🍃
⚜"अपने धर्म (कर्त्तव्य) में लगे रहना ही
तपस्या है। मन को वश में रखना ही दमन है।
सुख-दुःख, लाभ-हानि में एक समान
भाव रखना ही क्षमा है। न करने योग्य
कार्य को त्याग देना ही लज्जा है।"
🔅स्वधर्मपरिपालनम् एव तपस्या भवति, मनोनिग्रहः एव दमः भवति, सुखदुःखेषु तथा लाभहानिषु समभावः एव क्षमा भवति तथा अकार्यं कर्मणः त्यागः एव लज्जा भवति।
#Subhashitam
"तपः स्वधर्मवर्तित्वं मनसो दमनं दमः ।
क्षमा द्वन्द्वसहिष्णुत्वं हीरकार्यनिवर्तनम्
।।"⚜"अपने धर्म (कर्त्तव्य) में लगे रहना ही
तपस्या है। मन को वश में रखना ही दमन है।
सुख-दुःख, लाभ-हानि में एक समान
भाव रखना ही क्षमा है। न करने योग्य
कार्य को त्याग देना ही लज्जा है।"
🔅स्वधर्मपरिपालनम् एव तपस्या भवति, मनोनिग्रहः एव दमः भवति, सुखदुःखेषु तथा लाभहानिषु समभावः एव क्षमा भवति तथा अकार्यं कर्मणः त्यागः एव लज्जा भवति।
#Subhashitam
_______ तपः _____ जातम्।
Anonymous Quiz
19%
नन्द्याः , पूर्णः
26%
नन्द्याः , पूर्णम्
34%
नन्दिनः, पूर्णं
17%
नन्दिनः, पूर्णम्
5%
नन्दिनः, पूर्णः
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
बहिर्भ्रमति यः कश्चित्त्यक्त्वा देहस्थमीश्वरम्। सो गृहपायसं त्यक्त्वा भिक्षामटति दुर्मतिः।। = जो शरीर में स्थित परमेश्वर को छोड़कर बाहर भटकता फिरता है, वह उस मूर्ख के समान है, जो घर की खीर को छोड़कर भिक्षा मांगता फिरता है। आम्रं छित्वा कुठारेण निम्बं परिचरेत्तु…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (39) कृदन्त (6) ल्यप् प्रत्यय
(सोपसर्ग = उपसर्ग सहित धातु हो तो क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है। ल्यप् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः इसके विभिन्न विभक्तियों में रूप नहीं चलते।)
छात्राः गुरुकुले प्रातरुत्थाय ईश्वरं ध्यायन्ति
= छात्राएं गुरुकुल में सुबह उठकर ईश्वर का ध्यान करती हैं।
पुरा पितामही कूपात् जलमानीय स्नाति स्म
= पहले दादीमां कुंए से पानी लाकर स्नान करती थीं।
धनयन्त्रात् रुप्यकाणि निसार्य आपणं गता
= एटीएम से पैसे निकालकर दुकान पर गई।
सम्भूय सर्वे बालाः क्रीडन्ति
= मिलकर के सभी बच्चे खेल रहे हैं।
चटका धान्यकणान् च´्च्वा आदाय चाटकैरं भोजयति
= चिड़िया चोंच से दाने लाकर बच्चे को खिला रही है।
पथिभ्रष्टो हिरणः ग्रामस्य प्राकारं प्रकूर्द्य वनं प्राविशत्
= मार्ग भटका हुआ हिरण गांव की चारदिवारी कूदकर वनमें चला गया।
पक्षिणः प्रातः वृक्षात् उड्डीय अस्तं पुनरागच्छन्ति
= पक्षी पेड़ पर से सुबह उड़कर शाम को फिर लौट आ जाते हैं।
गुणिनोऽविगणय्य स्वकष्टान् उपकुर्वन्ति
= सज्जन अपने कष्टों की परवाह किए बिना उपकार में लगे रहते हैं।
गोभक्तः विक्रीय महिषीं गामक्रैषीत्
= गोभक्त ने भैंस बेचकर गाय खरीदी।
सर्वाणि शास्त्राणि समीक्ष्य जिज्ञासुरन्ते वैदिकधर्मम् अङ्गीचकार
= समस्त शास्त्रों की समीक्षा करके अन्त में जिज्ञासु ने वैदिक धर्म को स्वीकार किया।
पितुराज्ञां विधाय ज्येष्ठभ्राता विद्यालयात् व्यापारे समलगत्
= पिता की बात रखते हुए बड़ा भाई विद्यालय न जाकर व्यापार में लग गया।
उपदिश्य मूर्खान् स्वमौर्ख्यं मा प्रकटीकुर्यात्
= मूर्खों को उपदेश देकर अपनी मूर्खता जाहिर न करनी चाहिए।
धर्मम् आश्रित्य यो जीवति सः सुखी भवति
= धर्म का आश्रय लेकर जो जीता है, वह सुखी होता है।
