Forwarded from सुधर्मा संस्कृत 💗 sanskrit news
Forwarded from पुरुषोत्तमः॥ Purushothaman AJ (Bharatam).
हरिःॐ। इन्दुवासर-सुप्रभातम्।
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
🔥बालकाण्ड:🔥
।।त्रयोदशः सर्गः।।
🍃निमन्त्रयख वृषतीन्पृथिव्यां ये च धार्मिकाः।
ब्राह्मणान्क्त्रियान्वैश्याञ्शाद्राशचैव सहस्रशः॥१८॥
समानयस्व सत्कृत्य सर्वदेशेषु मानवान् ।
मिथिलाधिपतिं शूरं जनके सत्यविक्रमम्॥१९॥
निष्ठितं सर्वशास्त्रपु तथा वेदेषु निष्ठितम्।
तमानय महाभागं स्वयमेव सुसत्कृतम् ॥२०॥
⚜️इस पृथ्वी मंडल पर जो धार्मिक राजा हैं, उनके पास निमंत्रण भेज दो। सब देशों के बहुत से ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों को भी सादर बुलवा लो। सत्यपराक्रमी, शूर शिरोमणि, वेद और सब शास्त्रों में निषात, महाभाग मिथलाधिपति को स्वयं जाकर आदर सहित लेकर आओ॥१८॥१९॥२०॥
#ramayan
।।त्रयोदशः सर्गः।।
🍃निमन्त्रयख वृषतीन्पृथिव्यां ये च धार्मिकाः।
ब्राह्मणान्क्त्रियान्वैश्याञ्शाद्राशचैव सहस्रशः॥१८॥
समानयस्व सत्कृत्य सर्वदेशेषु मानवान् ।
मिथिलाधिपतिं शूरं जनके सत्यविक्रमम्॥१९॥
निष्ठितं सर्वशास्त्रपु तथा वेदेषु निष्ठितम्।
तमानय महाभागं स्वयमेव सुसत्कृतम् ॥२०॥
⚜️इस पृथ्वी मंडल पर जो धार्मिक राजा हैं, उनके पास निमंत्रण भेज दो। सब देशों के बहुत से ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों और शूद्रों को भी सादर बुलवा लो। सत्यपराक्रमी, शूर शिरोमणि, वेद और सब शास्त्रों में निषात, महाभाग मिथलाधिपति को स्वयं जाकर आदर सहित लेकर आओ॥१८॥१९॥२०॥
#ramayan
📙ऋग्वेद
सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-१८ देवता-अश्विनीकुमार आदि
🍃त्रीणि पदा वि चक्रमे विष्णुर्गोपा अदाभ्यः, अतो धर्माणि धारयन्.. (१८)
⚜️विष्णु जगत् की रक्षा करने वाले हैं. कोई उन पर प्रहार नहीं कर सकता. उन्होंने संपूर्ण धर्मों को धारण करते हुए तीन डगों में जगत् की परिक्रमा की. (१८)
#rgveda
सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-१८ देवता-अश्विनीकुमार आदि
🍃त्रीणि पदा वि चक्रमे विष्णुर्गोपा अदाभ्यः, अतो धर्माणि धारयन्.. (१८)
⚜️विष्णु जगत् की रक्षा करने वाले हैं. कोई उन पर प्रहार नहीं कर सकता. उन्होंने संपूर्ण धर्मों को धारण करते हुए तीन डगों में जगत् की परिक्रमा की. (१८)
#rgveda
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 09:00 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक 22 मार्च 2021
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 09:28 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅ योग - सौभाग्य दोपहर 12:56 तक तत्पश्चात शोभन
⛅ राहुकाल - सुबह 08:12 से सुबह 09:43 तक
⛅ सूर्योदय - 06:42
⛅ सूर्यास्त - 18:49
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी सुबह 09:00 तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक 22 मार्च 2021
⛅ दिन - सोमवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 09:28 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅ योग - सौभाग्य दोपहर 12:56 तक तत्पश्चात शोभन
⛅ राहुकाल - सुबह 08:12 से सुबह 09:43 तक
⛅ सूर्योदय - 06:42
⛅ सूर्यास्त - 18:49
