संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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1) Husband and wife during their first wedding anniversary.
2) During their 25th wedding anniversary.

#hasya
🍃नान्यं गुणेभ्यः कर्तारं यदा द्रष्टानुपश्यति।
गुणेभ्यश्च परं वेत्ति मद्भावं सोऽधिगच्छति
।।14.19।।

♦️nanyan gunebhyah kartaran yada drastanupasyati.
gunebhyasca paraṅ vetti madbhavan sodhigacchati৷৷14.19৷৷

When the seer beholds no agent other than the Gunas and knows That which is higher than they, he attains to My Being.(14.19)

जब द्रष्टा (साधक) पुरुष तीनों गुणों के अतिरिक्त किसी अन्य को कर्ता नहीं देखता अर्थात् नहीं समझता है और तीनों गुणों से परे मेरे तत्व को जानता है तब वह मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है।।14.19।।

#geeta
Audio
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰जल्पनम्
🗓03rd june 2022, शुक्रवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (सामान्याः वार्ताः कुर्मः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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Live stream scheduled for
🍃गुणानेतानतीत्य त्रीन्देही देहसमुद्भवान्।
जन्ममृत्युजरादुःखैर्विमुक्तोऽमृतमश्नुते
।।14.20।।

♦️gunanetanatitya trindehi dehasamudbhavan.
janmamrtyujaraduhkhairvimuktomrtamasnute৷৷14.20৷৷

The embodied one having crossed beyond these three Gunas out of which the body is evolved, is freed from birth, death, decay and pain, and attains to immortality.(14.20)

यह देही पुरुष शरीर की उत्पत्ति के कारणरूप तीनों गुणों से अतीत होकर जन्म मृत्यु जरा और दुखों से विमुक्त हुआ अमृतत्व को प्राप्त होता है।।14.20।।

#geeta
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🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - १९४४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 02:41 तक तत्पश्चात पंचमी

⛅️ दिनांक - 03 जून 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - शुक्ल
⛅️ नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 07:05 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅️ योग - वृद्धि रात्रि 03:34 तक तत्पश्चात ध्रुव
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:38 तक
⛅️ सर्योदय - 05:54
⛅️ सर्यास्त - 07:22
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:29 से 05:12 तक
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यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।

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🔰जल्पनम्
🗓03rd june 2022, शुक्रवासरः

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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (सामान्याः वार्ताः कुर्मः) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
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🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

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#chitram
🍃शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात्परं सुखम् । न तृष्णायाः परो व्याधिः न च धर्मो दयापरः

♦️shaantitulyam tapo naasti na santoShaatparam sukham na tRiShNaayaal paro vyaadhiH na cha dharmo dayaaparaH

शान्ति के समान कोई तप नहीं है। संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं है। तृष्णा (आकांक्षा) से बुरी कोई बिमारी नहीं है। दया से बड़ा कोई धर्म नहीं है।

There is no penance equal to peace; no pleasure beyond satisfaction; no disease is worse than greed; no virtue better than compassion.

🔅शान्तिः सदृशं तपः नास्ति, संतोषः सदृशं सुखं नास्ति, तृष्णा(इच्छा) सदृशः रोगः नास्ति तथा दया सदृशः धर्मः नास्ति।

#Subhashitam
न अङ्गीकरोति = ?
समस्तपदः कः भवेत्।
Anonymous Quiz
12%
आङ्गीकरोति
53%
नाङ्गीकरोति
30%
अनङ्गीकरोति
5%
नङ्गीकरोति
Sanskrit Academy, Osmania University, Hyderabad is offering Online course from the month of June 2022 and requests all the interested/ enthusiastic people/ Sanskrit lovers to join this course. Classes may commence from 13.06.2022. Last date for admission is 06.06.2022.

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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
🌷ओ३म्🌷 🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺 - श्रीपाद दामोदर सातवलेकर पाठ ७ शब्दानि कथय - कह । पश्य - देख । दर्शय - दिखा । अस्ति - वह है । अस्मि - मैं हूँ । असि - तू है । सत्य - सच्चाई । दयाम् - दया को । सन्ध्याम् - सन्ध्या को । आगच्छ - आ। ब्रूहि - बोल । शृणु -…
🌷ओ३म्🌷

🌺 संस्कृत स्वयं शिक्षक 🌺

पाठ ७ ख

लोट् लकार
संस्कृत में काल और अर्थ की दृष्टि से प्रत्येक क्रिया/धातु को ११ लकारों में विभाग किया गया है, जैसे लट्, लोट्, लृट्, लङ्, विधिलिङ्, लुट् आदि। इनमें से लट् लकार का प्रयोग वर्तमान काल के लिए होता है, जिसके रूप हम आपको दे चुके हैं। आगे लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा देने अथवा प्रार्थना करने के अर्थ में किया जाता है। लोट् लकार के व्यवहारिक वाक्य इससे पूर्व के पाठ ७ में आप पढ़ चुके हैं, जिनमें वद, पश्य, आगच्छ, श्रावय, उत्थापय, कथय, तिष्ठ, उत्तिष्ठ, दर्शय, खाद, वप आदि लोट् लकार के मध्यमपुरुष, एकवचन धातुरूप का प्रयोग किया गया था।

अब पठ् धातु के लोट् लकार के रूप निम्नलिखित हैं, इन्हें स्मरण कर लें -

१) पठ् धातुः - लोट् लकारः आज्ञार्थक
----एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमः पुरुषः पठतु  पठताम्  पठन्तु
मध्यमः पुरुषः पठ  पठतम्   पठत
उत्तमः पुरुषः  पठानि  पठाव  पठाम

इसी प्रकार आप दृश् (पश्य्), वद्, लिख्, कथ् (कथय्), गम् (गच्छ्), खाद्, वप्, स्था (तिष्ठ्) [बैठने के अर्थ में], उत्+स्था (उत्तिष्ठ्) आदि धातुओं के लोट् लकार के रूप बना सकते हैं, यथा - तिष्ठतु, तिष्ठताम्, तिष्ठन्तु इत्यादि।

सर्वनाम रूपों के तीनों पुरुष और तीनों वचनों को पठ् धातु के पुरुषों और वचनों से क्रमशः मिलाने पर संस्कृत के निम्न वाक्य बनते हैं -

(क) प्रथमः पुरुषः [आज्ञार्थ वाक्य]
----पुंल्लिङ्गम्
१. सः पाठं पठतु - वह पाठ पढ़े।
२. तौ क्रमशः पाठं पठताम् - वे दो क्रम से पाठ पढ़ें।
३. ते क्रमशः पाठं पठन्तु - वे सब क्रम से पाठ पढ़ें।

-----स्त्रीलिङ्गम्
१. सा बालिका पठतु - वह बालिका पढ़े।
२. ते बालिके पठताम् - वे दो बालिकायें पढ़ें।
३. ताः बालिकाः पठन्तु - वे सब बालिकायें पढ़ें।

(ख) मध्यमः पुरुषः [आज्ञार्थ वाक्य]
१. त्वम् वेदमन्त्रं पठ - तुम वेदमन्त्र पढ़ो।
२. युवाम् वेदमन्त्रं पठतम् - तुम दो वेदमन्त्र पढ़ो।
३. यूयम् वेदमन्त्रं पठत - तुम सब वेदमन्त्र पढ़ो।

(ग) उत्तमः पुरुषः [प्रार्थना अर्थ वाक्य]
१. किम् अहम् पुस्तकं पठानि - क्या मैं पुस्तक पढ़ूँ?
२. किम् आवाम् विज्ञानं पठाव? - क्या हम दो विज्ञानं पढ़ें?
३. किम् वयम् संस्कृतं पठाम? - क्या हम सब संस्कृतं पढ़ें?

भवान्/भवती (आप) के साथ प्रथमपुरुष क्रिया का ही प्रयोग होता है, मध्यमपुरुष का नहीं। अतः उसके वचन के अनुसार उसी क्रिया के रूप का प्रयोग करना चाहिए -

(क) प्रथमः पुरुषः [आज्ञार्थ/प्रार्थनार्थ]
----पुंल्लिङ्गम्
१. भवान् पाठं पठतु - आप पाठ पढ़ो।
२. भवन्तौ क्रमशः पाठं पठताम् - आप दो क्रम से पाठ पढ़ो।
३. भवन्तः क्रमशः पाठं पठन्तु - आप सब क्रम से पाठ पढ़ें।

-----स्त्रीलिङ्गम्
१. भवती पठतु - आप पढ़े।
२. भवत्यौ पठताम् - आप दो पढ़ें।
३. भवत्यः पठन्तु - आप सब पढ़ें।

लट् आदि अन्य लकारों में भी यही नियम लगेगा। यथा -
१. भवान्/भवती पाठं पठति - आप पाठ पढ़ते हो।
२. भवन्तौ/भवत्यौ मन्त्रं पठतः - आप दो मन्त्र पढ़ते हो।
३. भवन्तः/भवत्यः संस्कृतं पठन्ति - आप सब संस्कृत पढ़ते हो।

ध्यातव्यम् - भवत् पुल्लिंग के रूप (भवान् आदि) पठत् के तुल्य चलेंगे और भवत् स्त्रीलिंग के रूप (भवती आदि) नदी के तुल्य चलेंगे।

#vakyabhyas
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं

20 मिनट
🕚 09:00 PM 🇮🇳
🔰 क्त्वा ल्यप् प्रत्ययोः अभ्यासः
🗓3rd जून 2022, शुक्रवासरः

🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।

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