Bihar Naman GS (UPSC / BPSC)✌️
क्या आप इनके बारे में जानते हैं..!
जगदीप धनखड़
भारतीय राजनीति में कुछ व्यक्ति होते हैं, जो पद से नहीं, अपने दृष्टिकोण और अनुभव से पहचाने जाते हैं। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ऐसे ही व्यक्तित्व हैं — जिनकी ज़िंदगी में संविधान सिर्फ किताब नहीं, एक जीवन दर्शन है।
एक किसान परिवार में जन्म लेकर सैनिक स्कूल की अनुशासनात्मक संस्कृति में पले-बढ़े धनखड़ जी ने वकालत को अपना कर्मक्षेत्र चुना। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद तक पहुँचना और बाद में संसद में प्रवेश कर चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बनना — ये सब केवल राजनीतिक सफर नहीं थे, ये भारत के संवैधानिक ढांचे को भीतर से समझने की प्रक्रिया थी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। International Court of Arbitration, Paris में तीन वर्षों तक सदस्य रहकर वैश्विक विधिक दृष्टिकोण को भी आत्मसात किया।
जब वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने, तब उनका संवैधानिक कद और भी मुखर हुआ। उन्होंने राज्य सरकार से सीधे टकराते हुए एक बात बार-बार दोहराई — "राज्यपाल कोई रबर स्टैंप नहीं होता।"
AM और PM की गलती से रात 2 बजे कैबिनेट मीटिंग बुला लेना हो या विधानमंडल में संवैधानिक शुचिता की माँग — उन्होंने कभी भी अपने पद की गरिमा से समझौता नहीं किया।
टीएमसी से लगातार विवाद के बावजूद, उपराष्ट्रपति चुनाव में TMC ने विपक्षी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया — ये उनके व्यक्तित्व और संवादशक्ति का अप्रत्यक्ष प्रमाण है।
आज जब उपराष्ट्रपति धनखड़, देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था — सुप्रीम कोर्ट — पर तीखे सवाल उठा रहे हैं, तो बात केवल आलोचना की नहीं है, बल्कि एक बड़ी चिंता की ओर संकेत है।
सवाल यह है कि -
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी मिलने के बाद एक महीना बीत चुका है, फिर भी अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
राष्ट्रपति, जो संविधान के अनुसार देश की प्रथम नागरिक हैं, उन्हें आदेश देने का अधिकार न्यायपालिका को किस आधार पर प्राप्त हुआ?
क्या न्यायपालिका भी लोकतंत्र की बाकी संस्थाओं की तरह जवाबदेह नहीं होनी चाहिए?
धनखड़ जी का कहना है – “संविधान सर्वोपरि है। कोई भी संस्था, चाहे वह न्यायपालिका ही क्यों न हो, अगर जनता की अपेक्षाओं और पारदर्शिता से भटकेगी, तो उस पर सवाल उठाना मेरा नैतिक कर्तव्य है।”
यह बयान केवल उपराष्ट्रपति का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का है जो संविधान को महज़ काग़ज़ों में नहीं, आचरण में जीता है।
जगदीप धनखड़ आज सिर्फ एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति नहीं हैं — वे उस चेतना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो लोकतंत्र को जवाबदेही के साथ जीने का साहस करती है।
उनके सवाल असहज ज़रूर हैं, पर ज़रूरी भी हैं।
आज का भारत केवल विकास की बात नहीं कर रहा — वह उत्तरदायित्व और संवैधानिक संतुलन की भी माँग कर रहा है। ऐसे समय में, जब एक उपराष्ट्रपति खुले मंच से न्यायपालिका को आईना दिखा रहा है, तो देश को सिर्फ देखना नहीं चाहिए — सुनना भी चाहिए।
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Santosh Kashyap
Bihar Naman GS
Patna
भारतीय राजनीति में कुछ व्यक्ति होते हैं, जो पद से नहीं, अपने दृष्टिकोण और अनुभव से पहचाने जाते हैं। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ऐसे ही व्यक्तित्व हैं — जिनकी ज़िंदगी में संविधान सिर्फ किताब नहीं, एक जीवन दर्शन है।
एक किसान परिवार में जन्म लेकर सैनिक स्कूल की अनुशासनात्मक संस्कृति में पले-बढ़े धनखड़ जी ने वकालत को अपना कर्मक्षेत्र चुना। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद तक पहुँचना और बाद में संसद में प्रवेश कर चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बनना — ये सब केवल राजनीतिक सफर नहीं थे, ये भारत के संवैधानिक ढांचे को भीतर से समझने की प्रक्रिया थी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। International Court of Arbitration, Paris में तीन वर्षों तक सदस्य रहकर वैश्विक विधिक दृष्टिकोण को भी आत्मसात किया।
जब वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने, तब उनका संवैधानिक कद और भी मुखर हुआ। उन्होंने राज्य सरकार से सीधे टकराते हुए एक बात बार-बार दोहराई — "राज्यपाल कोई रबर स्टैंप नहीं होता।"
AM और PM की गलती से रात 2 बजे कैबिनेट मीटिंग बुला लेना हो या विधानमंडल में संवैधानिक शुचिता की माँग — उन्होंने कभी भी अपने पद की गरिमा से समझौता नहीं किया।
टीएमसी से लगातार विवाद के बावजूद, उपराष्ट्रपति चुनाव में TMC ने विपक्षी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया — ये उनके व्यक्तित्व और संवादशक्ति का अप्रत्यक्ष प्रमाण है।
आज जब उपराष्ट्रपति धनखड़, देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था — सुप्रीम कोर्ट — पर तीखे सवाल उठा रहे हैं, तो बात केवल आलोचना की नहीं है, बल्कि एक बड़ी चिंता की ओर संकेत है।
सवाल यह है कि -
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी मिलने के बाद एक महीना बीत चुका है, फिर भी अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
राष्ट्रपति, जो संविधान के अनुसार देश की प्रथम नागरिक हैं, उन्हें आदेश देने का अधिकार न्यायपालिका को किस आधार पर प्राप्त हुआ?
