तड़पती कलम
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कभी वो भी तो पड़ो जो हम लिख नहीं पाते।
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किस-किस से हों शिकायतें, किस-किस से हो गिला,
जिसको गले लगाया वही ज़ख्म कर गया।

तिनको को चुन के हमने बनाया था नशेमन,
शीरीं,,तूफ़ान ए इश्क़ में वो भी बिखर गया।।
दर्द की शाम हो या सुख का सबेरा हो
सब गवारा है मुझे , साथ बस तेरा हो
तुम्हारा एहतेराम में जायज़ है हम पर।
आप हमारी पसंद की जो पसंद ठहरे।
काश... काश
मैं भी पानी का एक घूँट होता,
..
तेरे होंठों से लगता और तेरी रग-रग में समा जाता..!!
تم چیخ کر اپنے کانوں پر ہاتھ رکھ دوگے*
*" میرے ساتھ ایسا حادثہ پیش آئے گا*

तुम चींख कर अपने कानों पर हाथ रख दोगे,
मेरे साथ ऐसा हादसा पेश आएगा..
Phir uss ke baad zamane ne mujh ko rond dala,
Main gir parra tha kissi aur ko uthaate huye..
Laaon kahan se dhoond kar main apna hamnawaa,
Khud apne har khayaal se takraa chuka hoon main..
बेटियां सबके मुकद्दर में कहां होतीं हैं,
जो घर ख़ुदा को जब पसंद आता है
बस वहां ही बेटियां होती है....☺️

National_Girl Child_Day
अब तो रिहा कर दो अपने ख़यालों से मुझको,
लोग कहने लगें है कि रहते कहां हो आजकल..
❤️😘
हो अगर नियत में पर्दा,

तो आँखों से खूबसूरत कोई लिबास नही।
काश मैं कोई जहर चूसने वाला जोगी होता,

और कोई साँप डस लेता,तुम्हारे होठों को..!
मोहब्बत सब्र के अलावा कुछ नहीं,
मैंने हर इश्क़ को इंतज़ार करते देखा है.
Mai akela ishq me jeet kr aane ke lie kafi hu
Mai akela is jamane ke lie kafi hu
Mere haquikat ko khwab samanjhne walo
Mai akela tumhari need udane ke lie kafi hu
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की 
कच्ची है उम्र जिसकी, कुछ दिन से जाने किसकी 
चाहत मे खो गई है, दीवानी हो गई है... 
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की

क्या जाने ख्वाब किसका, आंखो मे है संभाले 
कुछ सोचती है शबभर, मुंह पर लिहाफ डाले 
घर वाले सोचते है, जल्दी से सो गई है... 
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की

सुधबुध है उसको खुद की, सुधबुध नहीं है घर की 
हरदीन बदल रही है, कुर्ती नये कलर की 
बेरंग ओढनी भी रंगीन हो गई है..
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की

वो ध्यान भी न देगी, क्या कह रही है टीचर 
इक नाम उँगलियों से लिखती रहेगी दिनभर 
कुछ भी न पढ़ सकेगी इसकुल तो गई है.. 
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की

खिड़की झाकती है,माँ से नज़र बचाकर 
बेचैन हो रही है, यूं घर की छत पे जाकर 
क्या ढूंढती है जाने कया चीज़ खो गई है..
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की

नानी से अब कहानी, सुनती कभी नहीं है 
गुड़ियो से तितलियों से, अब खेलती नहीं है 
नाज़ुक कली भी अंजुम गुलनार हो गई है..
इक सावली सी लड़की 
इक बावली सी लड़की

*अंजुम रहबर*
मैं दहेज़ में हया लेके आऊंगी,
तुम हक़-ए-मेहर में इज़्जत देना..☺️
बेटी ने खत लिखा है , मगर क्या पता लिखे ?
बाबा ने शादी की है मकान अपना बेचकर ....
दिल से निकलेगी ना मर कर भी वतन कि उल्फ़त 

मेरी मिट्टी से भी खुशबू-ए-वफ़ा आयेगी !!!
Happy republic day..🇮🇳
रूप जब झील में नहाता है
चाँद पानी में उतर आता है
पर खुद तो चला जाता है शीतल होकर
आग पानी में लगा जाता है