संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
5.1K subscribers
3.13K photos
297 videos
309 files
5.92K links
Largest Online Sanskrit Network

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Download Telegram
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भारते संस्कृतस्य विरोधः
🗓10th May2022,मङ्गलवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते किमर्थं संस्कृतस्य विरोधः क्रियते तथा वयं किं कर्तुं शक्नुमः तस्य निराकरणाय) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Live stream scheduled for
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.06]
🍃महाभूतान्यहङ्कारो बुद्धिरव्यक्तमेव च।
इन्द्रियाणि दशैकं च पञ्च चेन्द्रियगोचराः
।।13.6।।

♦️mahaabhuutaanyaha~Nkaaro buddhiravyaktameva cha|
indriyaaNi dashaikaM cha pa~ncha chendriyagocharaaH

The great elements, egoism, intellect, and also the Unmanifested Nature, the ten senses and one (mind), and the five objects of the senses. (13.06)

पंच महाभूत अहंकार बुद्धि अव्यक्त (प्रकृति) दस इन्द्रियाँ एक मन इन्द्रियों के पाँच विषय।।13.6।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.07]
🍃इच्छा द्वेषः सुखं दुःखं सङ्घातश्चेतनाधृतिः।
एतत्क्षेत्रं समासेन सविकारमुदाहृतम्
।।13.7।।

♦️ichChaa dveShaH sukhaM duHkhaM sa~NghaatashchetanaadhRRitiH|
etatkShetraM samaasena savikaaramudaahRRitam

Desire, hatred, pleasure, pain, the aggregate (the body), intelligence, fortitude the field has thus been briefly described with its modifications. (13.07)

इच्छा द्वेष सुख दुख संघात (स्थूलदेह) चेतना (अन्तकरण की चेतन वृत्ति) तथा धृति इस प्रकार यह क्षेत्र विकारों के सहित संक्षेप में कहा गया है।।13.7।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - नवमी शाम 07:24 बजे तक तत्पश्चात दशमी

दिनांक 10 मई 2022
दिन - मंगलवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - मघा शाम 06:40 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - ध्रुव रात्रि 08:22 तक तत्पश्चात व्याघात
राहुकाल - अपराह्न 03:54 से 05:32 तक
सूर्योदय - 06:01
सूर्यास्त - 07:11
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:35 से 05:18 तक
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰भारते संस्कृतस्य विरोधः
🗓10th May2022,मङ्गलवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (भारते किमर्थं संस्कृतस्य विरोधः क्रियते तथा वयं किं कर्तुं शक्नुमः तस्य निराकरणाय) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Live stream scheduled for
🍃न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये ।
भावेषु विद्यते देवस्तस्माद्भावो हि कारणम्
।।

🔅ईश्वरः काष्ठे, पाषाणे मृत्तिकायां च नास्ति । अपितु काष्ठं पाषाणं मृत्तिकां च प्रति यदा देवस्य भावः भवति तदा तस्मिन् भावे एव देवः तिष्ठति । अतः ईश्वरस्य विषये भावना एव कारणम् अस्ति ।

#Subhashitam
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram
"हनुमते सूर्यः एव रोचते"।
अस्मिन् वाक्ये कर्ता कः अस्ति।
Anonymous Quiz
49%
हनुमते
10%
कर्ता नास्ति
1%
एव
40%
सूर्यः
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अनग्निरनिकेतः स्याद् ग्राममन्नार्थमाश्रयेत्। उपेक्षकोऽसंकुसुको मुनिर्भाव समाहितः।। = (संन्यासी) स्वभोजनादि हेतु अग्नि अर्थात् चूल्हे आदि का बखेडा न करे। स्वयं हेतु कोई भवन नहीं बनावे, भोजन हेतु ही ग्रामादि का आश्रय लेवे, सामान्य सांसारिक व्यवहारों को उपेक्षा…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।

पाठ: (37) कृदन्त (4) निष्ठा प्रत्यय

(क्त प्रत्यय भाव में। अकर्मक धातुओं से क्त प्रत्यय भाव में होता है। सकर्मक धातुओं में भी जब कर्म की अविवक्षा होती है, तब सकर्मक धातुओं से भी क्त प्रत्यय भाव में हो सकता है। भाव में क्त प्रत्ययान्त क्रिया नित्य ही नपुंसकलिंग एकवचन में होती है, तथा कर्त्ता में तृतीया विभक्ति होती है।)

बुभुक्षया बालेन रुदितम्
= भूख के कारण बच्चे के द्वारा रोया गया।

अध्यापकस्याऽनुपस्थितौ बालैः जल्पितम्
= अध्यापक के अनुपस्थित होने से बच्चों के द्वारा गपशप की गई।

आतंकवादिनो मुक्तिं श्रुत्वा जनैर्भृशमाक्रुष्टम्
= आतंकवादी की रिहाई सुनकर लोगों के द्वारा खूब आक्रोश किया गया।
वने सिंहं दृष्ट्वा भीतेन भृशं धावितम् = वन में शेर को देखकर डरे हुए व्यक्ति के द्वारा खूब दौड़ा गया।

पदं मिथ्याकरणात् शिक्षकेण क्रुद्धम्
= शब्द का गलत उच्चारण करने से शिक्षक ने गुस्सा किया।

