धर्म ज्ञान : जय श्री राम
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सत्य पंथ का करी प्रचारा॥
देश धर्म का करि विस्तारा ||
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The Destroyer S-400: शक्ति का प्रतीक, रक्षा का अभेद्य कवच

आग की लपटों में लिपटा युद्ध का मैदान, आकाश में दौड़ते मिसाइलों की गड़गड़ाहट और ज़मीन पर गरजता हुआ रक्षक — S-400 यह कोई साधारण मिसाइल सिस्टम नहीं, बल्कि दुश्मनों के लिए काल बन चुका एक अभेद्य सुरक्षा कवच है। और जब इस शक्ति के पीछे दिव्य संरक्षण का आभास हो, जैसे भगवान विष्णु का चक्रधारी स्वरूप, तो यह मात्र एक हथियार नहीं, बल्कि धर्म और रक्षण का संगम बन जाता है।

S-400 :
रूस द्वारा विकसित यह सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल रक्षा तंत्र (SAM system), विश्व के सबसे उन्नत और घातक एयर डिफेंस सिस्टम्स में से एक है। इसकी विशेषताएं:

रेंज: 400 किलोमीटर तक

स्पीड: 17,000 किमी/घंटा तक लक्ष्य भेदन

लक्ष्य: विमान, क्रूज मिसाइलें, ड्रोन, और यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइलें

भारत में S-400 की तैनाती
भारत ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली को अजेय बनाने के लिए रूस से यह अत्याधुनिक प्रणाली खरीदी है। यह सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ रणनीतिक गहराई में स्थित महत्वपूर्ण ठिकानों की सुरक्षा करता है।

धार्मिक प्रतीक और सैन्य शक्ति का मेल
इस चित्र में भगवान विष्णु की उपस्थिति S-400 को एक दिव्य रक्षा कवच का प्रतीक बना देती है। भगवान का चक्र — जो अन्याय का विनाश करता है — जैसे आज के आधुनिक युग में S-400 की मिसाइलों के रूप में दुश्मनों का अंत करता है।
दुर्योधन! रण ऐसा होगा, फिर कभी नहीं जैसा होगा।

जब-जब अन्याय अपनी सीमाएं लांघता है, तब-तब धर्म अपनी पूर्ण शक्ति से उत्तर देता है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने जब यह कहा, "दुर्योधन! रण ऐसा होगा, फिर कभी नहीं जैसा होगा," तो यह मात्र एक चेतावनी नहीं, बल्कि धर्म की पुकार थी।

आज के युग में यह वाक्य फिर से जीवंत हो उठता है जब हम भारतीय सेना की वीरता को देखते हैं। हमारी सेना न केवल सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि भारतीय अस्मिता, गर्व और गौरव की प्रत्यक्ष मूर्ति है।

दुश्मन चाहे कितना भी ताकतवर क्यों न हो, भारतीय सैनिकों के हौसले उससे कई गुना ऊँचे होते हैं। उनकी आँखों में देशभक्ति की अग्नि और हृदय में कर्तव्यनिष्ठा की गरिमा होती है। चाहे कारगिल हो, पुलवामा या गलवान – हर रणभूमि में उन्होंने यह सिद्ध किया है कि "रण ऐसा होगा, फिर कभी नहीं जैसा होगा।"

भारतीय सेना की शक्ति केवल हथियारों में नहीं, बल्कि उनके संकल्प, त्याग और अनुशासन में है। यह वाक्य आज भी गूंजता है, हर सैनिक के कदमों की गूंज में, हर शहीद के खून की मिट्टी में, और हर नागरिक के गर्व में।

भारतीय सेना जिंदाबाद। वंदे मातरम्।



#भारतीयसेनाजिंदाबाद
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : शनिवार
दिनांक: 10 मई 2025
सूर्योदय : 5:35 प्रात:
सूर्यास्त : 6:59 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : शुक्ल
तिथि : त्रयोदशी 5:30 सांय तक फिर चतुर्दशी
नक्षत्र : चित्रा
योग : सिद्धि
राहुकाल : 8:56 - 10:37 प्रातः तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
 मई 10, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवाꣳस स्तनूभिर् व्यशेम देवहितं यदायुः॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
हे देव, हम अपने कानों से शुभ सुनें, अपनी आँखों से शुभ देखें,
स्थिर शरीर से संतोषपूर्ण जीवन जियें, और देवों द्वारा दी गयी आयु उन्हें समर्पित करें।
जय श्री शनिदेव
जय श्री राम
एकादशमुखि हनुमत्कवचम्
रुद्रयामलतः पाठ
श्रीदेव्युवाच
शैवानि गाणपत्यानि शाक्तानि वैष्णवानि च।
कवचानि च सौराणि यानि चान्यानि तानि च॥ १॥
श्रुतानि देवदेवेश त्वद्वक्त्रान्निःसृतानि च।
किञ्चिदन्यत्तु देवानां कवचं यदि कथ्यते॥ २॥
ईश्वर उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि सावधानावधारय।
हनुमत्कवचं पुण्यं महापातकनाशनम्॥ ३॥
एतद्गुह्यतमं लोके शीघ्रं सिद्धिकरं परम्।
जयो यस्य प्रगानेन लोकत्रयजितो भवेत्॥ ४॥
ॐ अस्य श्रीएकादश वक्त्र हनुमत्कवचमालामन्त्रस्य
वीररामचन्द्र ऋषिः।
अनुष्टुप्छन्दः।
श्रीमहावीरहनुमान् रुद्रो देवता।
ह्रीं बीजं।
ह्रौं शक्तिः।
स्फें कीलकम्।
सर्वदूतस्तम्भनार्थं जिह्वाकीलनार्थं
मोहनार्थं राजमुखीदेवतावश्यार्थं
ब्रह्मराक्षसशाकिनीडाकिनीभूतप्रेतादिबाधापरिहारार्थं
श्रीहनुमद्दिव्यकवचाख्यमालामन्त्रजपे विनियोगः।
ॐ ह्रौं आञ्जनेयाय अङ्गुष्ठभ्यां नमः।
ॐ स्फें रुद्रमूर्तये तर्जनीभ्यां नमः।
ॐ स्फें वायुपुत्राय मध्यमाभ्यां नमः।
ॐ स्फें अञ्जनीगर्भाय अनामिकाभ्यां नमः।
ॐ स्फें रामदूताय कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
ॐ ह्रौं ब्रह्मास्त्रादिनिवारणाय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।
ॐ ह्रौं आञ्जनेयाय हृदयाय नमः।
ॐ स्फें रुद्रमूर्तये शिरसे स्वाहा।
ॐ स्फें वायुपुत्राय शिखायै वषट्।
ॐ ह्रौं अञ्जनीगर्भाय कवचाय हुम्।
ॐ स्फें रामदूताय नेत्रत्रयाय वौषट्।
ॐ ह्रौं ब्रह्मास्त्रादिनिवारणाय अस्त्राय फट्।
इति न्यासः।
अथ ध्यानम्

ॐ ध्यायेद्रणे हनुमन्तमेकादशमुखाम्बुजम्।
ध्यायेत्तं रावणोपेतं दशबाहुं त्रिलोचनं हाहाकारैः सदर्पैश्च कम्पयन्तं जगत्त्रयम्।
ब्रह्मादिवन्दितं देवं कपि कोटि समन्वितं एवं ध्यात्वा जपेद्देवि कवचं परमाद्भुतम्॥
दिग्बन्ध

ॐ इन्द्रदिग्भागे गजारूढहनुमते ब्रह्मास्त्रशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेतालसमूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ अग्निदिग्भागे मेषारुढहनुमते अस्त्रशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ यमदिग्भागे महिषारूढहनुमते खड्गशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ निऋर्तिदिग्भागे नरारूढ हनुमते खड्गशक्तिसहिताय चौर व्याघ्र-पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहो च्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ वरुणदिग्भागे मकरारूढ हनुमते प्राणशक्तिसहिताय चौर व्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ वायुदिग्भागे मृगारूढहनुमते अङ्कुशशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ कुबेरदिग्भागे अश्वारूढहनुमते गदाशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ ईशानदिग्भागे राक्षसारूढ हनुमते पर्वतशक्तिसहिताय चौर व्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ अन्तरिक्षदिग्भागे वर्तुलहनुमते मुद्गरशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ भूमिदिग्भागे वृश्चिकारूढ हनुमते वज्रशक्तिसहिताय चौर व्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
ॐ वज्रमण्डले हंसारूढहनुमते वज्रशक्तिसहिताय चौरव्याघ्र पिशाच ब्रह्मराक्षस शाकिनी डाकिनी वेताल समूहोच्चाटनाय मां रक्ष रक्ष स्वाहा।
माला मन्त्र

ॐ ह्रीं यीं यं प्रचण्डपराक्रमाय एकादशमुखहनुमते हंसयतिबन्ध-मतिबन्ध-वाग्बन्ध-भैरुण्डबन्ध-भूतबन्धप्रेतबन्ध-पिशाचबन्ध-ज्वरबन्ध-शूलबन्धसर्वदेवताबन्ध-रागबन्ध-मुखबन्ध-राजसभाबन्धघोरवीरप्रतापरौद्रभीषणहनुमद्वज्रदंष्ट्राननाय
वज्रकुण्डलकौपीनतुलसीवनमालाधराय सर्वग्रहोच्चाटनोच्चाटनाय
ब्रह्मराक्षससमूहोच्चाटानाय ज्वरसमूहोच्चाटनाय राजसमूहोच्चाटनाय
चौरसमूहोच्चाटनाय शत्रुसमूहोच्चाटनाय दुष्टसमूहोच्चाटनाय
मां रक्ष रक्ष स्वाहा॥ १ ॥
ॐ वीरहनुमते नमः।
ॐ नमो भगवते वीरहनुमते पीताम्बरधराय कर्ण कुण्डलाद्याभरणालङ्कृतभूषणाय किरीट बिल्व वन माला विभूषिताय कनकयज्ञोपवीतिने कौपीनकटिसूत्रविराजिताय
श्रीवीररामचन्द्रमनोभिलषिताय लङ्कादिदहनकारणाय घनकुलगिरिवज्रदण्डाय अक्षकुमारसंहारकारणाय ॐ यं ॐ नमो भगवते रामदूताय फट् स्वाहा॥
ॐ ऐं ह्रीं ह्रौं हनुमते सीतारामदूताय सहस्रमुखराजविध्वंसकाय
अञ्जनीगर्भसम्भूताय शाकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलिकिलिचुचु कारेण विभीषणाय वीरहनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रौ ह्रां फट् स्वाहा॥
ॐ श्रीवीरहनुमते हौं ह्रूं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीवीरहनुमते स्फ्रूं ह्रूं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीवीरहनुमते ह्रौं ह्रूं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीवीरहनुमते स्फ्रूं फट् स्वाहा।
ॐ ह्रां श्रीवीरहनुमते ह्रौं हूं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीवीरहनुमते ह्रैं हुं फट् स्वाहा।
ॐ ह्रां पूर्वमुखे वानरमुखहनुमते लं
सकल शत्रु संहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ आग्नेयमुखे मत्स्यमुखहनुमते रं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ दक्षिणमुखे कूर्ममुखहनुमते मं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नैऋर्तिमुखे वराहमुखहनुमते क्षं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ पश्चिममुखे नारसिंहमुखहनुमते वं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ वायव्यमुखे गरुडमुखहनुमते यं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ उत्तरमुखे शरभमुखहनुमते सं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ ईशानमुखे वृषभमुखहनुमते हूं आं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ ऊर्ध्वमुखे ज्वालामुखहनुमते आं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ अधोमुखे मार्जारमुखहनुमते ह्रीं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ सर्वत्र जगन्मुखे हनुमते स्फ्रूं
सकलशत्रुसकलशत्रुसंहारकाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ श्रीसीतारामपादुकाधराय महावीराय वायुपुत्राय कनिष्ठाय ब्रह्मनिष्ठाय एकादशरुद्रमूर्तये महाबलपराक्रमाय भानुमण्डलग्रसनग्रहाय चतुर्मुखवरप्रसादाय
महाभयरक्षकाय यं हौं।
ॐ हस्फें हस्फें हस्फें श्रीवीरहनुमते नमः एकादशवीरहनुमन् मां रक्ष रक्ष शान्तिं कुरु कुरु तुष्टिं कुरु करु पुष्टिं कुरु कुरु महारोग्यं कुरु कुरु अभयं कुरु कुरु अविघ्नं कुरु कुरु महाविजयं कुरु कुरु सौभाग्यं कुरु कुरु सर्वत्र विजयं कुरु कुरु महालक्ष्मीं देहि हुं फट् स्वाहा॥
फलश्रुति

इत्येतत्कवचं दिव्यं शिवेन परिकीर्तितम्।
यः पठेत्प्रयतो भूत्वा सर्वान्कामानवाप्नुयात्॥
द्विकालमेककालं वा त्रिवारं यः पठेन्नरः।
रोगान् पुनः क्षणात् जित्वा स पुमान् लभते श्रियम्॥
मध्याह्ने च जले स्थित्वा चतुर्वारं पठेद्यदि।
क्षयापस्मारकुष्ठादितापत्रय निवारणम्॥
यः पठेत्कवचं दिव्यं हनुमद्ध्यानतत्परः।
त्रिःसकृद्वा यथाज्ञानं सोऽपि पुण्यवतां वरः॥
देवमभ्यर्च्य विधिवत्पुरश्चर्यां समारभेत्।
एकादशशतं जाप्यं दशांशहवनादिकम्॥
यः करोति नरो भक्त्या कवचस्य समादरम्।
ततः सिद्धिर्भवेत्तस्य परिचर्याविधानतः॥
गद्यपद्यमया वाणी तस्य वक्त्रे प्रजायते।
ब्रह्महत्यादिपापेभ्यो मुच्यते नात्र संशयः॥
जय श्रीराम
साभार....
#भारत का वक़्त बोल रहा है...
#मोदी का वक्त बोल रहा है...

कई बार कोई राष्ट्र वैभव पा रहा होता है व राष्ट्र का नेतृत्व उन्नति कर रहा होता है तब जलने वाले कहते है उसका वक़्त बोल रहा है।मोदी जी का भी वक्त बोल रहा है।

मोदी ने अत्याधुनिक उन्नत हथियार,डिफेन्स सिस्टम फाइटर जेट इत्यादि खरीद कर भारत की सेना को मजबूत किया।पेट्रोल डीज़ल,आलू प्याज,टैक्स GST से मिले धन को भारत को मजबूत करने में खर्च जरूर किया। स्ट्रेटेजिक ऑयल रिजर्व बनाए।बॉर्डर पर अत्याधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाए।भारत को आंशिक ही सही सैन्य आत्मनिर्भर भारत बनाया तो बनाया ही।

और जनाब वक़्त ऐसे ही नही बोलता उसके लिए अच्छी समझ रखनी पड़ती है।#राष्ट्रभूमि और #जनमानस के लिए अच्छी नीयत रखनी पड़ती है।राष्ट्र के लिए अच्छी नीतियां बनानी पड़ती है। राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा को भारतीय नेतृत्व की नीतियां और तैयारी निश्चित ही काबिलेतारिफ है।

लोकतंत्र में जन अदालत में नेतृत्व की नेकी जन समर्पण और जन संतुष्टि की अर्जी लगानी पड़ती है,मेहनत और कोशिशों की पूजा अर्पित करनी पड़ती है।तीसरी बार की परीक्षा में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन इस अडिग नेतृत्व ने खुद की उपयोगिता राष्ट्र के जनमानस को सिद्ध किया।

जनता के समक्ष ईमानदारी और विनम्रता की एप्लिकेशन लगानी पड़ती है,वो हुआ तो आज विषम परिस्थिति में राष्ट्र का जन जन तन मन धन के साथ अपनी सरकार के पीछे खड़ा है।

दुनिया की नजर मे कोई व्यक्ति कैसा है इस बात से कोई फर्क नही पड़ता।जन अदालत में सामान्य जन की नजर मे अच्छा बनने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है।वक़्त ऐसे ही नही बोलता बुलवाना पड़ता है।मोदी ने आज वो कर दिखाया जिससे उनका वक्त बोलता दिख रहा।

