जून 6, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥
जो कार्य संपन्न करना चाहते हैं, वे सिंह की तरह अधिकतम वेग से कार्य पर टूट पड़ते हैं।
जय माँ लक्ष्मी
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
सिंहवत्सर्ववेगेन पतन्त्यर्थे किलार्थिनः॥
जो कार्य संपन्न करना चाहते हैं, वे सिंह की तरह अधिकतम वेग से कार्य पर टूट पड़ते हैं।
जय माँ लक्ष्मी
जय श्री राम
पूर्णेन्दुवदनं पीतवसनं कमलासनम्।
लक्ष्म्या श्रितं चतुर्बाहुं लक्ष्मीनारायणं भजे॥
वरांकुशौ पाशमभीतिमुद्रां करैर्वहन्तीं कमलासनस्थाम्।
बालार्क कोटि प्रतिभां त्रिणेत्रां भजेहमाद्यां जगदीश्वरीं ताम्॥
ॐ श्री लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः
ॐ प्रकृत्यै नमः
वन्देमातरम्
स्वस्तिर्अस्तु
प्रातर्नमामि
आज 6 जून को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि व शुक्रवार है एकादशी आज पूरा दिन पूरी रात पार कर के भोर 4:49 तक रहेगी आज सुबह 10:13 तक व्यतिपात योग रहेगा साथ ही आज पूरा दिन पूरी रात पार कर के कल सुबह 9:40 तक चित्रा नक्षत्र रहेगा इसके आलावा आज निर्जला एकादशी व्रत है।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
लक्ष्म्या श्रितं चतुर्बाहुं लक्ष्मीनारायणं भजे॥
वरांकुशौ पाशमभीतिमुद्रां करैर्वहन्तीं कमलासनस्थाम्।
बालार्क कोटि प्रतिभां त्रिणेत्रां भजेहमाद्यां जगदीश्वरीं ताम्॥
ॐ श्री लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः
ॐ प्रकृत्यै नमः
वन्देमातरम्
स्वस्तिर्अस्तु
प्रातर्नमामि
आज 6 जून को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि व शुक्रवार है एकादशी आज पूरा दिन पूरी रात पार कर के भोर 4:49 तक रहेगी आज सुबह 10:13 तक व्यतिपात योग रहेगा साथ ही आज पूरा दिन पूरी रात पार कर के कल सुबह 9:40 तक चित्रा नक्षत्र रहेगा इसके आलावा आज निर्जला एकादशी व्रत है।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
हर साल कुल 24 एकादशी पड़ती है, जिनमें से से निर्जला एकदशी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है. निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन निर्जला उपवास का पुण्य साल की 24 एकादशी के बराबर होता है. इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. निर्जला एकदशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी का व्रत इस साल 6 जून, शुक्रवार को रखा जाएगा।
#निर्जला_एकादशी_तिथि_शुभ_मुहूर्त:-
इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून 2025 को रात 2 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो रही है। इसका समापन 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 के दिन रखा जाएगा। इस दिन हस्त नक्षत्र बन रहा है, जो सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसपर व्यतीपात योग का संयोग भी बना रहेगा।
#पारण_का_समय:- निर्जला एकादशी के पारण का समय 7 जून को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
#निर्जला_एकादशी_की_पूजन_विधि:-
निर्जला एकादशी के के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण ना करें. इसमें अन्न और फलाहार का भी त्याग करना होगा. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरी की पूजा करने के बाद अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
निर्जला_एकादशी_का_महत्व:-
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी को सबसे कठोर एकादशी माना जाता है। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। इसे मोक्षदायिनी एकादशी के अलावा भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। इस एकादशी का व्रत सबसे पहले पांडव पुत्र भीम ने रखा था। इसी के कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। कई तरह के अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है.
#निर्जला_एकादशी_तिथि_शुभ_मुहूर्त:-
इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून 2025 को रात 2 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो रही है। इसका समापन 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 के दिन रखा जाएगा। इस दिन हस्त नक्षत्र बन रहा है, जो सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसपर व्यतीपात योग का संयोग भी बना रहेगा।
#पारण_का_समय:- निर्जला एकादशी के पारण का समय 7 जून को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
#निर्जला_एकादशी_की_पूजन_विधि:-
निर्जला एकादशी के के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण ना करें. इसमें अन्न और फलाहार का भी त्याग करना होगा. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरी की पूजा करने के बाद अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
निर्जला_एकादशी_का_महत्व:-
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी को सबसे कठोर एकादशी माना जाता है। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। इसे मोक्षदायिनी एकादशी के अलावा भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। इस एकादशी का व्रत सबसे पहले पांडव पुत्र भीम ने रखा था। इसी के कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। कई तरह के अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है.
साभार....
IPL के फाइनल मे बैंगलोर ने पंजाब को 6 रन से हराया इसमें दिलचस्प ये है कि बैंगलोर ने 190 रन बनाकर 9 विकेट खो दिये थे जबकि पंजाब के सिर्फ 7 विकेट हुए मगर रन 184 ही बन सके।
तो #रागा लॉजिक या यू कहे कांग्रेस लॉजिक के अनुसार विराट कोहली ने सरेंडर कर दिया क्योंकि 2 विकेट ज्यादा गवाए,या फिर ट्रॉफी पंजाब को दे देनी चाहिए विकेट तो उन्होंने ज्यादा चटकाये।
हमारे शायद कुछ विमान गिरे हो,लेकिन विमानो का काम क्या था?वे कोई शो ऑफ की चीजें तो है नहीं,उनके कलपुर्जो मे एक एक मिली मीटर के हिसाब से सामान लगा होता है।थोड़े से धक्के से बहुत कुछ बिगड सकता है।
विमान तो 1965 मे भी गिरे थे 1971 मे भी,लेकिन याद करना मुश्किल है कि उस समय #जनसंघ ने कभी इन मुद्दों पर पाकिस्तान का साथ दिया हो जैसे #कांग्रेस आज दे रही है।
खैर खून उबालने की भी कोई आवश्यकता नहीं है,ये कांग्रेस एक साधारण परिवार को समर्पित पार्टी है। मैंने पहले भी तथ्यों के साथ सिद्ध किया है,ये गांधी नेहरू या फिर लाल बाल पाल वाली कांग्रेस नहीं है।
जैसे तमिलनाडु मे DMK,महाराष्ट्र मे उबाठा,बिहार मे RJD और उत्तर प्रदेश मे सपा है वैसे ही बस कही एक कोने मे कांग्रेस है।अंतर सिर्फ इतना है इसके हर राज्य मे कुछ कार्यालय भी है।
इसीलिए आप देखोगे कि उन्हें सीटें भी उसी हिसाब से मिलती है।जिन्हे राजनीति के बेसिक भी क्लियर है उन्हें पता होना चाहिए कि #महागठबंधन करके 99 सीटें ले आना कोई तीर मारने वाली बात नहीं है।
फिर भी यदि कोई आबादी है जिसे राहुल गाँधी मे एक विकल्प दिखाई देता है,तो यही सही समय है राहुल गाँधी के भाषणों को सुन लीजिये।हर ओर बस पाकिस्तान की जयकार सुनाई देगी।
खैर ये बहुत अच्छा है,वो ऐसे भाषण दे और कांग्रेस हारे ये लाख गुना बेहतर है उससे कि ये मन मे सब रखे और कांग्रेस जीतकर सरकार बना ले।आज पाकिस्तान का मीडिया राहुल गाँधी के बयानो को लेकर उत्साह जता रहा है।
इससे बड़ा राष्ट्रीय कलंक और कुछ हो ही नहीं सकता,ये राहुल गाँधी का अब तक का सबसे गहरा घाव है जो उसने देश को दिया।साथ ही ये एक सबक है #इंडी गठबंधन की अन्य बड़ी पार्टियों के लिये।
कांग्रेस के आधे नेता विदेशो मे ये सिद्ध करने मे लगे है कि भारत जीता है,राहुल गाँधी यहाँ विपरीत बहाव मे भारत को हराने मे लगा है।ज़ब आपस मे ही सहमति नहीं है तो ये कैसा नेता हुआ?
