संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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BVGch10vs39
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.39]
🍃यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन।
न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम्
।।10.39।।

♦️yachchaapi sarvabhuutaanaaM biijaM tadahamarjuna|
na tadasti vinaa yatsyaanmayaa bhuutaM charaacharam10.39

I am the origin or seed of all beings, O Arjuna. There is nothing, animate or inanimate, that can exist without Me. (See also 7.10 and 9.18) (10.39)

हे अर्जुन जो समस्त भूतों की उत्पत्ति का बीज (कारण) है वह भी में ही हूँ क्योंकि ऐसा कोई चर और अचर भूत नहीं है जो मुझसे रहित है।।10.39।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
🚩तिथि - एकादशी अपरान्ह 04:15 तक तपश्चात द्वादशी

दिनांक 28 मार्च 2022
दिन - सोमवार
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - चैत्र
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - श्रवण दोपहर 12:24 तक तपश्चात धनिष्ठा
योग - सिद्ध शाम 05:40 तक तत्पश्चात साध्य
राहुकाल - सुबह 08:08 से 09:41 तक
सूर्योदय - 06:36
सूर्यास्त - 06:54
चन्द्रोदय - रात्रि 04:04 (28 तरीख सुबह)
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 28th March 2022,
सोमवासरः

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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇

स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु


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आत्मछिद्रं न जानाति परच्छिद्राणि पश्यति |
स्वच्छिद्रं यदि जानाति परच्छिद्रं न पश्यति  ||  

लोग स्वयं अपनी कमियों को तो नहीं देखते हैं परन्तु दूसरों  की कमियां उन्हें अधिक दिखाई  देती हैं |  यदि वे अपनी कमियों को जानते ( या जानने का प्रयत्न करते ) तो उन्हें दूसरों की कमियों को देखने की आवश्यकता ही नहीं होती |

संस्कृतार्थः -
सामान्यतः जनाः स्वन्यूनतां न पश्यन्ति अपितु अन्येषां का न्यूनता वर्तते इति एव पश्यन्ति।
परन्तु यदि जनाः स्वस्य अयेग्यतां पश्यन्ति अथवा तां द्रष्टुं प्रयत्नं कुर्वन्ति चेत् अन्येषां न्यूनतादर्शनस्य आवश्यकता एव न भवति।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
त्वं वदसि = तू बोलता/बोलती है। तव विवदिषा समाप्ता, अधुनाऽहं वक्ष्यामि = तेरी बोलने की बारी समाप्त हुई, अब मैं बोलूंगा/बोलूंगी। अहं पुस्तकं पठामि = मैं पुस्तक पढ़ता/पढ़ती हूं। मह्यं पुस्तकं ददातु, अधुना मम पुस्तकस्य पाठिकाऽस्ति = मुझे पुस्तक…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।

पाठ : (२६) षष्ठी विभक्ति (५) + विसर्ग-सन्धिः

(क्रिया को बार-बार करने के होनेवाले कृत्वसुच्, सुच् तथा धा प्रत्ययवाले शब्दों के साथ कालाधिकरण कारक में षष्ठी विभक्ति का प्रयोग होता है।)

अजा दिनस्य बहुकृत्वो बहुधा वा भुङ्क्ते
= बकरी दिन में बहुत बार खाती है।

एषः संन्यासी दिवसस्य सकृत् भक्षति
= यह संन्यासी दिन में एक बार खाता है।

एषो यायावरो मासस्य बहुकृत्वो बहुधा वा भ्रमणाय गच्छति
= यह घुमक्कड़ महिने में बहुत बार घूमने के लिए चला जाता है।

अयं योगी दिनस्य द्विर्गुलिकां गृह्णाति
= यह रोगी दिन में दो बार गोली लेता है।

अयं मद्यपः पक्षस्य त्रिर्मधु पिबति
= यह शराबी पखवाडे में तीन बार शराब पीता है।

इयं चायपी अह्नः चतुः चायपानं करोति
= यह चाय पीनेवाली दिन में चार बार चाय पीती है।

