संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।

🍃ततः कैश्चिद्डोरातैरुपयाता महीक्षितः।
बहूनि रत्नान्यादाय राज्ञो दशरथस्य हि ॥३१॥

⚜️इसके कुछ ही दिनों बाद अनेक प्रकार के रत्नों की भेंटे ले ले कर राजा लोग महाराज दशरथ की यज्ञशाला में आ पहुँचे॥३१॥

🍃ततो वसिष्ठः सुभीतो राजानमिदमत्रवीत्।
उपयाता नरव्याघ्र राजानस्तव शासनात्॥३२।।

⚜️तब वशिष्ठ जी राजाओं को आये हुए देख, प्रसन्न हो, महाराज दशरथ से वाले आप के आदेशानुसार सब राजा लोग आ गये॥३२॥

#ramayan
📙 ऋग्वेद

सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-०२ देवता-वायु आदि

🍃उभा देवा दिविस्पृशेन्द्रवायू हवामहे. अस्य सोमस्य पीतये.. (२)

⚜️मैं आकाश में रहने वाले इंद्र और वायु दोनों देवों को यह सोमरस पीने के लिए बुलाता हूं. (२)

#rgveda
चाणक्य नीति ⚔️

✒️एकादशः अध्याय

♦️श्लोक : ८

न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्ष स तं सदा निन्दति नाअ्त्र चित्रम्।
यथा किरती करिकुम्भजाता मुक्ताः परित्यज्य बिभति गुंजाः।।८।।

♦️भावार्थ - जो जिसके गुणों को, गुणों की श्रेष्ठता को नहीं जानता, वह हमेशा उसकी अपेक्षा करता है - इसमें आश्चर्य कैसा? जैसे भीलनी हाथी मस्तक पर स्थित मोती को छोड़कर घुँघची की माला ही पहनती है।

#chanakya
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।

🍃मया च सत्कृताः सर्वे यथाहं राजसत्तमाः।
यज्ञियं च कृतं राजन्युरुपैः सुसमाहितैः ॥३३॥

⚜️हे महाराज ! मैंने भी उनका यथावित सत्कार कर दिया और यज्ञ की भी सब तैयारी हो चुकी है॥३३॥

🍃निर्यातु च भवान्यर्टुं यज्ञायतनमन्तिकात्।सर्वकामैरुपहुतैरुपेतं वै समन्ततः ॥ ३४॥

द्रष्टुमर्हसि राजेन्द्र मनसेव विनिर्मितम्।
तथा वसिष्ठवचनादृश्यशृङ्गस्य चाभयोः ॥ ३५॥

⚜️अब आप भी यज्ञ करने के लिये यज्ञशाला में पधारिये और यज्ञ की सब सामग्री को देखिये कि, सेवकों ने कैसी उत्तमता और सावधानता से सब सामान सजा कर रखा है। तब वशिष्ठ जी और ऋषि श्रृंग दोनों के कहने से॥३४॥३५॥

#ramayan
📙 ऋग्वेद

सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-०३ देवता-वायु आदि

🍃इन्द्रवायू मनोजुवा विप्रा हवन्त ऊतये. सहस्तरक्षा धियस्पत.. (३)

⚜️वायु मन के समान गतिशील एवं इंद्र हजार आंखों वाले हैं. बुद्धिमान् लोग इन्हें अपनी रक्षा के लिए बुलाते हैं. (३)

#rgveda
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२२
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७७
🚩तिथि - पूर्णिमा रात्रि 12:17 तक तत्पश्चात प्रतिपदा

दिनांक 28 मार्च 2021
दिन - रविवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 05:36 तक तत्पश्चात हस्त
योग - वृद्धि रात्रि 09:50 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहुकाल - शाम 05:20 से शाम 06:52 तक
सूर्योदय - 06:36
सूर्यास्त - 18:50
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा, हुताशनी पूर्णिमा, होलिका दहन, होलाष्टक समाप्त
चाणक्य नीति ⚔️
✒️एकादशः अध्याय

♦️श्लोक:-९

ये तु संवत्सरं पूर्णं नित्यं मौनेन भुञ्जते।
युगकोटिसहस्त्रन्तु स्वर्गलोक महीयते।।९।।

♦️भावार्थ-- जो व्यक्ति पूरे साल हमेशा मौन होकर, चुपचाप, बिना बोले हुए भोजन करता है, वह अवश्य ही एक हजार करोड़ युगों तक स्वर्ग धाम में गौरव आदर सम्मान पाता है।।

#chanakya
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।। त्रयोदशः सर्गः ।।

🍃शुभे दिवसनक्षत्रे निर्याता जगतीपतिः।
ततो वसिष्टपप्रुखाः सर्व एव द्विजोत्तमाः॥३६॥

ऋष्यशृङ्गं पुरस्कृत्य यज्कर्मारभंस्वदा।
यज्ञवाटवताः सर्वे यथाशास्त्रं यथाविधि ।
श्रीमांश्च सहपत्नीभी राजा दीक्षामुपाविशत् ॥३७॥

👉🏻🚩इति त्रयोदशः सर्गः॥

⚜️शुभ दिन और नक्षत्र में महाराज दशरथ यज्ञशाला में गये। तब वशिष्ठ प्रमुख सब ब्राह्मणों ने ऋषि श्रृंग को अपना प्रमुख बना यज्ञशाला में यज्ञकार्य यथा विधि प्रारम्भ किया और महाराज ने रानियों सहित यज्ञ दीक्षा ली॥३६॥३७॥

👉🏻🚩बालकाण्ड का तेरहवां सर्ग पूरा हुआ।

#ramayan
📙 ऋग्वेद

सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-०४ देवता-वायु आदि


🍃मित्रं वयं हवामहे वरुणं सोमपीतये, जज्ञाना पूतदक्षसा.. (४)

⚜️मित्र और वरुण यज्ञ में प्रकट होने वाले एवं शुद्धबलसंपन्न हैं. हम उन्हें सोमरस पीने के लिए बुलाते हैं. (४)

#rgveda
हरिःॐ। इन्दुवासर-सुप्रभातम्।

आकाशवाण्या अद्यतन्यःप्रातःकालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
हरिःॐ। २०२१-०३-२९ सोमवासरः।

https://youtu.be/GVkAUhnGAMw

जयतु संस्कृतम्॥
अयं होलीमहोत्सवः भवत्कृते भवत्परिवारकृते च
क्षेमस्थैर्य-आयुः-आरोग्य-ऐश्वर्य-अभिवृद्घिकारकः भवतु।।
।।होलिकाया: हार्दिकशुभाशयाः।।
हरिःॐ। सोमवासर-सायङ्कालशुभेच्छाः।

आकाशवाण्या अद्यतनसायङ्कालवार्ताः।

जयतु संस्कृतम्॥
📚 श्रीमद बाल्मीकि रामायणम 📚

🔥 बालकाण्ड: 🔥
।।चतुर्दशः सर्गः।।

🍃अथ संवत्सरे पूर्णे तस्मिन्माप्ते तुरङ्गमे।
सरय्वाश्वोचरे तीरे राज्ञो यज्ञोऽभ्यवर्तत ॥१॥

⚜️एक वर्ष बाद जब यज्ञ का घोड़ा चारों ओर घूमकर आ गया, तब महाराज दशरथ का अ्वमेधयज्ञ सरयू के उत्तरतट पर होने लगा॥१॥

🍃ऋश्यभृङ्गं पुरस्कृत्य कर्य चक्रुद्विजर्षभाः।
अववमेधे महायज्ञे राज्ञोऽस्य सुमहात्मनः॥२॥

⚜️ऋषि श्रृंग प्रमुख ब्राह्मणश्रेष्टों ने महाराज दशरथ से अश्वमेध यक्ष करवाया॥२॥

#ramayan
📙 ऋग्वेद

सूक्त-२३, प्रथम मंडल,
मंत्र-०५ देवता-वायु आदि


🍃ऋतेन यावृतावृधावृतस्य ज्योतिषस्पती. ता मित्रावरुणा हुवे.. (५)

⚜️मित्र और वरुण सत्य के द्वारा यज्ञकर्म की वृद्धि करते हैं. और वास्तविक प्रकाश के पालनकर्ता हैं. मैं इन दोनों का आह्वान करता हूँ. (५)

#rgveda
चाणक्य नीति ⚔️
✒️एकादशः अध्याय

♦️श्लोक:-११

अकृष्टफलमूलेन वनवाहरताः सदा।
कुरुतेअ्हरहः श्राद्धमृषिविप्रः स उच्यते।।११।।

♦️भावार्थ--बिना जोती हुई धरती से फल एवं कंदमूल आदि खाकर जो जीवन बिताता है और सदैव वन में बसने की इच्छा रखता है, हर रोज़ पितरो का श्राद्ध करता है, वह ब्राह्मण ऋषि कहा जाता है।।

#chanakya