यूट्यूब की दुनियाँ में आये हुए आज 4 साल हो गये । हालाँकि ईमेल आईडी बहुत पहले की बनी थी तो चैनल का आरंभ ईमेल आईडी तिथि के अनुसार यूट्यूब तय करता है , तो यूट्यूब 2011 दिखा रहा होगा , मगर मेरा पहला वीडियो आज से ठीक चार साल पहले अपलोड किया था , इन चार वर्षों में स्वेच्छा से 2.15 लाख अभ्यर्थियों, साथियों ने चैनल को अपना माना । 40 बार लाइव आया , तो लगभग 110 के आसपास रिकॉर्ड वीडियो अपलोड किए जिन पर तक़रीबन 1 करोड़ व्यू आये , मैंने वीडियो ऐड बंद कर दी है कुछ समय से तो इसकी इनकम शून्य है ।
मुझे बेहद सुकून मिलता है जब यह सोचता हूँ कि मेरे जैसे साधारण बौद्धिकता और पृष्ठभूमि के व्यक्ति पर इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने भरोसा किया , मैं इस भरोसे को बनाये रखने के लिए हर दिन पूरा प्रयास करता रहता हूँ , ताकि कहीं पर भी मेरी विश्वसनीयता में कमी न आये , मैं आपकी हर जायज़ उम्मीद पर खरा उतरूँ ।
जब भी वीडियो अपलोड करता हूँ पूर्ण जिम्मेदारी के साथ बोलता हूँ , यथार्थ बोलता हूँ , मेरे से न उलुलजुलूल बातें हो पाती है , न आदर्शवादी बातें , न मीठी बातें होती हैं , न ही स्टूडेंट्स को भ्रमित करता हूँ , न अत्यधिक सक्रियता रख पाता हूँ , ये सब करके न करके बहुत खुश भी हूँ ।
आगे भी आप अपना प्रेम , स्नेह और भरोसा बनाये रखना , मैं आपको कभी निराश नहीं करूँगा । दिल की अन्तस्थ गहराइयों से आपका शुक्रिया ❣️
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
मुझे बेहद सुकून मिलता है जब यह सोचता हूँ कि मेरे जैसे साधारण बौद्धिकता और पृष्ठभूमि के व्यक्ति पर इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने भरोसा किया , मैं इस भरोसे को बनाये रखने के लिए हर दिन पूरा प्रयास करता रहता हूँ , ताकि कहीं पर भी मेरी विश्वसनीयता में कमी न आये , मैं आपकी हर जायज़ उम्मीद पर खरा उतरूँ ।
जब भी वीडियो अपलोड करता हूँ पूर्ण जिम्मेदारी के साथ बोलता हूँ , यथार्थ बोलता हूँ , मेरे से न उलुलजुलूल बातें हो पाती है , न आदर्शवादी बातें , न मीठी बातें होती हैं , न ही स्टूडेंट्स को भ्रमित करता हूँ , न अत्यधिक सक्रियता रख पाता हूँ , ये सब करके न करके बहुत खुश भी हूँ ।
आगे भी आप अपना प्रेम , स्नेह और भरोसा बनाये रखना , मैं आपको कभी निराश नहीं करूँगा । दिल की अन्तस्थ गहराइयों से आपका शुक्रिया ❣️
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
एक साथ दो डिग्री मान्य? राज्य सरकार आदेश | यूजीसी नियमावली | Ganpat Singh Rajpurohit Sir
https://youtu.be/6AgFcpyRTvQ
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एक साथ दो डिग्री मान्य? राज्य सरकार आदेश | यूजीसी नियमावली | Ganpat Singh Rajpurohit Sir
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Online Course Link -
School Lecturer (History) - http://on-app.in/app/oc/136350/tmlig
Assistant Professor (3rd Paper- General Studies of Rajasthan) - http://on-app.in/app/oc/275606/tmlig
Assistant Professor…
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सहायक आचार्य ( असिस्टेंट प्रोफ़ेसर ) भर्ती 2023 विज्ञापन जारी ।
शुभकामनाएँ❣️
