🌹एक ग़ज़ल🌹
मुहब्बत को जरा खुलकर निगाहें चार करने दो।
जरा इकरार करने दो,जरा इजहार करने दो।
समय काटे नहीं कटता लगाये दिल नहीं लगता।
सबेरे-साँझ,रातो-दिन हमें दीदार करने दो।
महक घुलती फ़िज़ाओं में,खनक तेरी हवाओं में।
खवाबों में खयालों में हमें अधिकार करने दो।
तुम्हारा नाम लेती बस हमारी साँस धड़कन दिल।
बसंती रंग से गुलशन जरा गुलज़ार करने दो।
बिना तेरे जमाने में जिएंगे हम नहीं हमदम।
मरेंगे साथ हम दोनों जरा अखबार करने दो।
सुरों की बंसरी बनकर सनम जीवन में आ जाओ।
बजूं पायल की सरगम बन,यहाँ झनकार करने दो।
ऋतु गोयल सरगम
मुहब्बत को जरा खुलकर निगाहें चार करने दो।
जरा इकरार करने दो,जरा इजहार करने दो।
समय काटे नहीं कटता लगाये दिल नहीं लगता।
सबेरे-साँझ,रातो-दिन हमें दीदार करने दो।
महक घुलती फ़िज़ाओं में,खनक तेरी हवाओं में।
खवाबों में खयालों में हमें अधिकार करने दो।
तुम्हारा नाम लेती बस हमारी साँस धड़कन दिल।
बसंती रंग से गुलशन जरा गुलज़ार करने दो।
बिना तेरे जमाने में जिएंगे हम नहीं हमदम।
मरेंगे साथ हम दोनों जरा अखबार करने दो।
सुरों की बंसरी बनकर सनम जीवन में आ जाओ।
बजूं पायल की सरगम बन,यहाँ झनकार करने दो।
ऋतु गोयल सरगम
हर खुशी हर गम को पहचानते है हम,,
जिन्दगी तुुझे कितने नाम से जानते है हम,,,
कोई बहुत मे भी दुखी कोई अभावों मे सुखी,,
जिन्दगी कितने पैमानो से तुझे मापते हैं हम,,,,
कोई क्यों अच्छा लगता है पूछा तो जवाब आया,,
इसलिये कि उसे दिल से अच्छा मानते हैं हम,,,
मुश्किल नही होता कोई भी काम करना कभी,,
शर्त यह है कि जब काम करने की ठानते है हम,,,,
यह उसपे है मेरी नेकी का सिला दे न दे यारों,,
आदतन नेकी करके दरिया मे डालते है हम,,
जिन्दगी तुुझे कितने नाम से जानते है हम,,,
कोई बहुत मे भी दुखी कोई अभावों मे सुखी,,
जिन्दगी कितने पैमानो से तुझे मापते हैं हम,,,,
कोई क्यों अच्छा लगता है पूछा तो जवाब आया,,
इसलिये कि उसे दिल से अच्छा मानते हैं हम,,,
मुश्किल नही होता कोई भी काम करना कभी,,
शर्त यह है कि जब काम करने की ठानते है हम,,,,
यह उसपे है मेरी नेकी का सिला दे न दे यारों,,
आदतन नेकी करके दरिया मे डालते है हम,,
जो पढ़ा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ
- ज़फ़र सहबाई
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ
- ज़फ़र सहबाई
तू बिखर चुकी है जिंदगी जानता हूं मैं,
थोडा यकीन कर समेट लूंगा तुझे...
थोडा यकीन कर समेट लूंगा तुझे...
अगर तलाश करूँ कोई मिल हीं जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुम्हें जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान खाली हुआ है कोई तो आएगा
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते आएगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फरिस्तों जैसा है
तुम्हारे बा 'द ये मौसम बहुत सताएगा.
बशीर बद्र✒️
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
तुम्हें जरूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो
मकान खाली हुआ है कोई तो आएगा
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँ
अगर वो आया तो किस रास्ते आएगा
तुम्हारे साथ ये मौसम फरिस्तों जैसा है
तुम्हारे बा 'द ये मौसम बहुत सताएगा.
बशीर बद्र✒️
कभी उनकी कद्र कर के देखो..
जो तुम्हें बिना मतलब के प्यार करते हैं..!💖..
जो तुम्हें बिना मतलब के प्यार करते हैं..!💖..
तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है
तुम्हारी सो के गुजरी है हमारी रो के गुजरी है
तुम्हारी सो के गुजरी है हमारी रो के गुजरी है
रख के आ जा... किसी बक्से मे, दुनियादारी को...
मिल ज़माने के सभी... तौर तरीक़ों से परे...!!
मिल ज़माने के सभी... तौर तरीक़ों से परे...!!
Tu bilkul chand🌙ki tarah he.
Noor✨bhi gurur bhi or door bhi.
Noor✨bhi gurur bhi or door bhi.
ज़िंदगी के एक बुरे दौर से...
मुस्कुराते हुए गुज़र रहा हूँ मैं...!!
मुस्कुराते हुए गुज़र रहा हूँ मैं...!!
ग़ज़ल
मुहब्बत का इम्तिहान,हम देंगे
तुम्हे दिल - ओ- जान,हम देंगे
तुम बस उड़ने का हौंसला रखो
तुम्हे खुला आसमान, हम देंगे
चिल्लाने से नही होती वतनपरस्ती
मुल्क को दिल से सम्मान,हम देंगे
गिराने की है आदत,जमाने को भले
ख्यालों को मगर ऊंचा,मचान हम देंगे
दिल को देख जरा,देकर एक मौका
इश्क जगाने का अरमान,हम देंगे
डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र
मुहब्बत का इम्तिहान,हम देंगे
तुम्हे दिल - ओ- जान,हम देंगे
तुम बस उड़ने का हौंसला रखो
तुम्हे खुला आसमान, हम देंगे
चिल्लाने से नही होती वतनपरस्ती
मुल्क को दिल से सम्मान,हम देंगे
गिराने की है आदत,जमाने को भले
ख्यालों को मगर ऊंचा,मचान हम देंगे
दिल को देख जरा,देकर एक मौका
इश्क जगाने का अरमान,हम देंगे
डॉ विनोद कुमार शकुचंद्र