संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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हरि: ॐ
सर्वेभ्यो नमस्कार: ।
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।

Gita Shikshana Kendram (Samskrit online through Bhagavadgita)

Geetha sopanam level 1 & level 2 classes will be start on
Geeta sopam level 1 23/06/2022
Geeta sopnam level 2
24/06/2022

Last Date of Registration to this classes is
17/06/2022

To Register Click on this link and read instruction given in this link:*

https://forms.gle/zgMWp1uoj8CQtK4f7
🍃अधश्चोर्ध्वं प्रसृतास्तस्य शाखा गुणप्रवृद्धा विषयप्रवालाः।
अधश्च मूलान्यनुसन्ततानि कर्मानुबन्धीनि मनुष्यलोके
।।15.2।।

♦️adhascordhvan prasrtastasya sakha gunapravrddha visayapravalah.
adhasca mulanyanusantatani
karmanubandhini manusyaloke৷৷15.2৷৷

Below and above spread its branches, nourished by the Gunas; sense-objects are its buds; and below, in the world of men, stretch forth the roots, originating action.(15.2)

उस वृक्ष की शाखाएं गुणों से प्रवृद्ध हुईं नीचे और ऊपर फैली हुईं हैं (पंच) विषय इसके अंकुर हैं मनुष्य लोक में कर्मों का अनुसरण करने वाली इसकी अन्य जड़ें नीचे फैली हुईं हैं।।15.2।।

#geeta
🍃न रूपमस्येह तथोपलभ्यते नान्तो न चादिर्न च संप्रतिष्ठा।
अश्वत्थमेनं सुविरूढमूल मसङ्गशस्त्रेण दृढेन छित्त्वा
।।15.3।।

♦️na rupamasyeha tathopalabhyate
nanto na cadirna ca sanpratistha.
asvatthamenan suvirudhamula
masangasastrena drdhena chittva৷৷15.3৷৷

Its form is not perceived here as such, neither its end nor its origin, nor its foundation nor resting place: having cut asunder this firmly rooted peepul tree with the strong axe of non-attachment.(15.3)

इस (संसार वृक्ष) का स्वरूप जैसा कहा गया है वैसा यहाँ उपलब्ध नहीं होता है क्योंकि इसका न आदि है और न अंत और न प्रतिष्ठा ही है। इस अति दृढ़ मूल वाले अश्वत्थ वृक्ष को दृढ़ असङ्ग शस्त्र से काटकर।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - अष्टमी सुबह 08:31 तक तत्पश्चात नवमी

दिनांक 08 जून 2022
दिन - बुधवार
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी रात्रि ( 09 जून प्रातः 04:31 ) तक तत्पश्चात हस्त
योग - सिद्धि ( 09 जून प्रातः 03:27) तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहुकाल - दोपहर 12:29 से 02:20 तक
सूर्योदय - 05:53
सूर्यास्त - 07:24
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:11 तक
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

Read in English
हिन्दी में पढें


#chitram
https://youtu.be/CBvcbgpOj6w
स्वातन्त्र्यामृतमहोत्सवान्तर्गता #AzadiKaAmritMahotsav संस्कृतज्ञस्वातन्त्र्यवीरस्मृतिव्याख्यानमाला
This lecture series starts today and continue upto 15-06-2022 in all Campuses of CSU under guidance and kind directions of @shrivarakhedi Hon'ble VC ,CSU.
Watch LIVE on YouTube, FB https://t.co/HowvBW4t1X
अद्य संलापशाला पिहिता अस्ति।
🍃उत्थानवीरः पुरुषो
वाग्वीरानधितिष्ठति
उत्थानवीरान् वग्वीरा
रमयन्त उपासते
।।
(महाभारत, शान्ति पर्व - ५८/१५)

जो उद्योग करनेवाले वीर होते हैं वह वीर पुरुष वाग्वीर पुरुषों पर अपने आधिपत्य जमा लेते हैं, वाग्वीर विद्वान् उद्योगवीर पुरुषों का मनोरंजन करते हुए उनकी उपासना करते हैं।

