मूल शब्द ग्रह है जिसका अर्थ होता है। पकड़ना । इसी से अनुग्रह, विग्रह, आग्रह , दुराग्रह,आदि शब्द बनें हैं।किसी को कृपा पूर्वक पकड़ने के भाव को को अनुग्रह कहते हैं( और जब पकड़ लिया जाता है तो अनुगृहीत ।यहां पर ग्रह में क्त प्रत्यय लगने पर अनुग्रह, अनुगृहीत के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसी प्रकार से गृहीत शब्द भी लिखा जाता है। इसका अर्थ होता है जिसे ग्रहण कर लिया गया हो ले लिया गया हो। इस रूप में गृहीत सटीक विलोम होगा अर्पित ,जो दे दिया गया हो, अर्पण कर दिया गया हो ।जैन धर्म के पंच महाव्रत में अपरिग्रह भी एक महाव्रत है। इसका भाव है आवश्यकता से अधिक ग्रहण नहीं करना चाहिए ।आवश्यकता से अधिक नहीं लेना चाहिए । किंतु हो इसका उलट रहा है। परिग्रह अर्थात चारों तरफ से ग्रहण करना। परिग्रह के लिए परिक्रमा शुरू हो जाती है और आजीवन चलती रहती है। परिग्रह की प्रवृत्ति ने सारे रिश्ते, नातों, मूल्यों ,भावनाओं संभावनाओं पर "ग्रहण" लगा दिया है ! सबसे बड़े राहु और केतु परिग्रह प्रवृत्तियां ही हैं।परिग्रह और अपरिग्रह दोनों ग्रह शब्द से ही बना है,)।
विग्रह शब्द के भी कई अर्थ होते हैं ।अलग होना। अलग होने के अर्थ में यहां ,समास का विलोम विग्रह होगा क्योंकि समास का अर्थ होता है मिलन , मेल ।मूल कर्तव्यों में देखिए लिखा हुआ है भारत की सामासिक संस्कृति। विग्रह का अर्थ किसी से शत्रुतापूर्ण व्यवहार करना, भी है, भगवान की मूर्ति भी है। यहां पर अनुग्रह का विलोम, विग्रह के रूप में शत्रुतापूर्ण व्यवहार के संदर्भ में है।https://t.me/PragyaPravah
विग्रह शब्द के भी कई अर्थ होते हैं ।अलग होना। अलग होने के अर्थ में यहां ,समास का विलोम विग्रह होगा क्योंकि समास का अर्थ होता है मिलन , मेल ।मूल कर्तव्यों में देखिए लिखा हुआ है भारत की सामासिक संस्कृति। विग्रह का अर्थ किसी से शत्रुतापूर्ण व्यवहार करना, भी है, भगवान की मूर्ति भी है। यहां पर अनुग्रह का विलोम, विग्रह के रूप में शत्रुतापूर्ण व्यवहार के संदर्भ में है।https://t.me/PragyaPravah
मिलिये इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक़ से!
भारत के साहित्य जगत के लिए एक गर्व का पल तब आया जब बानू मुश्ताक़ को उनके लघु कथा संग्रह 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार किसी कन्नड़ भाषा में लिखी किताब को पहली बार मिला है।
बानू का जन्म कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। एक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी बानू ने कठिन हालात में भी हार नहीं मानी। बचपन में उर्दू में कुरान पढ़ीं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें कन्नड़ माध्यम के स्कूल में दाख़िला दिलाया। यहीं से शुरू हुआ उनका साहित्यिक सफर।
'हार्ट लैंप' में उन्होंने दक्षिण भारत की मुस्लिम महिलाओं के संघर्षों और समाज की पितृसत्तात्मक सोच के बीच उनके जीवन की सच्चाइयों को संवेदनशीलता से बयान किया है।
इन कहानियों का अंग्रेज़ी अनुवाद दीपा भास्ती ने किया है।
बानू खुद भी कई संघर्षों से गुज़रीं। शादी के बाद का जीवन आसान नहीं था। घरेलू जिम्मेदारियों, मानसिक तनाव और समाज के दबावों के बीच उन्होंने लेखन को अपना हथियार बनाया। https://t.me/PragyaPravah
भारत के साहित्य जगत के लिए एक गर्व का पल तब आया जब बानू मुश्ताक़ को उनके लघु कथा संग्रह 'हार्ट लैंप' के लिए इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार किसी कन्नड़ भाषा में लिखी किताब को पहली बार मिला है।