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असिस्टेंट प्रोफ़ेसर तृतीय प्रश्न पत्र पाठ्यक्रम
Syllabus - Assistant Professor (COmplete).pdf
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असिस्टेंट प्रोफ़ेसर इतिहास पाठ्यक्रम
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25 मई को अनुभव के आधार पर अनुमान लगाया था कि जून में भर्ती आयेगी और oct में परीक्षा होगी और वो ही हुआ , और साथ में २ बातें और बतायी थी , इन दो बातों में उन सभी सवालों के जवाब है , जो अभ्यर्थी कल से पूछ रहे है 😊
इस खबर से विचलित नहीं होना है , क्योंकि नये पुराने नियमों का इलाज सरकार ने पहले ही कर रखा है , कोर्ट से भी कोई फ़ायदा नहीं मिलेगा नये नियमों के समर्थकों को । यद्यपि आयोग ने होम साइंस की पोस्ट दी नहीं , पदों में आरक्षण में त्रुटि की शिकायतें ज़रूर है जिसे ठीक भी कर दिया जाएगा । इससे भर्ती प्रक्रिया बाधित नहीं होगी । आप मेहनत करते रहे । 😊
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RAS 2023 भर्ती जारी ❣️
★1916 से लगी आग अभी तक बुझी नहीं: झरिया★
झरिया [धनबाद,झारखंड] में कोयला भंडारों का पता सबसे पहले 1894 में अंग्रेजों ने लगाया था, उनकी जरूरते पूरी करने के लिए। तब से आज तक निरन्तर झरिया में कोयला खनन जारी हैं। यहाँ थोड़ी सी खुदाई पर कोयला निकल आता हैं। यहाँ के लोगों का यही रोजगार हैं यही आजीविका हैं। अनुमान हैं कि यहां पर 2 अरब टन की मात्रा का कोयला भंडार हैं।
वर्ष 1916 में एक बार झरिया की किसी खान में मानवीय या प्राकृतिक कारण से आग लग गयी। धीरे धीरे यह आग धरातल के आंतरिक भागों में फैलती गयी, और इस प्रकार लगभग सम्पूर्ण क्षेत्रों में आग फैल गयी। यह आग 1916 से आज तक धधक रही हैं। इस आग से 3 करोड़ टन कोयला जलकर खाख हो चुका हैं। आगे यह आग कब तक रहेगी, कोई नहीं बता सकता।
इतनी मात्रा में कोयला जलने से न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा हैं,बल्कि जहरीली गैस जैसे कार्बन-मोनो-ऑक्साइड, सल्फर, आर्सेनिक निरन्तर रिसती रहती हैं। जिससे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर हो रहा हैं। हालात इतने खराब हैं कि यहां की जमीन इतनी गर्म हो चुकी हैं कि पैर रखने भर से जलन पैदा हो जाती हैं, नतीजा यह होने वाला हैं कि कभी पूरा शहर अग्नि में समा जाएगा, और 5 लाख की यहाँ की जनता। काल कवलित हो जाएगी।
ऐसा नहीं हैं कि यह सिर्फ भारत मे ही हैं ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे अमेरिका की सेंट्रिलय की आग ,ऑस्ट्रेलिया के बर्निंग माउंटेन की आग तो 6000 सालों से हैं। भारत सरकार ने जून 2017 में सरकार धनबाद-चंद्रपुरा रेलमार्ग पर 26 महत्वपूर्ण ट्रेनों का आवागमन बन्द कर चुकी है।
संजीव कृत "सावधान नीचे आग हैं" पुस्तक में इसका विस्तार से वर्णन हुआ हैं। पता नहीं क्यों पहली बाए मुझे इस बड़ी अंतरराष्ट्रीय त्रासदी के आगे विज्ञान लाचार नज़र आ रहा हैं। इसका भविष्य तो क्या होगा कुछ नहीं कह सकते,मगर अमेरिका के सेंट्रिलय की भांति 5 लाख जनता का पुनर्वास और विस्थापन चरण दर चरण करने का प्रयास करना चाहिए,हालांकि यह पुनर्वास व विस्थापन भी आग बुझाने के समान दुष्कर कार्य हैं ।
साभार
Ganpat Singh
झरिया [धनबाद,झारखंड] में कोयला भंडारों का पता सबसे पहले 1894 में अंग्रेजों ने लगाया था, उनकी जरूरते पूरी करने के लिए। तब से आज तक निरन्तर झरिया में कोयला खनन जारी हैं। यहाँ थोड़ी सी खुदाई पर कोयला निकल आता हैं। यहाँ के लोगों का यही रोजगार हैं यही आजीविका हैं। अनुमान हैं कि यहां पर 2 अरब टन की मात्रा का कोयला भंडार हैं।
वर्ष 1916 में एक बार झरिया की किसी खान में मानवीय या प्राकृतिक कारण से आग लग गयी। धीरे धीरे यह आग धरातल के आंतरिक भागों में फैलती गयी, और इस प्रकार लगभग सम्पूर्ण क्षेत्रों में आग फैल गयी। यह आग 1916 से आज तक धधक रही हैं। इस आग से 3 करोड़ टन कोयला जलकर खाख हो चुका हैं। आगे यह आग कब तक रहेगी, कोई नहीं बता सकता।
इतनी मात्रा में कोयला जलने से न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा हैं,बल्कि जहरीली गैस जैसे कार्बन-मोनो-ऑक्साइड, सल्फर, आर्सेनिक निरन्तर रिसती रहती हैं। जिससे स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर हो रहा हैं। हालात इतने खराब हैं कि यहां की जमीन इतनी गर्म हो चुकी हैं कि पैर रखने भर से जलन पैदा हो जाती हैं, नतीजा यह होने वाला हैं कि कभी पूरा शहर अग्नि में समा जाएगा, और 5 लाख की यहाँ की जनता। काल कवलित हो जाएगी।
ऐसा नहीं हैं कि यह सिर्फ भारत मे ही हैं ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे अमेरिका की सेंट्रिलय की आग ,ऑस्ट्रेलिया के बर्निंग माउंटेन की आग तो 6000 सालों से हैं। भारत सरकार ने जून 2017 में सरकार धनबाद-चंद्रपुरा रेलमार्ग पर 26 महत्वपूर्ण ट्रेनों का आवागमन बन्द कर चुकी है।
संजीव कृत "सावधान नीचे आग हैं" पुस्तक में इसका विस्तार से वर्णन हुआ हैं। पता नहीं क्यों पहली बाए मुझे इस बड़ी अंतरराष्ट्रीय त्रासदी के आगे विज्ञान लाचार नज़र आ रहा हैं। इसका भविष्य तो क्या होगा कुछ नहीं कह सकते,मगर अमेरिका के सेंट्रिलय की भांति 5 लाख जनता का पुनर्वास और विस्थापन चरण दर चरण करने का प्रयास करना चाहिए,हालांकि यह पुनर्वास व विस्थापन भी आग बुझाने के समान दुष्कर कार्य हैं ।
साभार
Ganpat Singh
आज से ठीक 2 साल पहले , 3 जुलाई 2021 को मेरे जन्मदिन के अवसर पर ऑनलाइन शिक्षा की दुनियाँ में प्रवेश किया , इस हेतु प्लेटफार्म के रूप में History Point एप्लीकेशन बनाया । तत्पश्चात् इतिहास दर्शन भाग का पहला बैच लिया , फिर विश्व इतिहास , फिर स्कूल व्याख्याता , नेट और प्रोफ़ेसर के तीनों पेपर के बैच जो कि मेरे ड्रीम बैच है , लिए और बेहतरीन तरीक़े से आगे बढ़ाये ।
भारत भर के विद्यार्थियों का अद्भुत प्रेम , स्नेह और विश्वास मिला । आज तक़रीबन 45000 फ़ोन और टेबलेट में हिस्ट्री पॉइंट शोभा बढ़ा रहा है । अब महज़ ये एप्लीकेशन नहीं रहा , अब यह शिष्यों की भावनाओं से जुड़ गया है । इस ऐप पर हज़ारों घंटे मुझे देखने और सुनने वाले शिष्यों की मोहब्बत बन गया है । हालाँकि कुछ शिष्य, कुछ बड़े लोग इसके विरुद्ध होकर , दुष्प्रचार में भी कसर नहीं रखी , लेकिन कौन समझाए कि विद्यार्थियों की ताक़त क्या होती है ❣️ आप सभी के विश्वास को सदैव बनाये रखूँगा , और बेहतर करूँगा । गुरुनपूर्णिमा के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ 😊
शुभकामनाएँ और धन्यवाद
भारत भर के विद्यार्थियों का अद्भुत प्रेम , स्नेह और विश्वास मिला । आज तक़रीबन 45000 फ़ोन और टेबलेट में हिस्ट्री पॉइंट शोभा बढ़ा रहा है । अब महज़ ये एप्लीकेशन नहीं रहा , अब यह शिष्यों की भावनाओं से जुड़ गया है । इस ऐप पर हज़ारों घंटे मुझे देखने और सुनने वाले शिष्यों की मोहब्बत बन गया है । हालाँकि कुछ शिष्य, कुछ बड़े लोग इसके विरुद्ध होकर , दुष्प्रचार में भी कसर नहीं रखी , लेकिन कौन समझाए कि विद्यार्थियों की ताक़त क्या होती है ❣️ आप सभी के विश्वास को सदैव बनाये रखूँगा , और बेहतर करूँगा । गुरुनपूर्णिमा के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ 😊
शुभकामनाएँ और धन्यवाद
Dr Ganpat Singh Rajpurohit
इस खबर से विचलित नहीं होना है , क्योंकि नये पुराने नियमों का इलाज सरकार ने पहले ही कर रखा है , कोर्ट से भी कोई फ़ायदा नहीं मिलेगा नये नियमों के समर्थकों को । यद्यपि आयोग ने होम साइंस की पोस्ट दी नहीं , पदों में आरक्षण में त्रुटि की शिकायतें ज़रूर है जिसे ठीक…
कई बार कह चुका था पहले ही कि तैयारी पर ध्यान दें । पीएचडी ज़रूरी नहीं होगी । अब यूजीसी ने भी कह दिया है की यह वैकल्पिक है न कि अनिवार्य ।❣️
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर थर्ड पेपर ( राजस्थान अध्ययन ) की टेस्ट सीरीज आरंभ करने का निर्णय लिया है । RPSC पैटर्न पर आधारित होगी । इसका विस्तृत कार्यक्रम कल यहाँ शेयर किया जाएगा । 1 अगस्त से History Point पर करेंगे । 🙏
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर :2023 ( राजस्थान सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र ) की टेस्ट सीरीज जारी की है । आप इसे जॉइन कर सकते है । 1 अगस्त को पहला पेपर होगा और 15 Oct को आख़िरी पेपर होगा । इसका पूरा विवरण विस्तृत शेड्यूल में होगा जो संलग्न है ।
बैच जॉइन करने के लिए https://tmlig.on-app.in/app/oc/372772/tmlig इस लिंक पर जाएँ आप ।आप पूर्व बैच की भाँति इस टेस्ट सीरीज से भी संतुष्ट होंगे ।
शुक्रिया
बैच जॉइन करने के लिए https://tmlig.on-app.in/app/oc/372772/tmlig इस लिंक पर जाएँ आप ।आप पूर्व बैच की भाँति इस टेस्ट सीरीज से भी संतुष्ट होंगे ।
शुक्रिया
tmlig.on-app.in
TEST SERIES : Assistant Professor - तृतीय प्रश्न पत्र (राजस्थान का सामान्य अध्ययन)
प्रिय अभ्यर्थियों,
यह असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा के लिए तृतीय प्रश्न पत्र (राजस्थान का सामान्य अध्ययन) भाग के लिए ऑनलाइन TEST SERIES है। Online Test Series से जुड़कर आप घर बैठे मोबाइल एप्प में हमारे विषय-विशेषज्ञों द्वारा निर्मित टेस्ट को हल कर सकते…
यह असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा के लिए तृतीय प्रश्न पत्र (राजस्थान का सामान्य अध्ययन) भाग के लिए ऑनलाइन TEST SERIES है। Online Test Series से जुड़कर आप घर बैठे मोबाइल एप्प में हमारे विषय-विशेषज्ञों द्वारा निर्मित टेस्ट को हल कर सकते…
बेरोज़गारी के दौर में कुछ समय सी-स्कीम तथा महेश नगर फाटक ,जयपुर में रहा था , छोटे भाई की तरह Kheem Raj मेरे साथ में रहता था। आज भी किसी बच्चे को टेबल कुर्सी पर पढ़ते हुए देखता हूँ तब मुझे वो कमरा वापस याद आ जाता है , उस समय को बहुत याद करता हूँ । सोशल मीडिया के नाम पर ऑरकुट था मगर उस हेतु आज वाले मोबाइल नहीं थे , बल्कि कंप्यूटर पर खोलकर देखना होता था , नेट बहुत महँगा था एक Gb डेटा 98 रुपये के थे वो भी महज़ 27 दिन हेतु , ख़ैर मेरे से ये भी खर्च नहीं हो पाते थे ।
