📒📒📒 वेदपाठन 📒📒📒
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 क्रीडन्तो नन्दनवने क्रूरेण किल हिंसिताः।
बधार्थ वयमायातास्तस्य वै मुनिभिः सह ॥२३॥
⚜️ भावार्थ - देखिये, उस दुष्ट ने ( इन्द्र के ) नन्दनवन नामक उद्यान में क्रीड़ा करते हुए अनेक गन्धर्वो तथा अप्सराओं को मार डाला। उसी को मरवाने के लिये, हम यहाँ मुनियों सहित आये हैं ॥ २३ ॥
🍃 सिद्धगन्धर्वयक्षाश्च ततस्त्वां शरणं गताः।
त्वं गतिः परमा देव सर्वेषां नः परन्तप ॥२४॥
⚜️ भावार्थ - हम सिद्ध, गन्धर्व और यक्षों सहित आपके शरण में आये हैं। हे देव ! हमारी दौड़ तो आप ही तक है। ॥२४॥
#Ramayan
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 क्रीडन्तो नन्दनवने क्रूरेण किल हिंसिताः।
बधार्थ वयमायातास्तस्य वै मुनिभिः सह ॥२३॥
⚜️ भावार्थ - देखिये, उस दुष्ट ने ( इन्द्र के ) नन्दनवन नामक उद्यान में क्रीड़ा करते हुए अनेक गन्धर्वो तथा अप्सराओं को मार डाला। उसी को मरवाने के लिये, हम यहाँ मुनियों सहित आये हैं ॥ २३ ॥
🍃 सिद्धगन्धर्वयक्षाश्च ततस्त्वां शरणं गताः।
त्वं गतिः परमा देव सर्वेषां नः परन्तप ॥२४॥
⚜️ भावार्थ - हम सिद्ध, गन्धर्व और यक्षों सहित आपके शरण में आये हैं। हे देव ! हमारी दौड़ तो आप ही तक है। ॥२४॥
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📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 वधाय देवशत्रूणां नृणां लोके मनः कुरु ।
एवमुक्तस्तु देवेशो विष्णुत्रिदशपुङ्गवः ॥ २५ ॥
⚜️ भावार्थ - अतः आप देवताओं के शत्रु रावण का वध करने के लिये मनुष्यलोक में अवतीर्ण होइए। इस प्रकार देवताओं ने भगवान् विष्णु की स्तुति की ॥२५ ॥
🍃 पितामहपुरोगांस्तान्सर्वलोकनमस्कृतः ।
अब्रवीत्रिदशान्सर्वान्समेतान्धर्मसंहितान् ॥२६॥
⚜️ भावार्थ - सर्वलोको से नमस्कार किये जाने वाले अर्थात् सर्वपुज्य भगवान् विष्णु ने, शरण आये हुए एकत्रित ब्रह्मादि देवताओं से यह कहा ॥२६॥
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🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 वधाय देवशत्रूणां नृणां लोके मनः कुरु ।
एवमुक्तस्तु देवेशो विष्णुत्रिदशपुङ्गवः ॥ २५ ॥
⚜️ भावार्थ - अतः आप देवताओं के शत्रु रावण का वध करने के लिये मनुष्यलोक में अवतीर्ण होइए। इस प्रकार देवताओं ने भगवान् विष्णु की स्तुति की ॥२५ ॥
🍃 पितामहपुरोगांस्तान्सर्वलोकनमस्कृतः ।
अब्रवीत्रिदशान्सर्वान्समेतान्धर्मसंहितान् ॥२६॥
⚜️ भावार्थ - सर्वलोको से नमस्कार किये जाने वाले अर्थात् सर्वपुज्य भगवान् विष्णु ने, शरण आये हुए एकत्रित ब्रह्मादि देवताओं से यह कहा ॥२६॥
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📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚
🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 भयं त्यजत भद्रं वो हितार्थं युधि रावणम्।
सपुत्रपौत्रं सामात्यं समित्रज्ञातिवान्धवम्।।२७।।
हत्वा क्रूरं दुरात्मानं देवर्षीणां भयावहम्।
दश वर्षसहस्राणि दश वर्षशतानि च।
वत्स्यामि मानुषे लोके पालयन्पृथिवीमिमाम् ॥२८॥
⚜️ भावार्थ - हे देवताओ ! तुम्हारा मङ्गल हो तुम अब मत डरो। तुम्हारे हित के लिये मैं रावण से लडूँगा। मैं पुत्र, पौत्र, मंत्रि, मित्र, जाति वालों तथा वन्धु बान्धव सहित, उस क्रूर, दुष्ट और देवताओं तथा ऋषियों के लिये भयप्रद रावण को मारकर और ग्यारह हज़ार वर्ष तक मर्त्यलोक में रह कर, इस पृथिवी का पालन करूँगा ।।२७॥२८॥
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🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। पञ्चदशः सर्गः ।।
🍃 भयं त्यजत भद्रं वो हितार्थं युधि रावणम्।
सपुत्रपौत्रं सामात्यं समित्रज्ञातिवान्धवम्।।२७।।
हत्वा क्रूरं दुरात्मानं देवर्षीणां भयावहम्।
दश वर्षसहस्राणि दश वर्षशतानि च।
वत्स्यामि मानुषे लोके पालयन्पृथिवीमिमाम् ॥२८॥
⚜️ भावार्थ - हे देवताओ ! तुम्हारा मङ्गल हो तुम अब मत डरो। तुम्हारे हित के लिये मैं रावण से लडूँगा। मैं पुत्र, पौत्र, मंत्रि, मित्र, जाति वालों तथा वन्धु बान्धव सहित, उस क्रूर, दुष्ट और देवताओं तथा ऋषियों के लिये भयप्रद रावण को मारकर और ग्यारह हज़ार वर्ष तक मर्त्यलोक में रह कर, इस पृथिवी का पालन करूँगा ।।२७॥२८॥
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