'एकांगी' का सटीक विलोम क्या होना चाहिए Sir? सटीक।
Dr Cl Tripathi:
एकांगी का सटीक विलोम सर्वांगीण.. एकांगी का अर्थ होता है केवल एक ही अंग या भाग को पकड़कर उसी को पूरा भाग मान लेना ।इस संदर्भ में सबसे प्रासंगिक उदाहरण जैन दर्शन के स्याद्वाद सिद्धांत में मिलता है जिसमें सात अंधे हाथी के अलग-अलग अंगों को पकड़ कर हाथी का स्वरूप बतातें हैं ।जिसने सूंड़ पकड़ा हुआ है वह हाथी को सांप कहता है ।जिसने कान पकड़ा हुआ है हाथी को सूप कहता है ।जिसने पैर पकड़ा हुआ है वह खंभा कहता है ।जिसने पूछ पकड़ी हुई है वह झाड़ू कहता है ।इनका एकांगी कथन इस प्रकार से रहता है ,हाथी झाड़ू ही है ।हाथी सांप ही है। हाथी खंभा ही है ।इस प्रकार से ये सारे के सारे कथन एकांगी हैं। जब हम केवल अपने मत को ही सब कुछ मानने लगते हैं और अन्य मतों को नहीं देखते तो वस्तुतः हम इन्हीं अंधों के समान एकांगी हो जाते हैं।
Dr Cl Tripathi:
एकांगी का सटीक विलोम सर्वांगीण.. एकांगी का अर्थ होता है केवल एक ही अंग या भाग को पकड़कर उसी को पूरा भाग मान लेना ।इस संदर्भ में सबसे प्रासंगिक उदाहरण जैन दर्शन के स्याद्वाद सिद्धांत में मिलता है जिसमें सात अंधे हाथी के अलग-अलग अंगों को पकड़ कर हाथी का स्वरूप बतातें हैं ।जिसने सूंड़ पकड़ा हुआ है वह हाथी को सांप कहता है ।जिसने कान पकड़ा हुआ है हाथी को सूप कहता है ।जिसने पैर पकड़ा हुआ है वह खंभा कहता है ।जिसने पूछ पकड़ी हुई है वह झाड़ू कहता है ।इनका एकांगी कथन इस प्रकार से रहता है ,हाथी झाड़ू ही है ।हाथी सांप ही है। हाथी खंभा ही है ।इस प्रकार से ये सारे के सारे कथन एकांगी हैं। जब हम केवल अपने मत को ही सब कुछ मानने लगते हैं और अन्य मतों को नहीं देखते तो वस्तुतः हम इन्हीं अंधों के समान एकांगी हो जाते हैं।
वह स्त्री भाग्यवती है
ये वाक्य सही है या गलत है
Dr Cl Tripathi:
भाग्यवती से ही स्त्री का बोध हो जा रहा है ।इसलिए यहां, स्त्री का प्रयोग पुनरुक्ति दोष।वह भाग्यवती है.. सही वाक्य..
ये वाक्य सही है या गलत है
Dr Cl Tripathi:
भाग्यवती से ही स्त्री का बोध हो जा रहा है ।इसलिए यहां, स्त्री का प्रयोग पुनरुक्ति दोष।वह भाग्यवती है.. सही वाक्य..
आप सबको नए वर्ष की शुभकामनाएं। यह आप सबके जीवन में नयी-नयी सफलताएं, नए-नए उत्कर्ष, नई-नई उपलब्धियां लेकर के आए। जो भी है उसे और आगे बढ़ाए । देश और काल दोनों अखण्ड हैं। अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्। व्यावहारिक प्रयोजन के लिए ग्रह, नक्षत्र, महाद्वीप देश, प्रदेश जनपद, गांव इत्यादि। इसी प्रकार काल के संदर्भ में ईस्वीसन्, हिजरी , वर्ष ,माह, सप्ताह, दिन, घंटे ,मिनट, सेकंड इत्यादि सब हैं।। कण -कण और क्षण -क्षण में व्याप्त परमात्मा की दिव्यता की अनुभूति करते हुए अह्लादित रहें । प्रतिपल, निरंतर परमात्मा और प्रकृति द्वारा प्रदत्त सबसे विशिष्ट और श्रेष्ठ मानव शरीर को नर से नारायण की यात्रा में संलग्न करें। हर क्षण और हर कण में व्याप्त वह परमात्मा आप सबको निरंतर उत्कर्ष की ओर, प्रगति की ओर प्रेरित करे । यह भी ध्यान रखिए परमात्मा निरंतर प्रयास करने वालों का ही सखा और मित्र होता है। इसलिए निरन्तर चरैवेति चरैवेति के मूल मंत्र को हृदय में अंकित करते हुए पूरे उत्साह के साथ चलते रहिए। दाएं हाथ से प्रयास करेंगे सफलता बाएं हाथ का खेल होगी। पुनः आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं। आप सब की मनोकामनाएं पूर्ण हों।
Forwarded from Dr Cl Tripathi
अनंत=सांत,उदॄत=शांत,असीम=ससीम
