धर्म ज्ञान : जय श्री राम
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सत्य पंथ का करी प्रचारा॥
देश धर्म का करि विस्तारा ||
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अप्रैल 19, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता।
भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत।।
तेज (प्रभाव), क्षमा, धैर्य, शरीरकी शुद्धि, वैरभाव का न रहना और मानको न चाहना, ये सभी दैवी सम्पदा को प्राप्त हुए मनुष्यके लक्षण हैं।
जय माँ लक्ष्मी
जय श्री राम
सनातन धर्म
जो वैदिक धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है।
वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये 'सनातन धर्म' नाम मिलता है।
'सनातन' का अर्थ है
शाश्वत या 'हमेशा बना रहने वाला' अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त।
सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है जो किसी ज़माने में पूरे वृहत्तर भारत भारतीय उपमहाद्वीप तक व्याप्त रहा है।
विभिन्न कारणों से हुए भारी धर्मान्तरण के बाद भी विश्व के इस क्षेत्र की बहुसंख्यक आबादी इसी धर्म में आस्था रखती है।
सिन्धु नदी के पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते।
जो 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे।
उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे।
भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई १००० वर्ष पूर्व ही मिलता है
उसके पहले नहीं।
हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है।
क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था।
सनातन धर्म
जिसे हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहा जाता है का १९६०८५३११० साल का इतिहास हैं।
भारत
और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं।
इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ लिंग पीपल की पूजा इत्यादि प्रमुख हैं।
अंग्रेजो द्वारा दिए गए मिथक दृष्टिकोण के अनुसार इस सभ्यता के अन्त के दौरान मध्य एशिया से एक अन्य जाति का आगमन हुआ जो संस्कृत नाम की एक हिन्द यूरोपीय भाषा बोलते थे स्वयं को आर्य कहते थे।
परन्तु राखिगिरि हरयाणा में मिले मनुष्य अवशेष के डीएनए टेस्ट ने यह बात भी मिथ्या साबित कर दी और यह साबित किया कि ये मात्र उनकी हिन्दुओ को बाटने की चाल का हिस्सा महज था।
राखिगिरि टेस्ट के हिसाब से सभी सनातन धर्मी भारतीय उप महाद्वीप से ही है , सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही था।
प्राचीन काल में
भारतीय सनातन धर्म में गाणपत्य, शैवदेव:कोटी वैष्णव,शाक्त और सौर नाम के पाँच सम्प्रदाय होते थे।
गाणपत्य गणेशकी, वैष्णव विष्णु की, शैवदेव:कोटी शिव की, शाक्त शक्ति की और सौर सूर्य की पूजा आराधना किया करते थे।
पर यह मान्यता थी कि सब एक ही सत्य की व्याख्या हैं।
यह न केवल ऋग्वेद परन्तु रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय ग्रन्थों में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है। प्रत्येक सम्प्रदाय के समर्थक अपने देवता को दूसरे सम्प्रदायों के देवता से बड़ा समझते थे और इस कारण से उनमें वैमनस्य बना रहता था। एकता बनाए रखने के उद्देश्य से धर्मगुरुओं ने लोगों को यह शिक्षा देना आरम्भ किया कि सभी देवता समान हैं
विष्णु, शिव और शक्ति आदि देवी-देवता परस्पर एक दूसरे के भी भक्त हैं। उनकी इन शिक्षाओं से तीनों सम्प्रदायों में मेल हुआ और सनातन धर्म की उत्पत्ति हुई। सनातन धर्म में विष्णु, शिव और शक्ति को समान माना गया और तीनों ही सम्प्रदाय के समर्थक इस धर्म को मानने लगे। सनातन धर्म का सारा साहित्य वेद, पुराण, श्रुति, स्मृतियाँ,उपनिषद्, रामायण, महाभारत, गीता आदि संस्कृत भाषा में रचा गया है।
जय सनातन
काष्ठं कल्पतरुः सुमेरुरचलश्चिन्तामणिः प्रस्तरः सूर्यस्तीव्रकरः शशिः क्षयकरः क्षारोहि निरवारिधिः |
कामो नष्टतनुर्बलिर्दितिसुतो नित्य पशुः कामगोः नैतास्ते तुलयापि भो रघुपते कस्योपमा दीयते ||
"कल्पवृक्ष"
यद्यपि इच्छाओं का पूरक है।
किन्तु वह काष्ठ है।
"सुमेरु" पर्वत है।
"चिन्तामणि" पत्थर है।
"सूर्य" प्रचण्ड रश्मियों वाला है।
"चन्द्रमा" क्षीण होने वाला है।
"समुद्र" खारा है।
"कामदेव" शरीर-रहित है।
"बलि" दानशील दैत्य है।
"कामधेनु" तो सदा पशु ही है।
मैं इन सबको
तेरे समान नहीं पाता हूँ।
हे रघुपते श्रीराम !
आपकी
किसके साथ उपमा दी जाए ?
किसके साथ आपकी तुलना की जाए ?
श्री अयोध्या नगरी
****
साभार...
सेकुलरिज्म,डेमोक्रेसी,इक्वलिटी,वूमेन एंपावरमेंट की बात शरिया कानून लागू होने तक खूब होगी।इन्हीं का #मास्क पहने कबीला सभ्य समाज में घुसेगा। कुछ लोग रविश कुमार,संजय सिंह,लालू अखिलेश ममता जैसे होंगे जो केवल क्षणिक स्वार्थ के लिए कुल्हाड़ी की लकड़ी बन जायेंगे।

