आज बाड़मेर में पेपर आउट के विरुद्ध शांतिपूर्ण तरीक़े से विशाल जुलूस निकाला गया .. बड़ी संख्या में हर पीड़ित अभ्यर्थी ने भाग लिया .. हज़ारों की संख्या में युवाशक्ति ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया .. मुझे गर्व है कि मेरे बाड़मेर के युवा ने अनुशासन और संस्कारों का परिचय देते हुए पूरी तहज़ीब बनाकर रखी .. बाड़मेर के गुरुजनों , शिक्षक संघों का भी धन्यवाद की सभी ने भाग लिया .. काश इसी प्रकार का प्रदर्शन अन्य ज़िलों में भी होता .. ख़ैर बाड़मेर ने अपना काम अवश्य कर लिया है .. और आगे भी हम तैयार है ..
आज के इस पूरे कार्यक्रम में अनुशासन बनाये रखने , मंच का पूर्ण संचालन करने तथा पूरे आंदोलन में मैं अभ्यर्थियों के साथ रहा यह मेरा सौभाग्य था .. और मैं मेरे अभ्यर्थियों के लिए हमेशा साथ खड़ा रहूँगा ..
धन्यवाद बाड़मेर .. आज के जुलूस की कुछ झलकियाँ …
१. पहले फोटो में हम सब स्टेडियम में पहुँचने का है ..
२,३,४- मेरे द्वारा कार्यक्रम संचालन का है ..
आज के इस पूरे कार्यक्रम में अनुशासन बनाये रखने , मंच का पूर्ण संचालन करने तथा पूरे आंदोलन में मैं अभ्यर्थियों के साथ रहा यह मेरा सौभाग्य था .. और मैं मेरे अभ्यर्थियों के लिए हमेशा साथ खड़ा रहूँगा ..
धन्यवाद बाड़मेर .. आज के जुलूस की कुछ झलकियाँ …
१. पहले फोटो में हम सब स्टेडियम में पहुँचने का है ..
२,३,४- मेरे द्वारा कार्यक्रम संचालन का है ..
Syllabus - NET JRF.pdf
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SET-2023 पाठ्यक्रम..
19 मार्च को सेट प्रस्तावित है , इसका पाठ्यक्रम हुबहू नेट के पाठ्यक्रम को रखा है .. यह फाइल आप प्रिंट करवा सकते हो .. नेट, सेट की अलग से तैयारी नहीं करनी होगी .. जिनके नेट हो रखी है उनके लिए सेट की अवश्यकता तो नहीं है मगर एक परीक्षा के अभ्यास हेतु आप इसका फॉर्म ज़रूर भरे .. और जिनके नेट नहीं है वो तो इसकी तैयारी भी करें ताकि नेट की क्षतिपूर्ति सेट करेगा .
शुभकामनाएँ..
19 मार्च को सेट प्रस्तावित है , इसका पाठ्यक्रम हुबहू नेट के पाठ्यक्रम को रखा है .. यह फाइल आप प्रिंट करवा सकते हो .. नेट, सेट की अलग से तैयारी नहीं करनी होगी .. जिनके नेट हो रखी है उनके लिए सेट की अवश्यकता तो नहीं है मगर एक परीक्षा के अभ्यास हेतु आप इसका फॉर्म ज़रूर भरे .. और जिनके नेट नहीं है वो तो इसकी तैयारी भी करें ताकि नेट की क्षतिपूर्ति सेट करेगा .
शुभकामनाएँ..
वैसे मैं प्रचार और प्रमोशन का काम कम ही
करता हूँ .. मगर कई बार कोई यूनिक होता है तब सूचना रूपी प्रमोट करना निःस्वार्थ मेहनत करने वाले शिक्षक गण हेतु हौसलाअफ़जाई भी है और स्टूडेंट्स तक सही विषयवस्तु पहुँचाना कर्तव्य भी … सुरेन्द्र जी राजपुरोहित राजनीति विज्ञान के व्याख्याता है और यूट्यूब पर NCERT की राजव्यवस्था भाग बहुत ही बढ़िया तरीक़े से पढ़ा रहे .. बेहतरीन विश्लेषण , समग्रता लिए हुए अध्ययन सामग्री , विषयवस्तु को समसामयिक से जोड़कर अद्यतन करके और सारगर्भित तरीक़े से विद्यार्थियों तक पहुँचाने का कार्य कर रहे .. इस हेतु मैं आपका साधुवाद करता हूँ .. आप सुरेंद्र जी का चैनल एक बार ज़रूर देखें आपके लिए लाभदायक होगा .. लिंक दे रहा हूँ ..
