संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।


45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
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Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [11.45]
🍃अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि दृष्ट्वा भयेन च प्रव्यथितं मनो मे।
तदेव मे दर्शय देव रूपं प्रसीद देवेश जगन्निवास
।।11.45।।

♦️adRRiShTapuurvaM hRRiShito'smi dRRiShTvaa
bhayena cha pravyathitaM mano me|
tadeva me darshaya deva ruupaM
prasiida devesha jagannivaasa

I am delighted by beholding that which has never been seen before, and yet my mind is tormented with fear. Show me that (four-armed) form. O God of gods, the refuge of the universe have mercy! (11.45)

मैं आपके इस अदृष्टपूर्व रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अतिव्याकुल भी हो रहा हैं। इसलिए हे देव आप उस पूर्वकाल को ही मुझे दिखाइये। हे देवेश हे जगन्निवास आप प्रसन्न होइये।।11.45।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [11.46]
🍃किरीटिनं गदिनं चक्रहस्त मिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव।
तेनैव रूपेण चतुर्भुजेन सहस्रबाहो भव विश्वमूर्ते
।।11.46।।

♦️kiriiTinaM gadinaM chakrahasta
michChaami tvaaM draShTumahaM tathaiva|
tenaiva ruupeNa chaturbhujena
sahasrabaaho bhava vishvamuurte

I wish to see You with a crown, holding mace and discus in Your hand. O Lord with thousand arms and universal form, appear in the four-armed form. (11.46)

मैं आपको उसी प्रकार मुकुटधारी गदा और चक्र हाथ में लिए हुए देखना चाहता हूँ। हे विश्वमूर्ते हे सहस्रबाहो आप उस चतुर्भुजरूप के ही बन जाइए।।11.46।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - षष्टी सुबह 08:42 तक तत्पश्चात सप्तमी

⛅️दिनांक 22 अप्रैल 2022
⛅️दिन - शुक्रवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि 08:14 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
⛅️योग - शिव सुबह 07:12 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅️राहुकाल - सुबह 11:02 से 12:38 तक
⛅️सर्योदय - 06:14
⛅️सर्यास्त - 07:03
⛅️दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰सस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः

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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

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Live stream scheduled for
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram
🍃अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम्

🔅यः आलस्यं करोति सः विद्यां न प्राप्नोति । यः अज्ञानी भवति सः धनार्जनं कर्तुं न शक्नोति । यः निर्धनः भवति तस्य मित्राणि न भवन्ति । यस्य मित्राणि न भवन्ति तस्य सुखं न भवति ।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः। स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च।। = पानी की एकेक बून्द से घड़ा भर जाता है। इसी प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके धर्म और धन का संचय भी हो जाता है। प्रारभ्यते…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।

पाठ: (33) भाववाच्य

(क्रिया को प्रधानरूप से कहने के लिए भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य का प्रयोग अकर्मक धातुओं से होता है। कर्म की अविवक्षा होने पर सकर्मक धातु भी अकर्मक मानी जाती है। ऐसी अकर्मक धातुओं से भसी भाववाच्य का प्रयोग होता है। भाववाच्य में क्रिया नित्य ही आत्मनेपद प्रथमपुरुष एकवचन में होती है। कर्ता में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। भाववाच्य में कर्म कारक नहीं होता।)

अहं हसामि
= मैं हंस रही हूं।

मया हस्यते
= मेरे द्वारा हंसा जा रहा है।

वयं धावामः
= हम दौड़ रहे हैं।

अस्माभिर्धाव्यते
= हमारे द्वारा दौड़ा जा रहा है।

बालकाः अकूर्दन्त
= बच्चे कूदे।

बालकैरकूर्द्यत
= बच्चों के द्वारा कूदा गया।

रात्रौ शीघ्रं स्वप्यात् ब्रह्ममुहूर्ते च जागृयात् एष एव शिष्टाचारः
= रात को जल्दी सोएं और ब्रह्ममुहूर्त में उठ जाएं यही शिष्टाचार है।

रात्रौ शीघ्रं सुप्येत ब्रह्ममुहुर्ते च जागर्येत एष एव शिष्टाचारः
= रात को जल्दी सोया जाना चाहिए तथा ब्रह्ममुहुर्त में जग जाना चाहिए यही शिष्टाचार है।

आलस्यात् अलसो जृम्भते
= आलस्य के कारण आलसी जंभाई ले रहा है।

आलस्यत् अलसेन जृम्भ्यते
= आलस्य के कारण आलसी के द्वारा जंभाई ली जा रही है।

सर्वोऽपि काले जीर्यति
= समय आने पर सब बूढे़ होते हैं।

सर्वेणाऽपि काले जीर्यते
= समय आने पर सभी के द्वारा वृद्ध हुआ जाता है।

नवागन्तुकाद् बालोऽभैषीत्
= अजनबी से बालक डर गया।

नवागन्तुकाद् बालेनाऽभायि
= अजनबी से बालक डर गया।

तृषातुरः कदापि न तोक्ष्यति
= प्यासा कभी तृप्त नहीं होगा।

तृषातुरेण कदापि न तोक्ष्यते
= प्यासे के द्वारा कभी तृप्त नहीं हुआ जाएगा।

अराजकतया जनता त्रस्यति
= अराजकता के कारण जनता त्रस्त है।

अराजकतया जनतया त्रस्यते
= अराजकता के कारण जनता त्रस्त हो रही है।

प्राथम्यात् वेदिकात् प्रवचनेन बालिका लज्जते
= प्रथम अनुभव के कारण मंच से बोलने में बालिका को शरम आ रही है।

प्राथम्यात् वेदिकात् प्रवचनेन बालिकया लज्ज्यते
= प्रथम अनुभव के कारण मंच से बोलने में बालिका द्वारा लज्जित हुआ जा रहा है।

पथभ्रष्टः प्रत्यावर्तेत
= पथभ्रष्ट को लौट आना चाहिए।

पथभ्रष्टेन प्रत्यावृत्येत
= पथभ्रष्ट के द्वारा लौट आना चाहिए।

#vakyabhyas