ये बाते हर व्यक्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।इसलिए सदैव अच्छे कर्म कीजिए क्यों कि सबके अच्छे कर्म धरा और धर्म को भी सिंचित करते हैं।मोदी जी की तरह खुद मे हुनर पैदा कीजिए आपका भी वक़्त शोर मचायेगा।राम राम रहेगी सभी को!
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : रविवार
दिनांक: 11 मई 2025
सूर्योदय : 5:39 प्रात:
सूर्यास्त : 6:59 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्दशी 8:01 रात्रि तक फिर पूर्णिमा
नक्षत्र : स्वाति
योग : व्यतिपात
राहुकाल : 5:03 - 6:40 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
 मई 11, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
यस्तु संचरते देशान् यस्तु सेवेत पण्डितान् ।
तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि ॥
भिन्न देशों में यात्रा करने वाले और विद्वानों के साथ संबंध रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि उसी तरह बढ़ती है, जैसे तेल की एक बूंद पानी में फैलती हैं।
जय श्री सूर्यदेव
जय श्री राम
मातृदिवस
"माँ"
वो अमोघ मंत्र है
जिसके उच्चारण मात्र से ही हर पीड़ा का नाश हो जाता है।
"माँ" की ममता
और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है।
उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
9 महीने तक
गर्भ में रखना
प्रसव पीड़ा झेलना
स्तनपान करवाना
रात रात भर बच्चे के लिए जागना
खुद गीले में रहकर बच्चे को सूखे में रखना
मीठी मीठी लोरियां सुनाना
ममता के आंचल में छुपाए रखना
तोतली जुबान में संवाद व अठखेलियां करना
पुलकित हो उठना
ऊंगली पकड़कर चलना सिखाना
प्यार से डांटना फटकारना रूठना मनाना
दूध दही मक्खन का लाड़ लड़ाकर खिलाना पिलाना
बच्चे के लिए अच्छे अच्छे सपने बुनना
बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी चुनौती का डटकर सामना करना और बड़े होने पर भी वही मासूमियत और कोमलता भरा व्यवहार
ये सब ही तो हर "माँ" की मूल पहचान है।
इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की "माँ" की यही मूल पहचान है।
मातृदिवस की बहुत बहुत बधाई शुभकामनाएं
मां के चरणों में प्रणाम
कुछ लोग घर मे पलंग पे पड़े पड़े उन योद्धाओं को युद्ध करना सीखा रहे है।जो 4 दिन में पाकिस्तान में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर भी कर आए और तीन दिन में पूरे पाकिस्तान के एयरबेस तक उड़ा आए।
पलंग पर पड़े पड़े पहलवानी करने वाले पहलवानों जितना भारत के पास जितना मजबूत ओर समझदार नेतृत्व आज है उतना कभी नही रहा।
पलंग पर पड़े पड़े बातों के बम से युद्ध नही होते युद्ध अपने तरीके से होते है और जो युद्ध मे होते है उन्हें पता होता है युद्ध कैसे करना है ,हमारा काम नेतृत्व की नीयत को देखना है उसकी नियत साफ और स्पष्ट भारत की रक्षा की है तो हमे बिना किंतु परन्तु के उसके हर निर्णय पर उसके साथ चट्टान की तरह खड़ा रहना होता है।

70 साल से आतंकी हमले झेलते आया भारत पहले हर हमले के बाद सिर्फ कड़ी निंदा करता ताज का भारत आतंकी हमला होते ही ऑपरेशन सिंदूर करता है और आते ही युद्ध भी छेड़ देता है।

ओर मार कूट कर सत्रु को समझोते के लिए भी मजबूर कर देता है
अपने नेतृत्व पर भरोसा रखो।
युद्ध जारी है और युद्ध लंबा चलेगा
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : सोमवार
दिनांक: 12 मई 2025
सूर्योदय : 5:39 प्रात:
सूर्यास्त : 6:59 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : शुक्ल
तिथि : पूर्णिमा 10:24 रात्रि तक फिर प्रतिपदा
नक्षत्र : स्वाति 6:10 प्रातः तक फिर विशाखा
योग : वरियान
राहुकाल : 7:17 - 8:55 प्रातः तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 12, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो। बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
शतहस्त समाहर सहस्रहस्त संकिर ।
सौ हाथ से कमाओ और हजार से दान करो।
जय श्री शिवशंकर
जय श्री राम
नमो नेदिष्ठाय प्रियदव दविष्ठाय च नमः।
नमः क्षोदिष्ठाय स्मरहर महिष्ठाय च नमः।।
नमो वर्षिष्ठाय त्रिनयन यविष्ठाय च नमः।
नमः सर्वस्मै ते तदिदमतिसर्वाय च नमः।।
आप सब से दूर हैं फिर भी सब के पास है। हे कामदेव को भस्म करनेवाले प्रभु ! आप अति सूक्ष्म है फिर भी विराट है। हे तीन नेत्रोंवाले प्रभु! आप वृद्ध है और युवा भी है। आप सब में है फिर भी सब से परे है। आपको मेरा प्रणाम है।
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 12 मई को वैशाख शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि और सोमवार है पूर्णिमा रात 10:26 तक रहेगी आज पूरा दिन पूरी रात पार कर कल सुबह 5:53 तक वरीयान योग रहेगा साथ ही कल सुबह 9:09 तक विशाखा नक्षत्र रहेगा इसके अलावा आज वैशाखी पूर्णिमा है पूर्णिमा के दिन देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही दान-पुण्य करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
🌳🐍🙏🙏🐍🌳
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : मंगलवार
दिनांक: 13 मई 2025
सूर्योदय : 5:39 प्रात:
सूर्यास्त : 5:41 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : कृष्ण
तिथि : प्रतिपदा 12:35 रात्रि तक फिर द्वितीया
नक्षत्र : विशाखा 9:02 प्रातः तक फिर अनुराधा
योग : वरियान 5:45 प्रातः तक फिर परिध
राहुकाल : 3:25 - 5:03 सांय तक
विशेष : प्रथम बड़ा मंगल
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 13, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः ।
चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है ।
जय श्री बजरंगबली
जय श्री राम
भुजङ्गप्रयातस्फुरद्भक्तिगीतं भुजङ्गप्रयातप्रगीतिप्रमोदम्।
भुजङ्गावतारानुजप्रेष्ठभक्तं भजे मारुतिं तं सभक्तं सुभद्रम्॥
सुभद्रं वरानन्दरामानुरागं सुभद्रं स्वरानन्दनामाभिगेयम्।
सुभद्रं वरारामरामोपसेवं सुभद्रं हनूमन्तधीरं भजेहम्॥
श्रीसीतारामभक्ताय रामनामरताय च।
नामगानाभिलोलाय आञ्जनेयाय मङ्गलम्॥
ॐ श्री सीतारामाभ्यां नमः
ॐ श्री पवनतनये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 13 मई को ज्येष्ठ कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि और मंगलवार है प्रतिपदा रात 12:36 तक रहेगी 13 मई को पूरा दिन पूरी रात पार कर बुधवार सुबह 6:34तक परिघ योग रहेगा साथ ही सुबह 9:09 तक विशाखा नक्षत्र रहेगा उसके बाद अनुराधा नक्षत्र लग जाएगा इसके अलावा 13 मई से ज्येष्ठ महीने का आरंभ होगा व पहला बड़ा मंगल है।
🌺🌼🙏🙏🌼🌺
सनातन धर्म का
वट वृक्ष "वेद" तो तना है "पुराण"
फूलपत्तियों
और फलों से लदी हुई
बहुत सी टहनियों वाला
हिन्दू धर्म का वटवृक्ष वेदों की गहराई तक फैली जड़ों पर टिका हुआ है।
पर उसका तना क्या है?
उसका तना है पुराण।
अगर हिन्दू धर्म को
एक बहुमंजिला भव्य इमारत कहा जाए तो "वेद" उसकी नींव कहा जाएगा और "पुराण" उसके खम्भे जिसपर उसकी छतें टिकी हुई हैं।
आज संसार में जितना भी हिन्दू धर्म बचा हुआ है सब पुराणों पर अवलम्बित है।
पुराणों को इसमें से हटा दें
तो सनातन वटवृक्ष औंधे मुंह गिर पड़ेगा और सनातन धर्म का महल जमींदोज हो जाएगा।
जय श्री राम
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : बुधवार
दिनांक: 14 मई 2025
सूर्योदय : 5:34 प्रात:
सूर्यास्त : 7:01 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : कृष्ण
तिथि : द्वितीया 2:29 रात्रि तक फिर तृतीया
नक्षत्र : अनुराधा 11:46 पूर्वाह्न तक फिर ज्येष्ठा
योग : परिध 6:33 प्रातः तक फिर शिव
राहुकाल : 12:17 - 1:58 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 14, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
अश्वस्य भूषणं वेगो मत्तं स्याद् गजभूषणं ।
चातुर्यम् भूषणं नार्या उद्योगो नरभूषणं ॥
घोडे की शोभा (प्रशंसा ) उसके वेग के कारण होती है और हाथी की उसकी मदमस्त चाल से होती है |
नारियों की शोभा उनकी विभिन्न कार्यों मे दक्षता के कारण और पुरुषों की उनकी उद्द्योगशीलता के
कारण होती है |
जय श्री गणेश
जय श्री राम