संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
5.1K subscribers
3.13K photos
297 videos
309 files
5.92K links
Largest Online Sanskrit Network

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Download Telegram
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram
🍃प्रथमवयसि दत्तं तोयमल्पं स्मरन्तः
शिरसि निहितभारा नारिकेला नराणाम् ।
सलिलममृतकल्पं दद्युराजीवनान्तं
न हि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति
।।

Remembering the small amount of water which was given in its early age, the coconut trees carry nectar like water on their head throughout their life. [In the same manner] good and noble people do not forget a favour done to them.

प्रथमवयसि = in the early age
दत्तं = given
तोयं = water
अल्पम् = little
स्मरन्तः = remembering
शिरसि = in the head
निहितभारा = placed load
नारिकेलाः = coconuts
नराणाम् = among men
सलिलम् = water
अमृतकल्पम् = nectar like
दद्युः = should give
आजीवनान्तम् = throughout life
न = not
हि = indeed
कृतम् = done
उपकारम् = service, help, favour
साधवः = noble men
विस्मरन्ति = forget

🔅यथा नारिकेलवृक्षस्य बाल्यावस्थायां तस्मै दत्तस्य स्वल्पजलस्य प्रत्यर्पणार्थम् सः आजीवनं स्वशिरसः उपरि मधुरं जलं धरति स्वकृतज्ञतां च प्रदर्शयति तथैव उत्तमजनाः अन्यैः कृतम् उपकारं नैव विस्मरन्ति।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (34) कृदन्त 1 (निष्ठा प्रत्यय) (व्याकरण में क्त तथा क्तवतु प्रत्यय की निष्ठा संज्ञा है। सामान्य रूप से दोनों प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल दर्शाने के लिए होता है। क्तवतु प्रत्यय कर्तरि वाच्य में तथा क्त…
जनैः रावणः दग्धः
= लोगों ने रावण को जलाया।

हस्तशाकटिकेन जलापूपाः विक्रीताः
= ठेलेवाले ने पानीपूरी बेची।

भगिन्या भिक्षुकाय भोजनं दत्तम्
= बहन ने भिक्षुक को भोजन दिया।

सेवकेन शौचार्थं भ्रमणार्थ´्च कुक्कुरः बहिर्नीतः
= सेवक शौच एवं भ्रमण के लिए कुत्ते को बाहर ले गया।

विक्रेत्रा शुकः पि´्जरे बद्धः
= विक्रेता (बहेलिया) ने तोते को पिंजरे में बन्द कर दिया।

बोद्धृभिः सनातन-धर्मः बुद्धः
= विद्वानों ने सनातन धर्म को जाना।

कन्यया शाटिका क्रीता
= लड़की ने साड़ी खरीदी।

राजनेत्रा भाषणं भाषितम्
= राजनेता ने भाषण दिया।

पेष्ट्रा घरट्टेन चूर्णं पिष्टम्
= पिसनवाले ने चक्की से आटा पिसा।

पथिकेन नगरात् ग्रामो गतः
= पथिक नगर से गांव गया।

कृषकेन क्षेत्रे वायुना धान्यं पूतम्
= किसान ने खेत में हवा से धान साफ किया।

पाचिकया तण्डुलाः शोधिताः
= पाचिका (भोजन बनानेवाली) ने चावल साफ किए।

बालिकया आत्मा अलंकृतः
= लड़की ने अपने आप को सजाया।

उपासनायै आसनं ततम्
= उपासना के लिए आसन फैलाया।

पश्चात् आसने उपविश्य प्राणायामाः कृताः, इन्द्रियाणि प्रत्याहृतानि, ईश्वरश्च ध्यातः
= इसके बाद आसन पर बैठ कर प्राणायाम किए, इन्द्रियों का प्रत्याहार सिद्ध कर ईश्वर-चिन्तन किया।

हतं ज्ञानं क्रियाहीनं हतश्चाऽज्ञानतो नरः।
हतं निर्नायकं सैन्यं स्त्रियो नष्टा ह्यभर्त्तृकाः।।
= आचरण के बिना ज्ञान नष्ट हो जाता है, अज्ञान से मनुष्य नष्ट हो जाता है, सेनापति के बिना सेना नष्ट हो जाती है और पति के बिना स्त्रियां नष्ट हो जाती हैं।

तद्गृहं यत्र वसति तद् भोज्यं येन जीवति।
यन्मुक्तये तदेवोक्तं ज्ञानमज्ञानमन्यथा।।
= जहां निवास होता है वहां घर है, जिससे प्राणी जीवित रहते हैं वह अन्न है, जिससे मोक्ष मिलता है वह ज्ञान है, शेष सब अज्ञान है।

निर्गुणस्य हतं रूपं दुःशीलस्य हतं कुलम्।
असिद्धस्य हता विद्या अभोगेन हतं धनम्।।
= गुणहीन मनुष्य की सुन्दरता व्यर्थ है, शीलरहित का कुल नष्ट हो जाता है, आचरण में उतारे बिना विद्या नष्ट हो जाती है तथा भोग के बिना धन नष्ट हो जाता है।

अर्थाऽधीताश्च यैर्वेदास्तथा शूद्रान्नभोजिनाः।
ते द्विजाः किं करिष्यन्ति निर्विषा इव पन्नगाः।।
= जिन ब्राह्मणों ने धन प्राप्ति के लिए वेदों को अध्ययन किया है तथा जो शूद्र-शराबी-कबाबी अर्थात् नीच-पतित मनुष्यों का अन्न खाते हैं, ऐसे विषहीन सर्प के समान निस्तेज वे ब्राह्मण क्या कर सकते हैं ?

धनहीनो न हीनश्च धनिकः स सुनिश्चयः।
विद्यारत्नेन यो हीनः स हीनः सर्ववस्तुषु।।
= धनाभाव में जीता गरीब किन्तु विद्यावान् वस्तुतः दीन-हीन नहीं है, वह तो निश्चय ही महाधनी है। परन्तु जो मनुष्य विद्यारूपी रत्न से हीन है वही कंगाल है।

#vakyabhyas
Wife - Where are you going ?
Hus - To hunt lions.
Wife - Then why don't you go ?
Hus - Can't you see !!! There is a dog barking in the way....

#hasya
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वाक्याभ्यासः
🗓27th April 2022, बुधवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [11.55]
🍃मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः सङ्गवर्जितः।
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स मामेति पाण्डव
।।11.55।।

♦️matkarmakRRinmatparamo madbhaktaH sa~NgavarjitaH|
nirvairaH sarvabhuuteShu yaH sa maameti paaNDava

The one who does all works for Me, and to whom I am the supreme goal, who is my devotee, who has no attachment, and is free from enmity towards any being attains Me, O Arjuna. (See also 8.22)(11.55)

हे पाण्डव जो पुरुष मेरे लिए ही कर्म करने वाला है और मुझे ही परम लक्ष्य मानता है जो मेरा भक्त है तथा संगरहित है जो भूतमात्र के प्रति निर्वैर है वह मुझे प्राप्त होता है।।11.55।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [12.01]
🍃अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते।
येचाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः
।।12.1।।

♦️arjuna uvaacha
evaM satatayuktaa ye bhaktaastvaaM paryupaasate|
yechaapyakSharamavyaktaM teShaaM ke yogavittamaaH

Arjuna said:
Those ever-steadfast devotees (or Bhaktas) who thus worship You (as the manifest or personal God), and those who worship the eternal unmanifest (the formless or impersonal) Brahman (by developing Jnana), which of these has the best knowledge of yoga? (12.01)

अर्जुन ने कहा --
जो भक्त सतत युक्त होकर इस (पूर्वोक्त) प्रकार से आपकी उपासना करते हैं और जो भक्त अक्षर और अव्यक्त की उपासना करते हैं उन दोनों में कौन उत्तम योगवित् है।।12.1।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - द्वादशी रात्रि 12:23 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक 27 अप्रैल 2022
दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद शाम 05:05 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
योग - इन्द्र शाम 05:37 तक तत्पश्चात वैधृति
राहुकाल - दोपहर 12:37 से 02:14 तक
सूर्योदय - 06:10
सूर्यास्त - 07:05
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:41 से 05:25 तक
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰वाक्याभ्यासः
🗓27th April 2022, बुधवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (चित्रं दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Live stream scheduled for
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram