संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
4.4K subscribers
3.04K photos
281 videos
304 files
5.76K links
Daily dose of Sanskrit.

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Download Telegram
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.23]
🍃उपद्रष्टाऽनुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः।
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुषः परः
।।13.23।।

♦️upadraShTaa'numantaa cha bhartaa bhoktaa maheshvaraH|
paramaatmeti chaapyukto dehe'sminpuruShaH paraH

13.23 The Supreme Soul in this body is also called the spectator, the permitter, the supporter, the enjoyer, the great Lord and the Supreme Self.

।।13.23।। परम पुरुष ही इस देह में उपद्रष्टा अनुमन्ता भर्ता भोक्ता महेश्वर और परमात्मा कहा जाता है।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
🚩तिथि - तृतीया रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्थी


दिनांक - 18 मई 2022
दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - ज्येष्ठा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात मूल
योग - सिद्ध सुबह 06:45 तक तत्पश्चात साध्य
राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
सूर्योदय - 05:58
सूर्यास्त - 07:15
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

Read in English
हिन्दी में पढें


#chitram
🍃यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पंडितान् उपाश्रयति।
तस्य दिवाकरकिरणैः नलिनी दलं इव विस्तारिता बुद्धिः


🔅यः जनः सर्वदा पठति लिखति सम्यक् पश्यति जिज्ञासां करोति तथा श्रेष्ठानां समीपे तिष्ठति तस्य जनस्य बुद्धिः तथा भवति यथा कमलं सूर्यकिरणैः सह विकसतं भवति।

#Subhashitam
अनु + भू(धातुः) + ल्यप् प्रत्ययः = ?
Anonymous Quiz
17%
अनुभूत्वा
11%
अनुभाव्य
66%
अनुभूय
6%
अनुभवति
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (39) कृदन्त (6) ल्यप् प्रत्यय (सोपसर्ग = उपसर्ग सहित धातु हो तो क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है। ल्यप् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः इसके विभिन्न विभक्तियों…
आश्लिष्य रामं भरतो भृशं संतताप
= राम का आलिंगन करके भरत खूब दुःखी हुआ।

रामस्य वार्तां निशम्य क्रुद्धो लक्ष्मणोऽशमत्
= राम की बात सुनकर क्रोधित लक्ष्मण शान्त हो गया।

हेमहरिणं संदृश्य सीता अमोहीत्
= सोने का हिरण देखकर सीता मोहित हो गई।

उल्लन्घ्य लक्ष्मणस्य वचः सीता भिक्षुकाय भिक्षामददात्
= लक्ष्मण की बात का उल्लंघन करके सीता ने भिक्षुक को भिक्षा दी।

छद्मवेषो रावणः सीताम् अपहृत्य लंकामानिनाय
= छद्मवेषधारी रावण सीता का अपहरण करके लंका ले आया।

वाग्मी हनुमान् सीताम् अन्विष्य रामं सूचयाञ्चकार
= वाक्पटु हनुमान ने सीता की खोज करके राम को सूचना दी।

रावणं निहत्य रामः सीतां पुनः प्राप
= रावण को मार को राम ने सीता को फिर से पा लिया।

अयोध्यामागत्य सर्वे सुखसुखेन जीवनं यापयाञ्चक्रुः
= अयोध्या आकर सबने अत्यन्त सुख से जीवन बिताया।

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देहि।।
= जैसे मनुष्य फटे हुए वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वó धारण कर लेता है, वैसे ही यह जीवात्मा जीर्ण शरीरों को त्यागकर दूसरे नवीन शरीर प्राप्त कर लेता है।

सञ्चिन्त्य मनसा राजन् विदित्वा शक्यमात्मनः।
करोति यः शुभं कर्म स वै भद्राणि पश्यति।।
= हे राजन् ! जो मनुष्य मन से भली प्रकार चिन्तन करके और अपने सामर्थ्य को देखकर शुभ कर्म करता है, वह भद्र का दर्शन करता है, अर्थात् उसके जीवन में शुभ ही शुभ होता है।

धर्मं प्रसङ्गादपि नाचरन्ति पापं प्रयत्नेन समाचरन्ति।
आश्चर्यमेतद्धि मनुष्यलोकेऽमृतं परित्यज्य विषं पिबन्ति।।
= लोग धर्म का तो किसी प्रसंग के बहाने से भी आचरण नहीं करते, और पाप का तो प्रयत्नपूर्वक आचरण करते हैं। मानव संसार में यह एक अद्भुत बात है कि लोग अमृत को त्याग कर विष को पीते हैं।

इन्द्रियाणां प्रसङ्गेन दोषमृच्छत्यसंशयम्।
सन्नियम्य तु तान्येव ततः सिद्धिं नियच्छति।।
= मनुष्य इन्द्रियों की आसक्ति से निश्चय ही दोष को प्राप्त होता है। और इन्हीं इन्द्रियों को नियन्त्रित करके सिद्धि को प्राप्त होता है।

समुत्पत्तिं च मांसस्य वधबन्धौ च देहिनाम्।
प्रसमीक्ष्य निवर्त्तेत सर्वमांसस्य भक्षणात्।।
= मांस की प्राप्ति का और प्राणियों के बन्धन तथा हत्यादि का विचार करके मनुष्य को सब प्रकार के मांस के सेवन से दूर हो जाना चाहिए।

उपनीय तु यः शिष्यं वेदमध्यापयेद् द्विजः।
सकल्पं सरहस्यं च तमाचार्यं प्रचक्षते।।
= जो विद्यावान् मनुष्य शिष्य का उपनयन करके उसे कल्प (= श्रौत, गृह्य, धर्म तथा शुल्ब सूत्र) सहित और उपनिषद सहित सम्पूर्ण वेद पढ़ावे, उसे ही आचार्य कहते हैं।

निश्चित्य यः प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मणः।
अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते।।
= जो पहले निश्चय करके फिर कर्म का आरम्भ करता है, कर्म के बीच में नहीं ठहरता, समय को व्यर्थ नहीं गंवाता और जो अपने आप को वश में रखता है वही पण्डित कहाता है।

यथा वायुं समाश्रित्य वर्त्तन्ते सर्वजन्तवः।
तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्त्तन्ते सर्वआश्रमाः।।
= जैसे वायु के सहारे सभी प्राणी जीवित रहते हैं, वैसे ही गृहस्थ के सहारे सभी अन्य आश्रमी स्व-कर्म में स्थिर रहते हैं।

#vakyabhyas
Man 1:- Why this fellow is crying ?
Man 2:- Now he will meet them only after five years no ! In next election. May be because of that.

#hasya
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.24]
🍃य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणैःसह।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते
।।13.24।।

♦️ya evaM vetti puruShaM prakRRitiM cha guNaiHsaha|
sarvathaa vartamaano'pi na sa bhuuyo'bhijaayate

13.24 He who thus knows the Spirit and Matter together with the qualities, in whatever condition he may be, he is not born again.

।।13.24।। इस प्रकार पुरुष और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य जानता है वह सब प्रकार से रहता हुआ (व्यवहार करता हुआ) भी पुन नहीं जन्मता है।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.25]
🍃ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना।
अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे
।।13.25।।

♦️dhyaanenaatmani pashyanti kechidaatmaanamaatmanaa|
anye saaMkhyena yogena karmayogena chaapare

Some by meditation behold the Self in the self by the self, others by the Yoga of knowledge, and still others by the Yoga of action. (13.25)

कोई पुरुष ध्यान के अभ्यास से आत्मा को आत्मा (हृदय) में आत्मा (शुद्ध बुद्धि) के द्वारा देखते हैं अन्य लोग सांख्य योग के द्वारा तथा कोई साधक कर्मयोग से (आत्मा को देखते हैं )।।13.25।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 08:23 तक तत्पश्चात पंचमी

⛅️ दिनांक - 19 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ विक्रम संवत - 2079
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ योग - साध्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात शुभ
⛅️ राहुकाल - दोपहर 2:16 से 03:56 तक
⛅️ सर्योदय - 05:57
⛅️ सर्यास्त - 07:15
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:14 तक
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

Read in English
हिन्दी में पढें


#chitram
🍃विभवे भोजने दाने तिष्ठन्ति प्रियवादिनः ।
विपत्ते चागते अन्यत्र दृश्यन्ते खलु साधवः ।।


मनुष्य के सुख-समृद्धि के समय, खान-पान और मान के समय, प्रिय बातें करने वालों की भीड़ लगी रहती है । परंतु विपत्ति के समय केवल सज्जन पुरुष ही साथ दिखाई पड़ते हैं ।

🔅मनुष्यस्य समृद्धिसमये भोजनसमये इत्युक्ते अनुकूलपरिस्थितौ एव प्रियवादिनः जनाः तिष्ठन्ति यदा विपत्तयः आपदः वा आगच्छन्ति न तदा ते तिष्ठन्ति तदा तु केवलाः सज्जनाः एव तिष्ठन्ति।

#Subhashitam