संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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Daily dose of Sanskrit.

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🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
🚩तिथि - द्वादशी शाम 05:26 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक - 13 मई 2022
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - हस्त शाम 06:48 तक तत्पश्चातचित्रा
योग -वज्र अपरान्ह 03:42 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:36 तक
सूर्योदय - 06:00
सूर्यास्त - 07:13
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:33 से 05:17 तक
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓13th may 2022, शुक्रवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Live stream scheduled for
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram
🍃यथा बीजं विना क्षेत्रमुप्तं भवति निष्फलम्।
तथा पुरुषकारेण विना दैवं न सिध्यति



🔅दैवं नाम प्रारब्धं वर्तते, तथा च पुरुषकारो नाम पुरुषार्थः अर्थात् परिश्रमःअस्ति । अनयोः द्वयोः मध्ये परिश्रमः एव प्रधानः । यतो हि यथा क्षेत्रे यदि बीजं न उप्यते तर्हि तद् क्षेत्रं किमपि फलं न ददाति । तथैव यदि मनुष्यः परिश्रमं न करोति तर्हि प्रारब्धम् अपि फलं न ददाति । अतः फलप्राप्त्यर्थं सदैव परिश्रमेण एव भाव्यम्।

#Subhashitam
अलसः कदापि सफलतां न प्राप्नोति।
"प्राप्नोति" अत्र कः धातुः।
Anonymous Quiz
30%
प्राप्
41%
आप्
11%
आप्न
18%
अप्
आङ्ग्लानुवादः च हिन्द्यानुवादः

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
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🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(क्त प्रत्यय अकर्मक धातुओं से, गति अर्थवाली धातुओं से तथा भोजन अर्थवाली धातुओं से अधिकरण कारक में भी होता है।) इदमेषाम् आसितं वर्तते = यह इनकी बैठक (दीवानखाना) है। आसिते कतिपया अतिथयः सन्ति = बैठक में कुछ अतिथिलोग बैठे हैं। इदमेषां शयितं सुप्तं वाऽस्ति…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।

पाठ: (38) कृदन्त (5) क्त्वा प्रत्यय

(एक वाक्य में प्रयुक्त दो अथवा दो से ज्यादा क्रियाओं का कर्त्ता यदि समान है, तो पूर्वकाल वाली क्रियाओं में क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग होता है। क्त्वा प्रत्यय का अर्थ है ‘करके’। क्त्वा प्रत्ययान्त क्रियावाची शब्द अव्यय होता है।)

आत्मदर्शी दुग्धं पीत्वा क्रीडति
= आत्मदर्शी दूध पीकर खेलता है।

को जानाति सुप्त्वा को जागरिष्यति
= कौन जानता है सोकर कौन जगेगा ?

आर्य इष्ट्वैव भुङ्क्ते
= आर्य (श्रेष्ठ व्यक्ति) यज्ञ करके ही भोजन करता है।

शिष्टो बालो पितरौ नत्वा विद्यालयं गच्छति
= शिष्ट बच्चा मां-बाप को नमन करके विद्यालय को जाता है।

व्याख्यानं श्रुत्वा प्रबुद्धः श्रोतृगणः शंकां पृच्छति
= व्याख्यान सुनकर प्रबुद्ध श्रोता प्रश्न पूछता है।

सत्यस्य बोधाय विदुषः समीपं गत्वा धर्मचर्चां कुर्यात्
= सत्य के बोध के लिए विद्वानों के पास जाकर धर्मचर्चा करनी चाहिए।

प्रत्यहं स्वाध्यायं कृत्वा ज्ञानं वर्धयेत्
= प्रतिदिन स्वाध्याय करके ज्ञान को बढ़ाना चाहिए।

गृहस्थी प्रतिदिनं प´्चमहायज्ञान् कृत्वैव सुखं लभते
= गृहस्थी प्रतिदिन पांच महायज्ञों को करके ही सुख प्राप्त करता है।

मृत्वाऽपि यो यशःकायेन जीवति स जीवति
= जीना तो उसका है जिसकी कीर्ति अमर है।

सरलं आसित्वा आसने अध्यापकः अष्टाध्यायीमध्यापयति
= आसन पर सीधा बैठकर अध्यापक अष्टाध्यायी पढ़ा रहे हैं।

अद्यत्वे जनाः व्हाट्सपादिकं मुहुर्मुहुः चालयित्वा समयं व्यर्थीकुर्वन्ति
= आजकल लोग व्हाट्स्एप् आदि का बार-बार प्रयोग कर समय को व्यर्थ गंवाते हैं।

पुत्री श्वशुरालयात् मातरं दूरभाषं कृत्वा श्वश्रुम् उपालभते
= बेटी ससुराल से मां को फोन करके सास की शिकायत कर रही है।

पितरौ हित्वा पुत्रः पत्न्या सममन्यत्रावसत्
= मां-बाप को छोड़कर बेटा पत्नी सहित अन्यत्र चला गया।

श्रवणः कष्टं सहित्वाऽपि पितरावसेवत
= श्रवण ने कष्ट उठाकरके भी माता-पिता की सेवा की।

भरतः राजभवनं त्यक्त्वा कुटिरे च उषित्वाभ्रातुराज्ञाम् अपालयत्
= भरत ने राजभवन को छोड़कर झोपड़ी में वास करते हुए भाई की आज्ञा का पालन किया।

चतुर्दशवर्षपर्यन्तं वनवासं श्रुत्वाऽपि रामो नाखिन्दत
= चौदह वर्ष वनवास सुनकर भी राम खिन्न नहीं हुआ।

आर्ष-विद्यां पठित्वैव मनुष्याः देवाः भवन्ति
= आर्ष विद्या को पढ़कर ही सामान्य मनुष्य दिव्य हो जाते हैं।