स्वास्थ्याय दिवसस्य द्विर्भुञ्जीत, न ततोऽधिकम्
= स्वास्थ्य के लिए दिन में दो बार खाना चाहिए, इससे अधिक नहीं।

सप्ताहस्य सकृत् उपवसेत्
= सप्ताह में एक बार उपवास करे।

दिनस्य द्विः सन्ध्यामुपासीत
= दिन में दो बार सन्ध्या करे।

भोजनात्पूर्वं त्रिराचमेत्
= भोजन से पूर्व तीन बार आचमन करे।

अपरिचितोऽपि अयं जनोऽस्माकमुपनिवेशे बहुधा दृश्यते
= अपरिचित यह व्यक्ति अपनी सोसायटी में बहुत बार दिखाई देता है।

चलत्यहं द्विराहिता किन्तु न पतिता
= चलते हुए मुझे दो बार ठोकर लगी, फिर भी मैं नहीं गिरी।

इयं यजमाना संवत्सरस्य षट्कृत्वो यजुर्वेदस्य पारायणं करोति
= यह यजमाना वर्र्ष में छः बार यजुर्वेद का पारायण करती है।

अयं कुक्कुरः रात्रेः त्रिः रौति
= यह कुत्ता रात में तीन बार भौंकता है।
जीवनस्य बहुधाऽसफलोऽयं पुनरप्युत्साहेन कार्यं करोति
= जीवन में बहुत असफल होने पर भी यह व्यक्ति बहुत उत्साह से काम करता है।

(दक्षिणतः, उत्तरतः, परतः, अवरतः, उपरि, उपरिष्टात्, पश्चात्, उत्तरात्, अधरात्, दक्षिणात्, पुरः, अधः, अवः, पुरस्तात्, अधस्तात् और अवस्तात् इन शब्दों के प्रयोग में साथवाले शब्द से षष्ठी विभक्ति होती है।)

भारतवर्षस्य दक्षिणातो दक्षिणाद् वा महासागरोऽस्ति
= भारत के दक्षिण में समुद्र है।

भारतदेशस्योत्तरत उत्तराद् वा हिमालयो वर्तते
= भारत के उत्तर में हिमालय है।

अस्याः सरस्या अवरतोऽवरस्तादवो वा पर्वताः सन्ति
= इस बड़े तालाब के पीछे पर्वत हैं।

मम पश्चात् तिष्ठ
= मेरे पीछे खड़ा रह।

प्रथमभूमेरुपरि उपरिष्टात् वा केचन प्रकोष्ठाः सन्ति
= प्रथम मंजिल के ऊपर कुछ कमरे हैं।

अस्माकं यज्ञवेद्याः अधोऽधस्तादधराद् वा वेदाः स्थापिताः सन्ति
= हमारी यज्ञवेदी के नीचे वेद रखे हुए हैं।

सत्यार्थभवनस्याऽधः सत्यार्थप्रकाशो वर्तते
= सत्यार्थ-भवन के नीचे सत्यार्थ-प्रकाश रखा है।

पितुः पुरस्तात् पुरो वा दुर्घटना जाता पुत्रश्च मृतः
= पिता के सामने ही दुर्घटना हुई और बेटा मर गया।

तस्य वृक्षस्य अधरात् सर्पबिलं वर्तते
= इस पेड़ के नीचे सांप का बिल है।

छदिषः उपरि स्थित्वा बालः पतङ्गमुड्डायति
= छत पर खड़ा होकर बच्चा पतंग उड़ा रहा है।

पथि मम पुरस्तादेव सर्पः सृप्तः
= मार्ग में मेरे सामने से ही सांप गया।

मम पितृव्योऽस्माकमुपरिष्टात् वसति
= मेरे चाचाजी हमारे (घर के) ऊपर रहते हैं।

शाकस्योपरि तु सम्यक् प्रतीयते किन्तु नीचैर्ज्वलितमस्ति
= शाक का ऊपरवाला हिस्सा तो ठीक दीखता है किन्तु नीचे जला हुआ है।

गृहस्य उपरिष्टात् दीपावल्या शोभनं दृश्यते
= घर का ऊपर का हिस्सा दीपकों की माला के कारण सुन्दर दीख रहा है।

कनुकाका अस्माकं पश्चात् वसति
= कनुकाका हमारे पीछे रहते हैं।

मम पश्चादागतस्त्वं मम पुरतः कथं तिष्ठसि ?
= मुझसे बाद में आया तू मुझसे आगे कैसे खड़ा हो रहा/रही है ?

अस्माकं भारतस्य पुरस्ताद् निर्धनाः प्रान्ताः सन्ति
= हमारे भारत के पूर्व दिशा के प्रान्त निर्धन है।

ये भारतस्य पश्चात् वसन्ति ते पाश्चात्याः कथ्यन्ते
= जो भारत के पश्चिम में रहते हैं वे पाश्चात्य कहलाते हैं।

मध्यप्रदेशस्य दक्षिणतो निवसन्तः जनाः दाक्षिणात्याः उच्यन्ते
= मध्यप्रदेश के दक्षिण में रहनेवाले लोग दाक्षिणात्य कहे जाते हैं।

तस्य उत्तरतो ये वसन्ति ते औदीच्याः कथ्यन्ते
= उसके उत्तर में रहनेवाले लोग औदीच्य कहलाते हैं।

#vakyabhyas
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।

Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.

तिर्यगूर्ध्वमधः पूर्णं सच्चिदानन्दमद्वयम्।
अनन्तं नित्यमेकं यत्तद्ब्रह्मेत्यवधारयेत्।।56।।

56. Realise that to be Brahman which is Existence-Knowledge-Bliss-Absolute, which is Non-dual, Infinite, Eternal and One and which fills all the quarters – above and below and all that exists between.

आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 56:

आत्म-बोध के 56th श्लोक में भी भगवान् शंकराचार्यजी हमें ब्रह्म की महिमा उसका वास्तविक अर्थ बता रहे हैं। श्लोक का अंतिम पद समान है - की उसको ही ब्रह्म जानो। किसको? जो श्लोक में पूर्ण तत्व है। जो सचिदानन्द स्वरुप है। वो ही तीनों दिशाओं में अपनी माया से विविध रूपों में अभिव्यक्त हो रहा है। तीन दिशाएं मतलब - ऊपर, नीचे और पृथ्वी के ऊपर। जो स्वतः अनंत है, जिसके दृष्टी से कोई द्वैत नहीं होता है। वह ही ब्रह्म है - हे मन अपने समस्त विक्षेप त्यागो और मात्र उसमें अपना ध्यान लगाओ। ब्रह्म के अलावा पूरे ब्रह्माण्ड में और कुछ भी नहीं है।

#Atmabodha
@sutaah, subsidiary of @samskrt_samvadah is starting Elements in Periodic Table through Sanskrit Classes

Date: 31st March to 3rd April 2022
Time : 11 AM - 12.00 PM 🕖 (Indian time)
Teacher : @BhavaniSSR

Prior Sanskrit knowledge NOT Necessary.

Pls fill the Gform👇👇

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Do you know Sanskrit language helps to acquire the highest mental acumen quickly which is required to be skillful in computer languages?

Give your child an opportunity to learn Chemistry in a much better way through the Deva Bhasha Samskrit. And you will be surprised to know how Sanskrit played a role in the discovery of Mendeleev's periodic table

सर्वे भवन्तु सुखिनः🙏

NOTE: IX and X std students can join.💪However students from 6th to 12th can join if they are interested. Classes will be interactive and it's requested that your child is provided with hi-speed internet connectivity and a serene atmosphere to concentrate.
🚷 Adults! Pls 😅Let's NOT walk into the space meant for Children
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : भक्तिः
दिनाङ्कः : 29th March 2022,
मङ्गलवासरः

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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (कस्यचित् जनस्य उत्तमभक्त्याः उदाहरणं तस्य जीवनचरित्रं वा वदन्तु।) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇

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Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.40]