'मछली' जैसे जल से सम्बन्धित है, वैसे ही 'चिड़िया' किससे सम्बन्धित है ?
Anonymous Quiz
78%
आकाश
3%
जल
17%
वायु
2%
भोजन
समय बहुत बलवान होता है!
वह शिखंडी से भीष्म को मात दिला सकता है!
कर्ण के रथ को फंसा सकता है!
द्रौपदी का चीरहरण करा सकता है!
अगर किसी से डरना है तो वह है समय!
पढ़िए यह कहानी!एक मित्र ने भेजी है!
महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुँचकर कहा-
“हे राजन! मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम 'कंक' है। मैं द्यूत विद्या में निपुण हूँ। आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ।”
द्यूत ......जुआ ......यानि वह खेल जिसमें धर्मराज अपना सर्वस्व हार बैठे थे। कंक बन कर वही खेल वह राजा विराट को सिखाने लगे।
जिस बाहुबली के लिये रसोइये दिन रात भोजन परोसते रहते थे वह भीम बल्लभ का भेष धारण कर स्वयं रसोइया बन गया।
नकुल और सहदेव पशुओं की देखरेख करने लगे।
दासियों सी घिरी रहने वाली महारानी द्रौपदी .......स्वयं एक दासी सैरंध्री बन गयी।
......और वह धनुर्धर। उस युग का सबसे आकर्षक युवक, वह महाबली योद्धा। वह द्रोण का सबसे प्रिय शिष्य। वह पुरुष जिसके धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ते ही युद्ध का निर्णय हो जाता था।वह अर्जुन पौरुष का प्रतीक अर्जुन। नायकों का महानायक अर्जुन।एक नपुंसक बन गया।
एक नपुंसक ?
उस युग में पौरुष को परिभाषित करने वाला अपना पौरुष त्याग कर होठों पर लाली लगा कर ,आंखों में काजल लगा कर एक नपुंसक "बृह्नला" बन गया।
युधिष्ठिर राजा विराट का अपमान सहते रहे। पौरुष के प्रतीक अर्जुन एक नपुंसक सा व्यवहार करते रहे। नकुल और सहदेव पशुओं की देख रेख करते रहे......भीम रसोई में पकवान पकाते रहे और द्रौपदी.....एक दासी की तरह महारानी की सेवा करती रही।
परिवार पर एक विपदा आयी तो धर्मराज अपने परिवार को बचाने हेतु कंक बन गया। पौरुष का प्रतीक एक नपुंसक बन गया।एक महाबली साधारण रसोईया बन गया।
पांडवों के लिये वह अज्ञातवास नहीं था। अज्ञातवास का वह काल उनके लिये अपने परिवार के प्रति अपने समर्पण की पराकाष्ठा थी।
वह जिस रूप में रहे।जो अपमान सहते रहे .......जिस कठिन दौर से गुज़रे .....उसके पीछे उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था। अज्ञातवास का वह काल परिस्थितियों को देखते हुये परिस्थितियों के अनुरूप ढल जाने का काल था !!
आज भी इस धरती में अज्ञातवास जी रहे ना जाने कितने महायोद्धा दिखाई देते हैं। कोई धन्ना सेठ की नौकरी करते हुये उससे बेवजह गाली खा रहा है क्योंकि उसे अपनी बिटिया की स्कूल की फीस भरनी है।
बेटी के ब्याह के लिये पैसे इकट्ठे करता बाप एक सेल्समैन बन कर दर दर धक्के खा कर सामान बेचता दिखाई देता है।
ऐसे असंख्य पुरुष निरंतर संघर्ष से हर दिन अपना सुख दुःख छोड़ कर अपने परिवार के अस्तिव की लड़ाई लड़ रहे हैं।
रोज़मर्रा के जीवन में किसी संघर्षशील व्यक्ति से रूबरू हों तो उसका आदर कीजिये।
उसका सम्मान कीजिये।
फैक्ट्री के बाहर खड़ा गार्ड......होटल में रोटी परोसता वेटर.....सेठ की गालियां खाता मुनीम....... वास्तव में कंक .......बल्लभ और बृह्नला हैं।
क्योंकि कोई भी अपनी मर्ज़ी से संघर्ष या पीड़ा नही चुनता। वे सब यहाँ कर्म करते हैं। वे अज्ञातवास जी रहे हैं......!