अनन्त का विलोम सान्त होता है। विभिन्न पुस्तकों एवं हल की गई उत्तर पुस्तिकाओं में अन्त मिलता है जो की त्रुटिपूर्ण है।सान्त (स+अन्त।) अनन्त , जिसका कोई अन्त न हो और सान्त का अभिप्राय है जो अन्त सहित हो। जैसे सपरिवार(स+परिवार) जो परिवार सहित हो ,सपत्नीक का अभिप्राय है जो पत्नी सहित हो। सादर (स+आदर)का अभिप्राय आदर सहित।
अनन्त का विलोम सान्त होता है। विभिन्न पुस्तकों एवं हल की गई उत्तर पुस्तिकाओं में अन्त मिलता है जो की त्रुटिपूर्ण है।सान्त (स+अन्त।) अनन्त , जिसका कोई अन्त न हो और सान्त का अभिप्राय है जो अन्त सहित हो। जैसे सपरिवार(स+परिवार) जो परिवार सहित हो ,सपत्नीक का अभिप्राय है जो पत्नी सहित हो। सादर (स+आदर)का अभिप्राय आदर सहित।
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Document from Dr.CL Tripathi💫
https://youtu.be/mk9RMtIKM5I
डेमो क्लॉस प्रज्ञा प्रवाह मिशन समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी बैच
डेमो क्लॉस प्रज्ञा प्रवाह मिशन समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी बैच
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पर्यायवाची भाग 2 By Dr. C.L. Tripathi
Pragya Pravah : Mission IAS PCS pinned «https://youtu.be/mk9RMtIKM5I डेमो क्लॉस प्रज्ञा प्रवाह मिशन समीक्षा अधिकारी/ सहायक समीक्षा अधिकारी बैच»
Forwarded from Pragya Pravah Mission IAS/PCS
2021 समीक्षा अधिकारी मुख्य परीक्षा में या प्रश्न पूछा गया था और इसका विस्तृत उत्तर व्याख्या सहित प्रज्ञा प्रवाह की व्याख्यान में उपलब्ध है। आप सभी इसे अवश्य सुन लें।मयन्द तद्भव और मैन्द तत्सम।
आयु का अभिप्राय पूरे जीवन काल से है। अल्पायु ,दीर्घायु शब्दों का प्रयोग इसी संदर्भ में किया जाता है। महाभारत और रामायण में बारंबार प्रयुक्त आयुष्मान भव! लंबी आयु का ही आशीर्वाद है। चिरंजीवी भव।स्वामी विवेकानंद 39 वर्ष की आयु में ही दिवंगत हो गये। उम्र का प्रयोग जन्म से लेकर वर्तमान समय तक की आयु के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे विराट कोहली की उम्र 37 वर्ष है।। अवस्था किसी विशेष दशा को व्यक्त करता है जैसे युवावस्था, वृद्धावस्था इत्यादि। युवावस्था में जोश और वृद्धावस्था में होश रहता है ।यदि युवावस्था में होश का वृद्धावस्था में जोश का संयोजन हो जाए तो व्यक्तित्व संपूर्ण हो जाता है।
प्रणाम सर् 🙏🙏🙏
इन शब्दों को स्पष्ट कर दिजिए, कौन कौन से शब्द गलत है। कौस सा शब्द शुद्ध है
प्रज्वलित -
प्रज्जवलित -
प्रज्वल -
प्रज्ज्वलित -
स्वस्थ्य -
स्वस्थ -
स्वास्थ्य -
स्वास्थ -
🙏 सर् इन शब्दो को स्पष्ट कर दिजिए ।
समाधान.
उत्+ज्वल= उज्ज्वल
सम्+उज्ज्वल=समुज्ज्वल
प्र+ज्वल=प्रज्वल
उत् उपसर्ग +ज्वल=उज्ज्वल। प्र+ज्वल=प्रज्वल। यहां पर प्र के पश्चात त् नहीं है इसलिए उज्जवल की तरह प्रज्ज्वल नहीं होगा! बल्कि प्रज्वल होगा।
संस्कृत के नियम के अनुसार त वर्ग का चवर्ग हो जाता है जैसे सत् चित् आनंद=सच्चिदानंद।
स्व+स्थ। स्वयं में स्थित होने का भाव स्वास्थ्य में निहित है। जब व्यक्ति ,विकार, रोग इत्यादि बाहरी तत्त्वों से रहित होकर नीरोग रहता है तब उसे स्वस्थ कहा जाता है। स्वस्थ विशेषण है ।स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ शरीर इत्यादि ।स्वस्थ से संबंधित होने का भाव स्वास्थ्य है और यह भाववाचक संज्ञा है इसको स्वस्थता भी कहते हैं। स्वस्थता भी भाववाचक संज्ञा है।
इन शब्दों को स्पष्ट कर दिजिए, कौन कौन से शब्द गलत है। कौस सा शब्द शुद्ध है
प्रज्वलित -
प्रज्जवलित -
प्रज्वल -
प्रज्ज्वलित -
स्वस्थ्य -
स्वस्थ -
स्वास्थ्य -
स्वास्थ -
🙏 सर् इन शब्दो को स्पष्ट कर दिजिए ।
समाधान.