🔅उद्यमिनः जनाः वाक्पटुजनानाम् उपरि प्रभुत्वं स्थापयन्ति, वाक्पटवः परिश्रमिणां कृते आनन्दस्य साधनमात्राः भवन्ति।

#Subhashitam
कर्तरि प्रयोगे _______ प्रधानता भवति।
Anonymous Quiz
59%
कर्ता
11%
कर्मणः
4%
कर्म
23%
कर्तुः
3%
क्रियायाः
ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
आज्ञार्थ

अहम् आगच्छानि वा ?
= मैं आऊँ क्या ?

आम् आगच्छतु ।
= हाँ आईये।

न मा आगच्छतु।
= नहीं मत आईये।

हे दीपक ! भवान् मम गृहम् आगच्छतु।
= दीपक ! आप मेरे घर आईयेगा।

भवती शीघ्रमेव आगच्छतु।
= आप जल्दी से आईये।

भोजनं कर्तुम् आगच्छतु।
= भोजन करने आईये।

आगच्छन्तु संस्कृतं पठाम।
= आईये संस्कृत पढ़ते हैं

प्रारम्भे एकवचने एव अभ्यासं कुर्वन्तु।
= प्रारम्भ में एकवचन में ही अभ्यास करिये।


ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
वर्तमानकाल

अहं पठामि
= पढ़ता हूँ / पढ़ती हूँ।

अहं ऋग्वेदं पठामि।
= मैं ऋग्वेद पढ़ रही हूँ / रहा हूँ।

इदानीम् अहं मनुस्मृतिं पठामि।
= अभी मैं मनुस्मृति पढ़ रहा हूँ / पढ़ रही हूँ।

सोमवासरे अहं भगवद्गीतां पठामि।
= सोमवार को मैं भगवद्गीता पढ़ता हूँ / पढ़ती हूँ।

अहं परिपत्रं पठामि।
= मैं सर्कुलर पढ़ रहा हूँ / पढ़ रही हूँ।

सः नीतिशतकं पठति।
= वह नीतिशतक पढ़ रहा है।

सा रघुवंशं पठति।
= वह रघुवंश पढ़ रही है ।

नीलेशः मेघदूतं पठति।
= नीलेश मेघदूत पढ़ रहा है।

गोमती सायंकाले पठति।
= गोमती शाम को पढ़ती है।

सुनिधिः आयुर्वेदं पठति।
= सुनिधि आयुर्वेद पढ़ती है।

माता मम पत्रं पठति।
= माँ मेरा पत्र पढ़ रही है।


ओ३म्
संस्कृताभ्यासः
भविष्यकाल

अहं पठिष्यामि
= पढूँगा / पढूँगी।

अहं ऋग्वेदं पठिष्यामि।
= मैं ऋग्वेद पढूँगा / पढूँगी।

अहं मनुस्मृतिं पठिष्यामि।
= मैं मनुस्मृति पढूँगा / पढूँगी।

रविवासरे अहं भगवद्गीतां पठिष्यामि।
= रविवार को मैं भगवद्गीता पढूँगा / पढूँगी।

अहं गृहं गत्वा पठिष्यामि।
= मैं घर जाकर पढूँगा / पढूँगी।

सः नीतिशतकं पठिष्यति।
= वह नीतिशतक पढ़ेगा।

सा रघुवंशं पठिष्यति।
= वह रघुवंश पढ़ेगी ।

नीलेशः मेघदूतं पठिष्यति।
= नीलेश मेघदूत पढ़ेगा।

गोमती रात्रिकाले पठिष्यति।
= गोमती रात को पढ़ेगी।

सुनिधिः आयुर्वेदं पठिष्यति।
= सुनिधि आयुर्वेद पढ़ेगी।

पुत्रः गणितं पठिष्यति।
= पुत्र गणित पढ़ेगा।

#vakyabhyas
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं

20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰तृतीयाविभक्तिः
🗓08th जून 2022, बुधवासरः

🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।

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