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
✊चाणक्य नीति⚔️
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक:-३
हस्ती स्थूलतनुः स चांकुश वशः किं हस्तिमार्त्रोअ्कुशः।
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तमः किं दीपमात्रं तमः।
वज्रेणभिहताः पतन्ति गिरयः किं वज्रमात्रं नगाः।
तेजो यस्य विराजते स बलवान् स्थूलेषु कः प्रत्ययः।।३।।
♦️भावार्थ --लम्बे-चोड़े डील-डौल वाला हाथी अंकुश से वश में होता है। अन्धकार का नाश एक मामुली दीपक से हो जाता है और विशाल पर्वत वज्र के प्रहार से खण्ड-खण्ड हो जाता है। क्या अंकुश हाथी के जैसे डील-डौल वाला होता है? क्या दीपक अन्धकार जितना विस्तृत होता है? क्या वज्र पर्वत जैसा होता है? वस्तुतः तेजवान ही बलवान है। आकार-प्रकार अथवा विस्तार से कोई बलवान नहीं हो जाता।
#chanakya
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक:-३
हस्ती स्थूलतनुः स चांकुश वशः किं हस्तिमार्त्रोअ्कुशः।
दीपे प्रज्वलिते प्रणश्यति तमः किं दीपमात्रं तमः।
वज्रेणभिहताः पतन्ति गिरयः किं वज्रमात्रं नगाः।
तेजो यस्य विराजते स बलवान् स्थूलेषु कः प्रत्ययः।।३।।
♦️भावार्थ --लम्बे-चोड़े डील-डौल वाला हाथी अंकुश से वश में होता है। अन्धकार का नाश एक मामुली दीपक से हो जाता है और विशाल पर्वत वज्र के प्रहार से खण्ड-खण्ड हो जाता है। क्या अंकुश हाथी के जैसे डील-डौल वाला होता है? क्या दीपक अन्धकार जितना विस्तृत होता है? क्या वज्र पर्वत जैसा होता है? वस्तुतः तेजवान ही बलवान है। आकार-प्रकार अथवा विस्तार से कोई बलवान नहीं हो जाता।
#chanakya
मम मित्रम् गुरु चाहल फेसबुक गणे एकं संदेशं लिखित्वास्ति। तेन लिखितम् आङ्ग्लभाषा-संदेशं संस्कृते अनूदित्वा मम जालपुट-पाठकेभ्यः विभाजयामि।
http://sanskritize.com/index.php/2021-03-23-06-57-28
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नवीनयुग युद्धम्
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🔥बालकाण्ड:🔥
।।त्रयोदशः सर्गः।।
पूर्वसंवन्धिनं ज्ञात्वा ततः पूर्व व्रवीमि ते।
तथा काशीपति स्निग्धं सततं प्रियवादिनम्।।२१॥
सद्वृत्तं देवसंकाशं खयमेवानयस्व ह ।
तथा केकयराजानं दृद्धं परमधार्मिकस् ॥२२॥
⚜️उनकी इस घराने का पुराना व्योहार जान उन्हें सब से पहले बुलाने के लिये हम तुमसे कहते हैं । सदैव प्रिय बोलने वाले, सद्दाचारी, देवतुल्य काशीनरेश को भी सत्कार पूर्वक लिवा लाओ। इसी प्रकार वृद्ध और परम धार्मिक केकयराज, जो महाराज के ससुर हैं, पुत्र सहित यहाँ लेकर आओ
#ramayan
।।त्रयोदशः सर्गः।।
पूर्वसंवन्धिनं ज्ञात्वा ततः पूर्व व्रवीमि ते।
तथा काशीपति स्निग्धं सततं प्रियवादिनम्।।२१॥
सद्वृत्तं देवसंकाशं खयमेवानयस्व ह ।
तथा केकयराजानं दृद्धं परमधार्मिकस् ॥२२॥
⚜️उनकी इस घराने का पुराना व्योहार जान उन्हें सब से पहले बुलाने के लिये हम तुमसे कहते हैं । सदैव प्रिय बोलने वाले, सद्दाचारी, देवतुल्य काशीनरेश को भी सत्कार पूर्वक लिवा लाओ। इसी प्रकार वृद्ध और परम धार्मिक केकयराज, जो महाराज के ससुर हैं, पुत्र सहित यहाँ लेकर आओ
#ramayan
📙ऋग्वेद
सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-१९ देवता-अश्विनीकुमार आदि