जब शरिया लागू होगा तो सबसे पहले इनमें से कोई फखरुद्दीन बनेगा,कोई अकील अहमद बनेगा कोई रजिया बानो होगी।

जो भी व्यक्ति #हिंदुत्व की कीमत पर #डेमोक्रेसी,#सेकुलरिज्म की बात करे समझ लेना वह भविष्य का जिन्ना और इकबाल है।
राम राम रहेगी सभी को!
बात जब उठी हैं तो दूर तक जाएगी !!

क्या आप जानते हैं कि भारत में सुप्रीम कोर्ट के एक कैलाश नाथ वांचू नाम से ऐसे मुख्य न्यायाधीश भी अप्वाइंट हुए थे जिनके पास लॉ की डिग्री तक नहीं थी..

चलिए इंदिरा कांग्रेस का काला कारनामा पढ़िए..

साल 1967 जब देश के राष्ट्रपति चुनाव में जीत की घोषणा जामा मस्जिद से हुई वहीं दूसरी और बिना लॉ की डिग्री वाले व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट का सीजेआई बना दिया।

वर्ष 1967 राजनीतिक घटनाक्रमों की दृष्टि से विचित्र सिद्ध हुआ! इस वर्ष दो बड़े कुकृत्य हुए..
पहला इंदिरा गांधी ने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते विद्वान राष्ट्रपति 'सर्वपल्ली राधाकृष्णन' को हटा अपने "रबड़ स्टांप" 'जाकिर हुसैन' को कांग्रेस की ओर से राष्ट्रपति बनवा दिया..
दूसरा कार्य यह किया कि कैलाशनाथ वांचू को देश के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायधीश बना दिया जबकि उनके पास लॉ की कोई डिग्री तक नहीं थी।
कांग्रेस के शासनकाल में ऐसे संविधान कि धज्जियां उड़ाई जाती थीं और आज वहीं कांग्रेसी संविधान कि रक्षा कि बात कर रहे है...??

ज्यादा जानकारी के लिए गूगल सर्च करें..
साभार...
जिस दिन संसद में ये कानून पास हुआ था कि वक्फ बोर्ड जिस प्रोपर्टी पर उंगली रख देगा वो उसी की हो जायेगी,, उस दिन ये मियांलॉर्ड किस बिल में घुसे पड़े थे?

ये संसद ये सुप्रीम कोर्ट कैसे एक इस्लामिक संस्था को ये अधिकार दे सकती है कि वो जिस प्रोपर्टी पर चाहे अपना कब्जा कर ले और पीड़ित किसी न्यायालय में जाकर न्याय की गुहार भी नहीं लगा सकता?क्या उस दिन सारे देश ने भांग खा रखी थी?

कहां मर गए थे उस दिन विपक्ष के सांसद?कहां मर मर गए थे हिंदू संगठन?कहां मर गया था संघ जो कहता है तीन दिन में सेना तैयार कर देंगे?कहां मर गए थे हिंदूओं के ठेकेदार मठ,पीठ वाले?कहां मर गए थे हिंदूवादी पार्टियों के नेता?

जैसे आज मुस्लिम सड़कों पर हैं तब ये लोग सड़कों पर क्यों नहीं आए थे?

अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस बिल पर रोक लगा दी,किसी तरह ये बिल पास नहीं हुआ और अगर हिंदू संगठन,संघ,धर्माचार्य,शंकराचार्य,हिंदू सड़कों पर नहीं उतरा तो ये देश 2047 तक या तो टूट जाएगा या पूर्ण रूप से इस्लामिक हो जाएगा।मेरा स्पष्ट मत है किसी भी कीमत पर सरकार को यह कानून लागू करना होगा फिर भाजपा नेतृत्व की सत्ता बनी रहे या नहीं पर यह कानून ना तो वापस होना चाहिए न इसमें कोई रियायत दी जानी चाहिए।

स्क्रीनशॉट लेकर रख लीजिए।
साभार...
#राममंदिर की सुनवाई के समय ये तर्क ध्यान में नहीं आया था?
#काशी_विश्वनाथ मंदिर?#मथुरा? #संभल के समय ये तर्क याद नहीं आते?

कह क्यों नहीं देते कि हम तो वही करेंगे जो हमारी राजमाता #भूरी_काकी कहेगी?क्योंकि हम उन्हीं की कृपा से भर्ती हुए थे!

आज #वक्फ के लिए तर्क दे रहे हो कल को #NRC के लिए भी यही तर्क दोगे? कि मुस्लिम 100 साल पुराने कागज कहां से दिखाएगा?

सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गईं थी कि 1989-90 #कश्मीरी_पंडितों के नरसंहार की घटना की दोबारा जांच हो,, कोर्ट ने ये कहते हुए #याचिका खारिज कर दी कि पुराना केस है,इतना पुराना केस नहीं खोल सकते।

उसी कोर्ट ने 1978 में हुए #संभल_दंगे की फाइल को कैसे खोल दिया?कैसे दोबारा जांच के आदेश दे दिए?संभल का ज्यादा पुराना मामला है या कश्मीर का?

मैंने पहले भी कहा था,भारत की न्यायपालिका दुनियां की सबसे भ्रष्ट न्यायपालिका है।चंद पार्टी और उनके वकीलों की रखैल बन चुकी है।वो जब चाहते हैं जैसे चाहते हैं अपने इशारों पर मुंजरा करवाते हैं।

एक ही कानूनी पढ़ाई,एक ही सिलेबस फिर भी ऐसा कैसे हो सकता है कि एक ही केस में हाई कोर्ट का निर्णय अलग सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अलग?हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट एक झटके में डस्टबिन में डाल देता है?ऐसा कैसे?क्या हाई कोर्ट के मीलॉर्ड ने नशे में निर्णय दिया था?

संविधान के रक्षक ही संविधान के भक्षक बने बैठे हैं।
विचार अवश्य करिएगा। राम राम रहेगी सभी को!
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : रविवार
दिनांक: 20 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:54 प्रात:
सूर्यास्त : 6:40 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : सप्तमी 6:56 सांय तक फिर अष्टमी
नक्षत्र : पूर्वाषाढ़ा 11:37 पूर्वाह्न तक फिर उत्तराषाढा
योग : सिद्ध 12:54 रात्रि तक फिर साध्य
राहुकाल : 4:57 - 6:32 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
अप्रैल 20, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
अति सर्वनाशहेतुर्ह्यतोऽत्यन्तं विवर्जयेत्।
अति सर्वनाश का कारण है।
इसलिये अति का सर्वथा परिहार करे।
जय श्री सूर्यदेव
जय श्री राम
अप्रैल 20, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
धृतिः शमो दमः शौचं कारुण्यं वागनिष्ठुरा।
मित्राणाम् चानभिद्रोहः सप्तैताः समिधः श्रियः।।
धैर्य, मन पर अंकुश, इन्द्रियसंयम, पवित्रता, दया, मधुर वाणी और मित्र से द्रोह न करना ये सात चीजें लक्ष्मी को बढ़ाने वाली हैं।
जय श्री सूर्य देव
जय श्री राम
*..सब माने हुए हैं, कोई अपना नहीं..*

एक वस्तु अपनी होती है और एक वस्तु अपनी मानी हुई होती है। शरीर आदि अपने नहीं हैं, प्रत्युत अपने माने हुए हैं। जैसे कोई खेल होता है तो उस खेलमें कोई राजा बनता है, कोई रानी बनती है, कोई सिपाही बनते हैं तो वे सब माने हुए होते हैं, असली नहीं होते। इसी तरह संसारमें व्यक्ति और पदार्थ केवल व्यवहारके लिये अपने माने हुए होते हैं। वे वास्तवमें अपने नहीं होते।

अपना न स्थूलशरीर है, न सूक्ष्मशरीर है, न कारणशरीर है। जब अपना कुछ है ही नहीं तो फिर हमें क्या चाहिये ? अपने तो केवल भगवान् ही हैं। हम उन्हींके अंश हैं। भगवान् के सिवाय और कोई भी अपना नहीं है। भगवान्‌के सिवाय जो कुछ है, सब मिला हुआ है और छूटनेवाला है।

विचार करें, आप आये तो कोई वस्तु साथ लाये क्या ? और जाते हुए कोई वस्तु साथ ले जाओगे क्या? सब कुछ यहीं पड़ा रहेगा। परन्तु उनको अपने काममें लेते रहनेसे आदत पड़ गयी, जिससे उसकी ममता छोड़ना कठिन हो रहा है।
साभार...
मित्रों,चलिए हमारे न्याय प्रणाली की सुन्दरता के कुछ पंखुड़ियाँ आप लोगों के सामने बिखेरता हुँ.इसे पढ़ते पढ़ते अपना सर का बाल नोचियेगा मत.

• वर्ष 2000 में पाकिस्तान पोषित आतंकवादी संगठन #लश्कर_ए_तैयबा के आतंकवादियों ने दिल्ली के लाल किले में तैनात भारतीय सेना की 7-RR 7 राजपूताना राइफल्स पर हमला किया था!उस हमले में 3 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे.दिल्ली पुलिस ने आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड पाकिस्तानी इस्लामिक आतंकी मोहम्मद #आरिफ उर्फ #अशफाक को 4 दिन के भीतर गिरफ्तार कर लिया...!!

इसके बाद हमारी न्याय प्रणाली की सुन्दरता का आनंद लीजिए...

1 = इतने गंभीर मामले में दिल्ली की #ट्रायल_कोर्ट ने उसे मौत की सज़ा सुनाने में 5 साल लगा दिए (2005)...

2 = दिल्ली की ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले की पुष्टि करने में दिल्ली #हाई_कोर्ट को 2 साल और लग गए (2007)...

3 = दिल्ली हाई कोर्ट के उसी आदेश को बरकरार रखने में #सुप्रीम_कोर्ट को 4 साल और लगे (2011)...

4 = मोहम्मद आरिफ़ की #समीक्षा_याचिका को खारिज करने में #सुप्रीम_कोर्ट को 1 साल और लगे (2012)...

5 = उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को आरिफ की #क्यूरेटिव_याचिका खारिज करने में 2 साल और लग गए (2014)...

6 = सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट की #संविधान_पीठ ने फैसला सुनाया कि जिन मामलों में हाई कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है,उन्हें 3 जजों की बेंच के सामने सूचीबद्ध किया जाना चाहिए...

7 = इस तरह,पाकिस्तान पोषित आतंकवादी मोहम्मद आरिफ अपनी दायर समीक्षा याचिका पर फिर से सुनवाई के लिए योग्य हो गया..!!...

8 = उसके बाद मोहम्मद आरिफ की #पुनर्विचार_याचिका को सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों द्वारा खारिज करने में 8 साल और लग गए (2022)...

9 = फिर मोहम्मद आरिफ ने राष्ट्रपति के समक्ष याचिका दायर की,जिसे #राष्ट्रपति ने 13 जून 2024 (2024) को खारिज कर दिया...

• इस प्रकार 3 भारतीय सैनिकों का हत्यारा पिछले 24 सालों से भारतीय करदाताओं के पैसे पर जिंदा है...! और जेल में मुर्गी टांग मरोड़ रहा है....

• अरे भाईयों,आप लोग जा कहा रहे हैं, क्यों कि यह कहानी यानी यह मामला अभी खत्म ही नहीं हुआ है...

भारत के माननीय न्यायाधीशों और कुशल न्याय प्रणाली को देखते हुए,राष्ट्रपति द्वारा #दया_याचिका खारिज किए जाने के बाद भी,सजा पर अमल में कितना समय लगेगा,इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.!!और हां,अभिषेक मनु सिंघवी,कपिल सिब्बल,सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण जैसे कानून विशेषज्ञों का मानना है कि आरिफ संविधान के #अनुच्छेद_32 (संवैधानिक उपचार का अधिकार) के तहत सजा में रियायत की मांग कर सकता है !!वह मौत की सजा के क्रियान्वयन में अत्यधिक देरी के आधार पर याचिका दायर कर सकता है...!! यानी फिर से हमारे माननीय अदालत इस मसले को और 25 साल चलाने वाले हैं,क्यों कि इस तरह के मलाई (मामले) अब रोज रोज आते थोड़ी न हैं...!!परंतु विडंबना का विषय यह है कि अब वही न्यायालय आज कह रहा है कि #राज्यपाल एवं #राष्ट्रपति को समय नहीं लेना चाहिए.!तो फिर बोलिए वींर भोग्य वसुंधरा की जयभारतीय संविधान की जय और उस पर डांडा लेकर बैठे हमारे राजा हरिश्चंद्र जी के माफिक न्यायालय की जय हो जय हो जय हो .....

बोलो #भारत_माता की जय
हेलो @JPNadda

आपकी औकात यह है कि आप अपने दम पर एक चुनाव न जीत सकते हैं ना जीता सकते हैं

आपके राज्य हिमाचल में आपने बीजेपी का बंटाधार कर दिया है
अपने खुद के राज्य में तो आप बीजेपी को जीता नहीं सके

केवल मोदी के नाम पर सत्ता की मलाई चाट रहे हैं और बिना किसी जनाधार के कभी केंद्रीय मंत्री तो कभी पार्टी अध्यक्ष बना दिए जाते हैं

आपको अपने ही सांसद Dr #Nishikant_Dubey जी से लेना देना नहीं है,आपको अपने ही सांसद #Dinesh_Sharma जी से लेनादेना नहीं है

आपको अपने ही राष्ट्रीय प्रवक्ता #Shehzad_Poonawalla जी से लेनादेना नहीं है
आपको अपने ही महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता #नूपुरशर्मा जी से लेना देना नहीं था।
आपको अपनी ही नव निर्वाचित सांसद #Kangana_Ranaut पर पंजाब में हुए हमले से लेना देना नहीं था।
आपको #बंगाल #केरल में मर रहे अपने ही #कार्यकर्ताओं से लेना देना नहीं होता है ।

और विपक्ष के नेता की तरफ देखिए कैसे राणा सांगा को अपशब्द बोलने वाले रामजीलाल सुमन के साथ खड़े हैं
कैसे पूरा विपक्ष हत्-या-रिन ममता बनर्जी के साथ खड़ा है
कैसे एक जज के घर से करोड़ो का बेहिसाब रुपया मिलने के बाद भी पूरा विपक्ष और उनके प्यादे एक दूसरे के साथ खड़े हैं।

" एक लकड़ी और लकड़ी का गट्ठर " वाली शिक्षा केवल जनता के लिए नहीं है महोदय..#भाजपा परिवार पर भी लागू कीजिये।