क्या न्यायपालिका भी लोकतंत्र की बाकी संस्थाओं की तरह जवाबदेह नहीं होनी चाहिए?
धनखड़ जी का कहना है – “संविधान सर्वोपरि है। कोई भी संस्था, चाहे वह न्यायपालिका ही क्यों न हो, अगर जनता की अपेक्षाओं और पारदर्शिता से भटकेगी, तो उस पर सवाल उठाना मेरा नैतिक कर्तव्य है।”
यह बयान केवल उपराष्ट्रपति का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का है जो संविधान को महज़ काग़ज़ों में नहीं, आचरण में जीता है।
जगदीप धनखड़ आज सिर्फ एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति नहीं हैं — वे उस चेतना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो लोकतंत्र को जवाबदेही के साथ जीने का साहस करती है।
उनके सवाल असहज ज़रूर हैं, पर ज़रूरी भी हैं।
आज का भारत केवल विकास की बात नहीं कर रहा — वह उत्तरदायित्व और संवैधानिक संतुलन की भी माँग कर रहा है। ऐसे समय में, जब एक उपराष्ट्रपति खुले मंच से न्यायपालिका को आईना दिखा रहा है, तो देश को सिर्फ देखना नहीं चाहिए — सुनना भी चाहिए।
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Santosh Kashyap
Bihar Naman GS
Patna
जगदीप धनखड़ अगर कोई बात कहें या इनका कोई Article छपे तो आपलोग Sincere होकर उसे पढ़िएगा. ये कानून और संविधान के अच्छे ग्याता है. बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा इनसे 🙂
देखिए,
70th BPSC Mains दे रहे सभी विद्यार्थियों को Bihar Naman GS हार्दिक शुभकामनाएं देता है.
कल का Essay का Exam ही आपको Rank दिलाएगा. इसलिए Essay के वैसे Topic को चुने जिसमें आपको ज्यादा Dimension दिखाई दे रहा हो.
एकदम कनेक्ट होकर Essay लिखिएगा.
याद रहे...
आपको हर हाल में इसमे अछा करना है क्योंकि आपका Selection ही एकमात्र आपके कष्ट दूर करने का उपाय है. आपको लिखना होगा अपनी माँ की आंखों में चमक लाने के लिए, लिखना होगा पिता को गौरव दिलाने के लिए, लिखना होगा भाई - बहन के स्वाभिमान को जिंदा रखने के लिए और लिखना होगा अपने गुरु के सम्मान को बढ़ाने के लिए..
आप सब बहुत अच्छा करेंगे. क्योंकि आप दूसरों से विशिष्ट है आप Bihar Naman के योद्धा है 🦾
Santosh Kashyap
Patna
70th BPSC Mains दे रहे सभी विद्यार्थियों को Bihar Naman GS हार्दिक शुभकामनाएं देता है.
कल का Essay का Exam ही आपको Rank दिलाएगा. इसलिए Essay के वैसे Topic को चुने जिसमें आपको ज्यादा Dimension दिखाई दे रहा हो.
एकदम कनेक्ट होकर Essay लिखिएगा.
याद रहे...
आपको हर हाल में इसमे अछा करना है क्योंकि आपका Selection ही एकमात्र आपके कष्ट दूर करने का उपाय है. आपको लिखना होगा अपनी माँ की आंखों में चमक लाने के लिए, लिखना होगा पिता को गौरव दिलाने के लिए, लिखना होगा भाई - बहन के स्वाभिमान को जिंदा रखने के लिए और लिखना होगा अपने गुरु के सम्मान को बढ़ाने के लिए..
आप सब बहुत अच्छा करेंगे. क्योंकि आप दूसरों से विशिष्ट है आप Bihar Naman के योद्धा है 🦾
Santosh Kashyap
Patna
Bihar Naman GS (UPSC / BPSC)✌️
🙂🙂
साथियों,
आज 70th BPSC Mains में लोकोक्ति संख्या 9. बनले के साथी....
Bihar Naman GS के Notes, February - March 2024 के Mains Magazine और www.biharnaman.in के Download Section में भी पहले से Upload है. लेकिन उसका शीर्षक बदला हुआ है -
बनला के सब सार होखे ला, बिगड़ला के केहू पाहुनो न होखे
दोनों का अर्थ एक ही है.
इसके हमारे Bihar Naman GS के निबंध स्पेशल Class में प्रत्यूष सर द्वारा भी पढ़ाया गया था.
कुछ और निबंध की जानकरी बाद में दूँगा.
धन्यवाद
आज 70th BPSC Mains में लोकोक्ति संख्या 9. बनले के साथी....
Bihar Naman GS के Notes, February - March 2024 के Mains Magazine और www.biharnaman.in के Download Section में भी पहले से Upload है. लेकिन उसका शीर्षक बदला हुआ है -
बनला के सब सार होखे ला, बिगड़ला के केहू पाहुनो न होखे
दोनों का अर्थ एक ही है.
इसके हमारे Bihar Naman GS के निबंध स्पेशल Class में प्रत्यूष सर द्वारा भी पढ़ाया गया था.
कुछ और निबंध की जानकरी बाद में दूँगा.
धन्यवाद
Bihar Naman GS (UPSC / BPSC)✌️
Photo
दोनों निबंध Writing यद्यपि अलग - अलग जरूर है लेकिन दोनों का अर्थ और उसके Dimension एक ही है.
70th BPSC में आयोग द्वारा निबंध पूछा गया था - बापक नाम सागपात आ बेटाक नाम परोर. यह लोकोक्ति बिहार के मिथिला क्षेत्र में बोली जाती है जिसका Same वही मतलब होता है जो Bihar Naman GS के Mains Test Series में पूछे गए निबंध चारि आना के जमेरा, चौदह आना के मचान का होता है जो Bihar के भोजपुर क्षेत्र गंडक से सोन नदी के पश्चिम तक घाघरा - कर्मनाशा के सीमा के बीच उत्तर से दक्षिण तक बोली जाती है.
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इसके अलावा भी कुछ अप्रत्यक्ष भाव (सीधे - सीधे नहीं) के निबंध भी Bihar Naman GS के Test से पूछे गए है.
उदाहरण के Section I में BPSC ने एक निबंध पूछा है - समकालीन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की महत्ता.
इसमे अगर आप भारत की उपलब्धियों को विज्ञान और विश्व स्तर पर बता दे तो आपका निबंध पूरा हो जाएगा. इसी प्रकार का एक निबंध Bihar Naman GS के 70th BPSC Mains Test Series के Test संख्या 5 के Section 2 के प्रश्न संख्या 5 का है.
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Bihar Naman GS पर आपलोग भरोसा कर रहे हैं उसके लिए हम आपका हृदय से आभार व्यक्त करते हैं.
हमारे Mains Test Series 67th और 68th BPSC MAINS में भी प्रश्न पूछे गए थे और आज 70th BPSC में भी Bihar Naman GS ने स्वयं को साबित किया है. ✌️
अब कल GS Paper 1 का भी शुभ Update देते हैं 🙂
शुक्रिया..
निबंध में 300 अंक के प्रश्न Bihar Naman GS के 70th BPSC Mains Test Series से आए है. यह सूचक है कि हम आपके साथ मिलकर सही दिशा में काम और मेहनत कर रहे हैं.
धन्यवाद 🙂
70th BPSC में आयोग द्वारा निबंध पूछा गया था - बापक नाम सागपात आ बेटाक नाम परोर. यह लोकोक्ति बिहार के मिथिला क्षेत्र में बोली जाती है जिसका Same वही मतलब होता है जो Bihar Naman GS के Mains Test Series में पूछे गए निबंध चारि आना के जमेरा, चौदह आना के मचान का होता है जो Bihar के भोजपुर क्षेत्र गंडक से सोन नदी के पश्चिम तक घाघरा - कर्मनाशा के सीमा के बीच उत्तर से दक्षिण तक बोली जाती है.
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इसके अलावा भी कुछ अप्रत्यक्ष भाव (सीधे - सीधे नहीं) के निबंध भी Bihar Naman GS के Test से पूछे गए है.
उदाहरण के Section I में BPSC ने एक निबंध पूछा है - समकालीन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की महत्ता.
इसमे अगर आप भारत की उपलब्धियों को विज्ञान और विश्व स्तर पर बता दे तो आपका निबंध पूरा हो जाएगा. इसी प्रकार का एक निबंध Bihar Naman GS के 70th BPSC Mains Test Series के Test संख्या 5 के Section 2 के प्रश्न संख्या 5 का है.
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Bihar Naman GS पर आपलोग भरोसा कर रहे हैं उसके लिए हम आपका हृदय से आभार व्यक्त करते हैं.
हमारे Mains Test Series 67th और 68th BPSC MAINS में भी प्रश्न पूछे गए थे और आज 70th BPSC में भी Bihar Naman GS ने स्वयं को साबित किया है. ✌️
अब कल GS Paper 1 का भी शुभ Update देते हैं 🙂
शुक्रिया..
निबंध में 300 अंक के प्रश्न Bihar Naman GS के 70th BPSC Mains Test Series से आए है. यह सूचक है कि हम आपके साथ मिलकर सही दिशा में काम और मेहनत कर रहे हैं.
धन्यवाद 🙂