परंतु वह अपमान के भागी नहीं हैं। वह प्रशंसा के पात्र हैं। यह उनकी हिम्मत है.....उनकी ताकत है ......उनका समर्पण है कि विपरीत परिस्थितियों में भी वह डटे हुये हैं।
वह कमजोर नहीं हैं ......उनके हालात कमज़ोर हैं.....उनका वक्त कमज़ोर है।
याद रहे......
अज्ञातवास के बाद बृह्नला जब पुनः अर्जुन के रूप में आये तो कौरवों के नाश कर दिया। पुनः अपना यश, अपनी कीर्ति सारे विश्व में फैला दी। वक्त बदलते वक्त नहीं लगता इसलिये जिसका वक्त खराब चल रहा हो,उसका उपहास और अनादर ना करें।
उसका सम्मान करें, उसका साथ दें।
क्योंकि एक दिन संघर्षशील कर्मठ ईमानदारी से प्रयास करने वालों का अज्ञातवास अवश्य समाप्त होगा।
समय का चक्र घूमेगा और बृह्नला का छद्म रूप त्याग कर धनुर्धर अर्जुन इतिहास में ऐसे अमर हो जायेंगे.. कि पीढ़ियों तक बच्चों के नाम उनके नाम पर रखे जायेंगे। इतिहास बृह्नला को भूल जायेगा। इतिहास अर्जुन को याद रखेगा।
हर संघर्षशील,लग्नशील और कर्मठ व्यक्ति में बृह्नला को मत देखिये। कंक को मत देखिये। बल्लभ को मत देखिये। हर संघर्षशील व्यक्ति में धनुर्धर अर्जुन को देखिये। धर्मराज युधिष्ठिर और महाबली भीम को देखिये।
उसका भरपूर सहयोग करिए उसके ईमानदार प्रयासों को सराहे ! क्योंकि याद रखना एक दिन हर संघर्षशील व्यक्ति का अज्ञातवास खत्म होगा।
यही नियति है।
यही समय का चक्र है।
यही महाभारत की भी सीख है!
🙏🏻🙏🏻
संदीप सिंघल अग्रवाल
वह शिखंडी से भीष्म को मात दिला सकता है!
कर्ण के रथ को फंसा सकता है!
द्रौपदी का चीरहरण करा सकता है!
अगर किसी से डरना है तो वह है समय!
पढ़िए यह कहानी!एक मित्र ने भेजी है!
महाभारत में एक प्रसंग आता है जब धर्मराज युधिष्ठिर ने विराट के दरबार में पहुँचकर कहा-
“हे राजन! मैं व्याघ्रपाद गोत्र में उत्पन्न हुआ हूँ तथा मेरा नाम 'कंक' है। मैं द्यूत विद्या में निपुण हूँ। आपके पास आपकी सेवा करने की कामना लेकर उपस्थित हुआ हूँ।”
द्यूत ......जुआ ......यानि वह खेल जिसमें धर्मराज अपना सर्वस्व हार बैठे थे। कंक बन कर वही खेल वह राजा विराट को सिखाने लगे।
जिस बाहुबली के लिये रसोइये दिन रात भोजन परोसते रहते थे वह भीम बल्लभ का भेष धारण कर स्वयं रसोइया बन गया।
नकुल और सहदेव पशुओं की देखरेख करने लगे।
दासियों सी घिरी रहने वाली महारानी द्रौपदी .......स्वयं एक दासी सैरंध्री बन गयी।
......और वह धनुर्धर। उस युग का सबसे आकर्षक युवक, वह महाबली योद्धा। वह द्रोण का सबसे प्रिय शिष्य। वह पुरुष जिसके धनुष की प्रत्यंचा पर बाण चढ़ते ही युद्ध का निर्णय हो जाता था।वह अर्जुन पौरुष का प्रतीक अर्जुन। नायकों का महानायक अर्जुन।एक नपुंसक बन गया।
एक नपुंसक ?
उस युग में पौरुष को परिभाषित करने वाला अपना पौरुष त्याग कर होठों पर लाली लगा कर ,आंखों में काजल लगा कर एक नपुंसक "बृह्नला" बन गया।
युधिष्ठिर राजा विराट का अपमान सहते रहे। पौरुष के प्रतीक अर्जुन एक नपुंसक सा व्यवहार करते रहे। नकुल और सहदेव पशुओं की देख रेख करते रहे......भीम रसोई में पकवान पकाते रहे और द्रौपदी.....एक दासी की तरह महारानी की सेवा करती रही।
परिवार पर एक विपदा आयी तो धर्मराज अपने परिवार को बचाने हेतु कंक बन गया। पौरुष का प्रतीक एक नपुंसक बन गया।एक महाबली साधारण रसोईया बन गया।
पांडवों के लिये वह अज्ञातवास नहीं था। अज्ञातवास का वह काल उनके लिये अपने परिवार के प्रति अपने समर्पण की पराकाष्ठा थी।
वह जिस रूप में रहे।जो अपमान सहते रहे .......जिस कठिन दौर से गुज़रे .....उसके पीछे उनका कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था। अज्ञातवास का वह काल परिस्थितियों को देखते हुये परिस्थितियों के अनुरूप ढल जाने का काल था !!
आज भी इस धरती में अज्ञातवास जी रहे ना जाने कितने महायोद्धा दिखाई देते हैं। कोई धन्ना सेठ की नौकरी करते हुये उससे बेवजह गाली खा रहा है क्योंकि उसे अपनी बिटिया की स्कूल की फीस भरनी है।
बेटी के ब्याह के लिये पैसे इकट्ठे करता बाप एक सेल्समैन बन कर दर दर धक्के खा कर सामान बेचता दिखाई देता है।
ऐसे असंख्य पुरुष निरंतर संघर्ष से हर दिन अपना सुख दुःख छोड़ कर अपने परिवार के अस्तिव की लड़ाई लड़ रहे हैं।
रोज़मर्रा के जीवन में किसी संघर्षशील व्यक्ति से रूबरू हों तो उसका आदर कीजिये।
उसका सम्मान कीजिये।
फैक्ट्री के बाहर खड़ा गार्ड......होटल में रोटी परोसता वेटर.....सेठ की गालियां खाता मुनीम....... वास्तव में कंक .......बल्लभ और बृह्नला हैं।
क्योंकि कोई भी अपनी मर्ज़ी से संघर्ष या पीड़ा नही चुनता। वे सब यहाँ कर्म करते हैं। वे अज्ञातवास जी रहे हैं......!
परंतु वह अपमान के भागी नहीं हैं। वह प्रशंसा के पात्र हैं। यह उनकी हिम्मत है.....उनकी ताकत है ......उनका समर्पण है कि विपरीत परिस्थितियों में भी वह डटे हुये हैं।
वह कमजोर नहीं हैं ......उनके हालात कमज़ोर हैं.....उनका वक्त कमज़ोर है।
याद रहे......
अज्ञातवास के बाद बृह्नला जब पुनः अर्जुन के रूप में आये तो कौरवों के नाश कर दिया। पुनः अपना यश, अपनी कीर्ति सारे विश्व में फैला दी। वक्त बदलते वक्त नहीं लगता इसलिये जिसका वक्त खराब चल रहा हो,उसका उपहास और अनादर ना करें।
उसका सम्मान करें, उसका साथ दें।
क्योंकि एक दिन संघर्षशील कर्मठ ईमानदारी से प्रयास करने वालों का अज्ञातवास अवश्य समाप्त होगा।
समय का चक्र घूमेगा और बृह्नला का छद्म रूप त्याग कर धनुर्धर अर्जुन इतिहास में ऐसे अमर हो जायेंगे.. कि पीढ़ियों तक बच्चों के नाम उनके नाम पर रखे जायेंगे। इतिहास बृह्नला को भूल जायेगा। इतिहास अर्जुन को याद रखेगा।
हर संघर्षशील,लग्नशील और कर्मठ व्यक्ति में बृह्नला को मत देखिये। कंक को मत देखिये। बल्लभ को मत देखिये। हर संघर्षशील व्यक्ति में धनुर्धर अर्जुन को देखिये। धर्मराज युधिष्ठिर और महाबली भीम को देखिये।
उसका भरपूर सहयोग करिए उसके ईमानदार प्रयासों को सराहे ! क्योंकि याद रखना एक दिन हर संघर्षशील व्यक्ति का अज्ञातवास खत्म होगा।
यही नियति है।
यही समय का चक्र है।
यही महाभारत की भी सीख है!
🙏🏻🙏🏻
संदीप सिंघल अग्रवाल
प्रतिवर्ष किसकी स्मृति में 13 फरवरी को महिला दिवस मनाया जाता है ?
Anonymous Quiz
21%
इन्दिरा गाँधी की
30%
लक्ष्मीबाई की
47%
सरोजिनी नायडू की
3%
कमल नेहरू की
राधा
कष्ट सहकर हर पल मुस्कुराती राधा
कृष्ण के ख़्यालों में खोयीं राधा
कृष्ण कभी पूर्ण न हो पाये जिनके बिना
वही सार हैं राधा
कृष्ण की मुरली की तान में विराजती राधा
तभी तो प्रेम का विशुद्ध रूप हैं
श्री राधा ❤
Writer - Unknown
#copied
कष्ट सहकर हर पल मुस्कुराती राधा
कृष्ण के ख़्यालों में खोयीं राधा
कृष्ण कभी पूर्ण न हो पाये जिनके बिना
वही सार हैं राधा
कृष्ण की मुरली की तान में विराजती राधा
तभी तो प्रेम का विशुद्ध रूप हैं
श्री राधा ❤
Writer - Unknown
#copied
"" मां""
आज फेसबुक के माध्यम से ही एक चित्र देखने को मिला पता नहीं किसका था ?
पर चित्र देखकर खुद को रोक नहीं पाया, सोचने से मन में भाव आ रहे थे पर इस चित्र ने इतना अधिक विचलित कर दिया था कि उन्हें शब्द रूप नहीं दे पा रहा था।
मैं अब जाकर कुछ टूटे-फूटे शब्द लिख रहा हूँ जिनका भी बनाया हुआ ये चित्र है उनकी अनुमति के बिना इस चित्र को प्रयोग कर रहा हूँ। इस रचना में परमिशन बिना इस चित्र के ये रचना अधूरी है ।।।,,
मेरे दूध का कर्ज़ मेरे ही खून से चुकाते हो कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहाते हो हर वक्त मेरे सीने पर नज़र तुम जमाते हो इस सीने में छुपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो एक औरत ने जन्मा, पाला-पोसा है तुम्हें बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो तेरे हर एक आँसू पर हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती हूँ मैं क्यों तुम मेरे हजार आँसू भी नहीं देख पाते हो हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते
हो....
~~~जय जननी~~~
लेखक : अज्ञात
आज फेसबुक के माध्यम से ही एक चित्र देखने को मिला पता नहीं किसका था ?
पर चित्र देखकर खुद को रोक नहीं पाया, सोचने से मन में भाव आ रहे थे पर इस चित्र ने इतना अधिक विचलित कर दिया था कि उन्हें शब्द रूप नहीं दे पा रहा था।
मैं अब जाकर कुछ टूटे-फूटे शब्द लिख रहा हूँ जिनका भी बनाया हुआ ये चित्र है उनकी अनुमति के बिना इस चित्र को प्रयोग कर रहा हूँ। इस रचना में परमिशन बिना इस चित्र के ये रचना अधूरी है ।।।,,
मेरे दूध का कर्ज़ मेरे ही खून से चुकाते हो कुछ इस तरह तुम अपना पौरुष दिखाते हो दूध पीकर मेरा तुम इस दूध को ही लजाते हो वाह रे पौरुष तेरा तुम खुद को पुरुष कहाते हो हर वक्त मेरे सीने पर नज़र तुम जमाते हो इस सीने में छुपी ममता क्यों देख नहीं पाते हो एक औरत ने जन्मा, पाला-पोसा है तुम्हें बड़े होकर ये बात क्यों भूल जाते हो तेरे हर एक आँसू पर हज़ार खुशियाँ कुर्बान कर देती हूँ मैं क्यों तुम मेरे हजार आँसू भी नहीं देख पाते हो हवस की खातिर आदमी होकर क्यों नर पिशाच बन जाते हो हमें मर्यादा सिखाने वालों तुम अपनी मर्यादा क्यों भूल जाते
हो....
~~~जय जननी~~~
लेखक : अज्ञात
दिन कुछ ऐसेे गुजारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
दिल में कुछ यूँ संभालता हूं गम ,
जैसे जेवर संभालता है कोई ।
आईना देखकर तसल्ली हुई ,
हमको इस घर में जानता है कोई ।
🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐
जैसे एहसान उतारता है कोई।
दिल में कुछ यूँ संभालता हूं गम ,
जैसे जेवर संभालता है कोई ।
आईना देखकर तसल्ली हुई ,
हमको इस घर में जानता है कोई ।
🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐
शाखें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आऐंगे,
🍁 🍂 🍃 💐
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएंगे ।
लेखक :- अज्ञात
🍁 🍂 🍃 💐
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएंगे ।
लेखक :- अज्ञात
उस लड़के की तस्वीर देखी आपने? वही दो-तीन साल का छोटा बच्चा, जिसे वैष्णों माता की यात्रा के दौरान बस रोक कर आतंकियों ने मार दिया। आपने देखा? नहीं देखे होंगे जी। बच्चा सीरिया, तुर्की या फिलिस्तीन का होता तो आज भारतीय बुद्धिजीवी तड़प उठे होते, और हम आप भी उसपर प्रतिक्रिया दे रहे होते, पर इसके लिए कहीं कोई संवेदना नहीं है।
चार दिन पहले भारत के सैकड़ों प्रभावशाली लोग फिलिस्तीन के लिए रो रहे थे। ऑल आइज आर फलाँ फलाँ... सिनेमा की अभिनेत्रियां, खिलाड़ियों की पत्नियां... सबकी प्रोफ़ाइल उस तस्वीर से भर गई थी। इस बच्चे के लिए कहीं कोई संवेदना नहीं, कहीं कोई शोक नहीं, प्रतिक्रिया का कोई स्वर नहीं... जबतक सामने टुकड़े न फेंके जाय, तबतक वे क्यों बोलेंगे? उनके लिए तो संवेदना भी धंधा ही है।
पर हम आप क्या कर रहे हैं? हमारे वे प्रतिनिधि क्या कर रहे हैं जिन्हें अभी कल ही चुना है हमने! किसी की वाल पर दिखी उस बच्चे की तस्वीर? हिंदुत्व केवल वोट के समय याद आएगा? राष्ट्र की सुरक्षा केवल चुनावी विषय है क्या?
अवैध तरीके से किसी देश में घुसने का प्रयास करते लोग जब नाव पलट जाने के कारण डूब गए, तो उनके एक बच्चे की तस्वीर दिखा कर समूची मानव जाति को दोषी करार देते रहे लोग! उस बच्चे की तस्वीर आपके फोन में भी होगी कहीं... पर इस बच्चे को उसी के देश में मार दिया गया है, और कहीं कोई चर्चा नहीं...
चार लोगों द्वारा सरकार से सवाल पूछ कर चुप हो जाने से काम नहीं चलता दोस्त! और सरकार से ही कितने लोग पूछ रहे हैं? वह तस्वीर कितनों की प्रोफाइल पर लगी है? उस विषय पर कितने लोग बोल रहे हैं?
देखिये! आपको इस घटना के लिए जो भी दोषी लगे उससे ही सवाल पूछिये, पर पूछिये। यदि फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत भर में हल्ला हो सकता है, तो भारत के मुद्दे पर क्या हम सवाल भी नहीं पूछ सकते?
मैं किसी को कठघरे में खड़ा नहीं कर रहा, आप खुद तय करिए। मैं बस यह कह रहा हूँ कि बोलिये। अगर इस बच्चे के लिए नहीं बोल पा रहे हैं आप, तो फिर विचारधारा और राष्ट्र, सुरक्षा, भविष्य आदि बेकार बातें हैं। कोई मतलब नहीं है आपकी किसी भी बात का...
बोलो दोस्त! उस बच्चे के लिए नहीं, अपने लिए। अपने भविष्य के लिए! अपने देश के लिए! वरना किसी भी मुद्दे पर तुम्हारे बोलने का कोई अर्थ नहीं।
चार दिन पहले भारत के सैकड़ों प्रभावशाली लोग फिलिस्तीन के लिए रो रहे थे। ऑल आइज आर फलाँ फलाँ... सिनेमा की अभिनेत्रियां, खिलाड़ियों की पत्नियां... सबकी प्रोफ़ाइल उस तस्वीर से भर गई थी। इस बच्चे के लिए कहीं कोई संवेदना नहीं, कहीं कोई शोक नहीं, प्रतिक्रिया का कोई स्वर नहीं... जबतक सामने टुकड़े न फेंके जाय, तबतक वे क्यों बोलेंगे? उनके लिए तो संवेदना भी धंधा ही है।
पर हम आप क्या कर रहे हैं? हमारे वे प्रतिनिधि क्या कर रहे हैं जिन्हें अभी कल ही चुना है हमने! किसी की वाल पर दिखी उस बच्चे की तस्वीर? हिंदुत्व केवल वोट के समय याद आएगा? राष्ट्र की सुरक्षा केवल चुनावी विषय है क्या?
अवैध तरीके से किसी देश में घुसने का प्रयास करते लोग जब नाव पलट जाने के कारण डूब गए, तो उनके एक बच्चे की तस्वीर दिखा कर समूची मानव जाति को दोषी करार देते रहे लोग! उस बच्चे की तस्वीर आपके फोन में भी होगी कहीं... पर इस बच्चे को उसी के देश में मार दिया गया है, और कहीं कोई चर्चा नहीं...
चार लोगों द्वारा सरकार से सवाल पूछ कर चुप हो जाने से काम नहीं चलता दोस्त! और सरकार से ही कितने लोग पूछ रहे हैं? वह तस्वीर कितनों की प्रोफाइल पर लगी है? उस विषय पर कितने लोग बोल रहे हैं?
देखिये! आपको इस घटना के लिए जो भी दोषी लगे उससे ही सवाल पूछिये, पर पूछिये। यदि फिलिस्तीन के मुद्दे पर भारत भर में हल्ला हो सकता है, तो भारत के मुद्दे पर क्या हम सवाल भी नहीं पूछ सकते?
मैं किसी को कठघरे में खड़ा नहीं कर रहा, आप खुद तय करिए। मैं बस यह कह रहा हूँ कि बोलिये। अगर इस बच्चे के लिए नहीं बोल पा रहे हैं आप, तो फिर विचारधारा और राष्ट्र, सुरक्षा, भविष्य आदि बेकार बातें हैं। कोई मतलब नहीं है आपकी किसी भी बात का...
बोलो दोस्त! उस बच्चे के लिए नहीं, अपने लिए। अपने भविष्य के लिए! अपने देश के लिए! वरना किसी भी मुद्दे पर तुम्हारे बोलने का कोई अर्थ नहीं।
सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे... छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, .. मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे.. कब तक आस लगाओगी तुम कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे...
#justice
#justice
सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे...
छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, .. मस्तक सब बिक जाएंगे
सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे..
कब तक आस लगाओगी तुम कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे... 😢
छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, .. मस्तक सब बिक जाएंगे
सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे..
कब तक आस लगाओगी तुम कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्रौपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे... 😢
उससे इश्क़ होना ही मशहूर किस्सा था मेरी ज़िंदगी का, ,❣️
#copied
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