बानू का जन्म कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे में हुआ था। एक मुस्लिम परिवार में पली-बढ़ी बानू ने कठिन हालात में भी हार नहीं मानी। बचपन में उर्दू में कुरान पढ़ीं, लेकिन उनके पिता ने उन्हें कन्नड़ माध्यम के स्कूल में दाख़िला दिलाया। यहीं से शुरू हुआ उनका साहित्यिक सफर।
'हार्ट लैंप' में उन्होंने दक्षिण भारत की मुस्लिम महिलाओं के संघर्षों और समाज की पितृसत्तात्मक सोच के बीच उनके जीवन की सच्चाइयों को संवेदनशीलता से बयान किया है।
इन कहानियों का अंग्रेज़ी अनुवाद दीपा भास्ती ने किया है।
बानू खुद भी कई संघर्षों से गुज़रीं। शादी के बाद का जीवन आसान नहीं था। घरेलू जिम्मेदारियों, मानसिक तनाव और समाज के दबावों के बीच उन्होंने लेखन को अपना हथियार बनाया। https://t.me/PragyaPravah
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International Biodiversity Day 2025:हर वर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता के महत्व को समझाना और उसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. वर्ष 2025 का विषय है: प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास (Harmony with Nature and Sustainable development) जैव विविधता का उत्कृष्ट रूप देखना है तो भारतीय संस्कृति में भगवान शंकर के परिवार को देख लीजिए। नदी के रूप में गंगा, उपग्रह के रूप में चंद्रमा , प्राणियों के रूप में बैल ,व्याघ्र सांप क्या-क्या नहीं है.. जल, जंगल, जमीन पहाड़ सब कुछ, यहां तक की भूत, प्रेत ,पिशाच भी। जैव विविधता का इतना उत्कृष्ट रूप मुझे कहीं भी दृष्टिगत नहीं होता। भयंकर विषधर सांप ,पिता के पास है तो उसका आहार उनके बेटे गणेश के पास और सांप को भी आहार बनाने वाला मयूर उनके दूसरे बेटे कार्तिकेय के पास। आदिदेव हैं, महादेव हैं, महाकाल हैं ।इतना सब होने पर भी स्वयं भगवान शंकर के पास में बूढ़े बैल के अलावा फूटी कौड़ी भी नहीं। "धन धन भोलेनाथ महादेव कौड़ी नहीं खजाने में तीन लोक दुनिया में बसा खुद आप बसे बीराने में"। भगवान शंकर की, त्याग करते हुए भोग करो- "तेन त्यक्तेन भुंजीथा "के आदर्श को अपनाकर ही जैव विविधता और प्रकृति का संरक्षण किया जा सकता है।
खर और खल यह दोनों शब्द संस्कृत के हैं। दोनों का अर्थ के रूप में एक-दूसरे से किसी भी रूप में संबंध नहीं है।
विभिन्न प्रामाणिक शब्दकोशों में खर का अर्थ गधा , तिनका, तेज, कठोर, कर्कश दिया गया है।
खल का अर्थ दुष्ट, धतूरा, तलछट होता है।
इस रूप में दुष्ट, खर का पर्याय नहीं है। हालाँकि वासुदेवनन्दन और हरदेव बाहरी जी द्वारा दुष्ट को खर का अनेकार्थी माना गया है जोकि सही नहीं है।
उदाहरण स्वरूप "वह बहुत खर बोलता है" अर्थात् उसकी वाणी बहुत कठोर है, उसकी आवाज कर्कश है।
इसी खर में जब प्र उपसर्ग जुड़ जाता है तो प्रखर शब्द बनता है। प्र उपसर्ग विशेषण शब्दों के साथ लगकर अधिकता का द्योतक है। अतः प्रखर का अर्थ हुआ बहुत तेज । जैसे :- उसकी प्रखर बुद्धि से सभी आश्चर्यचकित थे।https://t.me/PragyaPravah
विभिन्न प्रामाणिक शब्दकोशों में खर का अर्थ गधा , तिनका, तेज, कठोर, कर्कश दिया गया है।
खल का अर्थ दुष्ट, धतूरा, तलछट होता है।
इस रूप में दुष्ट, खर का पर्याय नहीं है। हालाँकि वासुदेवनन्दन और हरदेव बाहरी जी द्वारा दुष्ट को खर का अनेकार्थी माना गया है जोकि सही नहीं है।
उदाहरण स्वरूप "वह बहुत खर बोलता है" अर्थात् उसकी वाणी बहुत कठोर है, उसकी आवाज कर्कश है।
इसी खर में जब प्र उपसर्ग जुड़ जाता है तो प्रखर शब्द बनता है। प्र उपसर्ग विशेषण शब्दों के साथ लगकर अधिकता का द्योतक है। अतः प्रखर का अर्थ हुआ बहुत तेज । जैसे :- उसकी प्रखर बुद्धि से सभी आश्चर्यचकित थे।https://t.me/PragyaPravah
स्त्रोत ,स्रोत में शुद्ध क्या है?