गुरुकुले यत् भुक्तं पीतं तप्तं जल्पितमटितं तन्न प्रस्मर्यते
= गुरुकुल में जो खाया-पीया, तप किया, बातें की, घूमे वह भूला नहीं जा रहा है।

स्थालीपक्वमेव पितामहो भुङ्क्ते
= दादाजी बटलोई का पका ही खाते हैं।

चुल्लीपक्वं सुपाच्यं मधुरञ्च भवति
= चूल्हे में पकाया हुआ सुपाच्य और मधुर होता है।

उपकृतं दत्तञ्चैव परलोकं सह गच्छति
= उपकार किया हुआ और दान किया हुआ ही परलोक को जाता है।

अभुक्तमदत्तं नित्यं हि क्षीयते
= न स्वयं भोगा हुआ, न किसी को दिया हुआ, वह नष्ट ही होता है।

मुहूर्तं ज्वलितं श्रेयो न च धूमायितं चिरम्
= एक मुहूर्तभर भी प्रज्वलित रहना अच्छा है, परन्तु दीर्घकाल तक धुंआ छोड़ते हुए सुलगना अच्छा नहीं है।

गतं न शुच्यतामनागतं न चिन्त्यताम्, वर्त्तमानं दृश्यताम्
= बीते हुए का शोक न करें, जो अभी आया नहीं उसकी व्यर्थ चिन्ता न करें, वर्तमान को अच्छी तरह सोच-समझकर जीएं।

शोको नाशयते धैर्यं शोको नाशयते श्रुतम्।
शोको नाशयते सर्वं नास्ति शोकसमो रिपुः।।
= शोक धैर्य को नष्ट कर देता है, शोक शास्त्रज्ञान को भी लुप्त कर देता है, शोक सबकुछ नष्ट कर देता है, अतः शोक के समान दूसरा कोई शत्रु नहीं।

गते शोको न कर्त्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत्।
वर्तमानेन कालेन प्रवर्तन्ते विचक्षणाः।।
= बीती हुई बात का शोक नहीं करना चाहिए, और भविष्य में क्या होगा इसकी चिन्ता नहीं करनी चाहिए, बुद्धिमान लोग वर्तमान काल के अनुसार कार्य में जुट जाते हैं।

यज्जीव्यते क्षणमपि प्रथितं मनुष्यैर्विज्ञानशौर्यविभवार्यगुणैः समेतम्।
तन्नाम जीवितमिह प्रवदन्ति तज्ज्ञाः काकोऽपि जीवति चिराय बलिं च भुङ्क्ते।।
= मनुष्यों से जिस जीवन में विज्ञान शूरता तथा ऐश्वर्य आदि सद्गुणों से युक्त होकर क्षणभर भी प्रतिष्ठा के साथ जीया जाता है उसे ही विद्वान लोग वास्तविक जीवन कहते हैं। यूं तो कौआ भी बहुत दिनों तक जीता है और बलि खाकर अपना पेट भरता है।

वाच्यं श्रद्धा समेतस्य पृच्छतेश्च विशेषतः।
प्रोक्तं श्रद्धा विहीनस्य अरण्यरुदितोपमम्।।
= विशेष श्रद्धा से युक्त होकर यदि कोई जानने की इच्छा से पूछे तो उससे बात करनी चाहिए। श्रद्धारहित मनुष्यों से कुछ भी कहना निर्जन वन में रोने के समान निरर्थक है।

यस्य न ज्ञायते वीर्यं न कुलं न विचेष्टितम्।
न तेन सङ्गतिं कुर्यादित्युवाच बृहस्पतिः।।
= जिसके सामर्थ्य वंश और कार्य का पता न हो, उसके साथ मेल-संगति नहीं करनी चाहिए, ऐसा बृहस्पति ने कहा है।

अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्।
असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह।।
= अश्रद्धा से जो यज्ञ किया जाता है, जो दान दिया जाता है, जो तप किया जाता है हे पार्थ ! वह असत् अर्थात् न किया हुआ माना जाता है। वह न मरने पर कोई लाभ देता है और न यहां जीते जी कोई लाभ देता है।

यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।
= जब तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदल को पार कर जाएगी, तब तू उस सबके प्रति उदासीन हो जाएगा, जो कुछ तूने सुनना है या सुना है।

एको हि दोषो गुणसन्निपाते निमज्जतीन्दोरिति यो बभाषे।
नूनं न दृष्टं कविनापि तेन दारिद्र्यदोषो गुणकोटिनाशी।।
= जिस कवि ने यह कहा है कि जहां बहुत सारे गुण हों वहां एक दोष ऐसे छिप जाता है, जैसे चन्द्रमा की किरणों में उसका कलंक। उस कवि ने निश्चय से यह नहीं सोचा कि एक दरिद्रतारूपी दोष सारे गुणों को मिट्टी में मिला देता है।

सर्वे क्षयान्ता निचयः पतनान्ताः समुच्छ्रयाः।
संयोगा विप्रयोगान्ता मरणान्तं च जीवितम्।।
= समस्त संग्रहों का अन्त विनाश है, लौकिक उन्नतियों का अन्त पतन है, संयोग का अन्त वियोग है और जीवन का अन्त मरण है।

#vakyabhyas