिवशी त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते. वाटेत गरुड पक्ष्याला मारणार आहे, पण सावकाराची धाकटी सून सापाला मारून पक्ष्याला जीवदान देते. तेवढ्यात त्या गरुड पक्ष्याची आई येते. संपूर्ण घटना ऐकून ती प्रभावित होते आणि त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते.सावकाराच्या धाकट्या सुनेच्या परोपकाराबद्दल आणि सेवेबद्दल स्याहूची आई जेव्हा ऐकते तेव्हा तिला आनंद होतो. मग तिला सात मुलांची आई होण्याचा आशीर्वाद देतो. आशीर्वादाच्या प्रभावाने सावकाराच्या धाकट्या सुनेला सात मुलगे झाले, ज्यातून तिला सात सून झाल्या. त्याचे कुटुंब मोठे आणि भरलेले आहे. ती आनंदी जीवन जगते. अहोई मातेची पूजा केल्यानंतर अहोई अष्टमी व्रताची कथा अवश्य ऐकावी.Here you can download the अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#अहई #अषटम #वरत #कथ #मरठ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/ahoi-ashtami-vrat-kahani-371.jpg">अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani</a>PDF Name<b>अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.51 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani Hindi PDF SummaryIn this article, we are going to share अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi for our daily users. Ahoi Ashtami fast is observed on the eighth day of Krishna Paksha of Kartik month. Mothers keep this fast for their children. By observing this fast according to the law, the health of the child remains good and the child has a long life. Women who observe Ahoi Ashtami fast, offer Arghya to the stars during night time by Karwa.This fast is traditionally very popular all over India and is performed by women on a large scale for their children. If you are also observing this fast, then definitely read the fast story of Shri Ahoi Ashtami Mata.अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindiपूजा के दौरान साहूकार की कथा को पढ़ना या सुनना अनिवार्य बताया गया है. इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थीं. इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी. दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और बेटी मिट्टी लाने जंगल गईं. बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी.मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया. स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली कि तुमने मेरे बच्चे को मारा है, अब मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी. स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से बचाने की गुहार लगाने लगी और भाभियों से विनती करने लगी कि वे उसकी जगह पर अपनी कोख बंधवा लें. सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी को अपनी ननद पर तरस आ गया और वो उसने स्याहु से कहा कि आप मेरी कोख बांधकर अपने क्रोध को समाप्त कर सकती हैं.स्याहु ने उसकी कोख बांध दी. इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वे जीवित नहीं बचे. सात दिन बाद उनकी मौत हो जाती थी. इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका उपाय पूछा गया तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी. सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहू से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है. तब छोटी बहू कहती है कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं. आप मेरी कोख खुलवा दें तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी.सेवा से प्रसन्न सुरही छोटी बहु को स्याहु माता के पास ले जाती है. वहां जाते समय रास्ते में दोनों थक कर आराम करने लगते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. तभी छोटी बहू सांप को मार देती है. इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और अपने बच्चे को जीवित देखकर प्रसन्न होती है. इसके बाद वो छोटी बहू और सुरही को स्याहु माता के पास पहुंचा देती है. वहां जाकर छोटी बहू स्याहु माता की सेवा करती है. इससे प्रसन्न स्याहु माता, उसे सात पुत्र और सात बहुओं से समृद्ध होने का का आशीर्वाद देती हैं और घर जाकर अहोई माता का व्रत रखने के लिए कहती हैं. इसके प्रभाव से छोटी बहू का परिवार पुत्र और बहुओं से भर जाता है.अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त | Ahoi Ashtami Vrat Shubh Muhurtअहोई अष्टमी रविवार, 28 अक्टूबर, 2021 कोअहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – 05:39 PM से 06:56 PMअवधि – 01 घण्टा 17 मिनटगोवर्धन राधा कुण्ड स्नान बृहस्पतिवार, अक्टूबर 28, 2021 कोतारों को देखने के लिए सांझ का समय – 06:03 PMअहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय – 11:29 PM<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#अहई #अषटम #वरत #कहन #Ahoi #Ashtami #Vrat #Kahani #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%85%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%88-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja VidhiPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDFNo. of Pages4PDF Size0.44 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के द्वारा आप अहोई अष्टमी पूजा विधि PDF / Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। अहोई अष्टमी का व्रत अथवा किसी भी प्रकार का व्रत जब तक सम्पूर्ण विधि – विधान से न किया जाए तब तक निश्चित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। अतः व्रत करने से पूर्व उससे सम्बंधित नियम व विधि को अच्छे से पढ़ लेना चाहिए पूजा के दौरान कोई भी गलती न हो सके।अहोई अष्टमी व्रत की परम्परा बहुत समय से चली आ रही है। इस व्रत के परिणामस्वरुप बालक दीर्घायु तथा स्वस्थ रहता है। यह व्रत विशेषतः माताएं अपने पुत्र के लिए रखती हैं। इस व्रत में रात्रिकाल में तारों को करवा से अर्घ्य दिया जाता है तथा बालक के लिए मंगल कामना की जाती है। यदि आप भी इस व्रत का पालन कर रहे हैं तो उसकी विधि यहाँ से पढ़ें।अहोई अष्टमी पूजन विधि PDF / Ahoi Ashtami Vrat Pujan Vidhi PDF in Hindiइस दिन माताओं अथवा महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए।अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए।माता का पूजना संध्याकाल में करें।पूजा के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।रोली-चावल से अहोई माता की पूजा करें।अहोई माता को भोग लगाने के लिए महिलाएं दही, आटा, चीनी या गुड़ मिला कर मीठे पुए बनायें।कहीं-कहीं आटे के हलवे का भी भोग लगाया जाता है।रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाया जाता है।सात टीके लगाए जाते हैं और फिर हाथों में गेहूं के सात दाने ले कर महिलाएं, माताएं अहोई व्रत कथा को पढ़ें व सुनें।पूजा व व्रत कथा सुनने के बाद कलश के जल से तारों को अर्घ्य अर्पित करें।अहोई माता की विधिवत पूजा करने के बाद स्याहु माला धारण की जाती है।स्याहु की माला में चांदी की मोती और अहोई माता की लॉकेट होती है।पूजा के बाद महिलाएं बायना निकालती हैं और अपनी सास या पंडित को देकर आशीर्वाद लेती हैं।पूजन के अंत में पारण किया जाता है।अहोई अष्टमी पूजा सामग्री PDF / Ahoi Ashtami Puja Samagri List PDFअहोई माता मूर्ति/चित्रस्याहु मालादीपक करवापूजा रोलीअक्षततिलक के लिए रोलीदूबकलावापुत्रों को देने के लिए श्रीफल माता को चढ़ावे के लिए श्रृंगार का सामान बयानासात्विक भोजनचौदह पूरी और आठ पुओं का भोगचावल की कटोरी,मूलीसिंघाड़ेफलखीरदूध व भातवस्त्रबयाना में देने के लिए नेग (पैसे)You may also like :अहोई अष्टमी व्रत कथा | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Hindiअहोई अष्टमी माता की आरती / Ahoi Ashtami Mata Ki Aarti PDF in Hindiअहोई अष्टमी पूजा सामग्री | Ahoi Ashtami Puja Samagri PDF in HindiYou can download अहोई अष्टमी पूजा विधि PDF / Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi by clicking on the following download button.#अहई #अषटम #वरत #पज #वध #Ahoi #Ashtami #Puja #Vidhi #PDF #HindiThe post अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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