साथियों,
दिनांक 27.04.2025 को संध्या 4 pm से 6 pm Bihar Naman GS द्वारा 2 Test का Offline और Online आयोजन किया जाएगा.
1. उक्त तिथि को ब्लॉक सांख्यिकी अधिकारी का पहला Full Length Test होगा जो 2.15 hrs का होगा. इसमे कुल 150 प्रश्न होंगे जिसमें से 50 प्रश्न GK/GS, 50 प्रश्न Math और 50 प्रश्न Reasoning के होंगे.
2. उक्त तिथि को 71st BPSC PT Test Series के 4th Test का आयोजन Patna, Ranchi के साथ-साथ Online किया जाएगा. यह Test मध्यकालीन भारत का इतिहास से संबंधित होगा.
---------
दिनांक 27.04.2025 को संध्या 4 pm से 6 pm Bihar Naman GS द्वारा 2 Test का Offline और Online आयोजन किया जाएगा.
1. उक्त तिथि को ब्लॉक सांख्यिकी अधिकारी का पहला Full Length Test होगा जो 2.15 hrs का होगा. इसमे कुल 150 प्रश्न होंगे जिसमें से 50 प्रश्न GK/GS, 50 प्रश्न Math और 50 प्रश्न Reasoning के होंगे.
2. उक्त तिथि को 71st BPSC PT Test Series के 4th Test का आयोजन Patna, Ranchi के साथ-साथ Online किया जाएगा. यह Test मध्यकालीन भारत का इतिहास से संबंधित होगा.
---------
Bihar Naman GS (UPSC / BPSC)✌️
क्या आप इनके बारे में जानते हैं..!
जगदीप धनखड़
भारतीय राजनीति में कुछ व्यक्ति होते हैं, जो पद से नहीं, अपने दृष्टिकोण और अनुभव से पहचाने जाते हैं। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ऐसे ही व्यक्तित्व हैं — जिनकी ज़िंदगी में संविधान सिर्फ किताब नहीं, एक जीवन दर्शन है।
एक किसान परिवार में जन्म लेकर सैनिक स्कूल की अनुशासनात्मक संस्कृति में पले-बढ़े धनखड़ जी ने वकालत को अपना कर्मक्षेत्र चुना। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद तक पहुँचना और बाद में संसद में प्रवेश कर चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बनना — ये सब केवल राजनीतिक सफर नहीं थे, ये भारत के संवैधानिक ढांचे को भीतर से समझने की प्रक्रिया थी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। International Court of Arbitration, Paris में तीन वर्षों तक सदस्य रहकर वैश्विक विधिक दृष्टिकोण को भी आत्मसात किया।
जब वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने, तब उनका संवैधानिक कद और भी मुखर हुआ। उन्होंने राज्य सरकार से सीधे टकराते हुए एक बात बार-बार दोहराई — "राज्यपाल कोई रबर स्टैंप नहीं होता।"
AM और PM की गलती से रात 2 बजे कैबिनेट मीटिंग बुला लेना हो या विधानमंडल में संवैधानिक शुचिता की माँग — उन्होंने कभी भी अपने पद की गरिमा से समझौता नहीं किया।
टीएमसी से लगातार विवाद के बावजूद, उपराष्ट्रपति चुनाव में TMC ने विपक्षी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया — ये उनके व्यक्तित्व और संवादशक्ति का अप्रत्यक्ष प्रमाण है।
आज जब उपराष्ट्रपति धनखड़, देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था — सुप्रीम कोर्ट — पर तीखे सवाल उठा रहे हैं, तो बात केवल आलोचना की नहीं है, बल्कि एक बड़ी चिंता की ओर संकेत है।
सवाल यह है कि -
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी मिलने के बाद एक महीना बीत चुका है, फिर भी अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
राष्ट्रपति, जो संविधान के अनुसार देश की प्रथम नागरिक हैं, उन्हें आदेश देने का अधिकार न्यायपालिका को किस आधार पर प्राप्त हुआ?
क्या न्यायपालिका भी लोकतंत्र की बाकी संस्थाओं की तरह जवाबदेह नहीं होनी चाहिए?