अखिलेश यादव,एमके स्टालिन और ममता बनर्जी गाँधी परिवार के गुलाम नहीं है उन्हें विचार करना होगा कि राहुल गाँधी प्रधानमंत्री तो दूर विपक्ष के नेता की कुर्सी पर बैठने योग्य भी है या नहीं?
इतना अपरिपक्व बयान छोटे मोटे देशो के नेता देते है,बड़े देशो के नहीं।
बहरहाल इस बयान को बीजेपी समर्थक भी भुनाये,अब जो नए युवा वोट डालेंगे वे 2006 से 2011 के बीच जन्मे होंगे। उन्हें यूपीए -2 के कुकर्म तो पता भी नहीं होंगे।ये बयान बस किसी तरह उस वर्ग के दिल मे घर करा दीजिये,2029 मे जीत पक्की है।
वैसे अब ये धीरे धीरे स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस का पतन हो चुका है क्योंकि किसी भी अंत हो चुके वंश की कहानी देख लीजिए उसमे कोई ना कोई राहुल गाँधी निश्चित ही दिखेगा।
राम राम रहेगी सभी को!
IPL के फाइनल मे बैंगलोर ने पंजाब को 6 रन से हराया इसमें दिलचस्प ये है कि बैंगलोर ने 190 रन बनाकर 9 विकेट खो दिये थे जबकि पंजाब के सिर्फ 7 विकेट हुए मगर रन 184 ही बन सके।
तो #रागा लॉजिक या यू कहे कांग्रेस लॉजिक के अनुसार विराट कोहली ने सरेंडर कर दिया क्योंकि 2 विकेट ज्यादा गवाए,या फिर ट्रॉफी पंजाब को दे देनी चाहिए विकेट तो उन्होंने ज्यादा चटकाये।
हमारे शायद कुछ विमान गिरे हो,लेकिन विमानो का काम क्या था?वे कोई शो ऑफ की चीजें तो है नहीं,उनके कलपुर्जो मे एक एक मिली मीटर के हिसाब से सामान लगा होता है।थोड़े से धक्के से बहुत कुछ बिगड सकता है।
विमान तो 1965 मे भी गिरे थे 1971 मे भी,लेकिन याद करना मुश्किल है कि उस समय #जनसंघ ने कभी इन मुद्दों पर पाकिस्तान का साथ दिया हो जैसे #कांग्रेस आज दे रही है।
खैर खून उबालने की भी कोई आवश्यकता नहीं है,ये कांग्रेस एक साधारण परिवार को समर्पित पार्टी है। मैंने पहले भी तथ्यों के साथ सिद्ध किया है,ये गांधी नेहरू या फिर लाल बाल पाल वाली कांग्रेस नहीं है।
जैसे तमिलनाडु मे DMK,महाराष्ट्र मे उबाठा,बिहार मे RJD और उत्तर प्रदेश मे सपा है वैसे ही बस कही एक कोने मे कांग्रेस है।अंतर सिर्फ इतना है इसके हर राज्य मे कुछ कार्यालय भी है।
इसीलिए आप देखोगे कि उन्हें सीटें भी उसी हिसाब से मिलती है।जिन्हे राजनीति के बेसिक भी क्लियर है उन्हें पता होना चाहिए कि #महागठबंधन करके 99 सीटें ले आना कोई तीर मारने वाली बात नहीं है।
फिर भी यदि कोई आबादी है जिसे राहुल गाँधी मे एक विकल्प दिखाई देता है,तो यही सही समय है राहुल गाँधी के भाषणों को सुन लीजिये।हर ओर बस पाकिस्तान की जयकार सुनाई देगी।
खैर ये बहुत अच्छा है,वो ऐसे भाषण दे और कांग्रेस हारे ये लाख गुना बेहतर है उससे कि ये मन मे सब रखे और कांग्रेस जीतकर सरकार बना ले।आज पाकिस्तान का मीडिया राहुल गाँधी के बयानो को लेकर उत्साह जता रहा है।
इससे बड़ा राष्ट्रीय कलंक और कुछ हो ही नहीं सकता,ये राहुल गाँधी का अब तक का सबसे गहरा घाव है जो उसने देश को दिया।साथ ही ये एक सबक है #इंडी गठबंधन की अन्य बड़ी पार्टियों के लिये।
कांग्रेस के आधे नेता विदेशो मे ये सिद्ध करने मे लगे है कि भारत जीता है,राहुल गाँधी यहाँ विपरीत बहाव मे भारत को हराने मे लगा है।ज़ब आपस मे ही सहमति नहीं है तो ये कैसा नेता हुआ?
अखिलेश यादव,एमके स्टालिन और ममता बनर्जी गाँधी परिवार के गुलाम नहीं है उन्हें विचार करना होगा कि राहुल गाँधी प्रधानमंत्री तो दूर विपक्ष के नेता की कुर्सी पर बैठने योग्य भी है या नहीं?
इतना अपरिपक्व बयान छोटे मोटे देशो के नेता देते है,बड़े देशो के नहीं।
बहरहाल इस बयान को बीजेपी समर्थक भी भुनाये,अब जो नए युवा वोट डालेंगे वे 2006 से 2011 के बीच जन्मे होंगे। उन्हें यूपीए -2 के कुकर्म तो पता भी नहीं होंगे।ये बयान बस किसी तरह उस वर्ग के दिल मे घर करा दीजिये,2029 मे जीत पक्की है।
वैसे अब ये धीरे धीरे स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस का पतन हो चुका है क्योंकि किसी भी अंत हो चुके वंश की कहानी देख लीजिए उसमे कोई ना कोई राहुल गाँधी निश्चित ही दिखेगा।
राम राम रहेगी सभी को!
साभार...
#ज़ुल्फ़िकार_अली_भुट्टो ने कहा था हम भारत के साथ 1000 साल तक जंग करेंगे।आसिम मुनीर तो अब कहा कि मुसलमान और हिन्दू अलग अलग हैं,हम साथ नहीं रह सकते।जुल्फिकार अली भुट्टो ने आजादी मिलने से पहले ही #जिन्ना को लिखे खत में यह बात लिख दी थी।
भुट्टो ने लिखा था कि जल्द अलग मुल्क ले लीजिए माउंटबेटन से।हम मुसलमान कभी भी हिंदुओं को बर्दाश्त नहीं कर सकते।जिन्ना ने भुट्टो को जवाब में लिखा था कि हिंदुओं का साथ हमने तभी छोड़ दिया था जब मेरे गुजराती पिता ने इस्लाम ग्रहण किया था,हिन्दू उसी दिन से हमारे दुश्मन बन गए थे।हिन्दू के साथ रहने की बजाय मैं मर जाना पसंद करूंगा।
ये बातें भुट्टो ने खुद अपनी आत्मकथा में लिखी हैं।इन्हीं किताबों को पढ़कर #कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान में बंटवारे के समय रह गए 23% हिंदुओं को धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य किया।आज पाकिस्तान में केवल 1.5% हिन्दू रहा गए हैं।वे लगभग सभी भारत आकर धर्म बचाने को तैयार बैठे हैं।जिन्ना की वही नफरती थ्योरी आसिम मुनीर के जहन में बसी है और वहीं आतंकवादियों के खून में है।मजे की बात यह है भारत के एक भी #हिन्दू_सेक्युलर ने मुनीर के खुले भाषण की भर्त्सना नहीं की ।
भारत में बैठे तथाकथित हिन्दू अर्बन्स को यह बात समझ ही नहीं आती।मुनीर के जिस हिन्दू अलग मुस्लिम अलग भाषण ने पहले पहलगाम और फिर युद्ध कराया उस कट्टरपंथी मुनीर पर भारत के कथित हिन्दू बुद्धिजीवियों को जरा भी गुस्सा नहीं आता।#हिन्दू_छद्म_सेक्युलर्स की आंखों पर ऐसी काली मिट्टी की परत चढ़ी है कि उन्हें भारत में तो बीजेपी का हिन्दू मुस्लिम दिखता है,पाकिस्तान में जिन्ना,भुट्टो,याह्या खां,मुशर्रफ,बाजवा और आसिम मुनीर का हिन्दू मुस्लिम नजर नहीं आता।
इन छद्म सेक्युलर्स हिंदुओं से भारत के #मुस्लिम_बुद्धिजीवी,स्कॉलर और अनेक मौलाना लाख दर्जे अच्छे हैं जो पाकिस्तान,शाहबाज और मुनीर को खुले आम गाली देते हैं।उमर अब्दुल्ला और ओवैसी विपक्ष में रहते हुए हिन्दुस्तान की बोली बोलते हैं।जबकि हिन्दू छद्मवादी अपने सिर पीटते हुए पाकिस्तान और चीन के सुरों में सुर मिलाते हैं।गौर कीजिए प्रकाश करात अथवा वृंदा करात ने भारत सरकार के खिलाफ एक भी शब्द सिंदूर को लेकर नहीं बोला।
लेकिन #विवेक_श्रीवास्तव जैसा कथित राजनीतिक विश्लेषक नीचता की तमाम हदें पार कर चुका है।यही हाल,पवन खेड़ा,सुप्रिया श्रीनेत,अनुराग भदौरिया,उदित राज,संजय राउत,संजय सिंह और अनिल शर्मा जैसे प्रवक्ताओं का है।उन्हें इस पार का हिन्दू मुस्लिम नहीं दिखाई देता,बीजेपी का हिन्दू मुस्लिम दिखाई देता है।वैसे वे करें भी क्या,आकाओं का यही सीधा आदेश है। पाकिस्तान जो कहे उसे हां जी हां जी कहना,अपनी सरकार जो कहे उसे ना जी ना जी कहना।
राम राम रहेगी सभी को !
#ज़ुल्फ़िकार_अली_भुट्टो ने कहा था हम भारत के साथ 1000 साल तक जंग करेंगे।आसिम मुनीर तो अब कहा कि मुसलमान और हिन्दू अलग अलग हैं,हम साथ नहीं रह सकते।जुल्फिकार अली भुट्टो ने आजादी मिलने से पहले ही #जिन्ना को लिखे खत में यह बात लिख दी थी।
भुट्टो ने लिखा था कि जल्द अलग मुल्क ले लीजिए माउंटबेटन से।हम मुसलमान कभी भी हिंदुओं को बर्दाश्त नहीं कर सकते।जिन्ना ने भुट्टो को जवाब में लिखा था कि हिंदुओं का साथ हमने तभी छोड़ दिया था जब मेरे गुजराती पिता ने इस्लाम ग्रहण किया था,हिन्दू उसी दिन से हमारे दुश्मन बन गए थे।हिन्दू के साथ रहने की बजाय मैं मर जाना पसंद करूंगा।
ये बातें भुट्टो ने खुद अपनी आत्मकथा में लिखी हैं।इन्हीं किताबों को पढ़कर #कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान में बंटवारे के समय रह गए 23% हिंदुओं को धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य किया।आज पाकिस्तान में केवल 1.5% हिन्दू रहा गए हैं।वे लगभग सभी भारत आकर धर्म बचाने को तैयार बैठे हैं।जिन्ना की वही नफरती थ्योरी आसिम मुनीर के जहन में बसी है और वहीं आतंकवादियों के खून में है।मजे की बात यह है भारत के एक भी #हिन्दू_सेक्युलर ने मुनीर के खुले भाषण की भर्त्सना नहीं की ।
भारत में बैठे तथाकथित हिन्दू अर्बन्स को यह बात समझ ही नहीं आती।मुनीर के जिस हिन्दू अलग मुस्लिम अलग भाषण ने पहले पहलगाम और फिर युद्ध कराया उस कट्टरपंथी मुनीर पर भारत के कथित हिन्दू बुद्धिजीवियों को जरा भी गुस्सा नहीं आता।#हिन्दू_छद्म_सेक्युलर्स की आंखों पर ऐसी काली मिट्टी की परत चढ़ी है कि उन्हें भारत में तो बीजेपी का हिन्दू मुस्लिम दिखता है,पाकिस्तान में जिन्ना,भुट्टो,याह्या खां,मुशर्रफ,बाजवा और आसिम मुनीर का हिन्दू मुस्लिम नजर नहीं आता।
इन छद्म सेक्युलर्स हिंदुओं से भारत के #मुस्लिम_बुद्धिजीवी,स्कॉलर और अनेक मौलाना लाख दर्जे अच्छे हैं जो पाकिस्तान,शाहबाज और मुनीर को खुले आम गाली देते हैं।उमर अब्दुल्ला और ओवैसी विपक्ष में रहते हुए हिन्दुस्तान की बोली बोलते हैं।जबकि हिन्दू छद्मवादी अपने सिर पीटते हुए पाकिस्तान और चीन के सुरों में सुर मिलाते हैं।गौर कीजिए प्रकाश करात अथवा वृंदा करात ने भारत सरकार के खिलाफ एक भी शब्द सिंदूर को लेकर नहीं बोला।
लेकिन #विवेक_श्रीवास्तव जैसा कथित राजनीतिक विश्लेषक नीचता की तमाम हदें पार कर चुका है।यही हाल,पवन खेड़ा,सुप्रिया श्रीनेत,अनुराग भदौरिया,उदित राज,संजय राउत,संजय सिंह और अनिल शर्मा जैसे प्रवक्ताओं का है।उन्हें इस पार का हिन्दू मुस्लिम नहीं दिखाई देता,बीजेपी का हिन्दू मुस्लिम दिखाई देता है।वैसे वे करें भी क्या,आकाओं का यही सीधा आदेश है। पाकिस्तान जो कहे उसे हां जी हां जी कहना,अपनी सरकार जो कहे उसे ना जी ना जी कहना।
राम राम रहेगी सभी को !