👇यू ट्यूब चैनल का लिंक
https://youtube.com/@SurendraSinghRajpurohitPolSci
👇 NCERT के वीडियो का लिंक
https://youtube.com/playlist?list=PLJ7LFEmi0BCaPI2fmgPiNTZi5tB0p9Kzn
करता हूँ .. मगर कई बार कोई यूनिक होता है तब सूचना रूपी प्रमोट करना निःस्वार्थ मेहनत करने वाले शिक्षक गण हेतु हौसलाअफ़जाई भी है और स्टूडेंट्स तक सही विषयवस्तु पहुँचाना कर्तव्य भी … सुरेन्द्र जी राजपुरोहित राजनीति विज्ञान के व्याख्याता है और यूट्यूब पर NCERT की राजव्यवस्था भाग बहुत ही बढ़िया तरीक़े से पढ़ा रहे .. बेहतरीन विश्लेषण , समग्रता लिए हुए अध्ययन सामग्री , विषयवस्तु को समसामयिक से जोड़कर अद्यतन करके और सारगर्भित तरीक़े से विद्यार्थियों तक पहुँचाने का कार्य कर रहे .. इस हेतु मैं आपका साधुवाद करता हूँ .. आप सुरेंद्र जी का चैनल एक बार ज़रूर देखें आपके लिए लाभदायक होगा .. लिंक दे रहा हूँ ..
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YouTube
NCERT । कक्षा-12 । स्वतंत्र भारत में राजनीति
इस प्ले लिस्ट में कक्षा-12 NCERT के 26 वीडियो है जिसमें बोर्ड परीक्षा एवं प्रतियोगी को ध्यान में रखकर सम्पूर्ण कोर्स करवाया गया है....यह वीडियो आपके लिए अत्य...
सलाह ..
प्रभावी तैयारी करने वाले अभ्यर्थी को सोशल साइट्स के ऐसे सभी ग्रुप से दूर रहना चाहिए जो कट ऑफ के अनुमान के खेल से जुड़े है या परीक्षाओं को आगे बढ़ाने और विभिन्न प्रकार के संघर्ष के नाम पर बने है .. ये आपकी पूरी ऊर्जा नष्ट कर देंगे . ये आपको मानसिक अशांत कर देंगे … यहाँ ऐसी बातों पर चर्चा होगी जिनका वास्तविकता में कोई अस्तित्व नहीं है इनके चर्चाएँ रहती हैं जैसे वो परीक्षा रद्द हो जाएगी , इतने सवाल अंतिम उतर कुंजी में डिलीट हो जाएँगे , सब जगह नक़ल ही नक़ल है इत्यादि …
एक दो दिन पहले मुझे इतिहास के किसी ग्रुप में जोड़ा गया , पिछले दो दिन से उस ग्रुप में सिर्फ़ कट ऑफ पर ही लड़ाई हो रही है .. जिनका स्कोर कम है वो कट ऑफ कम रखना चाहते है इस हेतु वो हर प्रकार का तर्क भी देते है और उन विद्वानों के अनुमान जिन्होंने कट ऑफ कम बतायी है उनके संदर्भ रखें रहे है … जिनका स्कोर अधिक है उनको इस प्रकार डराया जाएगा की अंतिम उतर कुंजी में बड़ा फेरबदल होगा और आप भी सुरक्षित नहीं है .. इस प्रकार अधिक और कम सब स्कोर वाले निरर्थक तनाव में है ..
अधिकांश अभ्यर्थी अपना समय ख़राब कर रहे , वो भी ऐसे समय जब अध्यापक की परीक्षा को पचास दिन रहे है , आगामी नेट / सेट परीक्षा सामने है .. प्रोफ़ेसर भर्ती / व्याख्याता भर्ती और वरिष्ठ अध्यापक भर्तियाँ तैयार है … आपको सिर्फ़ इतना समझना चाहिए कि आप जो ओएमआर में करके आये है उनको अब कोई बदल नहीं सकता और कट ऑफ का किसी को नहीं पता रहता है बस सब अनुमान लगाते है .. इसलिए आगामी तैयारी पर ध्यान देना चाहिए .. ध्यान रहे आप जिस समय व्यर्थ की चर्चाएँ कर रहे होते है उस समय कोई पढ़ रहा होता है … बाक़ी आजकल सब अभ्यर्थी अत्यधिक समझदार है .. फिर भी अनुभव साझा करना अपना कर्तव्य समझता हूँ …
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
प्रभावी तैयारी करने वाले अभ्यर्थी को सोशल साइट्स के ऐसे सभी ग्रुप से दूर रहना चाहिए जो कट ऑफ के अनुमान के खेल से जुड़े है या परीक्षाओं को आगे बढ़ाने और विभिन्न प्रकार के संघर्ष के नाम पर बने है .. ये आपकी पूरी ऊर्जा नष्ट कर देंगे . ये आपको मानसिक अशांत कर देंगे … यहाँ ऐसी बातों पर चर्चा होगी जिनका वास्तविकता में कोई अस्तित्व नहीं है इनके चर्चाएँ रहती हैं जैसे वो परीक्षा रद्द हो जाएगी , इतने सवाल अंतिम उतर कुंजी में डिलीट हो जाएँगे , सब जगह नक़ल ही नक़ल है इत्यादि …
एक दो दिन पहले मुझे इतिहास के किसी ग्रुप में जोड़ा गया , पिछले दो दिन से उस ग्रुप में सिर्फ़ कट ऑफ पर ही लड़ाई हो रही है .. जिनका स्कोर कम है वो कट ऑफ कम रखना चाहते है इस हेतु वो हर प्रकार का तर्क भी देते है और उन विद्वानों के अनुमान जिन्होंने कट ऑफ कम बतायी है उनके संदर्भ रखें रहे है … जिनका स्कोर अधिक है उनको इस प्रकार डराया जाएगा की अंतिम उतर कुंजी में बड़ा फेरबदल होगा और आप भी सुरक्षित नहीं है .. इस प्रकार अधिक और कम सब स्कोर वाले निरर्थक तनाव में है ..
अधिकांश अभ्यर्थी अपना समय ख़राब कर रहे , वो भी ऐसे समय जब अध्यापक की परीक्षा को पचास दिन रहे है , आगामी नेट / सेट परीक्षा सामने है .. प्रोफ़ेसर भर्ती / व्याख्याता भर्ती और वरिष्ठ अध्यापक भर्तियाँ तैयार है … आपको सिर्फ़ इतना समझना चाहिए कि आप जो ओएमआर में करके आये है उनको अब कोई बदल नहीं सकता और कट ऑफ का किसी को नहीं पता रहता है बस सब अनुमान लगाते है .. इसलिए आगामी तैयारी पर ध्यान देना चाहिए .. ध्यान रहे आप जिस समय व्यर्थ की चर्चाएँ कर रहे होते है उस समय कोई पढ़ रहा होता है … बाक़ी आजकल सब अभ्यर्थी अत्यधिक समझदार है .. फिर भी अनुभव साझा करना अपना कर्तव्य समझता हूँ …
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
अध्यापक टेस्ट सीरीज में स्कोर कम हो रहा सर ? सर पता ही नहीं चल रहा की अध्यापक भर्ती का कितना पाठ्यक्रम हुआ और आगामी समय में कैसे इसको मेनेज करें ?
ऐसे सवालों पर आज शाम को 7 बजे लाइव रहूँगा .. 😊
ऐसे सवालों पर आज शाम को 7 बजे लाइव रहूँगा .. 😊
✍️🇮🇳शहीद दिवस......