धनखड़ जी का कहना है – “संविधान सर्वोपरि है। कोई भी संस्था, चाहे वह न्यायपालिका ही क्यों न हो, अगर जनता की अपेक्षाओं और पारदर्शिता से भटकेगी, तो उस पर सवाल उठाना मेरा नैतिक कर्तव्य है।”
यह बयान केवल उपराष्ट्रपति का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का है जो संविधान को महज़ काग़ज़ों में नहीं, आचरण में जीता है।
जगदीप धनखड़ आज सिर्फ एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति नहीं हैं — वे उस चेतना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो लोकतंत्र को जवाबदेही के साथ जीने का साहस करती है।
उनके सवाल असहज ज़रूर हैं, पर ज़रूरी भी हैं।
आज का भारत केवल विकास की बात नहीं कर रहा — वह उत्तरदायित्व और संवैधानिक संतुलन की भी माँग कर रहा है। ऐसे समय में, जब एक उपराष्ट्रपति खुले मंच से न्यायपालिका को आईना दिखा रहा है, तो देश को सिर्फ देखना नहीं चाहिए — सुनना भी चाहिए।
-----------
Santosh Kashyap
Bihar Naman GS
Patna
भारतीय राजनीति में कुछ व्यक्ति होते हैं, जो पद से नहीं, अपने दृष्टिकोण और अनुभव से पहचाने जाते हैं। भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ऐसे ही व्यक्तित्व हैं — जिनकी ज़िंदगी में संविधान सिर्फ किताब नहीं, एक जीवन दर्शन है।
एक किसान परिवार में जन्म लेकर सैनिक स्कूल की अनुशासनात्मक संस्कृति में पले-बढ़े धनखड़ जी ने वकालत को अपना कर्मक्षेत्र चुना। राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद तक पहुँचना और बाद में संसद में प्रवेश कर चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बनना — ये सब केवल राजनीतिक सफर नहीं थे, ये भारत के संवैधानिक ढांचे को भीतर से समझने की प्रक्रिया थी।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। International Court of Arbitration, Paris में तीन वर्षों तक सदस्य रहकर वैश्विक विधिक दृष्टिकोण को भी आत्मसात किया।
जब वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने, तब उनका संवैधानिक कद और भी मुखर हुआ। उन्होंने राज्य सरकार से सीधे टकराते हुए एक बात बार-बार दोहराई — "राज्यपाल कोई रबर स्टैंप नहीं होता।"
AM और PM की गलती से रात 2 बजे कैबिनेट मीटिंग बुला लेना हो या विधानमंडल में संवैधानिक शुचिता की माँग — उन्होंने कभी भी अपने पद की गरिमा से समझौता नहीं किया।
टीएमसी से लगातार विवाद के बावजूद, उपराष्ट्रपति चुनाव में TMC ने विपक्षी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया — ये उनके व्यक्तित्व और संवादशक्ति का अप्रत्यक्ष प्रमाण है।
आज जब उपराष्ट्रपति धनखड़, देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था — सुप्रीम कोर्ट — पर तीखे सवाल उठा रहे हैं, तो बात केवल आलोचना की नहीं है, बल्कि एक बड़ी चिंता की ओर संकेत है।
सवाल यह है कि -
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से करोड़ों की नकदी मिलने के बाद एक महीना बीत चुका है, फिर भी अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज हुई?
राष्ट्रपति, जो संविधान के अनुसार देश की प्रथम नागरिक हैं, उन्हें आदेश देने का अधिकार न्यायपालिका को किस आधार पर प्राप्त हुआ?
क्या न्यायपालिका भी लोकतंत्र की बाकी संस्थाओं की तरह जवाबदेह नहीं होनी चाहिए?
धनखड़ जी का कहना है – “संविधान सर्वोपरि है। कोई भी संस्था, चाहे वह न्यायपालिका ही क्यों न हो, अगर जनता की अपेक्षाओं और पारदर्शिता से भटकेगी, तो उस पर सवाल उठाना मेरा नैतिक कर्तव्य है।”
यह बयान केवल उपराष्ट्रपति का नहीं, बल्कि उस व्यक्ति का है जो संविधान को महज़ काग़ज़ों में नहीं, आचरण में जीता है।
जगदीप धनखड़ आज सिर्फ एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति नहीं हैं — वे उस चेतना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो लोकतंत्र को जवाबदेही के साथ जीने का साहस करती है।
उनके सवाल असहज ज़रूर हैं, पर ज़रूरी भी हैं।
आज का भारत केवल विकास की बात नहीं कर रहा — वह उत्तरदायित्व और संवैधानिक संतुलन की भी माँग कर रहा है। ऐसे समय में, जब एक उपराष्ट्रपति खुले मंच से न्यायपालिका को आईना दिखा रहा है, तो देश को सिर्फ देखना नहीं चाहिए — सुनना भी चाहिए।
-----------
Santosh Kashyap
Bihar Naman GS
Patna
जगदीप धनखड़ अगर कोई बात कहें या इनका कोई Article छपे तो आपलोग Sincere होकर उसे पढ़िएगा. ये कानून और संविधान के अच्छे ग्याता है. बहुत कुछ नया सीखने को मिलेगा इनसे 🙂