उपरोक्त्त दोनों सांसदों ने उसी जनता के मन की बात की है जिस जनता ने उन्हें चुनकर भेजा है।।ये उनके निजीविचार न होकर 2 लोकसभाओं के लाखों लोगों के,और उनसे सहमत करोड़ों देशवासियों के विचार हैं।
देश की जनता इनके के साथ है

जय श्री राम
साभार बड़के भईया...
सांसद #निशिकांत दुबे और #उपराष्ट्रपति_धनखड़ महोदय ने सुप्रीम कोठे पर मोर्चा खोला ही था कि नड्डा जी की पतलून गीली हो गई.
सोचिए,अगर #कल्याण_सिंह जी ने कोर्ट की अवमानना का इतना ख्याल रखा होता तो आज हम कहां होते.

ठीक है,निशिकांत दुबे ने जो कहा है वह भाजपा का आधिकारिक बयान नहीं है. लेकिन भाजपा का आधिकारिक बयान क्या है यह भी बताते चलिए... हम न्यायालय का सम्मान करते हैं,सुप्रीम कोर्ट निष्पक्ष होता है?
अगर आप इतना जोड़ दें कि यह भाजपा का आधिकारिक बयान नहीं है,लेकिन व्यक्तिगत रूप से मुझे उनकी बात में तथ्य दिखाई देता है... तो आपको जेल हो जाएगी? सचमुच?आप देश की सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं जो सरकार चला रही है.आप इतने बड़े फट्टू हैं तो कैसे चलाएंगे पार्टी और कैसे साहस देंगे अपने कार्यकर्ताओं को जो आपसे अधिक खतरे उठा कर यह लड़ाई लड़ रहा है?

यह #फट्टूपना भाजपा का चरित्र है. भाजपा ऐसे फट्टूपने को रिवॉर्ड करती है.यह पार्टी के साथ मेरा व्यक्तिगत अनुभव है.सच तो यह है कि हर स्तर पर हर नेता अपने से नीचे वाले के साहस से सबसे पहले स्वयं डरता है.उसे #थ्रेट की तरह लेता है.व्यक्तिगत साहस और #बोल्डनेस को पार्टी एक #लायबिलिटी की तरह लेती है.

यह समय था कि पार्टी का हर नेता हर स्तर पर कम से कम जनता का मूड पढ़कर उसका फायदा उठाने के लिए ही सही,कोर्ट पर सवाल उठाता.उसका क्या बिगड़ता?अगर किसी पर अवमानना का केस बनता तो और अच्छा अवसर होता कि आप कोर्ट में खड़े होकर वह सब कहते जो पूरा देश सोचता है और सुनना चाहता है.आप जो #प्राइस चुकानी हो वह चुकाते और बदले में पार्टी से यह अपेक्षा होती कि आपको इस साहस का पुरस्कार मिलेगा.यह सरल सी बात समझना रॉकेट साइंस नहीं है.अगर कुछ करने में बाधा है तब भी करने का इरादा है,इतना कहने का दम तो होना चाहिए जिससे कि कम से कम हम जान सकें कि आप आज नहीं तो कल यह करने की सोचते हैं.