उत्+ज्वल= उज्ज्वल
सम्+उज्ज्वल=समुज्ज्वल
प्र+ज्वल=प्रज्वल
उत् उपसर्ग +ज्वल=उज्ज्वल। प्र+ज्वल=प्रज्वल। यहां पर प्र के पश्चात त् नहीं है इसलिए उज्जवल की तरह प्रज्ज्वल नहीं होगा! बल्कि प्रज्वल होगा।
संस्कृत के नियम के अनुसार त वर्ग का चवर्ग हो जाता है जैसे सत् चित् आनंद=सच्चिदानंद।
स्व+स्थ। स्वयं में स्थित होने का भाव स्वास्थ्य में निहित है। जब व्यक्ति ,विकार, रोग इत्यादि बाहरी तत्त्वों से रहित होकर नीरोग रहता है तब उसे स्वस्थ कहा जाता है। स्वस्थ विशेषण है ।स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ शरीर इत्यादि ।स्वस्थ से संबंधित होने का भाव स्वास्थ्य है और यह भाववाचक संज्ञा है इसको स्वस्थता भी कहते हैं। स्वस्थता भी भाववाचक संज्ञा है।
लब्ध का अभिप्राय होता है प्राप्त हो जाना। यह संस्कृत के लभ धातु से बना है। प्राप्त होने के भाव को लाभ कहते हैं। जब कोई चीज पास में ,समीप में प्राप्त हो जाती तो उसे उपलब्ध कहते हैं । उप का अर्थ है समीप, लब्ध का अर्थ है प्राप्त हो जाना। इसी प्रकार जिसे प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो गई है उसके लिए एक शब्द है, लब्धप्रतिष्ठ। अटल बिहारी वाजपेई लब्धप्रतिष्ठ राजनेता रहे हैं। आइंस्टीन 20वीं शताब्दी के लब्धप्रतिष्ठ वैज्ञानिक हैं।
उपलक्ष्य
कोई ऐसा कारण अथवा विचार जिसको ध्यान में रखकर कोई बात कही जाए या कोई काम किया जाए, उपलक्ष्य कहलाता है। सामान्यतया सांस्कृतिक कार्यक्रमों के निमंत्रण-पत्र पर यह शब्द दिखाई देता है। किंतु कुछ जगह इसे 'उपलक्ष' लिखा जाने लगा है। यह उचित प्रयोग नहीं है। लक्ष शब्द का अर्थ है 'लाख की संख्या'। इसका उपलक्ष्य से कोई सम्बन्ध नहीं है, किन्तु प्रचलन के संक्रामक रोग के कारण यह प्रयुक्त होने लगा है। जबकि सही शब्द 'उपलक्ष्य' ही है।
कोई ऐसा कारण अथवा विचार जिसको ध्यान में रखकर कोई बात कही जाए या कोई काम किया जाए, उपलक्ष्य कहलाता है। सामान्यतया सांस्कृतिक कार्यक्रमों के निमंत्रण-पत्र पर यह शब्द दिखाई देता है। किंतु कुछ जगह इसे 'उपलक्ष' लिखा जाने लगा है। यह उचित प्रयोग नहीं है। लक्ष शब्द का अर्थ है 'लाख की संख्या'। इसका उपलक्ष्य से कोई सम्बन्ध नहीं है, किन्तु प्रचलन के संक्रामक रोग के कारण यह प्रयुक्त होने लगा है। जबकि सही शब्द 'उपलक्ष्य' ही है।
कृष् का अर्थ होता है, अपनी ओर खींचना, हल चलाना, घसीटना इत्यादि। कृषक और कृषि शब्द इसी से बने हैं। इसी से आकर्षण शब्द बना है। भगवान श्री कृष्ण अपनी संपूर्ण कलाओं से निखिल चराचर को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे, खींच लेते थे, घसीट लेते थे, इस परिप्रेक्ष्य में भी उनकी कृष्ण संज्ञा सार्थक है। अपनी और खींचने की संपूर्ण प्रक्रिया आकर्षण है इसका विपर्यय या विलोम विकर्षण होता है। (यहां पर वि उपसर्ग का प्रयोग विपरीत अर्थ में हुआ है, संयोग वियोग, रथी विरथ इत्यादि के समान ।)आकर्ष- विकर्ष ,आकर्षित -विकर्षित ,आकृष्ट -विकृष्ट परस्पर विलोम शब्द हैं।
Pragya Pravah : Mission IAS PCS
कृष् का अर्थ होता है, अपनी ओर खींचना, हल चलाना, घसीटना इत्यादि। कृषक और कृषि शब्द इसी से बने हैं। इसी से आकर्षण शब्द बना है। भगवान श्री कृष्ण अपनी संपूर्ण कलाओं से निखिल चराचर को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे, खींच लेते थे, घसीट लेते थे, इस परिप्रेक्ष्य में भी…
Sir विकर्ष ka विलोम क्या होगा?? प्रश्न के क्रम में