सुबह 6-7 बजे उठ जाते थे , फिर “दूध की थैली” लायी जाती , चाय बनाई जाती और फिर काँच की ग्लास भरी जाती , फिर पूरा अख़बार पढ़ा जाता चाय के साथ , ये ग़ज़ब नशा था । फिर पढ़ने बैठ जाते एक कुर्सी टेबल पर तो दूसरा फ़र्श पर बिछे हुए बिस्तर पर । कुछ समय बाद नास्ते के लिए या बाहर जाते या पोहे बना लेते या रात का कुछ बचा हुआ होता या लड्डू होते थे ,कैसे भी जुगाड़ हो जाता , फिर पढ़ने बैठ जाते , दोपहर में एक आटा लगाता तो दूसरा सब्ज़ी का काम , फिर भोजन करके फिर पढ़ने बैठ जाते , दिन में फिर थोड़ा सो भी लेते , 4 बजे चाय के बाद फिर पढ़ना शुरू , रात का भोजन बनाकर , खाकर , फिर थोड़ा बाहर टहलकर वापस आते और थोड़ा और पढ़ते और सो जाते ।
कोई किसी से संपर्क नहीं , कोई सोशल मीडिया नहीं , किसी को हमारे से उम्मीद नहीं , हमें किसी से उम्मीद नहीं , पढ़ने के नाम पर सिर्फ़ किताबें न कोई पीडीएफ़ न कोई कोर्स , भर्तियों की सूचनाओं के लिए केवल अख़बार , न कोई बेरोज़गार नेता न कोई तथाकथित अंदर तक की पहुँच बताने वाले संत थे , अभ्यास के नाम पुराने पेपर या कोई प्रैक्टिस सेट थे कोई टेस्ट सीरीज नहीं । मोटिवेशन के नाम पर कुछ पंक्तियाँ “ माँ सरस्वती अपने पर ऋण रखती नहीं है , “ घायल शेर का प्रहार भी भयानक होता है , जीता जग भी नहीं हारे हम भी नहीं , वक्त आने पर सबको जवाब देंगे “ बाक़ी यूट्यूब के मोटिवेर शेर उस समय थे नहीं 😅 वो ज्ञान आज भी काम आ रहा हैं।
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
सुबह 6-7 बजे उठ जाते थे , फिर “दूध की थैली” लायी जाती , चाय बनाई जाती और फिर काँच की ग्लास भरी जाती , फिर पूरा अख़बार पढ़ा जाता चाय के साथ , ये ग़ज़ब नशा था । फिर पढ़ने बैठ जाते एक कुर्सी टेबल पर तो दूसरा फ़र्श पर बिछे हुए बिस्तर पर । कुछ समय बाद नास्ते के लिए या बाहर जाते या पोहे बना लेते या रात का कुछ बचा हुआ होता या लड्डू होते थे ,कैसे भी जुगाड़ हो जाता , फिर पढ़ने बैठ जाते , दोपहर में एक आटा लगाता तो दूसरा सब्ज़ी का काम , फिर भोजन करके फिर पढ़ने बैठ जाते , दिन में फिर थोड़ा सो भी लेते , 4 बजे चाय के बाद फिर पढ़ना शुरू , रात का भोजन बनाकर , खाकर , फिर थोड़ा बाहर टहलकर वापस आते और थोड़ा और पढ़ते और सो जाते ।
कोई किसी से संपर्क नहीं , कोई सोशल मीडिया नहीं , किसी को हमारे से उम्मीद नहीं , हमें किसी से उम्मीद नहीं , पढ़ने के नाम पर सिर्फ़ किताबें न कोई पीडीएफ़ न कोई कोर्स , भर्तियों की सूचनाओं के लिए केवल अख़बार , न कोई बेरोज़गार नेता न कोई तथाकथित अंदर तक की पहुँच बताने वाले संत थे , अभ्यास के नाम पुराने पेपर या कोई प्रैक्टिस सेट थे कोई टेस्ट सीरीज नहीं । मोटिवेशन के नाम पर कुछ पंक्तियाँ “ माँ सरस्वती अपने पर ऋण रखती नहीं है , “ घायल शेर का प्रहार भी भयानक होता है , जीता जग भी नहीं हारे हम भी नहीं , वक्त आने पर सबको जवाब देंगे “ बाक़ी यूट्यूब के मोटिवेर शेर उस समय थे नहीं 😅 वो ज्ञान आज भी काम आ रहा हैं।
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित