नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्।
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभवासनं च॥
केयुरिणंहारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानि।
सृणिं च हस्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥
सृणिंवहन्तं षडक्षरात्मानमनल्पभूषं मुनीश्वरैर्भार्गवपूर्वकैश्च।
संसेवितं देवमनाथकल्पं रूपं मनोज्ञं शरणं प्रपद्ये॥
ॐ श्री गणाधिपतये नमः
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
जयतु भारत राष्ट्रम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 23 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की दशमी और बुधवार है दशमी आज शाम 4:44 तक रहेगी आज शाम 6:51 तक शुक्लयोग रहेगा साथ ही आज दोपहर 12:08 तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा,उसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जायेगा इसके अलावा आज शाम 4:44 तक पृथ्वी लोक की भद्रा रहेगी।
🌺🐀🙏🙏🐀🌺
गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभवासनं च॥
केयुरिणंहारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानि।
सृणिं च हस्तं गणपं त्रिनेत्रं सचामरस्त्रीयुगलेन युक्तम्॥
सृणिंवहन्तं षडक्षरात्मानमनल्पभूषं मुनीश्वरैर्भार्गवपूर्वकैश्च।
संसेवितं देवमनाथकल्पं रूपं मनोज्ञं शरणं प्रपद्ये॥
ॐ श्री गणाधिपतये नमः
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
जयतु भारत राष्ट्रम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 23 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की दशमी और बुधवार है दशमी आज शाम 4:44 तक रहेगी आज शाम 6:51 तक शुक्लयोग रहेगा साथ ही आज दोपहर 12:08 तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा,उसके बाद शतभिषा नक्षत्र लग जायेगा इसके अलावा आज शाम 4:44 तक पृथ्वी लोक की भद्रा रहेगी।
🌺🐀🙏🙏🐀🌺
परिपक्वता
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों को बदलने का प्रयास करना बंद कर दें इसके बजाय स्वयं को बदलने पर ध्यान केन्द्रित करें।
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों को जैसे हैं वैसा ही स्वीकार करें।
परिपक्वता वह है
जब आप यह समझे कि प्रत्येक व्यक्ति उसकी अपनी सोच अनुसार सही हैं।
परिपक्वता वह है
जब आप "जाने दो" वाले सिद्धांत को सीख लें।
परिपक्वता वह है
जब आप रिश्तों से लेने की उम्मीदों को अलग कर दें और केवल देने की सोच रखे।
परिपक्वता वह है
जब आप यह समझ लें कि आप जो भी करते हैं वह आपकी स्वयं की शांति के लिए है।
परिपक्वता वह है
जब आप संसार को यह सिद्ध करना बंद कर दें कि आप कितने अधिक बुद्धिमान है।
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों से उनकी स्वीकृति लेना आंरभ कर दे।
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दें।
परिपक्वता वह है
जब आप स्वयं में शांत है।
परिपक्वता वह है
जब आप जरूरतों और चाहतों के बीच का अंतर करने में सक्षम हो जाए और अपनी चाहतो को छोड़ने को तैयार हों।
आप तब
परिपक्वता प्राप्त करते हैं
जब आप अपनी ख़ुशी को सांसारिक वस्तुओं से जोड़ना बंद कर दें।
जय श्री राम
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों को बदलने का प्रयास करना बंद कर दें इसके बजाय स्वयं को बदलने पर ध्यान केन्द्रित करें।
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों को जैसे हैं वैसा ही स्वीकार करें।
परिपक्वता वह है
जब आप यह समझे कि प्रत्येक व्यक्ति उसकी अपनी सोच अनुसार सही हैं।
परिपक्वता वह है
जब आप "जाने दो" वाले सिद्धांत को सीख लें।
परिपक्वता वह है
जब आप रिश्तों से लेने की उम्मीदों को अलग कर दें और केवल देने की सोच रखे।
परिपक्वता वह है
जब आप यह समझ लें कि आप जो भी करते हैं वह आपकी स्वयं की शांति के लिए है।
परिपक्वता वह है
जब आप संसार को यह सिद्ध करना बंद कर दें कि आप कितने अधिक बुद्धिमान है।
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों से उनकी स्वीकृति लेना आंरभ कर दे।
परिपक्वता वह है
जब आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर दें।
परिपक्वता वह है
जब आप स्वयं में शांत है।
परिपक्वता वह है
जब आप जरूरतों और चाहतों के बीच का अंतर करने में सक्षम हो जाए और अपनी चाहतो को छोड़ने को तैयार हों।
आप तब
परिपक्वता प्राप्त करते हैं
जब आप अपनी ख़ुशी को सांसारिक वस्तुओं से जोड़ना बंद कर दें।
जय श्री राम
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : गुरुवार
दिनांक: 24 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:50 प्रात:
सूर्यास्त : 6:33 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : एकादशी 2:27 अपराह्न तक फिर द्वादशी
नक्षत्र : शतभिषा 10:37 प्रातः तक फिर पूर्वा भाद्रपद
योग : ब्रह्म 3:43 अपराह्न तक फिर इन्द्र
राहुकाल : 1:58 - 3:36 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : गुरुवार
दिनांक: 24 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:50 प्रात:
सूर्यास्त : 6:33 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : एकादशी 2:27 अपराह्न तक फिर द्वादशी
नक्षत्र : शतभिषा 10:37 प्रातः तक फिर पूर्वा भाद्रपद
योग : ब्रह्म 3:43 अपराह्न तक फिर इन्द्र
राहुकाल : 1:58 - 3:36 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
अप्रैल 24, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
लये संबोधयेत् चित्तं विक्षिप्तं शमयेत् पुनः।
सकशायं विजानीयात् समप्राप्तं न चालयेत् ॥
जब चित्त निष्क्रिय हो जाये, तो उसे संबुद्ध करो। संबुद्ध चित्त जब अशान्त हो,
उसे स्थिर करो। चित्त पर जमे मैल (अहंकार तथा अज्ञानता) को पहचानो।
समवृत्ति को प्राप्त होने पर इसे फिर विचलित मत करो।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
लये संबोधयेत् चित्तं विक्षिप्तं शमयेत् पुनः।
सकशायं विजानीयात् समप्राप्तं न चालयेत् ॥
जब चित्त निष्क्रिय हो जाये, तो उसे संबुद्ध करो। संबुद्ध चित्त जब अशान्त हो,
उसे स्थिर करो। चित्त पर जमे मैल (अहंकार तथा अज्ञानता) को पहचानो।
समवृत्ति को प्राप्त होने पर इसे फिर विचलित मत करो।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
सत्यस्वरूपं सत्येशं सत्यबीजं सनातनम्।
सत्याधारं च सत्यज्ञं सत्यमूलं नमाम्यहम्॥
नमो नमस्ते विश्वेश लोकानां प्रभव प्रभो।
सृष्टिस्थित्यन्तहेतुस्त्वं विधिविष्णुहरात्मधृक्॥
यस्य ते दशधा मूर्तिरूर्मिषट्कादिवर्जिता।
ज्योतिः पतिस्त्वमम्भोधिस्तस्मै तुभ्यं नमो नमः॥
ॐ श्री हरये नमः
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
जयतु भारत राष्ट्रम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 24 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की उदया तिथि एकादशी और गुरुवार है एकादशी आज दोपहर 2:33 तक रहेगी आज दोपहर बाद 3:56 तक ब्रह्म योग रहेगा साथ ही आज सुबह 10:49 तक शतभिषा नक्षत्र रहेगा,उसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र लग जायेगा इसके अलावा आज वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जायेगा।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
सत्याधारं च सत्यज्ञं सत्यमूलं नमाम्यहम्॥
नमो नमस्ते विश्वेश लोकानां प्रभव प्रभो।
सृष्टिस्थित्यन्तहेतुस्त्वं विधिविष्णुहरात्मधृक्॥
यस्य ते दशधा मूर्तिरूर्मिषट्कादिवर्जिता।
ज्योतिः पतिस्त्वमम्भोधिस्तस्मै तुभ्यं नमो नमः॥
ॐ श्री हरये नमः
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
जयतु भारत राष्ट्रम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 24 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की उदया तिथि एकादशी और गुरुवार है एकादशी आज दोपहर 2:33 तक रहेगी आज दोपहर बाद 3:56 तक ब्रह्म योग रहेगा साथ ही आज सुबह 10:49 तक शतभिषा नक्षत्र रहेगा,उसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र लग जायेगा इसके अलावा आज वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जायेगा।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
!!! बन्धं मोक्षं च या वेत्ति !!!
