संसद ने ‘ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन एवं विनियमन विधेयक, 2025’ को पारित किया, इसमें वास्तविक रकम वाले गेम्स ऐप संचालकों पर कितनी सजा का प्रावधान है?
Anonymous Quiz
18%
उल्लंघन पर अधिकतम 3 वर्ष की कैद, ₹1 करोड़ का जुर्माना या दोनों
43%
बार-बार अपराध करने पर 3–5 वर्ष की कैद और ₹2 करोड़ तक का जुर्माना
6%
अधिकतम उम्र कैद और 50 करोड़ का जुर्माना
33%
a और b दोनों
– नाम एवं उद्देश्य: यह विधेयक, जिसे Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025 कहा जाता है, ऑनलाइन गेमिंग के क्षेत्र को संरचित (Structured), सुरक्षित और नवोन्मेषी (Innovative) बनाना चाहता है।
– इसका उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स, शैक्षिक (educational), और सामाजिक (social) गेमिंग को बढ़ावा देकर, जोखिमपूर्ण ऑनलाइन मनी गेम्स (जैसे real-money betting/gambling) को प्रतिबंधित करना है।
– ई-स्पोर्ट्स को वैध प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता दी गई है, जिसके लिए प्रशिक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी।
– सामाजिक और शैक्षिक खेलों के लिए विशेष प्रोत्साहन, डिजिटल प्लेटफॉर्म और जागरूकता अभियान होंगे।
तीन प्रमुख श्रेणियाँ
– ई-स्पोर्ट्स (E-sports): कौशल आधारित, प्रतिस्पर्धी डिजिटल खेल, जिन्हें पेशेवर स्तर पर खेला जाता है।
– सामाजिक ऑनलाइन खेल (Online Social Games): मनोरंजन के लिए खेले जाने वाले खेल, जिनमें कोई मौद्रिक इनाम नहीं होता।
– ऑनलाइन मनी गेम्स (Online Money Games): ऐसे खेल जिनमें दांव या जमा राशि के बदले आर्थिक लाभ का वादा किया जाता है।
प्राधिकरण का गठन होगा
– विधेयक में ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण (National Online Gaming Authority/Commission) के गठन का प्रावधान है।
– यह प्राधिकरण नीतिगत समन्वय, नियामकीय निगरानी, गेम डेवलपर्स को सहयोग और अवसंरचना विकास का कार्य करेगा।
महत्वपूर्ण प्रमुख प्रावधान
– “ऑनलाइन रीयल मनी गेम” (जुए, स्किल + चांस या केवल चांस पर आधारित) की पेशकश, संचालन, प्रचार, वित्तीय लेनदेन आदि सभी प्रतिबंधित होंगे।
– बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा ऐसे गेम्स के लिए भुगतान करना या अनुमति देना भी गैरकानूनी होगा।
कड़ी सजा और वित्तीय जुर्माना
– “ऑनलाइन रीयल मनी गेम” ऐप का संचालन या सुविधा प्रदान करने पर: 3 वर्ष तक की कैद और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना।
– बार-बार अपराध करने पर 3–5 वर्ष की कैद और ₹2 करोड़ तक का जुर्माना
– विज्ञापन देने पर: 2 वर्ष की कैद और ₹50 लाख तक का जुर्माना।
क्या-क्या प्रभाव होंगे?