मत्वा कार्याणि करोति स एव मनुष्य उच्यते
= जो विचार करके कार्यों को करता है उसको ही मनुष्य कहते हैं।

दृष्ट्वा स पादं न्यसेत् जागरूकः
= जागरूक व्यक्ति को सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए।

द्वात्रिंशद्वारं भोजनं चर्वित्वा निगरेत्
= बत्तीस बार भोजन चबाकर फिर निगलना चाहिए।

#vakyabhyas
@samskrt_samvadah प्रारंभ करता है, संस्कृताश्रमः - संस्कृतशिक्षण की लघु कक्षाऐं

20 मिनट
🕚 08:30 PM 🇮🇳
🔰 सर्वे लकाराः
🗓13th मई 2022, शुक्रवासरः

🔴 कक्षाओं की प्रति हमारे युट्युब चैनल पर डाली जायेगी
कृपया अलार्म लगा लें और विलंब से न आयें।

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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Lady - Why this fellow always follows me ?
Boy - May be to escape from the sunlight.

#hasya
नमो नमः
13 मई 2022 साप्ताहिकमेलनस्य कृते अधोलिखिता योजना अस्ति।
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सायंकाले
🌺
6:00 - 6:05 ध्येयमन्त्रम्
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6:05 - 6:15 भगवद्गीता पठनम्
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6:15- 6:20 सुभाषितम् - दीपिका तांबेकर
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6:20 - 6:25 कथा - व्दौ मेघाः - चित्रा सोहनी
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6:25 - 6:30 गीतम् - "सततं कुर्वन्तु" - Dr. पी .बी . श्रीदेवी
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6:30 - 6:35 सुभाषितम् - सुधीर पाण्डे
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6:35 - 6:55 कोषपठनम् - हेमा महोदया
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6:55 - 7:10 मासिकगीतम् "चिरनवीना संस्कृता एषा "
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7:10 - 7:15 नूतनानां परिचयः
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7:15 - 7:25 भाषाभ्यासः
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7:25 - 07:30 एकात्मता मन्त्रम्
🌺


सर्वे निश्चयेन आगच्छन्तु
https://bit.ly/melanam
All are invited. No eligibility.
https://youtu.be/CABcibpobDE
#SanskritCarnaticMusic
रङ्ग पुर विहार - रागं बृन्दावन सारङ्ग - ताळं रूपकम्

पल्लवि
रङ्ग पुर विहार जय कोदण्ड -
(मध्यम काल साहित्यम्)
रामावतार रघुवीर श्री

अनुपल्लवि
अङ्गज जनक देव बृन्दावन
सारङ्गेन्द्र वरद रमान्तरङ्ग
(मध्यम काल साहित्यम्)
श्यामळाङ्ग विहङ्ग तुरङ्ग
सदयापाङ्ग सत्सङ्ग

चरणम्
पङ्कजाप्त कुल जल निधि सोम
वर पङ्कज मुख पट्टाभिराम
पद पङ्कज जित काम रघु राम
वामाङ्क गत सीता वर वेष
शेषाङ्क शयन भक्त सन्तोष
एणाङ्क रवि नयन मृदु-तर भाष
अकळङ्क दर्पण कपोल विशेष मुनि -
(मध्यम काल साहित्यम्)
सङ्कट हरण गोविन्द
वेङ्कट रमण मुकुन्द
सङ्कर्षण मूल कन्द
शङ्कर गुरु गुहानन्द


Meaning

pallavi
SrI ranga pura vihAra - O one sporting in the city of Srirangam!
jaya - May you be victorious!
kOdaNDa -rAma-avatAra - O one who incarnated as the bow-wielding Rama!
raghuvIra - O brave one of Raghu’s dynasty!

anupallavi
angaja janaka - O father of Manmatha!
dEva bRnda-avana - O protector of the congregation of Devas,
sAranga-indra varada - O giver of boons(protection and salvation) to the king of elephants
ramA-antaranga - O one dwelling in the heart of Lakshmi(Ramaa)!
SyAmaLa-anga - O one with dark-hued limbs!
vihanga turanga - O one whose mount is a bird(Garuda)!
sadaya-apAnga - O one with compassionate glances!
satsanga - O one in the company of the noble!

caraNam
pankaja-Apta kula jala nidhi sOma - O moon rising from the ocean of the Solar dynasty!
vara pankaja mukha - O Excellent lotus-faced one!
paTTa-abhirAma - O charming one crowned (as the king)!
pada pankaja jita kAma - O one who feet (alone) can vanquish Manmatha in beauty!
raghu rAma; - O Rama of Raghu’s family!
vAma-anka gata sItA vara vEsha- O one bedecked as the chosen lord of Sita(who is) seated on your left thigh!
SEsha-anka Sayana - O one reclining on the folds of Adi Sesha!
bhakta santOsha - O one highly pleased with your devotees!
ENa-anka ravi nayana - O one whose eyes are the moon (with a deer-like mark) and the sun,
mRdu-tara bhAsha - O one whose speech is very soft and pleasing,
akaLanka darpaNa kapOla viSEsha - O one with amazing blemish-less mirror-like cheeks,
muni sankaTa haraNa - O remover of the distress of sages,
gOvinda - O Govinda,
vEnkaTa ramaNa - O lord of Venkata (hill),
mukunda - O giver of liberation,
sankarshaNa - the one who takes the form of Sankarshana(Adi Sesha),
mUla kanda - the root cause(of the universe),
Sankara guru guha-Ananda - the source of joy to Shiva and Guruguha.

Comments:
This kriti is in the eighth (Sambodhana Prathama) Vibhakti
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Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.14]