जो बाहर से
तो यज्ञ दान तीर्थ व्रत आदि उत्तम से उत्तम कार्य करता है
परन्तु भीतर से असत् जड नाशवान् पदार्थों को और स्वर्ग आदि लोकों को चाहता है।
उसके लिये
वे सभी कर्म बन्धं अर्थात बन्धनकारक ही हैं।
केवल परमात्मा से ही सम्बन्ध रखना परमात्मा के सिवाय कभी कभी किसी अवस्था में असत् संसार के साथ लेशमात्र भी सम्बन्ध न रखना मोक्ष अर्थात् मोक्षदायक है।
जय श्री हरि
जो बाहर से
तो यज्ञ दान तीर्थ व्रत आदि उत्तम से उत्तम कार्य करता है
परन्तु भीतर से असत् जड नाशवान् पदार्थों को और स्वर्ग आदि लोकों को चाहता है।
उसके लिये
वे सभी कर्म बन्धं अर्थात बन्धनकारक ही हैं।
केवल परमात्मा से ही सम्बन्ध रखना परमात्मा के सिवाय कभी कभी किसी अवस्था में असत् संसार के साथ लेशमात्र भी सम्बन्ध न रखना मोक्ष अर्थात् मोक्षदायक है।
जय श्री हरि
मूर्ख हिंदुओं।
गंगा जमुनी तहजीब के पैरवीकार मूर्ख हिंदुओं।
भिंडी गिरोह के मूर्ख हिंदुओं।
यह पाक फौज का चीफ असीम मुनीर है।
कह रहा है कि हिंदुओं से नफरत के कारण ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ था।
बैठे श्रोताओं से कह रहा है कि यह बात अपने आने वाली पीढ़ियों को भी बताएं।
वह कह रहा है कि कलमा के आधार पर दो ही रियासतें बनी थी।
एक थी रियासत ए तैयबा और
दूसरा है पाकिस्तान
यह वही भाषा बोल रहा है जो जिन्ना बोला करता था कि हिंदू मुसलमान दो कौम हैं, दोनों एक साथ नहीं रह सकते।
इसी मजहबी आधार पर नेहरू गांधी ने भारत के तीन टुकड़े कर दिए थे। लेकिन तीन करोड़ मुसलमानो को भारत में ही रोक लिया था। कलमा के आधार एक और पाकिस्तान बनाने के लिए।
असीम मुनीर का यह भाषण हर पाकी मुसलमान के लिए पाक है और भारत के हर हिंदू के लिए चेतावनी।
भारत के हर स्वाभिमानी हिंदू को सबको सुनना चाहिए।
गंगा जमुनी तहजीब के पैरवीकार मूर्ख हिंदुओं।
भिंडी गिरोह के मूर्ख हिंदुओं।
यह पाक फौज का चीफ असीम मुनीर है।
कह रहा है कि हिंदुओं से नफरत के कारण ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ था।
बैठे श्रोताओं से कह रहा है कि यह बात अपने आने वाली पीढ़ियों को भी बताएं।
वह कह रहा है कि कलमा के आधार पर दो ही रियासतें बनी थी।
एक थी रियासत ए तैयबा और
दूसरा है पाकिस्तान
यह वही भाषा बोल रहा है जो जिन्ना बोला करता था कि हिंदू मुसलमान दो कौम हैं, दोनों एक साथ नहीं रह सकते।
इसी मजहबी आधार पर नेहरू गांधी ने भारत के तीन टुकड़े कर दिए थे। लेकिन तीन करोड़ मुसलमानो को भारत में ही रोक लिया था। कलमा के आधार एक और पाकिस्तान बनाने के लिए।
असीम मुनीर का यह भाषण हर पाकी मुसलमान के लिए पाक है और भारत के हर हिंदू के लिए चेतावनी।
भारत के हर स्वाभिमानी हिंदू को सबको सुनना चाहिए।
साभार...
किस बात का भय है इनको?लोग आज थूक रहे हैं,ये कल भी थूकेंगे।वीर ही का #सम्मान होता है यही नियम है,#इमरजेंसी वाली #इंदिरा को उन्हीं लोगों ने पुनः प्रधानमंत्री बनाया जिन्होंने उन्हें हराया था।लोग सामर्थ्यवान का साथ देते हैं।सर्प को पालना सभी दृष्टि में अनुचित है,मुँह कुचलिए।राम राम रहेगी सभी को!
किस बात का भय है इनको?लोग आज थूक रहे हैं,ये कल भी थूकेंगे।वीर ही का #सम्मान होता है यही नियम है,#इमरजेंसी वाली #इंदिरा को उन्हीं लोगों ने पुनः प्रधानमंत्री बनाया जिन्होंने उन्हें हराया था।लोग सामर्थ्यवान का साथ देते हैं।सर्प को पालना सभी दृष्टि में अनुचित है,मुँह कुचलिए।राम राम रहेगी सभी को!
साभार...
ये कोई सामान्य अपराध नहीं जिसकी जांच की जाये और फिर अपराधी को सजा देने के लिये न्यायालय का सहारा लिया जाये।
ये #हिंदुओं और #भारत की #सेना #सरकार के खिलाफ कश्मीर के #मुस्लिम_आतंकियों का सीधा सीधा हल्लाबोल है।
अपराधियों को सजा दी जाती है।दुश्मन को नेस्तनाबूद किया जाता है।
कर पाएंगे?यही एक बड़ा प्रश्न रहेगा जो अभी सभी के मन में है और होना भी चाहिए।राम राम रहेगी सभी को!
ये कोई सामान्य अपराध नहीं जिसकी जांच की जाये और फिर अपराधी को सजा देने के लिये न्यायालय का सहारा लिया जाये।
ये #हिंदुओं और #भारत की #सेना #सरकार के खिलाफ कश्मीर के #मुस्लिम_आतंकियों का सीधा सीधा हल्लाबोल है।
अपराधियों को सजा दी जाती है।दुश्मन को नेस्तनाबूद किया जाता है।
कर पाएंगे?यही एक बड़ा प्रश्न रहेगा जो अभी सभी के मन में है और होना भी चाहिए।राम राम रहेगी सभी को!
साभार...
कश्मीर टार्गेट किलिंग की जड़ें म्यांमार से #रोहिंग्या पलायन और #बंग्लादेशी_घुसपैठ से जुड़ी चीजों से जुड़ती हैं।
पिछले कई सालों से योजनाबद्ध रूप से बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को देश के विभिन्न राज्यों में बसाया जा रहा है।
कश्मीर के बाद केरल और तमिलनाडु दूसरे सबसे बड़े हब।
बहुत पहले हाईस्कूल में पढ़ता था तब ही इस बंग्लादेशी घुसपैठ की समस्या पर मैं अपने दोस्तों से बात किया करता था कि बंग्लादेशी घुसपैठिए असली खतरा हैं क्योंकि उन्हें भारत से कोई वैसा लगाव नहीं जैसा पीढ़ियों से यहां रहते भारतीय मुस्लिमों में भारत के लिए हो सकता है पर अब एक नया अनुभव यह भी है कि यह लगाव भारतीय मुस्लिमों में भी ना के बराबर ही है वर्तमान परिस्थितियों और समय में क्योंकि कथित आजादी से अब तक इस समस्या पर किसी भी सरकार ने उचित ध्यान कभी दिया ही नहीं।
ऊपर से अब #रोहिंग्या आउट ऑफ द स्लैबस आ गए जिन्हें #ISIS #मुस्लिम_ब्रदरहुड और #बोको_हरम जैसे कई बड़े इस्लामिक आतंकी संगठनों का खुला / छिपा समर्थन है।
बंगाल में २० साल पहले राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए था और नॉर्थ ईस्ट में #अफस्पा कभी हटना नहीं था।गलतियां तो हो चुकी।
आपको पता हो या न पता हो।भारत में पिछले कुछ सालों से सबसे ज्यादा रोहिंग्या #तमिलनाडु और #केरल जैसे समुद्री तट वाले राज्यों में बस चुके हैं। #कश्मीर के बाद। राम राम रहेगी सभी को!
कश्मीर टार्गेट किलिंग की जड़ें म्यांमार से #रोहिंग्या पलायन और #बंग्लादेशी_घुसपैठ से जुड़ी चीजों से जुड़ती हैं।
पिछले कई सालों से योजनाबद्ध रूप से बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को देश के विभिन्न राज्यों में बसाया जा रहा है।
कश्मीर के बाद केरल और तमिलनाडु दूसरे सबसे बड़े हब।
बहुत पहले हाईस्कूल में पढ़ता था तब ही इस बंग्लादेशी घुसपैठ की समस्या पर मैं अपने दोस्तों से बात किया करता था कि बंग्लादेशी घुसपैठिए असली खतरा हैं क्योंकि उन्हें भारत से कोई वैसा लगाव नहीं जैसा पीढ़ियों से यहां रहते भारतीय मुस्लिमों में भारत के लिए हो सकता है पर अब एक नया अनुभव यह भी है कि यह लगाव भारतीय मुस्लिमों में भी ना के बराबर ही है वर्तमान परिस्थितियों और समय में क्योंकि कथित आजादी से अब तक इस समस्या पर किसी भी सरकार ने उचित ध्यान कभी दिया ही नहीं।
ऊपर से अब #रोहिंग्या आउट ऑफ द स्लैबस आ गए जिन्हें #ISIS #मुस्लिम_ब्रदरहुड और #बोको_हरम जैसे कई बड़े इस्लामिक आतंकी संगठनों का खुला / छिपा समर्थन है।
बंगाल में २० साल पहले राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए था और नॉर्थ ईस्ट में #अफस्पा कभी हटना नहीं था।गलतियां तो हो चुकी।
आपको पता हो या न पता हो।भारत में पिछले कुछ सालों से सबसे ज्यादा रोहिंग्या #तमिलनाडु और #केरल जैसे समुद्री तट वाले राज्यों में बस चुके हैं। #कश्मीर के बाद। राम राम रहेगी सभी को!
हिन्दु और हिन्दू
अद्भुतकोष के अनुसार
"हिन्दु" और "हिन्दू" दोनों शब्द पुल्लिंग है ।
दुष्टों का दमन करने वाले "हिंदू" कहे जाते हैं। सुंदर रूप से सुशोभित और दुष्टों के दमन में दक्ष।
इन दोनों अर्थों में भी
इन शब्दों का प्रयोग होता है
हिंदु हिंदूश्च पुंसि दुष्टानां च विघर्षणे |
रूपशालिनि दैत्यारौ....||
[ अद्भुत कोष ]
हेमंतकवि कोष के अनुसार
हिंदू उसे कहा जाता है कि
जो परंपरा से नारायण आदि देवताओं का भक्त हो।
हिंदूर्हि नारायणादि देवताभक्ततः ||
मेरुतंत्र के अनुसार
जो हीनाचरण को निंद्य समझ कर उसका त्याग करें वह हिंदू कहलाता है।
हीनं च दूषयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये ||
शब्दकल्पद्रुमकोश के अनुसार
हीनता से रहित साधु जाति विशेष हिंदू है।
हीनं दूषयति इति हिन्दू ||
पारिजातहरण नाटक के अनुसार
जो अपनी तपस्या से दैहिक पापों तथा चित्त को दूषित करने वाले दोषों का नाश करता है तथा जो शस्त्रों से अपने शत्रु समुदाय का भी नाश करता है वह हिंदू कहलाता है।
रामकोष के अनुसार
हिंदू दुर्जन नहीं होता न अनार्य होता है ना निंदक ही होता है।
जो सद्धर्म पालक विद्वान और श्रौतधर्म परायण है वह हिंदू है।
हिंदुर्दुष्टो न भवति नानार्यो न विदूषकः |
सद्धर्मपालको विद्वान् श्रौतधर्म परायणः ||
हिंदू शब्द के अर्थ
"सौम्य" "सुंदर" "सुशोभित" "शील निधि" "दमशील" और "दुष्टदलन में दक्ष"
अरबी कोष के अनुसार
हिंदू शब्द का अर्थ "खालिस" अर्थात "शुद्ध होता है"
ना कि चोर आदि मलिन निकृष्ट अर्थ।
यहूदियों के मत में
हिंदूका अर्थ शक्तिशाली वीर पुरुष होता है।
हिन्दु पद वाच्यों की
कतिपय मुख्य परिभाषाएं
****
1: वेदादि शास्त्रों को मानने वाली जाति ही हिंदू जाति है।
जो श्रुति स्मृति पुराण इतिहास प्रतिपादित कर्मों के आधार पर अपनी लौकिक पारलौकिक उन्नति पर विश्वास रखता है वह हिंदू है।
अपने वर्णाश्रम धर्मानुकूल आचार विचार के द्वारा जीवन व्यतीत करने वाला और वेद शास्त्रों को अपना धर्म ग्रंथ मानने वाला ही हिंदू है।
श्रुतिस्मृत्यादिशास्त्रेषु प्रामाण्यबुद्ध्यावलंब्य श्रुत्यादिप्रोक्ते धर्मे विश्वासं-निष्ठां च यः करोति स एव वास्तव हिंदुपदवाच्यः ||
वेदशास्त्रोक्तधर्मेषु वेदाद्युक्ताधिकारिवान् |
आस्थावान् सुप्रतिष्ठिश्च सोऽयं हिंदुः प्रकीर्तितः ||
2: जो गोभक्ति संपन्न है।
वेद और प्रणवादि में जिसकी दृढ़ आस्था है तथा पुनर्जन्मों में जिसका विश्वास है वही वास्तव में हिंदू कहने योग्य है।
इस परिभाषा के अनुसार
"जैन" "बौद्ध" "सिक्ख" आदि हिंदू मान्य हैं।
गोषु भक्तिर्भवेद्यस्य प्रणवादौ दृढामतिः |
पुनर्जन्मनि विश्वासः स वै हिंदुरिति स्मृतः ||
3: श्रुति स्मृति पुराण के अनुसार
निरूपित समस्त दुर्गुणों का दोषोंका जो हनन करें वह हिंदू है।
श्रुत्यादि प्रोक्तानि सर्वाणि दूषणानि हिनस्तीति हिन्दुः ||
4: वृद्धस्मृति के अनुसार
हिंसा से दुखित होने वाला सदाचरण तत्पर वर्ण उचित आचरण संपन्न वेद गोवंश और देव प्रतिमा की सेवा करने वाला हिंदू कहलाने योग्य है।
हिंसया दूयते यश्च सदाचारतत्परः |
वेदगोप्रतिमासेवी स हिंदुमुखशब्दभाक् ||
5: आधुनिक सुधारक हिंदुओं के मत मे
हिंदू शब्द
विचार नवनीत ग्रंथ में RSS के गुरु माने जाने वाले गोलवलकर जी पृष्ठ 44 और 45 पर
हिंदू अपरिभाष्य है।
इस शीर्षक से आप कहते हैं कि
"जैसे सूर्य चंद्र की परिभाषा हो सकने पर भी चरम सत्य की परिभाषा नहीं हो सकती वैसे ही मुसलमान ईसाई की परिभाषा है पर हिंदू अपरिभाषित ही है"
इस बातका खंडन करते हुए
धर्मसम्राट स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज विचार "पीयूष" नामक ग्रंथ में कहते हैं
जिन ग्रंथों को आप प्रमाण रूप में उपस्थित करते हैं उन्हीं ग्रंथों ने ईश्वर तक की परिभाषाएं बतलाई गई हैं।
सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म |
विज्ञानमानन्दं ब्रह्म || आदि आदि
आश्चर्य है कि
जो हिंदुत्व के संबंध में
कुछ भी नहीं जानता
जो उसकी परिभाषा भी नहीं कर सकता
आज वहीं दुनिया के सामने बढ़-चढ़कर घमंड की बात करता है।
ऐसे संघ समूहों की संसार में कमी नहीं जो संसार में अपने को ही सर्वोत्कृष्ट मानते हैं।
"विचारपीयूष" ग्रंथ के
पृष्ठसं 336 से 348 तक
तथा पृष्ठसं5 से 50 तक
इसी विचारधारा को मानने वाले कुछ लोग कहते हैं कि
सिंधु से लेकर सिंधु पर्वतपर्यंत भारत भूमि को जो पितृभू और पुण्यभू मानता है वही हिंदू है।
किंतु उनकी यह परिभाषा अव्याप्ति अतिव्याप्ति दोषों से पूर्ण है।
इसके अनुसार
प्राचीन काल के वे हिंदू जो दूसरे द्वीपों में रहते थे हिंदू ही नहीं कहे जा सकते।
इसी विचारधारा के कुछ लोग कहते हैं कि
अद्भुतकोष के अनुसार
"हिन्दु" और "हिन्दू" दोनों शब्द पुल्लिंग है ।
