सुलह की जंग गंगा तरंग | Sulah Ki Jang Ganga Tarang
Title सुलह की जंग गंगा तरंग | Sulah Ki Jang Ganga Tarang Author स्वामी रामतीर्थ – Swami Ramtirth Keywords हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं | #सलह #क #जग #गग #तरग #Sulah #Jang #Ganga #Tarang ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post सुलह की जंग गंगा तरंग | Sulah Ki Jang Ganga Tarang appeared first on eBookmela. upload by free hindi books
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गंगा यमुना के निचले दोआब में स्थापत्य और मूर्तिकला | Architure And Sculpture of Lower Ganga Yamuna Doab
Title गंगा यमुना के निचले दोआब में स्थापत्य और मूर्तिकला | Architure And Sculpture of Lower Ganga Yamuna Doab Author अंशु गोयल – Anshu Goel Keywords आलोचनात्मक / Critique, दार्शनिक / Philosophical, भूगोल / Geography #गग #यमन #क #नचल #दआब #म #सथपतय #और #मरतकल #Architure #Sculpture #Ganga #Yamuna #Doab ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post गंगा यमुना के निचले दोआब में स्थापत्य और मूर्तिकला | Architure And Sculpture of Lower Ganga Yamuna Doab appeared first on eBookmela. upload by free hindi books
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Title गंगा यमुना के निचले दोआब में स्थापत्य और मूर्तिकला | Architure And Sculpture of Lower Ganga Yamuna Doab Author अंशु गोयल – Anshu Goel Keywords आलोचनात्मक / Critique, दार्शनिक / Philosophical, भूगोल / Geography #गग #यमन #क #नचल #दआब #म #सथपतय #और #मरतकल #Architure #Sculpture #Ganga #Yamuna #Doab ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post गंगा यमुना के निचले दोआब में स्थापत्य और मूर्तिकला | Architure And Sculpture of Lower Ganga Yamuna Doab appeared first on eBookmela. upload by free hindi books
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भूदान गंगा [खण्ड-३] | Bhoodan Ganga [Khand-3] | निर्मला देशपांडे – Nirmala Deshpaande
Title भूदान गंगा [खण्ड-३] | Bhoodan Ganga [Khand-3] Author निर्मला देशपांडे – Nirmala Deshpaande Keywords धार्मिक / Religious #भदन #गग #खणड३ #Bhoodan #Ganga #Khand3 ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post भूदान गंगा [खण्ड-३] | Bhoodan Ganga [Khand-3]
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भूदान गंगा [खण्ड 1] | Bhoodan Ganga [Part 1] | अज्ञात – Unknown
Title भूदान गंगा [खण्ड 1] | Bhoodan Ganga [Part 1] Author अज्ञात – Unknown Keywords पत्रिका / Magazine, राजनीति / Politics #भदन #गग #खणड #Bhoodan #Ganga #Part ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post भूदान गंगा [खण्ड 1] | Bhoodan Ganga [Part 1]
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भूदान गंगा [खण्ड 1] | Bhoodan Ganga [Part 1] | अज्ञात - Unknown Title भूदान गंगा | Bhoodan Ganga Author अज्ञात - Unknown Keywords पत्रिका / Magazine, राजनीति / Politics #भदन #गग #खणड #Bhoodan #Ganga #Part ईबुक डाउनलोड
जिनेन्द्र भक्ति गंगा | Jinendra Bhakti Ganga | अज्ञात – Unknown
Title जिनेन्द्र भक्ति गंगा | Jinendra Bhakti Ganga Author अज्ञात – Unknown Keywords धार्मिक / Religious #जननदर #भकत #गग #Jinendra #Bhakti #Ganga ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post जिनेन्द्र भक्ति गंगा | Jinendra Bhakti Ganga
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Title जिनेन्द्र भक्ति गंगा | Jinendra Bhakti Ganga Author अज्ञात – Unknown Keywords धार्मिक / Religious #जननदर #भकत #गग #Jinendra #Bhakti #Ganga ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post जिनेन्द्र भक्ति गंगा | Jinendra Bhakti Ganga
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गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara | डॉ. संदीप पांडेय – Dr Sandeep Pandey, पुस्तक समूह – Pustak Samuh
Title गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara Author डॉ. संदीप पांडेय – Dr Sandeep Pandey, पुस्तक समूह – Pustak Samuh Keywords इतिहास / History, भारत / India, सभ्यता एवं संस्कृति / Cultural #गग #हत #सत #क #बलदन #परपर #Ganga #Hetu #Santo #Balidani #Parampara ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara
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Title गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara Author डॉ. संदीप पांडेय – Dr Sandeep Pandey, पुस्तक समूह – Pustak Samuh Keywords इतिहास / History, भारत / India, सभ्यता एवं संस्कृति / Cultural #गग #हत #सत #क #बलदन #परपर #Ganga #Hetu #Santo #Balidani #Parampara ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara
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गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara | डॉ. संदीप पांडेय - Dr Sandeep Pandey, पुस्तक समूह - Pustak Samuh Title गंगा हेतु संतों की बलिदानी परंपरा | Ganga Hetu Santo Ki Balidani Parampara Author डॉ. संदीप पांडेय - Dr Sandeep…
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF Detailsगंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki AartiPDF Nameगंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDFNo. of Pages3PDF Size0.39 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable ✔Downloads26
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti Hindi PDF Summaryप्रिय पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप श्री गंगा मैया की सुन्दर आरती की पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में गंगा मैया का बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि माता गंगा जनकल्याण के लिए स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आयी हैं। माता गंगा को पृथ्वीलोक पर लाने का श्रेय भगीरथ जी को जाता है, वह भगवान् श्री राम जी के पूर्वज थे।यह गंगा मैया की बहुत प्रचलित आरती है जिसका गायन गंगा माँ से सम्बंधित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। यदि आप भी जीवन में गंगा माँ की तरह निर्मल रहना चाहते हैं, तो आपको इस आरती का गायन अवश्य करना चाहिए। गंगा मैया की यह आरती ऋषिकेश पर भी की जाती है। आप यही जानते ही होंगे की हरिद्वार की गंगा आरती भारत समेत पूरे विश्व में प्रसिद्द है। आप भी इस आरती को घर में करके इसका लाभ उठा सकते हैं। गंगा माता जी की आरती / Ganga Ji Ki Aarti PDFॐ जय गंगे माता,मैया जय गंगे माता।जो नर तुमको ध्याता,मनवांछित फल पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,जल निर्मल आता।शरण पड़े जो तेरी,सो नर तर जाता॥ॐ जय गंगे माता॥ पुत्र सगर के तारे,सब जग को ज्ञाता।कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,त्रिभुवन सुख दाता॥ॐ जय गंगे माता॥ एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ आरती मातु तुम्हारी,जो नर नित गाता।सेवक वही सहज में,मुक्ति को पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ पवित्र गंगा स्तोत्रम / Ganga Stotram in Hindi PDF देवि सुरेश्वरि भगति गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे ।शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ।।1।। भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यात: ।नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम ।।2।। हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे ।दूरीकुरू मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम ।।3।। तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम ।मातर्गंगे त्वयि यो भक्त: किल तं द्रष्टुं न यम: शक्त: ।।4।। पतितोद्धारिणि जाह्रवि गंगे खण्डितगिरिवरमण्डितभंगे ।भीष्मजननि हेमुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये ।।5।। कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।पारावारविहारिणि गंगे विमुखयुवतिकृततरलापांगे ।।6।। तव चेन्मात: स्रोत: स्नात: पुनरपि जठरे सोsपि न जात: ।नरकनिवारिणि जाह्रवि गंगे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुंगे ।।7।। पुनरसदड़्गे पुण्यतरंगे जय जय जाह्रवि करूणापाड़्गे ।इन्द्रमुकुट मणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ।।8।। रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम ।त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ।।9।।अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये ।तव तटनिकटे यस्य निवास: खलु वैकुण्ठे तस्य निवास: ।।10।। वरमिह: नीरे कमठो मीन: कि वा तीरे शरट: क्षीण: ।अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीन: ।।11।। भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।गंगास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो य: सजयति सत्यम ।।12।। येषां ह्रदये गंगाभक्तिस्तेषां भवति सदा सुख मुक्ति: ।मधुराकान्तापंझटिकाभि: परमानन्द कलितललिताभि: गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वांछितफलदं विमलं सारम ।शंकरसेवकशंकरचितं पठति सुखी स्तव इति च समाप्त: ।।You can download Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गग #मय #क #आरत #Ganga #Maiya #Aarti #PDF #HindiThe post गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON
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गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF Detailsगंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki AartiPDF Nameगंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDFNo. of Pages3PDF Size0.39 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable ✔Downloads26
गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti Hindi PDF Summaryप्रिय पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप श्री गंगा मैया की सुन्दर आरती की पीडीऍफ़ डाउनलोड कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में गंगा मैया का बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि माता गंगा जनकल्याण के लिए स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक पर आयी हैं। माता गंगा को पृथ्वीलोक पर लाने का श्रेय भगीरथ जी को जाता है, वह भगवान् श्री राम जी के पूर्वज थे।यह गंगा मैया की बहुत प्रचलित आरती है जिसका गायन गंगा माँ से सम्बंधित विभिन्न अवसरों पर किया जाता है। यदि आप भी जीवन में गंगा माँ की तरह निर्मल रहना चाहते हैं, तो आपको इस आरती का गायन अवश्य करना चाहिए। गंगा मैया की यह आरती ऋषिकेश पर भी की जाती है। आप यही जानते ही होंगे की हरिद्वार की गंगा आरती भारत समेत पूरे विश्व में प्रसिद्द है। आप भी इस आरती को घर में करके इसका लाभ उठा सकते हैं। गंगा माता जी की आरती / Ganga Ji Ki Aarti PDFॐ जय गंगे माता,मैया जय गंगे माता।जो नर तुमको ध्याता,मनवांछित फल पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी,जल निर्मल आता।शरण पड़े जो तेरी,सो नर तर जाता॥ॐ जय गंगे माता॥ पुत्र सगर के तारे,सब जग को ज्ञाता।कृपा दृष्टि हो तुम्हारी,त्रिभुवन सुख दाता॥ॐ जय गंगे माता॥ एक बार जो प्राणी,शरण तेरी आता।यम की त्रास मिटाकर,परमगति पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ आरती मातु तुम्हारी,जो नर नित गाता।सेवक वही सहज में,मुक्ति को पाता॥ॐ जय गंगे माता॥ पवित्र गंगा स्तोत्रम / Ganga Stotram in Hindi PDF देवि सुरेश्वरि भगति गंगे त्रिभुवनतारिणि तरलतरंगे ।शंकरमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ।।1।। भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यात: ।नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम ।।2।। हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे ।दूरीकुरू मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम ।।3।। तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम ।मातर्गंगे त्वयि यो भक्त: किल तं द्रष्टुं न यम: शक्त: ।।4।। पतितोद्धारिणि जाह्रवि गंगे खण्डितगिरिवरमण्डितभंगे ।भीष्मजननि हेमुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवनधन्ये ।।5।। कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।पारावारविहारिणि गंगे विमुखयुवतिकृततरलापांगे ।।6।। तव चेन्मात: स्रोत: स्नात: पुनरपि जठरे सोsपि न जात: ।नरकनिवारिणि जाह्रवि गंगे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुंगे ।।7।। पुनरसदड़्गे पुण्यतरंगे जय जय जाह्रवि करूणापाड़्गे ।इन्द्रमुकुट मणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ।।8।। रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम ।त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ।।9।।अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये ।तव तटनिकटे यस्य निवास: खलु वैकुण्ठे तस्य निवास: ।।10।। वरमिह: नीरे कमठो मीन: कि वा तीरे शरट: क्षीण: ।अथवा श्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीन: ।।11।। भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।गंगास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो य: सजयति सत्यम ।।12।। येषां ह्रदये गंगाभक्तिस्तेषां भवति सदा सुख मुक्ति: ।मधुराकान्तापंझटिकाभि: परमानन्द कलितललिताभि: गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वांछितफलदं विमलं सारम ।शंकरसेवकशंकरचितं पठति सुखी स्तव इति च समाप्त: ।।You can download Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गग #मय #क #आरत #Ganga #Maiya #Aarti #PDF #HindiThe post गंगा मैया की आरती | Ganga Maiya Ki Aarti PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON
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