आत्मा और शरीर
शरीर नाशवान
होने के कारण शोक करना व्यर्थ है।
क्योंकि आत्मा अच्छेद है।
आत्मा अदाह्य अकेलद्य और अशोष्य है।
आत्मा सर्वव्यापक अचल स्थिर और सनातन है।
आत्मा अचिन्त्य है।
विकार रहित है।
आत्मा के लिए चिंता करना सर्वथा अयुक्त है।
और यही उपदेश
प्रभुश्रीरामजी ने तारा को दिया
छिति जलपावक गगन समीरा |
पंच रचित अति अधम सरीरा ||
प्रगट सो तनु तव आगे सोवा |
जीव नित्य केहि लगि तुम्ह रोवा ||
उपजा ग्यान चरन तब लागी |
लीन्हेसि परम् भगति बर मांगी ||
इससे यह हो गया कि
शरीर या आत्मा किसी के लिए शोक करने की आवश्यकता नही है।
गीता के अनुसार
वासासिं जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृहणाति नरोSपराणि |
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही ||
जैसे मनुष्य
पुराने वस्त्रो को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रो को धारण करता है
वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरो को त्याग कर दूसरे नए शरीर को ग्रहण करता है।
रामचरन दृढ प्रीति करि बालि कीन तनु त्याग |
सुमन माल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग ||
जय श्री हरि🙏
शरीर नाशवान
होने के कारण शोक करना व्यर्थ है।
क्योंकि आत्मा अच्छेद है।
आत्मा अदाह्य अकेलद्य और अशोष्य है।
आत्मा सर्वव्यापक अचल स्थिर और सनातन है।
आत्मा अचिन्त्य है।
विकार रहित है।
आत्मा के लिए चिंता करना सर्वथा अयुक्त है।
और यही उपदेश
प्रभुश्रीरामजी ने तारा को दिया
छिति जलपावक गगन समीरा |
पंच रचित अति अधम सरीरा ||
प्रगट सो तनु तव आगे सोवा |
जीव नित्य केहि लगि तुम्ह रोवा ||
उपजा ग्यान चरन तब लागी |
लीन्हेसि परम् भगति बर मांगी ||
इससे यह हो गया कि
शरीर या आत्मा किसी के लिए शोक करने की आवश्यकता नही है।
गीता के अनुसार
वासासिं जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृहणाति नरोSपराणि |
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही ||
जैसे मनुष्य
पुराने वस्त्रो को त्याग कर दूसरे नए वस्त्रो को धारण करता है
वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरो को त्याग कर दूसरे नए शरीर को ग्रहण करता है।
रामचरन दृढ प्रीति करि बालि कीन तनु त्याग |
सुमन माल जिमि कंठ ते गिरत न जानइ नाग ||
जय श्री हरि🙏
मार धूड़ में लठ्ठ......
ये हमारी न्यायपालिका के AC चेम्बर में बैठने वाले भतीजो की मानसिकता झलक रही है कि वे राष्ट्र हित की राष्ट्र की अस्मिता की व राष्ट्र के सुरक्षा की , राष्ट्र की रणनीति की कितनी अहमियत रखते है ।
ये अंग्रेजी कानून की दासता में भाई भतीजावाद का जबरन कोलेजियम सिस्टम से जज बन कर न्याय नही मनघडंत फैसले देते है ।
इनको इतना ही राष्ट्रीय रणनीति बनाने का कानून बनाने का शौक है तो इन्हें किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर सांसद बन संसद में चले जाना चाहिये ।
जनता का राष्ट्रपति महोदया से निवेदन है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध फैसले देने वाले ऐसे जजों पर नकेल कसे । इनके ऊपर भी जाँच चले व इनके फैसलों के लिये भी इन्हें उत्तरदायी ठहराये । इनका चयन upsc के माध्यम से करने का आदेश जारी करावे नही तो इन जजों को बर्खास्त करावे ।
ये हमारी न्यायपालिका के AC चेम्बर में बैठने वाले भतीजो की मानसिकता झलक रही है कि वे राष्ट्र हित की राष्ट्र की अस्मिता की व राष्ट्र के सुरक्षा की , राष्ट्र की रणनीति की कितनी अहमियत रखते है ।
ये अंग्रेजी कानून की दासता में भाई भतीजावाद का जबरन कोलेजियम सिस्टम से जज बन कर न्याय नही मनघडंत फैसले देते है ।
इनको इतना ही राष्ट्रीय रणनीति बनाने का कानून बनाने का शौक है तो इन्हें किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर सांसद बन संसद में चले जाना चाहिये ।
जनता का राष्ट्रपति महोदया से निवेदन है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध फैसले देने वाले ऐसे जजों पर नकेल कसे । इनके ऊपर भी जाँच चले व इनके फैसलों के लिये भी इन्हें उत्तरदायी ठहराये । इनका चयन upsc के माध्यम से करने का आदेश जारी करावे नही तो इन जजों को बर्खास्त करावे ।
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : बुधवार
दिनांक: 28 मई 2025
सूर्योदय : 5:26 प्रात:
सूर्यास्त : 7:10 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : द्वितीया 1:54 रात्रि तक फिर तृतीया
नक्षत्र : मृगशिरा 12:28 रात्रि तक फिर आर्द्रा
योग : धृति 7:08 सांय तक फिर शूल
राहुकाल : 12:18 - 2:01 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : बुधवार
दिनांक: 28 मई 2025
सूर्योदय : 5:26 प्रात:
सूर्यास्त : 7:10 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : द्वितीया 1:54 रात्रि तक फिर तृतीया
नक्षत्र : मृगशिरा 12:28 रात्रि तक फिर आर्द्रा
योग : धृति 7:08 सांय तक फिर शूल
राहुकाल : 12:18 - 2:01 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 28, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
विवेकख्यातिरविप्लवा हानोपायः।
निरंतर अभ्यास से प्राप्त निश्चल और निर्दोष विवेकज्ञान हान(अज्ञानता) का उपाय है।
जय श्री गणेश
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
विवेकख्यातिरविप्लवा हानोपायः।
निरंतर अभ्यास से प्राप्त निश्चल और निर्दोष विवेकज्ञान हान(अज्ञानता) का उपाय है।
जय श्री गणेश
जय श्री राम
सृणिंवहन्तं षडक्षरात्मानमनल्पभूषं मुनीश्वरैर्भार्गवपूर्वकैश्च।
संसेवितं देवमनाथकल्पं रूपं मनोज्ञं शरणं प्रपद्ये॥
वेदान्तवेद्यं जगतामधीशं देवादिवन्द्यं सुकृतैकगम्यम्।
स्तम्बेरमास्यं नवचन्द्रचूडं विनायकं तं शरणं प्रपद्ये॥
ॐ श्री गणाधिपतये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 28 मई को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि और बुधवार है द्वितीया आज देर रात 1:55 तक रहेगी आज शाम 7:09 तक धृति योग रहेगा आज दिन के समय चंद्रमा वृषभ राशि निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे साथ ही आज रात 12:29 तक मृगशिरा नक्षत्र रहेगा।
🌺🐀🙏🙏🐀🌺
संसेवितं देवमनाथकल्पं रूपं मनोज्ञं शरणं प्रपद्ये॥
वेदान्तवेद्यं जगतामधीशं देवादिवन्द्यं सुकृतैकगम्यम्।
स्तम्बेरमास्यं नवचन्द्रचूडं विनायकं तं शरणं प्रपद्ये॥
ॐ श्री गणाधिपतये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 28 मई को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि और बुधवार है द्वितीया आज देर रात 1:55 तक रहेगी आज शाम 7:09 तक धृति योग रहेगा आज दिन के समय चंद्रमा वृषभ राशि निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे साथ ही आज रात 12:29 तक मृगशिरा नक्षत्र रहेगा।
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2029 के प्रधानमंत्री को लेकर देश की राजनीति में चर्चाएं अभी से शुरू हो चुकी हैं। नरेंद्र मोदी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और राहुल गांधी—ये चारों नाम वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुखता से उभर रहे हैं। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, उनकी कार्यशैली और संगठन पर पकड़ को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर वे चुनाव लड़ते हैं, तो 2029 में भी प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार होंगे। फिलहाल बीजेपी में उनके समकक्ष कोई और चेहरा दिखाई नहीं देता।
2024 के चुनावों के बाद यह बहस भी तेज हुई है कि क्या यह मोदी जी का आखिरी कार्यकाल होगा, या वे 2029 तक भी सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे। अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस जैसे वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि मोदी जी ही 2029 में भी पार्टी का चेहरा रहेंगे, जिससे यह संकेत मिलता है कि उनके उत्तराधिकारी की कोई तत्काल योजना नहीं बनाई जा रही है।
ममता बनर्जी का नाम भी एक संभावित प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर उभर रहा है। पश्चिम बंगाल में उनकी लोकप्रियता और लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद, वे विपक्षी राजनीति की एक सशक्त नेता बन चुकी हैं। उन्होंने 2024 के चुनाव में भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की थी और उनकी स्वीकार्यता राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ी है। अगर विपक्ष किसी साझा चेहरे पर सहमति बनाता है, तो ममता बनर्जी एक मजबूत दावेदार बन सकती हैं।
अखिलेश यादव ने 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को नई ऊंचाई दी है और वे उत्तर भारत में विपक्ष के प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर अभी उन्हें और समर्थन और अनुभव की जरूरत है। फिर भी, अगर विपक्ष एकजुट होता है, तो वे एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर लगातार सक्रिय हैं, लेकिन 2014, 2019 और 2024 के चुनाव परिणामों में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। हालांकि 2024 में कांग्रेस की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हें विपक्ष और जनता दोनों का और अधिक समर्थन हासिल करना होगा।
राजनीति में परिस्थितियां तेज़ी से बदलती हैं। 2029 तक कौन कहां खड़ा होगा, यह कहना अभी मुश्किल है। मोदी जी की सक्रियता, विपक्ष की रणनीति, जनता की प्राथमिकताएं और देश के मुद्दे—इन सब पर निर्भर करेगा कि अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा। अगर मोदी जी चुनाव लड़ते हैं, तो उन्हें हराना आसान नहीं होगा।
2024 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने से विपक्ष को नई ऊर्जा मिली है। अगर वह संगठित होता है और एक मजबूत चेहरा सामने लाता है, तो मुकाबला कड़ा हो सकता है। लेकिन मौजूदा हालात में मोदी जी का पलड़ा अब भी भारी दिखता है।
आखिर में, लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी निर्णायक होती है। 2029 में प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यह पूरी तरह से वोट और राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करेगा।
2024 के चुनावों के बाद यह बहस भी तेज हुई है कि क्या यह मोदी जी का आखिरी कार्यकाल होगा, या वे 2029 तक भी सक्रिय राजनीति में बने रहेंगे। अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस जैसे वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि मोदी जी ही 2029 में भी पार्टी का चेहरा रहेंगे, जिससे यह संकेत मिलता है कि उनके उत्तराधिकारी की कोई तत्काल योजना नहीं बनाई जा रही है।
ममता बनर्जी का नाम भी एक संभावित प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर उभर रहा है। पश्चिम बंगाल में उनकी लोकप्रियता और लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद, वे विपक्षी राजनीति की एक सशक्त नेता बन चुकी हैं। उन्होंने 2024 के चुनाव में भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की थी और उनकी स्वीकार्यता राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ी है। अगर विपक्ष किसी साझा चेहरे पर सहमति बनाता है, तो ममता बनर्जी एक मजबूत दावेदार बन सकती हैं।
अखिलेश यादव ने 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी को नई ऊंचाई दी है और वे उत्तर भारत में विपक्ष के प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं। हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर अभी उन्हें और समर्थन और अनुभव की जरूरत है। फिर भी, अगर विपक्ष एकजुट होता है, तो वे एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर लगातार सक्रिय हैं, लेकिन 2014, 2019 और 2024 के चुनाव परिणामों में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। हालांकि 2024 में कांग्रेस की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हें विपक्ष और जनता दोनों का और अधिक समर्थन हासिल करना होगा।
राजनीति में परिस्थितियां तेज़ी से बदलती हैं। 2029 तक कौन कहां खड़ा होगा, यह कहना अभी मुश्किल है। मोदी जी की सक्रियता, विपक्ष की रणनीति, जनता की प्राथमिकताएं और देश के मुद्दे—इन सब पर निर्भर करेगा कि अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा। अगर मोदी जी चुनाव लड़ते हैं, तो उन्हें हराना आसान नहीं होगा।
2024 में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने से विपक्ष को नई ऊर्जा मिली है। अगर वह संगठित होता है और एक मजबूत चेहरा सामने लाता है, तो मुकाबला कड़ा हो सकता है। लेकिन मौजूदा हालात में मोदी जी का पलड़ा अब भी भारी दिखता है।
आखिर में, लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी निर्णायक होती है। 2029 में प्रधानमंत्री कौन बनेगा, यह पूरी तरह से वोट और राजनीतिक समीकरणों पर निर्भर करेगा।
बांग्लादेश और पाकिस्तान से होने वाली अवैध घुसपैठ का एक और इलाज है...
"नसबंदी"
जैसे ही भारत के किसी भी कोने में कोई अवैध घुसपैठिए पकडे जाते हैं, सरकार को उनकी पक्की नसबंदी कर देनी चाहिए और उन्हें वापस बार्डर के रास्ते उनके देश भेज देना चाहिए.
इससे दो लाभ होंगे;
पहला : घुसपैठियों में भय पैदा होगा और भारत में घुसने से घबराएंगे।
दूसरा: अवैध घुसपैठिया जिसकी नसबंदी हो चुकी है, वह भारत में तो क्या उनके देश में भी बच्चे पैदा नहीं कर सकेंगे।
भारत में यदि दुबारा घुसेगा तो भी डेमोग्राफी चेंज नहीं कर पाएगा. नसबंदी सबसे ताकतवर हथियार हैं.
जितनी भी महिलाएं जो भारत में रहकर पाकिस्तान के मुस्लिमों के बच्चे भारत में पैदा कर रही है, उनकी भी नसबंदी की जाए क्योंकि पाकिस्तान के बच्चे पालने का ठेका भारत सरकार ने नहीं लिया और इन घुसपैठियो का वोटर लिस्ट से नाम हटाया जाए।
"नसबंदी"
जैसे ही भारत के किसी भी कोने में कोई अवैध घुसपैठिए पकडे जाते हैं, सरकार को उनकी पक्की नसबंदी कर देनी चाहिए और उन्हें वापस बार्डर के रास्ते उनके देश भेज देना चाहिए.
इससे दो लाभ होंगे;
पहला : घुसपैठियों में भय पैदा होगा और भारत में घुसने से घबराएंगे।
दूसरा: अवैध घुसपैठिया जिसकी नसबंदी हो चुकी है, वह भारत में तो क्या उनके देश में भी बच्चे पैदा नहीं कर सकेंगे।
भारत में यदि दुबारा घुसेगा तो भी डेमोग्राफी चेंज नहीं कर पाएगा. नसबंदी सबसे ताकतवर हथियार हैं.
जितनी भी महिलाएं जो भारत में रहकर पाकिस्तान के मुस्लिमों के बच्चे भारत में पैदा कर रही है, उनकी भी नसबंदी की जाए क्योंकि पाकिस्तान के बच्चे पालने का ठेका भारत सरकार ने नहीं लिया और इन घुसपैठियो का वोटर लिस्ट से नाम हटाया जाए।
#महान_क्रांतिकारी , स्वतंत्रता सेनानी और हिन्दू संस्कृति के प्रखर समर्थक "#_स्वातंत्र्यवीर_सावरकर" की जयंती पर विशेष...
""""""
जो वर्षों तक लड़े जेल में , उनकी याद करें ।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में , उनकी याद करें ।।
याद करें काला पानी को , अंग्रेजों की मनमानी को ।
कोल्हू में जुट तेल पेरते , सावरकर की बलिदानी को ।।
पूर्व प्रधानमंत्री #अटल_बिहारी बाजपेयी जी की ये पंक्तियाँ अनन्य देशभक्त , क्रांतिकारी वीर सावरकर के अदम्य साहस और भारतमाता के प्रति सर्वस्व समर्पित कर देने के उनके जज्बे का स्मरण कराती है | वीर सावरकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था , वे क्रांतिकारी होने के साथ - साथ मौलिक चिंतक , समाजसुधारक , इतिहासकार व लेखक भी थे ।
( 28 मई 1883) को जन्म के बाद अपने माता - पिता से शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा पेशवाओं की वीरगाथाएं सुन - सुनकर बड़े हुए | वीर सावरकर के व्यक्तित्व ने भारतीय युवाओं के हृदयँ में क्रांति की ज्वाला जगा दी थी....बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में जब स्वराज्य का नाम लेना भी देशद्रोह माना जाता था , पूर्ण स्वतंत्रता की पहली आवाज सावरकर ने ही बुलंद की थी | विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में सावरकर जी ने 1905 में जलाई...अंग्रेजों ने वंदे मातरम् बोलने व लिखने पर प्रतिबन्ध लगा रखा था , ऐसे में भी लन्दन में 1857 की क्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के लिए छापे गए आमंत्रण पत्र पर " वंदे मातरम् " लिखकर उन्होंने अंग्रेजों को खुली चुनौती दी | बैरिस्टरी उत्रीर्ण करने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादार रहने की शपथ लेने से इनकार करने पर उन्हें अपनी बैरिस्टर डिग्री से वंचित रहने का गौरव भी प्राप्त है | सावरकर द्वारा लिखित '1857 का स्वतंत्रता संग्राम ' नामक ओजस्वी पुस्तक विश्व की प्रथम पुस्तक है , जिससे भयभीत अंग्रेज सरकार ने उसके प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था ।
#सावरकर ने ही भारत का पहला राष्ट्रध्वज तैयार कर उसे जर्मनी के स्टुटगार्ड नामक स्थान पर अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में मैडम भीखाजी कामा के द्वारा सन 1907 में फहरवाया था इंग्लैंड में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने के लिए पानी के जहाज द्वारा भारत लाया जा रहा था | उस जहाज से गहरे समुद्र में छलांग लगाकर अंग्रेजी सैनिकों को चकमा देने के उनके साहसिक प्रयास ने सारे विश्व में खलबली मचा दी थी | अंग्रेजी सैनिकों की गोलियों की बौछार के बीच में वे तैरते हुए फ़्रांस की भूमि पर पहुँच गए थे | अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजाने के अपराध में एक ही जन्म में दो - दो आजन्म सश्रम कारावास की सजा पाने वाले सावरकर न केवल पहले अपितु अकेले भारतीय थे | उनकी सारी सम्पतियां अंग्रेजों ने जब्त कर ली थी , उनके परिवार को भीषण कष्टों का सामना करना पड़ा | उनके अन्य दो भाइयों को भी क्रांति में भाग लेने पर अंग्रेजों ने जेल में दाल दिया था।
खतरनाक मुजरिम मानते हुए सावरकर को कालापानी ( सेक्युलर जेल , अंडमान व निकोबार ) भेज दिया गया | जेल में सावरकर को कोल्हू में बैल की तरह जोतकर तेल पिरवाया जाता था | मूँज कुटवाकर जब तक हांथों से खून न टपकने लगे उसकी रस्सी बटवाई जाती थी | उनके बड़े भाई गणेश सावरकर भी उन दिनों सेक्युलर जेल में ही बंद थे परंतु वर्षों तक दोनों भाइयों को मिलने तक नहीं दिया गया | जेल में अमावनीय अत्याचारों का वर्णन सावरकर जी ने "माझी जन्मठेप" ( मेरा आजीवन कारावास ) नामक पुस्तक में किया है | लेखन सामग्री के आभाव में उन्होंने जेल की कोठरी की दीवारों पर कीलों और काँटों की मदद से ' कमला काव्य ' जैसी उत्कृष्ट कृति की रचना की |
#कालापानी में भीषण शारीरिक और मानसिक यातनाएं सहते हुए भी सावरकर जी ने अपनी प्रबल देशभक्ति की ज्योति को जगाये रखा | यह अत्यंत खेद का विषय है की इतने कष्टों व त्याग के बाद भी सावरकर जी को कांग्रेस द्वारा अनेकों बार उपेक्षित , अपमानित व प्रताड़ित किया गया | यह अदभुत क्रांतिवीर 26 फ़रवरी 1966 को हमेशा - हमेशा के लिए विदा हो गया परंतु उनका चरित्र भारतीय युवाओं को युगों - युगों तक प्रेरित करता रहेगा।
#वन्देमातरम् ।।
""""""
जो वर्षों तक लड़े जेल में , उनकी याद करें ।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में , उनकी याद करें ।।
याद करें काला पानी को , अंग्रेजों की मनमानी को ।
कोल्हू में जुट तेल पेरते , सावरकर की बलिदानी को ।।
पूर्व प्रधानमंत्री #अटल_बिहारी बाजपेयी जी की ये पंक्तियाँ अनन्य देशभक्त , क्रांतिकारी वीर सावरकर के अदम्य साहस और भारतमाता के प्रति सर्वस्व समर्पित कर देने के उनके जज्बे का स्मरण कराती है | वीर सावरकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था , वे क्रांतिकारी होने के साथ - साथ मौलिक चिंतक , समाजसुधारक , इतिहासकार व लेखक भी थे ।
( 28 मई 1883) को जन्म के बाद अपने माता - पिता से शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा पेशवाओं की वीरगाथाएं सुन - सुनकर बड़े हुए | वीर सावरकर के व्यक्तित्व ने भारतीय युवाओं के हृदयँ में क्रांति की ज्वाला जगा दी थी....बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में जब स्वराज्य का नाम लेना भी देशद्रोह माना जाता था , पूर्ण स्वतंत्रता की पहली आवाज सावरकर ने ही बुलंद की थी | विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में सावरकर जी ने 1905 में जलाई...अंग्रेजों ने वंदे मातरम् बोलने व लिखने पर प्रतिबन्ध लगा रखा था , ऐसे में भी लन्दन में 1857 की क्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के लिए छापे गए आमंत्रण पत्र पर " वंदे मातरम् " लिखकर उन्होंने अंग्रेजों को खुली चुनौती दी | बैरिस्टरी उत्रीर्ण करने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादार रहने की शपथ लेने से इनकार करने पर उन्हें अपनी बैरिस्टर डिग्री से वंचित रहने का गौरव भी प्राप्त है | सावरकर द्वारा लिखित '1857 का स्वतंत्रता संग्राम ' नामक ओजस्वी पुस्तक विश्व की प्रथम पुस्तक है , जिससे भयभीत अंग्रेज सरकार ने उसके प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था ।
#सावरकर ने ही भारत का पहला राष्ट्रध्वज तैयार कर उसे जर्मनी के स्टुटगार्ड नामक स्थान पर अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में मैडम भीखाजी कामा के द्वारा सन 1907 में फहरवाया था इंग्लैंड में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने के लिए पानी के जहाज द्वारा भारत लाया जा रहा था | उस जहाज से गहरे समुद्र में छलांग लगाकर अंग्रेजी सैनिकों को चकमा देने के उनके साहसिक प्रयास ने सारे विश्व में खलबली मचा दी थी | अंग्रेजी सैनिकों की गोलियों की बौछार के बीच में वे तैरते हुए फ़्रांस की भूमि पर पहुँच गए थे | अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजाने के अपराध में एक ही जन्म में दो - दो आजन्म सश्रम कारावास की सजा पाने वाले सावरकर न केवल पहले अपितु अकेले भारतीय थे | उनकी सारी सम्पतियां अंग्रेजों ने जब्त कर ली थी , उनके परिवार को भीषण कष्टों का सामना करना पड़ा | उनके अन्य दो भाइयों को भी क्रांति में भाग लेने पर अंग्रेजों ने जेल में दाल दिया था।
खतरनाक मुजरिम मानते हुए सावरकर को कालापानी ( सेक्युलर जेल , अंडमान व निकोबार ) भेज दिया गया | जेल में सावरकर को कोल्हू में बैल की तरह जोतकर तेल पिरवाया जाता था | मूँज कुटवाकर जब तक हांथों से खून न टपकने लगे उसकी रस्सी बटवाई जाती थी | उनके बड़े भाई गणेश सावरकर भी उन दिनों सेक्युलर जेल में ही बंद थे परंतु वर्षों तक दोनों भाइयों को मिलने तक नहीं दिया गया | जेल में अमावनीय अत्याचारों का वर्णन सावरकर जी ने "माझी जन्मठेप" ( मेरा आजीवन कारावास ) नामक पुस्तक में किया है | लेखन सामग्री के आभाव में उन्होंने जेल की कोठरी की दीवारों पर कीलों और काँटों की मदद से ' कमला काव्य ' जैसी उत्कृष्ट कृति की रचना की |
#कालापानी में भीषण शारीरिक और मानसिक यातनाएं सहते हुए भी सावरकर जी ने अपनी प्रबल देशभक्ति की ज्योति को जगाये रखा | यह अत्यंत खेद का विषय है की इतने कष्टों व त्याग के बाद भी सावरकर जी को कांग्रेस द्वारा अनेकों बार उपेक्षित , अपमानित व प्रताड़ित किया गया | यह अदभुत क्रांतिवीर 26 फ़रवरी 1966 को हमेशा - हमेशा के लिए विदा हो गया परंतु उनका चरित्र भारतीय युवाओं को युगों - युगों तक प्रेरित करता रहेगा।
#वन्देमातरम् ।।
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : गुरुवार
दिनांक: 29 मई 2025
सूर्योदय : 5:26 प्रात:
सूर्यास्त : 7:10 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : तृतीया 11:18 रात्रि तक फिर चतुर्थी
नक्षत्र : आर्द्रा 10:38 रात्रि तक फिर पुनर्वसु
योग : शूल 3:46 सांय तक फिर गण्ड
राहुकाल : 2:01 - 3:45 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : गुरुवार
दिनांक: 29 मई 2025
सूर्योदय : 5:26 प्रात:
सूर्यास्त : 7:10 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : तृतीया 11:18 रात्रि तक फिर चतुर्थी
नक्षत्र : आर्द्रा 10:38 रात्रि तक फिर पुनर्वसु
योग : शूल 3:46 सांय तक फिर गण्ड
राहुकाल : 2:01 - 3:45 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 29, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।
यदि शांति या युद्ध में समान वृद्धि हो तो उसे (राजा को) शांति का सहारा लेना चाहिए।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।
यदि शांति या युद्ध में समान वृद्धि हो तो उसे (राजा को) शांति का सहारा लेना चाहिए।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
धर्मरूपाय सत्त्वाय नमस्सत्त्वात्मने हर।
वेदवेद्यस्वरूपाय नमो वेदप्रियाय च॥
नमो वेदस्वरूपाय वेदवक्त्रे नमो नमः।
सदाचाराध्वगम्याय सदाचाराध्वगामिने॥
विष्टरश्रवसे तुभ्यं नमस्सत्यमयाय च।
सत्यप्रियाय सत्याय सत्यगम्याय ते नमः॥
ॐ श्री हरये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 29 मई को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि और गुरुवार है तृतीया आज रात 11:19 तक रहेगी आज रात 10:39 तक आर्द्रा नक्षत्र रहेगा साथ ही आज रम्भा तृतीया का व्रत किया जायेगा इसके अलावा आज महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाएगी।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
वेदवेद्यस्वरूपाय नमो वेदप्रियाय च॥
नमो वेदस्वरूपाय वेदवक्त्रे नमो नमः।
सदाचाराध्वगम्याय सदाचाराध्वगामिने॥
विष्टरश्रवसे तुभ्यं नमस्सत्यमयाय च।
सत्यप्रियाय सत्याय सत्यगम्याय ते नमः॥
ॐ श्री हरये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 29 मई को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि और गुरुवार है तृतीया आज रात 11:19 तक रहेगी आज रात 10:39 तक आर्द्रा नक्षत्र रहेगा साथ ही आज रम्भा तृतीया का व्रत किया जायेगा इसके अलावा आज महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाएगी।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
भगवान विष्णु या शिवजी
समुद्रमंथन में अहम भूमिका
भगवान विष्णु और शिवजी
दोनों ने ही एक दूसरे की सहायता की हैं समुद्र मंथन में।
यदि शिवजी ने
गले का सर्प वासुकि न दिया होता व विषपान न किया होता तो कुछ भी शेष न बचता इस सृष्टि में।
समुद्रमंथन न होता
तो किसी को कुछ न मिलता।
चंद्रमा को भी कही कोई स्थान न मिलता।
यहाँ तक की विष्णु को "शंख" "कौस्तुभ मणि" और "लक्ष्मी" की पुनः प्राप्ति न होती।
यदि विष्णु ने
देवों एवं दानवो को मंथन करने का सुझाव न दिया होता
मंदार पर्वत का भार अपने पीठ पर कूर्म अवतार मे न लेते
तो समुद्र मंथन न होता।
न ही विष निकलता
और न ही उसे पीकर शिवजी नीलकंठ कहलाते।
समुद्र से अर्धचंद्र न निकलता
और उसे शीतलता प्रदान करने हेतु शिवजी के ललाट पर स्थापित न किया जाता।
विष न पीते तो उनका शरीर का तापमान न बढ़ता।
और देवता गण उनके माथे पर चंद्रमा स्थापित न करते।
और शिव को जल व बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा न शुरू होती।
न ही सावन का पूरा महीना शिव को समर्पित होता।
तो इन दोनों की सहायता के बिना देवता व दानव भी मंथन न कर पाते।
दोनों की भूमिका अहम थी।
समुद्रमंथन में अहम भूमिका
भगवान विष्णु और शिवजी
दोनों ने ही एक दूसरे की सहायता की हैं समुद्र मंथन में।
यदि शिवजी ने
गले का सर्प वासुकि न दिया होता व विषपान न किया होता तो कुछ भी शेष न बचता इस सृष्टि में।
समुद्रमंथन न होता
तो किसी को कुछ न मिलता।
चंद्रमा को भी कही कोई स्थान न मिलता।
यहाँ तक की विष्णु को "शंख" "कौस्तुभ मणि" और "लक्ष्मी" की पुनः प्राप्ति न होती।
यदि विष्णु ने
देवों एवं दानवो को मंथन करने का सुझाव न दिया होता
मंदार पर्वत का भार अपने पीठ पर कूर्म अवतार मे न लेते
तो समुद्र मंथन न होता।
न ही विष निकलता
और न ही उसे पीकर शिवजी नीलकंठ कहलाते।
समुद्र से अर्धचंद्र न निकलता
और उसे शीतलता प्रदान करने हेतु शिवजी के ललाट पर स्थापित न किया जाता।
विष न पीते तो उनका शरीर का तापमान न बढ़ता।
और देवता गण उनके माथे पर चंद्रमा स्थापित न करते।
और शिव को जल व बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा न शुरू होती।
न ही सावन का पूरा महीना शिव को समर्पित होता।
तो इन दोनों की सहायता के बिना देवता व दानव भी मंथन न कर पाते।
दोनों की भूमिका अहम थी।
साभार...4 दिन पाकिस्तान की कुटाई का प्रोग्राम चला, कांग्रेस बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई। राजनीतिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल कायम हुई।
लेकिन ज़ब सेना ने बयान दे दिया कि हमने सभी लक्षित आतंकवादी मार गिराये है तो फिर राहुल गाँधी का ये राजनीति खेलना कि कितने आतंकवादी बच गए, ये सत्ता को नहीं सेना को सीधी सीधी चुनौती है।
इस राजनीति मे एक मायूसी छिपी है, मायूसी प्रधानमंत्री ना बन पाने की, वो सत्ता जो 1989 के बाद परिवार के पास दोबारा नहीं लौटी।
दिल्ली का वो ताज़ जो विरासत मे चाहिए था वो कभी नरसिम्हा राव और वाजपेयी के सिर पर सजा। मोदीजी गुजरात से आकर दिल्ली के उसी सिंहासन पर विराज गए जिस पर बैठने का सपना जन्म लेते ही देख लिया था।
ये मायूसी इतिहास की याद दिलाती है, ज़ब मुहम्मद अली जिन्ना को कायद ए आजम बनने का भूत सवार हुआ और ज़ब लगा कि नेहरू, पटेल और बोस के रहते उसका नंबर नहीं लगेगा तो वो मुस्लिम लीग मे चला गया।
गांधीजी ने 1947 मे नेहरूजी को कहा था कि जिन्ना को प्रधानमंत्री बन जाने दो तो बंटवारा रुक जाएगा। नेहरूजी ने एक बहुत अच्छी बात कही कि बापू आजादी के लिये आप 6 साल, मैं 8 साल और पटेल 5 साल के लिये जेल गए थे। इसका क्या योगदान है?
इसे प्रधानमंत्री बना भी दिया तो ये देश को बर्बाद ही करेगा क्योंकि इसे आजादी की क़ीमत ही पता नहीं है। इसे तो मैं अपना चपरासी भी ना रखु। नेहरू जी के इस बयान मे जिन्ना की तत्कालीन स्थिति दिखाई देती है।
यही स्थिति आज राहुल गाँधी की दिखाई दे रही है, वो अमेरिका जाकर भारत के लोकतंत्र पर सवाल खड़े करता रहा है। जबकि खुद का व्यवस्था मे दहले भर का योगदान नहीं है।
अब वो सेना के बयान पर सरकार को घेर रहा है, राहुल गाँधी और पाकिस्तान के सुर एक साथ बज रहे है और सबसे बड़ी बात वो ये सब तब कर रहा है ज़ब भारत ने अपना प्रतिनिधि मंडल यूरोप मे भेजा हुआ है।
उसे 99 सीटें मिली, वो खुश था क्योंकि उसके इर्द गिर्द बैठे चाटुकारों ने इसे ही उसकी सुनामी कहा। उसकी अकड़ भी नेक्स्ट टू प्राइम मिनिस्टर जैसी हो गयी थी। लेकिन जैसे जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनाव नतीजे आये, सारे मुगालते दूर होते गए।
अब बच गयी है तो वही जिन्ना वाली मायूसी, "मुझे कायद ए आज़म बना दो नहीं तो देश तोड़ दूंगा"। खैर राहुल गाँधी के पीछे उतना बड़ा वोट बैंक नहीं है कि ये देश तोड़ सके, लेकिन ये इतना कर सकता है कि देश मेरा नहीं तो किसी का भी नहीं।
बस अंतर ये है कि इस बार हम पहले से तैयार है, जीत अपनी जगह है लेकिन बीजेपी को जल्द ही शशि थरूर को अपनी ओर कर लेना चाहिए, सिंधिया और हिमांता को ले आये, सचिन पायलेट को खुद उन्होंने ही साइडलाइन कर दिया।
गुलाम नबी ने पार्टी छोड़ दी अब सिर्फ एक तुरूप का पत्ता उनके पास है, ये तो फिर भी तय समझिये कि बीजेपी 4.0 करें ना करें मगर पाड़ा अब कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पायेगा चाहे कितने ही दाँव खेल ले।
लेकिन ज़ब सेना ने बयान दे दिया कि हमने सभी लक्षित आतंकवादी मार गिराये है तो फिर राहुल गाँधी का ये राजनीति खेलना कि कितने आतंकवादी बच गए, ये सत्ता को नहीं सेना को सीधी सीधी चुनौती है।
इस राजनीति मे एक मायूसी छिपी है, मायूसी प्रधानमंत्री ना बन पाने की, वो सत्ता जो 1989 के बाद परिवार के पास दोबारा नहीं लौटी।
दिल्ली का वो ताज़ जो विरासत मे चाहिए था वो कभी नरसिम्हा राव और वाजपेयी के सिर पर सजा। मोदीजी गुजरात से आकर दिल्ली के उसी सिंहासन पर विराज गए जिस पर बैठने का सपना जन्म लेते ही देख लिया था।
ये मायूसी इतिहास की याद दिलाती है, ज़ब मुहम्मद अली जिन्ना को कायद ए आजम बनने का भूत सवार हुआ और ज़ब लगा कि नेहरू, पटेल और बोस के रहते उसका नंबर नहीं लगेगा तो वो मुस्लिम लीग मे चला गया।
गांधीजी ने 1947 मे नेहरूजी को कहा था कि जिन्ना को प्रधानमंत्री बन जाने दो तो बंटवारा रुक जाएगा। नेहरूजी ने एक बहुत अच्छी बात कही कि बापू आजादी के लिये आप 6 साल, मैं 8 साल और पटेल 5 साल के लिये जेल गए थे। इसका क्या योगदान है?
इसे प्रधानमंत्री बना भी दिया तो ये देश को बर्बाद ही करेगा क्योंकि इसे आजादी की क़ीमत ही पता नहीं है। इसे तो मैं अपना चपरासी भी ना रखु। नेहरू जी के इस बयान मे जिन्ना की तत्कालीन स्थिति दिखाई देती है।
यही स्थिति आज राहुल गाँधी की दिखाई दे रही है, वो अमेरिका जाकर भारत के लोकतंत्र पर सवाल खड़े करता रहा है। जबकि खुद का व्यवस्था मे दहले भर का योगदान नहीं है।
अब वो सेना के बयान पर सरकार को घेर रहा है, राहुल गाँधी और पाकिस्तान के सुर एक साथ बज रहे है और सबसे बड़ी बात वो ये सब तब कर रहा है ज़ब भारत ने अपना प्रतिनिधि मंडल यूरोप मे भेजा हुआ है।
उसे 99 सीटें मिली, वो खुश था क्योंकि उसके इर्द गिर्द बैठे चाटुकारों ने इसे ही उसकी सुनामी कहा। उसकी अकड़ भी नेक्स्ट टू प्राइम मिनिस्टर जैसी हो गयी थी। लेकिन जैसे जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनाव नतीजे आये, सारे मुगालते दूर होते गए।
अब बच गयी है तो वही जिन्ना वाली मायूसी, "मुझे कायद ए आज़म बना दो नहीं तो देश तोड़ दूंगा"। खैर राहुल गाँधी के पीछे उतना बड़ा वोट बैंक नहीं है कि ये देश तोड़ सके, लेकिन ये इतना कर सकता है कि देश मेरा नहीं तो किसी का भी नहीं।
बस अंतर ये है कि इस बार हम पहले से तैयार है, जीत अपनी जगह है लेकिन बीजेपी को जल्द ही शशि थरूर को अपनी ओर कर लेना चाहिए, सिंधिया और हिमांता को ले आये, सचिन पायलेट को खुद उन्होंने ही साइडलाइन कर दिया।
गुलाम नबी ने पार्टी छोड़ दी अब सिर्फ एक तुरूप का पत्ता उनके पास है, ये तो फिर भी तय समझिये कि बीजेपी 4.0 करें ना करें मगर पाड़ा अब कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पायेगा चाहे कितने ही दाँव खेल ले।
साभार...
इसे आप भारत अमेरिका के शीत युद्ध की औपचारिक शुरुआत कह लीजिये।
डोनाल्ड ट्रम्प एप्पल के पीछे पड़े है कि भारत मे यदि उत्पादन किया तो अमेरिका मे 25% टेरीफ लग जाएंगे। ट्रम्प मंचों से चीख चीख कर मेक इन इंडिया का विरोध कर रहे है।
लेकिन ट्रम्प मोदी के दोस्त थे,आई लव इंडिया बोलते थे फिर क्या हुआ?
जड़ पर जाने के लिये आपको 1972 के साल मे जाना होगा,अमेरिका मे जनसंख्या बहुत कम थी और वो उद्योग जगत की पहली पसंद था।अमेरिका मे मजदूर कम थे और जो थे महंगे थे।
भारत से संबंध बिगड ही चुके थे,ऐसे मे अमेरिका ने चीन से संबंध ठीक किये और अमेरिकी कम्पनियो ने अपनी प्रोडक्शन यूनिट चीन मे शिफ्ट की जहाँ सस्ते मजदूर थे।इससे अमेरिकी कम्पनियो ने अरबो का फायदा कमाया।
इन कम्पनियो की वज़ह से चीन का कल्चर बदल गया,चीन के लोग भी थोड़े स्किल्ड हो गए और आज आप चीन को देख ही रहे है।हालांकि अमेरिका को आज उसी बात का अफ़सोस भी है।
दरसल अब अमेरिका मे आबादी बढ़ गयी है,बेरोजगारी बढ़ रही है।अमेरिका चाहता है कि एप्पल जैसी सभी बड़ी कम्पनिया चीन से अमेरिका आ जाये मगर ये कम्पनिया जानती है कि मजदूरी भारत मे सस्ती है।
अमेरिका के लिये उसकी कम्पनिया सिरदर्द बन चुकी है,फायदे के आगे देश को नहीं देख रही।अमेरिका को ये भी डर है कि चीन वाली गलती भारत के संदर्भ मे भी ना हो जाए,पता चला भारत भी अमेरिका के प्रभुत्व के लिये चुनौती बन जाए।
इसलिए अब आप तैयार रहिये,अमेरिका मे सरकारे किसी की भी आये वो हमारे लिये खतरा ही रहेगी।डोनाल्ड ट्रम्प आज भी जो बाइडन के मुकाबले बहुत अच्छे है,जो बाइडन के समय जो हो रहा था वो डरा देने वाला था।
ट्रम्प और बाइडन मे जो अंतर आया है वो बस नैतिकता का है,ट्रम्प सामने से हमला कर रहे है बाइडन छिपकर कर रहे थे।
राहुल गाँधी का वो बयान मत भूलिए जो उसने सितंबर 2024 मे अमेरिका मे दिया था,"भारत मे सिखो को पगड़ी नहीं पहनने देते,उन्हें मारा जाता है"।
यदि आप कांग्रेसी भी हो तो भी आपको पता है ये सफ़ेद झूठ है।भारत की छवि बिगाड़ने वाला ये बयान तब का है ज़ब अमेरिका और कनाडा की कूटनीतिक तलवारे भारत पर चल रही थी।
भरसक प्रयास था कि अमेरिका सद्दाम हुसैन की तर्ज पर भारत मे भी तख्तापलट करने की सोचे और प्रयास हुए भी।अडानी की केन्या वाली डील रद्द करवाई गयी,हो जाती तो अप्रत्यक्ष रूप से भारत के हाथ अफ्रीका मे पहुँच जाते।
अडानी को इजरायल के बंदरगाह की एक्सेस रोकने की कोशिश भी हुई थी, हिंडनबर्ग का ड्रामा कौन भुला है? कोरोना वैक्सीन पर भारतीय कम्पनियो के खिलाफ क्या क्या साजिशे नहीं हुई।
अमेरिका और राहुल गाँधी का एक साथ भारतीय उद्योगपतियों के प्रति हमलावर होना बहुत बड़ा संयोग था जो किसी ने शायद देखा ही नहीं।राहुल गाँधी के माध्यम से भारत मे गृहयुद्ध की संभावनाओं को बल भी दिया जा रहा है।
इसलिए ज़ब ज़ब पाड़ा दौड़ने का प्रयास करता है दिल्ली वाले मोटा भाई नेशनल हेराल्ड से नकेल कस देते है।
राहुल गाँधी कंट्रोल हो जायेगा,लेकिन अमेरिकी सरकार की खुन्नस अपनी जगह बनी रहनी है।वे प्रयास करेंगे कि अमेरिका की जगह कोई अन्य देश प्रभावशाली ना बने,हमें चाहिए कि प्रयास करते रहे।हम राजनीतिक और आर्थिक साक्षर बने।
हम जातियों मे ना बंटे,दंगे ना हो,निरंतर उद्योग धंधे विकसित होते रहे,सरकारो से नौकरी की जगह उद्योग की मांग करें नौकरी स्वतः पैदा हो जायेगी।देश जैसे जैसे आत्मनिर्भर बनेगा,ट्रम्प हो या बाइडन हमें फर्क नहीं पड़ेगा।राम राम रहेगी सभी को!
इसे आप भारत अमेरिका के शीत युद्ध की औपचारिक शुरुआत कह लीजिये।
डोनाल्ड ट्रम्प एप्पल के पीछे पड़े है कि भारत मे यदि उत्पादन किया तो अमेरिका मे 25% टेरीफ लग जाएंगे। ट्रम्प मंचों से चीख चीख कर मेक इन इंडिया का विरोध कर रहे है।
लेकिन ट्रम्प मोदी के दोस्त थे,आई लव इंडिया बोलते थे फिर क्या हुआ?
जड़ पर जाने के लिये आपको 1972 के साल मे जाना होगा,अमेरिका मे जनसंख्या बहुत कम थी और वो उद्योग जगत की पहली पसंद था।अमेरिका मे मजदूर कम थे और जो थे महंगे थे।
भारत से संबंध बिगड ही चुके थे,ऐसे मे अमेरिका ने चीन से संबंध ठीक किये और अमेरिकी कम्पनियो ने अपनी प्रोडक्शन यूनिट चीन मे शिफ्ट की जहाँ सस्ते मजदूर थे।इससे अमेरिकी कम्पनियो ने अरबो का फायदा कमाया।
इन कम्पनियो की वज़ह से चीन का कल्चर बदल गया,चीन के लोग भी थोड़े स्किल्ड हो गए और आज आप चीन को देख ही रहे है।हालांकि अमेरिका को आज उसी बात का अफ़सोस भी है।
दरसल अब अमेरिका मे आबादी बढ़ गयी है,बेरोजगारी बढ़ रही है।अमेरिका चाहता है कि एप्पल जैसी सभी बड़ी कम्पनिया चीन से अमेरिका आ जाये मगर ये कम्पनिया जानती है कि मजदूरी भारत मे सस्ती है।
अमेरिका के लिये उसकी कम्पनिया सिरदर्द बन चुकी है,फायदे के आगे देश को नहीं देख रही।अमेरिका को ये भी डर है कि चीन वाली गलती भारत के संदर्भ मे भी ना हो जाए,पता चला भारत भी अमेरिका के प्रभुत्व के लिये चुनौती बन जाए।
इसलिए अब आप तैयार रहिये,अमेरिका मे सरकारे किसी की भी आये वो हमारे लिये खतरा ही रहेगी।डोनाल्ड ट्रम्प आज भी जो बाइडन के मुकाबले बहुत अच्छे है,जो बाइडन के समय जो हो रहा था वो डरा देने वाला था।
ट्रम्प और बाइडन मे जो अंतर आया है वो बस नैतिकता का है,ट्रम्प सामने से हमला कर रहे है बाइडन छिपकर कर रहे थे।
राहुल गाँधी का वो बयान मत भूलिए जो उसने सितंबर 2024 मे अमेरिका मे दिया था,"भारत मे सिखो को पगड़ी नहीं पहनने देते,उन्हें मारा जाता है"।
यदि आप कांग्रेसी भी हो तो भी आपको पता है ये सफ़ेद झूठ है।भारत की छवि बिगाड़ने वाला ये बयान तब का है ज़ब अमेरिका और कनाडा की कूटनीतिक तलवारे भारत पर चल रही थी।
भरसक प्रयास था कि अमेरिका सद्दाम हुसैन की तर्ज पर भारत मे भी तख्तापलट करने की सोचे और प्रयास हुए भी।अडानी की केन्या वाली डील रद्द करवाई गयी,हो जाती तो अप्रत्यक्ष रूप से भारत के हाथ अफ्रीका मे पहुँच जाते।
अडानी को इजरायल के बंदरगाह की एक्सेस रोकने की कोशिश भी हुई थी, हिंडनबर्ग का ड्रामा कौन भुला है? कोरोना वैक्सीन पर भारतीय कम्पनियो के खिलाफ क्या क्या साजिशे नहीं हुई।
अमेरिका और राहुल गाँधी का एक साथ भारतीय उद्योगपतियों के प्रति हमलावर होना बहुत बड़ा संयोग था जो किसी ने शायद देखा ही नहीं।राहुल गाँधी के माध्यम से भारत मे गृहयुद्ध की संभावनाओं को बल भी दिया जा रहा है।
इसलिए ज़ब ज़ब पाड़ा दौड़ने का प्रयास करता है दिल्ली वाले मोटा भाई नेशनल हेराल्ड से नकेल कस देते है।
राहुल गाँधी कंट्रोल हो जायेगा,लेकिन अमेरिकी सरकार की खुन्नस अपनी जगह बनी रहनी है।वे प्रयास करेंगे कि अमेरिका की जगह कोई अन्य देश प्रभावशाली ना बने,हमें चाहिए कि प्रयास करते रहे।हम राजनीतिक और आर्थिक साक्षर बने।
हम जातियों मे ना बंटे,दंगे ना हो,निरंतर उद्योग धंधे विकसित होते रहे,सरकारो से नौकरी की जगह उद्योग की मांग करें नौकरी स्वतः पैदा हो जायेगी।देश जैसे जैसे आत्मनिर्भर बनेगा,ट्रम्प हो या बाइडन हमें फर्क नहीं पड़ेगा।राम राम रहेगी सभी को!