स्त्रोत पूरी तरह अशुद्ध है। यह टंकण त्रुटि के चलते अशुद्ध लिखा जाता है। किन्तु इतना चलन में आ गया है कि मान्य हो गया है जोकि संपूर्ण रूप से अशुद्ध है।
शुद्ध वर्तनी है स्रोत। इसका तद्भव है सोता अर्थात् झरना, जलप्रवाह, जलधारा। किसी भी वस्तु का साधन जैसे तुम्हारी तैयारी की स्रोत क्या है?
इसके अतिरिक्त एक शब्द और है स्तोत्र अर्थात् किसी देवता का छंदोबद्ध स्वरूपकथन या गुणकीर्तन, स्तुति।https://t.me/PragyaPravah
स्त्रोत पूरी तरह अशुद्ध है। यह टंकण त्रुटि के चलते अशुद्ध लिखा जाता है। किन्तु इतना चलन में आ गया है कि मान्य हो गया है जोकि संपूर्ण रूप से अशुद्ध है।
शुद्ध वर्तनी है स्रोत। इसका तद्भव है सोता अर्थात् झरना, जलप्रवाह, जलधारा। किसी भी वस्तु का साधन जैसे तुम्हारी तैयारी की स्रोत क्या है?
इसके अतिरिक्त एक शब्द और है स्तोत्र अर्थात् किसी देवता का छंदोबद्ध स्वरूपकथन या गुणकीर्तन, स्तुति।https://t.me/PragyaPravah
Photo from Pragya Pravah: पुनर्+रचना=पुनारचना। संस्कृत के नियम के अनुसार जब एक र के पश्चात दूसरा र आ जाता है तो पहले वाले र का लोप हो जाता है
रेफस्य रेफे परे लोप: -सूत्र
उसके स्थान पर उसका पूर्ववर्ती स्वर दीर्घ हो जाता है। अर्थात् यदि अ है तो आ, इ है तो ई ,उ है ऊ। इस प्रकार सही शब्द है पुनारचना ।इसी प्रकार नीरज शब्द भी बना है नि:+रज, नि के पश्चात विसर्ग का स् हो जाता है। तब
निस् बनता है
संस्कृत के नियम स् का रु हो गया और रु में उ का लोप हो गया।
निरु से
निर्+रज=नीरज। ऐसे ही नीरव, निर्+ रव =नीरव अर्थात बिना रव या ध्वनि के, शान्त ,शब्दरहित, ऐसा जंगल जहां कोई ध्वनि न हो नीरव वन। आप भी जब अध्ययन की साधना में हो तो नीरव रहिए। परिणामतः किसी और का रव या ध्वनि नहीं आपके सफलता की ध्वनि दिग्दिगन्त गुंजायमान होगी।https://t.me/PragyaPravah
रेफस्य रेफे परे लोप: -सूत्र
उसके स्थान पर उसका पूर्ववर्ती स्वर दीर्घ हो जाता है। अर्थात् यदि अ है तो आ, इ है तो ई ,उ है ऊ। इस प्रकार सही शब्द है पुनारचना ।इसी प्रकार नीरज शब्द भी बना है नि:+रज, नि के पश्चात विसर्ग का स् हो जाता है। तब
निस् बनता है
संस्कृत के नियम स् का रु हो गया और रु में उ का लोप हो गया।
निरु से
निर्+रज=नीरज। ऐसे ही नीरव, निर्+ रव =नीरव अर्थात बिना रव या ध्वनि के, शान्त ,शब्दरहित, ऐसा जंगल जहां कोई ध्वनि न हो नीरव वन। आप भी जब अध्ययन की साधना में हो तो नीरव रहिए। परिणामतः किसी और का रव या ध्वनि नहीं आपके सफलता की ध्वनि दिग्दिगन्त गुंजायमान होगी।https://t.me/PragyaPravah
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा 25 मई को संपन्न कराई गई प्रारम्भिक परीक्षा के महत्त्वपूर्ण प्रश्न, जिनके समीक्षा अधिकारी 2023 की प्रारंभिक परीक्षा में आने की प्रबल संभावना है। इनका अवलोकन कर इन्हें आत्मसात् करें।https://t.me/PragyaPravah
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Pragya Pravah : Mission IAS PCS
💐💐प्रज्ञा प्रवाह💐💐
💐💐मिशन डिप्टी कलेक्टर 💐💐
💐💐पढ़िए वहां, सलेक्शन हों जहां 💐💐
💐💐मिशन डिप्टी कलेक्टर 💐💐
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विधान का अर्थ है काम का होना या चलना, कार्य करने की रीति, व्यवस्था, प्रबंध, इंतजाम।
इसमें इक प्रत्यय लगाने से वैधानिक शब्द निर्मित होता है जिसका अर्थ है विधान के अनुसार।
विधान शब्द में सम् उपसर्ग लगाकर शब्द बनता है संविधान जिसका अर्थ हुआ ऐसा विधान जो सबके लिए एक समान हो, एक जैसा हो। किसी भी देश का संविधान सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।
संविधान में इक प्रत्यय लगाकर सांविधानिक शब्द निर्मित होता है जिसका शाब्दिक अर्थ है संविधान संबंधी।
इसकी अँग्रेजी रूपांतरण CONSTITUTIOAL है।https://t.me/PragyaPravah
इसमें इक प्रत्यय लगाने से वैधानिक शब्द निर्मित होता है जिसका अर्थ है विधान के अनुसार।
विधान शब्द में सम् उपसर्ग लगाकर शब्द बनता है संविधान जिसका अर्थ हुआ ऐसा विधान जो सबके लिए एक समान हो, एक जैसा हो। किसी भी देश का संविधान सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।
संविधान में इक प्रत्यय लगाकर सांविधानिक शब्द निर्मित होता है जिसका शाब्दिक अर्थ है संविधान संबंधी।
इसकी अँग्रेजी रूपांतरण CONSTITUTIOAL है।https://t.me/PragyaPravah
समर का अर्थ है संग्राम, युद्ध।
महासमर अर्थात् महायुद्ध।
इसकी टिप्पणी में जो लिखा है वह उचित है क्योंकि विश्व और संसार दोनों के भाव अलग-अलग हैं।
जैसे संसार दुःख का सागर है कहना उचित होगा न कि विश्व दुःख का सागर है।
जब संसार की बात की जाती है तो उसमें चर-अचर, पशु-पक्षी, सजीव-निर्जीव सभी छिपे रहते हैं। जब विश्व की बात करते हैं तो वह केवल मानव के लिए बात होती है।
महासमर होता है तो संसार के लिए बड़ी समस्या खड़ी होगी।
अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो विश्व के लिए बड़ी समस्या होती है क्योंकि अर्थव्यवस्था इधर-उधर हुई तो केवल मानव को कष्ट होगा।https://t.me/PragyaPravah
महासमर अर्थात् महायुद्ध।
इसकी टिप्पणी में जो लिखा है वह उचित है क्योंकि विश्व और संसार दोनों के भाव अलग-अलग हैं।
जैसे संसार दुःख का सागर है कहना उचित होगा न कि विश्व दुःख का सागर है।
जब संसार की बात की जाती है तो उसमें चर-अचर, पशु-पक्षी, सजीव-निर्जीव सभी छिपे रहते हैं। जब विश्व की बात करते हैं तो वह केवल मानव के लिए बात होती है।
महासमर होता है तो संसार के लिए बड़ी समस्या खड़ी होगी।
अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो विश्व के लिए बड़ी समस्या होती है क्योंकि अर्थव्यवस्था इधर-उधर हुई तो केवल मानव को कष्ट होगा।https://t.me/PragyaPravah
सृजन शब्द का प्रयोग पुरानी हिन्दी और कविताओं में मिलता है किन्तु यह सही नहीं है ।संस्कृत व्याकरण के अनुसार सर्जन शब्द व्याकरणसम्मत है।
इसी 'सर्जन' से विसर्जन, उत्सर्जन, उत्सर्जक, सर्जक, सर्जना, सर्जना-शक्ति आदि शब्द बने हैं। पूजा की समाप्ति पर पंडित जी सभी देवताओं के विसर्जन का मन्त्र पढ़ते हैं विसृजन का नहीं।
संधि के नियम से 'सृज्' के ऋ का ऊर्ध्वगमन होगा और वह ज के ऊपर बैठेगा और सर्जन शब्द बनेगा। ‘ऋ’ का ‘र’ और फिर ‘रकारस्यऊर्ध्वगमनं’ का सूत्र लगेगा।
ऐसा ही एक प्रयोग ‘नृत्’ धातु से नर्तक और नर्तकी का है। (ऋ 'अर' हो गया।) नृत से 'नृतक' अथवा 'नृतकी' शब्द नहीं बनते, नर्तक एवं नर्तकी शब्द बनते हैं। इस रूप में सृजन और सृजक शब्द सही नहीं है ।सही शब्द है सर्जन और सर्जक।
https://t.me/PragyaPravah
इसी 'सर्जन' से विसर्जन, उत्सर्जन, उत्सर्जक, सर्जक, सर्जना, सर्जना-शक्ति आदि शब्द बने हैं। पूजा की समाप्ति पर पंडित जी सभी देवताओं के विसर्जन का मन्त्र पढ़ते हैं विसृजन का नहीं।
संधि के नियम से 'सृज्' के ऋ का ऊर्ध्वगमन होगा और वह ज के ऊपर बैठेगा और सर्जन शब्द बनेगा। ‘ऋ’ का ‘र’ और फिर ‘रकारस्यऊर्ध्वगमनं’ का सूत्र लगेगा।
ऐसा ही एक प्रयोग ‘नृत्’ धातु से नर्तक और नर्तकी का है। (ऋ 'अर' हो गया।) नृत से 'नृतक' अथवा 'नृतकी' शब्द नहीं बनते, नर्तक एवं नर्तकी शब्द बनते हैं। इस रूप में सृजन और सृजक शब्द सही नहीं है ।सही शब्द है सर्जन और सर्जक।
https://t.me/PragyaPravah
प्रज्ञा प्रवाह टीम द्वारा अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के क्रम में पीसीएस मुख्य परीक्षा 2024 में सम्मिलित हो रहे आर्थिक दृष्टि से कमजोर, प्रतिभाशाली छात्रों के लिए सामान्य हिन्दी एवं निबन्ध प्रश्न पत्र हेतु एक निःशुल्क ग्रुप का निर्माण किया गया है।
जिसमें मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने का प्रमाण प्रस्तुत कर आप ग्रुप से जुड़ सकते हैं।
🌸🌸 ग्रुप की प्रमुख विशेषताएं 🌸🌸
👉 प्रत्येक खण्ड का मॉडल उत्तर।
👉 व्याकरण खण्ड के प्रश्नों का संस्कृतनिष्ठ, प्रामाणिक, शुद्धतम उत्तर।
👉 उत्तर पुस्तिका में अंकवृद्धि के सरल किन्तु प्रभावी उपाय।
👉 परीक्षासंगत प्रश्नों का प्रामाणिक समाधान।
👉 गूगल मीट के माध्यम से मार्गदर्शन एवं शंका समाधान।
🌻 प्रवेश हेतु निम्नलिखित नंबर पर केवल व्हाट्सएप करें( कॉल न करें)- 6392047303 9118558927 9569937005
@PragyaPravah
https://t.me/PragyaPravah
जिसमें मुख्य परीक्षा में सम्मिलित होने का प्रमाण प्रस्तुत कर आप ग्रुप से जुड़ सकते हैं।
🌸🌸 ग्रुप की प्रमुख विशेषताएं 🌸🌸
👉 प्रत्येक खण्ड का मॉडल उत्तर।
👉 व्याकरण खण्ड के प्रश्नों का संस्कृतनिष्ठ, प्रामाणिक, शुद्धतम उत्तर।
👉 उत्तर पुस्तिका में अंकवृद्धि के सरल किन्तु प्रभावी उपाय।
👉 परीक्षासंगत प्रश्नों का प्रामाणिक समाधान।
