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सप्रे जी ने भारतीय वैदिक परंपरा और संस्कृति को आधार बनाकर अपने लेखन के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रबोध को जगाने का काम किया: श्री हृदय नारायण दीक्षित