अयोध्या के राम मंदिर की दिव्यता में सोने की आभा – एक आस्था, एक गौरव
अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर भारतीय आस्था, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। यह केवल एक भवन नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है, जिसकी प्रतीक्षा सदियों से की जा रही थी। हाल ही में इस मंदिर के शिखर पर सोने की परत चढ़ाई गई, जिससे इसकी भव्यता और दिव्यता में अद्वितीय चार चांद लग गए हैं। अब यह मंदिर दूर से ही अपनी चमक और तेज से श्रद्धालुओं के मन को मोह लेने वाला दृश्य बन चुका है।
सोने का शिखर: प्रतीक है समर्पण और शान का
राम मंदिर के शिखर पर जो सोने की परत चढ़ाई गई है, वह न केवल स्थापत्य सौंदर्य को बढ़ाती है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भगवान राम के प्रति जनसमूह के अटूट समर्पण को दर्शाती है। यह सोना आम नागरिकों, श्रद्धालुओं और सेवाभावी संगठनों के दान से जुटाया गया है। यह दिखाता है कि यह मंदिर केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा से जुड़ी एक भावनात्मक यात्रा है।
सोने की परत से सुसज्जित शिखर जब सूरज की रोशनी में चमकता है, तो वह किसी चमत्कारी दृश्य से कम नहीं लगता। यह दिव्य चमक मानो यह घोषणा करती है कि अब रामलला अपने भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित हैं और संपूर्ण भारत का आत्मगौरव जागृत हो चुका है।
दूर से भी दिखे ‘राम का राज्य’
अयोध्या में स्थित यह भव्य मंदिर अब दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को भी पहले दर्शन से मंत्रमुग्ध कर देता है। जहां पहले मंदिर की भव्यता संगमरमर और नक्काशी से पहचानी जाती थी, अब उसका स्वर्णिम शिखर उसे और भी विशिष्ट बना देता है। यह दृश्य दर्शकों को गर्व से भर देता है और यही तो है रामराज्य की भावना, जहाँ दिव्यता और न्याय का साम्राज्य हो।
यह नास्तिकता नहीं, तो और क्या?
इस स्वर्णमंडित शिखर की आभा को देखकर कोई भी भारतीय हृदय श्रद्धा से झुक जाए, यह स्वाभाविक है। यह केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि संस्कृति, संघर्ष और सामूहिक प्रयास का प्रतीक है। अब यदि कोई इस दृश्य को देखकर भी प्रशंसा न करे, उसका सम्मान न करे, या कम से कम एक लाइक तक न दे, तो वह केवल नास्तिक ही नहीं, बल्कि शायद अपनी जड़ों से कटा हुआ व्यक्ति भी कहा जा सकता है।
तकनीक और भावनाओं का संगम
आज सोशल मीडिया के ज़माने में जब हम हर छोटी उपलब्धि पर पोस्ट और लाइक करते हैं, तो राम मंदिर के स
अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर भारतीय आस्था, संस्कृति और सभ्यता का प्रतीक है। यह केवल एक भवन नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है, जिसकी प्रतीक्षा सदियों से की जा रही थी। हाल ही में इस मंदिर के शिखर पर सोने की परत चढ़ाई गई, जिससे इसकी भव्यता और दिव्यता में अद्वितीय चार चांद लग गए हैं। अब यह मंदिर दूर से ही अपनी चमक और तेज से श्रद्धालुओं के मन को मोह लेने वाला दृश्य बन चुका है।
सोने का शिखर: प्रतीक है समर्पण और शान का
राम मंदिर के शिखर पर जो सोने की परत चढ़ाई गई है, वह न केवल स्थापत्य सौंदर्य को बढ़ाती है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और भगवान राम के प्रति जनसमूह के अटूट समर्पण को दर्शाती है। यह सोना आम नागरिकों, श्रद्धालुओं और सेवाभावी संगठनों के दान से जुटाया गया है। यह दिखाता है कि यह मंदिर केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा से जुड़ी एक भावनात्मक यात्रा है।
सोने की परत से सुसज्जित शिखर जब सूरज की रोशनी में चमकता है, तो वह किसी चमत्कारी दृश्य से कम नहीं लगता। यह दिव्य चमक मानो यह घोषणा करती है कि अब रामलला अपने भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित हैं और संपूर्ण भारत का आत्मगौरव जागृत हो चुका है।
दूर से भी दिखे ‘राम का राज्य’
अयोध्या में स्थित यह भव्य मंदिर अब दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को भी पहले दर्शन से मंत्रमुग्ध कर देता है। जहां पहले मंदिर की भव्यता संगमरमर और नक्काशी से पहचानी जाती थी, अब उसका स्वर्णिम शिखर उसे और भी विशिष्ट बना देता है। यह दृश्य दर्शकों को गर्व से भर देता है और यही तो है रामराज्य की भावना, जहाँ दिव्यता और न्याय का साम्राज्य हो।
यह नास्तिकता नहीं, तो और क्या?
इस स्वर्णमंडित शिखर की आभा को देखकर कोई भी भारतीय हृदय श्रद्धा से झुक जाए, यह स्वाभाविक है। यह केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि संस्कृति, संघर्ष और सामूहिक प्रयास का प्रतीक है। अब यदि कोई इस दृश्य को देखकर भी प्रशंसा न करे, उसका सम्मान न करे, या कम से कम एक लाइक तक न दे, तो वह केवल नास्तिक ही नहीं, बल्कि शायद अपनी जड़ों से कटा हुआ व्यक्ति भी कहा जा सकता है।
तकनीक और भावनाओं का संगम
आज सोशल मीडिया के ज़माने में जब हम हर छोटी उपलब्धि पर पोस्ट और लाइक करते हैं, तो राम मंदिर के स
साभार...
हमारे बुद्धिजीवी अक्सर देश में मजहबी समस्या के बारे में काफी चिंतित दिखाई देते हैं.
तो,अगर वाकई हमें मजहबी चिंता है तो हमें कुछ बेसिक बातें समझनी होगी तभी हम इस समस्या को बेहतर ढंग से सुलझा पाएंगे.
देखा जाए तो,हमारे #सनातन_धर्म और #अरबी_मजहब में कुछ बेसिक अंतर हैं.