– गेमिंग इंडस्ट्री और कंपनियाँ : Dream11, MPL, My11Circle जैसी रियल-मनी प्लेटफॉर्म्स पर बड़ा संकट। इन कंपनियों को या तो बंद या बिजनेस मॉडल में बदलाव करना होगा।
– वित्तीय स्तर : गेमिंग उद्योग का अनुमानित वैल्यू (₹2 लाख करोड़) और टैक्स रेवेन्यू (₹20-31 हजार करोड़) खोने का खतरा।
– सामाजिक सुरक्षा : युवा और परिवारों को वित्तीय और मानसिक जोखिमों से बचाने में मदद; धोखाधड़ी जैसी समस्याओं में कमी।
– इसका उद्देश्य ई-स्पोर्ट्स, शैक्षिक (educational), और सामाजिक (social) गेमिंग को बढ़ावा देकर, जोखिमपूर्ण ऑनलाइन मनी गेम्स (जैसे real-money betting/gambling) को प्रतिबंधित करना है।
– ई-स्पोर्ट्स को वैध प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में मान्यता दी गई है, जिसके लिए प्रशिक्षण संस्थान, अनुसंधान केंद्र और प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी।
– सामाजिक और शैक्षिक खेलों के लिए विशेष प्रोत्साहन, डिजिटल प्लेटफॉर्म और जागरूकता अभियान होंगे।
तीन प्रमुख श्रेणियाँ
– ई-स्पोर्ट्स (E-sports): कौशल आधारित, प्रतिस्पर्धी डिजिटल खेल, जिन्हें पेशेवर स्तर पर खेला जाता है।
– सामाजिक ऑनलाइन खेल (Online Social Games): मनोरंजन के लिए खेले जाने वाले खेल, जिनमें कोई मौद्रिक इनाम नहीं होता।
– ऑनलाइन मनी गेम्स (Online Money Games): ऐसे खेल जिनमें दांव या जमा राशि के बदले आर्थिक लाभ का वादा किया जाता है।
प्राधिकरण का गठन होगा
– विधेयक में ऑनलाइन गेमिंग प्राधिकरण (National Online Gaming Authority/Commission) के गठन का प्रावधान है।
– यह प्राधिकरण नीतिगत समन्वय, नियामकीय निगरानी, गेम डेवलपर्स को सहयोग और अवसंरचना विकास का कार्य करेगा।
महत्वपूर्ण प्रमुख प्रावधान
– “ऑनलाइन रीयल मनी गेम” (जुए, स्किल + चांस या केवल चांस पर आधारित) की पेशकश, संचालन, प्रचार, वित्तीय लेनदेन आदि सभी प्रतिबंधित होंगे।
– बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा ऐसे गेम्स के लिए भुगतान करना या अनुमति देना भी गैरकानूनी होगा।
कड़ी सजा और वित्तीय जुर्माना
– “ऑनलाइन रीयल मनी गेम” ऐप का संचालन या सुविधा प्रदान करने पर: 3 वर्ष तक की कैद और ₹1 करोड़ तक का जुर्माना।
– बार-बार अपराध करने पर 3–5 वर्ष की कैद और ₹2 करोड़ तक का जुर्माना
– विज्ञापन देने पर: 2 वर्ष की कैद और ₹50 लाख तक का जुर्माना।
क्या-क्या प्रभाव होंगे?
– गेमिंग इंडस्ट्री और कंपनियाँ : Dream11, MPL, My11Circle जैसी रियल-मनी प्लेटफॉर्म्स पर बड़ा संकट। इन कंपनियों को या तो बंद या बिजनेस मॉडल में बदलाव करना होगा।
– वित्तीय स्तर : गेमिंग उद्योग का अनुमानित वैल्यू (₹2 लाख करोड़) और टैक्स रेवेन्यू (₹20-31 हजार करोड़) खोने का खतरा।
– सामाजिक सुरक्षा : युवा और परिवारों को वित्तीय और मानसिक जोखिमों से बचाने में मदद; धोखाधड़ी जैसी समस्याओं में कमी।
भारत का समुद्री मत्स्य उत्पादन वर्ष 2023–24 में 8.9% बढ़कर कितना हो गया?
Anonymous Quiz
7%
34.76 लाख टन
66%
44.95 लाख टन
23%
54.16 लाख टन
4%
64.06 लाख टन
– मानसून सत्र के दौरान संसद में राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने बताया कि भारत का समुद्री मत्स्य उत्पादन वर्ष 2023–24 में 44.95 लाख टन तक पहुँच गया है।
समुद्री मत्स्य उत्पादन
– 2020–21: 34.76 लाख टन
– 2023–24: 44.95 लाख टन
– औसत वार्षिक वृद्धि दर: 8.9%
समुद्री मत्स्य उत्पादन
– 2020–21: 34.76 लाख टन
– 2023–24: 44.95 लाख टन
– औसत वार्षिक वृद्धि दर: 8.9%
भारत ने वर्ष 2025 में पेट्रोल में कितना प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया?
