धर्म ज्ञान : जय श्री राम
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सत्य पंथ का करी प्रचारा॥
देश धर्म का करि विस्तारा ||
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पत्रं पुष्पं फलं तो़यं यो मे भक्त्या प्रयच्छति |
तदहं भक्त्युपह्रतमश्नामि प्रयात्मन: ||
व्यस्त आपाधापी मे
साधनाभाव या समयाभाव के कारण
यदि विस्तृत पूजन न कर पायें
तो आद्यगुरु श्री शँकराचार्य जी ने अति सुन्दर मानसिक पूजा का विधान बताया है।
जो कि अति भावपूर्ण होते हुये श्रुतिपरक भी है जिसमे आप को कुछ भी नही करना है।
सिर्फ मानसिक रूप से भावना ही करनी है।
क्योंकि भगवान
तो प्रेम की भावना के आधीन हैं
न कि व्यर्थ के आडम्बर के
उन्हें तो प्रेम से अर्पित किया गया
एक फूल भी स्वीकार है।
हर हर शम्भु
त्रिलोकपति भगवान भोलेनाथ ने किसी की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दे दिया था कि तुम जिस पर भी हांथ रख दोगे वह भस्म हो जाएगा। इस वरदान से भस्मासुर के पास असीमित ताकत हो गई थी और उसने भगवान शिव को ही भस्म करने के लिए दौड़ा लिया... संविधान का अनुच्छेद 142 कुछ उसी तरह का #भस्मासुर हो चुका है... संविधान निर्माता ने यह अनुच्छेद जोड़ते समय जिस विवेक की अपेक्षा की थी न्यायपालिका से, उसका लोप यदि समय समय पर नजर आता है, तो इसमें अदूरदर्शिता किसकी है?
भस्मासुर का इलाज करने के लिए भगवान विष्णु को मोहनी रूप धारण करना पड़ा था, भारतीय संविधान मे छिपे बैठे इस भस्मासुर का इलाज भी कुछ उसी तरह से हो पाएगा।
आज रात
9 बजकर 9 मिनट पर क्या करें?

यदि आप 9:09 पर आसमान की तरफ देखते रहें और अपनी आंखें खुली रखें। हाथ जोड़कर अपनी इच्छा बार-बार बोलें तो वह पूरी हो सकती है। लेकिन आपको वह विश किसी को नहीं बतानी है। ये प्रक्रिया ब्रह्मांड की ऊर्जा को आकर्षित कर आपकी इच्छा को पूरा कर सकती है।
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : मंगलवार
दिनांक: 22 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:52 प्रात:
सूर्यास्त : 6:32 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : नवमी 6:07 सांय तक फिर दशमी
नक्षत्र : श्रवण 12:31 अपराह्न तक फिर घनिष्ठा
योग : शुभ 9:01 रात्रि तक फिर शुक्ल
राहुकाल : 3:22 - 4:57 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
अप्रैल 22, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
यथा ह्यल्पेन यत्नेन च्छिद्यते तरुणस्तरुः।
स एवाऽतिप्रवृध्दस्तु च्छिद्यतेऽतिप्रयत्नतः॥
एवमेव विकारोऽपि तरुणः साध्यते सुखम्।
विवृध्दः साध्यते कृछ्रादसाध्यो वाऽपि जायते॥
जैसे छोटे पौधे आसानी से तोड़े जा सकते हैं पर बड़े पेड़ नही, वैसे ही रोग का शुरुआत में ही
उपचार करना आसान होता है, बढ़ने पर साध्य से असाध्य ही हो जाता है।
जय श्री हनुमान
जय श्री राम
कालनेमि कलि कपट निधानू |
नाम सुमति समरथ हनुमानू ||
कलियुग में
न कर्म है।
न भक्ति है
और न ज्ञान ही है।
राम नाम ही एक आधार है।
कपट की खान कलियुग रूपी कालनेमि के मारने के लिए राम नाम ही बुद्धिमान और समर्थ श्री हनुमान्‌जी हैं।
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवान खिलान्तरात्मा |
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च ||
श्रीराम सबके अंतरात्मा ही हैं।
हे रघुकुलश्रेष्ठ!
मुझे अपनी निर्भरा पूर्ण भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए।
जय जय श्रीसीताराम
श्रीराघवं रामचन्द्रं रावणारिं रमापतिम्।
राजीवलोचनं रामं तं वन्दे रघुनायकम्॥
सर्वलोकशरण्याय साकेतपुरवासिने।
सत्सेविताय रामाय ससीतायास्तु मङ्गलम्॥
कौसल्यायां दशरथाज्जाताय परमात्मने।
सदा भरतसौमित्रिशत्रुघ्नेशाय मङ्गलम्॥
ॐ श्री सीतारामाभ्यां नमः
ॐ श्री पवनतनये नमः
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
जयतु भारत राष्ट्रम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 22 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की नवमी तिथि और मंगलवार है नवमी शाम 6:13 तक रहेगी 22 अप्रैल को रात 9:13 तक शुभयोग रहेगा साथ ही मंगलवार दोपहर 12:44 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा, उसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र लग जाएगा इसके अलावा 22 अप्रैल से पंचक प्रारंभ है।
🌺🚩🙏🙏🚩🌺
अप्रैल 22, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
नात्यन्त गुणवत् किंचित् न चाप्यत्यन्तनिर्गुणम् उभयं सर्वकार्येषु दॄष्यते साध्वसाधु वा
ऐसा कोई भी कार्य नही है जो सर्वथा अच्छा है। ऐसा कोई भी कार्य नही जो सर्वथा बुरा है। अच्छे और बुरे गुण हर एक कार्य में होते ही है।
जय श्री हनुमान
जय श्री राम
जिस धर्म और संस्कृति में सावित्री यमराज से अपने पति को बचा लेती थीं,

जिस धर्म और संस्कृति में देवी सती अपने पति शंकर का अपमान होने पर स्वयं को अग्नि में भस्म कर देती थी,

जिस धर्म और संस्कृति में पत्नियां अपने पति की दीर्घायु के लिए करवाचौथ का व्रत करती थीं,

जिस धर्म और संस्कृति में सीता लक्ष्मी का अवतार होते हुए अपने हाथों से स्वयं अपनी सासों की सेवा करती थी,

उस देश में आज इतना चारित्रिक और नैतिक पतन हुआ है कि पत्नियां अपने प्रेमी से मिल कर अपने पति की हत्या कर रहीं हैं, तीन-तीन बच्चों की माँ सारी धन-दौलत लेकर देवर के संग भाग रहीं हैं । सास-ससुर का अपमान कर रहीं हैं और उनके साथ एक घर में रहना नहीं चाहतीं ।

इस घोर सामाजिक पतन के लिए कौन जिम्मेदार है ?

क्या दिशाहीन और नैतिकता विहीन आधुनिक शिक्षा ?

क्या मोबाइल फोन ?

क्या नारीवाद ?

क्या नारी हित में बनाए कानूनों का दुरूपयोग?

क्या बॉलीवुड और OTT के बेहूदा सीरिअल्स ?

क्या लड़की की माता का उसकी ससुराल में हस्तक्षेप ?

दोस्तो, असली वजह है माँ का लड़की को अच्छे संस्कार और शिक्षा न देना ।

अगर सभी माताऐं इस वीडियो में दिखाई गई माँ की तरह अपनी शादीशुदा पुत्री को समझाएं तो सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है ।
एक सनातनी भाई के विचार जिससे मै सहमत हूं और आप....
हम जज हैं .. हम सर्वशक्तिमान हैं ..

जिस तरह से आत्मा अजर अमर है,आत्मा को ना कोई काट सकता है.. ना देख सकता है..

उसी तरह हम भी अकाट्य हैं . हमारी कोई काट नहीं है.. हम और हमारा परिवार #कॉलेजियम सिस्टम के कारण अजर अमर है..

हमसे कोई सवाल नहीं पूछे जा सकते, पूछने वाले पर हम ही सवालिया निशान लगा देते हैं .. #क्योंकि_हम_जज_हैं ..

हम भ्रष्टाचार के मामले में अधिकारियों,छोटे कर्मचारियों को तो जेल भेज देते हैं .. लेकिन नेताओं को हम बेल देते हैं ..

किसी आम नागरिक ने कुछ गलत किया तो हम उसे दंड दे सकते हैं .. लेकिन करोड़ों रुपए घर से बरामद होने के बावजूद भी हम खुले आम घूम सकते हैं ..

क्योंकि हम जज हैं ..

हम आम लोगों को तारीख पे तारीख दे सकते हैं लेकिन कुछ ख़ास वकीलों के केसेस की सुनवाई हम तुरंत करते हैं .

हम लोगों के मामले सारी ज़िन्दगी लटकाए रख सकते हैं लेकिन खुद को छुट्टियाँ चाहिए हों तो हम कभी भी जा सकते हैं..

क्योंकि हम जज हैं ..

कानून बनाने का काम जनता के चुने हुए सांसद संसद के दोनों सदनों से करते है लेकिन उन पर रोक लगाने का हम कर सकते हैं

क्योंकि हम जज हैं..

हमें ना पुलिस गिरफ्तार कर सकती है, ना कोई सरकारी एजेंसी गिरफ्तार कर सकती है..

हम पद पर रहते हुए आलीशान सरकारी बँगले,गाड़ियाँ,नौकर चाकरों का सुख भोगते हैं .. और रिटायरमेंट के पहले हम इतना माल कमा चुके होते हैं कि बाकी की ज़िन्दगी कहीं गुमनामी में मजे से काट सकते हैं..

क्योंकि हम जज हैं ..

कुछ ख़ास दलाल अर्रर्रर्रर्र.. वकील हमारी ही अदालतों में दलाली... अर्रर्रर्रर्र वकालत करने आते हैं क्योंकि उन्हें पता है हमें कैसे "टेकल" करना है..

हम आतंकियों के लिए तो आधी रात को कोर्ट खुलवा सकता हैं लेकिन किसी निर्दोष को बरसों बरस जेल में सड़ा सकते हैं ..

एक पार्टी के लंबे राजपाट में हमने खूब माल कमाया... उनके हर सही गलत काम में खुलकर साथ दिया लेकिन पिछले कुछ बरसों से एक आदमी ने हमें बेहद परेशान किया हुआ है.. हम उस पर नकेल कसने के लिए रात दिन एक कर रहे हैं..

हम चाहते हैं कि सरकार के हर फैसले, हर नियुक्ति में हमारा दखल हो लेकिन खबरदार जो सरकार हमारे कॉलेजियम सिस्टम या हमारे ऊपर किसी भी तरह की बंदिश लगाने की कोशिश करे...

हम कानून के रखवाले नहीं,कानून के सौदागर हैं.. अपने हिसाब से कीमत और केस तय करते हैं..

हम हिंदुओं को,उनकी आस्थाओं को,उनकी संस्कृतियों को दो कौड़ी का समझते हैं लेकिन एक खास मज़हब के खिलाफ़ हम एक शब्द भी सुनना पसंद नहीं करते हैं..

हिंदुओं पर कितने ही अत्याचार हो जाएँ.. हम चुप रहते हैं..

किसी ख़तरनाक अपराधी की सुनवाई से हमारी इतनी फट जाती हैं कि हम उससे खुद को अलग कर लेते हैं.. लेकिन इस सरकार को और आम लोगों को चाहे जब फटकार लगा देते हैं..

क्योंकि हम जज हैं..

अब हमें सरकार चलानी हैं,सरकार हमें ना चलाए.. हम अपनी मर्ज़ी से अपने हिसाब से सरकार चलाना चाहते हैं...

अच्छा हुआ तो हमने किया... बुरा हुआ तों सब सरकार ने किया..

हम सर्वशक्तिमान हैं..

क्योंकि हम जज हैं..
क्योंकि हम जज हैं..
क्योंकि हम जज हैं..
राम राम रहेगी सभी को!
मुंह न लगें
अभद्र, असभ्य व्यक्ति, चाहे परिवार का सदस्य हो या बाहरी व्यक्ति हो, उसके मुंह नहीं लगना चाहिए क्योंकि ऐसा व्यक्ति आत्ममुग्धता के नशे में इतना डूबा होता है कि उसे अपने से अधिक ज्ञानवान व्यक्ति कोई दूसरा नहीं दिखाई देता, इसलिए वह आपसे अभद्रता कर कभी भी, कहीं भी, किसी के भी सामने आपकी इज्जत उतार सकता है। अपनी प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए, ऐसे व्यक्ति से बचने की कोशिश करनी चाहिए। न उससे कोई सवाल करो ना कोई जवाब दो। बस उसे खामोशी दे दो।
अनुराग कश्यप का माफीनामा..
"मैं गुस्से में किसी को एक जवाब देने में अपनी मर्यादा भूल गया। और पूरे ब्राह्मण समाज को बुरा बोल डाला। वो समाज जिसके तमाम लोग मेरी जिंदगी में रहे हैं, आज भी हैं और बहुत कॉन्ट्रीब्यूट करते हैं। आज वो सब मुझसे आहत हैं। मेरा परिवार मुझसे आहत है। बहुत सारे बुद्धिजीवी, जिनकी मैं इज्जत करता हूं मेरे उस गुस्से में, मेरे बोलने के तरीके से आहत हैं।
मैंने खुद ही ऐसी बात करके, अपनी ही बात को मुद्दे से भटका दिया। मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं, इस समाज से जिनको मैं ये नहीं कहना चाह रहा था, लेकिन आवेश में किसी की घटिया टिप्पणी का जवाब देते हुए लिख दिया।
मैं माफी मांगता हूं अपने उन तमाम सहयोगी दोस्तों से, अपने परिवार से और उस समाज से, अपने बोलने के तरीके के लिए, अभद्र भाषा के लिए।
अब आगे से ऐसा न हो, मैं उस पर काम करूंगा। अपने गुस्से पर काम करूंगा। और मुद्दे की बात अगर करनी हो तो सही शब्दों का इस्तेमाल करूंगा।
आशा है आप मुझे माफ कर देंगे।"
: अनुराग कश्यप, ट्विटर पर अभी अभी