जहाँ हम सभ्य और सुसंस्कृत हैं वहीं मजहब जाहिलाना सोच से परिपूर्ण है.
हम नारियों के सम्मान पर और प्रकृति पूजन पर जोर देते हैं..
दान-पुण्य पर विश्वास करते हैं..
और,जीव-हत्या से परहेज करते हैं.
वहीं वे गैर-महजब तो छोड़ो अपनी माँ-बहनों को भी खेती मानते हैं..
प्रकृति का विघटन करते हैं..
और,जीव हत्या को सबसे बड़ा मजहबी कार्य मानते हैं.
और तो और,जहाँ दुनिया इस गर्मी कम और हल्के कपड़े पहनती है वहीं उनकी महिलाएँ इस भीषण गर्मी में भी काले तंबू के लबादे में ढंकी रहती है.
ऊपर से तीन निकाह,#हलाला,#मुताह आदि तो है ही.
मतलब कि हमारी और उनकी कोई तुलना ही नहीं है.
लेकिन,फिर भी... #लव_जिहाद और #धर्मपरिवर्तन से हम परेशान हैं वे नहीं...
बल्कि,तरीके से... इसका बिल्कुल उल्टा होना चाहिए था.
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये उल्टी गंगा बह क्यों बह रही है ???
असल में इसका मुख्य कारण है हमारी अज्ञानता,अपने धर्म के प्रति उदासीनता और दूसरों को अपने से बेहतर मानने की प्रवृति.
तो,इसमें समस्या ये आती है कि... अपने लोग अपने धर्म की महानता नहीं जानते हैं या फिर हम अपने लोगों को अपना धर्म नहीं समझा पाते हैं,
इसीलिए,सामने वाला उन्हें अपना अधर्म समझा जाता है..
जिससे,हमारे लिए लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसी समस्याएं आने लगती है.
और,हम हिंदुओं में ये समस्या सिर्फ धार्मिक तौर पर ही नहीं है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक तौर भी है.
उसी समस्या के कारण ... लोग हिन्दू होते हुए भी अपने ही करवा चौथ,छठ पूजा,बट सावित्री पूजा,रक्षाबंधन जैसे त्योहारों का #मिम्स बनाते हैं और दूसरे हिन्दू उसपर ठहाके लगाते हैं.
और,सिर्फ त्योहारों तक ही सीमित नहीं है.
ये हम सब जानते हैं कि अपने देश में संसदीय प्रणाली है और देश कानून से चलता है.
इसका मतलब हुआ कि... देश वैसे ही चलेगा जैसा देश की संसद चाहेगी अथवा जैसी कानून बनाएगी.
तो,यदि हमें देश को अपने हिसाब से चलाना है तो फिर सत्ता अपने हाथ में चाहिए.
ये समझने के लिए किसी का वैज्ञानिक होना जरूरी नहीं है बल्कि इतनी आसान सी बात को कोई बच्चा भी समझ भी समझ सकता है.
लेकिन,हम करते क्या हैं ???
हम अपने ही त्योहार,अपनी ही पार्टी की हंसी उड़ाते हैं..
और,उसके विरुद्ध कैम्पेनिंग करते हैं.
और,मजे की बात है कि ऐसा करने वालों को कोई विधर्मी नहीं बल्कि अपने ही लोग समर्थन करते हैं.
लेकिन,कोई ये समझने के लिए तैयार नहीं है कि हम हिन्दू सिर्फ राजनीतिक तौर पर ऐसा नहीं करते हैं बल्कि धार्मिक रूप से भी इसी समस्या से ग्रसित हैं... अज्ञानता,उदासीनता और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ मानने की प्रवृति.
लेकिन,यकीन मानें कि.... जिस तरह धर्म के मामले में सर्वश्रेष्ठ होने के बावजूद भी हम आज लव जिहाद और धर्मपरिवर्तन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं...
ठीक उसी तरह,राजनीतिक मामले में भी.... अज्ञानता (घटनाक्रम के बारे में आधी-अधूरी जानकारी होना),उदासीनता (ज्यादा मतलब नहीं रखना) और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ मानने की प्रवृति (खान्ग्रेस,सपा,राजद,टीएमसी आदि को कार्यकर्ता मामले में बेहतर मानने की प्रवृति) के कारण बहुत ही जल्द हम राजनीतिक मामलों में भी उसी लव जिहाद और धर्मपरिवर्तन (सत्ता परिवर्तन) की समस्या झेलेंगे.
और,ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है.
अर्थात,जिसकी सत्ता होती है देश उन्हीं की विचारधारा के अनुसार चलता है.
अंत में चलते-चलते ये बता दूँ कि मुगलिया हमले के समय भी अपने राजाओं से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर किले के अंदर से ही दुश्मनों के लिए दरवाजा खोलने की ये प्रथा काफी पुरानी है जो कि आज भी बदस्तूर जारी है.
अंतर सिर्फ ये है कि उस समय राजा से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर मुगलिया सेना के लिए किले के दरवाजे खोले जाते थे..
और,आज अपने राजा से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर मुगलों के सरपरस्तों के लिए किले अर्थात संसद के दरवाजे खोलने का प्रयास जारी है.
जय महाकाल...!!!सभी को राम राम रहेगी!
हमारे बुद्धिजीवी अक्सर देश में मजहबी समस्या के बारे में काफी चिंतित दिखाई देते हैं.
तो,अगर वाकई हमें मजहबी चिंता है तो हमें कुछ बेसिक बातें समझनी होगी तभी हम इस समस्या को बेहतर ढंग से सुलझा पाएंगे.
देखा जाए तो,हमारे #सनातन_धर्म और #अरबी_मजहब में कुछ बेसिक अंतर हैं.
जहाँ हम सभ्य और सुसंस्कृत हैं वहीं मजहब जाहिलाना सोच से परिपूर्ण है.
हम नारियों के सम्मान पर और प्रकृति पूजन पर जोर देते हैं..
दान-पुण्य पर विश्वास करते हैं..
और,जीव-हत्या से परहेज करते हैं.
वहीं वे गैर-महजब तो छोड़ो अपनी माँ-बहनों को भी खेती मानते हैं..
प्रकृति का विघटन करते हैं..
और,जीव हत्या को सबसे बड़ा मजहबी कार्य मानते हैं.
और तो और,जहाँ दुनिया इस गर्मी कम और हल्के कपड़े पहनती है वहीं उनकी महिलाएँ इस भीषण गर्मी में भी काले तंबू के लबादे में ढंकी रहती है.
ऊपर से तीन निकाह,#हलाला,#मुताह आदि तो है ही.
मतलब कि हमारी और उनकी कोई तुलना ही नहीं है.
लेकिन,फिर भी... #लव_जिहाद और #धर्मपरिवर्तन से हम परेशान हैं वे नहीं...
बल्कि,तरीके से... इसका बिल्कुल उल्टा होना चाहिए था.
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये उल्टी गंगा बह क्यों बह रही है ???
असल में इसका मुख्य कारण है हमारी अज्ञानता,अपने धर्म के प्रति उदासीनता और दूसरों को अपने से बेहतर मानने की प्रवृति.