Anonymous Quiz
7%
10%
64%
20%
26%
25%
2%
30%
– 2025 में भारत ने पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण करने का अपना हासिल कर लिया।
– इस पेट्रोल को E20 के नाम से जाना जाता है।
– सरकार इसे कार्बन उत्सर्जन कम करने और तेल आयात में कटौती की दिशा में एक बड़ा बदलाव मानती है।
– हालांकि इसने वाहन चालक चिंतित हैं कि उनका माइलेज और वाहन के मेंटेनेंस पर असर होगा।
इथेनॉल क्या है?
– इथेनॉल, या एथिल अल्कोहल, एक जैव ईंधन है: यह बायोमास नामक वनस्पति अपशिष्ट से बनता है।
– जबकि सामान्य पेट्रोल एक हाइड्रोकार्बन है जो लाखों वर्षों से दबे कार्बनिक पदार्थों के जीवाश्म अवशेषों से बनता है।
पर्यावरणीय प्रभाव और विदेशी मुद्रा बचा
– 2014 से, इथेनॉल मिश्रण ने भारत को लगभग 700 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने में मदद की है।
– इससे भारत को पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
आर्थिक प्रभाव
– इसने 1.36 ट्रिलियन रुपये ($15.5 बिलियन; £11.5 बिलियन) विदेशी मुद्रा बचाने में मदद की है।
भविष्य में 30% तक होगी इथेनॉल की मिलावट
– पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी के अनुसार, “देश अब चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे E25, E27 और E30 की ओर बढ़ेगा।”
भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण की सफलता के पीछे प्रमुख कारक क्या हैं?
– नीति और नियामक ढांचा: जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (2018, 2022 में संशोधित) ने 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को 2030 से बढ़ाकर 2025-26 कर दिया है ।
– नीति विविध फीडस्टॉक्स के उपयोग को बढ़ावा देती है: गन्ना, गुड़, मक्का, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, कृषि अवशेष और यहां तक कि अपशिष्ट बायोमास।
– प्रधानमंत्री जीवन वन योजना कृषि और वानिकी अवशेषों , औद्योगिक अपशिष्ट और शैवाल से उन्नत जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है , जिससे जैव ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार होता है।
इंजन पर प्रभाव की आशंका से वाहन चालक चिंतित
– इंजनों पर E20 ईंधन के प्रभाव के बारे में कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है, फिर भी उपभोक्ता नियमित रूप से सोशल मीडिया पर अपने वाहन के खराब होते माइलेज के बारे में किस्से साझा करते रहते हैं।
– केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन चिंताओं को “काफी हद तक निराधार” बताया है।
कृषि उपज से इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है
– इथेनॉल का उत्पादन गन्ना और मक्का जैसी फसलों से किया जाता है, और इसके उपयोग को बढ़ाने का अर्थ है कृषि उपज को अधिक ईंधन निर्माण में लगाना।
– सरकारी अनुमानों के अनुसार, 2025 में भारत को अपनी E20 आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 10 अरब लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
– बेंगलुरु स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) के अनुसार, 2050 तक यह मांग बढ़कर 20 अरब लीटर हो जाएगी।
– फिलहाल भारत में लगभग 40% इथेनॉल का उत्पादन गन्ने से किया जाता है।
– भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने इथेनॉल उत्पादन के लिए 52 लाख टन चावल के अभूतपूर्व आवंटन को मंज़ूरी दी है।
– FCI के भंडार में मौजूद चावल भारत के गरीबों को रियायती दरों पर दिए जाने के लिए निर्धारित है।
कृषि को लेकर चिंता
– कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि इस नीति से “कुछ वर्षों में कृषि आपदा” आ सकती है।
– शर्मा ने कहा, “भारत जैसे देश में, जहां 250 मिलियन लोग भूखे रहते हैं, हम भोजन का उपयोग कारों को चलाने के लिए नहीं कर सकते।”
– बेंगलुरु स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) के अनुसार, नीति आयोग द्वारा निर्धारित 50-50 के अनुपात में मक्का और गन्ने के माध्यम से इथेनॉल की मांग को पूरा करने के लिए, भारत को 2030 तक मक्का की खेती के अंतर्गत अतिरिक्त 80 लाख हेक्टेयर भूमि लानी होगी, जब तक कि उपज में भारी वृद्धि न हो।
किसानों पर सकारात्मक प्रभाव
– अपशिष्ट से धन उपयोग: क्षतिग्रस्त अनाज, गुड़, फसल अवशेषों और कृषि अपशिष्ट को इथेनॉल में परिवर्तित करने से लैंडफिल का बोझ और मीथेन उत्सर्जन कम होता है, जो कि वृत्तीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अनुरूप है।
– इस पेट्रोल को E20 के नाम से जाना जाता है।
– सरकार इसे कार्बन उत्सर्जन कम करने और तेल आयात में कटौती की दिशा में एक बड़ा बदलाव मानती है।
– हालांकि इसने वाहन चालक चिंतित हैं कि उनका माइलेज और वाहन के मेंटेनेंस पर असर होगा।
इथेनॉल क्या है?