दिन आज ही का था,वर्ष 1948 था, समय सांय 5.17 मिनट। दिल्ली का बिड़ला मन्दिर प्रार्थना का नित्य समय, गाँधी जी मनुबेन और आभा चटर्जी के मध्य मध्यम गति से चलते हुए मन्दिर की और बढ़ रहे थे, पहले से नित्य समय से 10 मिनट की देरी में भी थे, तभी एक खाकी पोशाक पहने हुए एक युवा नाथूराम विनायक गोडसे आता है और पैर छूकर, पुनः खड़ा होकर इटेलियन मेड बरेटा M 1934 ऑटोमेटिक पिस्तौल .. जिसे ग्वालियर के हथियारों के अनधिकृत विक्रेता से खरीदा गया था ,से तीन गोलियाँ दागी जाती है... जिससे गाँधी जी उसी स्थान पर 5 मिनट के भीतर प्राणत्याग देते हैं। उनकी अस्थियों के अंतिम अवशेष लगभग 62 साल बाद 30 जनवरी 2010 को डरबन के समुद्र में प्रवाहित किये गए।
भारत स्थित अमेरिकी दूतावास के अमरीकी डिस्बरसिंग अधिकारी हर्बट टॉम रेनर जो कि गांधीजी के दर्शन के लिए उस दिन आये थे.. ने नाथूराम गोडसे को अपनी गिरफ्त में लिया... औऱ पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया...पुलिस ने गोडसे सहित कई अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया। जिसमें से 8 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ, 5 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा दी तो नाथूराम गोडसे तथा नारायण आप्टे को अम्बाला जेल में 15 नवम्बर,1949 को फांसी पर लटका दिया, औऱ सावरकर को साक्ष्यों के अभाव में बरी करना पड़... गांधीजी की हत्या के बाद महाराष्ट्र क्षेत्र में दंगे हुए कई ब्राह्मणों के घर जला दिए गए,सैंकड़ों की हत्या कर दी गयी।
गांधी जी की हत्या के बाद नन्दलाल मेहता द्वारा दर्ज़ एफआईआर के मुताबिक़ उनके मुख से निकला अन्तिम शब्द 'हे राम' था। लेकिन स्वतन्त्रता सेनानी और गांधी जी के निजी सचिव के तौर पर काम कर चुके वी० कल्याणम् का दावा है कि यह बात सच नहीं है। उस घटना के वक़्त गांधी जी के ठीक पीछे खड़े कल्याणम् ने कहा कि गोली लगने के बाद गाँधी जी के मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। वर्तमान में आम आदमी पार्टी से जुड़े है कल्याणम..
गोडसे का सम्बंध हिन्दू महासभा से जोड़ा गया तथा आप्टे रॉयल एयरफोर्स के ऑफिसर थे , द्वितीय विश्वयुद्ध में उन्होंने लड़ा था। गोडसे और आप्टे का ट्रायल सार्वजनिक चला था, लेकिन गोडसे द्वारा दिये गए कोर्ट में स्टेटमेंट को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिए। बाद में गोपाल गोडसे जोकि इस मामले में सहअभियुक्त थे ,ने आजीवन कारावास की सज़ा काटने के बाद " मैंने गांधी को क्यों मारा" नामक किताब लिखकर गोडसे के स्टेटमेंट को जनता के सामने लाया।
1964 में गांधीजी की हत्या के अभियुक्त जेल से रिहा कर दिए गए। उसके बाद मुंबई पुणे क्षेत्र में इस बात को लेकर विरोध और तनाव का माहौल बनने लग गया कि गजानंद विश्वनाथ केतकर को हत्या की साज़िश का पता था। तनाव को शांत करने के लिए पाठक आयोग बैठा, लेकिन पाठक के केंद्रीय मंत्री बनने के कारण 1966 में जीवन लाल कपूर आयोग बिठाया जिसने 1969 में अपनी रपट प्रस्तुत की।जिसमे गांधीजी की हत्या के पीछे कई सुरक्षा कमियां बताई।
वर्ष 2016 में पंकज फड़नीस ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की कि महात्मा गांधी की हत्या का केस वापस खोला जाए, लेकिन न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी। ऐसे में पंकज फड़नीस ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करके कहा कि गांधीजी की हत्या के पीछे एक दूसरी थ्योरी जिम्मेदार है, जो जनता के सामने आनी चाहिए, यह थ्योरी थी 4 गोली की। इनके अनुसार 3 गोलियां गोडसे ने चलाई थी, लेकिन चौथी गोली किसी और ने चलाई थी,जिससे गांधीजी की मृत्यु हुई। इनको संज्ञान में लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अमरेन्द्र सरन की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया। इस पैनल ने चौथी गोली के इस सिद्धांत को दिसंबर,2017 में सिरे से खारिज कर दिया।
"अगर मुझे किसी पागल आदमी की गोली से भी मरना हो तो मुझे मुस्कराते हुए मरना चाहिये। मेरे दिलो-जुबान पर सिर्फ़ भगवान का ही नाम होना चाहिये। और अगर ऐसा कुछ होता है तो तुम लोगों को आँसू का एक कतरा भी नहीं बहाना।"
– मोहनदास करमचन्द गान्धी 28 जनवरी 1948
💐गांधीजी को नमन💐
✍️गणपत सिंह राजपुरोहित
दिन आज ही का था,वर्ष 1948 था, समय सांय 5.17 मिनट। दिल्ली का बिड़ला मन्दिर प्रार्थना का नित्य समय, गाँधी जी मनुबेन और आभा चटर्जी के मध्य मध्यम गति से चलते हुए मन्दिर की और बढ़ रहे थे, पहले से नित्य समय से 10 मिनट की देरी में भी थे, तभी एक खाकी पोशाक पहने हुए एक युवा नाथूराम विनायक गोडसे आता है और पैर छूकर, पुनः खड़ा होकर इटेलियन मेड बरेटा M 1934 ऑटोमेटिक पिस्तौल .. जिसे ग्वालियर के हथियारों के अनधिकृत विक्रेता से खरीदा गया था ,से तीन गोलियाँ दागी जाती है... जिससे गाँधी जी उसी स्थान पर 5 मिनट के भीतर प्राणत्याग देते हैं। उनकी अस्थियों के अंतिम अवशेष लगभग 62 साल बाद 30 जनवरी 2010 को डरबन के समुद्र में प्रवाहित किये गए।
भारत स्थित अमेरिकी दूतावास के अमरीकी डिस्बरसिंग अधिकारी हर्बट टॉम रेनर जो कि गांधीजी के दर्शन के लिए उस दिन आये थे.. ने नाथूराम गोडसे को अपनी गिरफ्त में लिया... औऱ पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया...पुलिस ने गोडसे सहित कई अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया। जिसमें से 8 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ, 5 लोगों को आजीवन कारावास की सज़ा दी तो नाथूराम गोडसे तथा नारायण आप्टे को अम्बाला जेल में 15 नवम्बर,1949 को फांसी पर लटका दिया, औऱ सावरकर को साक्ष्यों के अभाव में बरी करना पड़... गांधीजी की हत्या के बाद महाराष्ट्र क्षेत्र में दंगे हुए कई ब्राह्मणों के घर जला दिए गए,सैंकड़ों की हत्या कर दी गयी।
गांधी जी की हत्या के बाद नन्दलाल मेहता द्वारा दर्ज़ एफआईआर के मुताबिक़ उनके मुख से निकला अन्तिम शब्द 'हे राम' था। लेकिन स्वतन्त्रता सेनानी और गांधी जी के निजी सचिव के तौर पर काम कर चुके वी० कल्याणम् का दावा है कि यह बात सच नहीं है। उस घटना के वक़्त गांधी जी के ठीक पीछे खड़े कल्याणम् ने कहा कि गोली लगने के बाद गाँधी जी के मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। वर्तमान में आम आदमी पार्टी से जुड़े है कल्याणम..
गोडसे का सम्बंध हिन्दू महासभा से जोड़ा गया तथा आप्टे रॉयल एयरफोर्स के ऑफिसर थे , द्वितीय विश्वयुद्ध में उन्होंने लड़ा था। गोडसे और आप्टे का ट्रायल सार्वजनिक चला था, लेकिन गोडसे द्वारा दिये गए कोर्ट में स्टेटमेंट को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिए। बाद में गोपाल गोडसे जोकि इस मामले में सहअभियुक्त थे ,ने आजीवन कारावास की सज़ा काटने के बाद " मैंने गांधी को क्यों मारा" नामक किताब लिखकर गोडसे के स्टेटमेंट को जनता के सामने लाया।
1964 में गांधीजी की हत्या के अभियुक्त जेल से रिहा कर दिए गए। उसके बाद मुंबई पुणे क्षेत्र में इस बात को लेकर विरोध और तनाव का माहौल बनने लग गया कि गजानंद विश्वनाथ केतकर को हत्या की साज़िश का पता था। तनाव को शांत करने के लिए पाठक आयोग बैठा, लेकिन पाठक के केंद्रीय मंत्री बनने के कारण 1966 में जीवन लाल कपूर आयोग बिठाया जिसने 1969 में अपनी रपट प्रस्तुत की।जिसमे गांधीजी की हत्या के पीछे कई सुरक्षा कमियां बताई।
वर्ष 2016 में पंकज फड़नीस ने मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की कि महात्मा गांधी की हत्या का केस वापस खोला जाए, लेकिन न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी। ऐसे में पंकज फड़नीस ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करके कहा कि गांधीजी की हत्या के पीछे एक दूसरी थ्योरी जिम्मेदार है, जो जनता के सामने आनी चाहिए, यह थ्योरी थी 4 गोली की। इनके अनुसार 3 गोलियां गोडसे ने चलाई थी, लेकिन चौथी गोली किसी और ने चलाई थी,जिससे गांधीजी की मृत्यु हुई। इनको संज्ञान में लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने अमरेन्द्र सरन की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया। इस पैनल ने चौथी गोली के इस सिद्धांत को दिसंबर,2017 में सिरे से खारिज कर दिया।
"अगर मुझे किसी पागल आदमी की गोली से भी मरना हो तो मुझे मुस्कराते हुए मरना चाहिये। मेरे दिलो-जुबान पर सिर्फ़ भगवान का ही नाम होना चाहिये। और अगर ऐसा कुछ होता है तो तुम लोगों को आँसू का एक कतरा भी नहीं बहाना।"
– मोहनदास करमचन्द गान्धी 28 जनवरी 1948
💐गांधीजी को नमन💐
✍️गणपत सिंह राजपुरोहित
इस बजट से सरकारी सेवा में आस लगाये बैठा हर युवा निराश हुआ है और यह निराशा स्वाभाविक भी है .. जब उम्मीदें हो और उनका अंश भी पूरा न हो तो दिल टूटने जैसा होता है।
अब अभ्यर्थियों का सवाल यह है कि “ क्या अब भर्ती आएगी?” तो इस पर बजट स्पीच के बिंदु संख्या 9 इस सवाल का जवाब दे रहा है कि “ इस वर्ष इस बजट में कोई नयी भर्ती नहीं है “ अर्थात नये पद सृजन नहीं किए है … मगर पिछले वर्षों की पेंडिंग भर्तियाँ जैसे असिस्टेंट प्रोफ़ेसर , एलडीसी , जेईएन जैसी कई विभागों की भर्तियाँ तो आएगी ही क्योंकि पिछले बजट की पेंडिंग है .. तो अभ्यर्थियों को इन भर्तियों को टारगेट करके लगे रहना चाहिए ..
अब बात करता हूँ शिक्षा विभाग की तो शिक्षा विभाग बड़ी संख्या में पद ख़ाली है तथा कई और विद्यालय क्रमोन्नत किए है तो स्वाभाविक सी बात है की भर्तियाँ तो आएगी और पूर्ण भी होगी .. जब तक स्कूल रहेगी तब तक भर्तियाँ आती रहेगी .. क्योंकि बजट में घोषित होता तो अभ्यर्थियों में जोश बनता , लेकिन घोषणा होती तो भी नवीन भर्तियाँ पूर्ण तो 2024 में ही होती …
अब आगे चुनाव है सभी दल अपने राजनीतिक घोषणा पत्र जारी करेंगे उनमें भर्तियों की घोषणा होगी और फ़रवरी 2024 के बजट में इनको मूर्त रूप दिया जाएगा और 2024 में भर्तियों का सिलसिला शुरू होगा । यह कड़वी सच्चाई है .. हमें इसे स्वीकार कर अपनी हालात और क्षमता के अनुरूप योजना बनाकर लग जाना चाहिए .. आप मानकर चलिए की आगामी भर्ती परीक्षा हेतु आपको 1.5 साल मिलेंगे … तो दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ लग जाए .. आपके ज्ञान के साथ धैर्य की परीक्षा है ये। हालाँकि कुछ लोग कहेंगे की इनको कोचिंग चलानी है इसलिए ऐसे कह रहे , तो वो अभ्यर्थी मेरी बात न सुने और जो ठीक लगे वो निर्णय लें .. मैंने मेरा मत व्यक्त किया है।
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
अब अभ्यर्थियों का सवाल यह है कि “ क्या अब भर्ती आएगी?” तो इस पर बजट स्पीच के बिंदु संख्या 9 इस सवाल का जवाब दे रहा है कि “ इस वर्ष इस बजट में कोई नयी भर्ती नहीं है “ अर्थात नये पद सृजन नहीं किए है … मगर पिछले वर्षों की पेंडिंग भर्तियाँ जैसे असिस्टेंट प्रोफ़ेसर , एलडीसी , जेईएन जैसी कई विभागों की भर्तियाँ तो आएगी ही क्योंकि पिछले बजट की पेंडिंग है .. तो अभ्यर्थियों को इन भर्तियों को टारगेट करके लगे रहना चाहिए ..
अब बात करता हूँ शिक्षा विभाग की तो शिक्षा विभाग बड़ी संख्या में पद ख़ाली है तथा कई और विद्यालय क्रमोन्नत किए है तो स्वाभाविक सी बात है की भर्तियाँ तो आएगी और पूर्ण भी होगी .. जब तक स्कूल रहेगी तब तक भर्तियाँ आती रहेगी .. क्योंकि बजट में घोषित होता तो अभ्यर्थियों में जोश बनता , लेकिन घोषणा होती तो भी नवीन भर्तियाँ पूर्ण तो 2024 में ही होती …
अब आगे चुनाव है सभी दल अपने राजनीतिक घोषणा पत्र जारी करेंगे उनमें भर्तियों की घोषणा होगी और फ़रवरी 2024 के बजट में इनको मूर्त रूप दिया जाएगा और 2024 में भर्तियों का सिलसिला शुरू होगा । यह कड़वी सच्चाई है .. हमें इसे स्वीकार कर अपनी हालात और क्षमता के अनुरूप योजना बनाकर लग जाना चाहिए .. आप मानकर चलिए की आगामी भर्ती परीक्षा हेतु आपको 1.5 साल मिलेंगे … तो दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ लग जाए .. आपके ज्ञान के साथ धैर्य की परीक्षा है ये। हालाँकि कुछ लोग कहेंगे की इनको कोचिंग चलानी है इसलिए ऐसे कह रहे , तो वो अभ्यर्थी मेरी बात न सुने और जो ठीक लगे वो निर्णय लें .. मैंने मेरा मत व्यक्त किया है।
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
यह २०२२-२३ के वित्त वर्ष की स्वीकृति है .. और ये पद 1.5 गुना होंगे .. और 2024 में ये परीक्षाएँ होगी .. 10 तारीख़ के मेरे आलेख में मैंने अभ्यर्थियों को समझाने का प्रयास भी किया था कि भर्तियाँ कभी बंद नहीं होगी बस देर हो सकती है … इसलिए हमें अपनी तैयारी को पूर्णता प्रदान करनी चाहिए … ख़ैर यह पत्र आज वायरल हो रहा है जो कि अभ्यर्थियों में उत्साह का संचार करेगा ..
उच्च शिक्षा विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन २०२२-२३ के पेज संख्या ३३ का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है … जिसमें असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के 1945 पदों के भर्ती प्रक्रिया की बात कही गई है .. यह पहले से प्रस्तावित है और मार्च-अप्रैल में भर्ती नोटिफिकेशन भी आ जाएगा .. यह भर्ती अभी चल रहे पैटर्न पर ही होगी अर्थात् पीएचडी और ऐकडेमिक इंडेक्स की आवश्यकता नहीं रहेगी .. यह कॉलेज विभाग आज तक की सबसे बड़ी भर्ती है और आगे भी इतनी बड़ी भर्ती मुश्किल है .. इसकी परीक्षा बहुत कम संभावना है की अक्टूबर में हो और बहुत अधिक संभावना है कि फ़रवरी/ मार्च २०२४ में आयोजित हो .. तो पात्र अभ्यर्थी बढ़िया से तैयारी शुरू कर देवें … अभी PG फाइनल ईयर के अभ्यर्थी भी इस भर्ती में पात्र हो जाएँगे …
शुभकामनाएँ
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
शुभकामनाएँ
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
अध्यापक भर्ती परीक्षा में ऋणात्मक अंकन से कैसे बचे ? और परीक्षा हाल में आपका व्यवहार .. विषय पर कल ( 15 February) मार्गदर्शन वीडियो बनाऊँगा … 👍 मन से पढ़ते रहे … और आगामी भर्तियों ( असिस्टेंट प्रोफ़ेसर , व्याख्याता , वरिष्ठ अध्यापक , अध्यापक ) को लेकर आपके विभिन्न सवालों के जवाब पर पर वीडियो 27 फ़रवरी को बनाऊँगा ।।