तो,इसमें समस्या ये आती है कि... अपने लोग अपने धर्म की महानता नहीं जानते हैं या फिर हम अपने लोगों को अपना धर्म नहीं समझा पाते हैं,
इसीलिए,सामने वाला उन्हें अपना अधर्म समझा जाता है..
जिससे,हमारे लिए लव जिहाद और धर्म परिवर्तन जैसी समस्याएं आने लगती है.
और,हम हिंदुओं में ये समस्या सिर्फ धार्मिक तौर पर ही नहीं है बल्कि सामाजिक और राजनीतिक तौर भी है.
उसी समस्या के कारण ... लोग हिन्दू होते हुए भी अपने ही करवा चौथ,छठ पूजा,बट सावित्री पूजा,रक्षाबंधन जैसे त्योहारों का #मिम्स बनाते हैं और दूसरे हिन्दू उसपर ठहाके लगाते हैं.
और,सिर्फ त्योहारों तक ही सीमित नहीं है.
ये हम सब जानते हैं कि अपने देश में संसदीय प्रणाली है और देश कानून से चलता है.
इसका मतलब हुआ कि... देश वैसे ही चलेगा जैसा देश की संसद चाहेगी अथवा जैसी कानून बनाएगी.
तो,यदि हमें देश को अपने हिसाब से चलाना है तो फिर सत्ता अपने हाथ में चाहिए.
ये समझने के लिए किसी का वैज्ञानिक होना जरूरी नहीं है बल्कि इतनी आसान सी बात को कोई बच्चा भी समझ भी समझ सकता है.
लेकिन,हम करते क्या हैं ???
हम अपने ही त्योहार,अपनी ही पार्टी की हंसी उड़ाते हैं..
और,उसके विरुद्ध कैम्पेनिंग करते हैं.
और,मजे की बात है कि ऐसा करने वालों को कोई विधर्मी नहीं बल्कि अपने ही लोग समर्थन करते हैं.
लेकिन,कोई ये समझने के लिए तैयार नहीं है कि हम हिन्दू सिर्फ राजनीतिक तौर पर ऐसा नहीं करते हैं बल्कि धार्मिक रूप से भी इसी समस्या से ग्रसित हैं... अज्ञानता,उदासीनता और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ मानने की प्रवृति.
लेकिन,यकीन मानें कि.... जिस तरह धर्म के मामले में सर्वश्रेष्ठ होने के बावजूद भी हम आज लव जिहाद और धर्मपरिवर्तन जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं...
ठीक उसी तरह,राजनीतिक मामले में भी.... अज्ञानता (घटनाक्रम के बारे में आधी-अधूरी जानकारी होना),उदासीनता (ज्यादा मतलब नहीं रखना) और दूसरों को अपने से श्रेष्ठ मानने की प्रवृति (खान्ग्रेस,सपा,राजद,टीएमसी आदि को कार्यकर्ता मामले में बेहतर मानने की प्रवृति) के कारण बहुत ही जल्द हम राजनीतिक मामलों में भी उसी लव जिहाद और धर्मपरिवर्तन (सत्ता परिवर्तन) की समस्या झेलेंगे.
और,ये बताने की आवश्यकता नहीं है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस होती है.
अर्थात,जिसकी सत्ता होती है देश उन्हीं की विचारधारा के अनुसार चलता है.
अंत में चलते-चलते ये बता दूँ कि मुगलिया हमले के समय भी अपने राजाओं से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर किले के अंदर से ही दुश्मनों के लिए दरवाजा खोलने की ये प्रथा काफी पुरानी है जो कि आज भी बदस्तूर जारी है.
अंतर सिर्फ ये है कि उस समय राजा से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर मुगलिया सेना के लिए किले के दरवाजे खोले जाते थे..
और,आज अपने राजा से असन्तुष्ट होकर अथवा निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर मुगलों के सरपरस्तों के लिए किले अर्थात संसद के दरवाजे खोलने का प्रयास जारी है.
जय महाकाल...!!!सभी को राम राम रहेगी!
जून 7, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
अनारम्भस्तु कार्याणां प्रथमं बुद्धिलक्षणम्।
आरब्धस्यान्तगमनं द्वितीयं बुद्धिलक्षणम्॥
कार्य शुरु न करना बुद्धि का पहला लक्षण है।
शुरु किये हुए कार्य को समाप्त करना बुद्धि का दूसरा लक्षण है।
जय श्री शनिदेव
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
अनारम्भस्तु कार्याणां प्रथमं बुद्धिलक्षणम्।
आरब्धस्यान्तगमनं द्वितीयं बुद्धिलक्षणम्॥
कार्य शुरु न करना बुद्धि का पहला लक्षण है।
शुरु किये हुए कार्य को समाप्त करना बुद्धि का दूसरा लक्षण है।
जय श्री शनिदेव
जय श्री राम
क्यो नही
पूजन में मन लगता
कालपुरुष की कुंडली मे
12 राशि होती है।
राशि से भी पता कर सकते है कि
मंत्र सिद्ध होगा ?
चंद्रमा मनसो जातः ||
मन चंचल है।
चंचल इसलिए है कि
काल पुरुष के 4थे भाव में "मन" कर्क राशि में रहता है।
संसार में "मन" को कौन वश में कर सकता है।
"मन" को वश में करने का सभी धर्मो में एक ही उपाय बताया है
वह है "ध्यान"।
ध्यान करने से मन वश में रहता है।
ज्योतिष शास्त्र में
"वृष" "सिंह" "वृश्चिक" व "कुम्भ' राशि स्थिर राशि है।
ऐसे राशि वालों का ध्यान जल्दी लगता है।
"मिथुन" "कन्या" "धनु" व "मीन" राशि वालों का ध्यान भटकता है।
"मेष" "कर्क" "तुला" व "मकर" राशि वालों का ध्यान लग नहीं पाता।
अगर "मन" की
चंचलता को
महत्वाकांशा का त्याग करें
तो सिद्धि प्राप्त हो सकती है।
पूजन में मन लगता
कालपुरुष की कुंडली मे
12 राशि होती है।
राशि से भी पता कर सकते है कि
मंत्र सिद्ध होगा ?
चंद्रमा मनसो जातः ||
मन चंचल है।
चंचल इसलिए है कि
काल पुरुष के 4थे भाव में "मन" कर्क राशि में रहता है।
संसार में "मन" को कौन वश में कर सकता है।
"मन" को वश में करने का सभी धर्मो में एक ही उपाय बताया है
वह है "ध्यान"।
ध्यान करने से मन वश में रहता है।
ज्योतिष शास्त्र में
"वृष" "सिंह" "वृश्चिक" व "कुम्भ' राशि स्थिर राशि है।
ऐसे राशि वालों का ध्यान जल्दी लगता है।
"मिथुन" "कन्या" "धनु" व "मीन" राशि वालों का ध्यान भटकता है।
"मेष" "कर्क" "तुला" व "मकर" राशि वालों का ध्यान लग नहीं पाता।
अगर "मन" की
चंचलता को
महत्वाकांशा का त्याग करें
तो सिद्धि प्राप्त हो सकती है।
अपनी नित्य की पूजा में
दिन वार के हिसाब से करें जप
सोमवार
ऊँ सोमाय नमः। 1माला
ऊँ नमः शिवाय। 1माला
मंगलवार
ऊँ भौमाय नमः। 1माला
ऊँ हनमतये नमः। 1माला
बुधवार
ऊँ बुधाय नमः। 1माला
ऊँ श्रीगणेशाय नमः। 1माला
गुरुवार
ऊँ गुरुवे नमः। 1माला
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय। 1माला
शुक्रवार
ऊँ शुक्राय नमः। 1माला
ऊँ लक्ष्म्यै नमः। 1माला
शनिवार
ऊँ शनैश्चराय नमः। 1माला
ऊँ राहुवै नमः। 1माला
ऊँ केतवे नमः। 1माला
रविवार
ऊँ सूर्याय नमः। 1माला
इस तरह अपने पूजा के अंत मे नित्य जाप करें।
बहुत हद तक आप की समस्या अवश्य कम होगी।
ऐसे ही रोचक तथ्यः जानने के लिए हमारे पेज को लाइक और शेयर करे धन्यवाद्🙏🙏🙏🙏
दिन वार के हिसाब से करें जप
सोमवार
ऊँ सोमाय नमः। 1माला
ऊँ नमः शिवाय। 1माला
मंगलवार
ऊँ भौमाय नमः। 1माला
ऊँ हनमतये नमः। 1माला
बुधवार
ऊँ बुधाय नमः। 1माला
ऊँ श्रीगणेशाय नमः। 1माला
गुरुवार
ऊँ गुरुवे नमः। 1माला
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय। 1माला
शुक्रवार
ऊँ शुक्राय नमः। 1माला
ऊँ लक्ष्म्यै नमः। 1माला
शनिवार
ऊँ शनैश्चराय नमः। 1माला
ऊँ राहुवै नमः। 1माला
ऊँ केतवे नमः। 1माला
रविवार
ऊँ सूर्याय नमः। 1माला
इस तरह अपने पूजा के अंत मे नित्य जाप करें।
बहुत हद तक आप की समस्या अवश्य कम होगी।
ऐसे ही रोचक तथ्यः जानने के लिए हमारे पेज को लाइक और शेयर करे धन्यवाद्🙏🙏🙏🙏
जून 7, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
तावत्प्रीति भवेत् लोके यावद् दानं प्रदीयते ।
वत्स: क्षीरक्षयं दृष्ट्वा परित्यजति मातरम्
लोगों का प्रेम तभी तक रहता है जब तक उनको कुछ मिलता रहता है। मां का दूध सूख जाने के बाद बछड़ा तक उसका साथ छोड़ देता है।
जय श्री शनि देव
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
तावत्प्रीति भवेत् लोके यावद् दानं प्रदीयते ।
वत्स: क्षीरक्षयं दृष्ट्वा परित्यजति मातरम्
लोगों का प्रेम तभी तक रहता है जब तक उनको कुछ मिलता रहता है। मां का दूध सूख जाने के बाद बछड़ा तक उसका साथ छोड़ देता है।
जय श्री शनि देव
जय श्री राम
साभार...
#हिन्दूओं की जीभ #चटोरी नहीं होती तो कम से कम भारत मे तो #बकरीद का रूप बिल्कुल बदल गया होता
#हज के दौरान बकरा या अन्य जानवर की कुर्बानी जिसको कि "#हदी या #दम" कहा जाता है,अनिवार्य होती है।
लेकिन हाजियों को वहां कि सरकार गन्दगी आदि कारणों से सीधे कुर्बानी का मौका नहीं देती सो अधिसंख्य हाजी सऊदी सरकार व #IDB इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक द्वारा संचालित #Adahi_Project के माध्यम से कुर्बानी करवाते हैं.....
इसमें हाजी अपनी हज एजेंसी या बैंक के माध्यम से 720 SAR ( 16 हजार रुपिये के आसपास) का वाउचर खरीदता है।
वह कूपन IDB को अधिकृत करता है कि वे उसकी ओर से कुर्बानी करें और कुर्बानी के बाद,मांस को जरूरतमंद क्षेत्रों में वितरित किया जाय,इस व्यवस्था में मान लिया जाता है कि Adahi Project द्वारा जानवर की कुर्बानी कर मांस ज़रूरतमंदों में बांट दिया गया है..
अब सोचिए!
क्या सऊदी अरब में कहीं कोई ऐसे जरूरत मंद होंगे जो कि दूसरों के द्वारा की गयी कुर्बानी का मांस खाते होंगे...... जाहिर है ये रकम दूसरे खैराती कामों में लगती होगी
--------------------------------------------
यदि भारत में हिन्दू बकरीद पर 3 दिन चलने वाली कुर्बानी पर अपने मुस्लिम मित्रों के यहां बकरे की प्लेट ना मार रहे होते तो..
निश्चित है कि भारत के बहुत बड़े हिस्से में कुर्बानी की रस्म
Adahi Project जैसी किसी संस्था को बकरे की कॉस्ट के रुपिये देकर कराना शुरू हो गयी होती...
विचार अवश्य करिएगा शांत चित्त से...राम राम रहेगी सभी को!
#हिन्दूओं की जीभ #चटोरी नहीं होती तो कम से कम भारत मे तो #बकरीद का रूप बिल्कुल बदल गया होता
#हज के दौरान बकरा या अन्य जानवर की कुर्बानी जिसको कि "#हदी या #दम" कहा जाता है,अनिवार्य होती है।
लेकिन हाजियों को वहां कि सरकार गन्दगी आदि कारणों से सीधे कुर्बानी का मौका नहीं देती सो अधिसंख्य हाजी सऊदी सरकार व #IDB इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक द्वारा संचालित #Adahi_Project के माध्यम से कुर्बानी करवाते हैं.....
इसमें हाजी अपनी हज एजेंसी या बैंक के माध्यम से 720 SAR ( 16 हजार रुपिये के आसपास) का वाउचर खरीदता है।
वह कूपन IDB को अधिकृत करता है कि वे उसकी ओर से कुर्बानी करें और कुर्बानी के बाद,मांस को जरूरतमंद क्षेत्रों में वितरित किया जाय,इस व्यवस्था में मान लिया जाता है कि Adahi Project द्वारा जानवर की कुर्बानी कर मांस ज़रूरतमंदों में बांट दिया गया है..
अब सोचिए!
क्या सऊदी अरब में कहीं कोई ऐसे जरूरत मंद होंगे जो कि दूसरों के द्वारा की गयी कुर्बानी का मांस खाते होंगे...... जाहिर है ये रकम दूसरे खैराती कामों में लगती होगी
--------------------------------------------
यदि भारत में हिन्दू बकरीद पर 3 दिन चलने वाली कुर्बानी पर अपने मुस्लिम मित्रों के यहां बकरे की प्लेट ना मार रहे होते तो..
निश्चित है कि भारत के बहुत बड़े हिस्से में कुर्बानी की रस्म
Adahi Project जैसी किसी संस्था को बकरे की कॉस्ट के रुपिये देकर कराना शुरू हो गयी होती...
विचार अवश्य करिएगा शांत चित्त से...राम राम रहेगी सभी को!
साभार....
गांव के मेले में बच्चा जब तक अपनों का हाथ थाम कर चलता रहता है तब तक उसे मेले की हर चीज सुंदर लगती है और वो आनंदित रहता है।मगर गलती से अपने का अगर हाथ छूटता है और वह अलग हो जाता है तब वही मेला उसे बुरा और भयानक आनंदविहीन लगने लगता है।
ये दुनिया भी एक मेला है गुरु।अपनों का हाथ पकड़े रहिये,अच्छे खट्टे मीठे,बुरे अनुभव होते रहेंगे।रूठना,मनाना और नाराज होना चलता रहेगा मगर अपनो से दूर मत होइए,वरना अपनो के बिना ये दुनिया का मेला बहुत भयानक लगने लगेगा।
खून के रिश्तों से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता और भाई कभी बोझ नहीं होता है। गिर जाए तो उठा लीजिए,थक जाए तो सहारा दीजिए,गलती हो जाए तो माफ कर दीजिए,क्योंकि भाई भाई है,बोझ नहीं है।जब भाई साथ हो तो पीठ सूनी नहीं रहती,वह भाई हर वार अपने सीने पर झेल लेता है।भाई दोस्त है,भाई ढाल है,भाई रक्षकवच है,भाई हिम्मत है,भाई हौसला है।
भाई भाई में कैसी नाराजगी,कैसी प्रतिस्पर्धा,कैसा ढोंग?इसलिए किसी की बातों में आकर कभी भाई का साथ मत छोड़ेगा।जब कभी दुनिया आप को छोड़ेगी तो वो आप को पीठ पर बैठा लेगा इसलिए कभी दुनिये उसे छोड़ दे तो उसे अपनी पीठ पर बैठा लीजिएगा।मेरी समझ मैने आपसे कही आप अपनी साझा कर सकते हैं।राम राम रहेगी सभी को!
गांव के मेले में बच्चा जब तक अपनों का हाथ थाम कर चलता रहता है तब तक उसे मेले की हर चीज सुंदर लगती है और वो आनंदित रहता है।मगर गलती से अपने का अगर हाथ छूटता है और वह अलग हो जाता है तब वही मेला उसे बुरा और भयानक आनंदविहीन लगने लगता है।
ये दुनिया भी एक मेला है गुरु।अपनों का हाथ पकड़े रहिये,अच्छे खट्टे मीठे,बुरे अनुभव होते रहेंगे।रूठना,मनाना और नाराज होना चलता रहेगा मगर अपनो से दूर मत होइए,वरना अपनो के बिना ये दुनिया का मेला बहुत भयानक लगने लगेगा।
खून के रिश्तों से बड़ा कोई रिश्ता नहीं होता और भाई कभी बोझ नहीं होता है। गिर जाए तो उठा लीजिए,थक जाए तो सहारा दीजिए,गलती हो जाए तो माफ कर दीजिए,क्योंकि भाई भाई है,बोझ नहीं है।जब भाई साथ हो तो पीठ सूनी नहीं रहती,वह भाई हर वार अपने सीने पर झेल लेता है।भाई दोस्त है,भाई ढाल है,भाई रक्षकवच है,भाई हिम्मत है,भाई हौसला है।
भाई भाई में कैसी नाराजगी,कैसी प्रतिस्पर्धा,कैसा ढोंग?इसलिए किसी की बातों में आकर कभी भाई का साथ मत छोड़ेगा।जब कभी दुनिया आप को छोड़ेगी तो वो आप को पीठ पर बैठा लेगा इसलिए कभी दुनिये उसे छोड़ दे तो उसे अपनी पीठ पर बैठा लीजिएगा।मेरी समझ मैने आपसे कही आप अपनी साझा कर सकते हैं।राम राम रहेगी सभी को!
साभार...
एक्शन गलत हो तो उसके लिये क्षमा भी दी जा सकती है और दंड भी,लेकिन यदि उस एक्शन के पीछे का इंटेंट / मोटिव ही गलत हो,तो दंड अपरिहार्य है।
राहुल गांधी कोई बच्चे नही हैं जो उन्हे नरेंदर-सरेंडर बोलने के प्रभावों का ज्ञान नही रहा होगा।पाकिस्तान जैसा चीलर उनके घटिया बयानों को #मीडिया से लेकर #संयुक्तराष्ट्र तक चला रहा है — यह भारत की राष्ट्रीय अस्मिता से खिलवाड़ है,और यह राहुल की सहमति और इच्छा से हो रहा है।राहुल की अपनी पॉलिटिकल एंबिशन्स हो सकती हैं,लेकिन उनकी पूर्ति के लिये आप मुँह से हग कर वैश्विक पटल पर भारत सरकार और भारतीय सेनाओं को हँसी का पात्र बनायें- उसे भीरु या विफल दर्शायें,यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नही है।यहाँ राहुल से कोई भूल नही हुई है,बल्कि उनका #मोटिव ही विषाक्त है।
राजनीतिक शिष्टाचार के नाते नरेंद्र मोदी को अपना व्यक्तिगत मान-अपमान क्षमा करने का अधिकार होगा,वो करते रहें। लेकिन भारत का अपमान क्षमा करने का अधिकार भारत के प्रधानमंत्री को भी नही हो सकता. . . इसका तो निर्णायक दंड ही दिया जाना चाहिये।
एक्शन गलत हो तो उसके लिये क्षमा भी दी जा सकती है और दंड भी,लेकिन यदि उस एक्शन के पीछे का इंटेंट / मोटिव ही गलत हो,तो दंड अपरिहार्य है।
राहुल गांधी कोई बच्चे नही हैं जो उन्हे नरेंदर-सरेंडर बोलने के प्रभावों का ज्ञान नही रहा होगा।पाकिस्तान जैसा चीलर उनके घटिया बयानों को #मीडिया से लेकर #संयुक्तराष्ट्र तक चला रहा है — यह भारत की राष्ट्रीय अस्मिता से खिलवाड़ है,और यह राहुल की सहमति और इच्छा से हो रहा है।राहुल की अपनी पॉलिटिकल एंबिशन्स हो सकती हैं,लेकिन उनकी पूर्ति के लिये आप मुँह से हग कर वैश्विक पटल पर भारत सरकार और भारतीय सेनाओं को हँसी का पात्र बनायें- उसे भीरु या विफल दर्शायें,यह किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नही है।यहाँ राहुल से कोई भूल नही हुई है,बल्कि उनका #मोटिव ही विषाक्त है।
राजनीतिक शिष्टाचार के नाते नरेंद्र मोदी को अपना व्यक्तिगत मान-अपमान क्षमा करने का अधिकार होगा,वो करते रहें। लेकिन भारत का अपमान क्षमा करने का अधिकार भारत के प्रधानमंत्री को भी नही हो सकता. . . इसका तो निर्णायक दंड ही दिया जाना चाहिये।