संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायं प्रसादये त्वामहमीशमीड्यम्।
पितेव पुत्रस्य सखेव सख्युः प्रियः प्रियायार्हसि देव सोढुम्
।।11.44।।

♦️tasmaatpraNamya praNidhaaya kaayaM
prasaadaye tvaamahamiishamiiDyam|
piteva putrasya sakheva sakhyuH
priyaH priyaayaarhasi deva soDhum

11.44 Therefore, bowing down, prostrating my body, I crave Thy forgiveness, O adorable Lord. As a father forgives his son, a friend his (dear) friend, a lover his beloved, even so shouldest Thou forgive me, O God.

।।11.44।। इसलिये हे भगवन् मैं शरीर के द्वारा साष्टांग प्रणिपात करके स्तुति के योग्य आप ईश्वर को प्रसन्न होने के लिये प्रार्थना करता हूँ। हे देव जैसे पिता पुत्र के मित्र अपने मित्र के और प्रिय अपनी प्रिया के(अपराध को क्षमा करता है) वैसे ही आप भी मेरे अपराधों को क्षमा कीजिये।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - पंचमी सुबह 11:12 तक तत्पश्चात षष्टी

दिनांक 21 अप्रैल 2022
दिन - गुरुवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - वैशाख
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - मूल रात्रि 09:52 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
योग - परिघ सुबह 10:27 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल - अपरान्ह 02:15 से 03:51 तक
सूर्योदय - 06:14
सूर्यास्त - 07:03
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:45 से 05:30 तक
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰बालक्रान्तिकारिणः
(young revolutionaries)
🗓21th April 2022, गुरुवासरः
75तमः स्वातन्त्र्योत्सवः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं देशस्य ते बालाः ये अल्पायुषि एव स्वजीवनं देशाय समर्पितवन्तः तेषां जीवनविवरणं जीवनकथां वा वदन्तु। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Live stream scheduled for
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram
🍃धन धान्य प्रयोगेषु विद्या संग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत्
।।

A person who is straightforward and assertive while dealing with issues about money, business, education, food and communication is a happy person.

🔅यः मनुष्यः धनस्य प्रयोगे विद्यायाः सङ्ग्रहणे आहारविषये व्यवहारकरणसमये च लज्जायाः सङ्कोचस्य वा त्यागं करोति, सः सर्वदा सुखी भवति।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
ऊर्ध्वबाहुर्विरोम्येष न च कश्चिच्छृणोति मे। धर्मादर्थश्च कामश्च स किमर्थं न सेव्यते।। = मैं दोनों भुजाएं ऊपर उठाकर चिल्ला-चिल्ला कर कह रहा हूं, फिर भी मुझे कोई नहीं सुनता है। धर्म से ही धन व इच्छाओं की पूर्ति होती है, उस धर्म का सेवन (लोगों के द्वारा)…
जलबिन्दुनिपातेन क्रमशः पूर्यते घटः।
स हेतुः सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च।।
= पानी की एकेक बून्द से घड़ा भर जाता है। इसी प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है। इसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके धर्म और धन का संचय भी हो जाता है।

प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः प्रारभ्यविघ्नविहता विरमन्ति मध्याः।
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः प्रारभ्य चोत्तमजनाः न परित्यजन्ति।।
= अधम पुरुष विघ्नों के भय से किसी कार्य को आरम्भ ही नहीं करते। मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ तो कर लेते हैं किन्तु विघ्नों से विचलित होकर बीच में ही छोड़ देते हैं। उत्तम श्रेणी के लोग विघ्नों से बार बार प्रताड़ित किए जाने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को पूर्ण किए बिना नहीं छोड़ते।

यः स्वभावो हि यस्याऽस्ति स नित्यं दुरतिक्रमः।
श्वा यदि क्रियते राजा स किं नाश्नात्युपाहनम्।।
= जिसका जो स्वभाव है, उसे बदलना अत्यन्त कठिन है। यदि कुत्ते को राजा बना दिया जाए तो क्या वह जूता चबाने के अपने स्वभाव को छोड़ सकता है..?

स्नेहेन तिलवत्सर्वं सर्गचक्रे निपीड्यते।
तिलपीडैरिवाक्रम्य क्लेशैरनज्ञानसम्भवैः।।
= तेली लोगों के द्वारा तेल के लिए तिल जिस प्रकार कोल्हू में पिसे जाते हैं, उसी प्रकार स्नेह के कारण सब लोग अज्ञानजनित क्लेशों के द्वारा सृष्टिचक्र में पिसे जा रहे हैं।

शुभेन कर्मणा सौख्यं दुःखं पापेन कर्मणा।
कृतं फलति सर्वत्र नाकृतं भुज्यते क्वचित्।।
= शुभकर्म करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख मिलता है। अपना किया हुआ कर्म ही सर्वत्र फल देता है। बिना किए हुए कर्म का फल नहीं भोगा जाता।

गुरुशुश्रुषया विद्या पुष्कलेन धनेन वा।
अथवा विद्यया विद्या चतुर्थं नोपलभ्यते।।
= विद्या की प्राप्ति या तो गुरु की सेवा करने से हो सकती है, अथवा बहुत बड़ी धनराशि द्वारा विद्या अर्जित की जा सकती है, अथवा विद्या के बदले विद्या प्राप्ति सम्भव है, चौथा कोई प्रकार विद्याप्राप्ति का नहीं है।

तावन्मौनेन नीयन्ते कोकिलैश्चैव वासराः।
यावत्सर्वजनानन्ददायिनी वाक्प्रवर्तते।।
= जब तक सब मनुष्यों को आनन्द देनेवाली वसन्तऋतु आरम्भ नहीं हो जाती, तब तक कोयल मौन रहकर ही अपने दिनों को बिताती है। (अर्थात् बुद्धिमान् को चाहिए कि वह मौन रहे और समय आने पर प्रिय, हितकर, मधुर वचन बोले..)

अस्ति यावत्तु सधनस्तावत्सर्वैस्तु सेव्यते।
निर्धनस्त्यज्यते भार्या पुत्राद्यैः सगुणोप्यतः।।
= जब तक मनुष्य के पास धन रहता है, तब तक सबके द्वारा उसकी सेवा की जाती है। जब धनहीन हो जाता है तब गुणवान होने पर भी पत्नी पुत्रादि के द्वारा छोड़ दिया जाता है।

तद्भोजनं यद् द्विजभुक्तशेषं तत्सौहृदं यत्क्रियते परस्मिन्।
सा प्रज्ञता या न करोति पापं दम्भं विना यः क्रियते स धर्मः।।
= भोजन वह है जो ब्राह्मण को भोजन करा देने पर बचता है, प्रेम (मैत्री) वह है जो परायों पर किया जाए, विद्वत्ता (बुद्धिमत्ता) वह है जो मनुष्यों को पाप करने से बचाए और धर्म वह है जो बिना दम्भ के किया जाए।

मणिर्लुण्ठति पादाग्रे काचः शिरसि धार्यते।
क्रयविक्रयवेलायां काचः काचः मणिर्मणिः।।
= रत्न चाहे पैरो के आगे लुढ़कता रहे और कांच भले ही सिर पर धारण कर लिया जाए। किन्तु मोल लेने या बेचते समय कांच कांच ही रहता है और रत्न रत्न।

#vakyabhyas
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।


45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰संस्कृतकथा,सुभाषितम्, हास्यकणिका इत्यादयः
🗓22th April 2022, शुक्रवासरः

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📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) । चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

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Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [11.45]
🍃अदृष्टपूर्वं हृषितोऽस्मि दृष्ट्वा भयेन च प्रव्यथितं मनो मे।
तदेव मे दर्शय देव रूपं प्रसीद देवेश जगन्निवास
।।11.45।।

♦️adRRiShTapuurvaM hRRiShito'smi dRRiShTvaa
bhayena cha pravyathitaM mano me|
tadeva me darshaya deva ruupaM
prasiida devesha jagannivaasa

I am delighted by beholding that which has never been seen before, and yet my mind is tormented with fear. Show me that (four-armed) form. O God of gods, the refuge of the universe have mercy! (11.45)

मैं आपके इस अदृष्टपूर्व रूप को देखकर हर्षित हो रहा हूँ और मेरा मन भय से अतिव्याकुल भी हो रहा हैं। इसलिए हे देव आप उस पूर्वकाल को ही मुझे दिखाइये। हे देवेश हे जगन्निवास आप प्रसन्न होइये।।11.45।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [11.46]
🍃किरीटिनं गदिनं चक्रहस्त मिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव।
तेनैव रूपेण चतुर्भुजेन सहस्रबाहो भव विश्वमूर्ते
।।11.46।।

♦️kiriiTinaM gadinaM chakrahasta
michChaami tvaaM draShTumahaM tathaiva|
tenaiva ruupeNa chaturbhujena
sahasrabaaho bhava vishvamuurte

I wish to see You with a crown, holding mace and discus in Your hand. O Lord with thousand arms and universal form, appear in the four-armed form. (11.46)

मैं आपको उसी प्रकार मुकुटधारी गदा और चक्र हाथ में लिए हुए देखना चाहता हूँ। हे विश्वमूर्ते हे सहस्रबाहो आप उस चतुर्भुजरूप के ही बन जाइए।।11.46।।

#geeta