🍃विष्णोः कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि पस्पशे. इन्द्रस्य युज्यः सखा.. (१९)
⚜️विष्णु की कृपा से उनके भरोसे यजमान अपने व्रत पूरे करते हैं. विष्णु के कार्यों को देखो. वे इंद्र के उपयुक्त सखा हैं. (१९)
#rgveda
सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-१९ देवता-अश्विनीकुमार आदि
🍃विष्णोः कर्माणि पश्यत यतो व्रतानि पस्पशे. इन्द्रस्य युज्यः सखा.. (१९)
⚜️विष्णु की कृपा से उनके भरोसे यजमान अपने व्रत पूरे करते हैं. विष्णु के कार्यों को देखो. वे इंद्र के उपयुक्त सखा हैं. (१९)
#rgveda
✊चाणक्य नीति⚔️
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक:-४
कली दशसहस्त्राणि हरिस्त्यजति मेदिनीम्।
तदर्द्धे जाह्नवी तोयं तदर्द्धे ग्राक्षदेवता।।४।।
♦️भावार्थ--कलयुग के दस सहस्त्र वर्ष शेष रह जाने पर सर्वव्यापक परमेश्वर भूमि को त्याग देंगे। उसके आधे अर्थात् पाँच सहस्त्र वर्ष शेष रहने पर गंगा का पानी भूमि त्याग देगा और ढाई सहस्त्र वर्ष शेष रहने पर ग्राम देवता गाँव का परित्याग कर देंगे।।
#chanakya
✒️एकादशः अध्याय
♦️श्लोक:-४
कली दशसहस्त्राणि हरिस्त्यजति मेदिनीम्।
तदर्द्धे जाह्नवी तोयं तदर्द्धे ग्राक्षदेवता।।४।।
♦️भावार्थ--कलयुग के दस सहस्त्र वर्ष शेष रह जाने पर सर्वव्यापक परमेश्वर भूमि को त्याग देंगे। उसके आधे अर्थात् पाँच सहस्त्र वर्ष शेष रहने पर गंगा का पानी भूमि त्याग देगा और ढाई सहस्त्र वर्ष शेष रहने पर ग्राम देवता गाँव का परित्याग कर देंगे।।
#chanakya
🔥बालकाण्ड:🔥
।।त्रयोदशः सर्गः।।
🍃श्वशुरं राजसिंहस्य सपुत्रं त्वमिहानय।
अङ्गेश्वरं महाभागं रोमपादं सुसत्कृतम् ॥२३
वयस्य राजसिंहस्य समानय यशखिनम्।
पाचीनान्सिन्धुसौवीरान्सौराष्ट्रेयांश्च पार्थिवान्॥२४॥
दाक्षिणात्याच्रेन्द्रांशच समस्तानानयस्य ह।
सन्ति स्निग्धाश्च ये चान्ये राजानः पृथिवीतले॥२५॥
तानानय ततः क्षिप्रं सानुगान्सहवान्धवान्।
वसिष्ठवाक्यं तच्छु, त्वा सुभन्त्रस्त्रितस्तदा॥२६॥
⚜️इसी प्रकार वृद्ध और परम धार्मिक केकयराज, जो महाराज के ससुर हैं, पुत्र सहित यहाँ लेकर आओ अ्ङ्ग देशाधिपति यशश्वी महाराज रोमपाद को, जो महाराज के मित्र हैं, सत्कार पूर्वक लेकर लाओ। इनके अतिरिक्त पूर्व देश के, सिन्धु देश के सौवीर के, दक्षिण देश के राजाओं तथा पृथ्वीमग्डल के अन्य अच्छे राजाओं को, भाई बंधु नौकर चाकर सहित दूत भेज कर । शीघ्र बुलवाओ । तब वशिष्ठ जी के इस कथन को सुन सुमंत्र ने तुरन्त आज्ञा पालन किये॥ २३॥२४॥२५॥२६॥
#ramayan
।।त्रयोदशः सर्गः।।
🍃श्वशुरं राजसिंहस्य सपुत्रं त्वमिहानय।
अङ्गेश्वरं महाभागं रोमपादं सुसत्कृतम् ॥२३
वयस्य राजसिंहस्य समानय यशखिनम्।
पाचीनान्सिन्धुसौवीरान्सौराष्ट्रेयांश्च पार्थिवान्॥२४॥
दाक्षिणात्याच्रेन्द्रांशच समस्तानानयस्य ह।
सन्ति स्निग्धाश्च ये चान्ये राजानः पृथिवीतले॥२५॥
तानानय ततः क्षिप्रं सानुगान्सहवान्धवान्।
वसिष्ठवाक्यं तच्छु, त्वा सुभन्त्रस्त्रितस्तदा॥२६॥
⚜️इसी प्रकार वृद्ध और परम धार्मिक केकयराज, जो महाराज के ससुर हैं, पुत्र सहित यहाँ लेकर आओ अ्ङ्ग देशाधिपति यशश्वी महाराज रोमपाद को, जो महाराज के मित्र हैं, सत्कार पूर्वक लेकर लाओ। इनके अतिरिक्त पूर्व देश के, सिन्धु देश के सौवीर के, दक्षिण देश के राजाओं तथा पृथ्वीमग्डल के अन्य अच्छे राजाओं को, भाई बंधु नौकर चाकर सहित दूत भेज कर । शीघ्र बुलवाओ । तब वशिष्ठ जी के इस कथन को सुन सुमंत्र ने तुरन्त आज्ञा पालन किये॥ २३॥२४॥२५॥२६॥
#ramayan
📙ऋग्वेद
सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-२० देवता-अश्विनीकुमार आदि
🍃तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरयः. दिवीव चक्षुराततम्.. (२०)
⚜️आकाश के चारों ओर फैली हुई आंखें जिस प्रकार देखती हैं, उसी प्रकार विद्वान् भी विष्णु के स्वर्ग नामक परमपद पर दृष्टि रखते हैं. (२०)
#rgveda
सूक्त-२२, प्रथम मंडल,
मंत्र-२० देवता-अश्विनीकुमार आदि
🍃तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरयः. दिवीव चक्षुराततम्.. (२०)
⚜️आकाश के चारों ओर फैली हुई आंखें जिस प्रकार देखती हैं, उसी प्रकार विद्वान् भी विष्णु के स्वर्ग नामक परमपद पर दृष्टि रखते हैं. (२०)
#rgveda
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 10:23 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक 24 मार्च 2021
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुष्य रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅ योग - अतिगण्ड दोपहर 11:42 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:45 से दोपहर 02:16 तक
⛅ सूर्योदय - 06:40
⛅ सूर्यास्त - 18:49
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 10:23 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक 24 मार्च 2021
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2077
⛅ शक संवत - 1942
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - वसंत
⛅ मास - फाल्गुन
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पुष्य रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात अश्लेशा
⛅ योग - अतिगण्ड दोपहर 11:42 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:45 से दोपहर 02:16 तक
⛅ सूर्योदय - 06:40
⛅ सूर्यास्त - 18:49
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
हितोपदेशः - HITOPADESHAH
अपराधेऽपि निःशङ्को
नियोगी चिरसेवकः।।
स स्वामिनमवज्ञाय
चरेच्च निरवग्रहः।।
अर्थः:
बहुत काल से काम करनेवाला सेवक अपराध करने पर भी निडर होकर अपने मालिक को भी अनदेखा करके अपनी मनमानी करता है।
MEANING:
When a servant working for a long time commits a mistake, he neglects his lord and continues with his misdeeds without any fear or hindrance.
ॐ नमो भगवते हयास्याय।
©Sanju GN #Subhashitam
अपराधेऽपि निःशङ्को
नियोगी चिरसेवकः।।
स स्वामिनमवज्ञाय
चरेच्च निरवग्रहः।।
अर्थः:
बहुत काल से काम करनेवाला सेवक अपराध करने पर भी निडर होकर अपने मालिक को भी अनदेखा करके अपनी मनमानी करता है।
MEANING:
When a servant working for a long time commits a mistake, he neglects his lord and continues with his misdeeds without any fear or hindrance.
ॐ नमो भगवते हयास्याय।
©Sanju GN #Subhashitam
Forwarded from पुरुषोत्तमः॥ Purushothaman AJ (Bharatam).
हरिःॐ। सौम्यवासर-सुप्रभातम्।
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।
जयतु संस्कृतम्॥
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