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🌻 प्रवेश हेतु निम्नलिखित नंबर पर केवल व्हाट्सएप करें( कॉल न करें)- 6392047303 9118558927 9569937005
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Pragya Pravah : Mission IAS PCS pinned «प्रज्ञा प्रवाह टीम द्वारा अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के क्रम में पीसीएस मुख्य परीक्षा 2024 में सम्मिलित हो रहे आर्थिक दृष्टि से कमजोर, प्रतिभाशाली छात्रों के लिए सामान्य हिन्दी एवं निबन्ध प्रश्न पत्र हेतु एक निःशुल्क ग्रुप का निर्माण किया गया है। …»
7 जून 1893 की रात थी। 23 साल के एक भारतीय वकील दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से सफर कर रहे थे। उनके पास फर्स्ट क्लास का वैलिड टिकट था, लेकिन फिर भी उन्हें ज़बरदस्ती ट्रेन से नीचे उतार दिया गया।
क्यों? क्योंकि एक गोरे यात्री को "कूली" जैसे दिखने वाले शख़्स के साथ सीट शेयर करना मंज़ूर नहीं था। उस दिन वह वकील कोई और नहीं, मोहनदास करमचंद गांधी थे।
गांधी ने सीट छोड़ने से इनकार कर दिया, तो उन्हें ठंड की रात में जबरन पीटरमैरिट्जबर्ग स्टेशन पर धक्का देकर उतार दिया गया।
“रात काफ़ी पड़ रही थी, मैं उनसे अपना ओवरकोट भी नहीं मांग सका, कि कहीं फिर से अपमान न हो जाए।”
— गांधी, अपनी आत्मकथा में
अगले दिन भी अपमान का सिलसिला जारी रहा। उन्हें कोचमैन के सतह बहार बैठने को खा गया, और फिर ट्रेन के फुटबोर्ड पर गंदे कपड़े के टुकड़े पर बैठने को कहा गया। जब उन्होंने विरोध किया, तो कंडक्टर ने उन्हें पीटा।
लेकिन यह अनुभव उन्हें तोड़ नहीं सका। बल्कि, यहीं से एक चिंगारी भड़की।
ठंड की उसी रात में, गांधी ने महसूस किया कि उनके जीवन का मक़सद सिर्फ वकालत नहीं, बल्कि न्याय के लिए लड़ना है।
यही वो लम्हा था, जिसने सत्याग्रह की सोच को जन्म दिया।
क्यों? क्योंकि एक गोरे यात्री को "कूली" जैसे दिखने वाले शख़्स के साथ सीट शेयर करना मंज़ूर नहीं था। उस दिन वह वकील कोई और नहीं, मोहनदास करमचंद गांधी थे।
गांधी ने सीट छोड़ने से इनकार कर दिया, तो उन्हें ठंड की रात में जबरन पीटरमैरिट्जबर्ग स्टेशन पर धक्का देकर उतार दिया गया।
“रात काफ़ी पड़ रही थी, मैं उनसे अपना ओवरकोट भी नहीं मांग सका, कि कहीं फिर से अपमान न हो जाए।”
— गांधी, अपनी आत्मकथा में
अगले दिन भी अपमान का सिलसिला जारी रहा। उन्हें कोचमैन के सतह बहार बैठने को खा गया, और फिर ट्रेन के फुटबोर्ड पर गंदे कपड़े के टुकड़े पर बैठने को कहा गया। जब उन्होंने विरोध किया, तो कंडक्टर ने उन्हें पीटा।
लेकिन यह अनुभव उन्हें तोड़ नहीं सका। बल्कि, यहीं से एक चिंगारी भड़की।
ठंड की उसी रात में, गांधी ने महसूस किया कि उनके जीवन का मक़सद सिर्फ वकालत नहीं, बल्कि न्याय के लिए लड़ना है।
यही वो लम्हा था, जिसने सत्याग्रह की सोच को जन्म दिया।