संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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Indira Gandhi National Open University (IGNOU)

Certificate in (Communicative Sanskrit) Saral Sanskrit Bodh (CSSB)
Distance Learning /Correspondence Course
http://www.ignou.ac.in/ignou/aboutignou/school/soh/programmes/detail/726/2
Course Details Click here

Minimum Duration: 6 Months
Maximum Duration: 2 Years
Course Fee: Rs. 1500
Minimum Age: No bar
Maximum Age: No bar

CourseCode Course Name
SSB-001 PrathamBodhah
SSB-002 Dwitiya Bodhah
SSB-004 Bhasha Prayogik Parikshan
SSB-003 Sambhashanam

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Last Date to Apply without late Fee is 15th March 2022

The last date of Fresh Admission for PG and UG Programmes both for Online and ODL mode ( except certificate, semester based and merit based Programmes) and Re-registration for the January 2022 Session has been extended till 25th March 2022.


#SanskritEducation
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः |
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मा नो धर्मो हतोवधीत्  | | – मनुस्मृति

Meaning : Dharma only destroys (those) that destroy it. Dharma also protects those that protect it. Hence, Dharma should not be destroyed. Know that if violated, Dharma destroys us.

Dharm - Dharma
Eva - used to emphasis
-- Dharm~Eva - Dharma alone/Dharma indeed
Hato - Being killed/destroyed
Hanti - Kills/destroyes

Dharmo - From Dharma
Rakshati - To protect
Rakshitah - The protected one

Tasma - Hence/Therefore
Dharmo - From Dharma
Na - Not
Hantvyo - To kill/destroy

Ma - Do not
No - Nor
Dharmo - From Dharma
Hato - Being killed/destroyed
Vadhit - Killed

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
{अन्य, भिन्न, इतर, आरात्, (निकट, दूर) इन शब्दों से युक्त शब्दों में तथा पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, प्राक्, प्रत्यक्, उदक्, दक्षिणा, उत्तरा, दक्षिणाहि और उत्तराहि शब्दों से युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति होती है।} मत् शीतला अन्य स्वभावा = मुझसे शीतल…
(प्रभृति, आरभ्य, बहिः, ऊर्ध्वम्, अनन्तरम् के योग में भी पञ्चमी विभक्ति होती है।)

इतः प्रभृति नगर पर्यन्तं वृष्टो देवः
= यहां से लेकर शहर तक वर्षा हुई।

हिमालयात् प्रभृति रामेश्वर पर्यन्तं भारतवर्षं वर्तते
= हिमालय से लेकर रामेश्वर तक भारतवर्ष है।

प्रतिपदायाः आरभ्य त्रयोदशीपर्यन्तं विद्यालयं चलति। चतुर्दश्यां पौर्णमास्यां च अवकाशो वर्तते
= प्रतिपदा से लेकर त्रयोदशी तक विद्यालय चलता है। चतुर्दशी और पूर्णिमा को अवकाश होता है।

भारतात् बहिर्वेदविद्या दुर्लभा
= भारत से बाहर वेदविद्या दुर्लभ है।

पृथ्वीलोकाद् ऊर्ध्वमन्तरिक्षलोको वर्तते, ततः ऊर्ध्वञ्च द्युलोकः
= पृथ्वीलोक के ऊपर अन्तरिक्ष लोक है और उससे ऊपर द्युलोक।

अतः ऊर्ध्वं षष्ठी-विभक्तेः पाठो भविष्यति
= इसके पश्चात् षष्ठी विभक्ति का पाठ होगा।

सोमवासराद् ऊर्ध्वं मङ्गलवासरो भवति
= सोमवार के बाद मंगलवार होता है।

मङ्गलवासराद् अनन्तरं बुधवासरः
= मंगलवार के बाद बुधवार होता है।

भोजनस्य सम्यक् पाकाय भोजनाद् अनन्तरं जलं न पातव्यं किन्तु देशि-गुडं भोक्तव्यम्
= भोजन के सुपाचन हेतु तुरन्त बाद पानी नहीं पीना चाहिए, किन्तु देशी गुड़ (रसायन रहित) खाना चाहिए।

न तिष्ठति तु यः पूर्वां नोपास्ते यश्च पश्चिमाम्। स शूद्रवत् बहिष्कार्यः सर्वस्माद् द्विजकर्मणः।।
= जो मनुष्य प्रातः व सायं सन्ध्योपासना नहीं करता उसे शूद्र के समान समस्त द्विजकर्म (ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के कर्म) से वंचित कर देना चाहिए।

{‘अप’ तथा ‘परि’ जब वर्जन (त्याग) अथवाले होते हैं, तब उसकी कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, और उनसे युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}

अप अलियाबादात् दक्षिणाहि मेघो मेहति
= अलियाबाद को छोड़कर दक्षिण दिशा में बादल बरस रहे हैं।

परि भारतात् परिवारो दुर्लभः
= भारत को छोड़कर अन्य देशों में परिवार मिलना दुर्लभ है।

परि कृषेरन्ये व्यवसायाः औन्नत्याय न कल्पते
= खेती को छोड़कर अन्य व्यवसाय उन्नति कराने में समर्थ नहीं हैं।

{आ (आङ्) जब मर्यादा (उसको छोड़कर) तथा अभिविधि (उसके सहित) अर्थ में होते हैं, तब उसकी कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, तथा उससे युक्त शब्दों में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}

(मर्यादा) आ ग्रामाद् दृढो मार्गो वर्तते
= गांव को छोड़कर पक्की सड़क है।

आ क्षेत्रात् गुरुकुलं शुचिकृतम्
= खेत को छोड़कर सारा गुरुकुल साफ किया।

(अभिविधि) आ कुमारेभ्यः यशः पाणिनेः
= बच्चे-बच्चे तक पाणिनि की कीर्ति फैली हुई है।

आ बालात् आतङ्कं प्रासारयत ् मुगलशासकाः
= यवन शासकों ने अपने आतंक से बच्चे तक को नहीं छोड़ा था।

उत्तरा आ काश्मीरात् दक्षिणाहि आ रामेश्वरात् पश्चिमे आ गुजरातात् पूर्वस्याञ्च दिशि आ अरुणाचलप्रदेशात् भारतवर्षस्य सीमा अस्ति
= उत्तर में कश्मीर तक, दक्षिण में रामेश्वर तक, पश्चिम में गुजरात तक तथा पूर्व में अरुणांचल प्रदेश तक भारत की सीमा है।

{प्रतिनिधि के विषय में और प्रतिदान (एक वस्तु के बदले में दूसरी देना) के विषय में प्रति शब्द की कर्मप्रवचनीय संज्ञा होती है, तथा उससे युक्त शब्द में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है।}

आचार्यात् प्रति शिष्यः सभायाम् उपातिष्ठत्
= आचार्य के प्रतिनिधि के रूप में शिष्य सभा में उपस्थित रहा।

पाण्डवेभ्यः प्रति कृष्णः शान्तिप्रस्तावं नीत्वा दुर्योधनम् उपातिष्ठत्
= पाण्डवों की ओर से शान्ति प्रस्ताव लेकर कृष्ण दुर्योधन के पास गए।

रुग्णपितुः प्रति पुत्रः कार्यम् अकार्षीत्
= बीमार पिता के बदले में पुत्र ने काम किया।

तिलेभ्यः प्रति माषान् यच्छति
= तिल के बदले में उड़द देता है। (किसी से तिल लेकर बदले में उड़द देता है।)

गोदुग्धात् प्रति महिषीदुग्धं यच्छति
= गोदुग्ध के बदले भैंस का दूध देता है। (किसी से गाय का दूध लेता है, बदले में भैस का दूध देता है।)

विद्यायाः प्रति धनं ददाति
= विद्या के बदले में धन देता है।

आपणिकः रुप्यकेभ्यः प्रति वस्तूनि ग्राहकाय ददाति
= दुकानदार पैसे के बदले में ग्रहक को वस्तुएं देता है।

#vakyabhyas
हैन्दवा घातिताः नूनं गेहात् क्षेत्रात् निवारिताः ।
स्वदेशेऽगतिका जाताः सत्यं चित्रीकृतं त्विह ॥
पश्यन्तु दर्शयन्त्वेतत् सर्वे सर्वांस्तु हैन्दवान्।
संस्मृते भाविशोको न विस्मृते नास्ति संस्थितिः॥



Meaning:Hindus were killed, removed from their homes & fields & rendered refugees in homeland. This truth has been documented here (in the movie). See &make all Hindus see the movie. If you remember (the tragedy) there is no future misery. If you forget, there is no existence.

~ Jayaraman M


Don't Forget to Watch The Kashmir Files in Theatres.
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।

Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.

ज्ञातृज्ञानज्ञेयभेदः परे नात्मनि विद्यते।
चिदानन्दैकरूपत्वाद्दीप्यते स्वयमेव हि।।41।।

41. There are no distinctions such as “Knower”, the “Knowledge” and the “Object of Knowledge” in the Supreme Self. On account of Its being of the nature of endless Bliss, It does not admit of such distinctions within Itself. It alone shines by Itself.

आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 41:

आत्म-बोध के 41st श्लोक में आचार्यश्री हमें पिछले श्लोक में बताये गए आत्मा-अभ्यास के विषय पर एक और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से प्रकाश डालते हैं। यह बिंदु है - त्रिपुटी का। त्रिपुटी के अन्दर ही हम सब का पूरा संसार चलता है। जबतक त्रिपुटी है तब तक संसार और संस्करण चलता रहता है। त्रिपुटी बोलते हैं ज्ञाता-ज्ञान और ज्ञेय के भेद को। इस बात पर ध्यान दीजिये - की हम लोगों के समस्त अच्छे-बुरे व्यवहार सभी इस त्रिपुटी के अंदर ही चलते हैं। फिर भले ज्ञाता हो, अथवा दृष्टा हो, श्रोता हो आदि। देखने वाला अलग है, देखने वाली वस्तु अलग है, और इन दोनों के संस्पर्श से उत्पन्न दर्शन अलग है। यहाँ आचार्य बोलते हैं की परमात्मा में ये तीनों नहीं होते हैं। ये तीनों मूल रूप से चिदानंद रूप ही हैं - जो एक है, अखण्ड है, और जो स्वतः प्रकाशित होती है।

#Atmabodha
*संस्कृतं व्यावहारिकी भाषा भवेत्*

😆😆😆😆😆😆😆😆😆😆

*उत्तरप्रदेश-विधानसभायै आयोजितस्य निर्वाचनस्य घोषितः आधिकारिकः परिणामः*
(Officially announced Results of Election held for U.P. Assembly)

शिवसेनादलम् --- 395
समाजवादी-पार्टीं --- 210
भारतीय-जनता-पार्टी --- 001
बहुजन समाज पार्टी --- 265
कांग्रेस-दलम् --- 385
अपना-दलम् --- 004
अन्यानि दलानि --- 1241

*कृपया अधोलिखितम् अपि पठ्यताम् .... 😂😂*

_उपरिदत्ता संख्या तेषां
प्रत्याशिनाम् अस्ति येषां प्रतिभूः अपहृतः *( यह संख्या उन उम्मीदवारों की है जिनकी जमानत जब्त हो गई है = Those whose security deposit has been confiscated)* । --KSG

😃😃

#hasya
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 14th March 2022,
सोमवासरः

Please Join the voicechat on time.

😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇

स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु


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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
BVGch10vs10
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.10]
🍃तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते
।।10.10।।

♦️teShaaM satatayuktaanaaM bhajataaM priitipuurvakam|
dadaami buddhiyogaM taM yena maamupayaanti te10.10

I give the knowledge, to those who are ever united with Me and lovingly adore Me, by which they come to Me. (10.10)

उन (मुझ से) नित्य युक्त हुए और प्रेमपूर्वक मेरा भजन करने वाले भक्तों को मैं वह बुद्धियोग देता हूँ जिससे वे मुझे प्राप्त होते हैं।।10.10।।

#geeta
BVGch10vs11
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.11]
🍃तेषामेवानुकम्पार्थमहमज्ञानजं तमः।
नाशयाम्यात्मभावस्थो ज्ञानदीपेन भास्वता
।।10.11।।

♦️teShaamevaanukampaarthamahamaj~naanajaM tamaH|
naashayaamyaatmabhaavastho j~naanadiipena bhaasvataa10.11

Out of compassion for them I, who dwell within their heart, destroy the darkness born of ignorance by the shining lamp of knowledge. (10.11)

उनके ऊपर अनुग्रह करने के लिए मैं उनके अन्तकरण में स्थित होकर? अज्ञानजनित अन्धकार को प्रकाशमय ज्ञान के दीपक द्वारा नष्ट करता हूँ।।10.11।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
🚩तिथि - एकादशी 12:05 पी. एम. तक ततपश्चात द्वादशी

दिनांक 14 मार्च 2022
दिन - सोमवार
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - पुष्य 10:08 पी. एम तक तपश्चात अश्लेषा
योग - अतिगण्ड 04:15 ए. एम मार्च 15 तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल -8:20 ए.एम से 09:49 ए.एम. तक
सूर्योदय - 06:50 ए. एम.
सूर्यास्त - 06:48 पी.एम
चन्द्रोदय - 03:14 पी.एम.
चन्द्रोस्त - 5:01 ए.एम मार्च 15
दिशाशूल - पूर्व
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : वार्ताः
(News)
दिनाङ्कः : 14th March 2022,
सोमवासरः

Please Join the voicechat on time.

😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन ( प्रदेशीयां , राष्ट्रीयां, अन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां वदन्तु ) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇

स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु


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