सन्त्यज्य सन्त्यज्य दोषान् पुनरुपाददानोऽबुधः श्ववृत्तमेवाऽवर्त्तयति
= जैसे कुत्ता अपना वमन किया हुआ स्वयं चाट लेता है, वैसे ही अज्ञानी व्यक्ति अपने दोषों को बार-बार छोड़कर पुनः उन्हें करने लग जाता है।
अभिवन्द्य गुरुं पाठं पठेत्
= गुरु को अभिवादन करके पाठ पढ़ना चाहिए।
आहूय रामं कैकेयी वरद्वयम् अश्रावीत्
= राम को बुलाकर कैकेयी ने अपने दो वरदान सुनाए।
कैकेय्याः अभिप्रायं विज्ञाय रामोऽयोध्यां परित्यज्य वनमारोहत्
= कैकेयी के अभिप्राय को जानकर राम अयोध्या छोड़कर वन में चला गया।
रामे वनं गते दशरथो बहु विलप्य मृतः
= राम के वन चले जाने से दशरथ बहुत विलाप करके मर गया।
भरतोऽपि कैकेयीं संक्रुध्य राममानेतुं वनाय विसर्जितः
= भरत भी कैकेयी पर खूब गुस्सा करके राम को लाने के लिए वन चला गया।
विदुषो विहस्य मूर्ख आत्मानं पण्डितं मन्यते
= विद्वानों का उपहास करके मूर्ख अपने आप को पण्डित मानता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (39) कृदन्त (6) ल्यप् प्रत्यय
(सोपसर्ग = उपसर्ग सहित धातु हो तो क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर ल्यप् प्रत्यय का प्रयोग होता है। ल्यप् प्रत्ययान्त क्रिया शब्द भी अव्यय होता है, अतः इसके विभिन्न विभक्तियों में रूप नहीं चलते।)
छात्राः गुरुकुले प्रातरुत्थाय ईश्वरं ध्यायन्ति
= छात्राएं गुरुकुल में सुबह उठकर ईश्वर का ध्यान करती हैं।
पुरा पितामही कूपात् जलमानीय स्नाति स्म
= पहले दादीमां कुंए से पानी लाकर स्नान करती थीं।
धनयन्त्रात् रुप्यकाणि निसार्य आपणं गता
= एटीएम से पैसे निकालकर दुकान पर गई।
सम्भूय सर्वे बालाः क्रीडन्ति
= मिलकर के सभी बच्चे खेल रहे हैं।
चटका धान्यकणान् च´्च्वा आदाय चाटकैरं भोजयति
= चिड़िया चोंच से दाने लाकर बच्चे को खिला रही है।
पथिभ्रष्टो हिरणः ग्रामस्य प्राकारं प्रकूर्द्य वनं प्राविशत्
= मार्ग भटका हुआ हिरण गांव की चारदिवारी कूदकर वनमें चला गया।
पक्षिणः प्रातः वृक्षात् उड्डीय अस्तं पुनरागच्छन्ति
= पक्षी पेड़ पर से सुबह उड़कर शाम को फिर लौट आ जाते हैं।
गुणिनोऽविगणय्य स्वकष्टान् उपकुर्वन्ति
= सज्जन अपने कष्टों की परवाह किए बिना उपकार में लगे रहते हैं।
गोभक्तः विक्रीय महिषीं गामक्रैषीत्
= गोभक्त ने भैंस बेचकर गाय खरीदी।
सर्वाणि शास्त्राणि समीक्ष्य जिज्ञासुरन्ते वैदिकधर्मम् अङ्गीचकार
= समस्त शास्त्रों की समीक्षा करके अन्त में जिज्ञासु ने वैदिक धर्म को स्वीकार किया।
पितुराज्ञां विधाय ज्येष्ठभ्राता विद्यालयात् व्यापारे समलगत्
= पिता की बात रखते हुए बड़ा भाई विद्यालय न जाकर व्यापार में लग गया।
उपदिश्य मूर्खान् स्वमौर्ख्यं मा प्रकटीकुर्यात्
= मूर्खों को उपदेश देकर अपनी मूर्खता जाहिर न करनी चाहिए।
धर्मम् आश्रित्य यो जीवति सः सुखी भवति
= धर्म का आश्रय लेकर जो जीता है, वह सुखी होता है।
सन्त्यज्य सन्त्यज्य दोषान् पुनरुपाददानोऽबुधः श्ववृत्तमेवाऽवर्त्तयति
= जैसे कुत्ता अपना वमन किया हुआ स्वयं चाट लेता है, वैसे ही अज्ञानी व्यक्ति अपने दोषों को बार-बार छोड़कर पुनः उन्हें करने लग जाता है।
अभिवन्द्य गुरुं पाठं पठेत्
= गुरु को अभिवादन करके पाठ पढ़ना चाहिए।
आहूय रामं कैकेयी वरद्वयम् अश्रावीत्
= राम को बुलाकर कैकेयी ने अपने दो वरदान सुनाए।
कैकेय्याः अभिप्रायं विज्ञाय रामोऽयोध्यां परित्यज्य वनमारोहत्
= कैकेयी के अभिप्राय को जानकर राम अयोध्या छोड़कर वन में चला गया।
रामे वनं गते दशरथो बहु विलप्य मृतः
= राम के वन चले जाने से दशरथ बहुत विलाप करके मर गया।
भरतोऽपि कैकेयीं संक्रुध्य राममानेतुं वनाय विसर्जितः
= भरत भी कैकेयी पर खूब गुस्सा करके राम को लाने के लिए वन चला गया।
विदुषो विहस्य मूर्ख आत्मानं पण्डितं मन्यते
= विद्वानों का उपहास करके मूर्ख अपने आप को पण्डित मानता है।
#vakyabhyas
Vedshala Sanskritam starts new batch of
*Free - Basic Spoken Sanskrit*
1. Basic Spoken Sanskrit.
2. Basic Grammar.
3. Sentence formation.
4. No books required.
5. Age more then 14 years.
6. We don't teach any school syllabus.
Choice of 2 batches :
Batch no. *VS107* : Morning 6.00am to 7.30am.
*Daily for 12 days*
Date : From 23rd May to 4th June 2022. (Sunday Holiday)
*Explanation : In English*
Batch No. *VS108* : Night 8.00pm to 9.30pm. *Three days in week - Tuesday, Thursday and Saturday*
Date : From 24th May to 18th June 2022.
*Explanation : In Hindi*
*Last date of registration : 21st May 2022*
Those only who are serious should fill the Google Form. Please read the instructions on the form before filling it.
https://forms.gle/QP2sn8EAUgUA3rD46
🙏 शुभं भवतु 🙏
Kindly forward if anyone is interested for Basic Spoken Sanskritam in your circle.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*Free - Basic Spoken Sanskrit*
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2. Basic Grammar.
3. Sentence formation.
4. No books required.
5. Age more then 14 years.
6. We don't teach any school syllabus.
Choice of 2 batches :
Batch no. *VS107* : Morning 6.00am to 7.30am.
*Daily for 12 days*
Date : From 23rd May to 4th June 2022. (Sunday Holiday)
*Explanation : In English*
Batch No. *VS108* : Night 8.00pm to 9.30pm. *Three days in week - Tuesday, Thursday and Saturday*
Date : From 24th May to 18th June 2022.
*Explanation : In Hindi*
*Last date of registration : 21st May 2022*
Those only who are serious should fill the Google Form. Please read the instructions on the form before filling it.
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🙏 शुभं भवतु 🙏
Kindly forward if anyone is interested for Basic Spoken Sanskritam in your circle.
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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Vedshala - Free Spoken Sanskrit - May 2022
Teacher: Arjun Vyas
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «Vedshala Sanskritam starts new batch of *Free - Basic Spoken Sanskrit* 1. Basic Spoken Sanskrit. 2. Basic Grammar. 3. Sentence formation. 4. No books required. 5. Age more then 14 years. 6. We don't teach any school syllabus. Choice of 2 batches : Batch…»
Seat belt is mandatory for four wheeler drivers and co-passengers - News.
Tailor - I have made new T Shirt for drivers and co-passengers.
#hasya
Tailor - I have made new T Shirt for drivers and co-passengers.
#hasya
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♦️puruShaH prakRRitistho hi bhu~Nkte prakRRitijaanguNaan|
kaaraNaM guNasa~Ngo'sya sadasadyonijanmasu
⚜13.22 The soul seated in Nature experiences the qualities born of Nature; attachment to the qualities is the cause of its birth in good and evil wombs.
⚜।।13.22।। प्रकृति में स्थित पुरुष प्रकृति से उत्पन्न गुणों को भोगता है। इन गुणों का संग ही इस पुरुष (जीव) के शुभ और अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण है।।
#geeta
पुरुषः प्रकृतिस्थो हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान्।
कारणं गुणसङ्गोऽस्य सदसद्योनिजन्मसु
।।13.22।।♦️puruShaH prakRRitistho hi bhu~Nkte prakRRitijaanguNaan|
kaaraNaM guNasa~Ngo'sya sadasadyonijanmasu
⚜13.22 The soul seated in Nature experiences the qualities born of Nature; attachment to the qualities is the cause of its birth in good and evil wombs.
⚜।।13.22।। प्रकृति में स्थित पुरुष प्रकृति से उत्पन्न गुणों को भोगता है। इन गुणों का संग ही इस पुरुष (जीव) के शुभ और अशुभ योनियों में जन्म लेने का कारण है।।
#geeta
🍃
♦️upadraShTaa'numantaa cha bhartaa bhoktaa maheshvaraH|
paramaatmeti chaapyukto dehe'sminpuruShaH paraH
⚜13.23 The Supreme Soul in this body is also called the spectator, the permitter, the supporter, the enjoyer, the great Lord and the Supreme Self.
⚜।।13.23।। परम पुरुष ही इस देह में उपद्रष्टा अनुमन्ता भर्ता भोक्ता महेश्वर और परमात्मा कहा जाता है।।
#geeta
उपद्रष्टाऽनुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः।
परमात्मेति चाप्युक्तो देहेऽस्मिन्पुरुषः परः
।।13.23।।♦️upadraShTaa'numantaa cha bhartaa bhoktaa maheshvaraH|
paramaatmeti chaapyukto dehe'sminpuruShaH paraH
⚜13.23 The Supreme Soul in this body is also called the spectator, the permitter, the supporter, the enjoyer, the great Lord and the Supreme Self.
⚜।।13.23।। परम पुरुष ही इस देह में उपद्रष्टा अनुमन्ता भर्ता भोक्ता महेश्वर और परमात्मा कहा जाता है।।
#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 18 मई 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - सिद्ध सुबह 06:45 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:15
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅ 🚩तिथि - तृतीया रात्रि 11:36 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 18 मई 2022
⛅ दिन - बुधवार
⛅ विक्रम संवत - 2079
⛅ शक संवत - 1944
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - ज्येष्ठा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात मूल
⛅ योग - सिद्ध सुबह 06:45 तक तत्पश्चात साध्य
⛅ राहुकाल - दोपहर 12:36 से 02:15 तक
⛅ सूर्योदय - 05:58
⛅ सूर्यास्त - 07:15
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से 05:15 तक
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
https://youtu.be/xOTZsggmfT0
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जमैका की संसद को किया संबोधित
वार्ता: संस्कृत में समाचार | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जमैका की संसद के दोनों सदनों को किया संबोधित
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
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हिन्दी में पढें
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🍃
🔅यः जनः सर्वदा पठति लिखति सम्यक् पश्यति जिज्ञासां करोति तथा श्रेष्ठानां समीपे तिष्ठति तस्य जनस्य बुद्धिः तथा भवति यथा कमलं सूर्यकिरणैः सह विकसतं भवति।
#Subhashitam
यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पंडितान् उपाश्रयति।
तस्य दिवाकरकिरणैः नलिनी दलं इव विस्तारिता बुद्धिः
॥🔅यः जनः सर्वदा पठति लिखति सम्यक् पश्यति जिज्ञासां करोति तथा श्रेष्ठानां समीपे तिष्ठति तस्य जनस्य बुद्धिः तथा भवति यथा कमलं सूर्यकिरणैः सह विकसतं भवति।
#Subhashitam
अनु + भू(धातुः) + ल्यप् प्रत्ययः = ?
Anonymous Quiz
17%
अनुभूत्वा
11%
अनुभाव्य
66%
अनुभूय
6%
अनुभवति