लेकिन यह भाजपा है,और कुल मिला कर यह ऐसी ही है.ऐसी ही बीस साल पहले भी थी.यह परिवर्तन कैसे और किस स्तर पर आ सकता है यह उत्तर मुझे नहीं मालूम.अपेक्षा करता हूँ शायद भविष्य में मुझे कभी मेरे प्रश्नों का उत्तर मिल सकेगा। राम राम रहेगी सभी को!
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : सोमवार
दिनांक: 21 अप्रैल 2025
सूर्योदय : 5:53 प्रात:
सूर्यास्त : 6:32 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : वैशाख
पक्ष : कृष्ण
तिथि : अष्टमी 6:53 सांय तक फिर नवमी
नक्षत्र : उत्तराषाढ़ा 12:25 अपराह्न तक फिर श्रवण
योग : साध्य 10:49 रात्रि तक फिर शुभ
राहुकाल : 7:28 - 9:03 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
सर्गस्थित्यन्तकर्तारौ भक्तिगम्यावगोचरौ उमामहेश्वरौ वन्दे सत्कृपासरिदर्णवौ॥
सृष्ट्वाऽखिलं विश्वमिदं विचित्रम् स्थूलञ्च सूक्ष्मञ्च चराचरञ्च।
तथापि नित्यं निरुपाधिको यः तस्मै महेशाय नमोऽस्तु शश्वत्॥
मौलो यो बिभृते शुभां सुरधुनीं भाले कलामैन्दवीम् नेत्रे मन्मथदाहकानलशिखां कण्ठे विषं भीषणम्।
वामाङ्के गिरिजां वपुष्युपचितं भस्म स्मशानोद्भवम् तं वन्दे शिरसा भुजङ्गरशनं सर्वैरलिप्तं शिवम्॥
ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
जयतु भारत राष्ट्रम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 21 अप्रैल को वैशाख कृष्णपक्ष की अष्टमी और सोमवार है अष्टमी आज शाम 6:59 तक रहेगी तथा रात 11 बजे तक साध्य योग रहेगा साथ ही दोपहर 12:37 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा उसके बाद श्रवण नक्षत्र लग जाएगा आज कालाष्टमी का व श्री शीतलाष्टमी का व्रत भी किया जाएगा।
🌳🐍🙏🙏🐍🌳
अप्रैल 21, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
ध्यायतो विषयान् पुंस: संगस्तेषूपजायते ।
संगात् संजायते काम: कामात् क्रोधोऽभिजायते ॥
विषयों का ध्यान करने से उनके प्रति आसक्ति हो जाती है यह आसक्ति ही कामना को जन्म देती है और कामना ही क्रोध को जन्म देती है ।
जय श्री शिव शंकर
जय श्री राम
महादेव महादेव महादेवेत
जो "शिव" शब्द का
उच्चारण करके प्राणों का त्याग करता है
वह कोटि जन्मों के पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त करता है ।
"शिव" शब्द कल्याणवाची है।
और "कल्याण" शब्द मुक्तिवाचक है।
वह "मुक्ति" भगवन् शंकर से ही प्राप्त होती है इसलिए वे "शिव" कहलाते है ।
धन तथा बान्धवो के नाश हो जाने के कारण शोक सागर मे मग्न हुआ मनुष्य "शिव" शब्द का उच्चारण करके सब प्रकार के कल्याण को प्राप्त करता है।
"शि" का अर्थ है पापोंका नाश करने वाला
और "व" कहते है मुक्ति देनेवाला।
भगवान् शंकर मे
ये दोनों गुण है इसीलिये वे "शिव" कहलाते है।
"शिव" यह मङ्गलमय नाम
जिसकी वाणी मे रहता है उसके करोड़ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है।
"शि" का अर्थ है मङ्गल
और "व" कहते है दाता को।
इसलिये जो मङ्गलदाता है वही "शिव" है।
भगवान् शिव
विश्वभर के मनुष्योंका सदा "शं" कल्याण करते है और "कल्याण" "मोक्ष" को कहते है।
इसी से वे "शंकर" कहलाते है।
ब्रह्मादि देवता तथा वेद का उपदेश करनेवाले जो कोई भी संसार मे महान कहलाते हैं।
उन सबके "देव" अर्थात् उपास्य होने से वे ऋषि "महादेव" कहे जाते है।
अथवा महती अर्थात् विश्वभर में पूजित जो मूल प्रकृति ईश्वरी है।
उस प्रकृति द्वारा पूजित देव "महादेव" कहलाते हैं।
संसार मे स्थित सारी आत्माओ के ईश्वर स्वामी होने से वे "महेश्वर" है।
महादेव महादेव महादेवेति यो वदेत् |
एकेन मुक्तिमाप्नोति द्वाभ्यां शम्मू ऋणी जय भोलेनाथ
अब राजनीति में हैं तो कुछ तो बोलेंगे ही निशिकांत दुबे ? बढ़िया वक्ता हैं , हमेशा तथ्यों पर बोलते हैं , बीजेपी के प्रखर वक्ता हैं । जो देश राहुल और अखिलेश की करकरी बातों बेसुरे विचारों को मजबूरी में सुनता है वह देश निशिकांत जैसे नेताओं की बारी की बेसब्री से प्रतीक्षा करता है ।

कोर्ट पर तो संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति और देश के उपराष्ट्रपति भी बोल रहे हैं तो निशिकांत क्यों न बोलें ? वे सांसद हैं , सदन के बाहर विचार रख रहे हैं । लेकिन जगदीप धनखड़ तो सदन के भीतर हों या बाहर दोनों ही जगह उपराष्ट्रपति और सभापति के संवैधानिक पद पर हैं ?

पता नहीं अपने मुखर नेताओं को ठिकाने लगाने की आदत बीजेपी को क्यों पड़ गई है ? कांग्रेस तो मणिशंकर अय्यर , दिग्विजय सिंह , सुप्रिया श्रीनेत , पवन खेड़ा जैसे "महान" पनेताओं को प्रमोट करती है । इसके विपरीत बीजेपी निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के बयानों से पार्टी को अलग कर रही है । ऐसा ही बर्ताव नूपुर शर्मा के साथ किया गया । बीजेपी ने बड़ी बेशर्मी से उनसे ऐसा मुंह मोड़ा मानों उन्होंने राष्ट्रद्रोह कर दिया हो ।

कईं बार बीजेपी का दोहरा चरित्र सामने आता है । न्यायपालिका को आईना दिखाना यदि अपराध है तो सरकार पहली कार्रवाई उपराष्ट्रपति के खिलाफ करे ? उन्होंने तो समूचे न्यायतंत्र की धज्जियां ही उड़ा दी थी ? तो क्या अपने मुखर नेताओं को अलग थलग कर अपना सेक्यूलर चेहरा दिखाना चाहती है बीजेपी ? इस तरह सुर्खरू होना पार्टी को कब भारी पड़ गया , पता भी नहीं चलेगा ?

विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका के रिश्तों पर खुली बहस की आवश्यकता लबे समय से की जा रही है । संविधान की रक्षा और कोर्ट की गरिमा बनाए रखने का पहला सवाल 1975 में तब खड़ा हुआ था जब इलाहाबाद उच्चन्यालय के आदेश की धज्जियाँ उड़ाते हुए इंदिरा गांधी ने आपातकाल देश पर थोपा था । तब विपरीत फैसला देने वाले न्यायाधीश , वादी राजनारायण और उनके वकील की क्या दुर्गत बनाई गई , वह एक इतिहास है ।

तब कांग्रेस पार्टी अपनी नेता के गलत काम के साथ खड़ी हुई , आज बीजेपी अपने निशिकांत जैसे मुखर नेता के खिलाफ खड़ी हो गई है । तथापि इंदिरा ने जो किया वह भी गलत था और अब जेपी नड्डा ने जो किया वह भी गलत है । ऐसे तो बीजेपी अपना ही तमाशा बनाएगी । नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ जनता इसलिए खड़ी हुई चूंकि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी कार्यकाल की नकल नहीं की ।

मोदी के नेतृत्व में सॉफ्ट राष्ट्रवाद से निकलकर बीजेपी हार्ड राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ी । उसी की देन है कि धनकड़ और निशिकांत जैसे नेता सामने आते हैं । प्रश्न भाजपा तय करे कि वह सॉफ्ट और हार्ड राजनीति से किसे चुनती है ? अन्यथा कभी रविशंकर प्रसाद , कभी नूपुर शर्मा और अब निशिकांत दुबे तथा दिनेश शर्मा के खिलाफ खड़ा होना भारी पड़ेगा । राष्ट्रवाद , हिन्दुत्व और सत्ता को इकट्ठा चुनना बीजेपी की जीत है । उसका भविष्य भी इन्हीं तीन पर टिका है , वरना सेक्युलर पार्टियों की तो पहले ही देश में भरमार है । बीजेपी को निशिकांत दुबे के इस सवाल का जवाब देना ही पड़ेगा कि कानून संसद बनाती है या कोर्ट ? ठीक तो कहा यदि न्यायपालिका बनाती है तो बंद करो संसद ?