– इथेनॉल, या एथिल अल्कोहल, एक जैव ईंधन है: यह बायोमास नामक वनस्पति अपशिष्ट से बनता है।
– जबकि सामान्य पेट्रोल एक हाइड्रोकार्बन है जो लाखों वर्षों से दबे कार्बनिक पदार्थों के जीवाश्म अवशेषों से बनता है।
पर्यावरणीय प्रभाव और विदेशी मुद्रा बचा
– 2014 से, इथेनॉल मिश्रण ने भारत को लगभग 700 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने में मदद की है।
– इससे भारत को पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
आर्थिक प्रभाव
– इसने 1.36 ट्रिलियन रुपये ($15.5 बिलियन; £11.5 बिलियन) विदेशी मुद्रा बचाने में मदद की है।
भविष्य में 30% तक होगी इथेनॉल की मिलावट
– पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी के अनुसार, “देश अब चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे E25, E27 और E30 की ओर बढ़ेगा।”
भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण की सफलता के पीछे प्रमुख कारक क्या हैं?
– नीति और नियामक ढांचा: जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (2018, 2022 में संशोधित) ने 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को 2030 से बढ़ाकर 2025-26 कर दिया है ।
– नीति विविध फीडस्टॉक्स के उपयोग को बढ़ावा देती है: गन्ना, गुड़, मक्का, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, कृषि अवशेष और यहां तक कि अपशिष्ट बायोमास।
– प्रधानमंत्री जीवन वन योजना कृषि और वानिकी अवशेषों , औद्योगिक अपशिष्ट और शैवाल से उन्नत जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करती है , जिससे जैव ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार होता है।
इंजन पर प्रभाव की आशंका से वाहन चालक चिंतित
– इंजनों पर E20 ईंधन के प्रभाव के बारे में कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है, फिर भी उपभोक्ता नियमित रूप से सोशल मीडिया पर अपने वाहन के खराब होते माइलेज के बारे में किस्से साझा करते रहते हैं।
– केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने इन चिंताओं को “काफी हद तक निराधार” बताया है।
कृषि उपज से इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है
– इथेनॉल का उत्पादन गन्ना और मक्का जैसी फसलों से किया जाता है, और इसके उपयोग को बढ़ाने का अर्थ है कृषि उपज को अधिक ईंधन निर्माण में लगाना।
– सरकारी अनुमानों के अनुसार, 2025 में भारत को अपनी E20 आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 10 अरब लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
– बेंगलुरु स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) के अनुसार, 2050 तक यह मांग बढ़कर 20 अरब लीटर हो जाएगी।
– फिलहाल भारत में लगभग 40% इथेनॉल का उत्पादन गन्ने से किया जाता है।
– भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने इथेनॉल उत्पादन के लिए 52 लाख टन चावल के अभूतपूर्व आवंटन को मंज़ूरी दी है।
– FCI के भंडार में मौजूद चावल भारत के गरीबों को रियायती दरों पर दिए जाने के लिए निर्धारित है।
कृषि को लेकर चिंता
– कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने कहा कि इस नीति से “कुछ वर्षों में कृषि आपदा” आ सकती है।
– शर्मा ने कहा, “भारत जैसे देश में, जहां 250 मिलियन लोग भूखे रहते हैं, हम भोजन का उपयोग कारों को चलाने के लिए नहीं कर सकते।”
– बेंगलुरु स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी (CSTEP) के अनुसार, नीति आयोग द्वारा निर्धारित 50-50 के अनुपात में मक्का और गन्ने के माध्यम से इथेनॉल की मांग को पूरा करने के लिए, भारत को 2030 तक मक्का की खेती के अंतर्गत अतिरिक्त 80 लाख हेक्टेयर भूमि लानी होगी, जब तक कि उपज में भारी वृद्धि न हो।
किसानों पर सकारात्मक प्रभाव
– अपशिष्ट से धन उपयोग: क्षतिग्रस्त अनाज, गुड़, फसल अवशेषों और कृषि अपशिष्ट को इथेनॉल में परिवर्तित करने से लैंडफिल का बोझ और मीथेन उत्सर्जन कम होता है, जो कि वृत्तीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के अनुरूप है।
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के किस जगह का नाम बदलकर “परशुरामपुरी” किया गया, जिसका NOC केंद्र सरकार ने UP सरकार को दिया?
Anonymous Quiz
1%
उम्मदे नगरगर
83%
जलालाबाद नगर
10%
राजेंद्रपुरी
5%
उस्मानाबाद
– केंद्र सरकार ने अगस्त 2025 में शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद नगर का नाम बदलकर परशुरामपुरी करने की मंजूरी दे दी।
– जलालाबाद को भगवान परशुराम की जन्मस्थली माना जाता है। स्थानीय लोगों की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।
– इससे पहले जलालाबाद नगर पालिका परिषद ने भी मार्च 2018 व सितंबर 2023 में इस मांग का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में पारित किया था।
– इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले को NOC के लिए गृह मंत्रालय को भेजा था।
यहां स्थिति है भगवान परशुराम का मंदिर
– जलालाबाद भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। वहां भगवान परशुराम का काफी पुराना ऐतिहासिक मंदिर भी है।
– इस वजह से जलालाबाद का नाम परशुरामपुरी रखे जाने की मांग की जाती रही है।
– जलालाबाद को भगवान परशुराम की जन्मस्थली माना जाता है। स्थानीय लोगों की लंबे समय से चली आ रही इस मांग को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।
– इससे पहले जलालाबाद नगर पालिका परिषद ने भी मार्च 2018 व सितंबर 2023 में इस मांग का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में पारित किया था।
– इसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले को NOC के लिए गृह मंत्रालय को भेजा था।
यहां स्थिति है भगवान परशुराम का मंदिर
– जलालाबाद भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। वहां भगवान परशुराम का काफी पुराना ऐतिहासिक मंदिर भी है।
– इस वजह से जलालाबाद का नाम परशुरामपुरी रखे जाने की मांग की जाती रही है।
किस राज्य ने प्रवासी मज़दूरों के लिए ‘श्रमश्री योजना’ शुरू की, जिन्हें अन्य राज्यों में कथित भाषाई भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है?
Anonymous Quiz
12%
बिहार
42%
उत्तर प्रदेश
13%
मध्य प्रदेश
33%
पश्चिम बंगाल
– मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अगस्त 2025 में ‘श्रमश्री योजना’ लॉन्च की।
– उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में विभिन्न राज्यों में निशाना बनाए जाने के बाद लगभग 10,000 लोग राज्य में लौट आए हैं।
– यह राज्य की पहली ऐसी कल्याणकारी पहल है, जो उन बंगाली प्रवासी मज़दूरों के लिए लाई गई है, जिन्हें अन्य राज्यों में कथित भाषाई भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है और जो वापस अपने राज्य लौट रहे हैं।
– इस योजना के तहत प्रवासी मज़दूरों को ₹5,000 मासिक आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो अधिकतम एक वर्ष तक या राज्य में नई नौकरी मिलने तक उपलब्ध होगी।
– राशि सीधे श्रमिक के बैंक खाते में श्रम विभाग के माध्यम से भेजी जाएगी।
– लौटे हुए मज़दूरों को जॉब कार्ड जारी किए जाएंगे।
– लौटे हुए मज़दूरों को स्वरोज़गार हेतु सरकारी गारंटी वाले ऋण दिए जाएंगे।
– उद्यमिता प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।
– आवेदक का बंगाली प्रवासी मज़दूर होना अनिवार्य है।
पश्चिम बंगाल
राजधानी – कोलकाता
मुख्यमंत्री – ममता बनर्जी
गवर्नर – सी.वी. आनंद बोस
– उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में विभिन्न राज्यों में निशाना बनाए जाने के बाद लगभग 10,000 लोग राज्य में लौट आए हैं।
– यह राज्य की पहली ऐसी कल्याणकारी पहल है, जो उन बंगाली प्रवासी मज़दूरों के लिए लाई गई है, जिन्हें अन्य राज्यों में कथित भाषाई भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है और जो वापस अपने राज्य लौट रहे हैं।
– इस योजना के तहत प्रवासी मज़दूरों को ₹5,000 मासिक आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो अधिकतम एक वर्ष तक या राज्य में नई नौकरी मिलने तक उपलब्ध होगी।
– राशि सीधे श्रमिक के बैंक खाते में श्रम विभाग के माध्यम से भेजी जाएगी।
– लौटे हुए मज़दूरों को जॉब कार्ड जारी किए जाएंगे।
– लौटे हुए मज़दूरों को स्वरोज़गार हेतु सरकारी गारंटी वाले ऋण दिए जाएंगे।
– उद्यमिता प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जाएगी।
– आवेदक का बंगाली प्रवासी मज़दूर होना अनिवार्य है।
पश्चिम बंगाल
राजधानी – कोलकाता
मुख्यमंत्री – ममता बनर्जी
गवर्नर – सी.वी. आनंद बोस
जुलाई 2025 में देश में खुदरा महंगाई दर (retail inflation) पिछले 8 साल में सबसे कम रही, कितनी रही?
Anonymous Quiz
29%
1.55%
48%
2.34%
19%
3.22%
4%
4.48%
– भारत में खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई 2025 में घटकर 1.55% रह गई, जो जून 2017 के बाद सबसे कम है।
– यह RBI के 2-6% के महंगाई दर की लिमिट के दायरे से भी नीचे है।
– महंगाई दर में कमी का मुख्य कारण खाद्य कीमतों में कमी बताई गई है।
– खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी में मुद्रास्फीति की दर जुलाई 2025 में -0.8% रही, जो जून में -0.2% तथा जुलाई 2024 में 5.1% से कम है।
खुदरा महंगाई दर की रिपोर्ट कौन जारी करता है?
– NSO (नेशनल स्टैटिस्टकल ऑफिस) {राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय}
– यह Ministry of Statistics and Programme Implementation (सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियांवयन मंत्रालय) के अंतर्गत है।
कैसे तय होती है खुदरा महंगाई दर
– यह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से तय होता है।
– इसमें खाद्य सामग्री, फल, कपड़े, जूते, घर, ईंधन, बिजली और अन्य की महंगाई की गणना की जाती है।
– एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
– महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा।
– इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
– महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बाजार में पैसों के बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है।
– इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रेपो रेट को घटाता या बढ़ाता है।
– जब महंगाई बढ़ जाती है, तो RBI रेपो रेट को बढ़ा देता है और जब महंगाई बेहद कम हो जाती है, तो रेपो रेट को घटा देता है।
– पिछले कुछ वक्त से महंगाई नियंत्रण में बताई जा रही है, इसी वजह से अगस्त में आरबीआई ने लगातार नौवीं बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था।
RBI द्वारा तय महंगाई सीमा
– RBI द्वारा निर्धारित महंगाई सीमा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर 4 प्रतिशत है। हालांकि इसमें दो प्रतिशत घट या बढ़ सकता है।
– इस तरह 2 प्रतिशत से कम महंगाई और 6 प्रतिशत से अधिक महंगाई देश के आर्थिक विकास के लिए ठीक नहीं है।
– यह RBI के 2-6% के महंगाई दर की लिमिट के दायरे से भी नीचे है।
– महंगाई दर में कमी का मुख्य कारण खाद्य कीमतों में कमी बताई गई है।
– खाद्य एवं पेय पदार्थ श्रेणी में मुद्रास्फीति की दर जुलाई 2025 में -0.8% रही, जो जून में -0.2% तथा जुलाई 2024 में 5.1% से कम है।
खुदरा महंगाई दर की रिपोर्ट कौन जारी करता है?
– NSO (नेशनल स्टैटिस्टकल ऑफिस) {राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय}
– यह Ministry of Statistics and Programme Implementation (सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियांवयन मंत्रालय) के अंतर्गत है।
कैसे तय होती है खुदरा महंगाई दर
– यह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से तय होता है।
– इसमें खाद्य सामग्री, फल, कपड़े, जूते, घर, ईंधन, बिजली और अन्य की महंगाई की गणना की जाती है।
– एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
– महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा।
– इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
– महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बाजार में पैसों के बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है।
– इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रेपो रेट को घटाता या बढ़ाता है।
– जब महंगाई बढ़ जाती है, तो RBI रेपो रेट को बढ़ा देता है और जब महंगाई बेहद कम हो जाती है, तो रेपो रेट को घटा देता है।
– पिछले कुछ वक्त से महंगाई नियंत्रण में बताई जा रही है, इसी वजह से अगस्त में आरबीआई ने लगातार नौवीं बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था।
RBI द्वारा तय महंगाई सीमा
– RBI द्वारा निर्धारित महंगाई सीमा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर 4 प्रतिशत है। हालांकि इसमें दो प्रतिशत घट या बढ़ सकता है।
– इस तरह 2 प्रतिशत से कम महंगाई और 6 प्रतिशत से अधिक महंगाई देश के आर्थिक विकास के लिए ठीक नहीं है।
भारत की थोक महंगाई दर जुलाई 2025 में कितनी थी?
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28%
– 0.58%
38%
– 0.13%
32%
1.89%
3%
0.39%
– थोक मूल्य मुद्रास्फीति (WPI) जुलाई 2025 में लगातार दूसरे महीने नकारात्मक क्षेत्र में (-) 0.58% रही।
– जून में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (-) 0.13% थी। पिछले साल जुलाई में यह 2.10% थी।
– इसकी वजह खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मूल धातुओं के निर्माण आदि की कीमतों में कमी बताई गई है।
– विनिर्मित वस्तुओं (manufactured items) की कीमतों में वृद्धि हुई।
थोक महंगाई दर की रिपोर्ट किसने जारी की
– Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT)
– यह Ministry of Commerce and Industry के अंतर्गत है।
(नोट – खुदरा महंगाई दर NSO जारी करता है।)
थोक महंगाई दर क्या होती है?
– यह महंगाई दर, थोक मूल्य सूचकांक (WPI – होलसेल प्राइस इंडेक्स) के आधार पर तैयार होती है।
– होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।
– ये कीमतें थोक में किए गए बिजनेस से जुड़ी होती हैं।
(नोट – खुदरा महंगाई दर, कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से तय होता है)
– जून में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (-) 0.13% थी। पिछले साल जुलाई में यह 2.10% थी।
– इसकी वजह खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, मूल धातुओं के निर्माण आदि की कीमतों में कमी बताई गई है।
– विनिर्मित वस्तुओं (manufactured items) की कीमतों में वृद्धि हुई।
थोक महंगाई दर की रिपोर्ट किसने जारी की
– Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT)
– यह Ministry of Commerce and Industry के अंतर्गत है।
(नोट – खुदरा महंगाई दर NSO जारी करता है।)
थोक महंगाई दर क्या होती है?
– यह महंगाई दर, थोक मूल्य सूचकांक (WPI – होलसेल प्राइस इंडेक्स) के आधार पर तैयार होती है।
– होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।
– ये कीमतें थोक में किए गए बिजनेस से जुड़ी होती हैं।
(नोट – खुदरा महंगाई दर, कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से तय होता है)
सद्भावना दिवस, भारत के किस पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती के रूप में 20 अगस्त को मनाया जाता है?
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4%
इंदिरा गांधी
43%
अटल बिहार वाजपेयी
47%
राजीव गांधी
6%
लाल बहादुर शास्त्री
– इसी दिन 20 अगस्त 1944 को राजीव गांधी का जन्म हुआ था।
– यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देने और सद्भावना के भाव का विस्तार करने के लिए मनाया जाता है।
– भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उनकी मृत्यु के एक साल बाद 1992 में राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार की स्थापना की थी
– यह दिन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देने और सद्भावना के भाव का विस्तार करने के लिए मनाया जाता है।
– भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उनकी मृत्यु के एक साल बाद 1992 में राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार की स्थापना की थी
विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस (World Senior Citizen Day) कब मनाया जाता है?
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35%
21 अगस्त
38%
22 अगस्त
23%
23 अगस्त
4%
24 अगस्त
– संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा यह दिवस मनाया जाता है।
– यह दिवस वृद्ध लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, जैसे कि उम्र के साथ गिरते स्वास्थ्य और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और समर्थन, सम्मान और वरिष्ठों नागरिकों की उपलब्धियों को सम्मनित और उन्हें पहचानने के लिए मनाया जाता है।
– 21 अगस्त 1988 को संयुक्त राज्य में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया गया।
– यह दिवस वृद्ध लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, जैसे कि उम्र के साथ गिरते स्वास्थ्य और बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और समर्थन, सम्मान और वरिष्ठों नागरिकों की उपलब्धियों को सम्मनित और उन्हें पहचानने के लिए मनाया जाता है।
– 21 अगस्त 1988 को संयुक्त राज्य में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाया गया।
कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश
– सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2025 को दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा 11 अगस्त को दिए गए उस निर्देश पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से उठाए गए आवारा कुत्तों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
– न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने स्पष्ट किया कि जिन आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है, उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित हैं या आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित कर रहे हैं।
– न्यायालय ने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक रूप से भोजन कराने पर प्रतिबंध लगाने का भी आदेश दिया तथा भोजन के लिए समर्पित स्थान बनाने का निर्देश दिया।
– सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के आदेश में दिए गए निर्देश को दोहराया कि किसी भी व्यक्ति या संगठन को एबीसी नियमों के अनुसार नगरपालिका अधिकारियों को कुत्तों को उठाने से नहीं रोकना चाहिए।
– कोर्ट ने मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से आगे बढ़ाकर पूरे भारत में लागू कर दिया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसमें शामिल किया गया।
– कोर्ट ने यह भी कहा कि वह अखिल भारतीय नीति बनाने के लिए उच्च न्यायालयों में लंबित इसी तरह की याचिकाओं को स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित करेगा।
पृष्ठभूमि
– दरअसल, 13 अगस्त को नाटकीय घटनाक्रम में, आवारा कुत्तों से संबंधित स्वतः संज्ञान मामले को, जिसमें 11 अगस्त को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने निर्देश पारित किए थे , इस तीन न्यायाधीशों वाली पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि कुछ वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उल्लेख किया कि ये निर्देश अन्य पीठों द्वारा पारित पिछले आदेशों के विपरीत हैं।
– सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2025 को दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा 11 अगस्त को दिए गए उस निर्देश पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से उठाए गए आवारा कुत्तों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
– न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने स्पष्ट किया कि जिन आवारा कुत्तों को पकड़ा जाता है, उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित हैं या आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित कर रहे हैं।
– न्यायालय ने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक रूप से भोजन कराने पर प्रतिबंध लगाने का भी आदेश दिया तथा भोजन के लिए समर्पित स्थान बनाने का निर्देश दिया।
– सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त के आदेश में दिए गए निर्देश को दोहराया कि किसी भी व्यक्ति या संगठन को एबीसी नियमों के अनुसार नगरपालिका अधिकारियों को कुत्तों को उठाने से नहीं रोकना चाहिए।
– कोर्ट ने मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से आगे बढ़ाकर पूरे भारत में लागू कर दिया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसमें शामिल किया गया।
– कोर्ट ने यह भी कहा कि वह अखिल भारतीय नीति बनाने के लिए उच्च न्यायालयों में लंबित इसी तरह की याचिकाओं को स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित करेगा।
पृष्ठभूमि
– दरअसल, 13 अगस्त को नाटकीय घटनाक्रम में, आवारा कुत्तों से संबंधित स्वतः संज्ञान मामले को, जिसमें 11 अगस्त को न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने निर्देश पारित किए थे , इस तीन न्यायाधीशों वाली पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि कुछ वकीलों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उल्लेख किया कि ये निर्देश अन्य पीठों द्वारा पारित पिछले आदेशों के विपरीत हैं।