दुष्टों का दमन करने वाले "हिंदू" कहे जाते हैं। सुंदर रूप से सुशोभित और दुष्टों के दमन में दक्ष।
इन दोनों अर्थों में भी
इन शब्दों का प्रयोग होता है
हिंदु हिंदूश्च पुंसि दुष्टानां च विघर्षणे |
रूपशालिनि दैत्यारौ....||
[ अद्भुत कोष ]
हेमंतकवि कोष के अनुसार
हिंदू उसे कहा जाता है कि
जो परंपरा से नारायण आदि देवताओं का भक्त हो।
हिंदूर्हि नारायणादि देवताभक्ततः ||
मेरुतंत्र के अनुसार
जो हीनाचरण को निंद्य समझ कर उसका त्याग करें वह हिंदू कहलाता है।
हीनं च दूषयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये ||
शब्दकल्पद्रुमकोश के अनुसार
हीनता से रहित साधु जाति विशेष हिंदू है।
हीनं दूषयति इति हिन्दू ||
पारिजातहरण नाटक के अनुसार
जो अपनी तपस्या से दैहिक पापों तथा चित्त को दूषित करने वाले दोषों का नाश करता है तथा जो शस्त्रों से अपने शत्रु समुदाय का भी नाश करता है वह हिंदू कहलाता है।
रामकोष के अनुसार
हिंदू दुर्जन नहीं होता न अनार्य होता है ना निंदक ही होता है।
जो सद्धर्म पालक विद्वान और श्रौतधर्म परायण है वह हिंदू है।
हिंदुर्दुष्टो न भवति नानार्यो न विदूषकः |
सद्धर्मपालको विद्वान् श्रौतधर्म परायणः ||
हिंदू शब्द के अर्थ
"सौम्य" "सुंदर" "सुशोभित" "शील निधि" "दमशील" और "दुष्टदलन में दक्ष"
अरबी कोष के अनुसार
हिंदू शब्द का अर्थ "खालिस" अर्थात "शुद्ध होता है"
ना कि चोर आदि मलिन निकृष्ट अर्थ।
यहूदियों के मत में
हिंदूका अर्थ शक्तिशाली वीर पुरुष होता है।
हिन्दु पद वाच्यों की
कतिपय मुख्य परिभाषाएं
****
1: वेदादि शास्त्रों को मानने वाली जाति ही हिंदू जाति है।
जो श्रुति स्मृति पुराण इतिहास प्रतिपादित कर्मों के आधार पर अपनी लौकिक पारलौकिक उन्नति पर विश्वास रखता है वह हिंदू है।
अपने वर्णाश्रम धर्मानुकूल आचार विचार के द्वारा जीवन व्यतीत करने वाला और वेद शास्त्रों को अपना धर्म ग्रंथ मानने वाला ही हिंदू है।
श्रुतिस्मृत्यादिशास्त्रेषु प्रामाण्यबुद्ध्यावलंब्य श्रुत्यादिप्रोक्ते धर्मे विश्वासं-निष्ठां च यः करोति स एव वास्तव हिंदुपदवाच्यः ||
वेदशास्त्रोक्तधर्मेषु वेदाद्युक्ताधिकारिवान् |
आस्थावान् सुप्रतिष्ठिश्च सोऽयं हिंदुः प्रकीर्तितः ||
2: जो गोभक्ति संपन्न है।
वेद और प्रणवादि में जिसकी दृढ़ आस्था है तथा पुनर्जन्मों में जिसका विश्वास है वही वास्तव में हिंदू कहने योग्य है।
इस परिभाषा के अनुसार
"जैन" "बौद्ध" "सिक्ख" आदि हिंदू मान्य हैं।
गोषु भक्तिर्भवेद्यस्य प्रणवादौ दृढामतिः |
पुनर्जन्मनि विश्वासः स वै हिंदुरिति स्मृतः ||
3: श्रुति स्मृति पुराण के अनुसार
निरूपित समस्त दुर्गुणों का दोषोंका जो हनन करें वह हिंदू है।
श्रुत्यादि प्रोक्तानि सर्वाणि दूषणानि हिनस्तीति हिन्दुः ||
4: वृद्धस्मृति के अनुसार
हिंसा से दुखित होने वाला सदाचरण तत्पर वर्ण उचित आचरण संपन्न वेद गोवंश और देव प्रतिमा की सेवा करने वाला हिंदू कहलाने योग्य है।
हिंसया दूयते यश्च सदाचारतत्परः |
वेदगोप्रतिमासेवी स हिंदुमुखशब्दभाक् ||
5: आधुनिक सुधारक हिंदुओं के मत मे
हिंदू शब्द
विचार नवनीत ग्रंथ में RSS के गुरु माने जाने वाले गोलवलकर जी पृष्ठ 44 और 45 पर
हिंदू अपरिभाष्य है।
इस शीर्षक से आप कहते हैं कि
"जैसे सूर्य चंद्र की परिभाषा हो सकने पर भी चरम सत्य की परिभाषा नहीं हो सकती वैसे ही मुसलमान ईसाई की परिभाषा है पर हिंदू अपरिभाषित ही है"
इस बातका खंडन करते हुए
धर्मसम्राट स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज विचार "पीयूष" नामक ग्रंथ में कहते हैं
जिन ग्रंथों को आप प्रमाण रूप में उपस्थित करते हैं उन्हीं ग्रंथों ने ईश्वर तक की परिभाषाएं बतलाई गई हैं।
सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म |
विज्ञानमानन्दं ब्रह्म || आदि आदि
आश्चर्य है कि
जो हिंदुत्व के संबंध में
कुछ भी नहीं जानता
जो उसकी परिभाषा भी नहीं कर सकता
आज वहीं दुनिया के सामने बढ़-चढ़कर घमंड की बात करता है।
ऐसे संघ समूहों की संसार में कमी नहीं जो संसार में अपने को ही सर्वोत्कृष्ट मानते हैं।
"विचारपीयूष" ग्रंथ के
पृष्ठसं 336 से 348 तक
तथा पृष्ठसं5 से 50 तक
इसी विचारधारा को मानने वाले कुछ लोग कहते हैं कि
सिंधु से लेकर सिंधु पर्वतपर्यंत भारत भूमि को जो पितृभू और पुण्यभू मानता है वही हिंदू है।
किंतु उनकी यह परिभाषा अव्याप्ति अतिव्याप्ति दोषों से पूर्ण है।
इसके अनुसार
प्राचीन काल के वे हिंदू जो दूसरे द्वीपों में रहते थे हिंदू ही नहीं कहे जा सकते।
इसी विचारधारा के कुछ लोग कहते हैं कि
जो हिंदुस्तान में रहता है वह हिंदू है।
पर ऐसा नहीं है।
ऐसा मानने पर यहां विभिन्न धर्मों के रहने वाले लोग हिंदू कहे जाने लगेंगे।
जो कि उन्हें स्वयं स्वीकार नहीं है और हमारी उपर्युक्त परिभाषा ओं के अंतर्गत भी वे नहीं आते।
इसलिए यह विचार पूर्ण नहीं है।
सारगर्भित परिभाषा
जो वेदादिशास्त्रानुसार वेद शास्त्रोक्त धर्म में विश्वासवान् तथा स्थित है "वह हिंदू है"।
वेदादिशास्त्रों में वेदाध्ययन अग्निहोत्र बाजपेय राजसूय आदि कुछ धर्म ऐसे हैं जिनका अनुष्ठान जन्मना ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य ही कर सकते हैं।
निषादस्थपति याग रथकारेष्टि जैसे कुछ कर्मों का शूद्र ही अनुष्ठान कर सकते हैं।
कुछ सत्य दया क्षमा अहिंसा ईश्वर भक्ति तत्वज्ञान आदि का अनुष्ठान मनुष्य मात्र कर सकते हैं।
किंतु वे सभी वेदादि शास्त्रों का प्रामाण्य मानने वाले तथा अपने अधिकार अनुसार वेदादि शास्त्रोक्त धर्म का अनुष्ठान करने वाले हिंदू हैं।
जन्मना ब्राह्मणआदि का भी सब कर्मों में अधिकार नहीं है।
ब्राह्मण एवं वैश्य का राजसूय यज्ञ में अधिकार नहीं है।
ब्राह्मण क्षत्रिय दोनों का वैश्यस्तोम याग में अधिकार नहीं है।
निषादस्थपतीष्टि में उक्त तीनों का अधिकार नहीं है।
विशेषतः हिंदू शास्त्र अनुसार जिनके पुनर्जन्म विश्वास दाएभाग विवाह अंत्येष्टि मृतक श्राद्धादि कर्म होते हैं
वे सभी हिंदू हैं।
गाय में जिसकी भक्ति हो
प्रणव आदि ईश्वर नामों में यथा अधिकार जिसकी निष्ठा हो
तथा पुनर्जन्म में जिसका विश्वास हो
वह हिंदू है।
लक्षणा वृत्ति से हिंदू शब्द के हिंदू देश यानी हिंदुस्तान और वहां के निवासी हिंदू दोनों अर्थ होते हैं।
हिमालयं समारभ्य यावदिन्दु सरोवरम् |
तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्षते ||
पर ऐसा नहीं है।
ऐसा मानने पर यहां विभिन्न धर्मों के रहने वाले लोग हिंदू कहे जाने लगेंगे।
जो कि उन्हें स्वयं स्वीकार नहीं है और हमारी उपर्युक्त परिभाषा ओं के अंतर्गत भी वे नहीं आते।
इसलिए यह विचार पूर्ण नहीं है।
सारगर्भित परिभाषा
जो वेदादिशास्त्रानुसार वेद शास्त्रोक्त धर्म में विश्वासवान् तथा स्थित है "वह हिंदू है"।
वेदादिशास्त्रों में वेदाध्ययन अग्निहोत्र बाजपेय राजसूय आदि कुछ धर्म ऐसे हैं जिनका अनुष्ठान जन्मना ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य ही कर सकते हैं।
निषादस्थपति याग रथकारेष्टि जैसे कुछ कर्मों का शूद्र ही अनुष्ठान कर सकते हैं।
कुछ सत्य दया क्षमा अहिंसा ईश्वर भक्ति तत्वज्ञान आदि का अनुष्ठान मनुष्य मात्र कर सकते हैं।
किंतु वे सभी वेदादि शास्त्रों का प्रामाण्य मानने वाले तथा अपने अधिकार अनुसार वेदादि शास्त्रोक्त धर्म का अनुष्ठान करने वाले हिंदू हैं।
जन्मना ब्राह्मणआदि का भी सब कर्मों में अधिकार नहीं है।
ब्राह्मण एवं वैश्य का राजसूय यज्ञ में अधिकार नहीं है।
ब्राह्मण क्षत्रिय दोनों का वैश्यस्तोम याग में अधिकार नहीं है।
निषादस्थपतीष्टि में उक्त तीनों का अधिकार नहीं है।
विशेषतः हिंदू शास्त्र अनुसार जिनके पुनर्जन्म विश्वास दाएभाग विवाह अंत्येष्टि मृतक श्राद्धादि कर्म होते हैं
वे सभी हिंदू हैं।
गाय में जिसकी भक्ति हो
प्रणव आदि ईश्वर नामों में यथा अधिकार जिसकी निष्ठा हो
तथा पुनर्जन्म में जिसका विश्वास हो
वह हिंदू है।
लक्षणा वृत्ति से हिंदू शब्द के हिंदू देश यानी हिंदुस्तान और वहां के निवासी हिंदू दोनों अर्थ होते हैं।
हिमालयं समारभ्य यावदिन्दु सरोवरम् |
तं देवनिर्मितं देशं हिंदुस्थानं प्रचक्षते ||
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : शुक्रवार
दिनांक: 25 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:50 प्रात:
सूर्यास्त : 6:34 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : द्वादशी 11:41 पूर्वाह्न तक फिर त्रयोदशी
नक्षत्र : पूर्वा भाद्रपद 8:43 प्रातः तक फिर उत्तरा भाद्रपद
योग : इन्द्र 12:19 अपराह्न तक फिर वैधृति
राहुकाल : 10:36 - 12:12 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : शुक्रवार
दिनांक: 25 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:50 प्रात:
सूर्यास्त : 6:34 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : द्वादशी 11:41 पूर्वाह्न तक फिर त्रयोदशी
नक्षत्र : पूर्वा भाद्रपद 8:43 प्रातः तक फिर उत्तरा भाद्रपद
योग : इन्द्र 12:19 अपराह्न तक फिर वैधृति
राहुकाल : 10:36 - 12:12 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
अप्रैल 25, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
प्रथमे नार्जिता विद्या द्वितीये नार्जितं धनम् ।
तृतीये नार्जितं पुण्यं चतुर्थे किं करिष्यसि ॥
यदि जीवन के प्रथम भाग में विद्या, दूसरे में धन,
और तीसरे में पुण्य नही कमाया, तो चौथे भाग में क्या करोगे ?
जय माँ लक्ष्मी
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
प्रथमे नार्जिता विद्या द्वितीये नार्जितं धनम् ।
तृतीये नार्जितं पुण्यं चतुर्थे किं करिष्यसि ॥
यदि जीवन के प्रथम भाग में विद्या, दूसरे में धन,
और तीसरे में पुण्य नही कमाया, तो चौथे भाग में क्या करोगे ?
जय माँ लक्ष्मी
जय श्री राम
पाशाक्षमालिकाम्भोजसृणिभिर्याम्यसौम्ययोः।
पद्मासनस्थां ध्यायेच्च श्रियं त्रैलोक्यमातरम्॥
गौरवर्णां सुरूपां च सर्वालङ्गारभूषिताम्।
रौक्मपद्मव्यग्रकरां वरदां दक्षिणेन तु''॥
पद्महस्ता च सा देवी तं नरं तूपतिष्टति।
दशायुतं तु पद्मानां जुहुयाद्यस्तथा जले॥
ॐ पद्मायै नमः
ॐ प्रकृत्यै नमः
वन्देमातरम्
स्वस्तिर्अस्तु
प्रातर्नमामि
आज 25 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की उदया तिथि द्वादशी और शुक्रवार है द्वादशी शुक्रवार दोपहर पहले 11:45 तक रहेगी उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी आज दोपहर 12:31 तक इंद्र योग रहेगा साथ ही सुबह 8:54 तक पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा,उसके बाद उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र लग जाएगा। इसके अलावा आज शुक्र प्रदोष व्रत है।
🪷🦉🙏🙏🦉🪷
पद्मासनस्थां ध्यायेच्च श्रियं त्रैलोक्यमातरम्॥
गौरवर्णां सुरूपां च सर्वालङ्गारभूषिताम्।
रौक्मपद्मव्यग्रकरां वरदां दक्षिणेन तु''॥
पद्महस्ता च सा देवी तं नरं तूपतिष्टति।
दशायुतं तु पद्मानां जुहुयाद्यस्तथा जले॥
ॐ पद्मायै नमः
ॐ प्रकृत्यै नमः
वन्देमातरम्
स्वस्तिर्अस्तु
प्रातर्नमामि
आज 25 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की उदया तिथि द्वादशी और शुक्रवार है द्वादशी शुक्रवार दोपहर पहले 11:45 तक रहेगी उसके बाद त्रयोदशी तिथि लग जाएगी आज दोपहर 12:31 तक इंद्र योग रहेगा साथ ही सुबह 8:54 तक पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा,उसके बाद उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र लग जाएगा। इसके अलावा आज शुक्र प्रदोष व्रत है।
🪷🦉🙏🙏🦉🪷
मन के फंद से बचना कठिन
हम लोग यह सोचते है कि
काश हमे भी गुरु की शरण मिलती और हमे भी उनकी सेवा का मौका मिलता तो जीवन धन्य हो जाता।
मेरे पूज्य गुरुजी ने कहा कि
जो लोग संत के जितने करीब होते है वे संत से उतनी ही दूर होते है।
जैसे गाय से दूर बँधा बछडा।
जब गाय के पास जाता है तब दूध पीता है और थन मे लगी किलनी दूध के पास रह कर केवल खून पीती है।
एक समय मे देखने मे आया कि
कही अंग रक्षको ने ही मारने का काम किया।
तो कही करीब रह रहे शिष्य ही गुरु के लिये खतरा बन गये।
तो कहीं धन व मान सम्मान के लालच मे फँस कर गुरु से शिष्यो ने बगावत कर दी और गुरु का कहना नहीं माना।
हमारा जीवन प्रारब्ध कर्म काटने के लिए हुआ है।
यदि गुरु के शरणा गत होकर रहोगे तो कर्म आसानी से कटेगे।
वर्ना बहुत मुश्किल होता है।
यहाँ एक बात समझ लेने की है शरणागत होना क्या है ?
मन से गुरु के प्रति समर्पण करना शरणागत होना है।
उसमे रहने खाने पीने सोचने विचार व्यक्त करने आदि के लिए शिष्य स्वतंत्र नही होता उसकी स्थिति एक गुलाम की तरह होती है।
हालाँकि गुरु कोई समर्पण कराता नही है।
यह शिष्य को अपने लाभ के लिये करना पडता है।
कर्मजाल से कोई अछूता नहीं है।
सभी को इसे भोगना ही पडता है।
चाहे अवतार श्रीराम श्रीकृष्ण हो या साधू संत या उनके अंग संग रहने वाले या शरणागत रहने वाले।
अब पुनः सवाल उठता है कि
संत के पास रहने वाले लोग शरणागत क्यों नहीं हो पाते ?
कारण साफ है कि उन्हें चुपके से अहंकार ऐसे जकड़ता कि उन्हें भनक तक नही लगती और गुरु से दूरी बन जाती है हालाँकि सांसारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं दिखाई देता है।
किसी गुरु के शिष्य योग्यता के आधार पर कई तरह के होते है।
कुछ लोग नाम मिलने के तुरंत बाद शरणागत हो जाते है।
कुछ लोग पहले थोडे दिन होते है।
फिर पहले की तरह हो जाते है।
कुछ लोग नाम के बाद भी शरणागत नही हो पाते है।
हालाँकि ऐसे लोग बाहरी दिखावा बहुत करते है।
और गुरु की मर्जी पर न चल कर मन मर्जी पर चलना अधिक अच्छा मानते है और बाद मे जब भँवर मे फस जाते है तो अपना और अपने आश्रितो का भविष्य खराब करने के साथ जग हसाई भी करते है।
कोई जीवन भर गुरु से शरीर रूप मे जुडा रहे और मन से अलग रहे तो उसका कुछ बनने वाला नही है।
चाहे कितनी ही अच्छी आध्यात्मिक बातें कर ले सत्संग करले
भीड़ एकत्र करले लेकिन एक दिन सारी पोल खुल ही जानी है।
आज लोग साकार निराकार
अपना गुरु अच्छा तुम्हारा गुरु खराब
हमारे जैसे कोई हो ही नही सकता।
हम ही सबसे ज्ञानी है हमारा गुरु ही सबसे अच्छा है।
हमारे आगे ये क्यों आगे बढ रहे है ?
आदि मे लोग अपनी शक्ति को खराब कर रहे है।
जिसे भजन मे लगाना था
उन्हें सारे लोगों से अच्छी बातें लेनी चाहिए।
कोई संत सद्गुगुरु छोटा या बडा नहीं होता।
हर शिष्य को उसकी योग्यता के अनुसार गुरु मिलता है।
यह पहले से निर्धारित होता है कि किसे किससे नाम मिलना है।
जय श्री राम
हम लोग यह सोचते है कि
काश हमे भी गुरु की शरण मिलती और हमे भी उनकी सेवा का मौका मिलता तो जीवन धन्य हो जाता।
मेरे पूज्य गुरुजी ने कहा कि
जो लोग संत के जितने करीब होते है वे संत से उतनी ही दूर होते है।
जैसे गाय से दूर बँधा बछडा।
जब गाय के पास जाता है तब दूध पीता है और थन मे लगी किलनी दूध के पास रह कर केवल खून पीती है।
एक समय मे देखने मे आया कि
कही अंग रक्षको ने ही मारने का काम किया।
तो कही करीब रह रहे शिष्य ही गुरु के लिये खतरा बन गये।
तो कहीं धन व मान सम्मान के लालच मे फँस कर गुरु से शिष्यो ने बगावत कर दी और गुरु का कहना नहीं माना।
हमारा जीवन प्रारब्ध कर्म काटने के लिए हुआ है।
यदि गुरु के शरणा गत होकर रहोगे तो कर्म आसानी से कटेगे।
वर्ना बहुत मुश्किल होता है।
यहाँ एक बात समझ लेने की है शरणागत होना क्या है ?
मन से गुरु के प्रति समर्पण करना शरणागत होना है।
उसमे रहने खाने पीने सोचने विचार व्यक्त करने आदि के लिए शिष्य स्वतंत्र नही होता उसकी स्थिति एक गुलाम की तरह होती है।
हालाँकि गुरु कोई समर्पण कराता नही है।
यह शिष्य को अपने लाभ के लिये करना पडता है।
कर्मजाल से कोई अछूता नहीं है।
सभी को इसे भोगना ही पडता है।
चाहे अवतार श्रीराम श्रीकृष्ण हो या साधू संत या उनके अंग संग रहने वाले या शरणागत रहने वाले।
अब पुनः सवाल उठता है कि
संत के पास रहने वाले लोग शरणागत क्यों नहीं हो पाते ?
कारण साफ है कि उन्हें चुपके से अहंकार ऐसे जकड़ता कि उन्हें भनक तक नही लगती और गुरु से दूरी बन जाती है हालाँकि सांसारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं दिखाई देता है।
किसी गुरु के शिष्य योग्यता के आधार पर कई तरह के होते है।
कुछ लोग नाम मिलने के तुरंत बाद शरणागत हो जाते है।
कुछ लोग पहले थोडे दिन होते है।
फिर पहले की तरह हो जाते है।
कुछ लोग नाम के बाद भी शरणागत नही हो पाते है।
हालाँकि ऐसे लोग बाहरी दिखावा बहुत करते है।
और गुरु की मर्जी पर न चल कर मन मर्जी पर चलना अधिक अच्छा मानते है और बाद मे जब भँवर मे फस जाते है तो अपना और अपने आश्रितो का भविष्य खराब करने के साथ जग हसाई भी करते है।
कोई जीवन भर गुरु से शरीर रूप मे जुडा रहे और मन से अलग रहे तो उसका कुछ बनने वाला नही है।
चाहे कितनी ही अच्छी आध्यात्मिक बातें कर ले सत्संग करले
भीड़ एकत्र करले लेकिन एक दिन सारी पोल खुल ही जानी है।
आज लोग साकार निराकार
अपना गुरु अच्छा तुम्हारा गुरु खराब
हमारे जैसे कोई हो ही नही सकता।
हम ही सबसे ज्ञानी है हमारा गुरु ही सबसे अच्छा है।
हमारे आगे ये क्यों आगे बढ रहे है ?
आदि मे लोग अपनी शक्ति को खराब कर रहे है।
जिसे भजन मे लगाना था
उन्हें सारे लोगों से अच्छी बातें लेनी चाहिए।
कोई संत सद्गुगुरु छोटा या बडा नहीं होता।
हर शिष्य को उसकी योग्यता के अनुसार गुरु मिलता है।
यह पहले से निर्धारित होता है कि किसे किससे नाम मिलना है।
जय श्री राम
साभार...
सीधा तमाचा जनरल मुनीर और शाहबाज शरीफ़ की गाल पर?तुम हमारा खून बहाओ हम तुम्हें पानी पिलाएं ? सीसीएस की बैठक के बाद पाकिस्तान के होश उड़ गए।प्यासा मरेगा आतंकवाद का मसीहा?भारत ने साफ कर दिया कि पुलवामा 2 पहलगाम का बदला बहुत भारी पड़ेगा बहुत ही भारी पड़ेगा। 26/11 कर पाकिस्तान को सुकून मिला था।पुलवामा के बाद भारत की स्ट्राइक से पाकिस्तान भौचक्का रह गया था।
जल संधि स्थगन से अंदाजा लगा लीजिए कि भारत का बदला कितना भयावह होगा।अभी तो कूटनीतिक अटैक से पाकिस्तान को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी पड़ी है।जनरल मुनीर ! प्रतीक्षा करो तुम्हारे आतंकी भाषण का जवाब जब भारतीय सेना देगी तो बोलने लायक भी नहीं रहोगे।पहलगाम में हिंदुओं पर कायराना हमला अभी चंद दिन पूर्व असीम मुनीर के उस भाषण के बाद सामने आया जिसमें उन्होंने मुसलमानों की हकीकत बता दी थी।आइए जानते हैं कि मुनीर ने क्या कहा था।
पाकिस्तान में हुए एनआरआई सम्मेलन में पाक आर्मी प्रमुख सैयद असीम मुनीर ने बहुत खरी बातें कही थी।बगैर लागलपेट किए सीधे सीधे सीधी बात। कश्मीर में हिंदुओं की हत्या का एक कारण यह भी है।मुनीर ने साफगोई से कहा कि टू नेशन थ्योरी आई ही इसलिए चूंकि हिन्दू मुस्लिम एक नहीं हैं ।हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम मुसलमान हर आयाम में हिंदुओं से अलग हैं।
हमारा मजहब,रिवाज,परंपरा,सोच और मकसद अलग हैं।जनरल मुनीर ने कहा कि हिन्दू और मुसलमान के बीच बुनियादी फर्क है।हमारी कौम के मकसद हमारे पूर्वजों ने तय कर दिए हैं।मुनीर ने जोर देकर कहा कि हमारे मकसद हिंदुओं से अलग हैं अतः मेल मिलाप की बातें बेमानी है।जनरल ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया।
मुनीर के भाषण की पाकिस्तान में जमकर सराहना हुई है।हालांकि मुनीर मक्कार है और हमारा कोई रोल मॉडल नहीं है।लेकिन हिन्दू मुस्लिम संबंधों को टू नेशन थ्योरी से जोड़कर उन्होंने साफ कर दिया कि मुस्लिमों के लिए पाकिस्तान बना ही इसलिए था ताकि हम हिंदुओं से दूर रह सकें।भारत के मुसलमान असीम मुनीर से कितना इत्तफाक रखते हैं ये वे जानें।
लेकिन हिंदुओं के प्रति उनके विचार जिन्ना को भी मात दे गए,आगे निकल गए।जिन्ना ने भी 1938 में यही मान लिया था कि मुसलमानों का हिंदुओं के साथ रहना एक छल है।उन्होंने मान लिया था ठान लिया था कि ऐसा पाकिस्तान बनाना है जहां एक भी हिन्दू न हो।जिन्ना ने अंग्रेजों से पाकिस्तान तो ले लिया लेकिन मुसलमानों को साथ ले जाने में नाकामयाब रहे।उधर पाकिस्तान से हिंदुओं को किस तरह मारा काटा और भगाया गया वह एक इतिहास है।जो रह गए उन्हें किस तरह 23 प्रतिशत से 1.5 % पर लाया गया वह मुनीर के विचारों का प्रमाण है।
तो असीम मुनीर,भारत के निर्दोष पर्यटकों पर पहलगाम में हमला कराकर तुमने अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल की है।तुम्हारी इस भूल पर पूरे पाकिस्तान में त्राहि त्राहि मचने वाली है । जिस पीओके को तुमने आतंकवादियों की नर्सरी बना रखा है वह तो शीघ्र हमारा होगा ही।हमारी लंबे समय से लाहौर पर तिरंगा फहराने को मंशा रही है।सब अनुकूल रहा तो तिरंगा भी फहराएंगे और भगवा भी।शाहबाज तो किसी खेत की मूली नहीं है असीम मुनीर?तुम्हारा बैंड और बीन एक साथ बजाएगी हमारी सेना,देखते रहना।
जय हिंद जय भारत
सीधा तमाचा जनरल मुनीर और शाहबाज शरीफ़ की गाल पर?तुम हमारा खून बहाओ हम तुम्हें पानी पिलाएं ? सीसीएस की बैठक के बाद पाकिस्तान के होश उड़ गए।प्यासा मरेगा आतंकवाद का मसीहा?भारत ने साफ कर दिया कि पुलवामा 2 पहलगाम का बदला बहुत भारी पड़ेगा बहुत ही भारी पड़ेगा। 26/11 कर पाकिस्तान को सुकून मिला था।पुलवामा के बाद भारत की स्ट्राइक से पाकिस्तान भौचक्का रह गया था।
जल संधि स्थगन से अंदाजा लगा लीजिए कि भारत का बदला कितना भयावह होगा।अभी तो कूटनीतिक अटैक से पाकिस्तान को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी पड़ी है।जनरल मुनीर ! प्रतीक्षा करो तुम्हारे आतंकी भाषण का जवाब जब भारतीय सेना देगी तो बोलने लायक भी नहीं रहोगे।पहलगाम में हिंदुओं पर कायराना हमला अभी चंद दिन पूर्व असीम मुनीर के उस भाषण के बाद सामने आया जिसमें उन्होंने मुसलमानों की हकीकत बता दी थी।आइए जानते हैं कि मुनीर ने क्या कहा था।
पाकिस्तान में हुए एनआरआई सम्मेलन में पाक आर्मी प्रमुख सैयद असीम मुनीर ने बहुत खरी बातें कही थी।बगैर लागलपेट किए सीधे सीधे सीधी बात। कश्मीर में हिंदुओं की हत्या का एक कारण यह भी है।मुनीर ने साफगोई से कहा कि टू नेशन थ्योरी आई ही इसलिए चूंकि हिन्दू मुस्लिम एक नहीं हैं ।हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम मुसलमान हर आयाम में हिंदुओं से अलग हैं।
हमारा मजहब,रिवाज,परंपरा,सोच और मकसद अलग हैं।जनरल मुनीर ने कहा कि हिन्दू और मुसलमान के बीच बुनियादी फर्क है।हमारी कौम के मकसद हमारे पूर्वजों ने तय कर दिए हैं।मुनीर ने जोर देकर कहा कि हमारे मकसद हिंदुओं से अलग हैं अतः मेल मिलाप की बातें बेमानी है।जनरल ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताया।
मुनीर के भाषण की पाकिस्तान में जमकर सराहना हुई है।हालांकि मुनीर मक्कार है और हमारा कोई रोल मॉडल नहीं है।लेकिन हिन्दू मुस्लिम संबंधों को टू नेशन थ्योरी से जोड़कर उन्होंने साफ कर दिया कि मुस्लिमों के लिए पाकिस्तान बना ही इसलिए था ताकि हम हिंदुओं से दूर रह सकें।भारत के मुसलमान असीम मुनीर से कितना इत्तफाक रखते हैं ये वे जानें।
लेकिन हिंदुओं के प्रति उनके विचार जिन्ना को भी मात दे गए,आगे निकल गए।जिन्ना ने भी 1938 में यही मान लिया था कि मुसलमानों का हिंदुओं के साथ रहना एक छल है।उन्होंने मान लिया था ठान लिया था कि ऐसा पाकिस्तान बनाना है जहां एक भी हिन्दू न हो।जिन्ना ने अंग्रेजों से पाकिस्तान तो ले लिया लेकिन मुसलमानों को साथ ले जाने में नाकामयाब रहे।उधर पाकिस्तान से हिंदुओं को किस तरह मारा काटा और भगाया गया वह एक इतिहास है।जो रह गए उन्हें किस तरह 23 प्रतिशत से 1.5 % पर लाया गया वह मुनीर के विचारों का प्रमाण है।
तो असीम मुनीर,भारत के निर्दोष पर्यटकों पर पहलगाम में हमला कराकर तुमने अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल की है।तुम्हारी इस भूल पर पूरे पाकिस्तान में त्राहि त्राहि मचने वाली है । जिस पीओके को तुमने आतंकवादियों की नर्सरी बना रखा है वह तो शीघ्र हमारा होगा ही।हमारी लंबे समय से लाहौर पर तिरंगा फहराने को मंशा रही है।सब अनुकूल रहा तो तिरंगा भी फहराएंगे और भगवा भी।शाहबाज तो किसी खेत की मूली नहीं है असीम मुनीर?तुम्हारा बैंड और बीन एक साथ बजाएगी हमारी सेना,देखते रहना।
जय हिंद जय भारत
ये लेख थोड़ा सख्त है, सेकुलर कीड़े दूर रहें।
जो कहना है सीधे कहूंगा घुमा फिरा कर नहीं।
शीर्षक - “जड़ उखाड़ो जड़”
सीना ठोक कर कहता हूं “आतंक का मजहब” होता है। मजहब ही सिखाता है खून बहाना। मजहब ही 72 हूरों के सपने दिखाता है।
मजहब ही सीखता है 16-16 साल के बच्चों को कमर में बम बांधकर हूरों के लिए फट जाना...
शेष कमेंट में पढ़िए....
“आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता ” पूरी तरह से झूठ है। आइए पहले भूमिका बनाते हैं, इसके बाद आज के लेख पर बात करेंगे।
1993 किस्तवार : बस हाइजेक की गई ,
सिर्फ हिन्दू मार दिए बाकी छोड़ दिए।
1998 वंधामा :
सिर्फ हिन्दुओ के घर मे चुन कर 23 लोग मारे।
1998 ऊधमपुर : प्राणकोट गाव में हिन्दुओ को जबर्जस्ती कलमा पढ़ने को कहा , 29 को मारा।
सन् 2000 ईस्वी ,
चित्तीसिंहपुर गाव मे 36 सिख चुन कर मारे l।
105 हिन्दू अमरनाथ यात्री मारे , 2001 मे भी मारे , 2017 मे भी।
2003 नंदीमार्ग गाँव : 24 हिन्दू घर से निकाल कर मारे।
2006 डोडा : 54 हिन्दू चुनकर मारे , जिनमे 4 छोटी 3 साल की बच्चीया भी , इतना बेदर्दी से मारा की पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को हार्टअटैक आ गया।
2021 : स्कूल मे हमला किया , चुन चुन कर सिर्फ हिन्दू टीचर मारे। ऐसी हजारों घटनाएं हैं जो काश्मीर ही नहीं देश भर में हजार साल से घट रही हैं।
लिस्ट बहुत लंबी है अगर लिखूं तो, लेकिन जैसे लोग ये सब भूल गए 2025 पहलगांम भी भूल जाएंगे।
संभव है कुछ दिन बाद आप एक एयर स्ट्राइक करके 'बदला' ले लेंगे। हो सकता है कुछ थोड़ा सा और बड़ा कर लें।
लेकिन सब कुछ जानते हुए भी लोकतंत्र की दुहाई देते हुए आप ताल ठोंककर यह कभी नहीं कह पाएंगे कि इस्लाम केवल मजहब नहीं बल्कि "एक साम्राज्यवादी मिलिट्री की विचारधारा, है।
जिसका मकसद सारी दुनियां पर कब्जा(दारुल ए इस्लाम) करना है । जिसमें किसी दूसरे धार्मिक विश्वास के लिए कोई जगह नहीं।
वह मिलिटेंट तब तक आपको काफिर कहते हुए मारते रहेंगे जब तक आप शुतुरमुर्ग नीति के तहत बालू में सर घुसेड़ कर सहिष्णुता, अहिंसा,मानवता, असहमति का अधिकार आदि कहकर बचने की कोशिश करते रहेंगे।
इराक, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कश्मीर, मुंबई हमला, मुर्शिदाबाद, बंगाल, कोलकाता, केरला, पहलगाम होता ही रहेगा।
जमीन छिनती ही जाएगी हिंदू मारे ही जाते रहेंगे बच्चियों से बलात्कार होता रहेगा मंदिर तोड़े ही जाते रहेंगे।
धीरे-धीरे ऐसी स्थितियां आ जाएगी कि आप अपनी जमीन छोड़कर भागने लायक आपके पास कोई जगह नहीं रह जाएगी...
इराक से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे, ईरान से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे, अफगानिस्तान से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे,
पाकिस्तान से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे, बांग्लादेश से बहुत धर्मांतरित हुए कुछ भागे, कश्मीर से भागे, अब यूपी से कहां भागोगे?
शेष भारत के 19 प्रदेशों में ही बहुसंख्यक बचे हो वहां से तो अब भागने की जगह भी नहीं बची।
अब पलटो जड़ खत्म करो।
आप जड़ को छोड़कर पत्तों को तोड़ते रहिये, इस विषैले पेड़ का कुछ न बिगड़ेगा। आतंक की जड़ खोद कर फेंको तभी बचोगे।
आतंक का जड़ क्या है, आपको समझ आ गया तो कमेंट में बता देना। जिसके समझ में नहीं आया वो खुद को जड़ समझ लेना।
जो कहना है सीधे कहूंगा घुमा फिरा कर नहीं।
शीर्षक - “जड़ उखाड़ो जड़”
सीना ठोक कर कहता हूं “आतंक का मजहब” होता है। मजहब ही सिखाता है खून बहाना। मजहब ही 72 हूरों के सपने दिखाता है।
मजहब ही सीखता है 16-16 साल के बच्चों को कमर में बम बांधकर हूरों के लिए फट जाना...
शेष कमेंट में पढ़िए....
“आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता ” पूरी तरह से झूठ है। आइए पहले भूमिका बनाते हैं, इसके बाद आज के लेख पर बात करेंगे।
1993 किस्तवार : बस हाइजेक की गई ,
सिर्फ हिन्दू मार दिए बाकी छोड़ दिए।
1998 वंधामा :
सिर्फ हिन्दुओ के घर मे चुन कर 23 लोग मारे।
1998 ऊधमपुर : प्राणकोट गाव में हिन्दुओ को जबर्जस्ती कलमा पढ़ने को कहा , 29 को मारा।
सन् 2000 ईस्वी ,
चित्तीसिंहपुर गाव मे 36 सिख चुन कर मारे l।
105 हिन्दू अमरनाथ यात्री मारे , 2001 मे भी मारे , 2017 मे भी।
2003 नंदीमार्ग गाँव : 24 हिन्दू घर से निकाल कर मारे।
2006 डोडा : 54 हिन्दू चुनकर मारे , जिनमे 4 छोटी 3 साल की बच्चीया भी , इतना बेदर्दी से मारा की पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को हार्टअटैक आ गया।
2021 : स्कूल मे हमला किया , चुन चुन कर सिर्फ हिन्दू टीचर मारे। ऐसी हजारों घटनाएं हैं जो काश्मीर ही नहीं देश भर में हजार साल से घट रही हैं।
लिस्ट बहुत लंबी है अगर लिखूं तो, लेकिन जैसे लोग ये सब भूल गए 2025 पहलगांम भी भूल जाएंगे।
संभव है कुछ दिन बाद आप एक एयर स्ट्राइक करके 'बदला' ले लेंगे। हो सकता है कुछ थोड़ा सा और बड़ा कर लें।
लेकिन सब कुछ जानते हुए भी लोकतंत्र की दुहाई देते हुए आप ताल ठोंककर यह कभी नहीं कह पाएंगे कि इस्लाम केवल मजहब नहीं बल्कि "एक साम्राज्यवादी मिलिट्री की विचारधारा, है।
जिसका मकसद सारी दुनियां पर कब्जा(दारुल ए इस्लाम) करना है । जिसमें किसी दूसरे धार्मिक विश्वास के लिए कोई जगह नहीं।
वह मिलिटेंट तब तक आपको काफिर कहते हुए मारते रहेंगे जब तक आप शुतुरमुर्ग नीति के तहत बालू में सर घुसेड़ कर सहिष्णुता, अहिंसा,मानवता, असहमति का अधिकार आदि कहकर बचने की कोशिश करते रहेंगे।
इराक, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, कश्मीर, मुंबई हमला, मुर्शिदाबाद, बंगाल, कोलकाता, केरला, पहलगाम होता ही रहेगा।
जमीन छिनती ही जाएगी हिंदू मारे ही जाते रहेंगे बच्चियों से बलात्कार होता रहेगा मंदिर तोड़े ही जाते रहेंगे।
धीरे-धीरे ऐसी स्थितियां आ जाएगी कि आप अपनी जमीन छोड़कर भागने लायक आपके पास कोई जगह नहीं रह जाएगी...
इराक से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे, ईरान से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे, अफगानिस्तान से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे,
पाकिस्तान से बहुत से धर्मांतरित हुए कुछ भागे, बांग्लादेश से बहुत धर्मांतरित हुए कुछ भागे, कश्मीर से भागे, अब यूपी से कहां भागोगे?
शेष भारत के 19 प्रदेशों में ही बहुसंख्यक बचे हो वहां से तो अब भागने की जगह भी नहीं बची।
अब पलटो जड़ खत्म करो।
आप जड़ को छोड़कर पत्तों को तोड़ते रहिये, इस विषैले पेड़ का कुछ न बिगड़ेगा। आतंक की जड़ खोद कर फेंको तभी बचोगे।
आतंक का जड़ क्या है, आपको समझ आ गया तो कमेंट में बता देना। जिसके समझ में नहीं आया वो खुद को जड़ समझ लेना।
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : शनिवार
दिनांक: 26 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:46 प्रात:
सूर्यास्त : 6:52 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : त्रयोदशी 8:28 प्रातः तक फिर चतुर्दशी
नक्षत्र : उत्तरा भाद्रपद 6:27 प्रातः तक फिर रेवती
योग : वैधृति 8:41 प्रातः तक फिर विषकुम्भ
राहुकाल : 9:12 - 10:48 प्रातः तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : शनिवार
दिनांक: 26 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:46 प्रात:
सूर्यास्त : 6:52 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : त्रयोदशी 8:28 प्रातः तक फिर चतुर्दशी
नक्षत्र : उत्तरा भाद्रपद 6:27 प्रातः तक फिर रेवती
योग : वैधृति 8:41 प्रातः तक फिर विषकुम्भ
राहुकाल : 9:12 - 10:48 प्रातः तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम