संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (32) कर्मवाच्य (पॅसिव्ह वॉईस) (कर्म को प्रधान रूप से कहने के लिए कर्मवाच्य का प्रयोग होता है। कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया, कर्म में प्रथमा तथा क्रिया कर्म के अनुसार चलती है। सकर्मक धातुओं का ही कर्मवाच्य…
छात्रा शोधप्रबन्धनम् अलेखीत्
= छात्रा ने शोधप्रबन्ध लिखा।

छात्रया शोधप्रबन्धोऽलेखि
= छात्रा के द्वारा शोधप्रबन्ध लिखा गया।

स्वयम्भूर्याथातथ्यतोऽर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः
= स्वयंसिद्ध ईश्वर ने ठीक प्रकार से (जैसे होने चाहिए वैसे ही) पदार्थों को शाश्वत प्रजा के लिए बनाया।

स्वयंभूर्याथातथ्यतोऽर्थाः व्यधायिषुः शाश्वतीभ्यः समाभ्यः
= स्वयं सिद्ध ईश्वर के द्वारा ठीक प्रकार से शाश्वत प्रजा के लिए पदार्थों का निर्माण किया गया।

विचक्षणाः विद्याञ्चाऽविद्याञ्चा सहैवाऽवेदिषुः
= विवेकी विद्वान् ज्ञान तथा कर्म को एक साथ जानते थे।

विचक्षणैः विद्या चाऽविद्या च सहैवाऽवेदि
= विवेकी विद्वानों के द्वारा ज्ञान तथा कर्म एक साथ जाने गए।

मुक्ताः अनासक्तभावेन कर्माणि सर्वाणि चक्रुः
= मुक्तों ने अनासक्त भाव से सब कर्मों को किया था।

मुक्तैः अनासक्तभावेन कर्माणि सर्वाणि चक्रिरे
= मुक्तों के द्वारा अनासक्त भाव से सब कर्म किए गए थे।

कुभोज्येन दिनं नष्टं कुकलत्रेण शर्वरी।
कुपुत्रेण कुलं नष्टं तन्नष्टं यन्न दीयते।।
= कुभोजन से दिन, कुपत्नी से रात और कुपुत्र से कुल नष्ट हो जाता है तथा जो नहीं दिया गया है वह (धनादि भी) नष्ट हो जाते हैं।

न गृहं गृहमित्याहुर्गृहिणी गृहमुच्यते।
गृहं तु गृहिणीहीनं कान्तारादतिरिच्यते।।
= घर को घर नहीं कहते अपितु गृहिणी को ही घर कहा जाता है। गृहिणी के बिना घर जंगल से भी अधिक भीषण होता है।

सकृज्जल्पन्ति राजानः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः।
सकृत् कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत्।।
= राजा एक ही बार आज्ञा देता है, पण्डित एक ही बार बोलता है अर्थात् दोनों स्व-वचनों पर दृढ़ रहते हैं। कन्यादान एक ही बार किया जाता है। ये तीनों बातें एक ही बार होती हैं, बार-बार नहीं।

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
= जैसे सोने का खरे-खोटे के पहचान के लिए घिसने, काटने, तपाने और कूटने के द्वारा परीक्षण किया जाता है वैसे मनुष्य का भी दान, शील, गुण और कर्म से परीक्षण किया जाता है।

अभ्यासाद् धार्यते विद्या कुलं शीलेन धार्यते।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः कोपो नेत्रेण गम्यते।।
= निरन्तर अभ्यास से विद्या प्राप्त होती है, उत्तम आचरण से कुल धारण किया जाता है (कुल का गौरव-मान बढ़ता है), उत्तम गुणों से आर्य जाना जाता है और आंखों से गुस्सा जाना जाता है।

अज्ञोऽपि तज्ज्ञतामेति शनैः शैलोपि चूर्ण्यते।
बाणोप्येति महालक्ष्यं पश्याभ्यासविजृम्भितम्॥
= अभ्यास का चमत्कार देखो, अभ्यास से अज्ञानी भी ज्ञानी हो जाता है, पर्वत भी धीरे-धीरे चूरा कर दिया जाता है, बाण भी सूक्ष्म लक्ष्य को बींध
सकता है।

वित्तेन रक्ष्यते धर्मो विद्या योगेन रक्ष्यते।
मृदुना रक्ष्यते भूपः सत्स्त्रिया रक्ष्यते गृहम्।।
= धन से धर्म की, योग से विद्या की, कोमलता व मधुरता से राजा की, तथा सती स्त्री से घर की रक्षा होती है।

#vakyabhyas
Friend 1 - Do you know ? Scientists say that usage of mobile phone affects our intelligence ?
Friend 2 - Don't worry dear. It won't affect both of us as I don't use mobile phone and you don't have intellect.

#hasya
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।


45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM विषयः
🔰उपकरणानाम् उपरि निर्भरता
(Dependence on devices)
🗓20th April 2022, बुधवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (जीवने उपकरणानां कीयती आवश्यकता वर्तते,स्वानुभवः कोऽपि अस्ति चेत्, दुष्प्रभावः कः भवति। ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्
।।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

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श्रीमद्भगवद्गीता [11.41]
🍃सखेति मत्वा प्रसभं यदुक्तं हे कृष्ण हे यादव हे सखेति।
अजानता महिमानं तवेदं मया प्रमादात्प्रणयेन वापि
।।11.41।।

♦️sakheti matvaa prasabhaM yaduktaM
he kRRiShNa he yaadava he sakheti|
ajaanataa mahimaanaM tavedaM
mayaa pramaadaatpraNayena vaapi

Considering You merely as a friend, not knowing Your greatness, I have inadvertently addressed You as O Krishna, O Yadava, O friend; merely out of affection or carelessness. (11.41)

हे भगवन् आपको सखा मानकर आपकी इस महिमा को न जानते हुए मेरे द्वारा प्रमाद से अथवा प्रेम से भी हे कृष्ण हे यादव हे सखे इस प्रकार जो कुछ बलात् कहा गया है।।11.41।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [11.42]
🍃यच्चावहासार्थमसत्कृतोऽसि विहारशय्यासनभोजनेषु।
एकोऽथवाप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम्
।।11.42।।

♦️yachchaavahaasaarthamasatkRRito'si
vihaarashayyaasanabhojaneShu|
eko'thavaapyachyuta tatsamakShaM
tatkShaamaye tvaamahamaprameyam

In whatever way I may have insulted You in jokes; while playing, reposing in bed, sitting, or at meals; when alone, or in front of others; O Krishna, I implore You for forgiveness. (11.42)

और हे अच्युत जो आप मेरे द्वारा हँसी के लिये बिहार, शय्या, आसन और भोजन के समय अकेले में अथवा अन्यों के समक्ष भी अपमानित किये गये हैं उन सब के लिए अप्रमेय स्वरूप आप से मैं क्षमायाचना करता हूँ।।11.42।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर 01:52 तक तत्पश्चात पंचमी

⛅️दिनांक 20 अप्रैल 2022
⛅️दिन - बुधवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - कृष्ण
⛅️नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 11:42 तक तत्पश्चात मूल
⛅️योग - वरियान दोपहर 01:40 तक तत्पश्चात परिघ
⛅️राहुकाल - दोपहर 12:39 से 02:15 तक
⛅️सर्योदय - 06:15
⛅️सर्यास्त - 07:02
⛅️दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram