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🍀ग्रीन मफलर क्या है 🍀और यह प्रदूषण से किस प्रकार संबंधित है?🌿

ग्रीन मफलर अधिक आबादी वाले या ध्वनि प्रदूषण वाले क्षेत्र जैसे सड़कों के किनारे, औद्योगिक क्षेत्रों और राजमार्गों के आस-पास के रिहायशी इलाकों मंं 4-6 पंक्तियों में वृक्षारोपण कर ध्वनि प्रदूषण को कम करने की एक तकनीक है ताकि घने पेड़ ध्वनि प्रदूषण को कम कर सके क्योंकि पेड़ ध्वनि को फिल्टर करते हैं और इसे नागरिकों तक पहुँचने से रोकते हैंl
इसके अलावा ग्रीन मफलर आंतरिक दहन इंजन के निकास द्वारा उत्सर्जित ध्वनि की मात्रा को कम करने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण भी हैl
ग्रीन मफलर योजना
इस योजना के अंतर्गत घर या रिहायसी इलाकों के आस-पास ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए अशोक और नीम के पौधे लगाये जाते हैंl

क्या आप जानते हैं कि पेड़ों को ध्वनि प्रतिरोधक क्यों कहा जाता है?
- वे ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करते हैं। यहां तक कि शहरी ध्वनि प्रदूषण भी पत्थर की दीवारों की तरह पेड़ों की झुरमुट में दब जाते हैंl
- पौधों को ध्वनि अवरोधक के रूप में उपयोग करने का एक फायदा यह है कि पौधे लोगों को परेशान करने वाले उच्च आवृत्तियों के ध्वनियों को भी आसानी से रोकते हैंl
- चौड़े पत्ते वाले सदाबहार छोटे वृक्ष भी ध्वनि प्रदूषण से संरक्षण प्रदान करते हैं अतः इन वृक्षों का रोपण काफी लाभदायक हैl पेड़ अपनी शाखाओं और पत्तों के माध्यम से ध्वनि तरंगों को अवशोषित करते हैं।
- ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए दो पेड़ो के बीच काफी कम जगह या न के बराबर जगह छोड़कर वृक्षारोपण करना चाहिएl
- वास्तव में नरम जमीन ध्वनि का अच्छा अवशोषक है। अतः कठोर सतहों पर वृक्षारोपण से बचना चाहिएl इसके अलावा, पौधे लगाने से पहले मिट्टी की जुताई करने और मिट्टी की सतह में कार्बनिक पदार्थ के छिड़काव से ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती हैl
संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय कृषि और वानिकी केन्द्र के अनुसार पेड़ों और झाड़ियों के द्वारा सही ढंग से निर्मित प्रतिरोधक के माध्यम से लगभग 10 डेसिबल या 50% तक ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता हैl
मफलर क्या है?

अधिकांश आंतरिक दहन इंजनों में , मफलरों को निकास प्रणाली के भीतर स्थापित किया जाता है। इसे इस तरह से बनाया गया है कि यह ध्वनि के दबाव के कारण उत्पन्न आवाज को कम करने में मदद करता हैl इंजन द्वारा उत्पादित अधिकांश ध्वनि दबाव वाहन से बाहर निकलने के लिए उसी पाइप का उपयोग करते हैं जिसका उपयोग शीत निकास गैसों द्वारा क्रमशः बाहर निकलने वाले मार्ग के रूप में और कक्षों की श्रृंखलाओं द्वारा अवशोषित करने के लिए किया जाता है जो फाइबर ग्लास इन्सुलेशन या गूंजती कक्षों के साथ खड़ी होती है जो सामंजस्यपूर्ण हस्तक्षेप का कारण बनते हैं। इस प्रकार विपरीत ध्वनि तरंग एक-दूसरे को समाप्त कर देते हैंl इसलिए इंजन में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले तकनीक को मफलर के रूप में जाना जाता है और वृक्षारोपण के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने की तकनीक को ग्रीन मफलर के रूप में जाना जाता है।

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💣 🌸 🚇 काकोरी काण्ड 🚇 🌸 💣

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो 9 अगस्त 1925 को घटी।

इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे।

इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था।

हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था।

क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। @ras_mains


इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व 6 अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया।

बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया

जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी।

इस मुकदमें में 16 अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।