सोशल मीडिया कि शक्ति....
साभार...
एक #भ्रष्टाचारी #राणा_सांगा को गलत बोलता है,एक #भांड #ब्राह्मणों पर मूतने की बकवास करता है,एक #म्लेच्छ #सनातन_धर्म को गाली देता है,एक #जिहादी 15 मिनट के लिए पुलिस हटाने की धमकी देता है,कोई राम मंदिर के खिलाफ बाबर का वकील बनके कोर्ट जा रहा है,कोई #वक्फ बोर्ड बचाने जा रहा है,कोई #याकूब_मेमन की फांसी रुकवाना चाहता है … पर नतीजा क्या हुआ?क्या हिसाब लिया गया?

अब पता चला #गोडसे क्या थे? #गांधीवादी बनकर गोडसे की आलोचना करना तो आसान है… लेकिन आप लोगों के समझ से भी ऊपर की चीज था वो बंदा।कई समस्याओं का इलाज होते हैं ऐसे लोग… ताकि शत्रु आइंदा दुस्साहस भी ना करे।

जब कानून,न्यायपालिका चूड़ियां पहनकर बैठ जाए… समाज को न्याय ना मिले… सिस्टम सिर्फ एक ही #मजहब की रखैल बनकर रह जाए… अपने समाज को रोज-रोज अपमानित होते देखना पड़े,,समाज को #मुर्शिदाबाद जैसे #दंगे_फसाद सहने पड़ें… कश्मीर/पाकिस्तान/बांग्लादेश/बंगाल से पलायन करना पड़े… तब जाकर पैदा होते हैं गोडसे!

…और #सावरकर बनना तो उससे भी मुश्किल है,जिसने मरे हुए समाज में जान फूंककर कई गोडसे पैदा कर दिए थे!
राम राम रहेगी सभी को!
आज UPSC CSE 2024 का रिज़ल्ट घोषित कर दिया गया है। इस लिस्ट में कुल 1009 अभ्यर्थियों ने बाजी मारी है। लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की "शक्ति दुबे" ने 1 रैंक के साथ परीक्षा में टॉप किया है।
सो दासी रघुबीर कै समुझें मिथ्या सोपि |
छूट न राम कृपा बिनु नाथ कहउँ पद रोपि ||
जो लोग
अपना सर्वस्व लूटने वाले
इन 6 इन्द्रिय रूपी डाकुओं पर तो पहले विजय नहीं प्राप्त करते और ऐसा मानने लगते हैं कि हमने दसों दिशाएँ जीत लीं
वे मूर्ख हैं।
जिस ज्ञानी एवं जितेन्द्रिय महात्मा ने समस्त प्राणियों के प्रति समता का भाव प्राप्त कर लिया उसके अज्ञान से पैदा होने वाले काम-क्रोधादि शत्रु भी मर-मिट जाते हैं।
फिर बाहर के शत्रु तो रहें ही कैसे ?
साभार...
सत्ता से मांग करना जनता का अधिकार ही नहीं,दायित्व भी है,खास तौर से भारत में,जहां आप सरकार से हर पांच साल में हिसाब मांगने की अवस्था में नहीं हैं... क्योंकि दूसरा विकल्प नहीं है.यहां स्थिति यह है कि सरकार से चार साल हिसाब मांगिए,पर पांचवे साल सरकार के साथ खड़े नजर आइए..उसके अलावा कोई और उपाय नहीं है.भारत में कोई भी समाधान जिसके केंद्र में भाजपा की सत्ता के अलावा और कोई प्रस्तावित विकल्प है वह समाधान नहीं है,समस्या का भाग है यह मेरा अपना मानना है.

लेकिन शासन की दिशा को लेकर अपनी अपेक्षाओं के साथ मुखर होने की आवश्यकता है.सत्ता को जिस तरह से सड़क पर हिंसक भीड़,और न्यायालयों में मियां लॉर्ड बेबस कर देते हैं,वह देश का मनोबल तोड़ने वाला है.

आइए मिल कर आवाज उठाएं... कि सरकार से हमारी अपेक्षा है कि वह देश की शासन व्यवस्था को भ्रष्ट खानदानी ज्यूडिशियरी के हाथों बंधक बनाए जाने से रोके.कोर्ट का काम न्याय करना है,शासन करना नहीं.उसके लिए हमने सरकार चुनी है.कोर्ट की जवाबदेही जनता और संविधान के प्रति निर्धारित की जाए,और देश को विदेशों से संचालित भ्रष्ट जजों के भरोसे न छोड़ा जाए.

आइए अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाएं... सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर धावा बोलें,एक कॉमन हैशटैग के साथ.

#Make_Judiciary_Accountable
राम राम रहेगी सभी को!
साभार..
भारत किधर जा रहा है,यह जानने के लिए अधिक दूर नहीं जाना होता.सिर्फ पश्चिम को,यूरोप और अमेरिका को देख लीजिए...जो कुछ भी वहां हो रहा है,वह पांच दस साल में यहां पहुंचने ही वाला है.

इसी वर्ष,मार्च में यूरोप में तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं.#रोमानिया में सबसे अधिक पॉपुलर वोट लेकर आए लीडर #कैलिन_जॉर्जियस्कू को वहां की सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया. नहीं,उनके विरुद्ध कोई अपराध नहीं सिद्ध हुआ था.बस उनके #पॉलिटिकल व्यूज को अनुकूल नहीं माना गया.
उसके एक सप्ताह बाद दूसरे नंबर पर वहां की नेशनलिस्ट पार्टी की नेता #डायना_सोसाका को भी इसी आधार पर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया.

और उसी महीने #फ्रांस की सबसे पॉपुलर नेशनलिस्ट लीडर #मरीन_ली_पेन को भी चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया.मरीन ली पेन ने फ्रांस के चुनावों के पहले चरण में जोरदार जीत हासिल की थी लेकिन दूसरे चरण में सारे विरोधियों ने मिल कर उन्हें सरकार बनाने से रोक दिया.

ये हैं #ज्यूडिशियल_ओवररीच के खतरे.वेस्टर्न डेमोक्रेसीज में यह हालत है कि कोर्ट अपने विरोधियों को कुचलने के लिए पॉलिटिकल लेफ्ट का हथियार बन गया है.आप कोर्ट के हाथ में इतने वाइड स्वीपिंग पॉवर छोड़ेंगे तो उनका वही होना है... वे देश को एक लेफ्टिस्ट #डिक्टेटरशिप में बदल देंगे.#जनमत और #लोकतंत्र का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा.लिखित कानूनों के आधार पर अपराधियों को दंड देने के अलावा कोर्ट के पास और कोई पॉवर नहीं होने चाहिए.संसद से पारित कानूनों को कोर्ट में बदलने के पॉवर का कोई अर्थ नहीं है. इसकी कोशिश करने वाले जजों को दो टूक शब्दों में यह कहना पड़ेगा कि अपनी हद में रहें.और यह उतना कठिन भी नहीं है.एक दिन के लिए जज साहब की कोठी से सारी सिक्योरिटी हटा ली जाए और कोई भी उनका फोन नहीं उठाए. जहां जाएं,कोई भी उनको पहचानने से इनकार कर दे. चौबीस घंटे में जज साहब पतलून में मूतने लगेंगे.

और सर पर बिठाया,ज्यादा माई लार्ड माई लार्ड किया तो आपको चुनाव ही लड़ने से रोक दिया जाएगा...आपकी शक्ल पसंद नहीं आई...आप चुनाव नहीं लड़ सकते.

दुनिया उधर ही जा रही है...हमें समय रहते दिख जाए तो बेहतर है.
राम राम रहेगी सभी को!